महान राजा, मसीह की महिमा कीजिए!
“अपने ऐश्वर्य और प्रताप पर सफलता से सवार हो।”—भज. 45:4.
1, 2. हमें भजन 45 में क्यों दिलचस्पी लेनी चाहिए?
एक राजा अपनी पूरी महिमा के साथ घोड़े पर सवार होकर सच्चाई और नेकी के पक्ष में लड़ने निकलता है। वह अपने दुश्मनों को हरा देता है और पूरी तरह जीत हासिल करने के बाद वह एक खूबसूरत दुल्हन से शादी करता है। इस राजा को युग-युग तक याद किया जाता है और उसका सम्मान किया जाता है। ये भजन 45 में बतायी गयी कुछेक रोमांचक घटनाएँ हैं।
2 लेकिन भजन 45 सिर्फ एक ऐसी रोमांचक कहानी नहीं, जिसका अंत सुखद होता है। इस भजन में बतायी घटनाएँ हमारे लिए मायने रखती हैं, क्योंकि ये घटनाएँ आज हमारी ज़िंदगी पर असर करती हैं और आगे भविष्य में भी करेंगी। इसलिए अब जब हम इस भजन पर चर्चा करेंगे, तो आइए हम इस पर पूरा-पूरा ध्यान दें।
“मेरा हृदय एक सुन्दर विषय की उमंग से उमण्ड रहा है”
3, 4. (क) भजनहार ने किस “सुन्दर विषय” के बारे में लिखा? और इसका हमारे दिल पर क्या असर पड़ सकता है? (ख) हम “राजा के विषय” में किस संदेश का प्रचार करते हैं? (ग) हमारी ज़बान लेखनी की तरह कब बन जाती है?
3 भजन 45:1 पढ़िए। “एक सुन्दर विषय” जो भजनहार के दिल को छू जाता है और उसके दिल में “उमण्ड” रहा है, वह दरअसल एक राजा के बारे में है। इस विषय ने भजनहार पर इतना ज़बरदस्त असर किया कि उसका दिल जोश से उमड़ने लगा और उसकी ज़बान जैसे “निपुण लेखक की लेखनी” बन गयी।
4 हमारे बारे में क्या? मसीहाई राज की खुशखबरी एक सुंदर विषय है, जो हमारे दिल को भी छू जाता है। सन् 1914 में राज का संदेश खासकर “सुन्दर” बन गया। क्यों? क्योंकि तब से यह संदेश भविष्य में आनेवाले राज के बारे में नहीं, बल्कि एक ऐसी असल सरकार के बारे में है, जिसने स्वर्ग में शासन करना शुरू कर दिया है। यह संदेश ‘राज की खुशखबरी’ है, जिसके बारे में हम ‘सारे जगत में प्रचार कर रहे हैं ताकि सब राष्ट्रों पर गवाही हो।’ (मत्ती 24:14) क्या हमारा दिल राज के संदेश से “उमण्ड” रहा है? क्या हम जोश के साथ राज की खुशखबरी का प्रचार करते हैं? भजनहार की तरह, हम “राजा के विषय” में, यानी यीशु के बारे में लोगों को बताते हैं। हम यह संदेश सुनाते हैं कि यीशु अब स्वर्ग में मसीहाई राज का राजा है। हम सभी को, यहाँ तक कि इस दुनिया के नेताओं को भी न्यौता देते हैं कि वे यीशु के राज के अधीन हों। (भज. 2:1, 2, 4-12) और हमारी ज़बान तब “निपुण लेखक की लेखनी” की तरह बन जाती है, जब हम प्रचार काम में बाइबल का इस्तेमाल करते हैं।
हम खुशी-खुशी अपने राजा, यीशु मसीह के बारे में खुशखबरी का ऐलान करते हैं
‘राजा के ओठों में अनुग्रह भरा हुआ है’
5. (क) किस मायने में यीशु “सुन्दर” था? (ख) इसका क्या मतलब है कि ‘राजा के ओठों में अनुग्रह भरा हुआ’ है? (ग) हम कैसे यीशु की मिसाल पर चल सकते हैं?
5 भजन 45:2 पढ़िए। यीशु के रंग-रूप के बारे में बाइबल ज़्यादा नहीं बताती। एक सिद्ध इंसान होने के नाते, यीशु बेशक “सुन्दर” रहा होगा। लेकिन उसकी असल सुंदरता, उसकी खराई और यहोवा की तरफ उसकी वफादारी की वजह से थी। साथ ही, यीशु के “ओठों में अनुग्रह भरा हुआ” था। इसका मतलब है कि उसने राज के संदेश का प्रचार करते वक्त ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया, जो लोगों के दिलों को छू गए। (लूका 4:22; यूह. 7:46) क्या हम प्रचार काम में यीशु की मिसाल पर चलने की हर मुमकिन कोशिश करते हैं?—कुलु. 4:6.
