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चरवाहो, सबसे महान चरवाहों की मिसाल पर चलिए

चरवाहो, सबसे महान चरवाहों की मिसाल पर चलिए

‘मसीह ने भी तुम्हारी खातिर दुःख उठाया और तुम्हारे लिए एक आदर्श छोड़ गया ताकि तुम उसके नक्शे-कदम पर नज़दीकी से चलो।’—1 पत. 2:21.

1, 2. (क) जब भेड़ों की अच्छी तरह देखभाल की जाती है, तो उसका क्या नतीजा होता है? (ख) यीशु के दिनों में बहुत-से लोग क्यों बिन चरवाहे की भेड़ों की तरह थे?

 जब एक चरवाहा अपनी भेड़ों की देखभाल करने में दिलचस्पी लेता है, तो भेड़ें स्वस्थ रहती हैं। भेड़ों को पालने के बारे में लिखी गयी एक किताब कहती है कि जब एक चरवाहा अपनी भेड़ों को चरने के लिए बस मैदान में छोड़ देता है और उनकी दूसरी ज़रूरतों पर ज़रा भी ध्यान नहीं देता, तो कुछ ही सालों में उसकी भेड़ें कमज़ोर और बीमार पड़ जाती हैं। लेकिन जब चरवाहा अपनी हरेक भेड़ की अच्छी तरह देखभाल करता है, तो झुंड की सभी भेड़ें हट्टी-कट्टी और स्वस्थ रहती हैं।

2 मंडली के बारे में भी यही बात कही जा सकती है। जब परमेश्‍वर के झुंड के चरवाहे उन्हें सौंपी गयी हरेक भेड़ की अच्छी तरह देखभाल करते हैं और उन पर ध्यान देते हैं, तो इससे पूरी मंडली की आध्यात्मिक सेहत पर अच्छा असर पड़ता है। आपको शायद याद होगा कि एक बार भीड़ को देखकर यीशु तड़प उठा था, क्योंकि “वे उन भेड़ों की तरह थे जिनकी खाल खींच ली गयी हो और जिन्हें बिन चरवाहे के यहाँ-वहाँ भटकने के लिए छोड़ दिया गया हो।” (मत्ती 9:36) उन लोगों की इतनी बदतर हालत क्यों थी? क्योंकि जिन लोगों को उन्हें परमेश्‍वर का कानून सिखाने की ज़िम्मेदारी मिली थी, वे कठोर, हद-से-ज़्यादा की माँग करनेवाले और कपटी थे। अपने झुंड के लोगों को प्यार और परवाह दिखाने के बजाय, इन धर्म-गुरुओं ने लोगों के कंधों पर “भारी बोझ” लाद दिया था, यानी उनके लिए परमेश्‍वर की सेवा करना बहुत मुश्‍किल बना दिया था।—मत्ती 23:4.

3. भेड़ों की देखभाल करते वक्‍त, प्राचीनों को क्या याद रखना चाहिए?

3 आज प्राचीनों पर भी गंभीर ज़िम्मेदारी है। जिन भेड़ों की वे देखभाल करते हैं, वे यहोवा और यीशु की हैं। ये भेड़ें ‘बेहतरीन चरवाहे’ यीशु की नज़र में इतनी अनमोल हैं कि उसने उनकी खातिर अपनी जान तक दे दी। उसने उन्हें अपना “बेशकीमती लहू” देकर “खरीदा।” (यूह. 10:11; 1 पत. 1:18, 19; 1 कुरिं. 6:20) प्राचीनों को हमेशा यह याद रखना चाहिए कि उनका निगरान यीशु मसीह है, जो ‘महान चरवाहा’ है। इसलिए वे जिस तरह झुंड के साथ पेश आते हैं, उसके लिए उन्हें यीशु को जवाब देना होगा।—इब्रा. 13:20.

4. इस लेख में किस बारे में चर्चा की जाएगी?

