इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

यहोवा अपने खुश लोगों को इकट्ठा करता है

यहोवा अपने खुश लोगों को इकट्ठा करता है

“क्या पुरुष, क्या स्त्री, क्या बालक, क्या . . . परदेशी, सब लोगों को इकट्ठा करना।”—व्यव. 31:12.

1, 2. इस लेख में हम अधिवेशनों के बारे में क्या सीखेंगे?

 बरसों से अंतर्राष्ट्रीय और ज़िला अधिवेशन, यहोवा के साक्षियों के आधुनिक इतिहास की खासियत रहे हैं। हममें से कई लोग खुशी के इन मौकों पर हाज़िर हुए होंगे और कुछ तो शायद दशकों से ऐसा करते आए होंगे।

2 हज़ारों साल पहले भी परमेश्‍वर के लोग अधिवेशन रखते थे। इस लेख में हम बाइबल में बताए कुछ अधिवेशनों के बारे में जानेंगे और देखेंगे कि वे आज के अधिवेशनों से कैसे मिलते-जुलते हैं। हम यह भी सीखेंगे कि इन अधिवेशनों में हाज़िर होने से क्या फायदे मिलते हैं।—भज. 44:1; रोमि. 15:4.

बीते समय में और आज के समय में यादगार अधिवेशन

3. (क) बाइबल में बताए सबसे पहले अधिवेशन में क्या हुआ? (ख) इसराएलियों को इकट्ठा करने का क्या तरीका बताया गया?

3 बाइबल में बताया गया सबसे पहला अधिवेशन तब रखा गया जब इसराएली, सीनै पहाड़ के नीचे इकट्ठे हुए ताकि वे यहोवा से हिदायतें पा सकें। यह सच्ची उपासना के इतिहास में क्या ही यादगार घटना थी! उस वक्‍त यहोवा ने इसराएलियों को अपनी ताकत का सबूत दिया और उन्हें कानून-व्यवस्था दी। वह ऐसा दिन था जो उनके ज़हन से कभी नहीं उतरता। (निर्ग. 19:2-9, 16-19; निर्गमन 20:18; व्यवस्थाविवरण 4:9, 10 पढ़िए।) तब से इसराएली परमेश्‍वर के खास लोग बन गए। उस अधिवेशन के कुछ समय बाद यहोवा ने लोगों को इकट्ठा करने का एक तरीका बताया। उसने मूसा को चाँदी की दो तुरहियाँ बनाने की आज्ञा दी जिनका इस्तेमाल कर “सारी मण्डली” को “मिलापवाले तम्बू के द्वार” पर इकट्ठा होने के लिए बुलाया जाता। (गिन. 10:1-4) ज़रा सोचिए, इन मौकों पर लोगों में कैसी खुशी और चहल-पहल रही होगी!

4, 5. मूसा और यहोशू ने जो अधिवेशन आयोजित किए थे, वे खास क्यों थे?

4 जब इसराएलियों को वीराने में भटकते करीब 40 साल हो गए थे, तब मूसा ने पूरे राष्ट्र के लिए एक अधिवेशन आयोजित किया। यह उस नए राष्ट्र के इतिहास की एक अहम घटना थी। बहुत जल्द वे वादा किए देश में कदम रखनेवाले थे, इसलिए मूसा अपने भाइयों को याद दिलाना चाहता था कि यहोवा ने अब तक उनके लिए क्या-क्या किया है और आगे क्या करनेवाला है।—व्यव. 29:1-15; 30:15-20; 31:30.

5 शायद उसी मौके पर मूसा ने लोगों को बताया कि अब से नियमित तौर पर एक खास अधिवेशन रखा जाएगा। हर सातवें साल, झोपड़ियों के त्योहार के दौरान स्त्री-पुरुषों, बच्चों और उनके बीच रहनेवाले परदेशियों को उस जगह इकट्ठा होना था जो यहोवा चुनता। वहाँ ‘वे सुनकर सीखते, और अपने परमेश्‍वर यहोवा का भय मानकर, व्यवस्था के सारे वचनों का पालन करने में चौकसी करते।’ (व्यवस्थाविवरण 31:1, 10-12 पढ़िए।) इस तरह यह साफ ज़ाहिर हुआ कि यहोवा चाहता था कि उसके लोग एक-साथ इकट्ठा हों और उसके वचन और मकसदों के बारे में सीखें। आगे चलकर इसराएलियों ने जब वादा किए देश पर पूरी तरह कब्ज़ा कर लिया तब यहोशू ने उन्हें इकट्ठा होने के लिए कहा। उनके आस-पास अब भी झूठे धर्म के लोग रहते थे, इसलिए यहोशू जानता था कि उन्हें यहोवा के वफादार रहने के लिए हिम्मत की ज़रूरत होगी। उस दिन इसराएलियों ने परमेश्‍वर की सेवा करने की शपथ खायी।—यहो. 23:1, 2; 24:1, 15, 21-24.

