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पायनियर सेवा करने से यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता मज़बूत होता है

पायनियर सेवा करने से यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता मज़बूत होता है

“अपने परमेश्‍वर का भजन गाना अच्छा है।”—भज. 147:1.

1, 2. (क) जब आप अपने किसी अज़ीज़ के बारे में सोचते और बात करते हैं, तो इसका क्या नतीजा होता है? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।) (ख) हम किन सवालों पर गौर करेंगे?

 किसी अज़ीज़ के बारे में सोचने और उसके बारे में दूसरों को बताने से उस व्यक्‍ति के साथ हमारा रिश्‍ता मज़बूत होता है। यहोवा परमेश्‍वर के साथ हमारे रिश्‍ते के बारे में भी यह बात सच है। एक चरवाहे के नाते, दाविद ने न जाने कितनी रातें तारों से भरे आसमान को निहारते और उन्हें बनानेवाले के महान गुणों के बारे में मनन करते हुए गुज़ारीं। उसने लिखा, “जब मैं आकाश को, जो तेरे हाथों का कार्य है, और चंद्रमा और तारागण को जो तू ने नियुक्‍त किए हैं, देखता हूं; तो फिर मनुष्य क्या है कि तू उसका स्मरण रखे, और आदमी क्या है कि तू उसकी सुधि ले?” (भज. 8:3, 4) और जब प्रेषित पौलुस ने गौर किया कि यहोवा अभिषिक्‍त मसीहियों के बारे में अपना मकसद कैसे शानदार तरीके से पूरा कर रहा है, तो उसने कहा: “वाह! परमेश्‍वर की दौलत और बुद्धि और ज्ञान की गहराई क्या ही अथाह है!”—रोमि. 11:17-26, 33.

2 जब हम प्रचार में हिस्सा लेते हैं, तब हम यहोवा के बारे में सोचते और बात करते हैं। इससे यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता मज़बूत होता है। पूरे समय की सेवा करनेवाले बहुत-से भाई-बहनों ने पाया है कि राज के काम में ज़्यादा समय बिताने से यहोवा के लिए उनका प्यार और भी गहरा हो गया है। चाहे आप आज पूरे समय की सेवा कर रहे हों या ऐसा करने का आपका लक्ष्य हो, ज़रा इन सवालों पर गौर कीजिए: पूरे समय की सेवा करने से यहोवा के साथ आपका रिश्‍ता कैसे मज़बूत हो सकता है? अगर आप एक पायनियर हैं, तो खुद से पूछिए, ‘इस खास सेवा में बने रहने में क्या बात मेरी मदद करेगी?’ और अगर आप फिलहाल पायनियर सेवा नहीं कर रहे हैं, तो खुद से पूछिए, ‘मैं क्या फेरबदल कर सकता हूँ ताकि मैं पायनियर सेवा कर सकूँ?’ आइए कुछ तरीकों पर गौर करें कि कैसे पूरे समय की सेवा करने से यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता मज़बूत हो सकता है।

पूरे समय की सेवा और परमेश्‍वर के साथ हमारा रिश्‍ता

3. भविष्य में मिलनेवाली राज की आशीषों के बारे में दूसरों को बताने से हमें क्या मदद मिलती है?

3 जब हम भविष्य में मिलनेवाली राज की आशीषों के बारे में दूसरों को बताते हैं, तो हम यहोवा के और करीब आते हैं। घर-घर के प्रचार में आपको कौन-सी आयत दिखाना पसंद है? हो सकता है भजन 37:10, 11; दानिय्येल 2:44; यूहन्‍ना 5:28, 29 या प्रकाशितवाक्य 21:3, 4 आपकी पसंदीदा आयत हो। हर बार जब हम दूसरों के साथ इन आयतों में बताए वादों पर चर्चा करते हैं, तो हर बार हम खुद को याद दिलाते हैं कि हमारा दरियादिल परमेश्‍वर सचमुच में “हरेक अच्छा तोहफा और हरेक उत्तम देन” देनेवाला परमेश्‍वर है। इससे हम उसके और करीब आ पाते हैं।—याकू. 1:17.

