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यहोवा के करीब बने रहिए

यहोवा के करीब बने रहिए

“परमेश्‍वर के करीब आओ और वह तुम्हारे करीब आएगा।”—याकू. 4:8.

1, 2. (क) शैतान की ‘चालबाज़ियाँ’ क्या हैं? (ख) परमेश्‍वर के करीब बने रहने के लिए हम क्या कर सकते हैं?

 यहोवा परमेश्‍वर ने हम इंसानों को इस तरह बनाया है कि हमारे लिए उसके करीब रहना बेहद ज़रूरी है। लेकिन शैतान चाहता है कि उसकी तरह हम भी यह मानें कि हमें यहोवा की ज़रूरत नहीं है। मगर यह बात झूठ है। अदन बाग में शैतान ने हव्वा से यही झूठ कहकर उसे गुमराह किया था। (उत्प. 3:4-6) तब से लेकर आज तक शैतान यही झूठ फैलाकर इंसानों को गुमराह कर रहा है। और सदियों से लोगों ने इस बात पर यकीन करके बार-बार वही गलती दोहरायी है जो हव्वा ने की थी।

2 हालाँकि शैतान हमें गलत फैसले करने के लिए फुसलाता है ताकि हम यहोवा से दूर हो जाएँ, मगर हम उसके झाँसे में आने से बच सकते हैं। “हम उसकी चालबाज़ियों से अनजान नहीं” हैं। (2 कुरिं. 2:11) पिछले लेख में हमने देखा कि करियर, मनोरंजन और पारिवारिक रिश्‍तों के मामले में हम चाहे तो सही चुनाव कर सकते हैं। इस लेख में हम कंप्यूटर और दूसरे इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों, साथ ही सेहत, पैसे और गर्व की भावना के बारे में चर्चा करेंगे। हम देखेंगे कि “परमेश्‍वर के करीब” बने रहने के लिए हम कैसे इन बातों को सिर्फ उतनी अहमियत दे सकते हैं जितनी सही है।—याकू. 4:8.

कंप्यूटर और इलैक्ट्रॉनिक उपकरण

3. मिसाल देकर समझाइए कि कंप्यूटर और दूसरे इलैक्ट्रॉनिक उपकरण कैसे फायदा या नुकसान कर सकते हैं?

3 आज दुनिया-भर में नयी-से-नयी तकनीक के कंप्यूटर और दूसरे इलैक्ट्रॉनिक उपकरण आम हो गए हैं। अगर इनका सही इस्तेमाल किया जाए तो ये बहुत फायदेमंद साबित हो सकते हैं। वहीं इनका गलत इस्तेमाल हमें यहोवा से दूर ले जा सकता है। कंप्यूटर की ही बात लीजिए। यह बहुत काम की चीज़ है। यह पत्रिका जिसे आप पढ़ रहे हैं, कंप्यूटर की ही मदद से लिखी गयी और प्रकाशित की गयी थी। कंप्यूटर खोजबीन करने और एक जगह से दूसरी जगह जानकारी पहुँचाने में काफी मददगार होता है और कभी-कभी यह अच्छे मनोरंजन का भी ज़रिया बन सकता है। लेकिन अगर हम सावधान न रहें तो हम पर कंप्यूटर का जुनून सवार हो सकता है। बाज़ार में जब भी कोई नया उपकरण आता है तो विज्ञापनों से लोगों को कायल किया जाता है कि उन्हें वह चीज़ हर हाल में खरीदनी चाहिए। एक जवान लड़के पर एक खास किस्म का टैबलेट कंप्यूटर खरीदने का ऐसा नशा चढ़ गया कि उसने पैसे के लिए चोरी-छिपे अपना एक गुरदा बेच दिया। एक इंसान दीवानगी की इस हद तक जा सकता है कि वह कल के बारे में सोचे बिना अपने शरीर का एक अंग बेच दे!

4. एक मसीही ने कंप्यूटर की लत छोड़ने के लिए क्या किया?

