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वे “पवित्र शक्‍ति से उभारे” गए

वे “पवित्र शक्‍ति से उभारे” गए

वे “पवित्र शक्‍ति से उभारे” गए

“कोई भी भविष्यवाणी इंसान की मरज़ी से कभी नहीं हुई, बल्कि इंसान पवित्र शक्‍ति से उभारे जाकर परमेश्‍वर की तरफ से बोलते थे।”—2 पत. 1:21.

मनन के लिए मुद्दे

बाइबल के लिखनेवालों तक परमेश्‍वर का संदेश पवित्र शक्‍ति के ज़रिए किस तरह पहुँचाया गया?

इस बात के क्या सबूत हैं कि बाइबल परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखी गयी है?

आप हर दिन किस तरह दिखा सकते हैं कि आप बाइबल की कदर करते हैं?

1. हमें परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखे उसके वचन की ज़रूरत क्यों है?

 हमारी शुरूआत कैसे हुई? ज़िंदगी का मकसद क्या है? इंसानों का भविष्य कैसा होगा? दुनिया की हालत ऐसी क्यों है? मरने के बाद हमारा क्या होता है? इन सवालों के जवाब हर कोई जानना चाहता है। लेकिन अगर हमारे पास परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखा उसका वचन नहीं होता, तो हमें ऐसे अहम सवालों के जवाब कैसे मिलते? हमारे पास बाइबल नहीं होती, तो हमें ज़िंदगी के फैसले करने के लिए खुद के तजुर्बे पर ही निर्भर होना पड़ता। अगर हम सिर्फ अपने तजुर्बे से सीखते, तो हम “यहोवा की व्यवस्था” के बारे में वह बात नहीं कह पाते जो दाविद ने कही थी।—भजन संहिता 19:7 पढ़िए।

2. बाइबल के लिए कदर बरकरार रखने में क्या बात हमारी मदद करेगी?

2 दुख की बात है कि कुछ लोगों में बाइबल की सच्चाइयों के लिए पहले जो प्यार था, वह अब नहीं रहा। (प्रकाशितवाक्य 2:4 से तुलना कीजिए।) वे अब परमेश्‍वर की बतायी राह पर नहीं चलते। (यशा. 30:21) अगर हम चाहते हैं कि हमारे साथ ऐसा न हो, तो ज़रूरी है कि हम अपने दिल में बाइबल और उसकी शिक्षाओं के लिए कदर बनाए रखें। बाइबल, हमारे प्यारे सृष्टिकर्ता की तरफ से मिला एक अनमोल तोहफा है। (याकू. 1:17) ‘परमेश्‍वर के वचन’ के लिए कदर बरकरार रखने में क्या बात हमारी मदद करेगी? एक तरीका है, इस बात पर गौर करना कि परमेश्‍वर ने बाइबल कैसे लिखवायी। हमें उन सबूतों को भी जाँचना चाहिए, जिनकी बिनाह पर हम कह सकते हैं कि बाइबल वाकई परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखी गयी है। ऐसा करने से हमें रोज़ परमेश्‍वर का वचन पढ़ने और उसमें दी सलाह को लागू करने का बढ़ावा मिलेगा।—इब्रा. 4:12.

‘पवित्र शक्‍ति से उभारे गए’—मगर कैसे?

3. बाइबल के लिखनेवाले और भविष्यवक्‍ता किस मायने में “पवित्र शक्‍ति से उभारे गए” थे?

