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“तुम्हारे बीच जो कड़ी मेहनत करते हैं . . . उनकी कदर करो”

“तुम्हारे बीच जो कड़ी मेहनत करते हैं . . . उनकी कदर करो”

“तुम्हारे बीच जो कड़ी मेहनत करते हैं . . . उनकी कदर करो”

“तुम्हारे बीच जो कड़ी मेहनत करते हैं और प्रभु के काम में तुम्हारी अगुवाई करते हैं, और तुम्हें समझाते-बुझाते हैं, उनकी कदर करो।”—1 थिस्स. 5:12.

1, 2. (क) जब पौलुस ने थिस्सलुनीकियों की मंडली को अपना पहला खत लिखा तो वहाँ के हालात कैसे थे? (ख) पौलुस ने थिस्सलुनीके के मसीहियों को क्या करने के लिए उकसाया?

 फर्ज़ कीजिए कि आप पहली सदी की थिस्सलुनीकियों की मंडली के सदस्य हैं। यह मंडली, यूरोप की सबसे पहली मंडलियों में से एक है। प्रेषित पौलुस ने यहाँ भाइयों को मज़बूत करने के लिए काफी वक्‍त बिताया है। दूसरी मंडलियों की तरह, उसने इस मंडली में भी अगुवाई करने के लिए प्राचीनों को ठहराया। (प्रेषि. 14:23) लेकिन मंडली बनने के बाद, शहर के यहूदियों ने एक भीड़ जमा की और पौलुस और सीलास को शहर से बाहर खदेड़ दिया। यह सब देखकर वहाँ के भाई-बहन काफी डर गए होंगे और शायद खुद को अकेला महसूस करने लगे होंगे।

2 ऐसे में लाज़िमी है कि थिस्सलुनीके छोड़ने के बाद पौलुस को वहाँ की नयी मंडली की चिंता खाए जा रही होगी। वह थिस्सलुनीके जाने की कोशिश करता है, लेकिन ‘शैतान रास्ता रोक’ देता है। इसलिए वह तीमुथियुस को वहाँ भेजता है ताकि वह जाकर भाइयों की हौसला-अफज़ाई कर सके। (1 थिस्स. 2:18; 3:2) थिस्सलुनीके से लौटने पर जब तीमुथियुस, पौलुस को वहाँ की अच्छी खबर देता है, तो पौलुस थिस्सलुनीकियों की मंडली को एक खत लिखने के लिए प्रेरित होता है। पौलुस उन्हें बहुत-सी बातें लिखता है और उन्हें उकसाता है कि वे ‘प्रभु के काम में उनकी अगुवाई करनेवालों की कदर करें।’1 थिस्सलुनीकियों 5:12, 13 पढ़िए।

3. थिस्सलुनीके के मसीहियों के पास प्राचीनों की और भी बढ़कर इज़्ज़त करने की क्या वजह थी?

3 थिस्सलुनीकियों की मंडली में अगुवाई करनेवाले भाई, पौलुस और उसके दूसरे सफरी साथियों की तरह तजुरबेकार नहीं थे। और न ही यरूशलेम की मंडली की तरह वहाँ लंबे समय से परमेश्‍वर की सेवा करनेवाले प्राचीन थे। क्योंकि मंडली को बने एक साल भी नहीं हुआ था। इसके बावजूद, मंडली के भाई-बहनों के पास उन प्राचीनों के लिए शुक्रगुज़ार होने की वजह थी जो “कड़ी मेहनत” कर रहे थे, मंडली में “अगुवाई” ले रहे थे और भाइयों को “समझाते-बुझाते” थे। वाकई, मंडली के भाई-बहनों के पास “प्यार के साथ [प्राचीनों की] और भी बढ़कर इज़्ज़त” करने की बढ़िया वजह थी। यह गुज़ारिश करने के बाद पौलुस ने उन्हें सलाह दी: “एक-दूसरे के साथ शांति कायम करनेवाले बनो।” अगर आप उस दौरान थिस्सलुनीके की मंडली में होते, तो क्या आप प्राचीनों की मेहनत की दिल से कदर करते? परमेश्‍वर ने मसीह के ज़रिए आपकी मंडली में जो “आदमियों के रूप में तोहफे” दिए हैं, आप उन्हें किस नज़रिए से देखते हैं?—इफि. 4:8.