4. जब हम दूसरों की आध्यात्मिक हालत देखते हैं, तो यहोवा की भलाई के लिए हमारी कदरदानी कैसे बढ़ती है?

4 जब हम देखते हैं कि कैसे ज़्यादातर लोग दुखी और लाचार हैं, तो सच्चाई के लिए हमारी कदरदानी और बढ़ जाती है। इस दुनिया में लोगों के पास कामयाबी और खुशी पाने के लिए कोई भरोसेमंद मार्गदर्शन नहीं है। ज़्यादातर लोग अपने भविष्य के बारे में चिंता करते हैं और उनके पास कोई आशा नहीं है। वे अपनी ज़िंदगी का मकसद तलाश रहे हैं। धर्म में आस्था रखनेवाले भी बाइबल के बारे में बहुत कम जानते हैं। वे काफी हद तक पुराने ज़माने के नीनवे के लोगों की तरह हैं। (योना 4:11 पढ़िए।) जब हम प्रचार में ज़्यादा समय बिताते हैं तो हम और भी अच्छी तरह देख पाते हैं कि जिन्हें हम प्रचार करते हैं, उनकी और यहोवा के लोगों की आध्यात्मिक हालत में कितना बड़ा फर्क है! (यशा. 65:13) मगर यहोवा अपने लोगों की आध्यात्मिक ज़रूरतें पूरी करने के अलावा कुछ और भी करता है। वह हरेक को आध्यात्मिक ताज़गी और एक सच्ची आशा पाने का मौका देता है। इससे हमें इस बात का एहसास होता है कि यहोवा वाकई कितना भला है।—प्रका. 22:17.

5. दूसरों को सच्चाई सिखाते वक्‍त, हमें अपनी मुश्‍किलों के बारे में कैसा महसूस होता है?

5 जब हम दूसरों को सच्चाई सिखाते हैं, तो हम अपनी मुश्‍किलों के बारे में हद-से-ज़्यादा चिंता नहीं करते। ट्रिशा, जो एक पायनियर है, बताती है कि जब उसके माता-पिता का तलाक हो गया, तो वह बहुत दुखी हो गयी। एक दिन वह बहुत परेशान थी, और प्रचार में जाने का उसका दिल नहीं था। फिर भी वह एक बाइबल अध्ययन कराने के लिए चली गयी। यह अध्ययन तीन बच्चों का था, जिनके परिवार में बहुत परेशानियाँ थीं। उनके पिता ने उन्हें छोड़ दिया था और उनके बड़े भाई ने उनके साथ बहुत बुरा सुलूक किया था। ट्रिशा कहती है: “उनकी तकलीफ के आगे, मेरी परेशानी और दर्द कुछ भी नहीं था। अध्ययन के दौरान उनकी छोटी-छोटी आँखों में चमक आ जाती और मारे खुशी और उत्साह के वे धीरे-से हँसने लगते! ये बच्चे वाकई यहोवा की तरफ से एक तोहफा थे, खासकर उस दिन।”

6, 7. (क) जब हम दूसरों को बाइबल सच्चाइयाँ सिखाते हैं, तो हमारा विश्‍वास कैसे मज़बूत होता है? (ख) अपने विद्यार्थियों को बाइबल सिद्धांत लागू करते और अपनी ज़िंदगी में सुधार लाते देखकर हमें कैसा महसूस होता है?

6 जब हम दूसरों को सच्चाई सिखाते हैं, तो हमारा विश्‍वास मज़बूत होता है। प्रेषित पौलुस के ज़माने के कुछ यहूदी जिन बातों का प्रचार किया करते थे, उन पर वे खुद नहीं चलते थे। ऐसे यहूदियों के बारे में पौलुस ने लिखा: “तू जो दूसरे को सिखाता है, क्या खुद को नहीं सिखाता?” (रोमि. 2:21) लेकिन आज के पायनियर उनसे कितने अलग हैं! उनके पास दूसरों को सच्चाई सिखाने और बाइबल अध्ययन चलाने के ढेर सारे मौके होते हैं। ऐसा असरदार तरीके से करने के लिए ज़रूरी है कि वे हर अध्ययन की तैयारी करें और उनके सवालों के जवाब देने के लिए शायद खोजबीन भी करें। जनीन नाम की एक पायनियर बहन कहती है: “हर बार जब मुझे दूसरों को सच्चाई सिखाने का मौका मिलता है, तो मुझे महसूस होता है कि ये सच्चाइयाँ मेरे दिल और दिमाग पर और भी गहरी छाप छोड़ जाती हैं। नतीजा, मेरा विश्‍वास कम नहीं होता, बल्कि लगातार बढ़ता ही जाता है।”

