इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

परिवार के अविश्‍वासी सदस्यों के साथ खुश रहना मुमकिन है

परिवार के अविश्‍वासी सदस्यों के साथ खुश रहना मुमकिन है

परिवार के अविश्‍वासी सदस्यों के साथ खुश रहना मुमकिन है

‘क्या जाने तू अपने साथी को बचा ले?’—1 कुरिं. 7:16.

क्या आप इनके जवाब ढूँढ़ सकते हैं?

अगर किसी मसीही का जीवन-साथी सच्चाई में नहीं है, तो वह शांति कायम करने के लिए क्या कर सकता है?

एक मसीही अपने परिवार के अविश्‍वासी सदस्यों को सच्ची उपासना अपनाने में कैसे मदद दे सकता है?

मंडली के भाई-बहन उन मसीहियों की मदद कैसे कर सकते हैं जिनके परिवारवाले सच्चाई में नहीं हैं?

1. जब कोई सच्चाई कबूल करता है तो उसके परिवार पर इसका क्या असर हो सकता है?

 एक बार यीशु ने अपने प्रेषितों को प्रचार में भेजते वक्‍त कहा: “जहाँ जाओ वहाँ यह कहकर प्रचार करना, ‘स्वर्ग का राज पास आ गया है।’” (मत्ती 10:1, 7) जो लोग इस खुशखबरी को दिल से कबूल करते हैं, उन्हें शांति और खुशी मिलती है। मगर यीशु ने अपने प्रेषितों को यह कहकर आगाह किया कि लोग उनके प्रचार काम का विरोध भी करेंगे। (मत्ती 10:16-23) लेकिन जब हमारे अपने ही सच्चाई का विरोध करने लगते हैं, तब तो हमें और ज़्यादा तकलीफ होती है।—मत्ती 10:34-36 पढ़िए।

2. जिन मसीहियों के पति या पत्नी सच्चाई में नहीं हैं, उनके लिए खुश रहना क्यों मुमकिन है?

2 क्या इसका यह मतलब है कि जिन मसीहियों के पति या पत्नी सच्चाई में नहीं हैं, वे कभी खुश नहीं रह सकते? बिलकुल नहीं! ऐसे मसीही भी खुश रह सकते हैं, क्योंकि यह ज़रूरी नहीं कि हर परिवार में सच्चाई का कड़ा विरोध किया जाए और यह भी ज़रूरी नहीं कि विरोध हमेशा तक रहे। काफी हद तक उनकी खुशी इस बात पर निर्भर करती है कि वे विरोध या बेरुखी के बावजूद कैसा रवैया बनाए रखते हैं। इसके अलावा, यहोवा अपने वफादार सेवकों को मुश्‍किल हालात के बावजूद खुश रहने में मदद देता है। ऐसे परिवारों में रहनेवाले मसीही अपनी खुशी बढ़ाने के लिए कुछ कदम उठा सकते हैं। (1) वे अपने परिवार में शांति का माहौल कायम करने की पुरज़ोर कोशिश कर सकते हैं और (2) अपने अविश्‍वासी साथी को सच्चाई कबूल करने में तहेदिल से मदद दे सकते हैं।

परिवार में शांति कायम कीजिए

3. जिस मसीही का साथी सच्चाई में न हो, उसके लिए परिवार में शांति कायम करना क्यों ज़रूरी है?

3 परिवार में नेकी का बीज तभी फल उत्पन्‍न करेगा जब वहाँ शांति का माहौल होगा। (याकूब 3:18 पढ़िए।) अगर किसी मसीही का परिवार उपासना के मामले में एक नहीं है, तब भी उसे अपने घर में शांति कायम करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए। यह कैसे किया जा सकता है?

4. मसीही कैसे अपना मन शांत बनाए रख सकते हैं?

