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“बढ़िया कामों के लिए जोशीले” बनिए

“बढ़िया कामों के लिए जोशीले” बनिए

“बढ़िया कामों के लिए जोशीले” बनिए

“मसीह ने खुद को हमारे लिए दे दिया कि हमें हर तरह के दुराचार से छुड़ाए और शुद्ध कर ऐसे लोग बना ले जो खास उसके अपने हों और बढ़िया कामों के लिए जोशीले हों।”—तीतु. 2:14.

1. ईसवी सन्‌ 33 के निसान 10 को जब यीशु मंदिर के आँगन में आता है, तब क्या होता है?

 ईसवी सन्‌ 33 के निसान 10 की बात है। मंदिर के आँगन में लोगों की चहल-पहल मची है। वे यरूशलेम में फसह का त्योहार मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं, जो कुछ ही दिनों बाद होनेवाला है। लेकिन जब यीशु वहाँ पहुँचता है, तब क्या होता है? खुशखबरी की किताब के तीन लेखक मत्ती, मरकुस और लूका इस बात की गवाही देते हैं कि यीशु दूसरी बार लेन-देन और खरीदारी करनेवालों को खदेड़ता है। वह पैसा बदलनेवाले सौदागरों की मेज़ें और कबूतर बेचनेवालों की चौकियाँ उलट देता है। (मत्ती 21:12; मर. 11:15; लूका 19:45) तीन साल पहले यीशु ने जो जोश दिखाया था, वह अब भी उसमें बरकरार है।—यूह. 2:13-17.

2, 3. हम कैसे जानते हैं कि यीशु ने सिर्फ मंदिर को शुद्ध करने में ही अपना जोश नहीं दिखाया?

2 मत्ती के वृत्तांत से पता चलता है कि उस मौके पर यीशु ने अपना जोश न सिर्फ मंदिर को शुद्ध करने में, बल्कि अपने पास आए अंधों और लंगड़ों को चंगा करने में भी दिखाया। (मत्ती 21:14) लूका की किताब में यीशु के और भी कामों का ज़िक्र मिलता है। जैसे कि लिखा है, “[यीशु] हर दिन मंदिर में सिखाता रहा।” (लूका 19:47; 20:1) वाकई, धरती पर यीशु ने जो सेवा की, उसमें उसका जोश साफ दिखायी देता है।

3 आगे चलकर प्रेषित पौलुस ने तीतुस को लिखा कि यीशु ने “खुद को हमारे लिए दे दिया कि हमें हर तरह के दुराचार से छुड़ाए और शुद्ध कर ऐसे लोग बना ले जो खास उसके अपने हों और बढ़िया कामों के लिए जोशीले हों।” (तीतु. 2:14) आज हम किन तरीकों से “बढ़िया कामों के लिए जोशीले” बन सकते हैं? इस सिलसिले में हमें यहूदा के अच्छे राजाओं के उदाहरण से क्या बढ़ावा मिलता है?

प्रचार और सिखाने के काम में जोश दिखाना

4, 5. यहूदा के चार राजाओं ने कैसे दिखाया कि वे बढ़िया कामों के लिए जोशीले थे?

4 आसा, यहोशापात, हिजकिय्याह और योशिय्याह ने यहूदा में से मूर्तिपूजा मिटाने के लिए अभियान चलाए थे। आसा ने “पराई वेदियों को और ऊंचे स्थानों को दूर किया, और लाठों को तुड़वा डाला, और अशेरा नाम मूरतों को तोड़ डाला।” (2 इति. 14:3) यहोशापात ने भी यहोवा की उपासना के लिए जोश दिखाते हुए “यहूदा से ऊंचे स्थान और अशेरा नाम मूरतें दूर कर दीं।”—2 इति. 17:6; 19:3. *