4 अगर आप कंप्यूटर या दूसरे इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों का गलत इस्तेमाल करेंगे या उनमें बहुत ज़्यादा समय बिताएँगे तो आपको इससे भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। हो सकता है आप यहोवा के साथ अपनी गहरी दोस्ती का सौदा कर बैठें। अट्ठाइस साल का एक जवान भाई, यॉन * कहता है, “मैं जानता हूँ कि बाइबल कहती है हमें आध्यात्मिक बातों के लिए ‘वक्‍त खरीदना’ चाहिए। लेकिन मैं कंप्यूटर पर इतना वक्‍त बरबाद कर देता था कि इस मामले में मैं खुद अपना सबसे बड़ा दुश्‍मन बन गया।” यॉन कई बार देर रात तक इंटरनेट से लगा रहता था। वह कहता है, “मुझे कंप्यूटर पर चैट करने और छोटे-छोटे वीडियो देखने की लत लग गयी थी। कुछ वीडियो बुरे किस्म के भी होते थे। मैं जितना ज़्यादा थका होता मुझे कंप्यूटर बंद करना उतना ही मुश्‍किल लगता था।” अपनी लत से छुटकारा पाने के लिए यॉन ने कंप्यूटर को ऐसे सेट किया कि जब उसके सोने का वक्‍त हो जाता तो कंप्यूटर खुद-ब-खुद बंद हो जाता।इफिसियों 5:15, 16 पढ़िए।

माता-पिताओ, अपने बच्चों को इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों के इस्तेमाल में सावधानी बरतना सिखाइए

5, 6. (क) माता-पिताओं का क्या फर्ज़ बनता है? (ख) वे कैसे पक्का कर सकते हैं कि उनके बच्चे सिर्फ अच्छे लोगों की संगति करें?

5 माता-पिताओ, आपको अपने बच्चों पर चौबीसों घंटे नज़र रखने की तो ज़रूरत नहीं है मगर जब वे कंप्यूटर के सामने होते हैं, तो आपको ज़रूर उन पर कड़ी नज़र रखनी है। इंटरनेट पर अनैतिक काम, हिंसा से भरे वीडियो गेम और भूत-विद्या के कार्यक्रम आसानी से मिलते हैं साथ ही बुरी सोहबत का भी खतरा रहता है। इसलिए यह सोचकर बच्चों को कंप्यूटर के हवाले मत कीजिए कि वे उसके साथ लगे रहेंगे तो आपको परेशान नहीं करेंगे और आप शांति से अपना काम कर सकते हैं। अगर आप ऐसा करेंगे तो वे इंटरनेट पर बुरी बातें भी देखेंगे और मान बैठेंगे कि ‘मम्मी-पापा ने मुझे मना नहीं किया है, तो इसे देखना गलत नहीं होगा।’ माता-पिता होने के नाते, अपने बच्चों की हिफाज़त करना आपका फर्ज़ है, फिर चाहे वे किशोर उम्र के क्यों न हों। आपको उन्हें ऐसी हर चीज़ से बचाए रखना है जो उन्हें यहोवा से दूर ले जा सकती है। यहाँ तक कि जानवरों में भी देखा जाता है कि वे अपने बच्चों को खतरे से बचाने के लिए हरदम तैयार रहते हैं। मिसाल के लिए, सोचिए कि जब एक रीछनी के बच्चों को कोई खतरा होता है तो वह कैसे उनकी हिफाज़त करती है!—होशे 13:8 से मिलाकर देखिए।

6 अपने बच्चों के लिए ऐसे भाई-बहनों के साथ संगति करने का इंतज़ाम कीजिए जो अच्छी मिसाल रखते हैं। इसमें हर उम्र के भाई-बहनों को शामिल कीजिए। और याद रखिए कि आपके बच्चों को आपके साथ वक्‍त बिताने की ज़रूरत है! उनके लिए वक्‍त निकालिए ताकि आप उनके साथ हँस-खेल सकें, कुछ काम कर सकें और आध्यात्मिक बातों में भी शरीक हो सकें ताकि आप साथ मिलकर ‘परमेश्‍वर के करीब आ’ सकें। *

सेहत

7. हम सब क्यों अच्छी सेहत बनाए रखना चाहते हैं?