“कड़ी मेहनत करते हैं”

4, 5. पौलुस के दिनों में मंडली को सिखाना क्यों एक कड़ी मेहनत का काम था? और आज के प्राचीनों के बारे में भी क्यों यही कहा जा सकता है?

4 पौलुस और सीलास के बिरीया जाने के बाद, थिस्सलुनीकियों के प्राचीनों ने कैसे “कड़ी मेहनत” की? इसमें कोई शक नहीं कि पौलुस की मिसाल पर चलते हुए, उन्होंने मंडली को शास्त्र से सिखाया होगा। आप शायद सोचें, ‘क्या थिस्सलुनीके के मसीहियों को परमेश्‍वर के वचन के लिए कदरदानी थी?’ क्योंकि बाइबल कहती है कि बिरीया के लोग “थिस्सलुनीके के लोगों से ज़्यादा भले और खुले मन के थे . . . वे हर दिन बड़े ध्यान से शास्त्र की जाँच करते रहे।” (प्रेषि. 17:11) गौर करने लायक बात है कि यहाँ बिरीया के लोगों की तुलना थिस्सलुनीके के यहूदियों से की गयी है न की वहाँ के मसीहियों से। दरअसल थिस्सलुनीकियों के मसीहियों के बारे में कहा गया है कि उन्होंने “परमेश्‍वर का वचन . . . इंसानों का नहीं बल्कि परमेश्‍वर का वचन समझकर स्वीकार किया।” (1 थिस्स. 2:13) यह बात दिखाती है कि वहाँ के प्राचीनों ने मंडली को सीखाने में वाकई कड़ी मेहनत की होगी।

5 आज विश्‍वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाला दास परमेश्‍वर के झुंड को ‘सही वक्‍त पर खाना’ देता है। (मत्ती 24:45) इस दास की निगरानी में प्राचीन अपनी मंडली के भाई-बहनों को परमेश्‍वर की बातें सीखाने में कड़ी मेहनत करते हैं। आज मंडली के भाइयों के पास बेशुमार बाइबल साहित्य मौजूद हैं। कुछ भाषाओं में तो वॉचटावर पब्लिकेशन इंडेक्स और वॉचटावर लाइब्रेरी ऑन सी.डी.रॉम भी उपलब्ध है। इसके बावजूद प्राचीन, मंडली की आध्यात्मिक ज़रूरत पूरी करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। वे सभाओं के अपने भाग की तैयारी करने में घंटों बिताते हैं ताकि वे इसे असरदार तरीके से पेश कर सकें। क्या आपने कभी सोचा है कि सभाओं, सम्मेलनों और अधिवेशनों के अपने भाग की तैयारी करने में प्राचीन कितना समय लगाते हैं?

6, 7. (क) थिस्सलुनीके के प्राचीनों के लिए पौलुस कैसे एक मिसाल था? (ख) प्राचीनों के लिए पौलुस की मिसाल पर चलना क्यों एक चुनौती हो सकती है?

6 थिस्सलुनीके के प्राचीनों को याद था कि पौलुस ने चरवाहों की तरह झुडं की कितनी बढ़िया तरीके से देखभाल की थी। यह कोई मामूली ज़िम्मेदारी नहीं थी जिसे बस एक फर्ज़ समझकर निभाना था। पिछले लेख में हमने देखा था कि “जैसे एक दूध पिलानेवाली माँ अपने नन्हे-मुन्‍नों से दुलार करती है वैसे ही [पौलुस उनके] बीच रहते हुए बड़ी नर्मी से पेश” आया। (1 थिस्सलुनीकियों 2:7, 8 पढ़िए।) पौलुस उनकी खातिर “अपनी जान तक देने को तैयार” था। झुडं की देखभाल करने में प्राचीनों को भी उसकी तरह होना चाहिए।

7 मसीही चरवाहे, झुडं से प्यार करने में पौलुस की मिसाल पर चलते हैं। हो सकता है, स्वभाव से कुछ भेड़ें मिलनसार या दोस्ताना न हों, फिर भी प्राचीन समझ-बूझ दिखाते हुए उनमें “भलाई” या अच्छे गुण तलाशते हैं। (नीति. 16:20, NHT) यह सच है कि असिद्ध होने की वजह से एक प्राचीन के लिए हर भेड़ में अच्छाई ढूँढ़ना मुश्‍किल हो सकता है। फिर भी वह सबके साथ नर्मी से पेश आने की पूरी कोशिश करता है। क्या मसीह के अधीन एक अच्छा चरवाहा बनने की उसकी मेहनत के लिए हमें उसकी तारीफ नहीं करनी चाहिए?

