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एक झुंड, एक चरवाहा

एक झुंड, एक चरवाहा

एक झुंड, एक चरवाहा

“तुम भी जो मेरे पीछे हो लिए हो, बारह राजगद्दियों पर बैठकर इसराएल के बारह गोत्रों का न्याय करोगे।”—मत्ती 19:28.

1. यहोवा ने अब्राहम के वंशजों के साथ कैसा व्यवहार किया? क्या इसका यह मतलब था कि उसे दूसरे लोगों की कोई परवाह नहीं थी? ऐसा हम क्यों कहते हैं?

 यहोवा, अब्राहम से बहुत प्यार करता था इसलिए उसने अब्राहम के वंशजों के साथ भी वफादारी निभायी। करीब 15 शताब्दियों से ज़्यादा समय तक यहोवा ने अब्राहम के वंशजों यानी इसराएलियों को अपने चुने हुए “विशेष लोग” होने का दर्जा दिया। (ईज़ी-टू-रीड वर्शन) (व्यवस्थाविवरण 7:6 पढ़िए।) लेकिन क्या इसका यह मतलब है कि यहोवा को दूसरे राष्ट्रों की कोई परवाह नहीं थी? बिलकुल थी। उस वक्‍त के दौरान जो कोई गैर-इसराएली यहोवा की उपासना करना चाहता था, उसे इस खास राष्ट्र के साथ मिल जाने की इजाज़त थी। जब ऐसा कोई गैर-इसराएली अपना धर्म छोड़कर यहोवा का उपासक बन जाता तो उसे इसराएल राष्ट्र का हिस्सा माना जाता था। इसराएलियों को ऐसे लोगों के साथ अपने ही भाइयों जैसा व्यवहार करना था। (लैव्य. 19:33, 34) और यह ज़रूरी था कि ये गैर-इसराएली यहोवा के सभी कानूनों का पालन करें।—लैव्य. 24:22.

2. यीशु ने कौन-सी चौंकानेवाली बात कही? इससे क्या सवाल उठते हैं?

2 लेकिन जब यीशु इस धरती पर था तब उसने अपने दिनों के यहूदियों के बारे में यह चौंकानेवाला ऐलान किया: “परमेश्‍वर का राज तुमसे ले लिया जाएगा और उस जाति को, जो इसके योग्य फल पैदा करती है, दे दिया जाएगा।” (मत्ती 21:43) इस नयी जाति या राष्ट्र के लोग कौन होते और इस बदलाव का आज हम पर कैसा असर होता है?

नया राष्ट्र

3, 4. (क) प्रेषित पतरस ने नए राष्ट्र की पहचान किन शब्दों में करायी? (ख) इस नए राष्ट्र में कौन लोग हैं?

3 प्रेषित पतरस ने इस नए राष्ट्र की साफ पहचान करायी। उसने अपने साथी मसीहियों को यह लिखा: “तुम एक चुना हुआ वंश, शाही याजकों का दल और एक पवित्र राष्ट्र हो और परमेश्‍वर की खास संपत्ति बनने के लिए चुने गए लोग हो, ताकि तुम सारी दुनिया में उसके महान गुणों का ऐलान करो जिसने तुम्हें अंधकार से निकालकर अपनी शानदार रौशनी में बुलाया है।” (1 पत. 2:9) जैसे भविष्यवाणी की गयी थी, इस नए राष्ट्र के पहले सदस्य बनने का मौका उन पैदाइशी यहूदियों को मिला जिन्होंने यीशु को मसीहा स्वीकार किया था। (दानि. 9:27क; मत्ती 10:6) बाद में कई गैर-इसराएलियों को भी इस राष्ट्र में शामिल किया गया क्योंकि पतरस ने आगे कहा: “एक वक्‍त ऐसा था जब तुम परमेश्‍वर के खास लोग नहीं थे, मगर अब उसके लोग हो।”—1 पत. 2:10.

