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दोहाई देनेवालों का उद्धार कौन करेगा?

दोहाई देनेवालों का उद्धार कौन करेगा?

दोहाई देनेवालों का उद्धार कौन करेगा?

“हे परमेश्‍वर, राजा को अपना नियम बता . . . वह दोहाई देनेवाले दरिद्र . . . का उद्धार करेगा।”—भज. 72:1, 12.

1. दाविद के उदाहरण से हम यहोवा की दया के बारे में क्या सीखते हैं?

 प्राचीन इसराएल के राजा दाविद के लिखे इन शब्दों से हमें कितनी हिम्मत मिलती है! इन्हें लिखने के सालों पहले उसने बतशेबा के साथ व्यभिचार किया था, जिस वजह से उसे बहुत पछतावा हो रहा था। उस वक्‍त उसने परमेश्‍वर को दोहाई दी: “अपनी बड़ी दया के अनुसार मेरे अपराधों को मिटा दे। . . . मेरा पाप निरन्तर मेरी दृष्टि में रहता है। . . . देख, मैं अधर्म के साथ उत्पन्‍न हुआ, और पाप के साथ अपनी माता के गर्भ में पड़ा।” (भज. 51:1-5) यहोवा वाकई दयालु परमेश्‍वर है, क्योंकि वह जानता है कि हम पैदाइश से ही पाप की गिरफ्त में हैं।

2. भजन 72 से हमें क्या पता चलता है?

2 यहोवा हमारी दयनीय हालत को समझता है। लेकिन जैसा कि भविष्यवाणी की गयी थी, परमेश्‍वर का अभिषिक्‍त राजा “दोहाई देनेवाले दरिद्र का, और दुःखी और असहाय मनुष्य का उद्धार करेगा। वह कंगाल और दरिद्र पर तरस खाएगा, और दरिद्रों के प्राणों को बचाएगा।” (भज. 72:12, 13) तो वह लोगों को कैसे राहत पहुँचाता? यह हमें भजन 72 से पता चलता है। दाविद के बेटे सुलैमान के राज के बारे में जो गीत लिखा गया वह इस बात की झलक देता है कि परमेश्‍वर के बेटे यीशु मसीह के राज में इंसानों को किस तरह दुख-तकलीफों से छुटकारा मिलेगा।

मसीह के राज की एक झलक

3. सुलैमान ने क्या बिनती की? परमेश्‍वर ने उसकी बिनती का जवाब कैसे दिया?

3 सुलैमान को राजा बनाने का आदेश देने के बाद बुज़ुर्ग दाविद ने उसे कुछ खास निर्देशन दिए जिन पर सुलैमान पूरी ईमानदारी से चला। (1 राजा 1:32-35; 2:1-3) बाद में यहोवा सुलैमान के सपने में आया और उससे कहा: “जो कुछ तू चाहे कि मैं तुझे दूं, वह मांग।” सुलैमान ने सिर्फ एक ही चीज़ माँगी: “तू अपने दास को अपनी प्रजा का न्याय करने के लिये समझने की ऐसी शक्‍ति दे, कि मैं भले बुरे को परख सकूं।” परमेश्‍वर ने उसकी यह नम्र बिनती सुनी और जो कुछ उसने माँगा उससे कहीं बढ़कर उसे दिया।—1 राजा 3:5, 9-13.

4. सुलैमान के राज के बारे में उसके ज़माने की एक रानी ने क्या कहा?

