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प्रार्थना कब और कहाँ करें?

प्रार्थना कब और कहाँ करें?

आपने ज़रूर देखा होगा कि ज़्यादातर धर्मों के लोग किसी खास जगह या खास वक्‍त पर प्रार्थना करते हैं। लेकिन क्या बाइबल भी यही सिखाती है कि हमें किसी खास जगह या वक्‍त पर प्रार्थना करनी चाहिए?

बाइबल में लिखा है कि ऐसे कुछ वक्‍त हैं जब हम प्रार्थना कर सकते हैं। जैसे यीशु ने खाना खाने से पहले अपने शिष्यों के साथ प्रार्थना की थी और परमेश्‍वर का धन्यवाद किया था। (लूका 22:17) जब यीशु के शिष्य उपासना के लिए इकट्ठा होते थे, तब भी वे प्रार्थना करते थे। ऐसा करके वे उस रिवाज़ को मान रहे थे, जो यहूदियों के सभा-घरों और यरूशलेम के मंदिर में सालों से माना जा रहा था। परमेश्‍वर चाहता था कि जहाँ लोग उपासना के लिए इकट्ठा होते हैं, वह “सब राष्ट्रों के लिए प्रार्थना का घर” हो।​—मरकुस 11:17.

जब परमेश्‍वर के सेवक इकट्ठा होते हैं और उसकी मरज़ी के मुताबिक प्रार्थना करते हैं, तो परमेश्‍वर उनकी ज़रूर सुनता है। वे प्रार्थना में जो माँगते हैं, यहोवा उन्हें वे देने के लिए तैयार हो जाता है, फिर शायद उसने ऐसा करने की सोची न हो। (इब्रानियों 13:18, 19) यहोवा के साक्षी अपनी सभा की शुरूआत और आखिर में प्रार्थना करते हैं। आप भी उनकी सभा में जाकर देख सकते हैं कि वे किस तरह प्रार्थना करते हैं।

बाइबल में यह नहीं लिखा है कि हमें किसी खास जगह या किसी खास वक्‍त पर परमेश्‍वर से बिनती करनी चाहिए। इसमें लिखा है कि परमेश्‍वर के सेवकों ने अलग-अलग जगह और अलग-अलग वक्‍त पर उससे प्रार्थना की। यीशु ने कहा था, “जब तू प्रार्थना करे, तो अकेले अपने घर के कमरे में जा और दरवाज़ा बंद कर और अपने पिता से जिसे कोई नहीं देख सकता, प्रार्थना कर। तब तेरा पिता जो तेरा हर काम देख रहा है, तुझे इसका फल देगा।”​—मत्ती 6:6.

हम कहीं भी और किसी भी वक्‍त प्रार्थना कर सकते हैं

ज़रा सोचिए, आप सारे जहान के मालिक यहोवा से किसी भी वक्‍त बात कर सकते हैं! अगर आप उससे अकेले में भी बात करें, तब भी वह आपकी सुनेगा। यीशु ने भी कई बार अकेले में परमेश्‍वर से प्रार्थना की। एक बार जब उसे एक अहम फैसला लेना था, तब उसने पूरी रात परमेश्‍वर से बात की।​—लूका 6:12, 13.

बाइबल में लिखा है कि जब परमेश्‍वर के सेवकों को कोई बड़ा फैसला लेना था या वे किसी मुश्‍किल हालात से गुज़र रहे थे, तो उन्होंने प्रार्थना की। कई बार उन्होंने ज़ोर से प्रार्थना की, तो कई बार मन में। कई बार उन्होंने दूसरों के साथ मिलकर प्रार्थना की, तो कई बार अकेले में। यह बात मायने नहीं रखती कि उन्होंने किस तरह प्रार्थना की, बल्कि यह बात मायने रखती है कि उन्होंने परमेश्‍वर से बात की। परमेश्‍वर चाहता है कि हम उससे प्रार्थना करें, इसलिए उसने बाइबल में लिखवाया है, “लगातार प्रार्थना करते रहो।” (1 थिस्सलुनीकियों 5:17) परमेश्‍वर के सेवक चाहे कितनी ही बार उससे प्रार्थना क्यों न करें, वह खुशी-खुशी उनकी सुनता है। सच में, परमेश्‍वर हमसे कितना प्यार करता है!

कई लोग सोचते हैं कि क्या प्रार्थना करने का कोई फायदा है। क्या आप भी ऐसा सोचते हैं?