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यहोवा के लिए गीत गाओ!

यहोवा के लिए गीत गाओ!

यहोवा के लिए गीत गाओ!

“जब तक मैं बना रहूंगा, तब तक मैं अपने परमेश्‍वर का भजन गाता रहूंगा।”—भज. 146:2.

1. दाविद को किस बात ने गीत लिखने के लिए उभारा?

 दाविद जब जवान था तब अपने पिता की भेड़ों की रखवाली करते समय, बेतलेहेम के मैदानों में न जाने उसने कितने घंटे बिताए होंगे। इस दौरान उसने शायद यहोवा की बेमिसाल कारीगरी को बड़े गौर से देखा होगा। उसने आसमान में दूर-दूर तक फैले सितारों को, खुले मैदानों में ‘वनपशुओं’ को, तो कभी ‘आकाश के पक्षियों’ को निहारा होगा। ऐसी खूबसूरत कारीगरी दाविद के दिल को इस कदर छू गयी कि इनके बनानेवाले की स्तुति में उसने कई गीत रच दिए, ऐसे गीत जो दिल के तार झनझना दें। दाविद के लिखे बहुत-से गीत, भजन की किताब में पाए जाते हैं। *भजन 8:3, 4, 7-9 पढ़िए।

2. (क) लोगों पर संगीत का क्या असर हो सकता है? उदाहरण दीजिए। (ख) भजन 34:7, 8 और 139:2-8 को पढ़कर दाविद और यहोवा के रिश्‍ते के बारे में क्या पता चलता है?

2 शायद इसी समय के दौरान, संगीतकार के तौर पर दाविद के हुनर में और निखार आया होगा। वह इतना कुशल बन गया कि राजा शाऊल ने उसके लिए वीणा बजाने को बुलाया। (नीति. 22:29) परेशान राजा के दिल को दाविद के गीतों से बड़ा सुकून मिला, जैसा कि आज भी अच्छे गीतों से मिलता है। जब भी दाविद अपना साज़ उठाता, “शाऊल चैन पाकर अच्छा हो जाता था।” (1 शमू. 16:23) परमेश्‍वर का भय माननेवाले उस गीतकार और संगीतकार के गीतों की अहमियत आज भी कम नहीं हुई है। ज़रा सोचिए, दाविद के जन्म के 3,000 से भी ज़्यादा सालों बाद आज भी, हर राष्ट्र के लाखों लोग दिलासा और आशा पाने के लिए नियमित रूप से उसके लिखे भजन पढ़ते हैं।—2 इति. 7:6; भजन 34:7, 8; 139:2-8 पढ़िए; आमो. 6:5.

सच्ची उपासना में संगीत की खास जगह

3, 4. दाविद के दिनों में यहोवा की स्तुति में गीत गाने के लिए क्या इंतज़ाम किया गया?

3 दाविद के पास हुनर था और उसने वह हुनर सबसे बेहतरीन काम में लगाया यानी यहोवा की स्तुति करने में। इसराएल का राजा बनने के बाद दाविद ने निवासस्थान में अराधना के साथ-साथ संगीत का भी इंतज़ाम किया। परमेश्‍वर की सेवा में लगे अड़तीस हज़ार लेवियों में से करीब 4,000 लेवियों को “स्तुति करने के लिये” ठहराया गया और इनमें से 288 लेवी “यहोवा के गीत सीखे हुए और सब प्रकार से निपुण थे।”—1 इति. 23:3, 5; 25:7.

4 लेवियों ने जो गीत गाए उनमें से बहुत-से गीत खुद दाविद ने लिखे थे। और दाविद के भजन ज़रूर उन सभी इसराएलियों का दिल छू लेते होंगे जिनको भी वह सुनने का मौका मिलता होगा। आगे चलकर जब वाचा का संदूक यरूशलेम लाया गया, तो “दाऊद ने प्रधान लेवियों को आज्ञा दी, कि अपने भाई गवैयों को बाजे अर्थात्‌ सारंगी, वीणा और झांझ देकर बजाने और आनन्द के साथ ऊंचे स्वर से गाने के लिये नियुक्‍त करें।”—1 इति. 15:16.

5, 6. (क) दाविद के राज में संगीत को इतनी ज़्यादा अहमियत क्यों दी गयी थी? (ख) हम कैसे जानते हैं कि प्राचीन इसराएल में संगीत को उपासना में खास अहमियत दी जाती थी?