4 मसीहियों को अपना मन शांत रखना चाहिए। इसके लिए ज़रूरी है कि हम तहेदिल से प्रार्थना करें। इससे हमें “परमेश्‍वर की वह शांति” मिल सकती है जो हमारी कल्पना के बाहर है। (फिलि. 4:6, 7) यहोवा का ज्ञान लेने और बाइबल के सिद्धांतों को ज़िंदगी में लागू करने से भी शांति मिलती है। (यशा. 54:13) शांति और खुशी पाने के लिए हमें मंडली की सभाओं और प्रचार काम में जोश के साथ हिस्सा लेना चाहिए। अकसर ऐसे मसीही भी इनमें हिस्सा ले पाते हैं, जिनके साथी सच्चाई में नहीं हैं। एन्ज़ा * नाम की एक बहन का उदाहरण लीजिए जिसका पति बहुत विरोध करता है। अपने घर का काम-काज करने के बाद, वह चेला बनाने के काम में हिस्सा लेती है। वह कहती है, “जब भी मैं दूसरों को खुशखबरी सुनाने के लिए मेहनत करती हूँ, यहोवा मुझे अच्छे नतीजे देकर बेशुमार आशीषें देता है।” बेशक, परमेश्‍वर की आशीष से शांति, संतोष और खुशी मिलती है!

5. जिन मसीहियों के परिवार में सभी सच्चाई में नहीं हैं, उन्हें किस चुनौती का सामना करना पड़ता है और उनके लिए क्या मदद हाज़िर है?

5 हमें परिवार के अविश्‍वासी सदस्यों के साथ शांति-भरा रिश्‍ता बनाने की पूरी कोशिश करनी चाहिए। कई बार यह एक चुनौती हो सकती है क्योंकि शायद वे हमसे कुछ ऐसा करने को कहें, जो बाइबल सिद्धांतों के खिलाफ है। जब हम सही सिद्धांतों पर अटल रहते हैं, तो हो सकता है हमारे परिवार के अविश्‍वासी सदस्य नाराज़ हो जाएँ, लेकिन अगर हम डटे रहें, तो एक-न-एक दिन परिवार में शांति ज़रूर कायम होगी। बेशक, हमें उन मामलों में उनका साथ देना चाहिए जो बाइबल के उसूलों के खिलाफ नहीं हैं, ताकि परिवार में बेवजह झगड़े ना हों। (नीतिवचन 16:7 पढ़िए।) जब हम किसी मुश्‍किल का सामना करते हैं, तो हमें विश्‍वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाले दास वर्ग और प्राचीनों से बाइबल पर आधारित सलाह लेनी चाहिए।—नीति. 11:14.

6, 7. (क) साक्षियों के साथ अध्ययन करने पर कुछ लोगों के परिवारवाले उनका विरोध क्यों करते हैं? (ख) जब किसी बाइबल विद्यार्थी या मसीही को अपने परिवार से विरोध का सामना करना पड़ता है, तो उसे क्या करना चाहिए?

6 घर में शांति कायम करने के लिए यहोवा पर भरोसा रखने के साथ-साथ परिवार के अविश्‍वासी सदस्यों की भावनाओं को समझना भी ज़रूरी है। (नीति. 16:20) नए बाइबल विद्यार्थी भी इस मामले में समझ से काम ले सकते हैं। कुछ अविश्‍वासी पति या पत्नी शायद अपने साथी के बाइबल अध्ययन करने पर कोई एतराज़ न करें। वे शायद यह भी मानें कि इससे उनके परिवार को फायदा होगा। लेकिन दूसरे शायद इसका विरोध करें। एस्तर जो अब एक साक्षी है, कहती है कि जब उसके पति ने यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल अध्ययन करना शुरू किया तो वह “गुस्से से भड़क उठी।” वह कहती है, “मैं उनके साहित्य फेंक देती थी या जला देती थी।” हावर्ड जो पहले अपनी पत्नी के बाइबल अध्ययन करने का विरोध करता था, कहता है: “बहुत-से पतियों को इस बात का डर रहता है कि कोई उनकी पत्नी को फुसलाकर किसी धार्मिक पंथ में शामिल न कर ले। एक पति शायद यह समझ न पाए कि वह इस मुश्‍किल से कैसे निपटे और इस वजह से वह विरोध करने लग सकता है।”