4 तो फिर मसीही चरवाहों को भेड़ों के साथ किस तरह पेश आना चाहिए? मंडली के सदस्यों को बढ़ावा दिया जाता है कि वे ‘उनकी आज्ञा मानें’ जो उनके बीच “अगुवाई करते हैं।” दूसरी तरफ, मसीही प्राचीनों को बढ़ावा दिया जाता है कि वे ‘उन पर अधिकार जतानेवाले न बनें जो परमेश्‍वर की संपत्ति हैं।’ (इब्रा. 13:17; 1 पतरस 5:2, 3 पढ़िए।) तो फिर नियुक्‍त किए गए प्राचीन झुंड पर अधिकार जताए बगैर भेड़ों की अगुवाई कैसे कर सकते हैं? दूसरे शब्दों में कहें, तो प्राचीन परमेश्‍वर के ज़रिए ठहराए गए अधिकार के दायरे से बाहर जाए बगैर, भेड़ों की ज़रूरतों का ध्यान कैसे रख सकते हैं?

‘वह मेमनों को अपनी गोद में लिए रहेगा’

5. यशायाह 40:11 से हम यहोवा के बारे में क्या सीखते हैं?

5 भविष्यवक्‍ता यशायाह ने यहोवा के बारे में कहा: “वह चरवाहे के समान अपने झुण्ड को चराएगा: वह मेमनों को अपनी बाहों में समेट लेगा और गोद में लिए रहेगा तथा दूध पिलानेवाली भेड़ों को धीरे-धीरे ले चलेगा।” (यशा. 40:11, अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन) इससे हमारे मन में यहोवा के बारे में एक खूबसूरत तसवीर उभर आती है कि कैसे वह मंडली के उन सदस्यों की ज़रूरतों की परवाह करता है, जो कमज़ोर हैं या जिन्हें हिफाज़त की ज़रूरत है। एक चरवाहे को पता होता है कि झुंड की हर भेड़ की क्या ज़रूरतें हैं और उन्हें पूरा करने के लिए वह तैयार रहता है। ठीक उसी तरह, यहोवा मंडली के हर सदस्य की ज़रूरतों को अच्छी तरह जानता है और उन ज़रूरतों को पूरा करने में उसे खुशी होती है। और जिस तरह एक चरवाहा एक नयी जन्मी भेड़ को ज़रूरत पड़ने पर तुरंत गोद में उठा लेता है, उसी तरह “कोमल दया का पिता,” यहोवा हमें उस वक्‍त दिलासा और खास मदद देता है, जब हम मुश्‍किलों का या किसी बड़ी आज़माइश का सामना करते हैं।—2 कुरिं. 1:3, 4.

6. एक प्राचीन कैसे यहोवा की मिसाल पर चल सकता है?

6 मंडली का हर चरवाहा, स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता से क्या ही बढ़िया सबक सीख सकता है! यहोवा की तरह, उसे भी हर भेड़ की ज़रूरतों पर पूरा-पूरा ध्यान देना चाहिए। अगर एक प्राचीन जानता है कि फलाँ भेड़ किन चुनौतियों का सामना कर रही है, तो वह जान पाएगा कि उस भेड़ को कब और कैसे ज़रूरी मदद और हौसला दिया जाना चाहिए। (नीति. 27:23) इसका मतलब है कि एक प्राचीन को अपने भाई-बहनों के साथ बात करने और उनकी सुनने के लिए वक्‍त निकालना चाहिए। हालाँकि वह उनके निजी मामलों में दखल नहीं देता, मगर वह मंडली में जो देखता और सुनता है, उसमें दिलचस्पी ज़रूर लेता है और समय निकालकर प्यार से “उन लोगों की मदद [करता है] जो कमज़ोर हैं।”—प्रेषि. 20:35; 1 थिस्स. 4:11.

7. (क) यहेजकेल और यिर्मयाह के दिनों में परमेश्‍वर की भेड़ों के साथ कैसा सुलूक किया जा रहा था? (ख) जिस तरह यहोवा ने उन विश्‍वासघाती चरवाहों को ठुकरा दिया, उससे आज प्राचीन क्या ज़रूरी सबक सीख सकते हैं?

