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शैतान का सामना करो, तो वह भाग निकलेगा!

शैतान का सामना करो, तो वह भाग निकलेगा!

शैतान का सामना करो, तो वह भाग निकलेगा!

“परमेश्‍वर के आधीन हो जाओ; और शैतान का साम्हना करो, तो वह तुम्हारे पास से भाग निकलेगा।”—याकूब 4:7.

1, 2. (क) यशायाह अध्याय 14 में दर्ज़ शब्दों में शैतान का कौन-सा रवैया नज़र आता है? (ख) हम किन सवालों पर चर्चा करेंगे?

 इब्‌लीस, अहंकार का दूसरा नाम है। उसका यह घमंड उन शब्दों से साफ पता चलता है जो परमेश्‍वर के भविष्यवक्‍ता यशायाह ने अपनी भविष्यवाणी में दर्ज़ किया था। यह भविष्यवाणी बाबुल के विश्‍व-शक्‍ति बनने से सौ साल पहले की गयी थी और उसमें यहोवा के लोगों को “बाबुल के राजा” के खिलाफ यह कहते हुए बताया गया था: “तू मन में कहता तो था कि मैं स्वर्ग पर चढ़ूंगा; मैं अपने सिंहासन को ईश्‍वर के तारागण [दाऊद के शाही घराने के राजाओं] से अधिक ऊंचा करूंगा . . . मैं परमप्रधान के तुल्य हो जाऊंगा।” (यशायाह 14:3, 4, 12-15; गिनती 24:17) “बाबुल के राजा” ने “इस संसार के ईश्‍वर” शैतान के जैसा घमंड दिखाया था। (2 कुरिन्थियों 4:4) जैसे बाबुल के राजवंश का शर्मनाक अंत हुआ था, उसी तरह शैतान का अहंकार भी उसे ले डूबेगा।

2 मगर जब तक शैतान इब्‌लीस रहेगा, तब तक शायद ऐसे सवाल हमें परेशान करते रहें: क्या हमें शैतान से डरना चाहिए? वह क्यों मसीहियों पर ज़ुल्म ढाने के लिए लोगों को उनके खिलाफ भड़काता है? हम शैतान के हाथों मात खाने से कैसे बच सकते हैं?

क्या हमें इब्‌लीस से डरना चाहिए?

3, 4. अभिषिक्‍त मसीही और उनके साथी, शैतान से क्यों नहीं डरते?

3 अभिषिक्‍त मसीही, यीशु मसीह की इस बात से हौसला पाते हैं: “जो दुख तुझ को झेलने होंगे, उन से मत डर: क्योंकि देखो, शैतान तुम में से कितनों को जेलखाने में डालने पर है ताकि तुम परखे जाओ; और तुम्हें दस दिन तक क्लेश उठाना होगा: प्राण देने तक विश्‍वासी रह; तो मैं तुझे जीवन का मुकुट दूंगा।” (प्रकाशितवाक्य 2:10) अभिषिक्‍त मसीही और धरती पर जीने की आशा रखनेवाले उनके साथी, इब्‌लीस से नहीं डरते। ऐसी बात नहीं कि वे पैदाइशी दिलेर हैं। वे निडर हैं तो इसलिए कि उनके अंदर परमेश्‍वर के लिए गहरी श्रद्धा और भय है और वे ‘उसके पंखों तले शरण लेते हैं।’—भजन 34:9; 36:7.

4 यीशु मसीह के शुरूआती चेलों पर कई दुःख आए, फिर भी उन्होंने निडर होकर इनका सामना किया और मरते दम तक वफादार रहे। वे शैतान इब्‌लीस से आनेवाले ज़ुल्मों से डरे नहीं क्योंकि वे जानते थे कि यहोवा अपने वफादार सेवकों को कभी नहीं छोड़ेगा। उसी तरह, आज भी अभिषिक्‍त मसीहियों और उनके समर्पित साथियों पर चाहे कितने ही ज़ुल्म आएँ, वे परमेश्‍वर की तरफ अपनी खराई बनाए रखने की ठान लेते हैं। मगर ध्यान दीजिए कि प्रेरित पौलुस ने अपनी एक पत्री में कहा कि इब्‌लीस हमें मार डालने की ताकत रखता है। तो क्या इस बात से हमें डर जाना चाहिए?

