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यहोवा हमारा “छुड़ानेवाला है”

यहोवा हमारा “छुड़ानेवाला है”

यहोवा हमारा “छुड़ानेवाला है”

“यहोवा उनकी सहायता करके उनको बचाता है।”—भज. 37:40.

1, 2. यहोवा के बारे में एक अहम सच्चाई क्या है जिससे हमें दिलासा और हिम्मत मिलती है?

 सूरज की रोशनी से धरती पर बननेवाली परछाइयाँ हमेशा एक जैसी नहीं रहतीं। जैसे-जैसे पृथ्वी घूमती है, ये आकार और दिशा में बदलती रहती हैं। मगर यहोवा के बारे में क्या, जिसने पृथ्वी और सूरज को रचा है? क्या वह कभी बदलता है? जी नहीं। (मला. 3:6) उसके बारे में बाइबल कहती है: “[वह] कभी बदलता नहीं और न छाया के समान परिवर्तनशील है।” (याकू. 1:17, NHT) यहोवा के बारे में इस अहम सच्चाई से हमें वाकई दिलासा और हिम्मत मिलती है। खासकर तब, जब हम कड़ी परीक्षाओं और चुनौतियों से जूझ रहे होते हैं। ऐसा क्यों?

2 जैसा कि हमने पिछले लेख में देखा, प्राचीन समय में यहोवा अपने लोगों का “छुड़ानेवाला” साबित हुआ था। (भज. 70:5) परमेश्‍वर कभी बदलता नहीं और वह अपने वचन का पक्का है। इसलिए आज उसके सेवक इस बात का पूरा भरोसा रख सकते हैं कि वह ‘उनकी सहायता करेगा और उनको बचाएगा।’ (भज. 37:40) हमारे समय में यहोवा ने अपने सेवकों को कैसे बचाया है? और वह हममें से हरेक को कैसे बचा सकता है?

यहोवा ने उन्हें दुश्‍मनों के हाथों से बचाया

3. हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि दुश्‍मन यहोवा के लोगों को प्रचार करने से नहीं रोक सकते?

3 शैतान, यहोवा के साक्षियों पर चाहे कितने भी विरोध क्यों न लाए, वह उन्हें परमेश्‍वर की उपासना करने से कभी नहीं रोक सकता। परमेश्‍वर का वचन यकीन दिलाता है: “जितने हथियार तेरी हानि के लिये बनाए जाएं, उन में से कोई सफल न होगा, और, जितने लोग मुद्दई होकर तुझ पर नालिश करें उन सभों से तू जीत जाएगा।” (यशा. 54:17) दुश्‍मनों ने परमेश्‍वर के लोगों को प्रचार करने से रोकने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगाया है, लेकिन वे नाकाम रहे हैं। इसकी दो मिसालों पर गौर कीजिए।

4, 5. सन्‌ 1918 में यहोवा के लोगों ने किस विरोध का सामना किया और इसका क्या नतीजा हुआ?

4 सन्‌ 1918 में, यहोवा के लोगों के प्रचार काम को बंद करने की गरज़ से उन पर एक-के-बाद-एक कई ज़ुल्म ढाए गए। उन ज़ुल्मों के पीछे पादरियों का हाथ था। 7 मई को प्रचार काम की अगुवाई करनेवाले भाई जे. एफ. रदरफर्ड और मुख्यालय के दूसरे कई भाइयों की गिरफ्तारी के वॉरंट निकाले गए। दो महीने के अंदर ही, भाई रदरफर्ड और उनके साथियों पर देशद्रोही होने का झूठा इलज़ाम लगाकर उन्हें लंबी कैद की सज़ा सुनायी गयी। क्या दुश्‍मन कानून का सहारा लेकर प्रचार काम बंद करने में कामयाब हुए? हरगिज़ नहीं!