4 यहोवा की आशीष से सुलैमान का राज बहुत बेहतरीन था। वहाँ किसी चीज़ की कोई कमी नहीं थी और ऐसी शांति थी, जो धरती पर किसी भी सरकार के राज में नहीं देखी गयी। (1 राजा 4:25) बहुत-से लोग सुलैमान का राज देखने आए जिनमें शीबा की रानी भी एक थी। वह अपने दास-दासियों के बड़े दल के साथ आयी थी। उसने सुलैमान से कहा: “तेरे कामों और बुद्धिमानी की जो कीर्त्ति मैं ने अपने देश में सुनी थी वह सच ही है। परन्तु . . . इसका आधा भी मुझे न बताया गया था; तेरी बुद्धिमानी और कल्याण उस कीर्त्ति से भी बढ़कर है, जो मैं ने सुनी थी।” (1 राजा 10:1, 6, 7) लेकिन इससे भी बढ़कर बुद्धि यीशु ने ज़ाहिर की जिसने अपने बारे में बिलकुल सही कहा: “यहाँ वह मौजूद है जो सुलैमान से भी बड़ा है।”—मत्ती 12:42.

महान सुलैमान के राज में राहत

5. भजन 72 में क्या बताया गया है और उससे हमें किस बात की झलक मिलती है?

5 आइए अब भजन 72 की खासियतों पर गौर करें और जानें कि महान सुलैमान यीशु मसीह के राज में हमें कैसी आशीषें मिलेंगी। (भजन 72:1-4 पढ़िए।) यह भजन बताता है कि यहोवा अपने बेटे यीशु मसीह की “प्रभुता” के बारे में कैसा महसूस करता है, जो “शान्ति का राजकुमार” है। (यशा. 9:6, 7) परमेश्‍वर के निर्देशन में महान सुलैमान “दीन लोगों का न्याय ठीक ठीक चुकाएगा। . . . और दरिद्र लोगों को बचाएगा।” उसके राज में शांति और नेकी का बोलबाला होगा। जब यीशु धरती पर था तो उसने एक झलक दी थी कि वह अपने हज़ार साल के राज में क्या-क्या करेगा।—प्रका. 20:4.

6. यीशु ने परमेश्‍वर के राज में मिलनेवाली आशीषों की क्या झलक दी?

6 यीशु मसीह अपने राज में मानवजाति के लिए जो करेगा, उसकी एक झलक हमें भजन 72 में मिलती है। जब हम देखते हैं कि यीशु ने दुखियों के लिए कैसी करुणा दिखायी तो हमारा दिल वाकई छू जाता है। (मत्ती 9:35, 36; 15:29-31) उदाहरण के लिए, एक बार एक कोढ़ी यीशु के पास आकर गिड़गिड़ाने लगा: “बस, अगर तू चाहे तो मुझे शुद्ध कर सकता है।” यीशु ने उससे कहा: “हाँ, मैं चाहता हूँ। शुद्ध हो जा।” वह उसी पल ठीक हो गया! (मर. 1:40-42) बाद में यीशु एक विधवा स्त्री से मिला जिसका एकलौता बेटा मर गया था। उसका दुख देखकर वह “तड़प उठा” और उसने उसके बेटे से कहा: “उठ!” तब वह उठ बैठा। जी हाँ, वह फिर से ज़िंदा हो गया!—लूका 7:11-15.

7, 8. यीशु ने कैसी-कैसी बीमारियाँ ठीक कीं?

7 यीशु को चमत्कार करने की शक्‍ति यहोवा से मिली थी। इस बात को उस स्त्री के उदाहरण से समझा जा सकता है, “जिसे बारह साल से खून बहने की बीमारी थी।” हालाँकि उसने “कई वैद्यों के हाथों इलाज करवा-करवाकर बहुत दुःख उठाया था और उसके पास जो कुछ था, वह सब खर्च” कर दिया था, इसके बावजूद उसकी हालत बिगड़ती चली गयी। उस स्त्री ने लोगों की भीड़ में घुसकर यीशु के कपड़े छुए, मगर ‘मासिक धर्म’ के वक्‍त किसी स्त्री का ऐसा करना कानून तोड़ना था। (लैव्य. 15:19, 25) यीशु को एहसास हो गया कि उसके अंदर से शक्‍ति निकली है, इसलिए उसने पूछा कि किसने उसे छुआ है। वह स्त्री “डरती और काँपती हुई आयी और उसके आगे गिर पड़ी और उसे पूरा हाल सच-सच बता दिया।” यीशु समझ गया कि यहोवा ने उसे ठीक किया है इसलिए उसने प्यार से कहा: “बेटी, तेरे विश्‍वास ने तुझे ठीक किया है। तंदुरुस्त रह और यह दर्दनाक बीमारी तुझे फिर कभी न हो।”—मर. 5:25-27, 30, 33, 34.

