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क्या आप “बढ़िया कामों के लिए जोशीले” हैं?

क्या आप “बढ़िया कामों के लिए जोशीले” हैं?

“मसीह ने खुद को हमारे लिए दे दिया कि हमें . . . शुद्ध कर ऐसे लोग बना ले जो खास उसके अपने हों और बढ़िया कामों के लिए जोशीले हों।”—तीतु. 2:14.

1, 2. यहोवा के साक्षियों को कौन-सा अनोखा सम्मान मिला है? और आप इस सम्मान के बारे में कैसा महसूस करते हैं?

 जब लोगों को किसी खास काम के लिए इनाम दिया जाता है, तो वे इसे एक बड़ा सम्मान समझते हैं। उदाहरण के लिए, दो दुश्‍मन देशों के बीच शांति-भरा रिश्‍ता बनाने में अपना योगदान देनेवाले कुछ लोगों को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। लेकिन यह और भी कितने बड़े सम्मान की बात है कि परमेश्‍वर ने हमें राजदूतों की तरह भेजा है, ताकि हम लोगों को अपने सृष्टिकर्ता के साथ शांति-भरा रिश्‍ता बनाने में मदद दे सकें!

2 यहोवा के साक्षियों के नाते, सिर्फ हमें ही यह अनोखा सम्मान मिला है। परमेश्‍वर और मसीह के मार्गदर्शन में हम लोगों से बिनती करते हैं कि वे ‘परमेश्‍वर के साथ सुलह कर लें।’ (2 कुरिं. 5:20) यहोवा हमारे ज़रिए लोगों को अपनी तरफ खींच रहा है। नतीजा, 235 से भी ज़्यादा देशों में लाखों लोगों की मदद की गयी है, ताकि वे परमेश्‍वर के साथ एक अच्छा रिश्‍ता बना सकें और हमेशा की जिंदगी की आशा पा सकें। (तीतु. 2:11) हम पूरे जोश के साथ यह न्यौता देते हैं कि “जो कोई चाहे वह जीवन देनेवाला पानी मुफ्त में ले ले।” (प्रका. 22:17) परमेश्‍वर की तरफ से मिला यह काम हमारे लिए बहुत अनमोल है और हम इसे पूरी लगन से करते हैं, इसलिए हमें “बढ़िया कामों के लिए जोशीले” कहा जा सकता है। (तीतु. 2:14) अब आइए गौर करें कि बढ़िया कामों के लिए जोश दिखाकर हम लोगों को कैसे यहोवा की तरफ खींच सकते हैं। एक तरीका है, हमारे प्रचार काम के ज़रिए।

यहोवा और यीशु के जैसा जोश दिखाइए

3. ‘यहोवा का जोश’ हमें किस बात का यकीन दिलाता है?

3 परमेश्‍वर का बेटा अपने राज में जो कुछ करेगा, उस बारे में बताते हुए यशायाह 9:7 कहता है, “सेनाओं के यहोवा की धुन [या “जोश,” एन.डब्ल्यू.] के द्वारा यह हो जाएगा।” ये शब्द हमें यकीन दिलाते हैं कि स्वर्ग में रहनेवाला हमारा पिता, इंसानों के उद्धार में गहरी दिलचस्पी लेता है। यहोवा ने जोश दिखाने में जो मिसाल रखी है, उससे हमें बढ़ावा मिलता है कि हम प्रचार काम में पूरा-पूरा साथ दें और जोश से इसमें हिस्सा लें। परमेश्‍वर को जानने में लोगों की मदद करने की हमारी ज़बरदस्त इच्छा दरअसल यहोवा के जोश की एक झलक है। तो फिर परमेश्‍वर के सहकर्मी होने के नाते, क्या हमने अपने मन में ठाना है कि खुशखबरी का प्रचार करने में जितना हमसे बन पड़ता है, हम उतना करने की पूरी-पूरी कोशिश करेंगे?—1 कुरिं. 3:9.

4. प्रचार में अपना जोश बनाए रखने में यीशु ने कैसे एक उम्दा मिसाल रखी?