7 उन चरवाहों के रवैए पर गौर कीजिए जिन्हें यहोवा ने ठुकरा दिया था। यहेजकेल और यिर्मयाह के ज़माने में यहोवा ने उन चरवाहों की निंदा की, जिन्हें उसकी भेड़ों की देखभाल करनी चाहिए थी, मगर जो ऐसा नहीं कर रहे थे। यहोवा ने कहा: “मेरी भेड़-बकरियां जो चरवाहे के न होने के कारण सब वनपशुओं का आहार हो गईं; और इसलिये कि मेरे चरवाहों ने मेरी भेड़-बकरियों की सुधि नहीं ली, और मेरी भेड़-बकरियों का पेट नहीं, अपना ही अपना पेट भरा।” चरवाहों के स्वार्थी और लालची होने की वजह से भेड़ों को दुख उठाना पड़ा। (यहे. 34:7-10; यिर्म. 23:1) परमेश्‍वर ने ईसाईजगत के धर्म-गुरुओं को भी कुछ इन्हीं वजहों से ठुकरा दिया है। जिस तरह यहोवा ने उन विश्‍वासघाती चरवाहों को ठुकरा दिया, उससे आज प्राचीन क्या ज़रूरी सबक सीख सकते हैं? यही कि उन्हें यहोवा के झुंड का पूरा-पूरा ध्यान रखना चाहिए और उन्हें परवाह दिखानी चाहिए।

“मैंने तुम्हारे लिए नमूना छोड़ा है”

8. अपने भाइयों को सलाह देते वक्‍त, प्राचीन कैसे यीशु की बेहतरीन मिसाल पर चल सकते हैं?

8 असिद्ध होने की वजह से, परमेश्‍वर की कुछ भेड़ें शायद यह ठीक-ठीक समझ न पाएँ कि यहोवा उनसे क्या उम्मीद करता है। वे शायद ऐसे फैसले करने से चूक जाएँ, जो बाइबल सिद्धांतों पर आधारित होते हैं। या फिर जिस तरह वे पेश आते हैं, उससे शायद यह ज़ाहिर हो कि अभी तक उन्होंने मसीही प्रौढ़ता हासिल नहीं की है। इस पर प्राचीनों को कैसे पेश आना चाहिए? उन्हें यीशु की मिसाल पर चलते हुए सब्र दिखाना चाहिए। जब चेलों के बीच इस बात को लेकर बहस छिड़ गयी थी कि उनमें से कौन राज में सबसे बड़ा होगा, तो यीशु ने अपना आपा नहीं खोया। इसके बजाय, वह लगातार अपने चेलों को सिखाता रहा और प्यार से उन्हें नम्र बनने की सलाह देता रहा। (लूका 9:46-48; 22:24-27) अपने चेलों के पैर धोकर, यीशु ने उन्हें नम्र होने की एक बेहतरीन सीख दी। यीशु की तरह, आज प्राचीनों को भी यही गुण दिखाना चाहिए।—यूहन्‍ना 13:12-15 पढ़िए; 1 पत. 2:21.

9. यीशु ने अपने चेलों को किस तरह का रवैया अपनाने का बढ़ावा दिया?

9 एक मौके पर प्रेषित याकूब और यूहन्‍ना जिस तरह पेश आए, उससे ज़ाहिर होता है कि उनकी नज़र में मसीही चरवाहा बनने का मतलब था, दूसरों पर अधिकार जताना। इन दोनों प्रेषितों ने एक दफा यीशु से गुज़ारिश की कि वह उन्हें राज में ऊँचा पद दे। लेकिन चरवाहे की भूमिका के मामले में यीशु का नज़रिया उनसे बिलकुल अलग था। इसलिए उसने उनके रवैए को सुधारते हुए कहा, “तुम जानते हो कि दुनिया के अधिकारी उन पर हुक्म चलाते हैं और उनके बड़े लोग उन पर अधिकार जताते हैं। मगर तुम्हारे बीच ऐसा नहीं है; बल्कि तुममें जो बड़ा बनना चाहता है, उसे तुम्हारा सेवक होना चाहिए।” (मत्ती 20:25, 26) प्रेषितों को अपने भाई-बहनों पर ‘हुक्म चलाने’ की गलत फितरत से लड़ना था।

10. (क) यीशु प्राचीनों से झुंड के साथ किस तरह पेश आने की उम्मीद करता है? (ख) पौलुस ने कैसे इस मामले में एक बढ़िया मिसाल रखी?