7 जब हम अपने विद्यार्थियों को बाइबल सिद्धांत लागू करते और अपनी ज़िंदगी में सुधार लाते देखते हैं, तो परमेश्‍वर की बुद्धि के लिए हमारी कदर और बढ़ जाती है। (यशा. 48:17, 18) इससे हमें मदद मिलती है कि हम इन सिद्धांतों को अपनी ज़िंदगी में लागू करते रहने की ठान लें। एड्रिआना नाम की एक और पायनियर बहन कहती है, “जब लोग अपनी समझ के मुताबिक चलते हैं, तो उनकी ज़िंदगी बरबाद हो सकती है। लेकिन जब वे यहोवा की बुद्धि पर भरोसा करना शुरू कर देते हैं, तो उन्हें तुरंत ही फायदे होने लगते हैं।” उसी तरह, एक पायनियर भाई, फिल कहता है कि उसे यह देखकर हैरानी होती है कि यहोवा की मदद से लोग कैसे अपनी ज़िंदगी में बदलाव कर पाते हैं।

8. प्रचार में अपने भाई-बहनों के साथ काम करने से हमें कैसे मदद मिलती है?

8 जब हम प्रचार में अपने भाई-बहनों के साथ काम करते हैं, तो हमारा हौसला बढ़ता है। (नीति. 13:20) ज़्यादातर पायनियर मंडली के भाई-बहनों के साथ प्रचार में काफी समय बिताते हैं। इससे उन्हें ‘एक-दूसरे का हौसला बढ़ाने’ के कई मौके मिलते हैं। (रोमि. 1:12; नीतिवचन 27:17 पढ़िए।) लीसा नाम की एक पायनियर कहती है: “काम की जगह पर, लोग एक-दूसरे से जलते हैं और अकसर उनमें एक-दूसरे से आगे निकलने की सनक सवार रहती है। पीठ पीछे दूसरों की बुराई करने से और गंदी भाषा से हर दिन आपको दो-चार होना पड़ता है। लोग किसी भी कीमत पर आगे निकलना चाहते हैं। कभी-कभी आपके मसीही चालचलन की वजह से आपकी खिल्ली उड़ाई जाती है या आप पर ताने कसे जाते हैं। लेकिन प्रचार में अपने भाई-बहनों के साथ काम करने से सचमुच में आपका हौसला बढ़ता है। भले ही मैं कितनी भी थकी क्यों न रहूँ, दिन के आखिर में जब मैं घर लौटती हूँ, तो तरोताज़ा महसूस करती हूँ।”

9. अपने जीवन-साथी के साथ पायनियर सेवा करने से शादी कैसे मज़बूत होती है?

9 जब हम अपने जीवन-साथी के साथ पायनियर सेवा करते हैं, तो तीन तागों से बनी डोरी और भी मज़बूत होती है। (सभो. 4:12) मैडेलन नाम की एक बहन, जो अपने पति के साथ पायनियर सेवा करती है, बताती है, “मैं और मेरे पति वक्‍त निकालकर इस बारे में बात करते हैं कि प्रचार में हमारा दिन कैसा गुज़रा या बाइबल पढ़ाई में हमने ऐसा क्या पढ़ा, जो हम प्रचार काम में लागू कर सकते हैं। हमारी पायनियर सेवा का हर साल हमें एक-दूसरे के और करीब लाता है।” उसी तरह, ट्रिशा कहती है, “हम दोनों ने ठान लिया है कि हम कर्ज़ नहीं लेंगे, इसलिए हम पैसे को लेकर झगड़ते नहीं। हम दोनों का प्रचार का शेड्‌यूल एक-जैसा है, इसलिए हम अकसर एक-दूसरे की वापसी भेंट और बाइबल अध्ययन पर जाते हैं।” नतीजा, वे कहते हैं कि इससे वे एक-दूसरे के और यहोवा के और भी करीब आ पाए हैं।

पूरे समय की सेवा में व्यस्त रहने से आप संतोष-भरी ज़िंदगी जी सकते हैं (पैराग्राफ 9 देखिए)

10. जब हम राज को पहली जगह देते हैं और यहोवा की मदद को महसूस करते हैं, तो यहोवा पर हमारा भरोसा कैसे बढ़ता है?

