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माता-पिताओ, अपने बच्चों को यहोवा से प्यार करना सिखाइए

माता-पिताओ, अपने बच्चों को यहोवा से प्यार करना सिखाइए

माता-पिताओ, अपने बच्चों को यहोवा से प्यार करना सिखाइए

“जैसे वीर के हाथ में तीर, वैसे ही जवानी के लड़के होते हैं।”—भजन 127:4.

1, 2. बच्चे “वीर के हाथ में तीर” की तरह कैसे होते हैं?

 एक तीरंदाज़ तीर चलाने से पहले, बड़ी सावधानी से कमान की डोरी पर तीर रखता है और ज़ोर लगाकर तीर को खींचता है। हालाँकि इसमें उसकी पूरी ताकत लगती है, मगर वह बड़े सब्र और ध्यान से निशाना साधता है। फिर वह तीर को छोड़ देता है! क्या तीर निशाने पर लगेगा? यह कई बातों पर निर्भर करता है, जैसे तीरंदाज़ की कुशलता, हवा का असर और तीर की हालत।

2 राजा सुलैमान ने बच्चे की तुलना “वीर के हाथ में तीर” से की थी। (भजन 127:4) गौर कीजिए कि यह मिसाल माता-पिताओं और बच्चों पर कैसे लागू होती है। एक तीरंदाज़ की कमान में तीर बहुत कम समय के लिए होता है। क्योंकि निशाने पर मारने के लिए उसे तीर को फौरन छोड़ना पड़ता है। उस तीरंदाज़ की तरह, माता-पिताओं के पास भी अपने बच्चों के दिलों में यहोवा के लिए प्यार पैदा करने का बहुत कम समय होता है। क्योंकि देखते-ही-देखते, बच्चे बड़े हो जाते हैं और अपने फैसले खुद करने के लायक हो जाते हैं। (मत्ती 19:5) तो क्या आपका तीर निशाने पर लगेगा, यानी क्या आपका बच्चा बड़ा होने के बाद भी, यहोवा से प्यार और उसकी सेवा करता रहेगा? यह कई बातों पर निर्भर करता है। उनमें से तीन हैं: माता-पिता की कुशलता, परिवार का वह माहौल जिसमें बच्चा पलता-बढ़ता है और ‘तीर’ यानी बच्चा अपने माँ-बाप से मिलनेवाली तालीम की तरफ कैसा रवैया दिखाता है। आइए इनमें से हरेक बात की गहराई से जाँच करें। सबसे पहले हम एक कुशल माता-पिता की कुछ खूबियों पर गौर करेंगे।

कुशल माता-पिता बेहतरीन मिसाल रखते हैं

3. माता-पिता की बातों और कामों में तालमेल होना क्यों ज़रूरी है?

3 यीशु ने माता-पिताओं के लिए एक बढ़िया मिसाल कायम की। कैसे? वह खुद उन बातों पर चलता था, जो वह लोगों को सिखाता था। (यूहन्‍ना 13:15) उसने फरीसियों की कड़ी निंदा की, क्योंकि वे जो “कहते” थे उसे “करते नहीं” थे। (मत्ती 23:3) अगर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे यहोवा से प्यार करने के लिए दिल से उभारे जाएँ, तो माता-पिता की बातों और कामों में तालमेल होना चाहिए। अगर ऐसा न हो, तो उनकी बातों का कोई फायदा नहीं होगा, ठीक जैसे बिन डोरी के कमान का कोई फायदा नहीं होता।—1 यूहन्‍ना 3:18.

4. माता-पिताओं को खुद से क्या सवाल पूछने चाहिए, और क्यों?