4 अब ज़रा यीशु के जोश पर ध्यान दीजिए। प्रचार काम में जोश बनाए रखने में उसने सबसे उम्दा मिसाल रखी। कड़े विरोध के बावजूद, धरती पर अपनी दर्दनाक मौत तक यीशु ने प्रचार काम के लिए अपना जोश बरकरार रखा। (यूह. 18:36, 37) जैसे-जैसे उसके कुरबानी देने का वक्‍त नज़दीक आता गया, वैसे-वैसे यहोवा के बारे में दूसरों को बताने में उसने और भी मेहनत की।

5. यीशु ने कैसे अंजीर के पेड़ की मिसाल के मुताबिक काम किया?

5 उदाहरण के लिए, ईसवी सन्‌ 32 के पतझड़ में यीशु ने एक ऐसे आदमी की मिसाल दी जिसके अंगूर के बाग में एक अंजीर का पेड़ लगा था। इस पेड़ में तीन साल से एक भी फल नहीं आया था। जब बाग के माली से पेड़ काटने के लिए कहा गया, तो उसने थोड़े और वक्‍त की गुज़ारिश की, ताकि वह उसमें खाद डाल सके। (लूका 13:6-9 पढ़िए।) जब यीशु ने यह मिसाल दी, तब तक बहुत-ही कम लोग उसके चेले बने थे। मगर मिसाल के मुताबिक, यीशु अपनी मौत से पहले बचे थोड़े-से वक्‍त में और भी मेहनत करना चाहता था। इसलिए उसने यहूदा और पेरिया में कुछ छ: महीने तक पूरे जोश के साथ प्रचार किया। अपनी मौत से कुछ दिन पहले, यीशु अपने राष्ट्र के लोगों के लिए रोया, क्योंकि वे ‘सुनते तो थे, मगर सुनकर कुछ करते नहीं’ थे।—मत्ती 13:15; लूका 19:41.

6. हमें प्रचार में और भी ज़्यादा मेहनत क्यों करनी चाहिए?

6 आज हम दुनिया के अंत के बहुत करीब हैं, तो क्या यह ज़रूरी नहीं कि प्रचार में हम और भी ज़्यादा मेहनत करें? (दानिय्येल 2:41-45 पढ़िए।) यहोवा के साक्षी होना कितना बड़ा सम्मान है! इस धरती पर सिर्फ हम साक्षी ही इंसान की मुश्‍किलों के समाधान के लिए उन्हें सच्ची आशा देते हैं। हाल ही में एक अखबार की लेखिका ने कहा कि इस सवाल का कोई जवाब नहीं कि “अच्छे लोगों के साथ बुरा क्यों होता है?” मगर बाइबल इस सवाल का जवाब देती है और मसीही होने के नाते हमारी ज़िम्मेदारी बनती है कि हम दूसरों को इस बारे में बताएँ और ऐसा करना हमारे लिए बड़े सम्मान की बात है। यहोवा से मिले काम को करते हुए हमें “परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति के तेज से भरे” रहना चाहिए। (रोमि. 12:11) यहोवा की आशीष से, हम जोश के साथ प्रचार में हिस्सा लेकर दूसरों को यहोवा को जानने और उससे प्यार करने में मदद दे सकेंगे।

त्याग की भावना दिखाने से यहोवा की महिमा होती है

7, 8. त्याग की भावना दिखाने से कैसे यहोवा की महिमा होती है?