4 पतरस यहाँ किन लोगों से बात कर रहा था? उसने अपनी चिट्ठी की शुरूआत में कहा: “[परमेश्‍वर ने] यीशु मसीह को मरे हुओं में से जी उठाया और इसके ज़रिए . . . हमें एक नया जन्म दिया जिससे कि हम एक जीवित आशा पा सकें, और हमें वह विरासत हासिल हो जो अनश्‍वर और निष्कलंक है और जो कभी नहीं मिटेगी। यह विरासत तुम्हारे लिए स्वर्ग में सुरक्षित रखी हुई है।” (1 पत. 1:3, 4) तो यह नया राष्ट्र अभिषिक्‍त मसीहियों से बना है, जिन्हें स्वर्ग में जीवन पाने की आशा है। वे ही ‘परमेश्‍वर का इसराएल’ हैं। (गला. 6:16) प्रेषित यूहन्‍ना ने एक दर्शन में देखा कि “परमेश्‍वर के इसराएल” यानी आत्मिक इसराएल के सदस्यों की गिनती 1,44,000 है। उन्हें “इंसानों में से परमेश्‍वर के लिए और मेम्ने के लिए पहले फलों के नाते खरीद लिया गया है” ताकि वे “हज़ार साल तक” “याजक” बनकर सेवा करें और ‘राजा बनकर [यीशु के] साथ राज करें।’—प्रका. 5:10; 7:4; 14:1, 4; 20:6; याकू. 1:18.

क्या इस राष्ट्र में दूसरे भी शामिल हैं?

5. (क) “परमेश्‍वर के इसराएल” में कौन लोग शामिल हैं? (ख) यह क्यों कहा जा सकता है कि शब्द “इसराएल” का ज़िक्र सिर्फ अभिषिक्‍त मसीहियों के लिए नहीं किया गया?

5 तो यह साफ है कि गलातियों 6:16 में बताए “परमेश्‍वर के इसराएल” में सिर्फ अभिषिक्‍त मसीही शामिल हैं। लेकिन क्या ऐसे भी उदाहरण हैं जब यहोवा ने इसराएल राष्ट्र का ज़िक्र किया तो उसमें अभिषिक्‍त जनों के अलावा दूसरे मसीही भी शामिल थे? इसका जवाब यीशु के इन शब्दों में मिलता है जो उसने अपने वफादार प्रेषितों से कहे थे: “ठीक जैसे मेरे पिता ने मेरे साथ एक राज के लिए करार किया है, वैसे ही मैं भी तुम्हारे साथ एक राज के लिए करार करता हूँ, कि तुम मेरे राज में मेरी मेज़ पर खाओ-पीओ, और राजगद्दियों पर बैठकर इसराएल के बारह गोत्रों का न्याय करो।” (लूका 22:28-30) यह उस वक्‍त होगा “जब सबकुछ नया किया जाएगा,” यानी मसीह के हज़ार साल की हुकूमत के दौरान।मत्ती 19:28 पढ़िए।

6, 7. मत्ती 19:28 और लूका 22:30 में ‘इसराएल के बारह गोत्र’ शब्द किन लोगों के लिए इस्तेमाल हुए हैं?

6 हज़ार साल की हुकूमत के दौरान 1,44,000 जन स्वर्ग में राजा, याजक और न्यायी बनकर सेवा करेंगे। (प्रका. 20:4) लेकिन वे किसका न्याय करेंगे और किस पर राज करेंगे? मत्ती 19:28 और लूका 22:30 में हमें बताया गया है कि वे “इसराएल के बारह गोत्रों” का न्याय करेंगे। इन आयतों में ‘इसराएल के बारह गोत्र’ कौन लोग हैं? ये वे हैं जो यीशु के बलिदान पर विश्‍वास करते हैं और जिन्हें धरती पर जीने की आशा है। मगर वे शाही याजकों के दल का हिस्सा नहीं हैं। (गौर करने लायक बात है कि पैदाइशी इसराएल के 12 गोत्रों की सूची में लेवी गोत्र, जो याजकों का गोत्र था, शामिल नहीं किया गया था।) जब 1,44,000 जन याजक बनकर सेवा करेंगे तो उनकी सेवा से आध्यात्मिक फायदा पानेवालों को इन आयतों में इसराएल के 12 गोत्र कहा गया है। फायदा पानेवाले ये लोग भी परमेश्‍वर के लोग हैं और वह उनसे प्यार करता है और उन्हें स्वीकार करता है। इसलिए यह बिलकुल सही है कि उनकी तुलना इसराएल से की जाए जो पुराने ज़माने में परमेश्‍वर के लोग थे।

