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पूरे दिल से धार्मिकता से प्यार कीजिए

पूरे दिल से धार्मिकता से प्यार कीजिए

पूरे दिल से धार्मिकता से प्यार कीजिए

‘तू ने धर्म से प्रीति रखी है।’—भज. 45:7.

1. “धर्म के मार्गों” पर चलने के लिए क्या बात हमारी मदद करेगी?

 अपने वचन और पवित्र शक्‍ति के ज़रिए यहोवा अपने लोगों को “धर्म के मार्गों” पर ले चलता है। (भज. 23:3) लेकिन असिद्ध होने की वजह से हम कई बार उस मार्ग से भटक जाते हैं। दोबारा सही रास्ते पर चलने के लिए हमें पक्का इरादा और मेहनत करने की ज़रूरत होगी। तो कामयाब होने में क्या बात हमारी मदद करेगी? यीशु की तरह हमें भी सही बातों से प्रीति रखनी होगी।भजन 45:7 पढ़िए।

2. ‘धर्म के मार्ग’ क्या हैं?

2 ‘धर्म के मार्ग’ क्या हैं? मार्ग एक रास्ता या पगडंडी होता है। धर्म के ‘मार्ग’ यहोवा के स्तरों के मुताबिक तय किए गए हैं। इब्रानी और यूनानी भाषा में शब्द “धर्म” में नैतिक सिद्धांतो का कड़ाई से पालन करना शामिल है। यहोवा “धर्म का आधार” है, इसलिए उसके सेवक यह जानने के लिए खुशी-खुशी उससे मार्गदर्शन लेते हैं कि सही मार्ग क्या है, जिस पर उन्हें चलना चाहिए।—यिर्म. 50:7.

3. हम परमेश्‍वर की धार्मिकता के बारे में और ज़्यादा कैसे सीख सकते हैं?

3 हम परमेश्‍वर को पूरी तरह तभी खुश कर सकेंगे, जब हम उसके धर्मी स्तरों का पालन करने में कड़ी मेहनत करेंगे। (व्यव. 32:4) इसकी शुरुआत यहोवा परमेश्‍वर के बारे में ज्ञान लेने से होती है जो हम उसके वचन बाइबल से सीख सकते हैं। हर दिन जितना ज़्यादा हम उसके बारे में सीखेंगे, उतना ही उसके करीब आएँगे और उतना ही उसकी धार्मिकता या धर्मी स्तरों के लिए हमारा प्यार बढ़ेगा। (याकू. 4:8) इसके अलावा, जीवन में कोई ज़रूरी फैसला करते वक्‍त हमें परमेश्‍वर के प्रेरित वचन से जो मार्गदर्शन मिलता है, उसे भी कबूल करना चाहिए।

परमेश्‍वर की धार्मिकता की खोज कीजिए

4. परमेश्‍वर की धार्मिकता की खोज करने में क्या शामिल है?

4 मत्ती 6:33 पढ़िए। परमेश्‍वर के स्तरों के मुताबिक जो सही है यानी उसकी धार्मिकता की खोज करने का मतलब सिर्फ प्रचार सेवा में वक्‍त बिताना ही नहीं है। अगर हम चाहते हैं कि यहोवा हमारी पवित्र सेवा कबूल करे तो हमारा चालचलन भी हर दिन परमेश्‍वर के ऊँचे स्तरों के मुताबिक होना चाहिए। तो यहोवा के धर्मी स्तरों की खोज करनेवालों को क्या करना चाहिए? उन्हें “नयी शख्सियत को पहन लेना चाहिए, जो परमेश्‍वर की मरज़ी के मुताबिक रची गयी है और परमेश्‍वर की नज़र में सच्चाई, नेकी और वफादारी की माँगों के मुताबिक है।”—इफि. 4:24.

5. निराशा पर काबू पाने में क्या बात हमारी मदद करेगी?