5 याद कीजिए कि यहोवा ने क्या वादा किया था: “जितने हथियार तेरी हानि के लिये बनाए जाएं, उन में से कोई सफल न होगा।” भाई रदरफर्ड और उनके साथियों को सज़ा सुनाने के नौ महीने बाद घटनाओं का रुख बदला। 26 मार्च, 1919 के दिन उन्हें ज़मानत पर रिहा कर दिया गया। फिर अगले साल 5 मई, 1920 को उन्हें सारे इलज़ामों से बाइज़्ज़त बरी कर दिया गया। उन्होंने अपनी आज़ादी का इस्तेमाल प्रचार काम में लगे रहने के लिए किया। नतीजा क्या हुआ? तब से राज्य प्रचारकों की गिनती में लाजवाब बढ़ोतरी हुई। इस बढ़ोतरी का सारा श्रेय हमारे ‘छुड़ानेवाले’ यहोवा को जाता है।—1 कुरि. 3:7.

6, 7. (क) नात्ज़ी हुकूमत के दौरान जर्मनी में यहोवा के साक्षियों के साथ कैसा सलूक किया गया और उसका क्या नतीजा हुआ? (ख) यहोवा के साक्षियों का आधुनिक इतिहास किस बात की गवाही देता है?

6 अब आइए दूसरी मिसाल पर गौर करें। सन्‌ 1934 में हिटलर ने कसम खायी थी कि वह जर्मनी से यहोवा के साक्षियों का नामो-निशान मिटा देगा। यह कोई गीदड़-भभकी नहीं थी। हर कहीं साक्षियों को गिरफ्तार किया गया और जेल में डाला गया। हज़ारों पर वहशियाना ज़ुल्म ढाए गए। सैकड़ों को यातना शिविरों में मार डाला गया। क्या हिटलर साक्षियों को जड़ से मिटाने में कामयाब हुआ? क्या वह जर्मनी में प्रचार काम को पूरी तरह बंद कर पाया? बिलकुल नहीं! ज़ुल्म के उस दौर में भी हमारे भाई छिप-छिपकर प्रचार काम करते रहे। और जब नात्ज़ी सरकार का तख्ता पलटा, तो साक्षियों को प्रचार करने की आज़ादी मिली और उन्होंने सुसमाचार का प्रचार करना जारी रखा। आज जर्मनी में राज्य प्रचारकों की गिनती 1, 65, 000 से भी ऊपर है। एक बार फिर हमारा “छुड़ानेवाला” अपने इस वादे का पक्का निकला: “जितने हथियार तेरी हानि के लिये बनाए जाएं, उन में से कोई सफल न होगा।”

7 यहोवा के साक्षियों का आधुनिक इतिहास इस बात की गवाही देता है कि यहोवा एक समूह के तौर पर अपने लोगों को कभी मिटने नहीं देगा। (भज. 116:15) लेकिन क्या यहोवा हममें से हरेक की हिफाज़त करेगा? अगर हाँ, तो कैसे?

क्या यहोवा हमारी ज़िंदगी की हिफाज़त करता है?

8, 9. (क) हम कैसे जानते हैं कि यहोवा हममें से हरेक की ज़िंदगी बचाने की गारंटी नहीं देता? (ख) हम किस हकीकत को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते?

8 हम यह अच्छी तरह जानते हैं कि यहोवा हममें से हरेक की ज़िंदगी बचाने की गारंटी नहीं देता। इस बारे में हमारा भी वही रवैया है, जो उन तीन वफादार इब्री जवानों का था, जिन्होंने राजा नबूकदनेस्सर की सोने की मूरत के आगे सिजदा करने से इनकार किया था। परमेश्‍वर का भय रखनेवाले ये जवान यह नहीं मान बैठे कि यहोवा उन्हें ज़रूर बचाएगा। (दानिय्येल 3:17, 18 पढ़िए।) लेकिन जैसा कि हम जानते हैं, यहोवा ने उन्हें आग के धधकते भट्ठे से बचा लिया। (दानि. 3:21-27) माना कि प्राचीन समय में परमेश्‍वर ने हैरतअँगेज़ तरीके से अपने लोगों को छुड़ाया, लेकिन उसने ऐसा एकाध बार ही किया। उसके कई ऐसे वफादार सेवक भी थे, जो दुश्‍मनों के हाथों मारे गए।—इब्रा. 11:35-37.