5 दाविद के दिनों में संगीत पर इतना ध्यान क्यों दिया गया? क्या सिर्फ इसलिए कि उनका राजा खुद एक कुशल संगीतकार था? जी नहीं। इसकी एक और वजह है, जिसका खुलासा सदियों बाद किया गया जब धर्मी राजा हिजकिय्याह ने मंदिर में दोबारा सेवा शुरू करवायी। दूसरे इतिहास 29:25 में हम पढ़ते हैं: “फिर उस ने [यानी हिजकिय्याह ने] दाऊद और राजा के दर्शी गाद, और नातान नबी की आज्ञा के अनुसार जो यहोवा की ओर से उसके नबियों के द्वारा आई थी, झांझ, सारंगियां और वीणाएं लिए हुए लेवियों को यहोवा के भवन में खड़ा किया।”

6 जी हाँ, अपने भविष्यवक्‍ताओं के ज़रिए यहोवा ने ही कहा था कि उसकी महिमा में गीत गाए जाएँ। इन लेवी गवैयों को तो उन ज़िम्मेदारियों से भी छूट दे दी गयी थी, जो आम तौर पर लेवियों को निभानी होती थीं। और ऐसा इसलिए ताकि वे गीतों को सुरों में पिरोने और इनका अभ्यास करने में अपना ज़्यादा-से-ज़्यादा वक्‍त दे सकें।—1 इति. 9:33.

7, 8. जहाँ तक राज-गीत गाने की बात है, इसमें कुशलता से ज़्यादा क्या बात मायने रखती है?

7 आप शायद कहें, “जहाँ तक गाने की बात है तो मैं उन कुशल गवैयों में कभी नहीं हो सकता था, जो निवासस्थान में गाते थे!” लेकिन गौर कीजिए कि सारे लेवी संगीतकार संगीत में निपुण या माहिर नहीं थे। पहले इतिहास 25:8 के मुताबिक उनमें कुछ ‘चेले’ भी थे। एक और बात गौरतलब है कि इसराएल के दूसरे गोत्रों में कुछ बड़े ही कुशल संगीतकार और गवैये थे, मगर यहोवा ने फिर भी संगीत का काम लेवियों के ज़िम्मे सौंपा। तो हम इस बात का यकीन रख सकते हैं कि इन वफादार लेवियों ने जब परमेश्‍वर की स्तुति में गीत गाए होंगे, तब क्या “गुरू” क्या ‘चेले,’ सभी ने पूरे दिल से सुर-में-सुर मिलाकर गाए होंगे।

8 दाविद को संगीत से प्यार था और वह इसमें कुशल भी था। लेकिन क्या सिर्फ कुशलता ही परमेश्‍वर के लिए मायने रखती है? भजन 33:3 (बुल्के बाइबल) में दाविद ने लिखा: “मन लगा कर वाद्य बजाओ।” इससे साफ हो जाता है: यहोवा के लिए जो बात मायने रखती है, वह यह है कि हम उसकी स्तुति “मन लगा कर” करें।

दाविद के दिनों के बाद संगीत की भूमिका

9. राजा सुलैमान के राज के दौरान अगर आप भी मंदिर के उद्‌घाटन के वक्‍त मौजूद होते, तो बताइए आपने क्या नज़ारा देखा और सुना होता।

9 राजा सुलैमान के राज में संगीत सच्ची उपासना का एक अहम हिस्सा रहा। जब उसने मंदिर का उद्‌घाटन किया, तब बड़ा ही ज़बरदस्त गाना-बजाना हुआ। उसमें काँसे या पीतल के बाजों में 120 तो सिर्फ तुरहियाँ थीं। (2 इतिहास 5:12 पढ़िए।) बाइबल कहती है कि “तुरहियां बजानेवाले [सभी याजक] और गानेवाले एक स्वर से यहोवा की स्तुति और धन्यवाद करने लगे, . . . कि वह भला है और उसकी करुणा सदा की है।” जैसे ही जय-जयकार की आवाज़ गूँजी, “यहोवा के भवन में बादल छा गया” जिससे ज़ाहिर हुआ कि यहोवा उससे खुश था। जब उन सारी तुरहियों की धुन पर हज़ारों गायकों ने एक साथ सुर मिलाकर गाया होगा तब उस संगीत से माहौल कैसे गूँज उठा होगा और लोगों में कैसी सिहरन दौड़ गयी होगी!—2 इति. 5:13.