5 कई बार हम अपनी कमियों की वजह से परमेश्‍वर के स्तरों पर चलने से चूक जाते हैं, जिससे हम बहुत निराश हो जाते हैं। क्या बात हमारी मदद करेगी ताकि हम निराशा पर काबू पाकर धार्मिकता से प्यार करना और उसे अपने जीवन में लागू करना सीख सकें? (नीति. 24:10) हमें नियमित तौर पर यहोवा से “पक्के यकीन के साथ सच्चे दिल से” प्रार्थना करनी होगी। (इब्रा. 10:19-22) चाहे हम अभिषिक्‍त हों या हमारी आशा धरती पर जीने की हो, हमें यीशु मसीह के फिरौती बलिदान और महायाजक के तौर पर उसकी सेवा पर अपना विश्‍वास ज़ाहिर करना होगा। (रोमि. 5:8; इब्रा. 4:14-16) यीशु के बहाए लहू में जो ताकत है, उसके बारे में प्रहरीदुर्ग पत्रिका के पहले अंक में बताया गया था। (1 यूह. 1:6, 7) उसमें लिखा था: “यह सच है कि [जब] लाल या किरमीजी रंग की कोई चीज़, रौशनी में लाल रंग के शीशे में से देखी जाती है तो वह सफेद दिखायी देती है; उसी तरह हमारे पाप चाहे लाल या किरमिजी रंग के हों अगर हम उन्हें परमेश्‍वर की नज़र से यीशु के बहाए लहू के आधार पर देखें तो वे सफेद दिखायी देंगे।” (जुलाई 1879, पेज 6) हमें कितना शुक्रगुज़ार होना चाहिए कि यहोवा ने अपने प्यारे बेटे के फिरौती बलिदान के ज़रिए इतना बेहतरीन इंतज़ाम किया है!—यशा. 1:18.

अपने आध्यात्मिक हथियारों की जाँच कीजिए

6. इस कठिन समय में हमें क्यों अपने आध्यात्मिक हथियारों को जाँचने की ज़रूरत है?

6 हमें हर वक्‍त धार्मिकता या “नेकी का कवच” पहने रहना चाहिए, क्योंकि परमेश्‍वर से मिले आध्यात्मिक हथियारों में इसकी खास अहमियत है। (इफि. 6:11, 14) चाहे हमने हाल ही में यहोवा को अपना समर्पण किया हो, या हम दशकों से उसकी सेवा करते आ रहे हों, यह ज़रूरी है कि हम रोज़ाना अपने आध्यात्मिक हथियारों की जाँच करें। ऐसा क्यों? क्योंकि शैतान और उसके दूत इस धरती पर खदेड़ दिए गए हैं। (प्रका. 12:7-12) शैतान अब गुस्से में भरा हुआ है और जानता है कि उसका थोड़ा ही समय बाकी है। इसलिए वह परमेश्‍वर के लोगों पर दुगुने वेग से वार कर रहा है। तो क्या हम समझ सकते हैं कि “नेकी का कवच” पहनना क्यों ज़रूरी है?

7. अगर हम ‘नेकी के कवच’ की अहमियत समझेंगे तो हम कैसा चालचलन दिखाएँगे?

7 कवच शारीरिक दिल की रक्षा करता है। असिद्ध होने की वजह से हमारा लाक्षणिक दिल हमें धोखा दे सकता है और उस पर काबू रखना मुश्‍किल होता है। (यिर्म. 17:9) हमारा दिल वही करना चाहता है जो बुरा होता है इसलिए ज़रूरी है कि हम इसे तालीम और अनुशासन दें। (उत्प. 8:21) अगर हम धार्मिकता या ‘नेकी के कवच’ की अहमियत समझेंगे तो हम उसे कभी नहीं उतारेंगे। हम गलत कल्पनाओं में खोए रहने, ढेर सारा वक्‍त टीवी पर ज़ाया करने, या यहोवा जिनसे नफरत करता है ऐसे मनोरंजन का मज़ा लेने के लिए कुछ पलों के लिए भी उसे नहीं उतारेंगे। इसके बजाय, हम यहोवा को खुश करने की पूरी-पूरी कोशिश करेंगे। अपनी पापी सोच की वजह से हम शायद थोड़े समय के लिए भटक जाएँ, लेकिन यहोवा की मदद से हम फिर से सही रास्ते पर आ सकते हैं।—नीतिवचन 24:16 पढ़िए।

8. हमें “विश्‍वास की बड़ी ढाल” की ज़रूरत क्यों है?

8 हमारे आध्यात्मिक हथियारों में “विश्‍वास की बड़ी ढाल” भी एक हथियार है। इससे हम ‘उस दुष्ट के सभी जलते हुए तीरों को बुझा सकेंगे।’ (इफि. 6:16) बदले में, यह विश्‍वास और यहोवा के लिए तन-मन से हमारा प्यार हमें धर्म और अनंत जीवन के मार्ग पर चलने में मदद देगा। हम जितना ज़्यादा यहोवा से प्यार करना सीखेंगे, उतना ही हम उसके धर्मी स्तरों की अहमियत समझेंगे। लेकिन हमारे विवेक के बारे में क्या कहा जा सकता है? धर्म से प्रीति रखने में यह कैसे हमारी मदद करता है?