6, 7. यहोवा के लोगों के आधुनिक इतिहास में कौन-कौन-से यादगार अधिवेशन हुए हैं?

6 यहोवा के लोगों के आधुनिक इतिहास में भी कई यादगार अधिवेशन रखे गए थे। ये ऐसे अधिवेशन थे जिनमें संगठन के काम करने के तरीके में किए बदलाव के बारे में बताया गया या फिर बाइबल की कुछ आयतों की बेहतर समझ दी गयी। (नीति. 4:18) सन्‌ 1919 में पहले विश्‍व युद्ध के बाद, बाइबल विद्यार्थियों ने सबसे पहला बड़ा अधिवेशन अमरीका के सीडर पॉइंट, ओहायो में रखा। उस बड़ी सभा के लिए 7,000 लोग आए और वहाँ घोषणा की गयी कि परमेश्‍वर के लोग पूरी दुनिया में प्रचार करने का बीड़ा उठाएँगे। सन्‌ 1922 में उसी जगह पर नौ दिन का अधिवेशन हुआ जिसमें भाई जोसफ एफ. रदरफर्ड ने एक ज़बरदस्त भाषण दिया और प्रचार काम पर खास ज़ोर दिया। भाई ने हाज़िर लोगों को उकसाते हुए कहा, “प्रभु के वफादार और सच्चे साक्षी बनो। लड़ाई में आगे बढ़ते जाओ, जब तक कि बैबिलोन का नामो-निशान न मिट जाए। इस संदेश का दूर-दूर तक ऐलान करो। दुनिया को मालूम पड़ना चाहिए कि यहोवा ही परमेश्‍वर है और यीशु मसीह राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु है। यह सबसे महान दिन है। देखो, राजा राज करता है! तुम उसके प्रचारक हो। इसलिए राजा और उसके राज का ऐलान करो, ऐलान करो, ऐलान करो।” नतीजा यह हुआ कि अधिवेशन में हाज़िर भाई और दुनिया-भर में फैले परमेश्‍वर के लोग प्रचार में ज़ोर-शोर से लग गए।

7 सन्‌ 1931 में कोलंबस, ओहायो के एक अधिवेशन में बाइबल विद्यार्थियों की खुशी का ठिकाना न रहा जब उन्होंने ‘यहोवा के साक्षी’ नाम अपनाया। फिर 1935 में वॉशिंगटन डी.सी. में भाई रदरफर्ड ने “बड़ी भीड़” की पहचान बतायी जो प्रकाशितवाक्य के मुताबिक ‘राजगद्दी के सामने और मेम्ने के सामने खड़ी है।’ (प्रका. 7:9-17) सन्‌ 1942 में दूसरे विश्‍व युद्ध के दौरान भाई नेथन एच. नॉर ने एक रोमांचक भाषण दिया जिसका विषय था, “शांति—क्या यह कायम रह सकती है?” उसमें उन्होंने समझाया कि प्रकाशितवाक्य अध्याय 17 में ‘सुर्ख लाल रंग का जंगली जानवर’ किसे दर्शाता है और बताया कि युद्ध के बाद भी प्रचार काम जारी रहेगा।

8, 9. कुछ अधिवेशन क्यों यहोवा के लोगों के लिए दिल छू लेनेवाले थे?

8 सन्‌ 1946 में क्लीवलैंड, ओहायो में “आनंदित जातियाँ” नाम के अधिवेशन में भाई नॉर ने एक बड़ा दिलचस्प भाषण दिया, जिसका विषय था “बढ़ोतरी और दोबारा निर्माण करने की चुनौतियाँ।” इस भाषण से हाज़िर लोगों में सनसनी दौड़ गयी। एक भाई बताता है, “उस शाम जब भाई भाषण दे रहे थे, तब मैं मंच के पीछे ही था। जैसे-जैसे वे ब्रुकलिन बेथेल घर और फैक्टरी को बड़ा करने की योजनाएँ बता रहे थे, हाज़िर लोगों की तालियों की गड़गड़ाहट बार-बार गूँज रही थी। हालाँकि मंच से लोगों का चेहरा साफ-साफ देख पाना मुमकिन नहीं था, लेकिन हम उनकी खुशी महसूस कर पा रहे थे।” सन्‌ 1950 में न्यू यॉर्क सिटी में हुए एक अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन में भाई-बहन फूले नहीं समाए, जब उन्हें अँग्रेज़ी में नयी दुनिया अनुवादमसीही यूनानी शास्त्र बाइबल मिली। यह आम बोलचाल की भाषा में तैयार की गयी उस पूरी बाइबल का पहला हिस्सा थी, जिसमें परमेश्‍वर का नाम वापस उन जगहों पर डाला गया जहाँ यह आना चाहिए था।—यिर्म. 16:21.