3 बाइबल को लिखने में करीब 1,610 साल लगे; ईसा पूर्व 1513 से लेकर ईसवी सन्‌ 98 तक। इसे करीब 40 अलग-अलग आदमियों ने लिखा। इनमें से कुछ भविष्यवक्‍ता थे, जो “पवित्र शक्‍ति से उभारे” गए थे। (2 पतरस 1:20, 21 पढ़िए।) जिस यूनानी शब्द का अनुवाद यहाँ “उभारे जाकर,” किया गया है, उसका मतलब है किसी चीज़ को एक जगह से दूसरी जगह उठाकर ले जाना। इसके अलावा, इसका अनुवाद हटाना, उकसाए जाना, या हटाए जाने देना भी किया जा सकता है। एक जहाज़ को जिस तरह हवा अपने रुख के साथ बहा ले जाती है, उसे बताने के लिए प्रेषितों 27:15 में इसी शब्द का इस्तेमाल किया गया है। बाइबल की किताबें लिखनेवाले और भविष्यवक्‍ता “पवित्र शक्‍ति से उभारे” गए, यानी परमेश्‍वर ने अपनी पवित्र शक्‍ति के ज़रिए उन्हें अपना संदेश दिया, उन्हें लिखने के लिए उभारा और उनका मार्गदर्शन किया। इसलिए हम कह सकते हैं कि उन्होंने परमेश्‍वर के विचार लिखे न कि अपने। कई बार तो भविष्यवक्‍ताओं और बाइबल के लिखनेवालों को उन बातों का मतलब भी पता नहीं होता था, जिनके बारे में उन्होंने भविष्यवाणी की थी या जो उन्होंने दर्ज़ की थीं। (दानि. 12:8, 9) जी हाँ, “पूरा शास्त्र परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखा गया है,” न कि इंसानी सोच के आधार पर।—2 तीमु. 3:16.

4-6. किन तरीकों से यहोवा ने बाइबल के लिखनेवालों तक अपना संदेश पहुँचाया? मिसाल देकर समझाइए।

4 परमेश्‍वर ने किस तरह पवित्र शक्‍ति की मदद से अपना संदेश बाइबल के लिखनेवालों तक पहुँचाया? क्या उसने उन्हें सब कुछ शब्द-ब-शब्द बताया या फिर सिर्फ खास मुद्दे बताए जिन्हें उन्होंने अपने शब्दों में लिखा? गौर कीजिए कि किस तरह एक मैनेजर चिट्ठी लिखता है। अगर मैनेजर को लगता है कि चिट्ठी का एक-एक शब्द बहुत मायने रखता है, तो वह खुद उसे लिखता है, या फिर अपनी सेक्रेट्री को शब्द-ब-शब्द बताता है कि क्या लिखना है। दूसरे मामलों में, वह सेक्रेट्री को सिर्फ खास मुद्दे बताता है और फिर उसे अपने तरीके से चिट्ठी तैयार करने के लिए कहता है। चिट्ठी तैयार होने के बाद, मैनेजर उसे पढ़ता है और ज़रूरत के मुताबिक सेक्रेट्री को उसमें बदलाव करने को कहता है। आखिर में, मैनेजर उस चिट्ठी पर दस्तखत करता है और यह चिट्ठी उसी की मानी जाती है।

5 बाइबल के कुछ हिस्से परमेश्‍वर ने खुद लिखे। (निर्ग. 31:18) इसके अलावा, जब एकदम बारीक जानकारी दर्ज़ करनी ज़रूरी थी, तो यहोवा ने लिखनेवालों को शब्द-ब-शब्द बताया कि उन्हें क्या लिखना है। मिसाल के लिए, निर्गमन 34:27 में हम पढ़ते हैं: “यहोवा ने मूसा से कहा, ये वचन [शब्द] लिख ले; क्योंकि इन्हीं वचनों [शब्दों] के अनुसार मैं तेरे और इस्राएल के साथ वाचा बान्धता हूं।” इसी तरह, यहोवा ने भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह से कहा: “जो वचन [शब्द] मैं ने तुझ से कहे हैं उन सभों को पुस्तक में लिख ले।”—यिर्म. 30:2.

6 बाइबल लिखनेवाले ज़्यादातर लोगों को परमेश्‍वर ने शब्द-ब-शब्द जानकारी नहीं दी। इसके बजाय परमेश्‍वर ने अपने विचार उनके दिलो-दिमाग में डाले, ताकि वे इन्हें अपने शब्दों में बयान कर सकें। सभोपदेशक 12:10 कहता है, “उपदेशक ने मनभावने शब्द खोजे और सीधाई से ये सच्ची बातें लिख दीं।” लूका ने भी ‘सारी बातों का शुरूआत से सही-सही पता लगाया ताकि वह ये बातें तर्क के मुताबिक सिलसिलेवार ढंग से लिख सके।’ (लूका 1:3) पवित्र शक्‍ति ने इस बात का खास खयाल रखा कि इंसानों की गलती की वजह से परमेश्‍वर का संदेश बदल न जाए।

7. बाइबल को लिखने के लिए इंसानों का इस्तेमाल करके यहोवा ने किस तरह अपनी बुद्धि का सबूत दिया?