10 जब हम राज को पहली जगह देते हैं, यहोवा की मदद को महसूस करते हैं और देखते हैं कि कैसे वह हमारी प्रार्थनाओं का जवाब देता है, तो यहोवा पर हमारा भरोसा बढ़ता है। कुछ हद तक यह बात सभी वफादार मसीहियों के बारे में कही जा सकती है। लेकिन जो पूरे समय की सेवा करते हैं, उन्होंने पाया है कि यहोवा पर पूरा भरोसा रखने से ही वे पायनियर सेवा जारी रख पाते हैं। (मत्ती 6:30-34 पढ़िए।) कर्ट नाम का एक भाई अपनी पत्नी के साथ पायनियर सेवा करता है। साथ ही, जब कभी सर्किट निगरान दौरे पर नहीं जा पाता, तो कर्ट उसकी जगह सर्किट निगरान के तौर पर मंडली का दौरा करने जाता है। एक बार वह एक ऐसी मंडली का दौरा करने के लिए राज़ी हो गया, जो उसके घर से ढाई घंटे दूर थी। उनकी गाड़ी में बस इतना ही इंधन था कि वे वहाँ तक पहुँच सकते थे, लेकिन वापस घर नहीं आ सकते थे। उसे तनख्वाह भी एक हफ्ते बाद मिलनेवाली थी। कर्ट कहता है, “मैं सोचने लगा कि क्या मैंने सही फैसला लिया है।” प्रार्थना करने के बाद, उन्होंने तय किया कि वे उस मंडली में दौरा करने जाएँगे, क्योंकि उन्हें पूरा भरोसा था कि यहोवा उनकी ज़रूरतों का खयाल रखेगा। जब वे निकलने ही वाले थे, तो एक बहन ने कहा कि उसके पास इन दोनों के लिए एक तोहफा है। उसने उन्हें पैसे दिए और ये पैसे ठीक उतने ही निकले, जितने की उन्हें उस वक्‍त ज़रूरत थी। भाई कर्ट कहता है, “जब आप समय-समय पर इस तरह के अनुभव करते हैं, तो आप आसानी से देख पाते हैं कि इनके पीछे यहोवा का हाथ है।”

11. पायनियर कौन-सी कुछ आशीषों का अनुभव करते हैं?

11 जी हाँ, पायनियर सेवा करनेवालों ने अकसर पाया है कि जब वे यहोवा की सेवा में खुद को पूरी तरह लगा देते हैं और उसके करीब आते हैं, तो उन्हें लगातार आशीषें मिलती हैं। (व्यव. 28:2) लेकिन पायनियर सेवा की अपनी चुनौतियाँ भी हैं। असिद्धता और इस दुष्ट दुनिया की वजह से हम सभी को तकलीफों का सामना करना पड़ता है। हालाँकि कुछ पायनियरों को किसी चुनौती की वजह से कुछ समय के लिए पायनियर सेवा छोड़नी पड़ी है, लेकिन इन चुनौतियों का सामना करना या इनसे बचना मुमकिन है। इस खास सेवा में बने रहने के लिए क्या बात पायनियरों की मदद कर सकती है?

पूरे समय की सेवा में बने रहना

12, 13. (क) अगर एक पायनियर को अपने प्रचार के घंटे पूरे करने में दिक्कत हो रही है, तो उसे क्या करना चाहिए? (ख) रोज़ाना बाइबल पढ़ाई, निजी अध्ययन और मनन करने के लिए समय ठहराना इतना ज़रूरी क्यों है?