7 “अब आपकी तबियत कैसी है?” यह एक आम सवाल है जो हमें एक कड़वी सच्चाई का एहसास दिलाता है। हमारे पहले माता-पिता ने शैतान की सुनकर यहोवा से दूर जाने का चुनाव किया था, इसलिए हम सब पर बीमारी का खतरा मंडराता रहता है। जब हम बीमार पड़ जाते हैं तो शैतान खुश होता है क्योंकि बीमारी हमारे लिए यहोवा की सेवा करना मुश्‍किल बना देती है। और अगर बीमारी के कारण हमारी मौत हो जाए तो बेशक हम यहोवा की सेवा नहीं कर पाएँगे। (भज. 115:17) इसलिए अच्छी सेहत बनाए रखने के लिए अपनी तरफ से जो बन पड़ता है वह हमें करना चाहिए। * साथ ही, अपने मसीही भाई-बहनों की सेहत की भी परवाह करनी चाहिए।

8, 9. (क) हम सेहत के बारे में बहुत ज़्यादा चिंता करने से कैसे दूर रह सकते हैं? (ख) अपनी खुशी बढ़ाने के क्या फायदे हैं?

8 लेकिन हमें सेहत के बारे में बहुत ज़्यादा चिंता भी नहीं करनी चाहिए। देखा गया है कि कुछ भाई-बहनों ने अच्छी सेहत के लिए किसी खास तरह के खान-पान, इलाज या दवाइयों के बारे में दूसरों को कायल करने में इतना जोश दिखाया है जितना वे राज का प्रचार करने में भी नहीं दिखाते। वे शायद सच्चे दिल से मानते हों कि ऐसा करके वे दूसरों की मदद कर रहे हैं। लेकिन हमें ध्यान रखना है कि राज-घर की सभाओं, सम्मेलन और अधिवेशन कार्यक्रमों से पहले या बाद में भाई-बहनों से मुलाकात करते वक्‍त इलाज के तरीकों, दवाइयों या सौंदर्य प्रसाधनों के बारे में सलाह देना सही नहीं है। ऐसा क्यों?

9 सभाओं और सम्मेलनों में जाने का मकसद होता है आध्यात्मिक बातों पर चर्चा करना और अपनी खुशी बढ़ाना, जो कि परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति से पैदा किया जानेवाला एक गुण है। (गला. 5:22) ऐसे मौकों पर चाहे किसी के पूछने पर या खुद पहल करके अगर हम दूसरों को सेहत या दवाइयों और प्रसाधनों के बारे में सलाह देते हैं, तो हम सभाओं के मकसद से अपना ध्यान हटा रहे होंगे और भाइयों की वह खुशी छीन रहे होंगे जो आध्यात्मिक बातों पर ध्यान देने से मिलती है। (रोमि. 14:17) सेहत एक ऐसा मामला है जिसमें हर किसी को अपना फैसला खुद करना है। और-तो-और, ऐसा कोई नहीं है जो सभी बीमारियों का हल बता सके। अच्छे-से-अच्छे डॉक्टर भी बुढ़ापे, बीमारी और मौत से बच नहीं सकते। और अपनी सेहत के बारे में हद-से-ज़्यादा चिंता करने से हम अपनी उम्र बढ़ा नहीं सकते। (लूका 12:25) इसके बजाय, “मन का आनन्द” हमारे लिए “अच्छी औषधि” या दवा का काम करता है।—नीति. 17:22.

10. (क) कौन-से गुण हमें यहोवा की नज़र में खूबसूरत बनाते हैं? (ख) हमें हर बीमारी से निजात कब मिलेगी?