7 बाइबल लिखने के लिए इंसानों का इस्तेमाल करना परमेश्‍वर की बुद्धि का सबूत देता है। शब्द न सिर्फ जानकारी देते हैं, बल्कि भावनाओं और जज़्बातों को भी ज़ाहिर करते हैं। ज़रा सोचिए, अगर परमेश्‍वर ने बाइबल लिखने के लिए स्वर्गदूतों का इस्तेमाल किया होता, तो क्या वे डर, दुख और निराशा जैसी इंसानी भावनाओं का बयान कर पाते? यहोवा ने इंसानों को अपने शब्दों में उसके विचार लिखने की इजाज़त दी। यही वजह है कि बाइबल में लिखी बातें हमारे दिल को छू जाती हैं।

सबूतों पर ध्यान दें

8. हम क्यों कह सकते हैं कि बाइबल दूसरे ग्रंथों से अलग है?

8 इस बात के ढेरों सबूत हैं कि बाइबल परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखी गयी है। किसी और किताब के मुकाबले, बाइबल हमें परमेश्‍वर के बारे में काफी जानकारी देती है। मिसाल के लिए, हिंदू धर्म के वेदों, उपनिषदों और रामायण, महाभारत, भगवद्‌गीता जैसी दूसरी किताबों में स्तुति के श्‍लोक, धार्मिक अनुष्ठान, फलसफे, कहानियाँ और नैतिकता के नियम पाए जाते हैं। बौद्ध धर्म की किताब त्रिपिटक (तीन पिटारियाँ) के एक खंड में भिक्षुओं के लिए नियम-कानून दिए गए हैं। एक और खंड में सिर्फ बौद्ध धर्म के सिद्धांतों के बारे में बताया गया है। एक दूसरे खंड में गौतम बुद्ध की शिक्षाएँ दर्ज़ हैं। बुद्ध ने कभी अपने आपको भगवान नहीं कहा। दरअसल उसने परमेश्‍वर के बारे में बहुत कम जानकारी दी। कनफ्यूशीवाद की किताबों में नैतिक उसूल, जादू-मंत्र, गीत और अलग-अलग घटनाओं के ब्यौरे दर्ज़ हैं। हालाँकि इसलाम की किताब में बताया गया है कि एक ही खुदा है, वह सबकुछ जानता है और उसे भविष्य की पूरी खबर है लेकिन उसमें परमेश्‍वर के नाम, यहोवा का ज़िक्र नहीं किया गया है जो कि बाइबल में हज़ारों बार आता है।

9, 10. बाइबल से हम परमेश्‍वर के बारे में क्या सीख सकते हैं?

9 ज़्यादातर धार्मिक ग्रंथ हमें परमेश्‍वर के बारे में बहुत कम जानकारी देते हैं, लेकिन बाइबल हमें यहोवा और उसके शानदार कामों से अच्छी तरह वाकिफ कराती है। इस किताब की मदद से हम यहोवा को बेहतर जान पाते हैं। बाइबल न सिर्फ यह बताती है कि परमेश्‍वर इंसाफ-पसंद, बुद्धिमान और ताकतवर है, बल्कि यह भी कि वह एक प्यार करनेवाला परमेश्‍वर है। (यूहन्‍ना 3:16; 1 यूहन्‍ना 4:19 पढ़िए।) वह यह भी बताती है कि “परमेश्‍वर भेदभाव नहीं करता, मगर हर ऐसा इंसान जो उसका भय मानता है और नेक काम करता है, फिर चाहे वह किसी भी जाति का क्यों न हो, वह परमेश्‍वर को भाता है।” (प्रेषि. 10:34, 35) इसका सबूत हमें इस बात से मिलता है कि आज बाइबल बहुत सारी भाषाओं में, बड़े पैमाने पर बाँटी जा रही है। भाषा-विद्वानों का कहना है कि दुनिया-भर में करीब 6,700 भाषाएँ हैं। इनमें से करीब 100 भाषाएँ ऐसी हैं जो दुनिया में सबसे ज़्यादा बोली जाती हैं। अगर बाइबल इन 100 भाषाओं में ही होती तब भी इसे दुनिया के 90 प्रतिशत लोग पढ़ पाते। लेकिन आज पूरी बाइबल या फिर इसके कुछ हिस्से 2,400 से भी ज़्यादा भाषाओं में मौजूद हैं। यानी दुनिया के लगभग सभी लोग, बाइबल का कम-से-कम एक हिस्सा तो पढ़ सकते हैं।