9 आज के बारे में क्या? बेशक आज भी यहोवा ‘छुड़ानेवाले’ के नाते हममें से हरेक को खतरनाक हालात से बचा सकता है। लेकिन क्या हम दावे के साथ कह सकते हैं कि यहोवा ने फलाँ-फलाँ हालात में हमें बचाया था या नहीं? नहीं, हम ऐसा नहीं कह सकते। फिर भी शायद एक व्यक्‍ति को लगे कि उसे किसी खतरनाक हालात से बचाने में यहोवा का ही हाथ था। ऐसे में, दूसरों को यह कहने का कोई अधिकार नहीं कि वह व्यक्‍ति जो महसूस कर रहा है वह सही है या गलत। लेकिन साथ ही, हम इस हकीकत को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते कि कई वफादार मसीही ज़ुल्मों की वजह से मारे गए, जैसे नात्ज़ी हुकूमत के दौरान। और कुछ ऐसे भी हैं, जिनकी मौत किसी हादसे में हुई। (सभो. 9:11) हम शायद पूछें: ‘क्या यहोवा इन वफादार जनों का “छुड़ानेवाला” बनने में नाकाम रहा?’ हरगिज़ नहीं!

10, 11. (क) इंसान मौत के आगे बेबस क्यों है? (ख) मौत के बारे में यहोवा क्या कर सकता है?

10 ज़रा इस बात पर ध्यान दीजिए: इंसान मौत के आगे बेबस है, क्योंकि वह ‘अपने प्राण को शीओल’ या हेडिज़ से नहीं “बचा सकता।” शीओल या हेडिज़ का मतलब है, ऐसी लाक्षणिक जगह, जहाँ इंसान मौत की नींद सो रहे हैं। (भज. 89:48, NHT, फुटनोट) लेकिन क्या यहोवा मौत के आगे बेबस है? इस सिलसिले में एक बहन का अनुभव सुनिए, जो नात्ज़ियों के खौफनाक दौर से ज़िंदा बची। वह याद करती है कि यातना शिविर में उसके अज़ीज़ों की मौत होने पर उसकी माँ ने उसे दिलासा देते हुए क्या कहा था: “अगर मौत इंसान को हमेशा के लिए अपने शिकंजे में जकड़ ले, तब तो वह परमेश्‍वर से भी ताकतवर ठहरेगी। मगर क्या ऐसा हो सकता है?” इसमें कोई दो राय नहीं कि दुनिया की सबसे शक्‍तिशाली हस्ती और जीवन के दाता, यहोवा के आगे मौत की कोई बिसात नहीं। (भज. 36:9) जितने शीओल या हेडिज़ में हैं, वे यहोवा की याद में महफूज़ हैं और वह उनमें से हरेक को छुटकारा दिलाएगा।—लूका 20:37, 38; प्रका. 20:11-14.

11 उस समय के आने तक, यहोवा अपने वफादार उपासकों की सच्ची परवाह करता है। आइए ऐसे तीन तरीकों पर ध्यान दें, जिनमें वह हमारा “छुड़ानेवाला” साबित होता है।

यहोवा के साथ हमारा जो रिश्‍ता है, उसकी वह हिफाज़त करता है

12, 13. (क) हम यह क्यों कह सकते हैं कि यहोवा उसके साथ हमारे रिश्‍ते की जो हिफाज़त करता है, वह सबसे ज़रूरी है? (ख) इस मामले में हमारी मदद करने के लिए उसने क्या इंतज़ाम किए हैं?