12 ज़्यादातर पायनियर बहुत व्यस्त रहते हैं। हर काम पूरा करना उनके लिए चुनौती हो सकती है, इसलिए बहुत ज़रूरी है कि वे एक अच्छा शेड्‌यूल बनाएँ। (1 कुरिं. 14:33, 40) अगर एक पायनियर को अपने प्रचार के घंटे पूरे करने में दिक्कत हो रही है, तो उसे शायद फिर से अपने शेड्‌यूल पर ध्यान देना होगा कि वह अपने समय का कैसे इस्तेमाल कर रहा है। (इफि. 5:15, 16) वह शायद खुद से पूछे: ‘मनोरंजन करने में मैं कितना वक्‍त बिता रहा हूँ? क्या मुझे अपने शेड्‌यूल में कुछ फेरबदल करने की ज़रूरत है? क्या मैं गैर-ज़रूरी कामों में बहुत सारा वक्‍त ज़ाया कर रहा हूँ?’ पायनियरों को समय-समय पर खुद से ये सवाल पूछने चाहिए और ज़रूरत पड़ने पर बदलाव करने चाहिए।

13 एक पायनियर को अपने शेड्‌यूल में हर रोज़ बाइबल पढ़ाई, निजी अध्ययन और मनन करने के लिए समय ठहराना चाहिए। इसलिए एक पायनियर को खुद के साथ सख्ती बरतने की ज़रूरत है, ताकि कम अहमियत रखनेवाली बातों में वह समय खर्च न हो जाए, जो उसने इन ज़रूरी बातों के लिए ठहराया था। (फिलि. 1:10) मिसाल के लिए, कल्पना कीजिए कि एक पायनियर प्रचार में पूरा दिन बिताकर घर लौटता है। उसने सोचा है कि वह आज शाम को सभा की तैयारी करेगा। पहले, वह डाक देखता है। फिर वह कंप्यूटर खोलकर ई-मेल पढ़ता और उनके जवाब देता है। अब जब वह इंटरनेट पर आ ही गया है, तो वह सोचता है क्यों न इस वेब-साइट पर जाकर देख लिया जाए कि उस चीज़ का दाम घटा है या नहीं, जिसे वह खरीदना चाहता है। जब तक उसे एहसास होता है, करीब 2 घंटे बीत चुके होते हैं और उसने अब तक सभा की तैयारी करना शुरू भी नहीं किया है। लेकिन इस बात पर ध्यान देना क्यों ज़रूरी है? अगर एक खिलाड़ी चाहता है कि उसका लंबा करियर हो, तो उसे नियमित तौर पर पौष्टिक आहार लेना चाहिए। उसी तरह, अगर एक पायनियर पूरे समय की सेवा में बने रहना चाहता है, तो ज़रूरी है कि वह नियमित तौर पर निजी अध्ययन करे।—1 तीमु. 4:16.

14, 15. (क) पायनियरों को क्यों एक सादगी-भरी ज़िंदगी जीनी चाहिए? (ख) अगर एक पायनियर मुश्‍किलों का सामना करता है, तो उसे क्या करना चाहिए?

14 कामयाब पायनियर अपनी ज़िंदगी को सादा बनाए रखने में अपना भरसक करते हैं। यीशु ने अपने चेलों को अपनी आँख एक ही चीज़ पर टिकाए रखने का बढ़ावा दिया था। (मत्ती 6:22) यीशु ने खुद भी एक सादी ज़िंदगी जी, ताकि वह बिना ध्यान भटकाए अपनी सेवा पूरी कर सके। तभी वह कह पाया: “लोमड़ियों की माँदें और आकाश के पंछियों के बसेरे होते हैं, मगर इंसान के बेटे के पास कहीं सिर टिकाने की भी जगह नहीं है।” (मत्ती 8:20) जो पायनियर यीशु के उदाहरण से सीखते हैं, वे याद रखते हैं कि उनके पास जितनी ज़्यादा चीज़ें होंगी, उतना ज़्यादा उन चीज़ों को सँभालने, उनका रख-रखाव करने और उन्हें बदलने में वक्‍त ज़ाया होगा।