4 माँ-बाप को अपने बच्चों के लिए एक अच्छी मिसाल क्यों रखनी चाहिए? क्योंकि जिस तरह बड़े, यीशु की मिसाल देखकर यहोवा से प्यार करना सीख सकते हैं, उसी तरह बच्चे माँ-बाप की बेहतरीन मिसाल देखकर यहोवा से प्यार करना सीख सकते हैं। एक बच्चे के साथी, या तो उसे एक नेक इंसान बनने में मदद दे सकते हैं, या फिर उसकी “अच्छी आदतों को बिगाड़” सकते हैं। (1 कुरिन्थियों 15:33, हिन्दुस्तानी बाइबल) बच्चे की ज़िंदगी के ज़्यादातर सालों में और खासकर उसके छुटपन के अहम सालों में जिन करीबी साथियों का उस पर सबसे ज़बरदस्त असर होता है, वे हैं उसके माता-पिता। इसलिए, माता-पिताओं को खुद से पूछना चाहिए: ‘मैं अपने बच्चे के लिए किस तरह का साथी हूँ? क्या मेरी मिसाल से मेरे बच्चे को अच्छी आदतें डालने का बढ़ावा मिलता है? प्रार्थना और बाइबल अध्ययन जैसे ज़रूरी मामलों में, मैं कैसी मिसाल रखता हूँ?’

कुशल माता-पिता अपने बच्चों के साथ प्रार्थना करते हैं

5. माता-पिता की प्रार्थनाओं से बच्चे क्या सीख सकते हैं?

5 आपकी प्रार्थनाओं से आपके बच्चे यहोवा के बारे में बहुत कुछ सीख सकते हैं। जब वे खाना खाने के समय आपको यहोवा का धन्यवाद देते सुनते हैं, तो वे क्या सीखते हैं? यही कि यहोवा ही हमारे खाने-पहनने की ज़रूरतें पूरी करता है और इसके लिए हमें उसका शुक्रिया अदा करना चाहिए। इसके अलावा, जब वे आपको बाइबल अध्ययन के वक्‍त प्रार्थना करते सुनते हैं, तो वे सीखते हैं कि यहोवा ही हमें बाइबल से सच्चाइयाँ सिखाता है। सचमुच, ये क्या ही अनमोल सबक हैं!—याकूब 1:17.

6. माता-पिता, बच्चों को यह समझने में कैसे मदद दे सकते हैं कि यहोवा हरेक की दिल से परवाह करता है?

6 लेकिन अगर आप दूसरे मौकों पर भी अपने परिवार के साथ खासकर ऐसे मामलों के बारे में प्रार्थना करें, जिनका असर आप पर और आपके बच्चों पर होता है, तब आप बच्चों को और भी बहुत कुछ सिखा रहे होंगे। आप उन्हें यह समझने में मदद दे रहे होंगे कि यहोवा आपके परिवार का एक हिस्सा है और वह हरेक की दिल से परवाह करता है। (इफिसियों 6:18; 1 पतरस 5:6, 7) एक पिता का कहना है: “जब से हमारी बिटिया पैदा हुई, तभी से हम उसके साथ प्रार्थना किया करते थे। और जब वह बड़ी हुई, तो हम उसकी सोहबत और उसकी ज़िंदगी से जुड़े दूसरे मामलों के बारे में प्रार्थना करते थे। उसकी शादी होने तक, हमने हर दिन उसके साथ प्रार्थना की।” क्या आप भी अपने बच्चों के साथ हर दिन प्रार्थना कर सकते हैं? क्या आप बच्चों की मदद कर सकते हैं ताकि वे यहोवा को एक ऐसा दोस्त समझें, जो न सिर्फ उनकी शारीरिक और आध्यात्मिक ज़रूरतें पूरी करता है, बल्कि उनकी भावनाओं की भी कदर करता है?—फिलिप्पियों 4:6, 7.

7. किसी खास मामले के बारे में प्रार्थना करने के लिए, माता-पिताओं को क्या जानने की ज़रूरत है?

7 बेशक, अगर आप किसी खास मामले के बारे में प्रार्थना करना चाहते हैं, तो आपको यह जानने की ज़रूरत है कि आपके बच्चों की ज़िंदगी में क्या चल रहा है। एक पिता की बातों पर गौर कीजिए, जिसने दो बेटियों की परवरिश की। उसने कहा: “हर हफ्ते के आखिर में, मैं खुद से दो सवाल पूछता था: ‘इस हफ्ते मेरी बेटियों का मन किन बातों में लगा हुआ था? और हर दिन उनके साथ क्या-क्या अच्छा हुआ?’” माता-पिताओ, क्या आप भी खुद से इस तरह के सवाल पूछ सकते हैं? और आपको जो जवाब मिलते हैं, क्या आप उन्हें बच्चों के साथ की जानेवाली अपनी प्रार्थनाओं में शामिल कर सकते हैं? अगर आप ऐसा करें, तो आप अपने बच्चों को प्रार्थना के सुननेवाले, यहोवा से दुआ करने के साथ-साथ उससे प्यार करना भी सिखाएँगे।—भजन 65:2.