10, 11. क्या बात दिखाती है कि पहली सदी के मसीही यहोवा की स्तुति में गीत गाते थे?

10 पहली सदी में भी यहोवा की स्तुति में गीत गाए जाते थे। लेकिन तब के उपासक निवासस्थानों या यहोवा के भवन में नहीं मिला करते थे, बल्कि अपने-अपने घरों में गाया करते थे। अत्याचार और दूसरी वजहों से अकसर उनका इकट्ठा होना खतरे से खाली नहीं था। फिर भी उन मसीहियों ने परमेश्‍वर की स्तुति में गीत गाए।

11 प्रेषित पौलुस ने कुलुस्सियों के भाइयों से गुज़ारिश करते हुए कहा: “भजन गाते, परमेश्‍वर का गुणगान करते और उपासना के मनभावने गीत गाते हुए, एक-दूसरे को . . . समझाते-बुझाते रहो।” (कुलु. 3:16) जब पौलुस और सीलास को जेल में डाल दिया गया तब वे “प्रार्थना कर रहे थे और भजन गाकर परमेश्‍वर का गुणगान कर रहे थे” जबकि उनके पास गीत-पुस्तक नहीं थी। (प्रेषि. 16:25) अगर आपको जेल में डाल दिया जाए तब आप मुँह-ज़बानी कितने राज-गीत गा सकेंगे?

12. हम अपने राज-गीतों के लिए कदर कैसे दिखा सकते हैं?

12 जैसा कि हमने देखा कि संगीत हमारी उपासना का अहम भाग है इसलिए हमें अपने आप से ये सवाल पूछने चाहिए: ‘क्या मैं इसके लिए कदरदानी दिखाता हूँ? क्या मैं समय पर सभाओं, सम्मेलनों, अधिवेशनों में आता हूँ ताकि भाई-बहनों के साथ मिलकर शुरूआती गीत गा सकूँ? और जब मैं गाता हूँ, तो क्या पूरे दिल से गाता हूँ? क्या मैं अपने बच्चों को सिखाता हूँ कि वे परमेश्‍वर की सेवा स्कूल और सेवा सभा के बीच, या जन-भाषण और प्रहरीदुर्ग अध्ययन के बीच में होनेवाले गीत को छोटा अंतराल न समझें और सिर्फ अपने पैरों की अकड़न दूर करने या दूसरी गैर-ज़रूरी वजहों से अपनी जगह छोड़कर न जाएँ?’ गीत हमारी उपासना का भाग है। जी हाँ, चाहे हम गाने में “निपुण” हों या सीखनेवाले, हम सब यहोवा के लिए गीत गा सकते हैं और गाना भी चाहिए!—2 कुरिंथियों 8:12 से तुलना कीजिए।

बदलता वक्‍त और बदलती ज़रूरत

13, 14. सभाओं में दिल खोलकर गाने की क्या अहमियत है? समझाइए।

13 करीब 100 से भी ज़्यादा साल पहले ज़ायंस वॉच टावर में एक वजह बतायी गयी थी कि हमारे राज-गीत क्यों बहुत अहमियत रखते हैं। उसमें लिखा था: “सच्चाई को परमेश्‍वर के लोगों के दिलो-दिमाग तक पहुँचाने का एक अच्छा तरीका है, सच्चाई के गीत गाना।” हमारे कई गीत बाइबल के वचनों पर आधारित हैं, इसलिए अगर हम उनके बोल याद करें तो यह सच्चाई को दिलो-दिमाग में बिठाने का एक बेहतरीन तरीका हो सकता है। अकसर जब लोग सभा में पहली बार आते हैं, तो देखा गया है कि वे दिल से गाए गए राज-गीतों को सुनकर बहुत प्रभावित हुए हैं।

