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प्रार्थना किससे करें?

प्रार्थना किससे करें?

कई लोगों का मानना है कि आप चाहे किसी से भी प्रार्थना करें, ऊपरवाला हर किसी की प्रार्थनाएँ सुनता है। उन्हें लगता है कि आप किसी भी धर्म को मानें, सारे रास्ते ईश्‍वर की ओर ले जाते हैं। लेकिन क्या यह बात सच है?

बाइबल में बताया गया है कि बहुत-से लोगों की प्रार्थनाएँ नहीं सुनी जातीं। बीते ज़माने में लोग मूर्तियों से प्रार्थना करते थे। लेकिन यह बात परमेश्‍वर को बिलकुल भी नहीं पसंद थी। बाइबल में लिखा है, ‘उनके कान हैं पर वे सुन नहीं सकतीं।’ (भजन 115:4-6) तो आपको क्या लगता है, क्या ऐसे ईश्‍वरों से प्रार्थना करने का कोई फायदा है जो हमारी सुन ही नहीं सकते?

बाइबल के एक किससे से यह बात हम और भी अच्छी तरह समझ पाते हैं। यह उस वक्‍त की बात है जब कुछ लोग बाल नाम के देवता को पूजने लगे थे। सच्चे परमेश्‍वर के भविष्यवक्‍ता एलियाह ने बाल देवता के भविष्यवक्‍ताओं से कहा कि वे अपने देवता को पुकारें और एलियाह अपने परमेश्‍वर को पुकारेगा। एलियाह ने उनसे कहा कि जो उनकी प्रार्थना सुनेगा वही सच्चा परमेश्‍वर है। बाल देवता के भविष्यवक्‍ताओं ने दिन-भर चिल्ला-चिल्लाकर उसे पुकारा। मगर कोई फायदा नहीं हुआ। बाइबल में लिखा है, ‘उन्हें कोई जवाब नहीं मिला, उन पर ध्यान देनेवाला कोई न था।’ (1 राजा 18:29) अब एलियाह की बारी थी। क्या परमेश्‍वर ने उसकी प्रार्थना सुनी?

जब एलियाह ने प्रार्थना की, तो परमेश्‍वर ने उसकी प्रार्थना तुरंत सुनी। परमेश्‍वर ने स्वर्ग से आग भेजी और एलियाह की भेंट को कबूल किया। उसकी प्रार्थना क्यों सुनी गयी? हालाँकि एलियाह की प्रार्थना बहुत छोटी थी, इब्रानी भाषा में उसने सिर्फ 30 शब्द ही कहे, लेकिन गौर कीजिए कि उसने अपनी प्रार्थना में तीन बार परमेश्‍वर का नाम यहोवा लिया।—1 राजा 18:36, 37.

बाल कनान देश का देवता हुआ करता था। बाल शब्द का मतलब है, “मालिक।” उस ज़माने के अलग-अलग इलाकों के छोटे-मोटे देवताओं को भी बाल कहा जाता था। लेकिन जहाँ तक परमेश्‍वर यहोवा की बात है, पूरे जहान में सिर्फ एक ही शख्स का नाम यहोवा है। उसने अपने लोगों से कहा था, “मैं यहोवा हूँ, यही मेरा नाम है। मैं अपनी महिमा किसी और को न दूँगा।”​—यशायाह 42:8.

ऐसा क्यों हुआ कि एलियाह की प्रार्थना सुनी गयी, लेकिन बाल के भविष्यवक्‍ताओं की नहीं सुनी गयी? बाल की उपासना करते वक्‍त उसके भक्‍त अनैतिक काम करते थे और इंसानों की बलि भी चढ़ाते थे। लेकिन यहोवा नहीं चाहता था कि उसके सेवक गलत काम करें। वह चाहता था कि उसके सेवक अच्छे काम करें, तभी वह उनकी उपासना कबूल करता। हमारी प्रार्थनाएँ सिर्फ तभी सुनी जाएँगी जब हम परमेश्‍वर यहोवा का नाम लेकर उससे प्रार्थना करेंगे। ज़रा सोचिए, अगर आप अपने एक खास दोस्त को चिट्ठी लिखना चाहते हैं, तो क्या आप किसी और के नाम पर चिट्ठी भेजेंगे? बिलकुल नहीं। ऐसे तो आपकी चिट्ठी कभी पहुँचेगी ही नहीं।

एलियाह और बाल के भविष्यवक्‍ताओं के किस्से से पता चलता है कि अगर हम सच्चे परमेश्‍वर से प्रार्थना करें, तभी हमारी प्रार्थनाएँ सुनी जाएँगी

अगर आप यहोवा से प्रार्थना करें, तो दरअसल आप इस पूरे जहान के मालिक और सृष्टिकर्ता से प्रार्थना कर रहे होंगे। * परमेश्‍वर के एक सेवक यशायाह ने प्रार्थना में कहा, “हे यहोवा, तू हमारा पिता है।” (यशायाह 63:16) यीशु भी यहोवा को अपना पिता कहता था। जब यीशु ने अपने शिष्यों से कहा कि “मैं अपने पिता और तुम्हारे पिता और अपने परमेश्‍वर और तुम्हारे परमेश्‍वर के पास ऊपर जा रहा हूँ,” तो वह यहोवा की ही बात कर रहा था। (यूहन्‍ना 20:17) यीशु यहोवा से ही प्रार्थना करता था और उसने अपने शिष्यों को भी सिखाया कि वे यहोवा से प्रार्थना करें।​—मत्ती 6:9.

क्या हमें यीशु, मरियम, संतों या स्वर्गदूतों से प्रार्थना करनी चाहिए? नहीं। बाइबल कहती है कि हमें सिर्फ परमेश्‍वर यहोवा से प्रार्थना करनी चाहिए। वह इसलिए कि प्रार्थना उपासना का भाग है और बाइबल कहती है कि हमें सिर्फ और सिर्फ यहोवा की ही उपासना करनी चाहिए। (निर्गमन 20:5) इसकी एक और वजह यह है कि बाइबल में यहोवा को ‘प्रार्थनाओं का सुननेवाला’ कहा गया है। (भजन 65:2) हालाँकि यहोवा ने दूसरों को बहुत-सी ज़िम्मेदारियाँ दी हैं, लेकिन हमारी प्रार्थनाएँ सुनने का काम उसने किसी और को नहीं दिया है। वह खुद हमारी प्रार्थनाएँ सुनता है।

अगर आप चाहते हैं कि परमेश्‍वर आपकी प्रार्थनाएँ सुने, तो शास्त्र में लिखी इस बात का हमेशा ध्यान रखिए, “जो कोई यहोवा का नाम पुकारता है वह उद्धार पाएगा।” (प्रेषितों 2:21) लेकिन क्या यहोवा सभी प्रार्थनाएँ सुनता है? अगर हम चाहते हैं कि यहोवा हमारी प्रार्थनाएँ सुने, तो हमें किस बात का ध्यान रखना होगा?

^ पैरा. 9 कुछ धर्म गुरु सिखाते हैं कि परमेश्‍वर का नाम लेना गलत है। वे कहते हैं कि हमें प्रार्थना करते वक्‍त भी परमेश्‍वर का नाम नहीं लेना चाहिए। लेकिन जब शुरू में बाइबल लिखी गयी थी, तो परमेश्‍वर ने उसमें अपना नाम 7,000 से भी ज़्यादा बार लिखवाया था। बाइबल में परमेश्‍वर के कई सेवकों की प्रार्थनाएँ और भजन दर्ज़ हैं जिनमें परमेश्‍वर का नाम यहोवा पाया जाता है।