8 परमेश्‍वर की ताकत से यीशु ने बीमारों को तो चंगा किया ही, साथ ही देखनेवालों पर भी इसका ज़बरदस्त असर हुआ। मिसाल के लिए, जब यीशु ने अपने मशहूर पहाड़ी उपदेश से पहले बीमारों को ठीक किया, तो बेशक देखनेवाले हैरान रह गए होंगे। (लूका 6:17-19) जब यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले ने अपने दो चेलों को यीशु के बारे में यह पता लगाने भेजा कि क्या वही मसीहा है तो उन्होंने देखा कि ‘यीशु बहुत-से लोगों की बीमारियाँ और दर्दनाक रोगों को दूर कर रहा है और लोगों में समाए दुष्ट स्वर्गदूतों को निकाल रहा है और बहुत-से अंधों को आँखों की रौशनी दे रहा है।’ यीशु ने उन दो चेलों से कहा: “जाओ और जो तुमने देखा और सुना है उसकी खबर यूहन्‍ना को दो: अंधे आँखों की रौशनी पा रहे हैं, लंगड़े चल-फिर रहे हैं, कोढ़ी शुद्ध किए जा रहे हैं, बहरे सुन रहे हैं, मरे हुओं को ज़िंदा किया जा रहा है और गरीबों को खुशखबरी सुनायी जा रही है।” (लूका 7:19-22) यह संदेश पाकर यूहन्‍ना को कितनी हिम्मत मिली होगी!

9. यीशु के चमत्कार किस बात की झलक थे?

9 यह सच है कि यीशु ने कई लोगों को राहत पहुँचायी, लेकिन उसका फायदा उन्हें कुछ समय के लिए ही मिला, क्योंकि जिन लोगों को उसने चंगा किया या दोबारा ज़िंदा किया, वे सभी मर गए। फिर भी यीशु ने धरती पर जो चमत्कार किए, वे इस बात की झलक थे कि उसके मसीहाई राज में मानवजाति को तकलीफों से हमेशा-हमेशा के लिए राहत मिलेगी।

जल्द ही पूरी धरती फिरदौस बन जाएगी

10, 11. (क) राज की आशीषें कब तक बनी रहेंगी और यीशु का राज कैसा होगा? (ख) फिरदौस में मसीह के साथ कौन होगा और हमेशा तक जीने के लिए उसे क्या करना होगा?

10 ज़रा कल्पना कीजिए कि फिरदौस बनी इस धरती पर ज़िंदगी कैसी होगी। (भजन 72:5-9 पढ़िए।) बाइबल कहती है, जब तक सूरज और चाँद बने रहेंगे तब तक सच्चे परमेश्‍वर के उपासक धरती पर ज़िंदगी का लुत्फ उठाएँगे यानी हमेशा-हमेशा तक! राजा यीशु मसीह लोगों को ऐसी ताज़गी देगा जैसे ‘घास की खूंटी पर बरसनेवाला मेंह, और भूमि सींचनेवाली झड़ियां’ होती हैं।

11 जब आप मन की आँखों से इस भजन में लिखी बातें पूरी होते देखते हैं तो यह आशा आपके दिल में कितनी उमंग और जोश भर देती होगी कि आप इस धरती पर हमेशा-हमेशा तक जीएँगे! जी हाँ, यीशु के साथ लटकाया गया वह मुजरिम वाकई उमंग से भर गया होगा जब यीशु ने उससे कहा: “तू मेरे साथ फिरदौस में होगा।” (लूका 23:43) यीशु के हज़ार साल के राज के दौरान उसे फिर से ज़िंदगी मिलेगी। अगर वह खुद को मसीह की हुकूमत के अधीन करेगा तो वह अच्छी सेहत का आनंद उठाते हुए हमेशा तक जीएगा।

12. नयी दुनिया में दोबारा ज़िंदा किए गए बुरे लोगों को क्या मौका दिया जाएगा?