10 यीशु ने कहा: “मेरा पिता अब तक काम करता आ रहा है और मैं भी काम करता रहता हूँ।” (यूह. 5:17) यहोवा “अनादिकाल से अनन्तकाल” का परमेश्‍वर है। ज़रा सोचिए इतने लंबे समय में यहोवा ने क्या-क्या किया होगा। (भज. 90:2) सिर्फ बाइबल हमें बताती है कि बीते समय में परमेश्‍वर ने क्या किया, वह अभी क्या कर रहा है और भविष्य में क्या करेगा। बाइबल हमें यह भी सिखाती है कि परमेश्‍वर किन चीज़ों से खुश होता है और क्या बातें उसे दुखी करती हैं। यही नहीं इसकी मदद से हम यह भी जान पाते हैं कि हम परमेश्‍वर के करीब कैसे आ सकते हैं। (याकू. 4:8) हमें किसी भी बात को परमेश्‍वर के साथ हमारे रिश्‍ते के आड़े नहीं आने देना चाहिए।

11. बाइबल में किन अलग-अलग विषयों के बारे में भरोसेमंद सलाह दी गयी है?

11 बाइबल में अलग-अलग विषयों के बारे में जो भरोसेमंद सलाह दी गयी है वह भी इस बात का सबूत है कि यह किताब किसी ऐसे शख्स ने लिखवायी है जिसकी सोच इंसानों से कहीं बेहतर है। प्रेषित पौलुस ने लिखा: “कौन है जो यहोवा का मन जान सका है कि वह उसे हिदायत दे सके?” (1 कुरिं. 2:16) यह आयत उस सवाल पर आधारित है, जो भविष्यवक्‍ता यशायाह ने अपने ज़माने के लोगों से पूछा था: “किस ने यहोवा की आत्मा को मार्ग बताया वा उसका मन्त्री होकर उसको ज्ञान सिखाया है?” (यशा. 40:13) बेशक, ऐसा कोई नहीं कर सकता। बाइबल में शादीशुदा ज़िंदगी, बच्चों की परवरिश, मनोरंजन, संगति, मेहनत, ईमानदारी और नैतिक मामलों के बारे सलाह दी गयी है। इसकी सलाह मानने से हमेशा फायदा होता है। बाइबल की कोई भी सलाह गलत नहीं हो सकती। दूसरी तरफ, इंसान इतना बुद्धिमान नहीं कि वह ऐसी सलाह दे सके जिस पर चलने से लोगों को हमेशा फायदा हो। (यिर्म. 10:23) इंसानों की सलाह दिन-ब-दिन बदलती रहती है, क्योंकि जब उन्हें एहसास होता है कि उनकी दी सलाह सही नहीं है, तो वे फौरन कोई दूसरी सलाह दे देते हैं। बाइबल कहती है कि ‘मनुष्य की कल्पनाएँ तो मिथ्या हैं।’—भज. 94:11.

12. बाइबल को मिटाने की किन कोशिशों के बावजूद यह आज तक महफूज़ है?

12 परमेश्‍वर ही बाइबल का असल लेखक है इस बात का एक और ज़बरदस्त सबूत हमें इतिहास में मिलता है। बीते ज़माने में बाइबल को मिटाने की पुरज़ोर कोशिश की गयी। ईसा पूर्व 168 में सीरिया के राजा ऐन्टायकस चौथे ने व्यवस्था की किताबों को जलाकर राख कर देने की कोशिश की। इसी तरह, ईसवी सन्‌ 303 में रोमी सम्राट डायक्लीशन ने फरमान जारी किया कि मसीहियों के सभा घरों को तबाह कर दिया जाए और शास्त्रों को आग में फूँक दिया जाए। तबाही का यह दौर करीब दस साल तक चलता रहा। ग्यारहवीं सदी के बाद ऐसे कई पोप हुए जिन्होंने अलग-अलग भाषाओं में बाइबल का अनुवाद करने और इसे बाँटने के काम का ज़बरदस्त विरोध किया क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि आम लोग बाइबल के बारे में सीखें। हालाँकि शैतान और उसके कारिंदों ने बाइबल का नामो-निशान मिटाने की लाख कोशिश की, लेकिन यह अभी तक महफूज़ है। यहोवा ने किसी भी ऐसी कोशिश को कामयाब होने नहीं दिया, जो इंसानों को दिए उसके इस तोहफे को नष्ट कर सकती थी।