10 यीशु प्राचीनों से उम्मीद करता है कि वे झुंड के साथ उसी तरह पेश आएँ, जैसे वह पेश आया था। उन्हें दास की तरह अपने भाई-बहनों की सेवा करने के लिए खुशी-खुशी तैयार रहना चाहिए, न कि उनके मालिक की तरह पेश आना चाहिए। प्रेषित पौलुस का ऐसा ही नम्र स्वभाव था। उसने इफिसुस की मंडली के बुज़ुर्गों से कहा: “तुम अच्छी तरह जानते हो कि एशिया ज़िले में कदम रखने के पहले दिन से मैं कैसे सारा वक्‍त तुम्हारे ही साथ रहा। मैं मन के बड़े दीन स्वभाव से . . . प्रभु का दास बनकर सेवा करता रहा।” पौलुस चाहता था कि इफिसुस के ये प्राचीन नम्र हों और अपने भाइयों की मदद करने के लिए मेहनत करें। इसलिए उसने कहा: “मैंने सब बातों में तुम्हें यह कर दिखाया है ताकि तुम भी इसी तरह मेहनत करते हुए उन लोगों की मदद करो जो कमज़ोर हैं।” (प्रेषि. 20:18, 19, 35) पौलुस ने कुरिंथ के मसीहियों से कहा था कि वह उनके विश्‍वास का मालिक नहीं है। इसके बजाए, वह उनकी खुशी के लिए उनका सहकर्मी था। (2 कुरिं. 1:24) पौलुस ने नम्रता दिखाने और कड़ी मेहनत करने में आज के प्राचीनों के लिए एक बढ़िया मिसाल रखी।

‘विश्‍वासयोग्य वचन को मज़बूती से थामे रह’

11, 12. एक प्राचीन अपने भाई को फैसला करने में कैसे मदद दे सकता है?

11 मंडली का एक प्राचीन दूसरों को जो भी सलाह देता है, वह हमेशा “विश्‍वासयोग्य वचन” यानी बाइबल पर आधारित होनी चाहिए। (तीतु. 1:9) लेकिन साथ ही उसे वह सलाह “कोमलता की भावना के साथ” देनी चाहिए। (गला. 6:1) अपने भाइयों पर फलाँ कदम उठाने का दबाव डालने के बजाय, एक अच्छा चरवाहा उन्हें अपने फैसले खुद करने में मदद देने की कोशिश करता है, ऐसे फैसले जिनसे यहोवा और उसके वचन, बाइबल के लिए उनका प्यार झलके। मिसाल के लिए, एक प्राचीन किसी भाई के साथ बाइबल में दिए कुछ सिद्धांतों या हमारे साहित्य में छपे किसी लेख पर चर्चा कर सकता है, ताकि उस भाई को ज़रूरी फैसला करने में मदद मिल सके। वह उस भाई को इस बारे में सोचने का भी बढ़ावा दे सकता है कि वह जो भी फैसला लेगा, उसका यहोवा के साथ उसके रिश्‍ते पर कैसा असर पड़ेगा। साथ ही, प्राचीन उसे फैसला करने से पहले प्रार्थना करके यहोवा से मार्गदर्शन माँगने की अहमियत के बारे में भी बता सकता है। (नीति. 3:5, 6) इन मामलों पर चर्चा करने के बाद प्राचीन उस भाई को खुद अपना फैसला करने देगा।—रोमि. 14:1-4.