7 अगर आपके बाइबल विद्यार्थी का साथी सच्चाई का विरोध करता है, तो विद्यार्थी को समझाइए कि वह इसकी वजह से अपना अध्ययन बंद ना करे। एक विद्यार्थी अपने साथी को गहरा आदर देकर और उसके साथ कोमलता से पेश आकर अकसर कुछ हद तक हालात सुधार सकता है। (1 पत. 3:15) हावर्ड कहता है, “कितना अच्छा हुआ कि मेरी पत्नी शांत रही और उसने गुस्सा नहीं किया!” उसकी पत्नी बताती है: “हावर्ड ने मुझसे कहा, ‘तुम बाइबल अध्ययन करना बंद कर दो। साक्षी तुम्हें बरगला रहे हैं।’ लेकिन उनसे बहस करने के बजाय मैंने कहा, ‘आप शायद सही कह रहे हों, पर मुझे तो ऐसा बिलकुल नहीं लगता।’ फिर मैंने उनसे वह किताब पढ़कर देखने को कहा जिससे मैं अध्ययन कर रही थी। जब उन्होंने वह किताब पढ़ी, तो वे उसमें लिखी सच्चाइयों से इनकार न कर सके। इसका उन पर गहरा असर हुआ।” हमें यह याद रखना चाहिए कि जब एक मसीही, प्रचार या सभाओं के लिए जाता है, तो उसके अविश्‍वासी साथी को लग सकता है कि उसे अकेला छोड़ दिया गया है या फिर यह कि उसकी शादी खतरे में है। लेकिन अगर आप उसे यकीन दिलाएँ कि आप उससे प्यार करते हैं और उसकी परवाह करते हैं, तो उसका डर कम हो सकता है।

उन्हें सच्ची उपासना को अपनाने में मदद दीजिए

8. प्रेषित पौलुस ने उन मसीहियों को क्या सलाह दी, जिनके साथी अविश्‍वासी हैं?

8 प्रेषित पौलुस मसीहियों को सलाह देता है कि वे अपने जीवन-साथी को बस इसलिए न छोड़ दें कि वह अविश्‍वासी है। * (1 कुरिंथियों 7:12-16 पढ़िए।) अगर एक मसीही यह ध्यान रखे कि उसका साथी भी किसी दिन मसीही बन सकता है, तो वह अपनी खुशी बरकरार रख पाएगा। लेकिन अविश्‍वासी के दिल में सच्चाई का बीज बोते वक्‍त सावधानी बरतनी चाहिए, जैसा कि हम आगे देखेंगे।

9. परिवार के अविश्‍वासी सदस्यों को गवाही देते वक्‍त क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

9 गौर कीजिए कि जेसन नाम के एक भाई ने सच्चाई सीखने के बाद कैसा महसूस किया। वह कहता है, “मैं सबको सच्चाई बताना चाहता था!” जी हाँ, जब एक विद्यार्थी को बाइबल में लिखी बातों की सच्चाई का एहसास होता है, तो वह इतना खुश हो जाता है कि हरदम सच्चाई के बारे में ही बात करना चाहता है। वह शायद सोचे कि परिवार के अविश्‍वासी सदस्य तुरंत राज का संदेश कबूल कर लेंगे। मगर हो सकता है, उन्हें यह संदेश पसंद ना आए। शुरू-शुरू में जेसन के जोश का उसकी पत्नी पर क्या असर हुआ? उन दिनों को याद करते हुए उसकी पत्नी कहती है, “मैं तंग आ चुकी थी!” एक बहन, जिसने अपने पति के 18 साल बाद सच्चाई अपनायी, कहती है, “मैं धीरे-धीरे ही सच्चाई सीख सकती थी।” अगर आप एक ऐसे विद्यार्थी के साथ बाइबल अध्ययन कर रहे हैं, जिसके साथी को सच्ची उपासना में कोई दिलचस्पी नहीं है, तो क्यों न उसके साथ अभ्यास करें कि वह कैसे अपने साथी को सूझ-बूझ के साथ बाइबल के बारे में बता सकता है। मूसा ने कहा: “मेरी शिक्षा वर्षा के समान बरसे, मेरी वाणी ओस के समान टपके जैसे कि हरी घास पर फुहार।” (व्यव. 32:2, अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन) बाइबल की शिक्षाओं की बेवक्‍त बौछार के बजाय, सच्चाई के ओस की कुछ बूँदें ज़्यादा असरदार साबित हो सकती हैं।