7 यही वजह है कि जब प्रेषित यूहन्‍ना ने दर्शन में देखा कि महा-संकट से पहले 1,44,000 आत्मिक इसराएलियों पर हमेशा के लिए मुहर लगायी जा रही है, तो इसके बाद उसने “सब राष्ट्रों” से निकले अनगिनत लोगों की एक “बड़ी भीड़” को भी देखा। (प्रका. 7:9) ये लोग महा-संकट से ज़िंदा बचकर मसीह की हज़ार साल की हुकूमत में जीएँगे। उस दौरान अरबों लोगों को मरे हुओं में से जी उठाया जाएगा और वे भी इनके साथ मिल जाएँगे। (यूह. 5:28, 29; प्रका. 20:13) ये सभी मिलकर ‘इसराएल के बारह गोत्र’ बनेंगे और यीशु और उसके साथ राज करनेवाले 1,44,000 राजा इनका न्याय करेंगे।—प्रेषि. 17:31; 24:15; प्रका. 20:12.

8. प्रायश्‍चित दिन में होनेवाली घटनाओं से 1,44,000 याजकों और बाकी इंसानों के बीच का नाता कैसे समझ आता है?

8 एक लाख चौआलीस हज़ार जनों और बाकी इंसानों के बीच यह जो नाता है, इसकी झलक प्रायश्‍चित दिन की घटनाओं से दी गयी थी। (लैव्य. 16:6-10) पुराने ज़माने के इसराएल देश में हर साल प्रायश्‍चित दिन पर महायाजक के लिए ज़रूरी था कि वह पहले “अपने और अपने घराने के” पापों के प्रायश्‍चित के लिए एक बैल की बलि चढ़ाए। इसके बाद, इसराएल के बाकी गोत्रों के पापों के लिए दो बकरियाँ भी बलि चढ़ानी थी। इसी तरह, यीशु के बलिदान के फायदे सबसे पहले उसके ‘घराने’ यानी उसके नीचे काम करनेवाले याजकों को मिलते हैं जो उसके साथ स्वर्ग में सेवा करेंगे। ये 1,44,000 जन हैं। इसराएल के बाकी गोत्र आज उन सभी लोगों को दर्शाते हैं जिन्हें धरती पर जीने की आशा है। इससे पता चलता है कि शब्द ‘इसराएल के बारह गोत्र’ यीशु के नीचे काम करनेवाले और पवित्र शक्‍ति से जन्मे 1,44,000 याजकों के लिए नहीं, बल्कि उन सभी के लिए इस्तेमाल हुआ है जो यीशु के बलिदान पर विश्‍वास करते हैं। *

9. मंदिर के बारे में यहेजकेल के दर्शन में याजक किन लोगों को दर्शाते हैं? इसराएल के बाकी गोत्र किन लोगों को दर्शाते हैं?

9 एक और मिसाल पर गौर कीजिए। यहेजकेल भविष्यवक्‍ता को यहोवा के मंदिर के बारे में एक ब्यौरेदार दर्शन दिया गया था। (यहे., अध्याय 40-48) उस दर्शन में याजकों को मंदिर में काम करते दिखाया गया है। वे लोगों को हिदायतें देते हैं और उन्हें खुद सुधार करने, साथ ही लोगों को सुधारने के लिए यहोवा की तरफ से सलाह मिलती है। (यहे. 44:23-31) उसी दर्शन में, इसराएल के बाकी गोत्र भी उपासना करने और बलिदान चढ़ाने के लिए मंदिर आते हैं। (यहे. 45:16, 17) तो मंदिर के इस दर्शन में याजकों का गोत्र, अभिषिक्‍त मसीहियों को दर्शाता है और इसराएल के बाकी गोत्र, धरती पर जीने की आशा रखनेवाले मसीहियों को दर्शाते हैं। दर्शन में इस बात पर खास ज़ोर दिया गया है कि दोनों समूह के लोग मिल-जुलकर काम करते हैं और याजकों का दल शुद्ध उपासना में अगुवाई करता है।

10, 11. (क) यीशु के किन शब्दों को सच होता देखकर हमारा विश्‍वास मज़बूत होता है? (ख) दूसरी भेड़ों के बारे में क्या सवाल उठता है?