10 उसी तरह, हालाँकि अपने रूप-रंग की देखभाल करना गलत नहीं है, मगर बढ़ती उम्र की हर निशानी मिटाने के लिए बहुत ज़्यादा जतन करना सही नहीं होगा। बढ़ती उम्र की निशानियाँ एक इंसान के तजुरबे, उसकी गरिमा और अंदरूनी खूबसूरती के बाहरी सबूत हैं। उदाहरण के लिए बाइबल कहती है, “पक्के बाल शोभायमान मुकुट ठहरते हैं; वे धर्म के मार्ग पर चलने से प्राप्त होते हैं।” (नीति. 16:31) बुढ़ापे को यहोवा इसी नज़र से देखता है और हमें भी यही नज़रिया अपनाना चाहिए। (1 पतरस 3:3, 4 पढ़िए।) तो फिर खुद को जवान और खूबसूरत दिखाने के लिए क्या ऐसे ऑपरेशन या इलाज करवाना सही होगा जो गैर-ज़रूरी हैं और खतरनाक साबित हो सकते हैं? “यहोवा का आनन्द” यानी उससे मिलनेवाली खुशी सही मायनों में हमें खूबसूरत बनाती है, फिर चाहे हमारी उम्र या सेहत जैसी भी हो। (नहे. 8:10) हर बीमारी से निजात पाना और अपनी जवानी और खूबसूरती दोबारा पाना, नयी दुनिया में ही मुमकिन होगा। (अय्यू. 33:25; यशा. 33:24) तब तक आइए हम सेहत के मामले में समझदारी से काम लें और यहोवा के वादों पर विश्‍वास बनाए रखें, ताकि आज भी हम खुशी-खुशी जी सकें और यहोवा के करीब बने रहें।—1 तीमु. 4:8.

पैसा

11. पैसा हमारे लिए फंदा कैसे बन सकता है?

11 पैसा अपने आप में बुरा नहीं है, न ही ईमानदारी से व्यापार करना गलत है। (सभो. 7:12; लूका 19:12, 13) लेकिन अगर हम ‘पैसे से प्यार’ करने लगें, तो यह तय है कि हम यहोवा से दूर चले जाएँगे। (1 तीमु. 6:9, 10) “इस ज़माने की ज़िंदगी की चिंता” यानी ज़रूरत की चीज़ों के बारे में दिन-रात फिक्र करना हमें आध्यात्मिक तौर पर दबा सकता है। उसी तरह “भ्रम में डालनेवाली पैसे की ताकत,” यानी यह गलत सोच कि पैसा होने से हम सच्ची खुशी और सुरक्षा पा सकते हैं, हमें दबा सकती है। (मत्ती 13:22) यीशु ने साफ शब्दों में कहा था कि “कोई भी” परमेश्‍वर का दास होने के साथ-साथ धन-दौलत की गुलामी नहीं कर सकता।—मत्ती 6:24.

12. आजकल पैसा बनाने की कौन-सी तरकीबें बहुत आम हैं? हम उनसे कैसे बच सकते हैं?

12 पैसे के बारे में गलत नज़रिया रखने से हम गलत फैसले ले सकते हैं। (नीति. 28:20) हमारे कुछ भाई रातों-रात आसानी से अमीर बनने की स्कीमों की तरफ लुभाए गए हैं जिस वजह से उन्होंने लॉटरी की टिकटें खरीदी हैं या ऐसी स्कीमों में पैसा लगाया है जिनमें शर्त होती है कि वे जितने ज़्यादा लोगों को सदस्य बनाएँगे उन्हें उतना ज़्यादा मुनाफा होगा। कुछ भाइयों ने तो मंडली के दूसरे भाई-बहनों को भी सदस्य बना लिया। दूसरों ने आँख मूँदकर ऐसी स्कीमों में पैसा लगाया है जिनमें बहुत ज़्यादा ब्याज के साथ मुनाफा पाने का लालच दिया जाता है। मगर ऐसी स्कीमों से आखिर में धोखा ही खाना पड़ता है। इसलिए लालच से बचिए, सोच-समझकर फैसले लीजिए। अगर आपको किसी स्कीम पर यकीन करना मुश्‍किल लगता है कि इसमें इतना ज़्यादा मुनाफा कैसे हो सकता है, तो समझिए दाल में कुछ काला है।

13. पैसे के बारे में यहोवा का नज़रिया दुनिया की सोच से कैसे अलग है?