7 जैसे प्रेषित पौलुस के अनुभवों से ज़ाहिर होता है, प्रचार काम के लिए शायद हमें भी ‘जागते हुए रातें काटनी’ पड़े और ‘भूखे पेट रहना’ पड़े। (2 कुरिं. 6:5) इन शब्दों को पढ़कर हमारे मन में त्याग की भावना दिखानेवाले भाई-बहनों की जीती-जागती तसवीर उभर आती है। यह शायद हमें उन पायनियरों की याद दिलाए, जो प्रचार काम को अपनी ज़िंदगी में सबसे ज़्यादा अहमियत देते हैं और अपना गुज़ारा चलाने के लिए काम भी करते हैं। उन मिशनरियों पर भी गौर कीजिए, जो विदेश जाकर लोगों की मदद करने के लिए खुद को ‘अर्घ की तरह उंडेल’ देते हैं। (फिलि. 2:17) हमारे मेहनती प्राचीनों के बारे में आप क्या कहेंगे, जो यहोवा की भेड़ों की देखभाल करने के लिए कई बार खाना छोड़ देते हैं या अपनी नींद त्याग देते हैं? हमारे ऐसे कई बुज़ुर्ग और बीमार भाई-बहन भी हैं, जो मसीही सभाओं में हाज़िर होने और प्रचार में हिस्सा लेने के लिए अपना भरसक करते हैं। त्याग की भावना दिखानेवाले परमेश्‍वर के इन सेवकों के बारे में सोचकर हमारा दिल कदरदानी से भर जाता है। और-तो-और, दूसरे लोग भी गौर करते हैं कि प्रचार काम हमारे लिए कितना मायने रखता है।

8 ब्रिटेन के एक अखबार बॉस्टन टार्गेट को लिखे एक खत में एक गैर-साक्षी ने कहा, “धर्म पर से लोगों का विश्‍वास उठता जा रहा है . . . ये चर्च के पादरी सारा दिन करते क्या हैं? यह बात तो पक्की है कि वे मसीह की तरह बाहर जाकर लोगों से नहीं मिलते . . . अगर कोई धर्म परवाह करता है तो वह है, सिर्फ यहोवा के साक्षी, जो लोगों के पास जाकर उनसे मिलते हैं और सच्चाई के बारे में बताने में गहरी दिलचस्पी लेते हैं।” इस दुनिया में जहाँ हर कोई अपनी इच्छा पूरी करने में लगा हुआ है, वहीं हम जो त्याग की भावना दिखाते हैं उससे यहोवा परमेश्‍वर की महिमा होती है।—रोमि. 12:1.

प्रचार में हमारी मौजूदगी ही अपने आप में देखनेवालों को एक ज़बरदस्त गवाही देती है

9. प्रचार काम में बढ़िया कामों के लिए जोशीले बने रहने में क्या बात हमारी मदद कर सकती है?

9 लेकिन अगर प्रचार में हमारा जोश ठंडा पड़ता जा रहा है, तो हम क्या कर सकते हैं? ऐसे में, हमें इस बात पर मनन करने से मदद मिल सकती है कि यहोवा प्रचार काम के ज़रिए क्या-क्या कर रहा है। (रोमियों 10:13-15 पढ़िए।) उद्धार पाने के लिए ज़रूरी है कि लोग यहोवा पर विश्‍वास करें और उसका नाम पुकारें। मगर जब तक हम उन्हें प्रचार न करें, तब तक वे ऐसा नहीं कर पाएँगे। यह समझने से हमें बढ़िया कामों के लिए जोशीले बने रहने और तन-मन से राज की खुशखबरी प्रचार करने का बढ़ावा मिलता है।

बढ़िया चालचलन से लोग परमेश्‍वर की तरफ आकर्षित होते हैं

आपकी ईमानदारी और मेहनत लोगों की नज़रों से छिपती नहीं

10. यह क्यों कहा जा सकता है कि हमारा बढ़िया चालचलन लोगों को यहोवा की तरफ खींचता है?

10 प्रचार काम में जोश दिखाना ज़रूरी है, लेकिन लोगों को परमेश्‍वर की तरफ खींचने के लिए सिर्फ इतना काफी नहीं। एक और बात जो लोगों की मदद करेगी, वह है हमारा बढ़िया मसीही चालचलन। यह बढ़िया कामों के लिए जोश दिखाने का दूसरा तरीका है। पौलुस ने हमारे चालचलन की अहमियत पर ज़ोर देते हुए कहा: “हम किसी भी तरह से ठोकर खाने की कोई वजह नहीं देते ताकि हमारी सेवा में कोई खामी न पायी जाए।” (2 कुरिं. 6:3) हमारी अच्छी बोली और बढ़िया चालचलन से परमेश्‍वर की शिक्षा की शोभा बढ़ती है और इससे दूसरे लोग भी यहोवा की उपासना करने के लिए आकर्षित होते हैं। (तीतु. 2:10) हम अकसर सुनते हैं कि जब अच्छे मन के लोग हमारा मसीही चालचलन देखते हैं, तो इसका उन पर अच्छा असर होता है।

11. यह क्यों ज़रूरी है कि हम इस बात पर ध्यान दें और प्रार्थना करें कि हमारे चालचलन का दूसरों पर कैसा असर पड़ेगा?