10 यीशु ने ‘दूसरी भेड़ों’ के बारे में बताया था जो उसके अभिषिक्‍त चेलों के “छोटे झुंड” की “भेड़शाला” में से नहीं होंगी। (यूह. 10:16; लूका 12:32) उसने कहा: “मुझे उन्हें भी लाना है। वे मेरी आवाज़ सुनेंगी और तब एक झुंड और एक चरवाहा होगा।” यीशु के इन शब्दों को सच होता देख हमारा विश्‍वास कितना मज़बूत होता है! दो समूह के लोग यानी अभिषिक्‍त मसीहियों का छोटा समूह और दूसरी भेड़ों की बड़ी भीड़, एक-दूसरे से मिल गए हैं। (जकर्याह 8:23 पढ़िए।) हालाँकि दूसरी भेड़ें आत्मिक मंदिर के अंदर के आँगन में सेवा नहीं करतीं, मगर वे इसके बाहरी आँगन में सेवा ज़रूर करती हैं।

11 तो जैसा हमने देखा, यहोवा इन दूसरी भेड़ों को दर्शाने के लिए कभी-कभी इसराएल के गैर-याजक गोत्रों का ज़िक्र करता है। मगर क्या इसका यह मतलब है कि दूसरी भेड़ों को यानी धरती पर जीने की आशा रखनेवालों को भी स्मारक की रोटी खानी और दाख-मदिरा पीनी चाहिए? आइए अब इस सवाल पर गौर करें।

नया करार

12. यहोवा ने किस नए इंतज़ाम की भविष्यवाणी की थी?

12 यहोवा ने अपने लोगों के लिए एक नए इंतज़ाम की भविष्यवाणी करते हुए कहा: “जो वाचा मैं उन दिनों के बाद इस्राएल के घराने से बान्धूंगा, वह यह है: मैं अपनी व्यवस्था उनके मन में समवाऊंगा, और उसे उनके हृदय पर लिखूंगा; और मैं उनका परमेश्‍वर ठहरूंगा, और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे।” (यिर्म. 31:31-33) इस नयी वाचा या करार के ज़रिए, अब्राहम से किया गया यहोवा का वादा शानदार तरीके से पूरा होता और इसके फायदे हमेशा कायम रहते।उत्पत्ति 22:18 पढ़िए।

13, 14. (क) नए करार में हिस्सेदार कौन हैं? (ख) इस करार से फायदा पानेवाले कौन हैं? वे किस तरह इस नए करार का “दृढ़ता से पालन” करते हैं?

13 यीशु ने अपनी मौत से पहले की रात इसी नए करार का ज़िक्र किया, जब उसने कहा: “यह प्याला उस नए करार का प्रतीक है जो मेरे लहू के आधार पर बाँधा गया है, जो तुम्हारी खातिर बहाया जाना है।” (लूका 22:20; 1 कुरिं. 11:25) क्या सभी मसीही इस नए करार में हिस्सेदार हैं? जी नहीं। उस शाम जिन प्रेषितों ने प्याले में से पीया था, वे और दूसरे गिने-चुने लोग उस नए करार में शामिल हैं, उसमें हिस्सेदार हैं। * यीशु ने इन लोगों के साथ एक और करार किया था कि वे उसके साथ मिलकर उसके राज में हुकूमत करेंगे। (लूका 22:28-30) वे यीशु के साथ उसके राज में हिस्सेदार होंगे।—लूका 22:15, 16.

14 उन लोगों के बारे में क्या जो यीशु के राज में धरती पर जीएँगे? वे इस नए करार से फायदा पानेवाले लोग हैं। (गला. 3:8, 9) हालाँकि वे इस करार में हिस्सेदार नहीं हैं, मगर वे इस करार की माँगों को मानकर उसका “दृढ़ता से पालन” करते हैं, ठीक जैसे यशायाह भविष्यवक्‍ता ने भविष्यवाणी की थी: “वे परदेशी भी जो यहोवा के भक्‍त इस अभिप्राय से बन जाते हैं कि उसकी सेवा करें और यहोवा के नाम से प्रीति रखें और उसके दास हो जाएं, अर्थात्‌ वे सब जो सब्त को अपवित्र करने से बचे रहते हैं और मेरी वाचा का दृढ़ता से पालन करते हैं, उनको मैं अपने पवित्र पर्वत पर ले आऊंगा और अपने प्रार्थना के भवन में आनन्दित करूंगा।” इसके बाद यहोवा कहता है: “क्योंकि मेरा भवन सब जातियों के लिए प्रार्थना का भवन कहलाएगा।”—यशा. 56:6, 7, NHT.