12 महान सुलैमान यीशु मसीह के राज में “धर्मी फूले फलेंगे।” (भज. 72:7) यीशु ठीक उसी तरह लोगों को ढेर सारा प्यार देगा और परवाह दिखाएगा जैसा उसने धरती पर रहते वक्‍त किया था। परमेश्‍वर की वादा की गयी नयी दुनिया में, ज़िंदा किए गए “बुरे” लोगों को भी मौका दिया जाएगा कि वे यहोवा के स्तरों के मुताबिक चलकर हमेशा की ज़िंदगी का आनंद लें। (प्रेषि. 24:15) लेकिन जो लोग परमेश्‍वर के स्तरों पर नहीं चलेंगे उनका नाश कर दिया जाएगा ताकि वे नयी दुनिया की सुख-शांति भंग न कर सकें।

13. मसीह का राज कितनी दूर तक फैला होगा और उसकी शांति क्यों कभी भंग नहीं होगी?

13 धरती पर महान सुलैमान का राज कितनी दूर तक फैला होगा, वह इन शब्दों से ज़ाहिर होता है: “वह समुद्र से समुद्र तक और महानद [फरात] से पृथ्वी की छोर तक प्रभुता करेगा। उसके साम्हने जंगल के रहनेवाले घुटने टेकेंगे, और उसके शत्रु मिट्टी चाटेंगे।” (भज. 72:8, 9) जी हाँ, यीशु मसीह का राज पूरी धरती पर होगा। (जक. 9:9, 10) उसकी हुकूमत और उसकी आशीषों की कदर करनेवाले खुशी-खुशी अधीनता दिखाते हुए “घुटने टेकेंगे।” दूसरी तरफ, ढीठ पापी “मिट्टी चाटेंगे” यानी उनका पूरी तरह नाश कर दिया जाएगा, फिर चाहे वे “सौ वर्ष” के ही क्यों न हों।—यशा. 65:20.

हमारे लिए हमदर्दी

14, 15. हम कैसे जानते हैं कि यीशु इंसानों की भावनाएँ समझता है और वह “दुःखी और असहाय मनुष्य का उद्धार करेगा”?

14 हम पापी इंसानों की हालत बड़ी दयनीय है और हमें जल्द-से-जल्द मदद की ज़रूरत है। लेकिन फिर भी हमारे पास आशा की किरण है। (भजन 72:12-14 पढ़िए।) क्योंकि महान सुलैमान यीशु जानता है कि हम असिद्ध हैं इसलिए वह हमारा दर्द समझता है। सबसे बड़ी बात यह है कि उसने अपनी नेकी की वजह से खुद बहुत दुख उठाए और यहोवा ने भी उसे उन हालात से गुज़रने दिया। यीशु को इतनी मानसिक वेदना सहनी पड़ी कि “उसका पसीना खून की बूँदें बनकर ज़मीन पर” गिरा। (लूका 22:44) आखिर में जब उसे सूली पर चढ़ाया गया तो वह चिल्ला उठा: “मेरे परमेश्‍वर, मेरे परमेश्‍वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया है?” (मत्ती 27:45, 46) शैतान ने यीशु को परमेश्‍वर से अलग करने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा दिया मगर हर दुख सहकर भी यीशु यहोवा का वफादार रहा।