6. परमेश्वर ने कैसे यीशु को “सदा के लिये” आशीष दी?
6 यीशु अपने पिता से बहुत प्यार करता था और उसका वफादार था, इसलिए यहोवा ने उसकी सेवा पर आशीष दी और उसकी कुरबानी के बाद उसे इनाम दिया। यीशु के बारे में प्रेषित पौलुस ने लिखा: “जब उसने खुद को इंसान की शक्ल-सूरत में पाया, तो उसने खुद को नम्र किया और इस हद तक आज्ञा माननेवाला बना कि उसने मौत भी, हाँ, यातना की सूली पर मौत भी सह ली। इसी वजह से परमेश्वर ने उसे पहले से भी ऊँचा पद देकर महान किया और मेहरबान होकर उसे वह नाम दिया जो दूसरे हर नाम से महान है ताकि जो स्वर्ग में हैं और जो धरती पर हैं और जो ज़मीन के नीचे हैं, हर कोई यीशु के नाम से घुटना टेके, और हर जीभ खुलकर यह स्वीकार करे कि यीशु मसीह ही प्रभु है, जिससे परमेश्वर हमारे पिता की महिमा हो।” (फिलि. 2:8-11) यहोवा ने यीशु को दोबारा जी उठाया और अमर जीवन देकर उसे “सदा के लिये” आशीष दी।—रोमि. 6:9.
राजा का उसके “साथियों” से बढ़कर अभिषेक किया जाता है
7. किन मायनों में परमेश्वर ने यीशु का उसके “साथियों” से बढ़कर अभिषेक किया?
7 भजन 45:7 पढ़िए। यीशु नेकी से बहुत प्यार करता था और ऐसी हर बात से नफरत करता था, जिससे उसके पिता का अनादर हो, इसलिए यहोवा ने मसीहाई राज के राजा के तौर पर उसका अभिषेक किया। परमेश्वर ने यीशु के “साथियों” से, यानी दाविद के वंश से आए यहूदा के बाकी राजाओं से कहीं बढ़कर, यीशु का “हर्ष के तेल” से अभिषेक किया। वह कैसे? पहला, यीशु का अभिषेक खुद यहोवा ने किया था। दूसरा, यहोवा ने उसका अभिषेक राजा और महायाजक, दोनों के तौर पर किया था। (भज. 2:2; इब्रा. 5:5, 6) तीसरा, यीशु का अभिषेक तेल से नहीं, बल्कि पवित्र शक्ति से किया गया था। साथ ही, यीशु धरती से नहीं मगर स्वर्ग से राज करता है।
8. (क) यीशु के राज के बारे में हम क्या यकीन रख सकते हैं? (ख) इसका क्या मतलब है कि ‘परमेश्वर यीशु की राजगद्दी है’?
8 भजन 45:6 (एन.डब्ल्यू. a) पढ़िए। सन् 1914 में यहोवा ने अपने बेटे को स्वर्ग में मसीहाई राज का राजा ठहराया। ‘यीशु के राज का राजदंड सीधाई का राजदंड है,’ इसलिए हम यकीन रख सकते हैं कि उसके राज में कभी कोई पक्षपात नहीं होगा और वह हमेशा यहोवा के स्तरों के मुताबिक न्याय करेगा। उसे राजा बनने का पूरा हक है क्योंकि ‘परमेश्वर उसकी राजगद्दी है,’ यानी यहोवा ने उसे राजा ठहराया है। और-तो-और, यीशु की राजगद्दी “सदा सर्वदा” बनी रहेगी। यहोवा के ठहराए राजा के अधीन रहकर उसकी सेवा करना हमारे लिए क्या ही गर्व की बात है!
राजा ‘अपनी तलवार बान्धता’ है
9, 10. (क) मसीह ने कब अपनी तलवार बाँधी? उसने कैसे उसका इस्तेमाल किया? (ख) मसीह अपनी तलवार का भविष्य में कैसे इस्तेमाल करेगा?