5 हिजकिय्याह ने यरूशलेम में सात दिन के लिए फसह का त्योहार आयोजित किया। त्योहार खत्म होने पर “जितने इसराएली उपस्थित थे, उन सभों ने यहूदा के नगरों में जाकर, सारे यहूदा और बिन्यामीन और एप्रैम और मनश्‍शे में की लाठों को तोड़ दिया, अशेरों को काट डाला, और ऊंचे स्थानों और वेदियों को गिरा दिया; और उन्हों ने उन सब का अन्त कर दिया।” (2 इति. 31:1) जवान योशिय्याह आठ साल का ही था जब उसे राजा बनाया गया। उसके बारे में बाइबल कहती है: “वह लड़का ही था, अर्थात्‌ उसको गद्दी पर बैठे आठ वर्ष पूरे भी न हुए थे कि अपने मूलपुरुष [दाविद] के परमेश्‍वर की खोज करने लगा, और बारहवें वर्ष में वह ऊंचे स्थानों और अशेरा नाम मूरतों को और खुदी और ढली हुई मूरतों को दूर करके, यहूदा और यरूशलेम को शुद्ध करने लगा।” (2 इति. 34:3) इससे साफ ज़ाहिर है कि ये चारों राजा बढ़िया काम करने में जोशीले थे।

6. हमारी सेवा की तुलना यहूदा के वफादार राजाओं के अभियानों से क्यों की जा सकती है?

6 यहूदा के उन चार राजाओं ने जो अभियान चलाए थे आज हम भी कुछ वैसे ही काम में जुटे हुए हैं। हम लोगों को झूठी शिक्षाओं से आज़ाद होने और मूर्तिपूजा छोड़ने में मदद देते हैं। और घर-घर का प्रचार हमें सब किस्म के लोगों से मिलने का मौका देता है। (1 तीमु. 2:4) एशिया के एक देश की रहनेवाली एक लड़की की मिसाल लीजिए। वह याद करती है कि कैसे घर पर उसकी माँ ढेर सारी मूर्तियों के आगे पूजा-पाठ करती थी। यह देखकर वह सोचती थी कि सारी मूर्तियाँ सच्चे परमेश्‍वर की नहीं हो सकतीं। इसलिए वह अकसर प्रार्थना करती कि वह सच्चे परमेश्‍वर को जान पाए। एक दिन दो साक्षी बहनें उसके घर आयीं। उन्होंने उसे बताया कि सच्चे परमेश्‍वर का नाम यहोवा है और उसके बारे में जानने में वे उसकी मदद करेंगी। जब उसे मूर्तियों के बारे में सच्चाई पता चली, तो उसकी सारी उलझन दूर हो गयी। आज वह बड़े जोश के साथ प्रचार में हिस्सा लेती है और लोगों को यहोवा के बारे में सिखाती है।—भज. 83:18; 115:4-8; 1 यूह. 5:21.

7. यहोशापात के दिनों के शिक्षकों से हम क्या सीखते हैं?

7 जब हम घर-घर के प्रचार में जाते हैं, तो क्या हम अपने इलाके में हर व्यक्‍ति को खुशखबरी सुनाने की कोशिश करते हैं? गौर कीजिए कि राजा यहोशापात ने अपने राज के तीसरे साल में क्या किया। उसने पाँच हाकिमों, नौ लेवियों और दो याजकों को सभी शहरों में भेजा, ताकि वे उसकी प्रजा को यहोवा के नियम-कानून सिखा सकें। उन्होंने यह काम इतनी अच्छी तरह से किया कि आस-पास के देश के लोगों में यहोवा का डर समा गया। (2 इतिहास 17:9, 10 पढ़िए।) इससे हम क्या सीखते हैं? यही कि हमें भी सब लोगों को खुशखबरी सुनाने की कोशिश करनी चाहिए। और अलग-अलग समय पर प्रचार करने से हम एक ही परिवार के कई सदस्यों से बात कर पाएँगे।

8. हम किन तरीकों से अपनी सेवा बढ़ा सकते हैं?