कुशल माता-पिता बच्चों में अध्ययन की अच्छी आदतें डालते हैं

8. माता-पिताओं को अपने बच्चों में बाइबल का अध्ययन करने की आदत क्यों डालनी चाहिए?

8 बाइबल अध्ययन के बारे में माता-पिता के नज़रिए का, यहोवा के साथ उनके बच्चे के रिश्‍ते पर कैसा असर हो सकता है? किसी भी रिश्‍ते को मज़बूत करने और उसे बरकरार रखने के लिए, यह ज़रूरी है कि उस रिश्‍ते में शामिल लोग न सिर्फ अपनी बात कहें, बल्कि एक-दूसरे की सुनें भी। यहोवा की बातें सुनने का एक तरीका है, बाइबल का अध्ययन करना और इसके लिए उन किताबों-पत्रिकाओं का इस्तेमाल करना, जो ‘विश्‍वासयोग्य दास’ ने हमारे लिए मुहैया करायी हैं। (मत्ती 24:45-47; नीतिवचन 4:1, 2) इसलिए, माँ-बाप को अपने बच्चों में बाइबल का अध्ययन करने की अच्छी आदत डालनी चाहिए, ताकि यहोवा के साथ उनके बच्चों का प्यार-भरा रिश्‍ता हमेशा बना रहे।

9. बच्चों में अध्ययन की अच्छी आदतें कैसे डाली जा सकती हैं?

9 बच्चों में अध्ययन की अच्छी आदतें कैसे डाली जा सकती हैं? इसमें भी, माता-पिता की मिसाल सबसे बेहतरीन मदद साबित होती है। क्या आपके बच्चे आपको नियमित तौर पर बाइबल पढ़ने या उसका अध्ययन करने का लुत्फ उठाते देखते हैं? यह सच है कि अपने बच्चों की देखभाल करने में आप काफी मसरूफ रहते हैं। इसलिए, आप शायद कहें कि मैं पढ़ाई और अध्ययन के लिए कहाँ से वक्‍त निकालूँ। लेकिन खुद से पूछिए, ‘क्या मेरे बच्चे लगातार मुझे टी.वी. के सामने बैठा देखते हैं?’ अगर ऐसी बात है, तो क्या आप उसमें से थोड़ा वक्‍त निजी अध्ययन में बिताकर, बच्चों के लिए एक बढ़िया मिसाल रख सकते हैं?

10, 11. माता-पिताओं को अपने परिवार के साथ नियमित तौर पर बाइबल का अध्ययन क्यों करना चाहिए?

10 माता-पिता एक और कारगर तरीके से बच्चों को यहोवा की सुनना सिखा सकते हैं। और वह है, नियमित तौर पर परिवार के साथ बाइबल पर चर्चा करना। (यशायाह 30:21) मगर शायद कुछ लोग कहें, ‘जब माँ-बाप अपने बच्चों को नियमित तौर पर कलीसिया की सभाओं में ले जाते हैं, तो फिर उनके साथ पारिवारिक अध्ययन करने की क्या ज़रूरत?’ इसके कई वाजिब कारण हैं। एक तो यह कि यहोवा, बच्चों को सिखाने की ज़िम्मेदारी खास तौर से उनके माता-पिताओं को सौंपता है। (नीतिवचन 1:8; इफिसियों 6:4) दूसरी वजह है, पारिवारिक अध्ययन से बच्चे सीखते हैं कि परमेश्‍वर की उपासना सिर्फ कलीसिया में सबके सामने ही नहीं की जानी चाहिए, बल्कि एक परिवार को घर की चारदीवारी में भी उसकी उपासना करनी चाहिए।—व्यवस्थाविवरण 6:6-9.