12 मसीही निगरानों को मार्गदर्शन देने का जो अधिकार मिला है, वह परमेश्‍वर के वचन से है। इसलिए यह बहुत ज़रूरी है कि वे बाइबल का अच्छा इस्तेमाल करें और सिर्फ उसी के आधार पर सलाह दें। ऐसा करके प्राचीन अपने उस अधिकार के दायरे से बाहर नहीं जाते, जो परमेश्‍वर ने उनके लिए ठहराया है। आखिर मंडली की भेड़ें उनकी नहीं, बल्कि यहोवा और यीशु की हैं। और मंडली का हर सदस्य जो फैसले करता है, उसका जवाब उसे यहोवा और यीशु को देना होगा।—गला. 6:5, 7, 8.

“झुंड के लिए मिसाल”

प्राचीन अपने परिवार को प्रचार काम के लिए तैयारी करने में मदद देते हैं (पैराग्राफ 13 देखिए)

13, 14. एक प्राचीन को किन मामलों में झुंड के लिए अच्छी मिसाल कायम करनी चाहिए?

13 प्रेषित पतरस ने प्राचीनों को यह बताने के बाद कि वे अपने भाइयों पर ‘अधिकार जतानेवाले न बनें,’ उन्हें बढ़ावा दिया कि वे “झुंड के लिए मिसाल” बनें। (1 पत. 5:3) एक प्राचीन कैसे झुंड के लिए एक मिसाल बन सकता है? ज़रा दो ऐसी योग्यताओं पर गौर कीजिए जो एक ऐसे भाई में होनी चाहिए, जो “निगरानी के पद की ज़िम्मेदारी पाने की कोशिश में आगे बढ़ता है।” सबसे पहले उसे “स्वस्थ मन रखनेवाला” होना चाहिए। इसका मतलब है कि वह बाइबल सिद्धांतों को अच्छी तरह समझता हो और जानता हो कि उन सिद्धांतों को अपनी ज़िंदगी में कैसे लागू करना है। वह मुश्‍किल हालात में ठंडे दिमाग से काम लेता है और सोच-समझकर फैसले लेता है। दूसरी योग्यता है, उसे “अपने घरबार की अगुवाई करते हुए अच्छी देखरेख” करनेवाला होना चाहिए। इसका मतलब है कि अगर एक प्राचीन का परिवार है, तो उसे अपने घरबार की अगुवाई करने में एक बढ़िया मिसाल होना चाहिए, क्योंकि “वाकई अगर कोई आदमी अपने घरबार की देखरेख करना नहीं जानता, तो वह परमेश्‍वर की मंडली की देखभाल कैसे कर पाएगा?” (1 तीमु. 3:1, 2, 4, 5) प्राचीनों में ऐसे गुण देखकर मंडली के भाई-बहनों का उन पर भरोसा बढ़ता है।

14 प्रचार काम में अगुवाई लेना एक और पहलू है, जिसमें निगरान अपने भाई-बहनों के लिए एक अच्छी मिसाल रखते हैं। इस मामले में यीशु ने निगरानों के लिए एक अच्छी मिसाल कायम की। राज की खुशखबरी का प्रचार करना, धरती पर यीशु की ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा था। उसने अपने चेलों को सिखाया था कि यह काम कैसे किया जाना है। (मर. 1:38; लूका 8:1) आज प्रचारक प्राचीनों के साथ मिलकर प्रचार करने में खुशी पाते हैं। साथ ही, जब वे इस जीवन बचानेवाले काम के लिए प्राचीनों का जोश देखते हैं और उनके सिखाने के तरीकों से सीखते हैं, तो उनका हौसला कितना बढ़ता है! व्यस्त होने के बावजूद जब निगरान खुशखबरी का प्रचार करने के लिए नियमित तौर पर अपना समय और ताकत लगाते हैं, तो इससे पूरी मंडली को बढ़ावा मिलता है कि वे भी ऐसा ही जोश दिखाएँ। प्राचीन सभाओं की तैयारी करके, उनमें जवाब देकर और राज-घर की सफाई और रख-रखाव जैसे दूसरे कामों में हिस्सा लेकर भी अपने भाइयों के लिए एक अच्छी मिसाल कायम कर सकते हैं।—इफि. 5:15, 16; इब्रानियों 13:7 पढ़िए।

निगरान प्रचार काम में अच्छी मिसाल रखते हैं (पैराग्राफ 14 देखिए)

“कमज़ोरों को सहारा दो”

15. प्राचीनों के रखवाली भेंट करने की कुछ वजह क्या हैं?