8 आज परमेश्‍वर के बहुत-से सेवक ऐसी जगह जाकर सेवा करते हैं जहाँ जोशीले प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है। क्या आप भी ऐसा कर सकते हैं? हममें से हरेक के लिए शायद यह मुमकिन न हो, मगर हम अपने ही इलाके में दूसरी भाषा बोलनेवाले लोगों को गवाही दे सकते हैं। इक्यासी साल के भाई रौन की बात लीजिए। उसके प्रचार के इलाके में अलग-अलग देशों से आए लोग रहते हैं। इसलिए उसने 32 भाषाओं में नमस्ते कहना सीखा। हाल ही में राह चलते उसकी मुलाकात अफ्रीका देश के एक शादीशुदा जोड़े से हुई। उसने उनकी भाषा योरुबा में उन्हें नमस्ते कहा। उन्होंने भाई रौन से पूछा कि क्या आप कभी अफ्रीका गए हैं। जब भाई ने जवाब दिया “नहीं,” तो उन्हें बड़ा ताज्जुब हुआ कि फिर कैसे वह उनकी भाषा जानता है। इससे भाई रौन को उन्हें गवाही देना का अच्छा मौका मिला। उन्होंने खुशी-खुशी भाई से कुछ पत्रिकाएँ लीं और बेहिचक अपना पता भी दिया। यह जोड़ा जिस इलाके में रहता है, भाई ने उनका पता उस इलाके की मंडली को भेजा ताकि इस जोड़े के साथ बाइबल अध्ययन शुरू किया जा सके।

9. उदाहरण देकर बताइए कि प्रचार में बाइबल से पढ़कर सुनाना क्यों ज़रूरी है।

9 यहोशापात ने जिन शिक्षकों को देश-भर में भेजा, वे अपने साथ “यहोवा की व्यवस्था की पुस्तक” ले गए। आज हम भी यही कोशिश करते हैं कि लोगों को बाइबल से सिखाएँ क्योंकि यह परमेश्‍वर का वचन है। और जहाँ हो सके हम प्रचार में सीधे-सीधे बाइबल से पढ़ते हैं, ताकि लोग खुद देख सकें कि उसमें क्या लिखा है। लिंडा नाम की एक साक्षी बहन ने ऐसा ही किया। एक बार प्रचार में एक स्त्री ने उसे बताया कि स्ट्रोक की वजह से उसके पति को लकवा मार गया है और उसे चौबीसों घंटे देखभाल की ज़रूरत है। वह स्त्री दुखी मन से बोली: “न जाने ऊपरवाला मुझे किस किए की सज़ा दे रहा है।” बहन लिंडा ने उससे पूछा: “क्या मैं आपको कुछ पढ़कर सुना सकती हूँ?” फिर उसने बाइबल से याकूब 1:13 पढ़ा और कहा: “आज हम पर या हमारे अज़ीज़ों पर जो दुख-तकलीफें आती हैं, वे परमेश्‍वर की तरफ से हरगिज़ नहीं हैं।” यह सुनकर उस स्त्री को इतना सुकून मिला कि उसने बहन को गले लगा लिया। लिंडा कबूल करती है: “बाइबल की मदद से ही मैं उस स्त्री को सांत्वना दे पायी। कई बार हम लोगों को जो आयतें पढ़कर सुनाते हैं, उन्हें वे पहली बार पढ़ रहे होते हैं।” उस बातचीत के बाद से उस स्त्री ने नियमित बाइबल अध्ययन करना शुरू कर दिया।

जोश के साथ सेवा करनेवाले जवान

10. आज मसीही जवानों के लिए योशिय्याह कैसे एक अच्छी मिसाल है?

10 आइए एक बार फिर योशिय्याह के उदाहरण पर ध्यान दें। वह छोटी उम्र से ही सच्चे परमेश्‍वर की खोज करने लगा। और जब वह करीब 20 साल का था, तब उसने मूर्तिपूजा के खिलाफ बड़े पैमाने पर एक अभियान शुरू किया। (2 इतिहास 34:1-3 पढ़िए।) आज भी बहुत-से जवान अपनी सेवा में योशिय्याह के जैसा जोश दिखाते हैं।

11-13. आप उन जवानों से क्या सीख सकते हैं जो आज जोश के साथ यहोवा की सेवा कर रहे हैं?