5. इब्रानियों 2:14, 15 से हम क्या सीखते हैं?

5 पौलुस ने कहा कि यीशु, ‘मांस और लहू का भागी होकर’ यानी इंसान बनकर धरती पर इसलिए आया ताकि “अपनी मृत्यु के द्वारा वह उसे अर्थात्‌ शैतान को नष्ट कर सके जिसके पास मारने की शक्‍ति है। और उन व्यक्‍तियों को मुक्‍त कर ले जिनका समूचा जीवन मृत्यु के प्रति अपने भय के कारण दासता में बीता है।” (इब्रानियों 2:14, 15, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) शैतान के पास “मारने की शक्‍ति है,” इसलिए यीशु को मारने के लिए पहले उसने यहूदा को अपनी मुट्ठी में कर लिया और फिर यहूदी अगुवों और रोमियों को अपनी कठपुतलियाँ बनाकर उसे मौत की सज़ा दिलायी। (लूका 22:3; यूहन्‍ना 13:26, 27) लेकिन यीशु की मौत, पापी इंसानों के लिए एक बलिदान थी जिससे उनके लिए शैतान के चंगुल से छूटना और आगे जाकर हमेशा की ज़िंदगी पाना मुमकिन हुआ है।—यूहन्‍ना 3:16.

6, 7. शैतान, इंसान को मार डालने की शक्‍ति का किस हद तक इस्तेमाल कर सकता है?

6 इब्‌लीस, इंसान को मार डालने की शक्‍ति का किस हद तक इस्तेमाल कर सकता है? जब से शैतान ने बुराई का रास्ता चुना है, तब से उसने झूठ का सहारा लेकर और इंसानों को गुमराह करके उन्हें मौत के मुँह में धकेल दिया है। कैसे? जब आदम ने शैतान की बात मानकर पाप किया, तो उसकी सभी संतान पापी बन गयी और मौत के मुँह में जा गिरी। (रोमियों 5:12) इसके अलावा, धरती पर मौजूद शैतान के पैरोकारों ने यहोवा के उपासकों को बहुत सताया है और कभी-कभी तो उन्हें मार भी डाला है, ठीक जैसे उन्होंने यीशु मसीह के साथ किया था।

7 लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि इब्‌लीस जिसे चाहे उसे मार सकता है। परमेश्‍वर अपने सेवकों की हिफाज़त करता है और वह कभी-भी शैतान को धरती पर से सभी सच्चे उपासकों का सफाया करने नहीं देगा। (रोमियों 14:8) यह सच है कि यहोवा अपने सभी लोगों पर ज़ुल्म आने देता है और कुछ सेवकों को शैतान के हाथों मरने भी देता है। लेकिन बाइबल यह बेहतरीन आशा देती है कि परमेश्‍वर उन सभी का पुनरुत्थान करेगा जिनके नाम उसके ‘स्मरण की पुस्तक’ में लिखे गए हैं। और इब्‌लीस, परमेश्‍वर को पुनरुत्थान करने से बिलकुल नहीं रोक सकता!—मलाकी 3:16; यूहन्‍ना 5:28, 29; प्रेरितों 24:15.

शैतान हम पर ज़ुल्म क्यों ढाता है?

8. इब्‌लीस, परमेश्‍वर के सेवकों पर ज़ुल्म क्यों ढाता है?

8 अगर हम परमेश्‍वर के वफादार सेवक हैं, तो शैतान इस वजह से हम पर ज़ुल्म ढाता है कि हम अपने विश्‍वास से मुकर जाएँ। स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता के साथ हमने जो अनमोल रिश्‍ता कायम किया है, उसे वह तोड़ देना चाहता है। शैतान का यह इरादा जानकर हमें ताज्जुब नहीं होता। क्योंकि अदन के बाग में यहोवा ने पहले से बताया था कि उसकी लाक्षणिक “स्त्री” और “सर्प” के बीच और उनके ‘वंशों’ के बीच दुश्‍मनी होगी। (उत्पत्ति 3:14, 15) बाइबल कहती है कि इब्‌लीस ही वह “पुराना सांप” है और उसका थोड़ा ही समय बाकी रह गया है जिस वजह से वह बहुत गुस्से में है। (प्रकाशितवाक्य 12:9, 12) इन दोनों ‘वंशों’ के बीच आज भी दुश्‍मनी जारी है, इसलिए जो यहोवा की सेवा वफादारी से करते हैं, वे उम्मीद कर सकते हैं कि वे सताए जाएँगे। (2 तीमुथियुस 3:12) क्या आप जानते हैं कि शैतान की तरफ से आनेवाले ज़ुल्म के पीछे असली कारण क्या है?