11 इसके अलावा, अगर पारिवारिक अध्ययन अच्छे तरीके से चलाया जाए, तो इससे माता-पिताओं को अपने बच्चों के दिलों में झाँकने का मौका मिलता है। और वे जान पाते हैं कि आध्यात्मिक और नैतिक मामलों के बारे में उनके बच्चे क्या सोचते हैं। मसलन, जब बच्चे छोटे होते हैं, तो माता-पिता बाइबल कहानियों की मेरी पुस्तक जैसी किताब इस्तेमाल कर सकते हैं। * इस किताब के ज़रिए बाइबल की घटनाओं पर चर्चा करते वक्‍त, माता-पिता अपने बच्चों से पूछ सकते हैं कि यहाँ दी गयी जानकारी के बारे में वे क्या सोचते हैं। इसके बाद, वे बाइबल के हवालों का इस्तेमाल करके उनके साथ तर्क कर सकते हैं। इस तरह, माता-पिता अपने बच्चों की ज्ञानेन्द्रियों को पक्का कर सकेंगे, ताकि वे “भले बुरे में भेद” कर सकें।—इब्रानियों 5:14.

12. माता-पिता, बच्चों की ज़रूरत के मुताबिक पारिवारिक अध्ययन को कैसे ढाल सकते हैं? और इस मामले में क्या करने से आपको सबसे बढ़िया नतीजे मिले हैं?

12 जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, आपको उनकी ज़रूरत के मुताबिक अध्ययन को ढालना चाहिए। ध्यान दीजिए कि एक माँ-बाप ने क्या किया, जब उनकी दो किशोर बेटियों ने स्कूल में होनेवाले नाच-गाने में जाने की इजाज़त माँगी। पिता कहता है: “हमने अपनी बेटियों से कहा कि अगले पारिवारिक अध्ययन के दौरान, मैं और तुम्हारी मम्मी बच्चों के किरदार निभाएँगे, और तुम दोनों मम्मी-पापा के। तुममें से कोई भी मम्मी या पापा बन सकता है, लेकिन यह ज़रूरी है कि तुम दोनों साथ मिलकर स्कूल में होनेवाले नाच-गाने के विषय पर खोजबीन करो और हमें सही सलाह दो।” इसका नतीजा क्या हुआ? पिता आगे कहता है, “हमारी बेटियों ने (मम्मी-पापा का किरदार निभाते वक्‍त) बाइबल से दलीलें देकर हमें (बच्चों का किरदार निभाते वक्‍त) समझाया कि इस तरह के नाच-गाने में जाना क्यों अक्लमंदी नहीं होगी। भले बुरे में फर्क करने की उनकी समझदारी देखकर हम ठगे-से रह गए। यही नहीं, हमें इस बात से भी हैरानी और खुशी हुई कि उन्होंने हमें नाच-गाने में जाने के बजाय, मन-बहलाव के दूसरे तरीके सुझाए, जो बाइबल के मुताबिक गलत नहीं हैं। इससे हम उनके सोच-विचार और उनकी इच्छाओं को और भी अच्छी तरह समझ पाए।” बेशक, पारिवारिक अध्ययन को लगातार चलाने और परिवार की ज़रूरतों के मुताबिक ढालने के लिए लगन और सूझ-बूझ की ज़रूरत पड़ती है। मगर ऐसी मेहनत वाकई रंग लाती है।—नीतिवचन 23:15.

शांति भरा माहौल पैदा कीजिए

13, 14. (क) माता-पिता घर में शांति भरा माहौल कैसे पैदा कर सकते हैं? (ख) अगर माता-पिता अपनी गलतियों को कबूल करें, तो उसका क्या अच्छा नतीजा हो सकता है?