9 जिन देशों में यहोवा के साक्षियों को सताया गया या कुछ समय के लिए उनके काम पर पाबंदी लगायी गयी थी, वहाँ भी अधिवेशन आयोजित किए गए। ये मौके वाकई दिल छू लेनेवाले थे! मिसाल के लिए, अडॉल्फ हिटलर ने कसम खायी थी कि वह जर्मनी से यहोवा के साक्षियों का नामो-निशान मिटा देगा। मगर सन्‌ 1955 में न्युरमबर्ग में 1,07,000 साक्षी एक अधिवेशन के लिए उसी जगह इकट्ठा हुए जहाँ एक वक्‍त पर हिटलर और उसके हिमायती इकट्ठा होते थे। वहाँ हाज़िर कई लोगों की आँखों से खुशी के आँसू छलक रहे थे। सन्‌ 1989 में पोलैंड में “ईश्‍वरीय भक्‍ति” नाम के तीन अधिवेशन रखे गए और 1,66,518 लोग इनमें हाज़िर हुए। उनमें से कई लोग भूतपूर्व सोवियत संघ, चेकोस्लोवाकिया और पूर्वी यूरोप के दूसरे देशों से आए थे। कुछ भाई-बहन तो पहली बार इतने सारे लोगों के साथ इकट्ठा हो रहे थे, इससे पहले वे मुश्‍किल से 15 या 20 लोगों के साथ इकट्ठा होते थे। सन्‌ 1993 में कीव में हुए “ईश्‍वरीय शिक्षा” अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन में हाज़िर लोगों को कैसी खुशी महसूस हुई होगी, ज़रा उस बारे में सोचिए। उस अधिवेशन में 7,402 लोगों ने बपतिस्मा लिया, जो कि यहोवा के साक्षियों में बपतिस्मा लेनेवालों की अब तक की सबसे बड़ी गिनती है।—यशा. 60:22; हाग्गै 2:7.

10. कौन-से अधिवेशन आपके लिए यादगार रहे हैं? और क्यों?

10 हो सकता है, आपके लिए भी कोई ज़िला या अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन बहुत खास रहा हो। क्या आपको अपना पहला अधिवेशन याद है या वह अधिवेशन जिसमें आपने बपतिस्मा लिया था? वाकई, वे यहोवा की उपासना से जुड़ी यादगार घटनाएँ थीं। उन अनमोल यादों को अपने दिल में संजोकर रखिए!—भज. 42:4.

खुशी मनाने के सालाना मौके

11. परमेश्‍वर ने इसराएलियों को हर साल किन त्योहारों के लिए इकट्ठा होने की आज्ञा दी?

11 यहोवा चाहता था कि इसराएली हर साल तीन त्योहारों के लिए यरूशलेम में इकट्ठा हों। वे थे, बिन-खमीर की रोटियों का त्योहार, अठवारों का त्योहार (जो बाद में पिन्तेकुस्त कहलाया) और झोपड़ियों का त्योहार। परमेश्‍वर ने इसराएलियों से कहा, “प्रति वर्ष तीनों बार तेरे सब पुरुष प्रभु यहोवा को अपना मुंह दिखाएं।” (निर्ग. 23:14-17) कई इसराएली पुरुष जानते थे कि यहोवा की उपासना में ये त्योहार कितने मायने रखते थे, इसलिए वे इन त्योहारों के लिए अपने पूरे परिवार को साथ ले जाते थे।—1 शमू. 1:1-7; लूका 2:41, 42.

12, 13. सालाना त्योहारों में हाज़िर होने के लिए इसराएलियों को क्या करना होता था?

