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“हमें वापस घर आने दे”

“हमें वापस घर आने दे”

परमेश्‍वर के करीब आइए

“हमें वापस घर आने दे”

क्या आप एक समय पर यहोवा की सेवा करते थे? क्या आप दोबारा उसकी सेवा करना चाहते हैं, मगर इस कशमकश में हैं कि यहोवा आपको अपनाएगा या नहीं? अगर ऐसी बात है, तो इस लेख और अगले लेख को ध्यान से पढ़िए, क्योंकि ये खासकर आपके लिए तैयार किए गए हैं।

एक औरत जो मसीही स्तरों को ठुकराकर यहोवा से दूर चली गयी थी, कहती है: “मैंने यहोवा का दिल दुखाया है। इसलिए मैंने उससे बिनती की कि वह मुझे माफ कर दे और मुझे वापस घर आने दे।” क्या आपको इस औरत से हमदर्दी है? क्या आपने कभी सोचा है: ‘परमेश्‍वर उन लोगों के बारे में कैसा महसूस करता है, जो एक समय पर उसके सेवक हुआ करते थे? क्या वह उन्हें याद रखता है? क्या वह चाहता है कि वे वापस उसके पास लौट आएँ?’ जवाब जानने के लिए हमें भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह के शब्दों पर गौर करना होगा। हमें पूरा यकीन है कि इन सवालों के जवाब आपका दिल छू लेंगे।—यिर्मयाह 31:18-20 पढ़िए।

ध्यान दीजिए कि यिर्मयाह ने किन हालात में ये शब्द लिखे। इसराएल के दस गोत्रवाले राज्य के निवासी कैद में पड़े थे, क्योंकि दशकों पहले ईसा पूर्व 740 में अश्‍शूरी उन्हें बंदी बनाकर ले गए थे। * उस वक्‍त परमेश्‍वर ने अपने लोगों की मदद क्यों नहीं की? क्योंकि वे घोर पाप कर रहे थे। यहोवा ने अपने भविष्यवक्‍ताओं को भेजकर बार-बार उन्हें चिताया, मगर उन्होंने उसकी एक न सुनी। इसलिए यहोवा ने सबक सिखाने के लिए उन्हें बंधुआई में जाने दिया। (2 राजा 17:5-18) अपने वतन और परमेश्‍वर से दूर, कैद में जब उन्होंने तकलीफों का सामना किया, तो क्या उनका रवैया बदला? क्या यहोवा उन्हें भूल गया? क्या उसने उन्हें वापस घर लौटने दिया?

“मैं पछताया”

बंधुआई में इसराएलियों को अपनी गलतियों का एहसास हुआ और वे बहुत पछताए। यहोवा ने भी देखा कि वे अपने किए पर बहुत शर्मिंदा हैं। आइए हम देखें कि बंधुआई में पड़े इसराएलियों की भावनाओं और दिल की हालत को यहोवा ने किन शब्दों में बयान किया। इन शब्दों में वह उन्हें एप्रैम कहकर बुलाता है।

यहोवा कहता है, “निश्‍चय मैं ने एप्रैम को ये बातें कहकर विलाप करते सुना है।” (आयत 18) यहोवा ने इसराएलियों को यह विलाप करते सुना कि पाप की राह पर निकलकर उन्हें कितने बुरे अंजाम भुगतने पड़ रहे हैं। वे उस बिगड़ी औलाद की तरह हैं जो अपनी बदतर हालत पर अफसोस करता है और वैसी ज़िंदगी जीने को तरसता है, जैसी वह घर पर रहते वक्‍त जीता था। (लूका 15:11-17) इसराएली क्या कह रहे थे?

‘तू ने मेरी ताड़ना की, मैं उस बछड़े के समान था जिसे कभी जोता न गया हो।’ (आयत 18, अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन) लोगों ने कबूल किया कि उन्हें जो ताड़ना दी गयी थी, वे उसी के लायक थे। वे बेलगाम बछड़े के समान थे। एक किताब के मुताबिक इस उपमा का मतलब है कि इसराएली “ऐसे बछड़े की तरह थे जो जूए में जुतना नहीं चाहता और इसीलिए उसे छड़ी से हाँका जाता है।”

“मुझे फेर ला कि मैं लौट आऊं, क्योंकि तू मेरा परमेश्‍वर यहोवा है।” (आयत 18, अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन) इसराएलियों ने खुद को नम्र किया और परमेश्‍वर से मदद की गुहार लगायी। वे पाप करते-करते इतनी दूर भटक गए थे कि अब वे वापस लौटना और परमेश्‍वर की मंज़ूरी पाना चाहते थे। एक दूसरी बाइबल में इस आयत का अनुवाद यूँ किया गया है: “तू हमारा परमेश्‍वर है। हमारी मिन्‍नत सुन ले, हमें वापस घर आने दे।”—कॉन्टेम्प्ररी इंग्लिश वर्शन।

“मैं पछताया . . . मैं लज्जित हुआ और मेरा मुंह काला हो गया।” (आयत 19) इसराएलियों को बेहद अफसोस हुआ कि उन्होंने पाप किया। उन्होंने अपना गुनाह कबूल किया। यही नहीं, वे अपने किए पर इतने लज्जित थे कि अपनी छाती पीटने लगे।—लूका 15:18, 19, 21.