9, 10. इब्‌लीस ने कौन-सा मसला उठाया है और इसका इंसानों की खराई से क्या लेना-देना है?

9 इब्‌लीस ने विश्‍व की हुकूमत का मसला उठाया है। इसके साथ ही उसने सिरजनहार की तरफ इंसान की खराई पर भी उँगली उठायी है। शैतान ने जब अय्यूब नाम के एक खरे इंसान पर ज़ुल्म ढाए, तो उसका मकसद क्या था? यहोवा की तरफ अय्यूब की खराई तोड़ देना। अपना यह मकसद पूरा करने के लिए शैतान ने अय्यूब की पत्नी और उसके तीन “निकम्मे सान्त्वना देनेवाले” (NHT) दोस्तों का इस्तेमाल किया। जैसे अय्यूब की किताब में बताया गया है, इब्‌लीस ने परमेश्‍वर को चुनौती दी और यह दावा किया कि अगर उसे इंसानों को परखने की इजाज़त दी जाए, तो कोई भी परमेश्‍वर का वफादार नहीं रहेगा। लेकिन अय्यूब अपनी खराई से नहीं हटा और इस तरह शैतान को झूठा साबित कर दिखाया। (अय्यूब 1:8–2:9; 16:2; 27:5; 31:6) मगर इब्‌लीस ने हार नहीं मानी। वह आज भी यहोवा के साक्षियों की खराई तोड़ने और अपनी चुनौती को सच साबित करने के लिए उन पर ज़ुल्म ढाता है।

10 हम इस बात से डरते नहीं कि इब्‌लीस किसी भी हाल में हमारी खराई तोड़ने के लिए हम पर ज़ुल्म ढाता है। उलटा, यह बात हमें हिम्मत से काम लेने और मज़बूत बने रहने को उकसाती है। (व्यवस्थाविवरण 31:6) हमारा परमेश्‍वर पूरे विश्‍व का महाराजाधिराज है और अपनी खराई बनाए रखने में वह हमारी मदद करेगा। इसलिए आइए हम खराई पर चलते हुए हमेशा यहोवा का मन आनंदित करें, ताकि सबसे बड़े निंदक शैतान इब्‌लीस को मुँहतोड़ जवाब दे सकें।—नीतिवचन 27:11.

‘हमें उस दुष्ट से बचा’

11. इस गुज़ारिश का मतलब क्या है: “हमें परीक्षा में न ला”?

11 अपनी खराई को बनाए रखना, इतना आसान नहीं; इसके लिए सच्चे मन से प्रार्थना करने की ज़रूरत है। खासकर आदर्श प्रार्थना के शब्द हमारी मदद कर सकते हैं। उस प्रार्थना में यीशु ने कहा था: “हमें परीक्षा में न ला परन्तु उस दुष्ट से बचा।” (मत्ती 6:13, NHT, फुटनोट) यहोवा हमें पाप करने के लिए नहीं लुभाता। (याकूब 1:13) मगर कभी-कभी जब बाइबल कहती है कि यहोवा फलाँ काम करता है या उसे करवाता है, तो उसका मतलब है कि वह सिर्फ ऐसा होने की इजाज़त देता है। (रूत 1:20, 21) इसलिए जब हम यीशु के बताए मुताबिक दुआ करते हैं, तो दरअसल हम यहोवा से गुज़ारिश कर रहे होते हैं कि परीक्षा आने पर वह हमें अकेला न छोड़ दे जिससे हम पाप कर सकते हैं। यह बात पक्की है कि वह हमें हरगिज़ अकेला नहीं छोड़ेगा क्योंकि बाइबल हमें यकीन दिलाती है: “परमेश्‍वर सच्चा है: वह तुम्हें सामर्थ से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, बरन परीक्षा के साथ निकास भी करेगा; कि तुम सह सको।”—1 कुरिन्थियों 10:13.

12. यह प्रार्थना करना क्यों ज़रूरी है कि ‘हमें उस दुष्ट से बचा’?