11 हालाँकि हमारे अच्छे कामों से लोगों पर अच्छा असर हो सकता है, लेकिन यह भी सच है कि हमारे गलत चालचलन का दूसरों पर बुरा असर भी हो सकता है। इसलिए हम चाहे नौकरी की जगह पर हों, घर पर हों या स्कूल में, हम किसी को कोई मौका नहीं देना चाहते कि वह हमारी सेवा और हमारे चालचलन में कोई नुक्स निकाले। अगर हम जानबूझकर पाप करते रहें, तो परमेश्‍वर के साथ हमारा रिश्‍ता हमेशा के लिए तबाह हो सकता है। (इब्रा. 10:26, 27) यह बात हमें उकसाती है कि हम इस बारे में ध्यान दें और प्रार्थना करें कि हमारा चालचलन कैसा है और इसका दूसरों पर क्या असर होता है। जैसे-जैसे इस दुनिया के नैतिक स्तर गिरते जा रहे हैं, अच्छे मन के लोग ‘परमेश्‍वर की सेवा करनेवालों के, और जो उसकी सेवा नहीं करते,’ उनके बीच फर्क साफ देख पाएँगे। (मला. 3:18) जी हाँ, परमेश्‍वर के साथ लोगों की सुलह करवाने में हमारा बढ़िया मसीही चालचलन बहुत मायने रखता है।

12-14. हम जिस तरह विश्‍वास की परीक्षाओं में धीरज धरते हैं, उससे कैसे दूसरे सच्ची उपासना की तरफ आकर्षित होते हैं? एक उदाहरण दीजिए।

12 कुरिंथियों को लिखते वक्‍त, प्रेषित पौलुस ने बताया कि उसने दुःख-तकलीफें और मुश्‍किलें सहीं, मार खायी और उसे कैद होना पड़ा। (2 कुरिंथियों 6:4, 5 पढ़िए।) जब हमारे विश्‍वास की परीक्षा होती है, तो हमारे धीरज धरने से देखनेवालों को सच्चाई अपनाने में मदद मिलती है। मिसाल के लिए, कुछ साल पहले, अंगोला देश के एक इलाके में यहोवा के साक्षियों को मिटा डालने की कोशिश की गयी। वहाँ के कुछ लोगों ने दो यहोवा के साक्षियों और ऐसे 30 दिलचस्पी दिखानेवालों को अपने कब्ज़े में ले लिया, जो सभाओं में हाज़िर हुए थे। विरोधियों ने उन मासूमों को तब तक मारा जब तक कि वे लहू-लुहान न हो गए। उन्होंने औरतों और बच्चों को भी नहीं बख्शा। विरोधियों ने वहाँ के कुछ लोगों को इकट्ठा कर लिया ताकि वे यह तमाशा देख सकें। इसके पीछे उनका मकसद था लोगों को डराना, ताकि कोई भी यहोवा के साक्षियों की बात सुनने की जुर्रत न करे। लेकिन यह सब होने के बाद भी, आगे चलकर वहाँ रहनेवाले बहुत-से लोगों ने साक्षियों से बाइबल अध्ययन की गुज़ारिश की! नतीजा, राज के प्रचार काम में तरक्की होती गयी, बहुत से लोगों ने सच्चाई कबूल की और यहोवा ने इन भाइयों को आशीष दी।