स्मारक में किसे रोटी और दाख-मदिरा लेनी चाहिए?

15, 16. (क) प्रेषित पौलुस के मुताबिक नए करार के हिस्सेदारों को क्या आशीष मिलती है? (ख) जो धरती पर जीने की आशा रखते हैं उन्हें क्यों स्मारक की रोटी और दाख-मदिरा नहीं खानी-पीनी चाहिए?

15 नए करार में जो हिस्सेदार हैं, उन्हें “परम-पवित्र में प्रवेश पाने का साहस मिला है।” (इब्रानियों 10:15-20 पढ़िए।) इन्हीं लोगों को वह “राज मिलनेवाला है जिसे हिलाया नहीं जा सकता।” (इब्रा. 12:28) इसलिए जो स्वर्ग में यीशु मसीह के साथ राजा और याजक होंगे, सिर्फ उन्हीं को उस ‘प्याले’ में से पीना चाहिए जो नए करार की निशानी है। यही लोग जो नए करार में हिस्सेदार हैं, इनकी मेम्ने यानी यीशु मसीह से सगाई हो चुकी है। (2 कुरिं. 11:2; प्रका. 21:2, 9) बाकी सभी जो सालाना स्मारक में हाज़िर होते हैं मगर दाख-मदिरा नहीं पीते और रोटी नहीं खाते, वे इस समारोह में हाज़िर होकर इस इंतज़ाम के लिए आदर दिखाते हैं।

16 पौलुस हमें यह बात भी समझने में मदद देता है कि धरती पर जीने की आशा रखनेवाले क्यों स्मारक की दाख-मदिरा नहीं पीते और रोटी नहीं खाते। उसने अभिषिक्‍त मसीहियों से कहा: “हर बार जब तुम यह रोटी खाते हो और यह प्याला पीते हो, तो जब तक प्रभु नहीं आता, तुम उसकी मौत का ऐलान करते हो।” (1 कुरिं. 11:26) प्रभु कब ‘आता है’? जब वह अपनी दुल्हन यानी अभिषिक्‍त जनों के समूह के बचे हुए आखिरी सदस्यों को उनके घर, स्वर्ग ले जाने आएगा। (यूह. 14:2, 3) तो यह साफ है कि प्रभु के संध्या भोज का सालाना समारोह हमेशा तक चलता नहीं रहेगा। स्त्री के वंश के ‘बाकी बचे हुए’ जब तक धरती पर रहेंगे और स्वर्गीय जीवन का इनाम नहीं पा लेंगे, तब तक वे स्मारक के भोज में हिस्सा लेते रहेंगे। (प्रका. 12:17) अगर धरती पर हमेशा की ज़िंदगी जीनेवालों को भी स्मारक में हिस्सा लेने का हक होता, तो यह स्मारक भोज हमेशा तक चलता रहता।

‘वे मेरी प्रजा हो जाएंगे’

17, 18. यहेजकेल 37:26, 27 में दर्ज़ भविष्यवाणी कैसे पूरी हो रही है?

17 यहोवा ने अपने लोगों की एकता के बारे में इन शब्दों में भविष्यवाणी की थी: “मैं उनके साथ शान्ति की वाचा बान्धूंगा; वह सदा की वाचा ठहरेगी; और मैं उन्हें स्थान देकर गिनती में बढ़ाऊंगा, और उनके बीच अपना पवित्रस्थान सदा बनाए रखूंगा। मेरे निवास का तम्बू उनके ऊपर तना रहेगा; और मैं उनका परमेश्‍वर हूंगा, और वे मेरी प्रजा होंगे।”—यहे. 37:26, 27.