12 पहला तरीका है कि यहोवा के साथ हमारा जो रिश्‍ता है, उसकी वह हिफाज़त करता है। सच्चे मसीही होने के नाते हम इस रिश्‍ते को अपनी सबसे बड़ी धरोहर मानते हैं और इसे अपनी ज़िंदगी से ज़्यादा अनमोल समझते हैं। (भज. 25:14, NW; 63:3) इस रिश्‍ते के बिना न तो हमारा आज है और ना ही आनेवाला कल।

13 यहोवा का शुक्र है कि उसने ऐसे कई इंतज़ाम किए हैं, जिनकी मदद से हम उसके साथ एक करीबी रिश्‍ता बनाए रख सकते हैं। जैसे, उसका वचन, उसकी पवित्र शक्‍ति और दुनिया-भर में फैला उसका संगठन। हम इन सभी इंतज़ामों का पूरा फायदा कैसे उठा सकते हैं? नियमित तौर पर और दिल लगाकर परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन करने से हमारा विश्‍वास मज़बूत होगा और हमारी आशा उज्ज्वल होगी। (रोमि. 15:4) परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति के लिए सच्चे दिल से प्रार्थना करने से हम लुभाए जाने पर बुरे काम से दूर रहेंगे। (लूका 11:13) इसके अलावा, दास वर्ग बाइबल की समझ देनेवाले साहित्य, सभाओं, सम्मेलनों और अधिवेशनों के ज़रिए “समय पर” जो आध्यात्मिक “भोजन” देता है, उसका फायदा उठाने से हम मज़बूत होंगे। (मत्ती 24:45) वाकई, ये सारे इंतज़ाम, परमेश्‍वर के साथ हमारे रिश्‍ते की हिफाज़त करने और उसके करीब रहने में मदद देते हैं।—याकू. 4:8.

14. मिसाल देकर बताइए कि यहोवा के साथ हमारा जो रिश्‍ता है, उसकी वह कैसे हिफाज़त करता है।

14 यहोवा के साथ हमारा जो रिश्‍ता है, उसकी वह कैसे हिफाज़त करता है, यह जानने के लिए उस पति-पत्नी पर गौर कीजिए, जिसका पिछले लेख में ज़िक्र किया गया था। उनकी बेटी टेरेसा के लापता होने के कुछ दिन बाद, उन्हें एक दिल दहलानेवाली खबर मिली कि उसका कत्ल हो गया है। * इस हादसे को याद करते हुए पिता कहता है: “मैंने यहोवा से दुआ की थी कि वह मेरी बेटी की हिफाज़त करे। जब हमें खबर मिली कि उसका कत्ल हो गया, तो एक पल के लिए मुझे लगा कि परमेश्‍वर ने मेरी प्रार्थना नहीं सुनी। बेशक मैं जानता हूँ कि यहोवा अपने हर सेवक को चमत्कार करके नहीं बचाता। मैंने लगातार यहोवा से प्रार्थना की कि वह मुझे इस मामले में और भी समझ दे। मुझे इस बात से बड़ा दिलासा मिला कि यहोवा अपने लोगों को आध्यात्मिक रूप से बचाता है। यानी उसके साथ उनका जो रिश्‍ता है, उसकी वह हिफाज़त करता है। यह हिफाज़त सबसे ज़्यादा मायने रखती है, क्योंकि इसका हमारी हमेशा की ज़िंदगी की आशा पर असर हो सकता है। इस हिसाब से देखा जाए तो यहोवा ने सचमुच टेरेसा की हिफाज़त की है। वह आखिरी साँस तक परमेश्‍वर की वफादार रही। मुझे इस बात से बड़ा सुकून मिलता है कि उसका भविष्य हमारे प्यारे परमेश्‍वर के हाथों में महफूज़ है।”

यहोवा हमें बीमारी में सँभाले रहता है

15. यहोवा हमारी उस वक्‍त कैसे मदद करता है, जब हम बीमार होते हैं?