14 सन्‌ 1869 की बात है। भाई सी. टी. रसल शाम को काम से घर लौट रहे थे जब उन्होंने बेसमैंट हॉल में गाने की आवाज़ सुनी। तब वे ज़िंदगी के उस मोड़ से गुज़र रहे थे, जब उन्हें लगा कि वे परमेश्‍वर के बार में सच्चाई कभी नहीं जान सकेंगे। इसलिए उन्होंने व्यापार में अपने आपको पूरी तरह यह सोचकर लगा दिया कि अगर वे आध्यात्मिक तौर पर लोगों की कुछ मदद नहीं कर सके तो कम-से-कम उनकी शारीरिक ज़रूरतें तो पूरी करने के काबिल बनें। भाई एक धूल-भरे गंदे हॉल में गए तो देखा कि वहाँ धार्मिक कार्यक्रम चल रहा है। वह भी बैठकर सुनने लगे। उन्होंने बाद में लिखा कि उस शाम को उन्होंने जो भी सुना, वह परमेश्‍वर के वचन बाइबल पर उनके कमज़ोर विश्‍वास को मज़बूत करने के लिए काफी था और यह परमेश्‍वर की मदद से ही हो सका।” गौर कीजिए कि भाई रसल को जिस बात ने पहले आकर्षित किया वह थी, गीत।

15. किन बदलावों की वजह से एक नयी गीत-पुस्तक छापने की ज़रूरत पड़ी?

15 जैसे-जैसे समय गुज़रा है, बाइबल के बारे में हमारी समझ और बढ़ी है। नीतिवचन 4:18 कहता है: “धर्मियों की चाल उस चमकती हुई ज्योति के समान है, जिसका प्रकाश दोपहर तक अधिक अधिक बढ़ता रहता है।” समझ बढ़ी तो इसका असर ‘सच्चाई के गीतों’ पर भी हुआ जिससे उसमें फेरबदल करने की ज़रूरत आन पड़ी। पिछले 25 सालों से कई देशों में यहोवा के साक्षी सिंग प्रेज़ेज़ टू जेहोवा गीत-पुस्तक से गा रहे थे। * अँग्रेज़ी में इस पुस्तक के छपने के बाद से कई विषयों पर समझ और बढ़ी है और उनमें दी गयी कई अभिव्यक्‍तियों का अब इस्तेमाल भी नहीं होता। मसलन, अब “न्यू ऑर्डर” न कहकर “न्यू वर्ल्ड” कहा जाता है। तो साफ है कि बाइबल की शिक्षाओं को मद्देनज़र रखते हुए एक नयी गीत-पुस्तक छापने की ज़रूरत पड़ी।

16. हमारा नया गीत ब्रोशर हमें इफिसियों 5:19 में दी पौलुस की सलाह को लागू करने में कैसे मदद देगा?

16 इस वजह से और दूसरी कई वजहों से शासी निकाय ने एक नयी गीत-पुस्तक सिंग टू जेहोवा (या, हिंदी में यहोवा के लिए गीत गाओ ब्रोशर) छापने की इजाज़त दी। अँग्रेज़ी गीत-पुस्तक में अब एक सौ पैंतीस गीत हैं और हिंदी में पचपन। हम आपको बढ़ावा देते हैं कि आप कम-से-कम कुछ नए गीतों के बोल याद करने की कोशिश करें। यह सलाह इफिसियों 5:19 (पढ़िए) में दी गयी है।

आप कदरदानी दिखा सकते हैं

17. जब सभाओं में गाने की बात आती है तो क्या बात हमें अपनी शर्म और डर पर काबू पाने में मदद दे सकती है?

17 क्या हमें सिर्फ शर्म या डर की वजह से सभाओं में गीत नहीं गाने चाहिए? ज़रा इस पर गौर कीजिए: जब बातचीत का मामला आता है तो क्या यह सच नहीं कि “हम सब कई बार गलती करते हैं”? (याकू. 3:2) लेकिन फिर भी हम यहोवा की महिमा के लिए घर-घर की प्रचार सेवा बंद नहीं करते। तो फिर उसकी महिमा के लिए हम गीत गाना क्यों बंद कर दें, सिर्फ इसलिए कि हम ठीक से गा नहीं सकते? यहोवा जिसने “मनुष्य का मुंह . . . बनाया है,” उसे बड़ी खुशी होती है जब वह हमारे मुँह से अपनी महिमा सुनता है।—निर्ग. 4:11.