12 यीशु ने आदर्श प्रार्थना में परीक्षा का ज़िक्र करने के बाद कहा: “उस दुष्ट से बचा।” द होली बाइबल हिन्दी—ओ.वी. में इस आयत का यूँ अनुवाद किया गया है: “बुराई से बचा।” मगर शास्त्र में शब्द “बचा,” बुराई जैसे गुण के बजाय खासकर व्यक्‍तियों के मामले में इस्तेमाल किया जाता है और मत्ती की सुसमाचार की किताब इब्‌लीस को ‘परखनेवाला’ कहती है, जो दिखाता है कि वह एक असल शख्स है। (मत्ती 4:3, 11) इसलिए, यह बेहद ज़रूरी है कि हम “उस दुष्ट” यानी शैतान इब्‌लीस के फँदे से बचने के लिए प्रार्थना करें। वह हमें इस तरह बहकाने की कोशिश करता है कि हम परमेश्‍वर के खिलाफ पाप कर बैठें। (1 थिस्सलुनीकियों 3:5) जब हम बिनती करते हैं कि ‘हमें उस दुष्ट से बचा,’ तो हम अपने स्वर्गीय पिता से गुज़ारिश कर रहे होते कि हमें सही राह दिखा और हमारी मदद कर, ताकि हम शैतान से मात न खाएँ।

इब्‌लीस से मात मत खाइए

13, 14. कुरिन्थुस कलीसिया का जो आदमी पहले बदचलन था, उसकी तरफ अब कलीसिया को अपना रवैया बदलने की ज़रूरत क्यों थी?

13 पौलुस ने कुरिन्थुस के मसीहियों को, दूसरों के गुनाह माफ करने का बढ़ावा देते हुए कहा: “यदि तुम किसी को किसी बात के लिये क्षमा करते हो तो उसे मैं भी क्षमा करता हूँ और जो कुछ मैंने क्षमा किया है (यदि कुछ क्षमा किया है) तो वह मसीह की उपस्थिति में तुम्हारे लिये ही किया है। ताकि हम शैतान से मात न खा जायें। क्योंकि उसकी चालों से हम अनजान नहीं हैं।” (2 कुरिन्थियों 2:10, 11, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) शैतान हमें मात देने के लिए कई तरह की चालें चलता है, मगर यहाँ पर पौलुस शैतान की किस चाल की बात कर रहा था?

14 पौलुस ने इससे पहले कुरिन्थुस के मसीहियों को फटकारा था क्योंकि उन्होंने एक बदचलन आदमी को कलीसिया में रहने दिया था। यह देखकर शैतान खुशी से फूल उठा होगा, क्योंकि “ऐसा व्यभिचार . . . अन्यजातियों में भी नहीं होता” था और इसे बरदाश्‍त करने से कलीसिया की बदनामी हुई थी। आखिरकार, उस पापी को कलीसिया से बहिष्कृत कर दिया गया। (1 कुरिन्थियों 5:1-5, 11-13) बाद में इस आदमी ने पश्‍चाताप किया। अब कुरिन्थुस के मसीहियों को चाहिए था कि वे उसे माफ करें और बहाल कर दें, वरना शैतान उन्हें एक और तरीके से मात दे रहा होता। कैसे? वे भी शैतान की तरह कठोर और बेरहम बन जाते। अगर पश्‍चाताप करनेवाला वह व्यक्‍ति यह देखकर “बहुत उदासी में डूब जाए” कि उस पर दया नहीं की जा रही है, और परमेश्‍वर की उपासना करना पूरी तरह छोड़ दे, तो खासकर प्राचीनों को इसके लिए यहोवा को लेखा देना पड़ता, जो एक रहमदिल परमेश्‍वर है। (2 कुरिन्थियों 2:7; याकूब 2:13; 3:1) बेशक, कोई भी सच्चा मसीही नहीं चाहेगा कि वह शैतान की तरह कठोर, सख्त और बेरहम बने।

परमेश्‍वर के दिए हथियारों से मिलनेवाली हिफाज़त

15. हम किस तरह का युद्ध लड़ रहे हैं, और अगर हमें जीत पानी है तो क्या करने की ज़रूरत है?