इसराएलियों ने सच्चा पश्‍चाताप दिखाया। उन्हें अपनी गलती का अफसोस था, उन्होंने परमेश्‍वर के सामने अपने पापों को कबूल किया और बुरे कामों से मुँह फेर लिया। क्या उनका पश्‍चाताप देखकर परमेश्‍वर को उन पर दया आयी? क्या वह उन्हें वापस घर लौटने देगा?

“मैं उस पर अवश्‍य दया करूँगा”

यहोवा को इसराएलियों से खास लगाव था। वह कहता है: “मैं इसराएल का पिता हूं, हां, एप्रैम मेरा पहलौठा है।” (यिर्मयाह 31:9, अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन) क्या ऐसा हो सकता है कि एक प्यार करनेवाला पिता, अपने बेटे को सच्चा पश्‍चाताप करते देख उसे दुतकार दे? हो ही नहीं सकता! गौर कीजिए कि यहोवा अपने लोगों के बारे में क्या कहता है।

“क्या एप्रैम मेरा प्रिय पुत्र नहीं है? क्या वह मेरा दुलारा लड़का नहीं है? जब जब मैं उसके विरुद्ध बातें करता हूं, तब तब मुझे उसका स्मरण हो आता है।” (आयत 20) इन शब्दों में कितना प्यार भरा हुआ है! एक पिता की तरह परमेश्‍वर अपने बच्चों से प्यार करता है, मगर ज़रूरत पड़ने पर सख्ती भी बरतता है। इसलिए जब उसके लोग पाप करने लगे, तो उसने उनके “विरुद्ध” बातें की और उन्हें बार-बार चेतावनी दी। जब उन्होंने ढीठ होकर परमेश्‍वर की सुनने से इनकार कर दिया, तो उसने उन्हें बंधुआई में जाने दिया मानो उन्हें घर से निकाल दिया। हालाँकि यहोवा को उन्हें सज़ा देनी पड़ी मगर वह उन्हें नहीं भूला। एक प्यार करनेवाला पिता अपने बच्चों को कभी भूल ही नहीं सकता! जब यहोवा ने अपने बच्चों को सच्चे दिल से पश्‍चाताप करते देखा, तो उसे कैसा लगा?

“मेरा हृदय उसके लिए व्याकुल रहता है। मैं उस पर अवश्‍य दया करूँगा।” (आयत 20, वाल्द-बुल्के अनुवाद) यहोवा अपने बच्चों को देखने के लिए तरस गया और बेसब्री से उनके लौटने का इंतज़ार करने लगा। वह यीशु की बतायी उड़ाऊ बेटे की मिसाल में उस पिता की तरह है, जो अपने बेटे के लिए ‘तड़प उठता’ है और उसके घर लौटने की राह देखता रहता है।—लूका 15:20.

“यहोवा मुझे वापस घर आने दे”

यिर्मयाह 31:18-20 में दर्ज़ शब्दों से हमें यहोवा की कोमल करुणा और दया के बारे में कितनी गहरी समझ मिली है। परमेश्‍वर उन लोगों को नहीं भूलता जो एक समय पर उसकी सेवा करते थे। और अगर वे उसके पास लौटना चाहें तो? परमेश्‍वर “क्षमा करने को तत्पर रहता है।” (भजन 86:5, अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन) वह पश्‍चाताप करनेवालों को कभी नहीं दुतकारेगा। (भजन 51:17) इसके बजाय, उनके घर लौटने पर वह खुशी-खुशी उनका स्वागत करेगा।—लूका 15:22-24.

लेख की शुरूआत में जिस औरत का ज़िक्र किया गया था, उसने यहोवा के पास लौटने में पहल की और वह यहोवा के साक्षियों की एक मंडली में जाने लगी। मगर शुरू-शुरू में उसे अपने आप से लड़ना पड़ा क्योंकि वह कहती है: “मुझे लगा कि मैं यहोवा की सेवा करने के लायक ही नहीं।” लेकिन मंडली के प्राचीनों ने उसका हौसला बढ़ाया और परमेश्‍वर के साथ दोबारा एक मज़बूत रिश्‍ता कायम करने में उसकी मदद की। एहसान-भरे दिल से वह कहती है: “मैं बता नहीं सकती, मैं कितनी खुश हूँ कि यहोवा ने मुझे वापस घर आने दिया।”

अगर आप पहले यहोवा की सेवा करते थे और अब दोबारा उसकी सेवा करना चाहते हैं, तो हमारी गुज़ारिश है कि आप अपने इलाके के यहोवा के साक्षियों की मंडली में जाएँ। याद रखिए, यहोवा उन लोगों के साथ करुणा और दया से पेश आता है, जो सच्चा पश्‍चाताप दिखाते हुए उससे कहते हैं: “हमें वापस घर आने दे।” (w12-E 04/01)

[फुटनोट]

^ सदियों पहले ईसा पूर्व 997 में इसराएल राष्ट्र, दो राज्यों में बँट गया था। एक था, दक्षिण में दो गोत्रों से बना यहूदा राज्य और दूसरा, उत्तर में दस गोत्रों से बना इसराएल राज्य। इसे एप्रैम भी कहा जाता था, जो इसराएल के दस गोत्रों का सबसे प्रमुख गोत्र था।