13 जब हम परमेश्‍वर के ‘राज को और उसके स्तरों के मुताबिक जो सही है’ उसे पहली जगह देते हैं, तो हम भरोसा रख सकते हैं कि अपने परिवार की ज़रूरतें पूरी करने में हमारी मेहनत पर यहोवा ज़रूर आशीष देगा। (मत्ती 6:33; इफि. 4:28) यहोवा नहीं चाहता कि हम रात-दिन काम करते रहने की वजह से सभाओं में ऊँघने लगें या फिर राज-घर में बैठे पैसों की चिंता करते रहें। लेकिन दुनिया मानती है कि दिन-रात काम करने से ही हम इतना कमा सकेंगे कि कल को अचानक कोई मुसीबत आ जाए तो हम उसका सामना कर पाएँगे और बुढ़ापा भी आराम से काट सकेंगे। वे अकसर अपने बच्चों को भी ऐसा ही करने का बढ़ावा देते हैं। लेकिन यीशु ने समझाया कि ऐसा सोचना बेवकूफी है। (लूका 12:15-21 पढ़िए।) इस तरह का रवैया हमें गेहजी की याद दिलाता है जो सोच बैठा था कि वह दौलत बटोरने के साथ-साथ यहोवा की नज़र में अच्छा नाम भी बनाए रख सकता है।—2 राजा 5:20-27.

14, 15. हमें क्यों पैसे पर पूरा भरोसा नहीं रखना चाहिए? एक अनुभव बताइए।

14 पैसे का लालच एक इंसान को कैसे डुबा सकता है, इसे समझने के लिए एक मिसाल पर गौर कीजिए। कुछ तरह के उकाबों के बारे में देखा गया कि उन्होंने समुद्र से इतनी बड़ी मछली पंजों में जकड़ ली कि उसे लेकर उड़ना मुश्‍किल हो गया और क्योंकि उन्होंने मछली को नहीं छोड़ा इसलिए वे खुद समुद्र में डूब गए। क्या एक मसीही के साथ भी कुछ ऐसा हो सकता है? एलिक्स नाम का एक प्राचीन बताता है, “जहाँ तक हो सके मैं किफायत बरतने की कोशिश करता हूँ। अगर सिर धोने के लिए मेरे हाथ में ज़्यादा शैम्पू आ जाए तो मैं थोड़ा वापस बोतल में डाल देता हूँ।” मगर गौर कीजिए कि ऐसी किफायत बरतनेवाले एलिक्स के साथ भी क्या हुआ। उसने शेयर बाज़ार में पैसा लगाना शुरू किया। उसने सोचा कि मैं थोड़ा पैसा बना लूँगा और फिर जल्दी से अपनी नौकरी छोड़कर पायनियर सेवा शुरू कर दूँगा। वह शेयर खरीदने-बेचने के बारे में खोजबीन करने लगा और दिन-ब-दिन इसी में मसरूफ होता गया। उसने अपनी बचत से और शेयर-दलालों से उधार लिए पैसों से शेयर खरीद लिए। जानकारों ने बताया था कि उनकी कीमत देखते-ही-देखते बढ़ जाएगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। उलटा उनमें ज़बरदस्त गिरावट आ गयी। एलिक्स कहता है, “मैंने ठान लिया कि मैं अपना खोया हुआ पैसा वापस पाकर ही दम लूँगा। मुझे लगा कि अगर मैं थोड़ा इंतज़ार करूँ, तो शेयर की कीमत दोबारा बढ़ जाएगी।”