15 हम भरोसा रख सकते हैं कि यीशु हमारा दर्द समझता है और “वह दोहाई देनेवाले दरिद्र का, और दुःखी और असहाय मनुष्य का उद्धार करेगा।” अपने पिता की तरह यीशु प्यार-भरी परवाह के साथ ‘दरिद्रों की ओर कान लगाएगा’ और ‘खेदित मनवालों को चंगा करेगा और उनके शोक पर मरहम-पट्टी बान्धेगा।’ (भज. 69:33; 147:3) यीशु “हमारी कमज़ोरियों में हमसे हमदर्दी” रख सकता है क्योंकि उसकी “हमारी तरह सब बातों में परीक्षा हुई” है। (इब्रा. 4:15) यह जानकर कितनी खुशी होती है कि राजा यीशु मसीह ने स्वर्ग में हुकूमत शुरू कर दी है और इंसानों को राहत पहुँचाने के लिए वह बेकरार है!

16. सुलैमान क्यों अपनी प्रजा के दुखों को समझ सका?

16 सुलैमान के पास बुद्धि और समझ थी इसलिए इसमें शक नहीं कि उसने ‘दरिद्रों पर तरस खाया।’ इसके अलावा उसे अपनी ज़िंदगी में एक-के-बाद-एक कई दर्दनाक हादसों से गुज़रना पड़ा। उसके भाई अम्नोन ने उसकी बहन तामार का बलात्कार किया और उसके दूसरे भाई अबशालोम ने इस जुर्म के लिए अम्नोन का कत्ल कर दिया। (2 शमू. 13:1, 14, 28, 29) अबशालोम ने दाविद की राजगद्दी हथिया ली, मगर बाज़ी पलटी और वह योआब के हाथों मारा गया। (2 शमू. 15:10, 14; 18:9, 14) आगे चलकर सुलैमान के एक और भाई अदोनिय्याह ने उसकी राजगद्दी छीनने की कोशिश की। अगर अदोनिय्याह कामयाब हो जाता तो वह ज़रूर सुलैमान को मौत के घाट उतार देता। (1 राजा 1:5) सुलैमान इंसानों का दुख समझता था, यह बात उसकी प्रार्थना से ज़ाहिर होती है, जो उसने यहोवा के मंदिर के उद्‌घाटन के समय की थी। उसने अपनी प्रजा के लिए प्रार्थना की: ‘हर मनुष्य अपना अपना दुःख और अपना अपना खेद जानता है, तू यहोवा उन्हें क्षमा करना, और एक एक के मन की जानकर उसकी चाल के अनुसार उसे फल देना।’—2 इति. 6:29, 30.

17, 18. यहोवा के कुछ सेवकों को किस दर्द से गुज़रना पड़ा और धीरज धरने में किस बात ने उनकी मदद की?

17 शायद हमारी ज़िंदगी में कुछ ऐसे अनुभव हुए हों, जिन्हें याद करके हम बहुत दुखी हो जाते हैं। करीब पैंतीस साल की यहोवा की एक साक्षी मीना, * लिखती है: “मुझे किसी चीज़ की कमी नहीं है, लेकिन जब भी मुझे अपना बीता कल याद आता है मैं बहुत शर्मिंदा महसूस करती हूँ और मुझे खुद से घिन आती है। मैं बहुत मायूस हो जाती हूँ और रोने लगती हूँ, ऐसा लगता है कि सबकुछ कल की ही बात है। पुरानी यादें जो मेरी रग-रग में बसी हैं, वे आज भी मुझे एहसास कराती हैं कि मैं किसी लायक नहीं हूँ और मेरा ज़मीर मुझे कचोटता है।”