15 जब कोई भेड़ ज़ख्मी हो जाती है या बीमार पड़ जाती है, तो एक अच्छा चरवाहा जल्द-से-जल्द उसकी मदद करने आता है। उसी तरह, प्राचीनों को जल्द-से-जल्द ऐसे लोगों की मदद करनी चाहिए जो तकलीफ में हैं, या जिन्हें किसी तरह की आध्यात्मिक मदद की ज़रूरत है। हो सकता है बुज़ुर्ग और बीमार भाई-बहनों को अपनी रोज़मर्रा की ज़रूरतें पूरी करने में मदद की ज़रूरत हो, पर उन्हें खास तौर पर बाइबल से दिलासे और हिम्मत की ज़रूरत पड़ती है। (1 थिस्स. 5:14) मंडली के नौजवान शायद कुछ चुनौतियों का सामना कर रहे हों, जैसे हो सकता है वे “जवानी में उठनेवाली इच्छाओं” से लड़ रहे हों। (2 तीमु. 2:22) इसलिए प्राचीन समय-समय पर मंडली के सभी भाई-बहनों से रखवाली भेंट करते हैं, ताकि वे समझ पाएँ कि भाई-बहन किन तकलीफों से गुज़र रहे हैं और फिर वे ज़रूरत के हिसाब से उन्हें बाइबल से सलाह देकर उनका हौसला बढ़ाते हैं। जब प्राचीन बिना देर किए अपने भाई-बहनों को ज़रूरी मदद देते हैं, तो कई मामले बिगड़ने से पहले ही सुलझाए जा सकते हैं।

16. अगर मंडली का कोई सदस्य आध्यात्मिक रूप से बीमार हो, तो प्राचीन क्या कर सकते हैं?

16 लेकिन तब क्या अगर मंडली का कोई भाई किसी बड़ी मुश्‍किल में हो और यहोवा के साथ उसका रिश्‍ता खतरे में हो? बाइबल के एक लेखक याकूब ने कहा: “क्या कोई तुम्हारे बीच बीमार है? तो वह मंडली के प्राचीनों को बुलाए और वे उसके लिए प्रार्थना करें और यहोवा के नाम से उस बीमार पर तेल मलें। और विश्‍वास से की गयी प्रार्थना उस बीमार को अच्छा कर देगी और यहोवा उसे उठाकर खड़ा कर देगा। और अगर उसने पाप भी किए हों, तो वे माफ किए जाएँगे।” (याकू. 5:14, 15) भले ही कोई बीमार भाई “मंडली के प्राचीनों को” न “बुलाए,” लेकिन जैसे ही प्राचीन उसके हालात से वाकिफ हो जाते हैं, उन्हें फौरन उसकी मदद करनी चाहिए। जब प्राचीन भाइयों के साथ मिलकर प्रार्थना करते हैं और अपनी प्रार्थनाओं में उन्हें याद करते हैं, साथ ही, मुश्‍किल घड़ी में उनका साथ देते हैं, तो वे दिखाते हैं कि वे अच्छे चरवाहे हैं, जो अपने भाइयों को खुशी-खुशी परमेश्‍वर की सेवा में लगे रहने के लिए उकसाते हैं।—यशायाह 32:1, 2 पढ़िए।

17. जब प्राचीन “महान चरवाहे” यीशु की मिसाल पर चलते हैं, तो उसका क्या नतीजा होता है?

17 मसीही चरवाहे यहोवा के संगठन में जो कुछ भी करते हैं, उन सभी बातों में वे “महान चरवाहे” यीशु मसीह की मिसाल पर चलने की पूरी कोशिश करते हैं। इन ज़िम्मेदार भाइयों की मदद से, झुंड को बहुत फायदा होता है और वे वफादारी से यहोवा की सेवा करने में लगी रहती हैं। हम अपने प्यार करनेवाले चरवाहों और सबसे महान चरवाहे यहोवा के कितने शुक्रगुज़ार हैं!