अच्छा विवेक बनाए रखिए

9. शुद्ध विवेक बनाए रखने से हमें क्या फायदे होते हैं?

9 अपने बपतिस्मे के दिन हमने यहोवा से बिनती की थी कि हमें “साफ ज़मीर” दे। (1 पत. 3:21) हमने यीशु के फिरौती बलिदान पर विश्‍वास दिखाया, जिसके लहू ने हमारे पापों को ढाँप दिया और हम शुद्ध विवेक के साथ परमेश्‍वर के सामने खड़े हो सके। मगर उसके सामने शुद्ध बने रहने के लिए हमें अपना विवेक उसी तरह शुद्ध बनाए रखना ज़रूरी है। अगर हमारा विवेक कभी-कभी हमें धिक्कारता या चेतावनी देता है, तो यह दिखाएगा कि वह ज़िंदा है। और उसका कोसना यह ज़ाहिर करेगा कि यहोवा के धर्मी मार्गों पर चलने के मामले में यह अभी तक कठोर नहीं हुआ है। (1 तीमु. 4:2) लेकिन धर्म से प्रीति रखनेवालों का विवेक उन्हें न सिर्फ धिक्कारता है, बल्कि खुशी भी देता है।

10, 11. (क) एक उदाहरण बताइए जो दिखाता है कि हमें बाइबल से तालीम पाए विवेक की क्यों सुननी चाहिए? (ख) अगर हम धार्मिकता से प्यार करें तो हमें क्यों बहुत खुशी मिलेगी?

10 जब हम कोई गलत काम करते हैं तब शायद हमारा विवेक हमें कचोटे। एक जवान, “धर्म के मार्गों” से भटक गया था। उसे अश्‍लील तसवीरें देखने की लत पड़ गयी और वह नशा करने लगा। जब वह सभाओं में जाता तो वह खुद को दोषी महसूस करता और प्रचार सेवा में भाग लेकर उसे लगता कि वह लोगों को धोखा दे रहा है। इसलिए उसने मसीही कामों में हिस्सा लेना बंद कर दिया। वह कहता है: “मैं चार साल तक इस बेवकूफी भरे रास्ते पर चलता रहा। लेकिन मुझे एहसास नहीं हुआ कि मेरे गलत कामों की वजह से मेरा विवेक मुझे धिक्कारेगा।” उसके बाद वह सच्चाई में वापस आने की सोचने लगा। हालाँकि उसे लगा कि यहोवा उसकी प्रार्थना नहीं सुनेगा, मगर फिर भी उसने यहोवा से अपने किए की माफी माँगी। अभी दस मिनट भी नहीं हुए थे कि उसकी माँ वहाँ आयी और उसे दोबारा सभाओं में आने के लिए बढ़ावा देने लगी। वह राज-घर में गया और एक प्राचीन से गुज़ारिश की कि वह उसके साथ बाइबल अध्ययन करे। कुछ समय बाद उसने बपतिस्मा ले लिया। वह यहोवा का शुक्रगुज़ार है कि उसने उसकी ज़िंदगी बचा ली।

11 बेशक हम देख सकते हैं कि सही काम करने से कितनी खुशी मिलती है! हम जितना धर्मी स्तरों से प्यार करना सीखते हैं और उन पर चलने की कोशिश करते हैं, हम स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता को उतना ही खुश करते हैं जिससे हमें भी खुशी मिलती है। ज़रा सोचिए! वह दिन दूर नहीं जब सभी लोगों का विवेक उन्हें सिर्फ खुशी देगा। वे पूरी तरह परमेश्‍वर के गुणों को ज़ाहिर करेंगे। इसलिए आइए हम अपने दिल में धार्मिकता के लिए गहरा प्यार पैदा करें और यहोवा का दिल आनंदित करें।—नीति. 23:15, 16.

12, 13. हम कैसे एक अच्छा विवेक पैदा कर सकते हैं?