10-12. (क) प्रेषित पतरस ने उन मसीहियों को क्या सलाह दी जिनके साथी अविश्‍वासी हैं? (ख) एक बाइबल विद्यार्थी ने 1 पतरस 3:1, 2 में दी सलाह को लागू करना कैसे सीखा?

10 प्रेषित पतरस ने परमेश्‍वर की प्रेरणा से उन मसीही पत्नियों को कुछ सलाह दी, जिनके पति सच्चाई में नहीं हैं। उसने लिखा: “तुम अपने-अपने पति के अधीन रहो ताकि अगर किसी का पति परमेश्‍वर के वचन की आज्ञा नहीं मानता, तो वह अपनी पत्नी के पवित्र चालचलन और गहरे आदर को देखकर तुम्हारे कुछ बोले बिना ही जीत लिया जाए।” (1 पत. 3:1, 2) एक पत्नी अपने पति के अधीन रहकर और उसे गहरा आदर दिखाकर उसे जीत सकती है, यानी उसे सच्चाई कबूल करने में मदद दे सकती है; फिर चाहे वह उसके साथ बुरा सलूक क्यों न करता हो। उसी तरह, एक मसीही पति का व्यवहार परमेश्‍वर के स्तरों के मुताबिक होना चाहिए। उसे एक प्यार-भरा मुखिया होना चाहिए, तब भी जब उसकी अविश्‍वासी पत्नी उसका विरोध करती हो।—1 पत. 3:7-9.

11 हमारे ज़माने के कई उदाहरण दिखाते हैं कि पतरस की सलाह वाकई फायदेमंद है। सेलमा की बात लीजिए। उसका यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल अध्ययन करना उसके पति स्टीव को बिलकुल रास नहीं आया। वह कहता है, “मुझे बहुत गुस्सा आता और जलन होती। मैं चाहता था कि वह हमेशा मेरे साथ रहे। मुझे डर था कि कहीं मैं उसे खो न दूँ।” सेलमा बताती है: “सच्चाई में आने से पहले भी स्टीव के साथ जीना बेहद मुश्‍किल था। गुस्सा तो हरदम उसकी नाक पर रहता था। जब मैं बाइबल अध्ययन करने लगी, तब तो वह और भी गुस्सैल बन गया।” फिर हालात कैसे सुधरे?