15 कई महीनों तक एलिक्स शेयर बाज़ार के बारे में ही सोचता रहा। वह आध्यात्मिक बातों को पहली जगह नहीं दे पा रहा था और उसकी रातों की नींद उड़ गयी। मगर शेयर की कीमत बढ़ी नहीं। एलिक्स की सारी जमा-पूँजी खत्म हो गयी और उसे अपना घर बेचना पड़ा। वह कहता है, “मैंने अपने परिवार को बहुत दुख दिया।” मगर उसने एक ज़रूरी सबक सीखा। वह कहता है, “अब मैं जान गया हूँ कि जो शैतान की व्यवस्था पर भरोसा रखता है, उसे घोर निराशा ही हाथ लगेगी।” (नीति. 11:28) अगर हम अपनी जमा-पूँजी पर या किसी कारोबार में लगाए पैसे पर पूरा भरोसा करेंगे या फिर पैसा कमाने की अपनी काबिलीयत पर भरोसा रखेंगे तो हम दरअसल “इस दुनिया की व्यवस्था के ईश्‍वर” शैतान पर भरोसा कर रहे होंगे। (2 कुरिं. 4:4; 1 तीमु. 6:17) एलिक्स अब “खुशखबरी की खातिर” एक सादगी भरी ज़िंदगी जीता है। इस वजह से आज वह और उसका परिवार बहुत खुश है और वे यहोवा के करीब आ पाए हैं।—मरकुस 10:29, 30 पढ़िए।

गर्व की भावना

16. गर्व करने और घमंड करने में क्या फर्क है?

16 सही बातों पर गर्व करना अच्छा हो सकता है। उदाहरण के लिए, हमें यहोवा के साक्षी होने पर गर्व महसूस करना चाहिए। (यिर्म. 9:24) आत्म-सम्मान की भावना हमें सही फैसले करने और चालचलन के ऊँचे स्तरों पर चलते रहने का बढ़ावा देती है। पर साथ ही हमें सावधान रहना है कि हम घमंड में आकर अपने विचारों को बहुत ज़्यादा तवज्जह न दें क्योंकि ऐसा करने से हम यहोवा से दूर जा सकते हैं।—भज. 138:6; रोमि. 12:3.

मंडली में ज़िम्मेदारी के पद के लिए तरसने के बजाय प्रचार का पूरा-पूरा आनंद लीजिए!

17, 18. (क) बाइबल में बताए कुछ नम्र लोगों और घमंडी लोगों की मिसाल दीजिए। (ख) एक भाई ने क्या किया ताकि घमंड उसे यहोवा से दूर न ले जाए?

17 बाइबल में कुछ घमंडी लोगों की और कुछ नम्र लोगों की मिसालें दी गयी हैं। राजा दाविद एक नम्र इंसान था जिसने मार्गदर्शन के लिए यहोवा की ओर देखा और यहोवा ने उसे आशीष दी। (भज. 131:1-3) मगर यहोवा ने घमंडी राजा नबूकदनेस्सर और बेलशस्सर को नम्रता का सबक सिखाया। (दानि. 4:30-37; 5:22-30) अगर हममें घमंड हो, तो ज़िंदगी के कुछ हालात का सामना करना हमारे लिए मुश्‍किल हो सकता है। बत्तीस साल का एक सहायक सेवक रायन एक नयी मंडली के इलाके में जा बसा था। वह कहता है, “मैंने सोचा था कि प्राचीन की ज़िम्मेदारी के लिए बहुत जल्द मेरी सिफारिश की जाएगी। मगर एक साल बीत गया और कुछ नहीं हुआ।” क्या रायन ने यह सोचकर मन में गुस्सा या कड़वाहट पाल ली कि प्राचीनों ने मेरा आदर नहीं किया? क्या उसने सभाओं में जाना बंद कर दिया और घमंड से भरकर यहोवा से और उसके लोगों से दूर चला गया? अगर आप रायन की जगह होते तो क्या करते?