8, 9. आज प्राचीन किन तरीकों से ‘हमारी निगरानी करते हैं?’

8 हम सबके पास प्राचीनों के “अधीन” रहने की वजह है। जैसे पौलुस बताता है, वे “तुम्हारी निगरानी करते हैं।” (इब्रा. 13:17) ये शब्द हमें चरवाहे की याद दिलाते हैं, जो अपनी भेड़ों की हिफाज़त करने के लिए जागते हुए रातें काटता है। उसी तरह, आज प्राचीन भी अपनी नींद और आराम त्यागकर बीमार भाई-बहनों की ज़रूरतें पूरी करते हैं, हताश लोगों की हिम्मत बँधाते हैं और बाइबल उसूलों पर चलने में उनकी मदद करते हैं। मिसाल के लिए, अस्पताल संपर्क समिति में काम करनेवाले भाई, उन भाइयों की मदद करने के लिए हरदम तैयार रहते हैं जिन्हें इलाज से जुड़ी कोई भी ज़रूरत आन पड़ती है, फिर चाहे उन्हें आधी रात को ही क्यों न उठना पड़े। सच, ऐसी नाज़ुक घड़ी में जब ये भाई हमारी मदद के लिए हाज़िर रहते हैं, तो हमें कितनी हिम्मत मिलती है!

9 इलाके की निर्माण समितियों और राहत-समितियों में काम करनेवाले प्राचीन भी भाइयों की मदद करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। और हमें उन्हें पूरा सहयोग देना चाहिए। सन्‌ 2008 में मियानमर में आए नर्गिस तूफान की मिसाल लीजिए, जिसने ईर्रावड्डी डेल्टा के पूरे इलाके को अपनी चपेट में लिया था। इसी इलाके की बोथिंगॉन मंडली के लिए एक राहत दल भेजा गया। राहत दल को उजाड़ रास्तों से होते हुए जाना पड़ा, जहाँ आस-पास सड़ी लाशें भी पड़ी हुई थीं। उस इलाके में पहुँचनेवाला यह सबसे पहला राहत दल था। इस दल में उनका पुराना सर्किट निगरान भी था, जिसे देखते ही वहाँ के भाई खुशी से बोल उठे: “वो देखो! हमारे सर्किट निगरान भी आए हैं। यहोवा का शुक्र है कि उसने हमें बचा लिया!” क्या आप दिन-रात मेहनत करनेवाले प्राचीनों की कदर करते हैं? कुछ प्राचीनों को खास समितियों में ठहराया जाता है ताकि वे न्यायिक मामलों को निपटा सकें। ये प्राचीन अपने कामों के लिए डींगे नहीं मारते, पर उनकी दी मदद से फायदा पानेवाले भाई-बहन दिल से उनके शुक्रगुज़ार होते हैं।—मत्ती 6:2-4.

10. प्राचीन ऐसे कौन-से काम करते हैं जो आम तौर पर नज़र नहीं आते?

10 आज कई प्राचीनों को कागज़ी काम भी करना होता है। जैसे, प्राचीनों के निकाय का संयोजक हर हफ्ते होनेवाली सभा का शेड्‌यूल तैयार करता है। मंडली का सचिव हर महीने और सालाना प्रचार की रिपोर्ट तैयार करता है। स्कूल निगरान, बड़े ध्यान से स्कूल का शेड्‌यूल बनाता है। हर तीन महीने में, मंडली के हिसाब-किताब की लेखा-जाँच की जाती है। प्राचीन, शाखा दफ्तर से आए खत पढ़ते हैं और उसमें दिए निर्देशनों के मुताबिक काम करते हैं ताकि “विश्‍वास में . . . एकता” बनी रहे। (इफि. 4:3, 13) इन प्राचीनों की मेहनत की बदौलत ‘सब बातें कायदे से और अच्छे इंतज़ाम के मुताबिक हो पाती हैं।’—1 कुरिं. 14:40.