सबूत—जिनसे कइयों को यकीन हुआ

13. हम किस बिनाह पर कह सकते हैं कि बाइबल परमेश्‍वर की तरफ से है?

13 इनके अलावा कई और भी सबूत हैं जो दिखाते हैं कि बाइबल, परमेश्‍वर की प्रेरणा से ही लिखी गयी है। मिसाल के लिए, इसमें शुरू से लेकर आखिर तक जो कुछ लिखा है, उसका आपस में गहरा तालमेल है; यह विज्ञान से जुड़ी बातों के बारे में एकदम सही जानकारी देती है; इसमें दी भविष्यवाणियाँ पूरी हुई हैं; इसमें इतिहास की जो घटनाएँ दर्ज़ हैं वे वाकई घटी थीं और इसके लिखनेवालों ने ईमानदारी से सब कुछ साफ-साफ लिखा। इसके अलावा, बाइबल में लोगों की ज़िंदगी बदलने की ताकत है और यह उन्हें ज़िंदगी से जुड़े उन अहम सवालों के सही जवाब देती है जिनका ज़िक्र पैराग्राफ 1 में किया गया था। आइए देखें कि किस वजह से कई लोग इस नतीजे पर पहुँच पाए हैं कि बाइबल वाकई परमेश्‍वर की तरफ से है।

14-16. (क) एक मुसलमान, एक हिंदू और एक अज्ञेयवादी क्यों इस नतीजे पर पहुँचे कि बाइबल वाकई परमेश्‍वर की तरफ से है? (ख) बाइबल परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखी गयी है इस बात का यकीन दिलाने के लिए आप प्रचार में किन सबूतों का इस्तेमाल करते हैं?

14 अनवर * मध्य-पूर्वी देश में रहनेवाला एक मुसलमान था। जब वह कुछ समय के लिए उत्तर अमरीका में था, तब यहोवा के साक्षी प्रचार में उससे मिले। अनवर कहता है “मैं ईसाई धर्म को पसंद नहीं करता था क्योंकि चर्च ने धर्म के नाम पर खून की नदियाँ बहायी थीं। लेकिन मुझे हमेशा से ही नयी चीज़ों के बारे में जानने का शौक रहा है इसलिए मैं बाइबल अध्ययन करने को राज़ी हो गया।” थोड़े समय बाद अनवर अपने देश लौट गया और साक्षियों से उसका संपर्क टूट गया। कई सालों बाद जब वह यूरोप जाकर बस गया, तो उसने फिर से बाइबल अध्ययन करना शुरू किया। वह कहता है कि “बाइबल में दर्ज़ भविष्यवाणियों का पूरा होना, इसमें लिखी बातों का आपस में गहरा तालमेल और यहोवा के सेवकों के आपसी प्यार ने मुझे यकीन दिलाया कि बाइबल ही परमेश्‍वर का वचन है।” अनवर ने सन्‌ 1998 में बपतिस्मा लिया।

15 सोलह साल की आइशा एक कट्टर हिंदू परिवार से थी। वह कहती है, “मैं सिर्फ तभी प्रार्थना करती थी जब मैं मंदिर जाती थी या जब मैं किसी परेशानी में होती थी। मगर जब हालात अच्छे होते, तो मेरे मन में परमेश्‍वर का ख्याल भी नहीं आता।” वह आगे कहती है, “जब यहोवा के साक्षियों ने मेरे घर का दरवाज़ा खटखटाया तो मेरी ज़िंदगी पूरी तरह बदल गयी।” बाइबल का अध्ययन करके आइशा, परमेश्‍वर को एक दोस्त के तौर पर जान पायी। किस बात ने उसे यकीन दिलाया कि बाइबल वाकई परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखी गयी है? वह जवाब देती है, “बाइबल में मेरे हर सवाल का जवाब था। इसकी मदद से मैंने परमेश्‍वर की किसी मूर्ति को देखे बिना उस पर विश्‍वास करना सीखा।”

