इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

जब बूढ़े फिर होंगे जवान

जब बूढ़े फिर होंगे जवान

परमेश्‍वर के करीब आइए

जब बूढ़े फिर होंगे जवान

चेहरे पर झुर्रियाँ, कमज़ोर नज़र, कम सुनायी देना, कँपकँपाते पैर। ढलती उम्र की ये परेशानियाँ किसे पसंद हैं? आप शायद सोचें, ‘एक तरफ तो परमेश्‍वर ने हमें जवानी के खूबसूरत दिन दिखाए और वहीं दूसरी तरफ हमारे आगे बुढ़ापे की तकलीफें भी रखीं, आखिर उसने ऐसा क्यों किया?’ आपको यह जानकर खुशी होगी कि परमेश्‍वर ने ऐसा कभी नहीं चाहा था। इसके बजाय, उसने हमें बुढ़ापे की कैद से छुड़ाने के लिए एक प्यार-भरा इंतज़ाम किया है। गौर कीजिए कि इस बारे में अय्यूब से क्या कहा गया था, जो इस धरती पर हज़ारों साल पहले जीया था। ये शब्द अय्यूब 33:24, 25 में दर्ज़ हैं।

अय्यूब एक वफादार इंसान था जिससे यहोवा परमेश्‍वर बहुत प्यार करता था। अय्यूब इस बात से अनजान था कि शैतान ने उसकी खराई पर सवाल उठाया है और कहा है कि अय्यूब सिर्फ अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए परमेश्‍वर की सेवा करता है। यहोवा ने शैतान को अय्यूब की परीक्षा लेने की इजाज़त दी क्योंकि उसे अय्यूब पर पूरा भरोसा था और वह जानता था कि अय्यूब को हुए किसी भी नुकसान की भरपाई वह कर सकता है। तब शैतान ने “अय्यूब को पांव के तलवे से ले सिर की चोटी तक बड़े बड़े फोड़ों से पीड़ित किया।” (अय्यूब 2:7) अय्यूब का शरीर कीड़ों से ढक गया, उसकी त्वचा सूखकर काली हो गयी और गिरने लगी। (अय्यूब 7:5; 30:17, 30) क्या आप अय्यूब के दर्द का अंदाज़ा लगा सकते हैं? इन सबके बावजूद, अय्यूब वफादार रहा और उसने कहा: “जब तक मेरा प्राण न छूटे तब तक मैं अपनी खराई से न हटूंगा।”—अय्यूब 27:5.

लेकिन अय्यूब ने एक बड़ी गलती की। जब उसे लगा कि उसकी मौत करीब है, तो वह खुद को सही ठहराने की कुछ ज़्यादा ही चिंता करने लगा और “उस ने परमेश्‍वर को नहीं, अपने ही को निर्दोष ठहराया।” (अय्यूब 32:2) तब एलीहू ने अय्यूब को परमेश्‍वर का संदेश दिया कि उसकी यह सोच गलत है। मगर उसने अय्यूब को परमेश्‍वर की तरफ से एक अच्छी खबर भी दी: “उसे [अय्यूब को] गढ़हे [कब्र, जहाँ सभी इंसान मरने के बाद जाते हैं] में जाने से बचा ले, मुझे छुड़ौती मिली है। तब उस मनुष्य की देह बालक की देह से अधिक स्वस्थ और कोमल हो जाएगी; उसकी जवानी के दिन फिर लौट आएंगे।” (अय्यूब 33:24, 25) इन शब्दों ने अय्यूब में आशा की किरण जगा दी। अब उसे मरते दम तक तकलीफ झेलने की ज़रूरत नहीं थी। अगर अय्यूब पश्‍चाताप करता, तो परमेश्‍वर उसकी तरफ से छुड़ौती कबूल करता और उसके दुख दूर करता। *

अय्यूब ने नम्रता से अपनी गलती कबूल की और पश्‍चाताप किया। (अय्यूब 42:6) यहोवा ने अय्यूब की तरफ से छुड़ौती कबूल की और उसकी गलती को ढाँप दिया। इस तरह परमेश्‍वर उसे ठीक कर पाया और उसे आशीष दे पाया। “यहोवा ने अय्यूब के पिछले दिनों में उसको अगले दिनों से अधिक आशीष दी।” (अय्यूब 42:12-17) परमेश्‍वर ने अय्यूब को ढेरों आशीषें देने के साथ-साथ उसकी घिनौनी बीमारी भी ठीक कर दी जिससे उसकी “देह बालक की देह से अधिक स्वस्थ और कोमल हो” गयी। सोचिए उस वक्‍त अय्यूब को कितनी राहत मिली होगी!

परमेश्‍वर ने अय्यूब की तरफ से जो छुड़ौती कबूल की, उससे अय्यूब को कुछ ही समय के लिए फायदा मिला क्योंकि वह असिद्ध ही रहा और आगे चलकर मर गया। लेकिन हमारे लिए एक बेहतर छुड़ौती दी गयी है। यहोवा ने प्यार दिखाते हुए अपने बेटे यीशु को हमारे लिए एक छुड़ौती के तौर पर दे दिया। (मत्ती 20:28; यूहन्‍ना 3:16) जो कोई उस छुड़ौती बलिदान पर विश्‍वास दिखाता है, उसे पृथ्वी पर फिरदौस में हमेशा-हमेशा के लिए जीने की आशा मिलती है। आनेवाली उस नयी दुनिया में परमेश्‍वर, वफादार इंसानों को बुढ़ापे की जकड़ से छुड़ाएगा और तब बुज़ुर्गों की “देह बालक की देह से अधिक स्वस्थ और कोमल हो” जाएगी। क्यों न आप इस बारे में और सीखें कि वह समय देखने के लिए आपको क्या करना होगा। (w11-E 04/01)

[फुटनोट]

^ यहाँ इस्तेमाल किए गए शब्द “छुड़ौती” का मतलब है ढाँपना। (अय्यूब 33:24) अय्यूब के मामले में, छुड़ौती शायद जानवर की बलि होती जिसे परमेश्‍वर, अय्यूब की गलती ढाँपने के लिए प्रायश्‍चित के तौर पर कबूल करता।—अय्यूब 1:5.