12 अपने विवेक को तालीम देने के लिए हम क्या कर सकते हैं? बाइबल और बाइबल पर आधारित साहित्य पढ़ते समय हमें यह बात याद रखनी चाहिए कि “धर्मी मन में सोचता है कि क्या उत्तर दूं।” (नीति. 15:28) गौर कीजिए कि नौकरी के चुनाव के वक्‍त गंभीरता से सोचना कैसे फायदेमंद हो सकता है? जब कोई नौकरी बाइबल सिद्धांतों के खिलाफ होती है और विश्‍वासयोग्य दास उसके बारे में हमें निर्देश देता है, तो हममें से ज़्यादातर लोग उसे तुरंत मान लेते हैं। लेकिन जब किसी काम के बारे में साफ-साफ निर्देश नहीं दिए होते कि वह सही है या गलत, तब हमें उसे बाइबल सिद्धांतों की रौशनी में देखना चाहिए और उसके बारे में प्रार्थना करनी चाहिए। * जैसा कि बाइबल का एक सिद्धांत है कि कोई भी फैसला लेते वक्‍त हमें दूसरों के ज़मीर का खयाल रखना चाहिए। (1 कुरिं. 10:31-33) लेकिन हमें उन सिद्धांतों पर खासकर गौर करना चाहिए जो परमेश्‍वर के साथ हमारे रिश्‍ते से जुड़े होते हैं। अगर यहोवा हमारे लिए असल होगा तो सबसे पहले हम खुद से यह पूछेंगे: ‘क्या मेरे इस काम से यहोवा के दिल को ठेस पहुँचेगी और वह दुखी होगा?’—भज. 78:40, 41.

13 जब हम प्रहरीदुर्ग या मंडली के बाइबल अध्ययन की तैयारी करते हैं तो हम यह न भूलें कि उस पर मनन करना भी उतना ही ज़रूरी है। क्या हम जल्दी-जल्दी जवाबों पर निशान लगाकर दूसरे पैराग्राफ की ओर बढ़ जाते हैं? इस तरह अध्ययन करने से धार्मिकता के लिए हमारा प्यार गहरा नहीं होगा और न ही हम एक अच्छा विवेक पैदा कर पाएँगे। धर्मी स्तरों से प्यार करने के लिए ज़रूरी है कि हम परमेश्‍वर के लिखित वचन का अध्ययन करने में मेहनत करें और उस पर मनन करें। जब पूरे दिल से धार्मिकता से प्यार करने की बात आती है, तो इसे सीखने का कोई छोटा रास्ता नहीं है!

धार्मिकता के लिए भूखे और प्यासे

14. हमारी पवित्र सेवा के बारे में यहोवा परमेश्‍वर और यीशु मसीह क्या चाहते हैं?

14 यहोवा परमेश्‍वर और यीशु मसीह चाहते हैं कि हम अपनी पवित्र सेवा में खुशी पाएँ। हम यह खुशी कैसे बढ़ा सकते हैं? बेशक, धर्मी स्तरों के लिए प्यार पैदा करके। अपने पहाड़ी उपदेश में यीशु ने कहा: “सुखी हैं वे जो परमेश्‍वर की मरज़ी पूरी करने और उसकी आज्ञाओं को मानने की भूख और प्यास से तड़पते हैं, क्योंकि वे तृप्त किए जाएँगे।” (मत्ती 5:6, फुटनोट) जिनमें धार्मिकता से प्यार करने की ललक है, उनके लिए इन शब्दों के क्या मायने हैं?

15, 16. हमारी आध्यात्मिक भूख और प्यास कैसे मिटायी जाएगी?

15 इस संसार पर दुष्ट का शासन है। (1 यूह. 5:19) चाहे हम किसी भी देश में हों, अगर हम अखबार उठाएँ तो वे क्रूरता और हिंसा की खबरों से भरे रहते हैं। जब एक इंसान दूसरे इंसान पर क्रूरता करता है तो धर्मी तड़प उठता है और सोच में पड़ जाता है। (सभो. 8:9) लेकिन हम यहोवा से प्यार करनेवाले जानते हैं कि सिर्फ वही उन लोगों की आध्यात्मिक भूख और प्यास मिटा सकता है जो उसके धर्मी स्तरों को सीखने की इच्छा रखते हैं। दुष्ट लोग जल्द ही मिटा दिए जाएँगे और धर्मी उनके बुरे कामों से फिर कभी नहीं सताए जाएँगे। (2 पत. 2:7, 8) उस वक्‍त लोग क्या ही राहत की साँस लेंगे!

16 यहोवा के सेवक और यीशु मसीह के चेले होने के नाते हमें एहसास है कि जो लोग धार्मिकता के भूखे और प्यासे हैं, वे “तृप्त किए जाएँगे।” परमेश्‍वर ने नए आकाश और नयी पृथ्वी का इंतज़ाम किया है, जहाँ “धार्मिकता का बसेरा होगा” और वहाँ सभी पूरी तरह संतुष्ट किए जाएँगे। (2 पत. 3:13, फुटनोट।) इसलिए जब हिंसा और अत्याचार इस शैतानी संसार में धार्मिकता का गला घोटते हैं तब हम निराश न हों और न ही चौंकें। (सभो. 5:8) हमारा महान परमेश्‍वर जानता है कि आज क्या हो रहा है और वह जल्द ही धर्म से प्रीति रखनेवालों का उद्धार करेगा।

धार्मिकता से प्यार करने के फायदे

17. धार्मिकता से प्यार करने के क्या-क्या फायदे होते हैं?