12 ज़रा सोचिए, इन त्योहारों में हाज़िर होने के लिए एक इसराएली परिवार को क्या करना होता था। मिसाल के लिए, यूसुफ और मरियम को नासरत से यरूशलेम जाने के लिए पूरे 100 किलोमीटर का सफर तय करना था। अगर आपको छोटे बच्चों के साथ उतनी दूर पैदल जाना पड़े, तो आपको कितना वक्‍त लगेगा? जब हम बाइबल में वह ब्यौरा पढ़ते हैं, जहाँ यीशु बचपन में यरूशलेम गया था, तो हमें पता चलता है कि अकसर परिवारों के साथ-साथ उनके नाते-रिश्‍तेदार और जान-पहचानवाले भी सफर करते थे। उनका साथ मिलकर यरूशलेम जाना, साथ खाना बनाना और अनजान जगहों में रात काटने के लिए इंतज़ाम करना कैसा होता होगा, क्या आप इसकी कल्पना कर सकते हैं? हम जानते हैं कि इस तरह का सफर खतरनाक नहीं था क्योंकि यीशु के माता-पिता ने उसे दूसरे मुसाफिरों के संग रहने की थोड़ी-बहुत छूट दी थी, इसके बावजूद कि वह सिर्फ 12 साल का था। ये त्योहार सचमुच यादगार होते होंगे, खासकर जवानों के लिए!—लूका 2:44-46.

13 जब इसराएली अपने देश के बाहर दूसरी जगहों में तितर-बितर हो गए, तो वे दूर-दूर से त्योहारों के लिए यरूशलेम आया करते थे। ईसवी सन्‌ 33 में पिन्तेकुस्त के दिन, यहूदी और यहूदी धर्म अपनानेवाले इटली, लिबिया, क्रेत, एशिया माइनर और मेसोपोटामिया जैसी जगहों से आए थे।—प्रेषि. 2:5-11; 20:16.

14. सालाना त्योहारों में हाज़िर होने से इसराएलियों को कैसा महसूस होता था?

14 वफादार इसराएलियों के लिए इस सफर की सबसे अहम और रोमांचक बात थी, हज़ारों लोगों के साथ मिलकर यहोवा की उपासना करना। त्योहार में आनेवालों को कैसा महसूस होता था? यह जानने के लिए गौर कीजिए कि यहोवा ने झोपड़ियों के त्योहार के बारे में अपने लोगों को क्या हिदायतें दीं। उसने कहा, “अपने इस पर्ब्‌ब में अपने अपने बेटे-बेटियों, दास-दासियों समेत तू और जो लेवीय, और परदेशी, और अनाथ, और विधवाएं तेरे फाटकों के भीतर हों वे भी आनन्द करें। जो स्थान यहोवा चुन ले उस में तू अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिये सात दिन तक पर्ब्ब मानते रहना; क्योंकि तेरा परमेश्‍वर यहोवा तेरी सारी बढ़ती में और तेरे सब कामों में तुझ को आशीष देगा; तू आनन्द ही करना।”—व्यव. 16:14, 15; मत्ती 5:3 पढ़िए।

आज अधिवेशनों की कदर क्यों करें?

15, 16. अधिवेशनों में हाज़िर होने के लिए आपने क्या त्याग किए हैं? आपने खुशी-खुशी वे त्याग क्यों किए?

15 पुराने समय के उन त्योहारों से आज परमेश्‍वर के लोग कितना कुछ सीख सकते हैं। हालाँकि सदियाँ बीतने पर कई बातें बदल गयी हैं, लेकिन अधिवेशन से जुड़ी कुछ बातें आज भी नहीं बदलीं। जैसे, बाइबल के ज़माने में बड़ी सभाओं में हाज़िर होने के लिए लोगों को त्याग करना पड़ता था, उसी तरह आज भी कई लोगों को त्याग करना पड़ता है। लेकिन हम खुशी-खुशी ऐसा करते हैं क्योंकि हमें मालूम है कि अधिवेशन से हमें कितने फायदे होंगे! ये मौके तब भी उपासना का अहम हिस्सा थे और आज भी हैं। इनसे हमें ऐसी जानकारी और समझ मिलती है जिससे हम परमेश्‍वर के साथ एक करीबी रिश्‍ता बनाए रख सकते हैं। अधिवेशनों से हमें प्रेरणा मिलती है कि हम सीखी बातों को लागू करें, साथ ही ये हमें समस्याओं से दूर रहने में भी मदद देते हैं। ये हमें उन कामों पर अपनी नज़र टिकाए रखने का बढ़ावा देते हैं जो हमें तरो-ताज़ा करते हैं, न कि उन कामों पर जो हमें गहरी चिंता में डाल सकते हैं।—भज. 122:1-4.