13 यह उदाहरण दिखाता है कि जब लोग देखते हैं कि कैसे हम हिम्मत के साथ परीक्षा का सामना करते हैं, तो शायद वे भी सच्चाई की तरफ आकर्षित हो जाएँ। विरोध के बावजूद, पतरस और दूसरे प्रेषितों की हिम्मत देखकर शायद कई लोगों ने परमेश्‍वर के साथ सुलह की होगी। (प्रेषि. 5:17-29) आज जब हम परीक्षाओं का डटकर सामना करते हैं, तो हो सकता है यह देखकर साथ पढ़नेवाले, साथ काम करनेवाले या हमारे परिवार के सदस्य सच्चाई में दिलचस्पी लेने लगें।

14 हर घड़ी, कहीं-न-कहीं हमारे कुछ भाई ज़ुल्म का सामना कर रहे हैं। मिसाल के लिए, आर्मीनिया देश में निष्पक्षता की वजह से करीब 40 भाइयों को सलाखों के पीछे डाल दिया गया। और शायद आनेवाले कुछ महीने में वहाँ रहनेवाले हमारे और भी बहुत-से भाइयों को जेल जाना पड़े। एरिट्रीया देश में 55 यहोवा के साक्षी जेल की सज़ा काट रहे हैं और उनमें से कुछ की उम्र तो 60 से भी ज़्यादा है। दक्षिण कोरिया में लगभग 700 साक्षी अपने विश्‍वास की वजह से जेल में कैद हैं। पिछले 60 सालों से वहाँ यही होता आया है। आइए हम ज़ुल्म सहनेवाले ऐसे भाइयों के लिए प्रार्थना करें, ताकि उनकी वफादारी से यहोवा की महिमा हो और नेकी से प्यार करनेवालों को सच्ची उपसाना कबूल करने में मदद मिल सके।—भज. 76:8-10.

15. एक अनुभव बताइए जो दिखाता है कि हमारी ईमानदारी लोगों को सच्चाई की तरफ खींच सकती है।

15 हमारी ईमानदारी भी लोगों को सच्चाई की तरफ खींच सकती है। (इब्रानियों 13:18 पढ़िए।) उदाहरण के लिए, इस अनुभव पर गौर कीजिए: बस में सफर करते वक्‍त एक बहन टिकट लेने के लिए मशीन में पैसे डाल ही रही थी कि तभी उसकी एक पहचानवाली ने उससे कहा कि इतने कम सफर के लिए टिकट खरीदने की क्या ज़रूरत है? बहन ने उसे समझाया कि टिकट खरीदना सही है, फिर चाहे अगले स्टॉप पर ही क्यों न उतरना हो। इसके बाद वह स्त्री बस से उतर गयी। फिर बस ड्राइवर ने बहन की तरफ देखा और पूछा, “क्या आप यहोवा की साक्षी हैं?” बहन ने जवाब दिया, “हाँ, पर क्या मैं जान सकती हूँ कि आपने यह सवाल क्यों किया?” ड्राइवर ने कहा, “जब आप दोनों टिकट लेने की बात कर रही थीं, तो मैं सुन रहा था और मैं जानता हूँ कि यहोवा के साक्षी उन गिने-चुने लोगों में से हैं, जो हमेशा अपनी टिकट खरीदते हैं और सब बातों में ईमानदार होते हैं!” कुछ महीनों बाद, एक सभा में एक आदमी ने इस बहन के पास आकर कहा, “आपने मुझे पहचाना? मैं वही बस ड्राइवर हूँ जिसने आपसे टिकट के बारे में बात की थी। आपकी ईमानदारी देखकर मैंने फैसला किया कि मैं यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल अध्ययन करूँगा।” जब लोग देखते हैं कि हम ईमानदार हैं, तो वे खुशखबरी पर भरोसा करते हैं।

हमेशा ऐसे गुण दिखाइए जिनसे परमेश्‍वर का आदर हो

16. सहनशीलता, प्यार और कृपा जैसे गुण दिखाने का क्या नतीजा हो सकता है? एक मिसाल देकर बताइए कि धर्म-गुरु क्या करते हैं।