13 जब एक तीरंदाज़ शांत मौसम में तीर चलाता है, तो तीर के निशाने पर लगने की गुंज़ाइश ज़्यादा होती है। उसी तरह, अगर माता-पिता घर में शांति भरा माहौल पैदा करें, तो यह गुंज़ाइश ज़्यादा होती है कि बच्चे यहोवा से प्यार करना सीखेंगे। याकूब ने लिखा: “शान्ति स्थापित करनेवाले शान्ति के क्षेत्र में बीज बोते हैं और धार्मिकता का फल प्राप्त करते हैं।” (याकूब 3:18, नयी हिन्दी बाइबिल) माता-पिता घर में शांति भरा माहौल कैसे पैदा कर सकते हैं? इसके लिए उन्हें अपने शादी के बंधन को मज़बूत बनाए रखने की ज़रूरत है। जो पति-पत्नी एक-दूसरे के लिए प्यार और आदर दिखाते हैं, उन्हें अपने बच्चों को यह सिखाने में ज़्यादा कामयाबी मिलती है कि वे यहोवा और दूसरों के लिए प्यार और आदर दिखाएँ। (गलतियों 6:7; इफिसियों 5:33) प्यार और आदर से शांति बढ़ती है। जो पति-पत्नी आपस में शांति से रहते हैं, वे परिवार में होनेवाले झगड़ों को ठंडे दिमाग से सुलझा पाते हैं।

14 बेशक, जिस तरह सभी शादीशुदा ज़िंदगी में मुश्‍किलें आती हैं, उसी तरह सभी परिवारों में भी मुश्‍किलें आती हैं। हो सकता है, कभी-कभी माता-पिता बच्चों के साथ अपने व्यवहार में आत्मा के फल दिखाने से चूक जाएँ। (गलतियों 5:22, 23) ऐसे में माता-पिताओं को क्या करना चाहिए? अगर वे अपनी गलती कबूल कर लेते हैं, तो क्या बच्चों की नज़र में उनकी इज़्ज़त घट जाएगी? इस सिलसिले में, क्यों न हम प्रेरित पौलुस की मिसाल पर गौर करें। वह आध्यात्मिक मायने में बहुतों का पिता था। (1 कुरिन्थियों 4:15) फिर भी, उसने बेझिझक अपनी गलतियों को कबूल किया। (रोमियों 7:21-25) तो क्या उसकी इस नम्रता और ईमानदारी की वजह से, उसके लिए हमारी इज़्ज़त कम हो जाती है? नहीं, उसके लिए हमारी इज़्ज़त और भी बढ़ जाती है। अपनी कमियों के बावजूद, पौलुस पूरे यकीन के साथ कुरिन्थुस की कलीसिया को लिख सका: “तुम मेरी सी चाल चलो जैसा मैं मसीह की सी चाल चलता हूं।” (1 कुरिन्थियों 11:1) जी हाँ, अगर आप भी अपनी गलतियों को कबूल करें, तो मुमकिन है आपके बच्चे, आपकी कमियों को अनदेखा कर देंगे।

15, 16. यह क्यों ज़रूरी है कि माता-पिता अपने बच्चों को मसीही भाई-बहनों से प्यार करना सिखाएँ? और यह कैसे किया जा सकता है?

15 माता-पिताओं को घर में और कैसा माहौल पैदा करना चाहिए, जिससे कि उनके बच्चे यहोवा से प्यार करना सीखें? प्रेरित यूहन्‍ना ने लिखा: “यदि कोई कहे, कि मैं परमेश्‍वर से प्रेम रखता हूं; और अपने भाई से बैर रखे; तो वह झूठा है: क्योंकि जो अपने भाई से, जिसे उस ने देखा है, प्रेम नहीं रखता, तो वह परमेश्‍वर से भी जिसे उस ने नहीं देखा, प्रेम नहीं रख सकता।” (1 यूहन्‍ना 4:20, 21) इसलिए, जब आप अपने बच्चों को मसीही भाई-बहनों से प्यार करना सिखाते हैं, तो दरअसल आप उन्हें यहोवा से प्यार करना सिखा रहे होते हैं। माता-पिताओं को खुद से पूछना चाहिए, ‘क्या मैं कलीसिया के बारे में अकसर हौसला बढ़ानेवाली बातें करता हूँ या दूसरों में मीनमेख निकालता हूँ?’ यह आप कैसे पता कर सकते हैं? जब आपके बच्चे कलीसिया की सभाओं और भाई-बहनों के बारे में बात करते हैं, तो ध्यान से उनकी सुनिए। हो-न-हो, उनकी बातों से आपको अपने सवाल का जवाब मिल जाएगा।