9 भजन 45:3 पढ़िए। यहोवा अपने ठहराए राजा को हिदायत देता है: ‘अपनी तलवार अपनी कटि पर बान्ध!’ यह कहकर, यहोवा यीशु को उन सब से युद्ध लड़ने और उनका नाश करने का अधिकार देता है, जो उसकी हुकूमत का विरोध करते हैं। (भज. 110:2) यीशु एक ऐसा योद्धा और राजा है, जिसे हराया नहीं जा सकता, इसलिए उसे “हे वीर” कहकर बुलाया गया है। उसने अपनी तलवार 1914 में बाँधी थी, जब उसने शैतान और उसके दुष्ट स्वर्गदूतों पर जीत हासिल की थी और उन्हें स्वर्ग से नीचे धरती पर फेंक दिया था।—प्रका. 12:7-9.
10 यह उस योद्धा और राजा की जीत की बस शुरूआत ही थी। उसे अब भी “अपनी जीत पूरी” करनी है। (प्रका. 6:2) यहोवा ने फैसला किया है कि शैतान की दुनिया के हर भाग को नाश कर दिया जाए और शैतान और उसके दुष्ट स्वर्गदूत किसी को गुमराह न कर सकें। सबसे पहले, महानगरी बैबिलोन, यानी दुनिया-भर में साम्राज्य की तरह फैले झूठे धर्म का नाश कर दिया जाएगा। इस दुष्ट “वेश्या” को खत्म करने के लिए यहोवा दुनिया के राजनैतिक नेताओं का इस्तेमाल करेगा। (प्रका. 17:16, 17) इसके बाद, मसीह पूरी तरह से शैतान की दुनिया की सभी सरकारों का सफाया कर देगा। फिर यीशु, जिसे “अथाह-कुंड का स्वर्गदूत” कहा गया है, शैतान और उसके दुष्ट स्वर्गदूतों को अथाह-कुंड में फेंक देगा और इस तरह अपनी जीत पूरी करेगा। (प्रका. 9:1, 11; 20:1-3) आइए देखें कि भजन 45 में कैसे इन रोमांचक घटनाओं के बारे में पहले से बताया गया था।
राजा “सच्चाई” के पक्ष में लड़ता है
11. मसीह किस “सच्चाई” के पक्ष में लड़ता है?
11 भजन 45:4 पढ़िए। राजा इलाकों पर कब्ज़ा करने या लोगों को गुलाम बनाने के लिए युद्ध नहीं लड़ता। युद्ध लड़ने के उसके इरादे इससे कहीं ज़्यादा नेक हैं। वह “सच्चाई, नम्रता और नेकी” (एन.डब्ल्यू.) के पक्ष में लड़ता है। वह सबसे अहम “सच्चाई” क्या है, जिसके पक्ष में राजा लड़ता है? वह यह कि सिर्फ यहोवा को इस पूरे विश्व पर हुकूमत करने का अधिकार है। जब शैतान ने यहोवा के खिलाफ बगावत की, तो वह दरअसल कह रहा था कि यहोवा को हुकूमत करने का अधिकार नहीं है। तब से लेकर अब तक, दुष्ट स्वर्गदूतों और इंसानों ने इस अहम सच्चाई पर सवाल उठाया है। अब समय आ गया है कि यहोवा का अभिषिक्त राजा युद्ध करने निकले और यह साबित करे कि सिर्फ यहोवा को ही हुकूमत करने का अधिकार है।
12. राजा किस तरह “नम्रता” के पक्ष में लड़ता है?
12 राजा “नम्रता” के पक्ष में भी लड़ता है। यीशु ने हमेशा नम्र बने रहने और वफादारी से अपने पिता की हुकूमत के अधीन रहने में सबसे उम्दा मिसाल कायम की है। (यशा. 50:4, 5; यूह. 5:19) राजा की सभी वफादार प्रजा को उसकी मिसाल पर चलना चाहिए, और नम्रता दिखाते हुए सभी बातों में यहोवा की हुकूमत के अधीन रहना चाहिए। जो लोग ऐसा करेंगे, सिर्फ वे ही परमेश्वर की वादा की गयी नयी दुनिया में दाखिल हो पाएँगे।—जक. 14:16, 17.
13. मसीह किस तरह “नेकी” के पक्ष में लड़ता है?
13 मसीह “नेकी” के पक्ष में भी लड़ता है। ये वे नेकी की बातें हैं, जिन्हें परमेश्वर “नेक” समझता है, यानी सही और गलत के बारे में यहोवा के ठहराए स्तर। (रोमि. 3:21; व्यव. 32:4) यशायाह ने यीशु मसीह के बारे में इस तरह भविष्यवाणी की थी: “एक राजा [“नेकी,” एन.डब्ल्यू.] से राज्य करेगा।” (यशा. 32:1) अपने राज में, यीशु एक ‘नया आकाश’ और “नयी पृथ्वी” लाएगा, जहाँ सभी नेकी की राह पर चलेंगे। (2 पत. 3:13) इसका मतलब है कि उस नयी दुनिया में हर किसी को सही और गलत के बारे में यहोवा के ठहराए स्तरों के मुताबिक जीना होगा।—यशा. 11:1-5.