16 पॉला की परवरिश एक कैथोलिक परिवार में हुई थी। मगर जब वह बड़ी हुई, तो वह अज्ञेयवादी बन गयी और परमेश्‍वर के वजूद पर शक करने लगी। फिर कुछ ऐसा हुआ जिससे उसकी ज़िंदगी बदल गयी। वह कहती है, “मैं महीनों बाद अपने एक दोस्त से मिली। वह हिप्पियों का दौर था, जब कई लोग लंबे-लंबे बाल रखते थे और नशा करते थे। मैंने देखा कि मेरा दोस्त बहुत बदल गया था। उसने अपने बाल कटवा लिए थे, दाढ़ी-मूँछ मुँड़वा ली थी और खुश नज़र आ रहा था। मैनें उससे पूछा, ‘कहाँ थे इतने दिनों तक, और यह क्या हो गया तुम्हें?’ उसने कहा कि वह यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल अध्ययन कर रहा था। फिर उसने मुझे सच्चाई के बारे में बताया।” बाइबल की शिक्षाओं का उसके दोस्त पर जो असर हुआ उसे देखकर पॉला की भी बाइबल में दिलचस्पी जागी। उसे यकीन हो गया कि बाइबल वाकई परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखी गयी है।

“तेरा वचन मेरे पांव के लिये दीपक” है

17. हर दिन परमेश्‍वर के वचन को पढ़ने और उस पर मनन करने से आपको क्या फायदा होगा?

17 बाइबल परमेश्‍वर से मिला एक बेहतरीन तोहफा है जो उसने अपनी पवित्र शक्‍ति के ज़रिए हमें दिया है। हर दिन इसे पढ़ने का आनंद लीजिए। इससे बाइबल और उसके लेखक के लिए आपका प्यार बढ़ेगा। (भज. 1:1, 2) पढ़ने से पहले परमेश्‍वर से प्रार्थना कीजिए और उससे पवित्र शक्‍ति की गुज़ारिश कीजिए ताकि आप जो पढ़ें उसे समझ सकें। (लूका 11:13) बाइबल में परमेश्‍वर के विचार दिए गए हैं, इसलिए अगर आप उसमें लिखी बातों पर मनन करेंगे, तो आप यहोवा की सोच को अपनी सोच बना पाएँगे।

18. आपको बाइबल से क्यों सीखते रहना चाहिए?

18 बाइबल की सच्चाइयों के बारे में गहरी समझ हासिल करने के साथ-साथ उन्हें अपने जीवन में लागू भी कीजिए। (भजन 119:105 पढ़िए।) जिस तरह आप आइने में देखकर खुद को सँवारते हैं, उसी तरह बाइबल के आइने में खुद की जाँच कीजिए। अगर आपको लगता है कि कुछ फेरबदल की ज़रूरत है, तो उसे कीजिए। (याकू. 1:23-25) जब लोग आपके विश्‍वास पर सवाल उठाते हैं, तो बाइबल से उन्हें जवाब दीजिए। नम्र लोगों के दिलों-दिमाग में जो झूठी शिक्षाएँ घर कर गयी हैं, उन्हें काट फेंकने के लिए तलवार की तरह बाइबल का इस्तेमाल कीजिए। (इफि. 6:17) हमेशा परमेश्‍वर का एहसान मानिए कि भविष्यवक्‍ता और बाइबल के लिखनेवाले ‘पवित्र शक्‍ति से उभारे’ गए थे।

[फुटनोट]

^ पैरा. 14 कुछ नाम बदल दिए गए हैं।

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 29 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

रोज़ाना बाइबल पढ़ने से उसके लेखक के लिए आपका प्यार बढ़ेगा

[पेज 26 पर तसवीर]

एक चिट्ठी पर जिसके दस्तखत होते हैं, वह उसी की मानी जाती है