15 यहोवा हमें उस वक्‍त सँभाले रहता है जब हम ‘रोगी होते हैं और बिस्तर पर पड़े होते हैं।’ (भज. 41:3, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) हालाँकि आज यहोवा हमें किसी बीमारी से नहीं छुड़ाता यानी कोई चमत्कार करके हमें चंगा नहीं करता, मगर वह हमारी मदद ज़रूर करता है। कैसे? उसके वचन में जो सिद्धांत दिए गए हैं, उनकी मदद से हम इलाज और दूसरे मामलों के बारे में सही फैसले कर पाते हैं। (नीति. 2:6) हमें प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! में अपनी बीमारी से जुड़े लेखों में फायदेमंद जानकारी और कारगर सुझाव मिल सकते हैं। इसके अलावा, यहोवा अपनी पवित्र शक्‍ति के ज़रिए हमें “असीम सामर्थ” दे सकता है, ताकि हम अपने हालात का सामना कर सकें और हर हाल में यहोवा के वफादार रह सकें। (2 कुरि. 4:7) इस तरह की मदद से हम अपनी बीमारी पर ज़्यादा ध्यान देने के बजाय यहोवा के साथ अपने रिश्‍ते पर ध्यान दे पाएँगे।

16. एक भाई अपनी बीमारी से कैसे लड़ पाया?

16 पिछले लेख की शुरूआत में जिस जवान भाई का ज़िक्र किया गया था, उस पर गौर कीजिए। सन्‌ 1998 में उसे एक ऐसी बीमारी हुई, जिससे उसके पूरे शरीर को लकवा मार गया। * लेकिन वह इस बीमारी से कैसे लड़ पाया? वह बताता है: “कभी-कभी मैं दुःख और निराशा के घुप अँधेरे में खो जाता हूँ। उस वक्‍त मुझे लगता है कि सिर्फ मौत ही मुझे छुटकारा दिला सकती है। लेकिन जब भी ऐसी भावनाएँ मुझे आ घेरती हैं, तो मैं यहोवा से प्रार्थना करता हूँ कि वह मुझे शांत मन, सब्र और धीरज दे। यहोवा ने मेरी इन प्रार्थनाओं का हमेशा जवाब दिया है। शांत मन मुझे उन बातों पर मनन करने में मदद देता है, जिनसे मेरे दिल को सुकून मिलता है। जैसे, मैं नयी दुनिया में दोबारा चल-फिर सकूँगा, लज़ीज़ खाने का मज़ा ले सकूँगा और अपने अज़ीज़ों से जी-भरके बातें कर सकूँगा। सब्र का गुण, मुझे अपनी बीमारी की वजह से आनेवाली दिक्कतों और चुनौतियों का सामना करने में मदद देता है। धीरज का गुण, मुझे परमेश्‍वर का वफादार बने रहने और उसके साथ अपने रिश्‍ते को मज़बूत बनाए रखने में मदद देता है। सचमुच, मैं भी भजनहार की तरह ही महसूस करता हूँ कि यहोवा मेरे रोग में मुझे सँभाले रहता है।”—यशा. 35:5, 6.

यहोवा हमें भूखों नहीं मरने देगा

17. यहोवा ने हमसे क्या वादा किया है और उसके वादे का क्या मतलब है?

17 यहोवा ने हमसे वादा किया है कि वह हमारे खाने-पहनने की ज़रूरतें पूरी करेगा। (मत्ती 6:33, 34 और इब्रानियों 13:5, 6 पढ़िए।) इसका यह मतलब नहीं कि हमारी ज़रूरतें अपने-आप पूरी हो जाएँगी या हमें काम करने की कोई ज़रूरत नहीं। (2 थिस्स. 3:10) परमेश्‍वर के वादे का मतलब यह है कि अगर हम उसके राज्य को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह दें और अपना गुज़ारा करने के लिए काम करें, तो हम भरोसा रख सकते हैं कि वह हमारी ज़रूरतें पूरी करेगा। (1 थिस्स. 4:11, 12; 1 तीमु. 5:8) यहोवा उन तरीकों से हमारी मदद कर सकता है, जिनकी शायद हमने उम्मीद भी न की हो। मसलन, वह शायद किसी मसीही भाई या बहन को उभार सकता है कि वह हमें माली मदद दे या हमें कोई नौकरी दे।