16 जब हम सहनशीलता, प्यार और कृपा जैसे गुण दिखाते हैं, तब भी हम लोगों को यहोवा की तरफ खिंचने में मदद कर रहे होते हैं। जब लोग हम पर गौर करते हैं, तो हो सकता है वे यहोवा, उसके मकसद और उसके लोगों के बारे में सीखने की इच्छा ज़ाहिर करें। सच्चे मसीहियों के रवैए और चालचलन से यहोवा का आदर होता है। इसके उलट, कुछ धर्म-गुरू परमेश्‍वर की भक्‍ति करने का बस दिखावा करते हैं, उनकी उपासना सिर्फ एक ढकोसला है। कुछ तो अपने झुंड के साथ धोखाधड़ी करके, उनके पैसों से रईस बन गए हैं। इन पैसों से उन्होंने अपने लिए आलिशान घर और मँहगी-मँहगी गाड़ियाँ खरीदी हैं। एक ने तो अपने कुत्ते के लिए छोटा-सा घर तक बनवाया और उसमें ए.सी. भी लगवाया! बेशक, बहुत-से धर्म-गुरू जो मसीह के चेले होने का दावा करते हैं, उनका ‘मुफ्त देने’ का कोई इरादा नहीं होता। (मत्ती 10:8) इसके बजाए, पुराने ज़माने के बुरे इसराएली याजकों की तरह, वे “दाम ले लेकर व्यवस्था देते हैं” और उनकी ज़्यादातर शिक्षाएँ बाइबल से नहीं होतीं। (मीका 3:11) इस तरह के कपट से परमेश्‍वर के साथ सुलह करने में किसी को भी मदद नहीं मिलती।

17, 18. (क) हम अपने चालचलन से कैसे यहोवा का आदर कर सकते हैं? (ख) आप बढ़िया कामों में क्यों लगे रहना चाहते हैं?

17 वहीं दूसरी तरफ, जब लोग देखते हैं कि हम सच्चाई सिखाते हैं और अपने पड़ोसियों से अच्छी तरह पेश आते हैं, तो यह उनके दिल को छू जाता है। उदाहरण के लिए, घर-घर प्रचार करते वक्‍त एक पायनियर की मुलाकात एक बुज़ुर्ग विधवा से हुई। उसने भाई से तुरंत कह दिया कि उसे कोई दिलचस्पी नहीं है। उस स्त्री ने बताया कि जब दरवाज़े की घंटी बजी, तो वह सीढ़ी पर चढ़कर रसोई का बल्ब बदलने की कोशिश कर रही थी। भाई ने कहा, “आपको यह काम अकेले नहीं करना चाहिए।” फिर उसने खुद बल्ब बदला और अगले घर की ओर चला गया। जब उस स्त्री के बेटे को इस बारे में पता चला, तो उसे इतना अच्छा लगा कि वह उस भाई का शुक्रिया अदा करने के लिए उसे तलाशने लगा। आगे चलकर, उसने बाइबल अध्ययन करना शुरू किया।

18 आपने बढ़िया कामों में लगे रहने की क्यों ठान ली है? शायद इसलिए क्योंकि आप जानते हैं कि जब हम प्रचार के लिए जोश दिखाते हैं, और परमेश्‍वर की मरज़ी को ध्यान में रखते हुए काम करते हैं, तो हम यहोवा का आदर करते हैं और उद्धार पाने में दूसरों की मदद करते हैं। (1 कुरिंथियों 10:31-33 पढ़िए।) जोश के साथ खुशखबरी का प्रचार करने और बढ़िया चालचलन बनाए रखने की एक और वजह यह है कि हम परमेश्‍वर और अपने पड़ोसियों के लिए प्यार ज़ाहिर करने की दिली तमन्‍ना रखते हैं। (मत्ती 22:37-39) अगर हम बढ़िया कामों में जोशीले हों, तो हम आज सच्ची खुशी और संतोष पा सकेंगे। साथ ही, हम उस दिन की आस लगा सकते हैं, जब सभी इंसान सच्ची उपासना के लिए जोश दिखाएँगे और हमारे सृष्टिकर्ता यहोवा का आदर करेंगे।