17 धर्म के मार्ग पर चलने का एक बेहतरीन फायदा है, जिसके बारे में भजन 146:8 में साफ बताया गया है। भजनहार ने अपने गीत में गाया: “यहोवा धर्मियों से प्रेम रखता है।” कल्पना कीजिए! इस विश्‍व का मालिक हमसे प्यार करता है, क्योंकि हम धार्मिकता से प्यार करते हैं! यह जानना कि यहोवा हमसे प्यार करता है हमें इस बात का भरोसा दिलाता है कि अगर हम उसके राज को अपनी जिंदगी में पहली जगह देंगे तो यकीनन वह हमारी ज़रूरतें पूरी करेगा। (भजन 37:25; नीतिवचन 10:3 पढ़िए।) आगे चलकर पूरी पृथ्वी ऐसे लोगों से भर जाएगी जो धर्म से प्रीति रखेंगे। (नीति. 13:22) परमेश्‍वर के ज़्यादातर सेवकों को उसके धर्मी स्तरों पर चलने से उम्दा इनाम मिलेगा। वे फिरदौस में हमेशा-हमेशा की ज़िंदगी का लुत्फ उठाएँगे! आज भी परमेश्‍वर की धार्मिकता से प्यार करनेवालों को अंदरूनी खुशी का इनाम मिलता है जिससे उनके परिवारों और मंडलियों में एकता बढ़ती है।—फिलि. 4:6, 7.

18. यहोवा के दिन का इंतज़ार करते हुए हमें क्या करना चाहिए?

18 जैसे-जैसे हम यहोवा के महान दिन का इंतज़ार कर रहे हैं, हमें उसकी धार्मिकता की खोज करते रहनी चाहिए। (सप. 2:2, 3) इसलिए आइए हम यहोवा परमेश्‍वर के धर्मी मार्गों के लिए सच्चा प्यार ज़ाहिर करें। इसमें अपने लाक्षणिक हृदय की रक्षा करने के लिए हर वक्‍त धार्मिकता या “नेकी का कवच” पहनना शामिल है। हमें अच्छा विवेक भी बनाए रखने की ज़रूरत है, जिससे हमें खुशी मिलेगी, साथ ही हमारे परमेश्‍वर का दिल खुश होगा।—नीति. 27:11.

19. हमें क्या करने की ठान लेनी चाहिए और अगले लेख में हम किस बात पर चर्चा करेंगे?

19 यहोवा “समस्त पृथ्वी पर दृष्टि दौड़ाता है जिससे वह उन लोगों की सहायता करे, जो सारे हृदय से उस पर भरोसा रखते हैं।” (2 इति. 16:9, बुल्के बाइबिल) इन शब्दों से वाकई हमें कितनी हिम्मत मिलती है कि हम सही काम करते रहें, फिर चाहे दुनिया में कितनी ही उथल-पुथल, हिंसा और दुष्टता फैली हो! बेशक हमें धर्मी मार्गों पर चलते देख परमेश्‍वर से दूर जा चुकी मानवजाति उलझन में पड़ सकती है। लेकिन हम जानते हैं कि यहोवा की धार्मिकता पर चलते रहने के कितने फायदे हैं! (यशा. 48:17; 1 पत. 4:4) तो आइए हम ठान लें कि हम सारे हृदय से धर्म से प्रीति रखेंगे और खुशी-खुशी उसी के मार्ग पर चलते रहेंगे। लेकिन ऐसा करने में सारे हृदय से बुराई से नफरत करना भी शामिल है। अगले लेख में हम सीखेंगे कि इसका क्या मतलब है।

[फुटनोट]

^ रोज़गार के मामले में बाइबल सिद्धांतों की चर्चा के लिए 15 अप्रैल, 1999 की प्रहरीदुर्ग के पेज 28-30 देखिए।

आप कैसे जवाब देंगे?

• धर्म से प्रीति रखने में फिरौती बलिदान की कदर करना क्यों शामिल है?

• हमारे लिए “नेकी का कवच” पहनना क्यों ज़रूरी है?

• हम अपने विवेक को कैसे तालीम दे सकते हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 26 पर तसवीर]

नौकरी पर उठे सवालों के बारे में, तालीम पाया हुआ विवेक हमें सही फैसला लेने में मदद देगा