“तुम्हारी अगुवाई करते हैं”

11, 12. मंडली में कौन अगुवाई करता है और इसमें क्या शामिल है?

11 पौलुस ने थिस्सलुनीके के मेहनती प्राचीनों के बारे में कहा कि वे मंडली की “अगुवाई करते हैं।” (1 थिस्स. 5:12) जिस यूनानी शब्द का अनुवाद ‘अगुवाई करना’ किया गया है उसका मतलब “सामने खड़े रहना” भी हो सकता है। पौलुस ने इन्हीं प्राचीनों के बारे में कहा कि वे “कड़ी मेहनत” करते हैं। वह ‘अगुवाई करनेवाले’ किसी एक प्राचीन की नहीं बल्कि मंडली के सभी प्राचीनों की बात कर रहा था। आज कई प्राचीन मंडली के सामने खड़े होकर सभाएँ चलाते हैं। हाल ही में शब्द “प्रमुख अध्यक्ष” को बदलकर “प्राचीनों के निकाय का संयोजक” किया गया है। यह बदलाव दिखाता है कि शरीर के अलग-अलग अंग की तरह सभी प्राचीन एकजुट होकर काम करते हैं।

12 मंडली की ‘अगुवाई करने’ में सीखाने के अलावा और भी कुछ शामिल है। पहला तीमुथियुस 3:4 में भी इन्हीं शब्दों का इस्तेमाल हुआ है, जहाँ पौलुस कहता है कि एक निगरान, “अपने घरबार की अगुवाई करते हुए अच्छी देखरेख करता हो, जिसके बच्चे पूरी गंभीरता के साथ उसके अधीन रहते हों।” इस आयत में ‘अगुवाई करने’ का मतलब न सिर्फ अपने बच्चों को सिखाना बल्कि परिवार में अगुवाई लेना और ‘बच्चों को अधीन रखना’ भी शामिल है। जी हाँ, प्राचीन मंडली में अगुवाई लेते हैं ताकि सभी यहोवा के अधीन रह सकें।—1 तीमु. 3:5.

13. प्राचीनों की बैठक में किसी फैसले पर पहुँचने में क्यों समय लग सकता है?

13 प्राचीन सही ढंग से अगुवाई करने के लिए साथ मिलकर मंडली की ज़रूरतों पर चर्चा करते हैं और तय करते हैं कि किस तरह उन ज़रूरतों को पूरा किया जाए। अगर एक ही प्राचीन सारे फैसले ले, तो शायद काम और भी अच्छी तरह और जल्दी हो। लेकिन आज प्राचीनों का निकाय, पहली सदी के शासी निकाय के उदाहरण पर चलते हुए मामलों पर खुलकर एक-साथ चर्चा करता है और हर मामले पर बाइबल से मार्गदर्शन लेता है। हमेशा उनका लक्ष्य होता है कि वे बाइबल सिद्धांतों को लागू करते हुए मंडली की ज़रूरतें पूरी करें। यह लक्ष्य तभी हासिल हो सकता है जब प्राचीनों की बैठक के लिए हर प्राचीन अच्छी तैयारी करे, आयतों पर और विश्‍वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाले दास के ज़रिए दी हिदायतों पर गौर करे। बेशक इसमें काफी समय लगता है। कभी-कभी यह भी हो सकता है कि किसी मामले पर प्राचीनों की अलग-अलग राय हो, ठीक जैसे पहली सदी में हुआ था, जब शासी निकाय खतना का मामला निपटा रहा था। ऐसे में प्राचीनों को समय लेकर और भी ज़्यादा खोजबीन करने की ज़रूरत है ताकि वे बाइबल के आधार पर एक नतीजे पर पहुँच सकें।—प्रेषि. 15:2, 6, 7, 12-14, 28.