12 सेलमा ने उस बहन से एक सबक सीखा जो उसके साथ अध्ययन करती थी। सेलमा कहती है, “एक दिन मेरा बाइबल अध्ययन करने का मन नहीं कर रहा था। पिछली रात जब मेरे और स्टीव के बीच बहस हो रही थी, तो उसने मुझ पर हाथ उठाया। मैं इस बात को लेकर बहुत दुखी थी; मुझे बहुत बुरा लग रहा था। जब मैंने इस बारे में बहन को बताया, तो उसने मुझे 1 कुरिंथियों 13:4-7 पढ़ने को कहा। उसे पढ़कर मैंने सोचा, ‘स्टीव तो कभी मेरे साथ इस तरह प्यार से पेश नहीं आता।’ मगर बहन ने मुझे कुछ अलग तरीके से सोचने पर मजबूर किया। उसने मुझसे पूछा, ‘प्यार के इन गुणों में से कितने हैं जिन्हें तुम ज़ाहिर करती हो?’ मेरा जवाब था, ‘एक भी नहीं, उसके साथ तो जीना ही मुश्‍किल है, प्यार कैसे दिखाऊँ।’ बहन ने ममता भरी आवाज़ में कहा, ‘सेलमा, कौन मसीही बनने की कोशिश कर रहा है, तुम या स्टीव?’ मैं समझ गयी कि मुझे अपने सोचने का तरीका बदलना होगा, इसलिए मैंने यहोवा से प्रार्थना की कि स्टीव के साथ प्यार से पेश आने में वह मेरी मदद करे। धीरे-धीरे हालात सुधरने लगे।” 17 साल बाद स्टीव सच्चाई में आ गया।

दूसरे कैसे मदद कर सकते हैं

13, 14. मंडली के भाई-बहन उनकी मदद कैसे कर सकते हैं जिनका परिवार सच्चाई में नहीं है?

13 जिस तरह बारिश की फुहार से ज़मीन नम होती है और पौधे बढ़ने लगते हैं, उसी तरह मंडली के भाई-बहनों का प्यार उन मसीहियों की खुशियाँ बढ़ाता है, जिनके साथी सच्चाई में नहीं हैं। ब्राज़ील में रहनेवाली एल्वीना कहती है, “भाई-बहनों के प्यार की वजह से ही मैं सच्चाई में मज़बूत बनी रह पायी हूँ।”

14 जब मंडली के भाई-बहन किसी अविश्‍वासी साथी की मदद करते हैं या उसमें दिलचस्पी लेते हैं तो इसका उस पर गहरा असर हो सकता है। नाईजीरिया में रहनेवाले एक पति ने अपनी पत्नी के 13 साल बाद सच्चाई कबूल की। वह कहता है: “मैं एक साक्षी के साथ सफर कर रहा था कि अचानक उसकी गाड़ी खराब हो गयी। उसने पास के गाँव के कुछ साक्षियों से संपर्क किया और उन्होंने हमें रात को अपने यहाँ रहने की जगह दी। उन्होंने हमारी इतनी अच्छी देखरेख की, मानों वे हमें बचपन से जानते हों। तब मैंने उस मसीही प्यार का अनुभव किया जिसके बारे में मेरी पत्नी बताया करती थी।” इंग्लैंड में रहनेवाली एक बहन अपने पति के 18 साल बाद सच्चाई में आयी। वह कहती है, “भाई-बहन हम दोनों को खाने पर बुलाते थे। मुझे हमेशा इज़्ज़त दी जाती थी।” उसी देश में रहनेवाला एक पति जो बाद में साक्षी बना, कहता है: “भाई-बहन हमेशा हमसे मिलने आते या हमें अपने घर बुलाते। मैंने देखा कि वे हमारी बहुत परवाह करते थे। खासकर जब मैं अस्पताल में भर्ती था, तो बहुत-से भाई-बहन मुझसे मिलने आए।” क्या आप भी भाई-बहनों के अविश्‍वासी परिवारवालों में दिलचस्पी दिखाने के तरीके ढूँढ़ सकते हैं?

15, 16. अगर परिवार के अविश्‍वासी सदस्य सच्चाई कबूल नहीं करते, तो क्या बात एक मसीही को अपनी खुशी बनाए रखने में मदद देगी?