11 इंग्लैंड में रहनेवाली हैना जब 13 साल की थी, तब उसने सुना कि पास के एक कसबे में फ्रेंच भाषा बोलनेवालों का एक समूह बना है। हैना स्कूल में फ्रेंच सीख रही थी, इसलिए वह उस समूह की सभाओं में जाना चाहती थी। उसके पिता उसके साथ चलने के लिए तैयार हुए। हैना अब 18 साल की है। वह पायनियर सेवा कर रही है और बड़े जोश के साथ फ्रेंच भाषा बोलनेवालों को गवाही देती है। क्या आप भी कोई नयी भाषा सीख सकते हैं और लोगों को यहोवा के बारे में जानने में मदद दे सकते हैं?

12 रेचल ने जब यह वीडियो ऐसे लक्ष्यों का पीछा कीजिए जिनसे परमेश्‍वर की महिमा होती है (अँग्रेज़ी) देखा तो उस पर गहरा असर हुआ। वह बताती है कि जब उसने 1995 में यहोवा की सेवा शुरू की, तब उसे लगा कि उसने सच्चाई को अपना बना लिया है। वह कहती है: “मैं सोचती थी कि मैं आध्यात्मिक मायने में अच्छी तरक्की कर रही हूँ। लेकिन यह वीडियो देखने के बाद मुझे एहसास हुआ कि मैं प्रचार और सभाओं में तो जा रही थी मगर मैंने कोई खास तरक्की नहीं की थी। मैंने जाना कि सच्चाई को अपना बनाने के लिए मुझे कड़ा संघर्ष करना होगा। इतना ही नहीं, मुझे प्रचार और निजी अध्ययन के लिए पहले से ज़्यादा मेहनत करनी होगी।” अब रेचल यहोवा की सेवा और भी जोश के साथ कर रही है। इसका उसे क्या फायदा हुआ? वह बताती है: “यहोवा के साथ मेरा रिश्‍ता मज़बूत हुआ है। अब मैं दिल से प्रार्थना करती हूँ और बाइबल का गहरा अध्ययन कर पाती हूँ जिससे मुझे बेइंतिहा खुशी मिलती है। यही नहीं, बाइबल में दर्ज़ वाकये अब मुझे और भी सच्चे लगते हैं। इन वजहों से मुझे प्रचार में बड़ा मज़ा आता है और जब मैं देखती हूँ कि कैसे यहोवा के वचन से लोगों को दिलासा मिलता है, तो मैं सच्चा सुकून महसूस करती हूँ।”

13 लूक नाम के एक और जवान पर गौर कीजिए। उसे, युवा लोग पूछते हैं-मैं अपनी ज़िंदगी के साथ क्या करूँगा? (अँग्रेज़ी) वीडियो से बहुत हौसला मिला। वह लिखता है: “इस वीडियो ने मुझे यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि मैं अपनी ज़िंदगी के साथ क्या कर रहा हूँ।” वह मानता है: “मुझ पर कई दबाव आए। मुझसे कहा गया, ‘पहले ऊँची शिक्षा हासिल कर लो, भविष्य के लिए कुछ जोड़ लो, फिर यहोवा की सेवा में कुछ करने की सोचना।’ लेकिन अब मुझे एहसास हुआ कि ऐसे दबाव हमें यहोवा के करीब लाने के बजाय उससे कोसों दूर ले जाते हैं।” जवान भाई-बहनो, आप हैना, रेचल और लूक से क्या सीख सकते हैं? क्या आप हैना की तरह स्कूल में जो सीखते हैं, उसका इस्तेमाल अपनी सेवा बढ़ाने के लिए कर सकते हैं? क्या आप रेचल के जैसे जोश दिखाते हुए ऐसे लक्ष्यों का पीछा कर सकते हैं जिनसे परमेश्‍वर की महिमा होती है? और क्या आप लूक के उदाहरण पर चलकर ऐसे खतरों से दूर रह सकते हैं जो कई जवानों के लिए फँदा साबित हुए हैं?