15 अगर हम इब्‌लीस से बचना चाहते हैं, तो हमें दुष्ट आत्मिक सेनाओं से आध्यात्मिक युद्ध लड़ना होगा। हम अकेले इन ताकतवर दुश्‍मनों को जीत नहीं सकते, इसके लिए हमें “परमेश्‍वर के सारे हथियार” बाँध लेने की ज़रूरत है। (इफिसियों 6:11-18) इनमें से एक हथियार है, “धार्मिकता की झिलम।” (इफिसियों 6:14) प्राचीन इस्राएल के राजा शाऊल ने परमेश्‍वर की आज्ञा नहीं मानी थी, इसलिए परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा उस पर से हट गयी थी। (1 शमूएल 15:22, 23) लेकिन अगर हम धार्मिकता के काम करें और सारे आध्यात्मिक हथियारों से लैस हों, तो परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा हम पर बनी रहेगी और शैतान और उसके दुष्ट स्वर्गदूतों से हमारी हिफाज़त होगी।—नीतिवचन 18:10.

16. दुष्ट आत्मिक सेनाओं से हम लगातार हिफाज़त कैसे पा सकते हैं?

16 दुष्ट आत्मिक सेनाओं से लगातार हिफाज़त पाने के लिए, हमें कुछ कदम उठाने की ज़रूरत है। जैसे, नियमित रूप से परमेश्‍वर का वचन पढ़ना और उसका अध्ययन करना और ‘विश्‍वास-योग्य भण्डारी’ के दिए साहित्य का अच्छा इस्तेमाल करना। (लूका 12:42) ऐसा करके हम अपने मन को आध्यात्मिक बातों से भर रहे होंगे और पौलुस की इस सलाह पर चल रहे होंगे: “हे भाइयो, जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरनीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, निदान, जो जो सद्‌गुण और प्रशंसा की बातें हैं उन्हीं पर ध्यान लगाया करो।”—फिलिप्पियों 4:8.

17. सुसमाचार के कुशल प्रचारक बनने में क्या बात हमारी मदद करेगी?

17 अपने “पांवों में मेल के सुसमाचार की तैयारी के जूते पहि[ने]” रहने में यहोवा हमारी मदद करता है। (इफिसियों 6:15) मसीही सभाओं में बिना नागा हिस्सा लेने से हम सीखते हैं कि परमेश्‍वर के राज्य की खुशखबरी को अच्छी तरह कैसे सुनाएँ। और जब हम दूसरों को परमेश्‍वर की सच्चाई सीखने और आध्यात्मिक आज़ादी पाने में मदद देते हैं, तो हमें क्या ही खुशी मिलती है! (यूहन्‍ना 8:32) “आत्मा की तलवार” यानी परमेश्‍वर का वचन हमारे लिए बेहद ज़रूरी है क्योंकि यह झूठी शिक्षाओं से हमारी रक्षा करता है और “गढ़ों” की तरह गहरायी तक समायी झूठी बातों को “ढा देने” में हमारी मदद करता है। (इफिसियों 6:17; 2 कुरिन्थियों 10:4, 5) परमेश्‍वर के लिखित वचन, बाइबल का इस्तेमाल करने में जब हम कुशल होते हैं, तो दूसरों को सच्चाई सिखा पाते हैं और शैतान के छल-कपट से धोखा खाने से बचते हैं।

18. हम कैसे “शैतान की धूर्त चालों के साम्हने खड़े रह” सकते हैं?

18 पौलुस ने मसीहियों के आध्यात्मिक हथियारों की चर्चा यह कहकर शुरू की थी: “प्रभु में और उस की शक्‍ति के प्रभाव में बलवन्त बनो। परमेश्‍वर के सारे हथियार बान्ध लो; कि तुम शैतान की युक्‍तियों [धूर्त चालों, NW, फुटनोट] के साम्हने खड़े रह सको।” (इफिसियों 6:10, 11) यहाँ जिस यूनानी शब्द का “खड़े रह” अनुवाद किया गया है, उसे अकसर एक सैनिक के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो लड़ाई के मैदान में अपनी जगह पर डटा रहता है। उसी तरह आध्यात्मिक लड़ाई में, हम अपनी जगह पर स्थिर खड़े रहते हैं फिर चाहे शैतान, हमारी एकता में फूट डालने, हमारी शिक्षाओं में मिलावट करने या परमेश्‍वर की तरफ हमारी खराई को तोड़ने के लिए तरह-तरह की धूर्त चालें क्यों न चले। मगर शैतान की चालें आज तक कामयाब नहीं हुई हैं और ना ही कभी होंगी! *

शैतान का सामना करो, तो वह भाग निकलेगा

19. शैतान का सामना करने के लिए कौन-सा ठोस कदम उठाना ज़रूरी है?