14. प्राचीनों का निकाय एकजुट होकर जिस तरह काम करता है, क्या आप उसकी कदर करते हैं? और आप ऐसा क्यों महसूस करते हैं?

14 अगर एक प्राचीन अपनी ही राय पर अड़ा रहता है या अपने विचार थोपने की कोशिश करता है, तब क्या? या तब क्या जब कोई पहली सदी के दियुत्रिफेस की तरह फूट डालने की कोशिश करता है? (3 यूह. 9, 10) बेशक इससे पूरी मंडली को नुकसान उठाना पड़ सकता है। अगर शैतान ने पहली सदी की मंडली की शांति भंग करने की कोशिश की थी, तो बेशक वह आज भी ऐसा करने का कोई मौका नहीं छोड़ेगा। हो सकता है, वह एक इंसान की स्वार्थी इच्छाओं का इस्तेमाल करे, जैसे बड़ा बनने की चाहत। इसलिए प्राचीनों को नम्र होने और एकजुट होकर काम करने की ज़रूरत है। वाकई हम उन प्राचीनों की नम्रता की बहुत कदर करते हैं, जो एकता में काम करते हैं!

“तुम्हें समझाते-बुझाते हैं”

15. प्राचीन किस इरादे से भाई-बहनों को समझाते-बुझाते हैं?

15 इसके बाद, पौलुस ने प्राचीनों के एक ऐसे काम पर ज़ोर दिया जो मुश्‍किल लेकिन बेहद ज़रूरी था। उसने बताया कि उन्हें झुंड को समझाना-बुझाना है। जिस यूनानी शब्द का अनुवाद ‘समझाना-बुझाना’ किया गया है, उस शब्द का इस्तेमाल पूरे मसीही यूनानी शास्त्र में सिर्फ पौलुस ने किया है। और इसका मतलब है कड़ी ताड़ना देना, लेकिन गुस्से या नाराज़गी के साथ नहीं। (प्रेषि. 20:31; 2 थिस्स. 3:15) जैसे पौलुस ने कुरिंथियों को लिखा, “मैं तुम्हें शर्मिंदा करने के लिए ये बातें नहीं लिख रहा, बल्कि अपने प्यारे बच्चे समझकर तुम्हें समझा रहा हूँ।” (1 कुरिं. 4:14) ऐसा कहने के पीछे उसका मकसद था, दूसरों के लिए प्यार-भरी परवाह दिखाना।

16. दूसरों को समझाते-बुझाते वक्‍त, प्राचीन किस बात का ध्यान रखते हैं?

16 दूसरों को समझाते-बुझाते वक्‍त प्राचीन याद रखते हैं कि उन्हें उनके साथ किस तरह पेश आना चाहिए। वे पौलुस की मिसाल पर चलकर दूसरों के लिए दया और प्यार दिखाने और उनकी मदद करने की पूरी कोशिश करते हैं। (1 थिस्सलुनीकियों 2:11, 12 पढ़िए।) लेकिन ऐसा करते वक्‍त, प्राचीन ‘विश्‍वासयोग्य वचन को मज़बूती से थामे रहते हैं, ताकि वे खरी शिक्षा से सीख देकर उकसा सकें।’—तीतु. 1:5-9.

17, 18. अगर आपको कोई प्राचीन समझाता-बुझाता है तो आपको क्या बात ध्यान में रखनी चाहिए?

17 बेशक, प्राचीन असिद्ध हैं और वे कभी-कभी ऐसी बात कह देते हैं जिससे बाद में उन्हें अफसोस होता है। (1 राजा 8:46; याकू. 3:8) इसके अलावा, प्राचीन जानते हैं कि भाई-बहनों को आम तौर पर सलाह कबूल करना “सुखद नहीं लगता बल्कि दुःखदायी लगता है।” (इब्रा. 12:11) इसलिए किसी भाई या बहन को समझाने से पहले प्राचीन मामले पर काफी सोच-विचार करते हैं और इस बारे में यहोवा से प्रार्थना करते हैं। अगर किसी प्राचीन ने कभी आपको समझाया-बुझाया है, तो क्या आप उसकी प्यार-भरी परवाह की कदर करते हैं?