15 पायनियरों को इस बात का एहसास है कि सेवा का यह खास सम्मान उन्हें अपनी किसी काबिलीयत की वजह से नहीं मिला है। इसके बजाय, कोई भी तोहफा या सेवा में मिला सम्मान, यहोवा की महा-कृपा की वजह से ही मिलता है। इसलिए इस सेवा में बने रहने के लिए, हर पायनियर को यहोवा पर भरोसा करना होगा। (फिलि. 4:13) बेशक चुनौतियाँ और मुश्‍किलें तो आएँगी। (भज. 34:19) पर जब ऐसा होता है, तो फौरन इस सेवा को छोड़ देने के बजाए, पायनियरों को सही मार्गदर्शन के लिए यहोवा की ओर ताकना चाहिए और उसे मदद करने का मौका देना चाहिए। (भजन 37:5 पढ़िए।) जब वे देखते हैं कि यहोवा कैसे प्यार से उनकी देखभाल करता है, तो उसके साथ उनका रिश्‍ता और भी मज़बूत हो जाता है।—यशा. 41:10.

क्या आप पायनियर बन सकते हैं?

16. अगर आप पायनियर सेवा करना चाहते हैं, तो आपको क्या करना चाहिए?

16 अगर आप पायनियर बनना चाहते हैं और उन आशीषों को चखना चाहते हैं, जो पायनियरों को मिलती हैं, तो यहोवा से इस बारे में प्रार्थना कीजिए। (1 यूह. 5:14, 15) जो पायनियर सेवा कर रहे हैं, उनसे बात कीजिए। ऐसे लक्ष्य रखिए जो आपको पायनियर सेवा करने में मदद दें। कीथ और एरिका ने ऐसा ही किया। वे पूरे समय की नौकरी कर रहे थे और अपनी उम्र के बहुत-से जोड़ों की तरह, उन्होंने शादी के फौरन बाद एक घर और नयी गाड़ी खरीद ली। वे कहते हैं: “हमें लगा कि इन चीज़ों से हमें संतुष्टि मिलेगी, मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ।” जब कीथ की नौकरी छूट गयी, तो उसने सहयोगी पायनियर सेवा शुरू कर दी। वह याद करता है: “पायनियर सेवा करने से मुझे एहसास हुआ कि प्रचार में जाने से कितनी खुशी मिलती है।” उनकी एक पायनियर जोड़े से दोस्ती हो गयी, जिन्होंने इन दोनों को इस बात का एहसास दिलाया कि एक सादगी-भरी ज़िंदगी जीने और पायनियर सेवा करने से कितनी खुशियाँ मिलती हैं। कीथ और एरिका ने क्या किया? वे बताते हैं, “अपने आध्यात्मिक लक्ष्यों की एक सूची बनाकर हमने उसे फ्रिज पर लगा दिया, और जैसे-जैसे हम अपने लक्ष्यों तक पहुँचते गए, हम उन पर निशान लगाते गए।” कुछ ही समय में उन्होंने पायनियर सेवा करने का अपना लक्ष्य हासिल कर लिया।

17. पायनियर सेवा करने के लिए अपने शेड्‌यूल में फेरबदल करने के बारे में सोचना क्यों समझदारी होगी?

17 क्या आप पायनियर बन सकते हैं? अगर आपको लगता है कि फिलहाल आप एक पायनियर नहीं बन सकते, तो प्रचार सेवा में अपना भरसक कीजिए ताकि आप यहोवा के करीब आ सकें। अगर आप यहोवा से प्रार्थना करें और अपने हालात का सही-सही जायज़ा लें, तो हो सकता है आप पाएँ कि अपनी ज़िंदगी में कुछ बदलाव करने से आप पायनियर सेवा कर सकेंगे। अगर आप पायनियर सेवा करें, तो आपकी खुशी किसी भी त्याग से कई गुना बढ़कर होगी। आप उस संतुष्टि का अनुभव करेंगे जो परमेश्‍वर के राज को पहली जगह देने से मिलती है। (मत्ती 6:33) साथ ही, आप वह खुशी महसूस करेंगे जो दूसरों को देने से मिलती है। यहोवा के बारे में सोचने और बात करने के आपको ढेरों मौके मिलेंगे। और इससे यहोवा के लिए आपका प्यार गहरा होगा और यहोवा का दिल खुश होगा।