15 बेशक, सालों तक अच्छा चालचलन बनाए रखने और सूझ-बूझ से गवाही देने के बावजूद, सभी अविश्‍वासी साथी, बच्चे, माता-पिता या दूसरे रिश्‍तेदार सच्चाई कबूल नहीं करते और कुछ तो कड़ा विरोध जारी रखते हैं। (मत्ती 10:35-37) फिर भी, अगर मसीही अच्छे गुण दिखाते रहें, तो इससे फर्क पड़ सकता है। एक पति, जो पहले अविश्‍वासी था, कहता है: “आपको शायद इसका एहसास न हो, लेकिन अगर एक मसीही मनभावने गुण दिखाता रहे, तो उसके अविश्‍वासी साथी के दिलो-दिमाग पर इसका अच्छा असर होता है। इसलिए उम्मीद का दामन कभी मत छोड़िए।”

16 लेकिन अगर परिवार के सदस्य सच्चाई कबूल नहीं करते, तब भी विश्‍वासी भाई-बहनों के लिए खुश रहना मुमकिन है। इक्कीस साल की कोशिशों के बावजूद एक बहन के पति ने सच्चाई कबूल नहीं की। वह कहती है: “मैं हमेशा यहोवा को खुश करने की कोशिश करती हूँ। इसके अलावा यहोवा के प्रति वफादार रहने और अपनी आध्यात्मिकता मज़बूत करने से भी मैं अपनी खुशी बरकरार रख पायी हूँ। निजी अध्ययन, सभाओं, प्रचार और दूसरों की मदद करने जैसे मसीही कामों में खुद को पूरी तरह लगाने से, यहोवा के साथ मेरा रिश्‍ता और मज़बूत हुआ है और मेरे मन की रक्षा हुई है।”—नीति. 4:23.

हिम्मत मत हारिए!

17, 18. एक मसीही तब भी कैसे उम्मीद कायम रख सकता है, जब उसके परिवार के सदस्य सच्चाई में ना हों?

17 अगर आप एक वफादार मसीही हैं जिसका साथी सच्चाई में नहीं है, तो हिम्मत मत हारिए। याद रखिए कि “यहोवा तो अपने बड़े नाम के कारण अपनी प्रजा को न तजेगा।” (1 शमू. 12:22) जब तक आप उससे लिपटे रहेंगे, वह आपका साथ नहीं छोड़ेगा। (2 इतिहास 15:2 पढ़िए।) इसलिए ‘यहोवा को अपने सुख का मूल जानिए।’ जी हाँ, ‘अपने मार्ग की चिन्ता यहोवा पर छोड़िए; और उस पर भरोसा रखिए।’ (भज. 37:4, 5) ‘प्रार्थना में लगे रहिए’ और यकीन रखिए कि स्वर्ग में रहनेवाला हमारा प्यारा पिता आपको धीरज से हर तरह की मुश्‍किल का सामना करने में मदद देगा।—रोमि. 12:12.

18 यहोवा से उसकी पवित्र शक्‍ति की फरियाद कीजिए ताकि आप घर में शांत माहौल बनाए रखने में कामयाब हो सकें। (इब्रा. 12:14) जी हाँ, घर में शांति का माहौल बनाना मुमकिन है, जिसकी वजह से आगे चलकर परिवार के अविश्‍वासी सदस्यों का नज़रिया बदल सकता है। अगर आप “सबकुछ परमेश्‍वर की महिमा के लिए” करते हैं, तो आपको मन की शांति मिलेगी। (1 कुरिं. 10:31) यकीन रखिए कि आपके भाई-बहन आपसे प्यार करते हैं और वे हमेशा आपका साथ देंगे!

[फुटनोट]

^ पैरा. 4 नाम बदल दिए गए हैं।

^ पैरा. 8 पौलुस की सलाह का यह मतलब नहीं था कि अगर हालात बहुत ज़्यादा बिगड़ जाएँ, तब भी पति या पत्नी अलग नहीं हो सकते। यह एक गंभीर फैसला है जो हरेक को खुद लेना है। खुद को परमेश्‍वर के प्यार के लायक बनाए रखो किताब के पेज 252-253 देखिए।

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 28 पर तसवीर]

अपने विश्‍वास के बारे में बात करने के लिए सही वक्‍त चुनिए

[पेज 29 पर तसवीर]

अविश्‍वासी साथियों के लिए परवाह दिखाइए