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क्या आप जानते थे?

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यरूशलेम के मंदिर में पैसा बदलनेवाले सौदागरों की ज़रूरत क्यों थी?

अपनी मौत के कुछ ही समय पहले, यीशु ने मंदिर में हो रहे घोर अन्याय के खिलाफ कार्यवाही की। बाइबल बताती है: “मंदिर में जो लोग बिक्री कर रहे थे, और जो खरीदारी कर रहे थे, उन सबको [यीशु ने] खदेड़ दिया और पैसा बदलनेवाले सौदागरों की मेज़ें और कबूतर बेचनेवालों की चौकियाँ उलट दीं। और उसने उनसे कहा: ‘यह लिखा है, “मेरा घर प्रार्थना का घर कहलाएगा”, मगर तुम इसे लुटेरों का अड्डा बना रहे हो।’”—मत्ती 21:12, 13.

पहली सदी के यहूदी और यहूदी धर्म अपनानेवाले, दूर-दूर के देशों और शहरों से जब यरूशलेम के मंदिर आते, तो अपने इलाके के सिक्के साथ लाते थे। लेकिन, मंदिर का सालाना कर देने, बलिदान का जानवर खरीदने या भेंट चढ़ाने के लिए उन्हें ऐसे सिक्कों की ज़रूरत पड़ती जो मंदिर में कबूल किए जाते थे। इसलिए पैसा बदलनेवाले सौदागर दाम लेकर उनके देश के सिक्के बदलते या ज़रूरत के मुताबिक खुले पैसे भी देते। जब यहूदी त्योहार शुरू होनेवाले होते, तब ये पैसा बदलनेवाले सौदागर मंदिर में अन्य-जातियों के आँगन में चौकियाँ लगा लेते।

यीशु का यह कहना कि सौदागर मंदिर को “लुटेरों का अड्डा” बना रहे हैं, ज़ाहिर करता है कि शायद वे पैसा बदलने के लिए हद-से-ज़्यादा दाम ले रहे थे। (w11-E 10/01)