राजा “भयानक काम” करता है
14. मसीह का दाहिना हाथ “भयानक काम” कैसे करेगा? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)
14 जब राजा सफेद घोड़े पर सवार होता है, तब उसकी कमर में एक तलवार बंधी होती है। (भज. 45:3) फिर वह अपनी तलवार दाहिने हाथ में ले लेता है और उसका इस्तेमाल करने लगता है। भजनहार ने भविष्यवाणी की थी कि यीशु का दाहिना हाथ “भयानक काम” यानी अद्भुत काम करेगा। (भज. 45:4) जब यीशु मसीह हर-मगिदोन में शैतान की दुनिया का नाश करने आएगा, तब वह अपने दुश्मनों के खिलाफ “भयानक काम” करेगा। हम यह तो नहीं जानते कि शैतान की दुनिया का नाश करने के लिए वह क्या ज़रिया इस्तेमाल करेगा। लेकिन हम इतना ज़रूर जानते हैं कि यीशु जो भी करेगा, उससे उन सभी लोगों के दिलों में दहशत बैठ जाएगी, जिन्होंने यहोवा की चेतावनियों पर ध्यान नहीं दिया और राजा के शासन को कबूल नहीं किया। (भजन 2:11, 12 पढ़िए।) अंत के बारे में की भविष्यवाणी में यीशु ने कहा: “धरती पर और क्या-क्या होनेवाला है इस फिक्र और डर के मारे लोगों के जी में जी न रहेगा, इसलिए कि आकाश की शक्तियाँ हिलायी जाएँगी।” फिर उसने कहा: “और इसके बाद वे इंसान के बेटे को एक बादल में शक्ति और बड़ी महिमा के साथ आता देखेंगे।”—लूका 21:26, 27.
15, 16. ‘सेनाओं’ में कौन-कौन शामिल होंगे, जो मसीह के पीछे-पीछे युद्ध करने आएँगे?
15 राजा के “शक्ति और बड़ी महिमा के साथ” न्याय करने के लिए आने के बारे में प्रकाशितवाक्य की किताब में ऐलान किया गया है। वहाँ बताया गया है: “मैंने स्वर्ग को खुला हुआ देखा और देखो! एक सफेद घोड़ा। जो उस पर सवार था, वह विश्वासयोग्य और सच्चा कहलाता है, और वह परमेश्वर के स्तरों के मुताबिक न्याय करना और युद्ध लड़ना जारी रखता है। और स्वर्ग की सेनाएँ सफेद घोड़ों पर उसके पीछे-पीछे आ रही थीं और वे सफेद, साफ और बढ़िया मलमल पहने हुए थे। और उस घुड़सवार के मुँह से एक तेज़ धारवाली लंबी तलवार निकलती है ताकि वह उस तलवार से राष्ट्रों पर वार करे और वह चरवाहे की तरह उन्हें लोहे की छड़ से हाँकेगा। वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर के क्रोध और जलजलाहट के हौद में भी रौंदता है।”—प्रका. 19:11, 14, 15.
16 स्वर्ग की ‘सेनाओं’ में कौन-कौन होंगे, जो यीशु के पीछे-पीछे युद्ध करने आएँगे? जब यीशु ने पहली बार अपनी तलवार बाँधी और शैतान और उसके दुष्ट स्वर्गदूतों को स्वर्ग से खदेड़ दिया, तब यीशु के साथ ‘उसके स्वर्गदूत’ भी थे। (प्रका. 12:7-9) इसलिए इस नतीजे पर पहुँचने में तुक बनता है कि हर-मगिदोन की लड़ाई में, मसीह की सेनाओं में पवित्र स्वर्गदूत भी होंगे। क्या मसीह की सेनाओं में और भी कोई शामिल होंगे? यीशु ने अपने अभिषिक्त भाइयों से यह वादा किया था: “जो जीत हासिल करता है और आखिर तक मेरे जैसे काम करता है, मैं उसे राष्ट्रों पर अधिकार दूँगा, और वह उन लोगों को चरवाहे की तरह लोहे की छड़ से हाँकेगा और उन्हें मिट्टी के बर्तनों की तरह चकनाचूर कर देगा। यह अधिकार मैंने अपने पिता से पाया है।” (प्रका. 2:26, 27) इसलिए मसीह के अभिषिक्त भाई भी, जिन्हें उस वक्त तक स्वर्ग में अपना इनाम मिल चुका होगा, स्वर्ग की सेनाओं का हिस्सा होंगे। जब यीशु राष्ट्रों को चरवाहे की तरह लोहे की छड़ से हाँकने का “भयानक काम” करेगा, तब अभिषिक्त जन यीशु के साथ होंगे।
राजा अपनी जीत पूरी करता है
17. (क) मसीह जिस सफेद घोड़े पर सवार है, वह किसे दर्शाता है? (ख) तलवार और धनुष किसे दर्शाते हैं?