18 परमेश्‍वर के सभी लोगों को यह आशीष मिली है कि वे उसके इस शानदार वादे के पूरा होने से फायदा पाएँ। परमेश्‍वर ने यह वादा यानी करार किया है कि मसीहियों के बीच शांति होगी। जी हाँ, यहोवा ने उसकी आज्ञा माननेवाले सभी सेवकों के लिए शांति की गारंटी दी है। परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति का फल उनके बीच साफ देखा जा सकता है। उसका पवित्रस्थान जिसका मतलब यहाँ मसीहियों की शुद्ध उपासना है, उनके बीच है। वे दिल से उसके लोग बन गए हैं क्योंकि उन्होंने हर तरह की मूर्तिपूजा छोड़ दी है और सिर्फ यहोवा को अपना परमेश्‍वर माना है जिसकी वे उपासना करते हैं।

19, 20. यहोवा जिन लोगों को “मेरी प्रजा” कहता है, उनमें किन लोगों को शामिल किया गया है? नए करार की वजह से क्या मुमकिन हुआ है?

19 आज यह देखकर हमें कितनी खुशी होती है कि हमारे ज़माने में परमेश्‍वर की सेवा करनेवाले दो समूह एक झुंड बन गए हैं! बड़ी भीड़ को स्वर्ग में जीने की आशा नहीं है, फिर भी वे इस बात पर गर्व महसूस करते हैं कि उन्हें स्वर्गीय जीवन की आशा रखनेवालों के साथ संगति करने का मौका मिला है। उन्होंने परमेश्‍वर के इसराएल के साथ नाता जोड़ लिया है। ऐसा करने की वजह से वे भी उन लोगों में शामिल हैं जिन्हें यहोवा “मेरी प्रजा” कहता है। उन पर आज यह भविष्यवाणी पूरी हो रही है: “उस समय बहुत सी जातियां यहोवा से मिल जाएंगी, और मेरी प्रजा हो जाएंगी; और मैं तेरे बीच में बास करूंगा।”—जक. 2:11; 8:21; यशायाह 65:22; प्रकाशितवाक्य 21:3, 4 पढ़िए।

20 यहोवा ने नए करार के ज़रिए यह सब मुमकिन किया है। भविष्यवाणी में बताए गए लाखों परदेशी यहोवा के खास चुने हुए राष्ट्र का हिस्सा बन गए हैं। (मीका 4:1-5) उनका यह अटल फैसला है कि वे उस करार के तहत किए गए इंतज़ामों को स्वीकार करने और उसकी माँगों को पूरा करने से उसका दृढ़ता से पालन करते रहेंगे। (यशा. 56:6, 7) ऐसा करने की वजह से परमेश्‍वर के इसराएल के साथ-साथ उन्हें भी हमेशा तक शांति की बेशुमार आशीषें मिलती रहेंगी। हमारी दुआ है कि आपको भी—अभी और हमेशा के लिए—यही आशीष मिले!

[फुटनोट]

^ इसी तरह शब्द “मंडली” खास तौर से अभिषिक्‍तों के लिए इस्तेमाल किया गया है। (इब्रा. 12:23, फुटनोट) मगर यह शब्द सभी मसीहियों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, फिर चाहे उनकी आशा स्वर्ग में जीने की हो या धरती पर।—अप्रैल 15, 2007 की प्रहरीदुर्ग के पेज 21-23 देखिए।

^ यीशु इस करार में हिस्सेदार नहीं बल्कि बिचवई है। इसीलिए उसने स्मारक की दाख-मदिरा नहीं पी और रोटी नहीं खायी।

क्या आपको याद है?

• ‘इसराएल के वे बारह गोत्र’ कौन हैं जिनका 1,44,000 जन न्याय करेंगे?

• नए करार में अभिषिक्‍त जनों की क्या भूमिका है और दूसरी भेड़ें इस करार से कैसे फायदा पाती हैं?

• क्या सभी मसीहियों को स्मारक की दाख-मदिरा पीनी और रोटी खानी चाहिए?

• हमारे दिनों के बारे में किस एकता की भविष्यवाणी की गयी थी?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 25 पर ग्राफ/तसवीरें]

(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)

आज बहुत-से लोग परमेश्‍वर के इसराएल के साथ मिलकर सेवा कर रहे हैं

1950 | 3,73,430

1970 | 14,83,430

1990 | 40,17,213

2009 | 73,13,173