16 ऐसा हमेशा से होता आया है कि अधिवेशन में हाज़िर लोग वहाँ से खुश होकर जाते हैं। सन्‌ 1946 में हुए एक बड़े अधिवेशन के बारे में यह रिपोर्ट की गयी, “यह देखकर हमारे रोम-रोम में सिहरन दौड़ उठी कि हज़ारों की तादाद में यहोवा के साक्षी एक ही जगह पर इकट्ठा हुए हैं। हमारी खुशी तब और दुगुनी हो गयी, जब हमने ऑरकेस्ट्रा को बजते और लोगों को सुर-से-सुर मिलाते हुए यहोवा की स्तुति में राज-गीत गाते सुना।” रिपोर्ट आगे कहती है, “अधिवेशन में आए कई लोगों ने अलग-अलग विभागों में हाथ बँटाने के लिए स्वयंसेवक विभाग में अपना नाम लिखवाया। उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि अपने भाई-बहनों की सेवा करने से उन्हें खुशी मिलती है।” ज़िला या अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशनों का समाँ देखकर क्या आप भी रोमांचित हो उठते हैं?—भज. 110:3; यशा. 42:10-12.

17. हाल के सालों में अधिवेशन के इंतज़ामों में क्या बदलाव हुए हैं?

17 अधिवेशन के इंतज़ामों में कुछ बदलाव ज़रूर हुए हैं। मिसाल के लिए, परमेश्‍वर के कुछ सेवकों को याद होगा कि पहले अधिवेशन आठ दिन तक चलते थे और तीन सेशन होते थे, सुबह, दोपहर और शाम का सेशन। इस दौरान प्रचार काम भी किया जाता था। कभी-कभी अधिवेशन का कार्यक्रम सुबह नौ बजे शुरू होता और रात नौ बजे तक चलता। स्वयंसेवक, हाज़िर लोगों के लिए नाश्‍ता, दोपहर और रात का खाना तैयार करने में घंटों मेहनत करते। लेकिन अब अधिवेशन कम दिन के लिए होते हैं और सभी परिवार अपना खाना खुद बनाकर लाते हैं, इसलिए भाई-बहन कार्यक्रम पर ज़्यादा ध्यान दे पाते हैं।

18, 19. अधिवेशनों में आपको किस बात का बेसब्री से इंतज़ार रहता है? और क्यों?

18 अधिवेशन कार्यक्रम में कुछ ऐसी बातें होती हैं जिनका हमें बेसब्री से इंतज़ार रहता है और ये एक लंबे अरसे से हमारे अधिवेशनों का हिस्सा रही हैं। मिसाल के लिए, हमें ‘सही वक्‍त पर खाना’ न सिर्फ अधिवेशन के भाषणों से बल्कि रिलीज़ किए गए प्रकाशनों से भी मिलता है और इनकी मदद से हमें बाइबल की भविष्यवाणियों और शिक्षाओं की बेहतर समझ मिलती है। (मत्ती 24:45) अकसर इन नए प्रकाशनों के ज़रिए नेकदिल लोग बाइबल की सच्चाइयाँ समझ पाते हैं। बाइबल पर आधारित ड्रामा बूढ़े-जवान सबकी मदद करते हैं कि वे अपने इरादों को जाँचें और देखें कि वे क्यों यहोवा की सेवा करते हैं। इतना ही नहीं, ये उन्हें इस दुनिया की सोच से खुद को बचाने में भी मदद देते हैं। बपतिस्मे का भाषण हरेक को अपना मन टटोलने में मदद देता है कि उसकी ज़िंदगी में क्या बात पहली जगह लेती है। हमें यह देखकर खुशी होती है जब दूसरे अपने समर्पण की निशानी में बपतिस्मा लेते हैं।

19 जी हाँ, हज़ारों सालों से अधिवेशन सच्ची उपासना का हिस्सा रहे हैं। अधिवेशन की बदौलत हम अपनी खुशी बरकरार रख पाते हैं और इस मुश्‍किल समय में यहोवा के वफादार रह पाते हैं। ये हमें यहोवा की सेवा में अपना भरसक करने का बढ़ावा देते हैं। अधिवेशनों में हमें नए दोस्त बनाने के मौके मिलते हैं और हम खुद अनुभव कर पाते हैं कि भाइयों की बिरादरी का हिस्सा होने का क्या मतलब है। अधिवेशन एक अहम तरीका है जिससे यहोवा अपने लोगों को आशीष देता है और उनकी देखभाल करता है। इसलिए आइए हम ठान लें कि हम हर अधिवेशन में हाज़िर होंगे और उसके हर सेशन से फायदा पाएँगे।—नीति. 10:22.