17 भजन 45:5 पढ़िए। राजा सफेद घोड़े पर सवार है। प्रकाशितवाक्य 6:2 कहता है: “देखो मैंने क्या देखा! एक सफेद घोड़ा; और उसके सवार के पास एक धनुष था। और उसे एक ताज दिया गया और वह जीत हासिल करता हुआ अपनी जीत पूरी करने निकला।” सफेद घोड़ा एक ऐसे युद्ध को दर्शाता है जो परमेश्वर के स्तरों के मुताबिक लड़ा जाता है, और जिस पर परमेश्वर की मंज़ूरी है। (प्रका. 19:11) तलवार के अलावा, राजा के पास एक धनुष भी है। तलवार और धनुष, दोनों उन तरीकों को दर्शाते हैं, जिनका इस्तेमाल मसीह अपने दुश्मनों का खात्मा करने के लिए करेगा।
धरती को साफ करने के लिए पक्षियों का इस्तेमाल किया जाएगा (पैराग्राफ 18 देखिए)
18. जब मसीह अपने ‘तीरों’ का इस्तेमाल करेगा, तब क्या होगा?
18 भजनहार ने कविता के रूप में राजा के बारे में इस तरह भविष्यवाणी की: “तेरे तीर तो तेज़ हैं, तेरे साम्हने देश देश के लोग गिरेंगे; राजा के शत्रुओं के हृदय उन से छिदेंगे।” पूरी धरती पर खून की नदियाँ बह जाएँगी। यिर्मयाह की भविष्यवाणी बताती है: “यहोवा के मारे हुओं की लोथें पृथ्वी की एक छोर से दूसरी छोर तक पड़ी रहेंगी।” (यिर्म. 25:33) इसी घटना के बारे में एक और भविष्यवाणी कहती है: “मैंने एक और स्वर्गदूत देखा जो सूरज के बीच खड़ा था और उसने ज़ोरदार आवाज़ में पुकार लगायी और बीच आकाश में उड़ते सभी पक्षियों से कहा: ‘यहाँ आओ, परमेश्वर की शाम की बड़ी दावत के लिए इकट्ठे हो जाओ, ताकि तुम राजाओं का माँस, सेनापतियों का माँस, शक्तिशाली आदमियों का माँस और घोड़ों और उनके सवारों का माँस, चाहे आज़ाद हों, चाहे दास, चाहे छोटे हों, चाहे बड़े, सभी का माँस खाओ।’”—प्रका. 19:17, 18.
19. मसीह अपनी जीत कैसे पूरी करेगा?
19 शैतान की दुष्ट दुनिया का नाश करने के बाद, राजा यीशु मसीह पूरी महिमा के साथ “सफलता” की तरफ बढ़ेगा। (भज. 45:4) वह शैतान और उसके दुष्ट स्वर्गदूतों को एक हज़ार साल के लिए अथाह-कुंड में फेंककर अपनी जीत पूरी करेगा। उस दौरान, यीशु और 1,44,000 जन स्वर्ग से राज करेंगे। (प्रका. 20:2, 3) जब इब्लीस और उसके दुष्ट स्वर्गदूत अथाह-कुंड में कैद होंगे, तो उनकी दशा मरे हुए लोगों जैसी होगी, क्योंकि वे किसी को कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकेंगे। शैतान और उसके दुष्ट स्वर्गदूतों के बुरे असर से आज़ाद, पूरी धरती राजा के शासन का लुत्फ उठा पाएगी। लेकिन इससे पहले कि पूरी धरती फिरदौस में तबदील हो जाए, प्रजा के पास राजा और 1,44,000 जनों के साथ खुशियाँ मनाने की एक और वजह होगी। उस रोमांचक घटना के बारे में अगले लेख में चर्चा की जाएगी।