18. गीतों को याद करने के कुछ सुझाव दीजिए।

18 सिंग टू जेहोवा—वोकल रेन्डीशन्स यह सीडी भारतीय भाषाओं में तो नहीं, पर अँग्रेज़ी और दूसरी कई भाषाओं में मुहैया करायी गयी है। इसमें नए गीतों को साज़ों और सुरों में बड़े खूबसूरत ढंग से पिरोया गया है, जिन्हें सुनने का अपना ही मज़ा है। आप पियानो धुनवाली सीडी भी सुनने की आदत बनाइए। जब आप धुन सुनते हैं तो क्यों न उसके साथ-साथ गाने का भी अभ्यास करें? इससे आप गीतों को मुँह-ज़ुबानी याद कर पाएँगे। कई गानों के बोल इस तरह लिखे गए हैं कि जब आप एक लाइन गाते हैं तो आपको खुद-ब-खुद पता चल जाता है कि अगली लाइन क्या होगी। इस तरह जब आप घर पर धुनों और गीतों से वाकिफ होंगे तो सभाओं में पूरे विश्‍वास के साथ गा सकेंगे।

19. साज़ों पर बजायी जानेवाली राज-गीतों की धुनें तैयार करने के लिए क्या-क्या किया जाता है?

19 खास सम्मेलन दिनों, सर्किट सम्मेलनों और अधिवेशनों में बजाए जानेवाले संगीत पर अकसर इतना ध्यान नहीं दिया जाता। लेकिन इसकी तैयारी में बहुत मेहनत लगती है। सबसे पहले एक संगीत का चुनाव किया जाता है। फिर बड़े ध्यान से वॉचटावर के 64 सदस्यवाले ऑर्केस्ट्रा के लिए अलग-अलग साज़ बजाने के नोट्‌स लिखे जाते हैं। इसके बाद संगीतकार नोट्‌स का अभ्यास करने में अनगिनत घंटे बिताते हैं और आखिर में वह संगीत न्यू यॉर्क पैटर्सन के स्टूडियो में रिकॉर्ड किया जाता है। इनमें से दस भाई-बहन अमरीका के नहीं हैं। लेकिन ये सभी इन खास अवसरों के लिए एक सुरीला संगीत तैयार करना बड़े सम्मान की बात समझते हैं। हम उनके प्यार और मेहनत से तैयार किए गए संगीत के लिए कैसे कदरदानी दिखा सकते हैं? जब हमारे सम्मेलन और अधिवेशनों में चैयरमैन हमें संगीत का आनंद लेने का बढ़ावा देते हैं तो हमें तुरंत अपनी-अपनी जगह पर बैठ जाना चाहिए और चुपचाप उस संगीत का मज़ा लेना चाहिए।

20. आपने क्या करने की ठान ली है?

20 जब हम यहोवा की स्तुति में गीत गाते हैं तो वह उन्हें सुनता है। वे गीत उसके लिए अहमियत रखते हैं। जब भी हम उपासना के लिए मिलते हैं तो पूरे मन से गीत गाकर हम यहोवा का दिल खुश कर सकते हैं। जी हाँ, चाहे हम गाने में कुशल हों या न हों, आइए हम सभी ‘यहोवा के लिए गीत गाएँ।’—भज. 104:33.

[फुटनोट]

^ दिलचस्पी की बात है कि दाविद की मौत के दस दशक बाद स्वर्गदूतों की एक फौज ने मसीहा के जन्म के बारे में चरवाहों को खबर दी, जो बेतलेहेम के पास के मैदानों में अपनी भेड़ों की रखवाली कर रहे थे।—लूका 2:4, 8, 13, 14.

^ यह गीत-पुस्तक 100 से भी ज़्यादा भाषाओं में छापी गयी, जिसमें कुल 225 गीत थे। मगर हिंदी का गीत-ब्रोशर यहोवा के भजन गाओ में केवल 29 गीत थे जो 11 साल पहले छापा गया था।

क्या आपको याद है?

• बाइबल के कौन-से उदाहरण दिखाते हैं कि हमारी उपासना में संगीत की खास भूमिका है?

मत्ती 22:37 में दी यीशु की आज्ञा मानने और राज-गीतों को दिल से गाने के बीच क्या नाता है?

• हम अपने राज-गीतों के लिए सही तरीके से कदरदानी कैसे दिखा सकते हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 23 पर तसवीर]

क्या आप बच्चों को समझाते हैं कि वे गीत के दौरान बेवजह अपनी जगह से उठकर न जाएँ?

[पेज 24 पर तसवीर]

क्या आप घर में नए गीतों के बोल याद कर रहे हैं?