18 रायन कहता है, “मैंने हमारी किताबों-पत्रिकाओं में इस बारे में दी सारी जानकारी पढ़ी कि जब हमारी कोई उम्मीद पूरी नहीं होती तो हमें क्या करना चाहिए।” (नीति. 13:12) वह आगे कहता है, “मैंने जाना कि मुझे सब्र से काम लेने और नम्रता बढ़ाने की ज़रूरत है। यहोवा मुझे कुछ सिखा रहा है और मुझे खुद को उसके हाथों सौंप देना होगा।” रायन ने अपना ध्यान खुद से हटाकर दूसरों की सेवा करने पर लगाया। वह मंडली के भाई-बहनों और प्रचार में दूसरों की मदद करने पर ध्यान देने लगा। कुछ ही समय के अंदर उसे ऐसे कई बाइबल अध्ययन मिले जो अच्छी तरक्की करने लगे। वह कहता है, “डेढ़ साल बाद जब मुझे प्राचीन ठहराया गया तो मैं खुशी से फूला न समाया क्योंकि मैंने उस वक्‍त इसकी उम्मीद नहीं की थी। मैंने इस बारे में चिंता करना छोड़ दिया था, क्योंकि मुझे अपनी सेवा में बहुत खुशी मिल रही थी।”—भजन 37:3, 4 पढ़िए।

यहोवा के करीब बने रहिए!

19, 20. (क) हम कैसे पक्का कर सकते हैं कि रोज़मर्रा ज़िंदगी की बातें हमें यहोवा से दूर न ले जाएँ? (ख) हम यहोवा के करीब रहनेवाले किन लोगों की मिसाल पर चल सकते हैं?

19 हमने पिछले लेख में और इस लेख में जितने भी मामलों पर चर्चा की उन सबकी हमारी ज़िंदगी में अपनी एक जगह है। हम यहोवा के सेवक होने पर गर्व महसूस करते हैं। खुशहाल परिवार और अच्छी सेहत यहोवा के बेहतरीन तोहफों में से हैं। हम इस बात को समझते हैं कि अपनी ज़रूरतें पूरी करने के लिए नौकरी और पैसा ज़रूरी है। हम यह भी जानते हैं कि मनोरंजन हमें तरो-ताज़ा कर सकता है और कंप्यूटर जैसे इलैक्ट्रॉनिक उपकरण फायदेमंद हो सकते हैं। लेकिन किसी भी चीज़ का गलत वक्‍त पर इस्तेमाल करना या हद-से-ज़्यादा इस्तेमाल करना या हमारी उपासना की जगह उसे अहमियत देना हमें यहोवा से दूर ले जा सकता है।

कोई भी चीज़ आपको यहोवा से दूर न ले जाए!

20 शैतान यही चाहेगा कि हम यहोवा से दूर हो जाएँ। लेकिन आप चाहें तो खुद को और अपने परिवार को ऐसी मुसीबत से बचा सकते हैं। (नीति. 22:3) यहोवा के करीब आइए और उसके करीब बने रहिए। इस मामले में हम बाइबल में बताए कई अच्छे लोगों से सीख सकते हैं। हनोक और नूह ‘परमेश्‍वर के साथ साथ चलते रहे।’ (उत्प. 5:22; 6:9) मूसा “अदृश्‍य परमेश्‍वर को मानो देखता हुआ डटा रहा।” (इब्रा. 11:27) यीशु ने हमेशा वही काम किया जो उसके पिता यहोवा को खुश करता है इसलिए परमेश्‍वर ने उसकी मदद की। (यूह. 8:29) आप भी इन अच्छी मिसालों पर चलिए। ‘हमेशा खुश रहिए। लगातार प्रार्थना करते रहिए। हर बात के लिए धन्यवाद देते रहिए।’ (1 थिस्स. 5:16-18) और सावधान रहिए कि कोई भी चीज़ आपको यहोवा से दूर न ले जाए!

^ नाम बदल दिए गए हैं।

^ अक्टूबर-दिसंबर 2011 की सजग होइए! पढ़िए जिसका शीर्षक है, “कैसे बनाएँ बच्चों को ज़िम्मेदार।

^ जुलाई-सितंबर 2011 की सजग होइए! में “अच्छी सेहत पाने के पाँच सुझाव” पढ़िए।