18. एक अनुभव बताइए जो दिखाता है कि यहोवा ज़रूरत की घड़ी में हमारी मदद करता है।

18 पिछले लेख में बतायी उस माँ को याद कीजिए, जो अकेले अपनी बेटी की परवरिश करती है। जब वह और उसकी बेटी एक नयी जगह गयीं, तो उसे नौकरी के लिए दर-दर भटकना पड़ा। वह कहती है: “मैं हर दिन सुबह प्रचार में जाती थी और दोपहर में काम ढूँढ़ती थी। मुझे वह दिन आज भी याद है, जब मैं किराने की दुकान पर दूध लेने गयी। मैंने वहाँ कुछ सब्ज़ियाँ देखीं और मेरा जी तो कर रहा था कि उन्हें खरीद लूँ। लेकिन मैं मन मसोसकर रह गयी, क्योंकि मेरे पास पैसे नहीं थे। मैं ज़िंदगी में कभी इतनी मायूस नहीं हुई। जब मैं घर आयी तो देखा कि घर के पिछवाड़े आँगन में कई थैलियों में तरह-तरह की सब्ज़ियाँ रखी थीं। इन्हें हम महीनों तक खा सकते थे। मैं वहीं खड़े-खड़े रो पड़ी और तहेदिल से यहोवा को शुक्रिया अदा किया।” बाद में बहन को पता चला कि वह सारी सब्ज़ियाँ एक भाई छोड़ गया था, जो अपने बगीचे में सब्ज़ियाँ उगाता था। बहन ने उस भाई को लिखा: “हालाँकि मैं आपकी आभारी हूँ, लेकिन मैं यहोवा की भी बहुत शुक्रगुज़ार हूँ कि उसने अपने प्यार का यकीन दिलाने के लिए आपको मेरी मदद करने के लिए उभारा।”—नीति. 19:17.

19. भारी क्लेश के वक्‍त, यहोवा के सेवकों को क्या भरोसा रहेगा और हमें आज क्या ठान लेना चाहिए?

19 प्राचीन समय में और हमारे समय में यहोवा ने जो काम किए हैं, उनसे हमारा यह भरोसा बढ़ता है कि यहोवा हमारा सहायक है। जल्द ही, जब यहोवा शैतान की इस दुनिया पर भारी क्लेश लाएगा, तो हमें पहले से कहीं ज़्यादा उसकी मदद की ज़रूरत होगी। उस वक्‍त उसके सेवक उस पर पूरा भरोसा रखेंगे और अपना सिर ऊपर उठाकर खुशियाँ मनाएँगे, क्योंकि उनका छुटकारा निकट होगा। (लूका 21:28) उस दिन के आने तक चाहे हमें किसी भी आज़माइश का सामना करना पड़े, आइए ठान लें कि हम हमेशा यहोवा पर भरोसा रखेंगे। जी हाँ, हमारा कभी न बदलनेवाला परमेश्‍वर ही हमारा “छुड़ानेवाला है”!

[फुटनोट]

^ 22 जुलाई, 2001 की सजग होइए! (अँग्रेज़ी) में पेज 19-23 पर दिया लेख “एक भयानक हादसे का सामना करना” देखिए।

^ जनवरी 2006 की सजग होइए! (अँग्रेज़ी) में पेज 25-29 पर दिया लेख “विश्‍वास ने ही मुझे ए.एल.एस. की बीमारी में सँभाले रखा” देखिए।

क्या आपको याद है?

• यहोवा उन लोगों को कैसे छुड़ाएगा, जिनकी बेवक्‍त मौत हो जाती है?

• हम यह क्यों कह सकते हैं कि यहोवा उसके साथ हमारे रिश्‍ते की जो हिफाज़त करता है, वह सबसे ज़रूरी है?

• यहोवा के इस वादे का क्या मतलब है कि वह हमारे खाने-पहनने की ज़रूरतें पूरी करेगा?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 8 पर तसवीर]

भाई रदरफर्ड और उनके साथियों को सन्‌ 1918 में गिरफ्तार किया गया, मगर बाद में उन्हें रिहा किया गया और सारे इलज़ामों से बाइज़्ज़त बरी कर दिया गया

[पेज 10 पर तसवीर]

यहोवा हमें ‘रोग में’ सँभाले रह सकता है