18 मान लीजिए कि आपको सेहत से जुड़ी कोई परेशानी है और पता नहीं चल रहा है कि आखिर आपको क्या बीमारी है। आप जाँच के लिए एक डॉक्टर के पास जाते हैं जो आपकी बीमारी सही-सही पहचान लेता है। वह बताता है कि आपको क्या बीमारी है। लेकिन आप उसकी बात पर यकीन नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में क्या आप डॉक्टर के खिलाफ नफरत पाल लेंगे? बिलकुल नहीं। इसके बजाय, अगर वह ऑपरेशन कराने की भी सिफारिश करता है, तो आप तुरंत उसके लिए राज़ी हो जाएँगे क्योंकि इससे आपको ही फायदा होगा। बेशक डॉक्टर ने जिस लहज़े में आपसे बात की होगी उसका आपके जज़्बातों पर ज़रूर असर पड़ा होगा। मगर क्या यह बात सही फैसला लेने में आपके आड़े आएगी? शायद नहीं। ठीक इसी तरह, जब प्राचीन आपको समझाते-बुझाते हैं, तो उनके बात करने के लहज़े की वजह से उन्हें अनसुना मत कीजिए। क्योंकि यहोवा और यीशु मसीह इन्हीं प्राचीनों के ज़रिए आपको बताते हैं कि आप सच्चाई में कैसे तरक्की कर सकते हैं या परमेश्‍वर के साथ अपने रिश्‍ते की कैसे हिफाज़त कर सकते हैं।

प्राचीनों के लिए कदर दिखाइए

19, 20. आप “आदमियों के रूप में तोहफे” के लिए अपनी कदरदानी कैसे दिखा सकते हैं?

19 अगर आपको कोई ऐसा तोहफा मिलता है जो खास तौर पर आपके लिए बनाया गया हो, तो आप क्या करेंगे? क्या आप उस तोहफे का इस्तेमाल करके उसके लिए कदरदानी दिखाएँगे? यहोवा परमेश्‍वर ने यीशु के ज़रिए हमें “आदमियों के रूप में तोहफे” दिए हैं। हम कैसे इन तोहफों के लिए कदरदानी दिखा सकते हैं? एक तरीका है, जब प्राचीन मंडली में भाषण देते हैं, तो ध्यान से उसे सुनना और वे जो भी बातें बताते हैं उसे लागू करना। यहीं नहीं, आप सभाओं के दौरान बढ़िया जवाब देकर भी अपनी कदरदानी दिखा सकते हैं। और प्राचीन जिन कामों में अगुवाई लेते हैं जैसे प्रचार काम में, उसमें सहयोग देकर भी आप अपनी कदरदानी दिखा सकते हैं। अगर किसी प्राचीन की सलाह से आपको फायदा हुआ है तो क्या आप उसे शुक्रिया कह सकते हैं? इसके अलावा, क्या आप प्राचीनों के परिवार के लिए भी कदरदानी दिखा सकते हैं? याद रखिए कि जब एक प्राचीन मंडली के लिए कड़ी मेहनत करता है तो इसमें उसके परिवार का त्याग भी शामिल है क्योंकि वह अपने परिवार का समय मंडली के कामों में लगाता है।

20 जी हाँ, प्राचीन हमारे बीच कड़ी मेहनत करते हैं, हमारी अगुवाई करते हैं और हमें समझाते-बुझाते हैं इसलिए उनके लिए कदरदानी दिखाने के हमारे पास ढेरों कारण हैं। ये “आदमियों के रूप में तोहफे” सचमुच यहोवा की तरफ से एक प्यार-भरा इंतज़ाम है!

क्या आपको याद है?

• थिस्सलुनीके के मसीहियों के पास प्राचीनों की और भी बढ़कर इज़्ज़त करने की क्या वजह थी?

• आपकी मंडली के प्राचीन किस तरह आपके लिए कड़ी मेहनत करते हैं?

• प्राचीनों की अगुवाई से आपको क्या फायदा हुआ है?

• अगर आपको कोई प्राचीन समझाता-बुझाता है, तो आपको क्या बात ध्यान में रखनी चाहिए?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 27 पर तसवीर]

प्राचीन जिन तरीकों से मंडली की देखभाल करते हैं, क्या आप उसकी कदर करते हैं?