16 माता-पिता अपने बच्चों को आध्यात्मिक भाई-बहनों से प्यार करना कैसे सिखा सकते हैं? दो जवान लड़कों का पिता, पीटर कहता है: “जब हमारे बच्चे छोटे ही थे, तभी से हम प्रौढ़ मसीही भाई-बहनों को हमारे साथ वक्‍त गुज़ारने और खाना खाने के लिए अकसर घर बुलाते आए हैं। हमें ऐसा करने में बहुत मज़ा आता है। हमारे बेटों का बचपन ऐसे लोगों के साथ बीता, जो यहोवा से प्यार करते हैं। इसलिए आज उन्हें लगता है कि परमेश्‍वर की सेवा करना ही, जीने का सबसे बेहतरीन तरीका है।” पाँच लड़कियों का पिता, डेनिस कहता है, “हम अपनी बेटियों को कलीसिया के बुज़ुर्ग पायनियरों से दोस्ती करने का बढ़ावा देते थे। और जब भी मुमकिन होता था, हम सफरी अध्यक्षों और उनकी पत्नियों की मेहमानवाज़ी करते थे।” क्या आप भी इन माता-पिताओं की तरह पहल कर सकते हैं? क्या आप अपने बच्चों को यह नज़रिया रखने में मदद दे सकते हैं कि कलीसिया भी हमारे परिवार का एक हिस्सा है?—मरकुस 10:29, 30.

बच्चे की ज़िम्मेदारी

17. बच्चों को क्या फैसला करना है?

17 आइए एक बार फिर तीरंदाज़ के उदाहरण पर गौर करें। तीरंदाज़ चाहे कितना भी कुशल क्यों न हो, लेकिन अगर तीर ही मुड़ा या ऐंठा हुआ हो, तो वह निशाने पर नहीं लगेगा। बेशक, माता-पिता मुड़े हुए तीर को सीधा करने, यानी अपने बच्चे की गलत सोच को दुरुस्त करने की जी-तोड़ कोशिश करेंगे। मगर आखिरकार, यह बच्चे को ही फैसला करना है कि क्या वह खुद को दुनिया के साँचे में ढलने देगा या फिर यहोवा को मौका देगा कि वह उसके लिए “सीधा मार्ग” निकाले।—नीतिवचन 3:5, 6; रोमियों 12:2.

18. एक बच्चे के फैसले का दूसरों पर क्या असर हो सकता है?

18 माँ-बाप को यह अहम ज़िम्मेदारी दी गयी है कि वे अपने बच्चों को “प्रभु की शिक्षा, और चितावनी” देते हुए उनकी परवरिश करें। मगर आखिर में, बच्चे को ही फैसला करना है कि वह बड़ा होकर कैसा इंसान बनेगा। (इफिसियों 6:4) इसलिए बच्चो, खुद से पूछिए, ‘मेरे मम्मी-पापा प्यार से मुझे जो तालीम देते हैं, क्या उसे मैं कबूल करूँगा?’ अगर आप ऐसा करें, तो सचमुच आप जीने का सबसे बढ़िया तरीका चुन रहे होंगे। ऐसा करके आप अपने मम्मी-पापा को खुश करेंगे। और सबसे बढ़कर, आप यहोवा का दिल खुश करेंगे।—नीतिवचन 27:11. (w07 9/1)

[फुटनोट]

^ इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

क्या आपको याद है?

• प्रार्थना और बाइबल अध्ययन करने में, माता-पिता एक बेहतरीन मिसाल कैसे रख सकते हैं?

• माता-पिता घर में शांति भरा माहौल कैसे पैदा कर सकते हैं?

• बच्चों को क्या फैसला करना है और उनके फैसले का दूसरों पर क्या असर होगा?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 29 पर तसवीर]

क्या आप निजी अध्ययन करने में अपने बच्चे के लिए एक बढ़िया मिसाल रखते हैं?

[पेज 30 पर तसवीर]

परिवार में शांति भरा माहौल होने से उसकी खुशहाली बढ़ती है