चेतावनियों को मानने में जोश दिखाइए

14. यहोवा किस तरह की उपासना से खुश होता है? और ऐसी उपासना करना आज क्यों एक चुनौती है?

14 अगर हम चाहते हैं कि यहोवा हमारी उपासना से खुश हो, तो हमें शुद्ध रहने की ज़रूरत है। यशायाह ने चेतावनी दी: “दूर हो, दूर, वहां से निकल जाओ, कोई अशुद्ध वस्तु मत छुओ; उसके [बैबिलोन के] बीच से निकल जाओ; हे यहोवा के पात्रों के ढोनेवालों, अपने को शुद्ध करो।” (यशा. 52:11) ये शब्द लिखे जाने से कई साल पहले नेक राजा आसा ने यहूदा से बदचलनी का नामो-निशान मिटाने के लिए एक ज़बरदस्त अभियान चलाया। (1 राजा 15:11-13 पढ़िए।) और सदियों बाद प्रेषित पौलुस ने तीतुस से कहा कि यीशु ने खुद को दे दिया, ताकि वह अपने चेलों को शुद्ध कर “ऐसे लोग बना ले जो खास उसके अपने हों और बढ़िया कामों के लिए जोशीले हों।” (तीतु. 2:14) आज बदचलनी से भरी इस दुनिया में यहोवा के सभी सेवकों, खासकर जवानों के लिए नैतिक रूप से शुद्ध रहना आसान नहीं। मिसाल के लिए, विज्ञापन के बड़े-बड़े बोर्ड, टी.वी., फिल्में और इंटरनेट अश्‍लीलता से भरे पड़े हैं। इनसे दूषित न होने के लिए हमें कड़ा संघर्ष करना होगा।

15. बुराई से घृणा करने में क्या बात हमारी मदद करेगी?

15 यहोवा की चेतावनियाँ मानने के लिए हम जो जोश दिखाते हैं, वह हमें बुराई से घृणा करने में मदद देगा। (भज. 97:10; रोमि. 12:9) हमें पोर्नोग्राफी से घिन करनी चाहिए ताकि जैसा एक मसीही कहता है “[हम] इसके ज़बरदस्त आकर्षण से दूर भाग सकें।” माना कि पोर्नोग्राफी के आकर्षण से लड़ने के लिए हमें जद्दोजेहद करनी पड़ती है। लेकिन अगर हम इस बात को समझें कि पोर्नोग्राफी से कितनी तबाही मचती है, तो हम इसके लिए घृणा पैदा कर पाएँगे। एक भाई को इंटरनेट पर पोर्नोग्राफी देखने की बुरी लत थी। उसने यह आदत छोड़ने के लिए कड़ी मेहनत की। उसने अपना कंप्यूटर घर में ऐसी जगह रखा जहाँ उसके घरवाले उसे देख सकते थे। साथ ही उसने ठाना कि वह खुद को शुद्ध रखेगा और भले कामों के लिए जोशीला बनेगा। उसने एक और कदम उठाया। उसे अपने काम के सिलसिले में अकसर इंटरनेट पर बैठना होता है, इसलिए उसने फैसला किया कि वह इंटरनेट का इस्तेमाल तभी करेगा जब उसकी पत्नी उसके साथ होगी।

अच्छे चालचलन की अहमियत

16, 17. हमारे अच्छे मसीही चालचलन का देखनेवालों पर क्या असर होता है? उदाहरण देकर बताइए।