18 यहोवा के बहुत-से सेवक ऐसी ही भावनाओं से गुज़रते हैं लेकिन क्या बात उन्हें धीरज धरने में मदद देती है? मीना कहती है: “अब मैं जिस आध्यात्मिक परिवार का हिस्सा हूँ, वहाँ मुझे सच्चे दोस्त मिले हैं जिनका साथ मुझे खुशी देता है। . . . यहोवा भविष्य में जो आशीषें देनेवाला है, मैं खासकर उन पर ध्यान देने की कोशिश करती हूँ। मुझे पूरा यकीन है कि मेरे गम के आँसू खुशी के आँसुओं में बदल जाएँगे।” (भज. 126:5) परमेश्‍वर ने अपने ठहराए राजा यानी अपने बेटे के ज़रिए जो इंतज़ाम किया है हमें उसी पर अपनी आशा रखने की ज़रूरत है। उसके बारे में कहा गया: “वह कंगाल और दरिद्र पर तरस खाएगा, और दरिद्रों के प्राणों को बचाएगा। वह उनके प्राणों को अन्धेर और उपद्रव से छुड़ा लेगा; और उनका लोहू उसकी दृष्टि में अनमोल ठहरेगा।” (भज. 72:13, 14) इससे कितना हौसला मिलता है!

नयी दुनिया में खाने-पीने की कोई कमी नहीं होगी

19, 20. (क) जैसा कि भजन 72 में बताया गया है परमेश्‍वर के राज में कौन-सी समस्या हल हो जाएगी? (ख) मसीह के राज में मिलनेवाली आशीषों का श्रेय किसे जाना चाहिए? उस राज की आशीषों के बारे में आप कैसा महसूस करते हैं?

19 एक बार फिर अपनी मन की आँखों से आनेवाले समय को देखने की कोशिश कीजिए, जब महान सुलैमान के अधीन परमेश्‍वर की नयी दुनिया में नेक लोग जीएँगे। हमसे वादा किया गया है कि “देश में पहाड़ों की चोटियों पर बहुत सा अन्‍न होगा।” (भज. 72:16) आमतौर पर पहाड़ों पर अनाज नहीं उगता, लेकिन ये शब्द दिखाते हैं यह धरती कितनी उपजाऊ हो जाएगी। उस वक्‍त फसल बहुतायत में होगी, ठीक जैसे सुलैमान के राज में “लबानोन” इलाके में हुआ करती थी। वह क्या ही समा होगा! खाने की कोई कमी नहीं होगी और सबको भरपेट पौष्टिक आहार मिलेगा! सभी ‘भांति भांति के चिकने भोजन’ का आनंद लेंगे।—यशा. 25:6-8; 35:1, 2.

20 इन सारी आशीषों का श्रेय किसे मिलना चाहिए? सबसे पहले हमारे अनंत राजा और इस विश्‍व के मालिक यहोवा परमेश्‍वर को। दरअसल उस समय हम सभी मिलकर भजन 72 की इन खूबसूरत आखिरी आयतों को दिल से गाएँगे: राजा यीशु मसीह का “नाम सदा सर्वदा बना रहेगा; जब तक सूर्य बना रहेगा, तब तक उसका नाम नित्य नया होता रहेगा, और लोग अपने को उसके कारण धन्य गिनेंगे, सारी जातियां उसको भाग्यवान कहेंगी। धन्य है, यहोवा परमेश्‍वर जो इस्राएल का परमेश्‍वर है; आश्‍चर्य कर्म केवल वही करता है। उसका महिमायुक्‍त नाम सर्वदा धन्य रहेगा; और सारी पृथ्वी उसकी महिमा से परिपूर्ण होगी। आमीन फिर आमीन।”—भज. 72:17-19.

[फुटनोट]

^ नाम बदल दिया गया है।

आप क्या जवाब देंगे?

भजन 72 की भविष्यवाणी में किस बात की झलक मिलती है?

• महान सुलैमान कौन है और उसका राज कहाँ तक फैला होगा?

भजन 72 में बतायी आशीषों में से कौन-सी आशीष आपके दिल को भा गयी?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 29 पर तसवीर]

सुलैमान के राज की खुशहाली किस बात की झलक थी?

[पेज 32 पर तसवीर]

महान सुलैमान के राज में ज़िंदगी पाने के लिए हम जो कोशिश करते हैं, वह बेकार नहीं जाएगी