19 हम शैतान और उसके इशारों पर चलनेवाली दुष्ट आत्मिक सेनाओं के खिलाफ इस आध्यात्मिक लड़ाई में ज़रूर विजयी हो सकते हैं। हमें शैतान से डरने की कोई ज़रूरत नहीं है क्योंकि शिष्य याकूब ने लिखा था: “परमेश्‍वर के आधीन हो जाओ; और शैतान का साम्हना करो, तो वह तुम्हारे पास से भाग निकलेगा।” (याकूब 4:7) शैतान और उसकी दुष्टात्माओं की टोली का सामना करने के लिए हमें एक ठोस कदम उठाने की ज़रूरत है। वह है जादू-टोने से और ऐसे काम करनेवालों से कोई भी वास्ता न रखना। बाइबल, यहोवा के सेवकों को शुभ-अशुभ मुहूर्त देखने, शकुन-विचारने, ज्योतिष-विद्या और भूत-विद्या में हिस्सा लेने से सख्त मना करती है। अगर हम मसीही कामों में जोशीले हैं और हमारा विश्‍वास मज़बूत है, तो हमें यह सोचकर डरने की ज़रूरत नहीं कि कोई हम पर जादू-मंतर कर देगा।—गिनती 23:23; व्यवस्थाविवरण 18:10-12; यशायाह 47:12-15; प्रेरितों 19:18-20.

20. हम शैतान का विरोध कैसे कर सकते हैं?

20 हम बाइबल के स्तरों और उसकी सच्चाइयों को सख्ती से मानने और शैतान के खिलाफ डटे रहने से “शैतान का साम्हना” करते हैं। यह संसार शैतान के इशारों पर चल रहा है, आखिर वह इस संसार का ईश्‍वर जो ठहरा। (2 कुरिन्थियों 4:4) इसलिए हम संसार के इन रवैयों से दूर रहते हैं, जैसे घमंड, लालच, अनैतिकता, हिंसा और रुपए और ऐशो-आराम की चीज़ों का जुनून। हम जानते हैं कि वीराने में यीशु ने आज़माइश के वक्‍त जब शास्त्र के वचनों का इस्तेमाल करके शैतान का विरोध किया तो वह भाग निकला था। (मत्ती 4:4, 7, 10, 11) उसी तरह, शैतान हारकर ‘हमारे पास से भी भाग निकलेगा’ बशर्ते हम पूरी तरह से यहोवा के अधीन रहें और प्रार्थना के ज़रिए उस पर भरोसा रखें। (इफिसियों 6:18) जब यहोवा परमेश्‍वर और उसका अज़ीज़ बेटा हमारे साथ हैं, तो कोई भी हमेशा के लिए हमारा नुकसान नहीं कर सकता—शैतान भी नहीं!—भजन 91:9-11.

[फुटनोट]

^ परमेश्‍वर से मिले आध्यात्मिक हथियारों के बारे में ज़्यादा जानने के लिए, सितंबर 15, 2004 की प्रहरीदुर्ग, पेज 15-20 देखिए।

आपका जवाब क्या है?

• क्या हमें शैतान इब्‌लीस से डरना चाहिए?

• शैतान मसीहियों पर ज़ुल्म क्यों ढाता है?

• “उस दुष्ट” से बचने के लिए हम प्रार्थना क्यों करते हैं?

• आध्यात्मिक लड़ाई में जीतने के लिए हम क्या कर सकते हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 26 पर तसवीर]

मसीह के शुरूआती चेले मरते दम तक निडर और वफादार रहे

[पेज 27 पर तसवीर]

शैतान उन लोगों का पुनरुत्थान होने से रोक नहीं सकता जो यहोवा की याद में बसे हैं

[पेज 28 पर तसवीर]

क्या आप यहोवा से प्रार्थना करते हैं कि वह आपको “उस दुष्ट” से बचाए?

[पेज 29 पर तसवीर]

क्या आप “परमेश्‍वर के सारे हथियार” बाँधे हुए हैं?