16 आज यहोवा की सेवा करनेवाले जवान क्या ही बढ़िया रवैया दिखाते हैं! उनका यह रवैया देखनेवालों पर गहरा असर करता है। (1 पतरस 2:12 पढ़िए।) ऐसा ही असर एक व्यक्‍ति पर हुआ जब वह लंदन के शाखा दफ्तर में एक प्रिंटिंग मशीन की सर्विसिंग करने आया। वहाँ दिन-भर काम करने के बाद यहोवा के साक्षियों के बारे में उसका नज़रिया ही बदल गया। इस बदलाव को उसकी पत्नी ने भी महसूस किया, जो एक साक्षी बहन के साथ बाइबल अध्ययन करती थी। पत्नी को बड़ा ताज्जुब हुआ क्योंकि इससे पहले उसके पति को साक्षियों का घर आना बिलकुल पसंद नहीं था। पर जब से वह बेथेल में काम करके लौटा, तब से वह उनकी तारीफ किए जा रहा था। उसने कहा कि सभी ने उसके साथ अच्छा व्यवहार किया। किसी ने भी ओछी भाषा इस्तेमाल नहीं की, कोई भी आपे से बाहर नहीं गया और चारों तरफ शांति का माहौल था। वह व्यक्‍ति खासकर इस बात से प्रभावित हुआ कि वहाँ पर जवान भाई-बहन खुशखबरी फैलाने के काम में पूरे जोश के साथ अपना समय और अपनी ताकत लगा रहे हैं और वह भी बिना किसी तनख्वाह के।

17 उसी तरह, जो भाई-बहन अपने परिवार की ज़रूरतें पूरी करने के लिए नौकरी करते हैं, वे भी बहुत मेहनती होते हैं। (कुलु. 3:23, 24) इस वजह से उन्हें यह चिंता नहीं सताती कि वे अपनी नौकरी खो बैठेंगे। क्योंकि उनके मालिक, उनकी लगन और ईमानदारी की कदर करते हैं और ऐसे कर्मचारियों को नहीं खोना चाहते।

18. हम “बढ़िया कामों के लिए जोशीले” कैसे बन सकते हैं?

18 जैसा कि हमने देखा, हम यहोवा पर भरोसा रखकर, उसके निर्देशनों का पालन करके और अपने सभा-घरों की अच्छी देखभाल करके सच्ची उपासना के लिए जोश दिखा सकते हैं। इसके अलावा, हम प्रचार और चेला बनाने के काम में भी अपना भरसक करके जोश दिखा सकते हैं। चाहे हम जवान हों या बुज़ुर्ग, अगर हम उपासना में यहोवा के ऊँचे स्तरों का पालन करें तो बहुत आशीषें पाएँगे। और हम “बढ़िया कामों के लिए जोशीले” होने के लिए जाने जाएँगे।—तीतु. 2:14.

[फुटनोट]

^ आसा ने शायद उन ऊँचे स्थानों को हटाया हो जहाँ झूठे देवताओं की उपासना की जाती थी, मगर उन स्थानों को नहीं जहाँ यहोवा की उपासना की जाती थी। या हो सकता है कि आसा के राज के आखिरी सालों के दौरान ऊँचे स्थान दोबारा उभर आए हों, जिन्हें उसके बेटे यहोशापात ने अपनी हुकूमत में हटाया था।—1 राजा 15:14; 2 इति. 15:17.

बताइए कि इन मामलों में आपने प्राचीन समय और आज के यहोवा के सेवकों से क्या सीखा:

• हम प्रचार और सिखाने के काम में जोश कैसे दिखा सकते हैं?

• मसीही जवान “बढ़िया कामों के लिए जोशीले” कैसे बन सकते हैं?

• हम दूषित करनेवाली आदतों से कैसे आज़ाद हो सकते हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 13 पर तसवीर]

क्या आप प्रचार में नियमित तौर पर बाइबल का इस्तेमाल करते हैं?

[पेज 15 पर तसवीर]

स्कूल में नयी भाषा सीखने से शायद आप अपनी सेवा बढ़ा पाएँ