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यहोवा—हमारी ज़रूरतें पूरी करनेवाला और हिफाज़त करनेवाला परमेश्‍वर

यहोवा—हमारी ज़रूरतें पूरी करनेवाला और हिफाज़त करनेवाला परमेश्‍वर

“उसने मुझ से प्रेम किया है, इसलिए मैं उसे छुड़ाऊंगा; मैं उसे . . . सुरक्षित रखूंगा, क्योंकि उसने मेरा नाम जान लिया है।”—भज. 91:14, अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन।

1, 2. (क) परिवार के हालात कैसे एक-दूसरे से अलग होते हैं? (ख) हम सब ने किन अलग-अलग तरीकों से सच्चाई सीखी है?

 यहोवा ने ही परिवार की शुरूआत की है। (इफि. 3:14, 15) एक ही परिवार के होने के बावजूद, हमारी शख्सियत और हालात एक-दूसरे से बिलकुल अलग होते हैं। कुछ शायद अपने माता-पिता के साए में पले-बढ़े हों। दूसरों ने शायद अपने माँ-बाप को बीमारी, दुर्घटना या किसी दूसरे हादसे में खो दिया हो। और कुछ तो ऐसे भी हैं, जो यह तक नहीं जानते कि उनके माँ-बाप कौन हैं।

2 हम सभी यहोवा के उपासकों से मिलकर बने एक परिवार के सदस्य हैं, और हम सभी ने अलग-अलग तरीकों से सच्चाई सीखी है। हो सकता है आप बचपन से ही सच्चाई में हों और आपके माँ-बाप ने आपको बाइबल सिद्धांतों पर चलना सिखाया हो। (व्यव. 6:6, 7) या हो सकता है आप उन हज़ारों में से एक हों, जिन्हें यहोवा के दूसरे सेवकों से सच्चाई मिली है।—रोमि. 10:13-15; 1 तीमु. 2:3, 4.

3. हम सभी में क्या समानताएँ हैं?

3 हालाँकि हम सब अलग-अलग माहौल में पले-बढ़े हैं, फिर भी हम सभी में कुछ समानताएँ हैं। आदम ने परमेश्‍वर की आज्ञा नहीं मानी, जिस वजह से हम सभी को विरासत में असिद्धता, पाप और मौत मिली है। (रोमि. 5:12) फिर भी, सच्चे उपासक होने के नाते, हम यहोवा को “हमारा पिता” कहकर पुकार सकते हैं। पुराने ज़माने में, परमेश्‍वर के चुने हुए लोग यशायाह 64:8 में दर्ज़ ये शब्द कह सकते थे: “हे यहोवा, तू हमारा पिता है।” और यीशु ने भी अपनी आदर्श प्रार्थना इन शब्दों से शुरू की: “हे हमारे पिता तू जो स्वर्ग में है, तेरा नाम पवित्र किया जाए।”—मत्ती 6:9.

4, 5. स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता, यहोवा के लिए अपना प्यार बढ़ाने के लिए, हम किन मुद्दों पर चर्चा करेंगे?

4 स्वर्ग में रहनेवाला हमारा पिता, सच्ची उपासना करनेवाले अपने परिवार की परवाह और हिफाज़त करता है, जिसकी उन्हें ज़रूरत है। भजन 91:14 के मुताबिक, यहोवा ने कहा: “उसने [यानी एक सच्चे उपासक ने] मुझ से प्रेम किया है, इसलिए मैं उसे छुड़ाऊंगा; मैं उसे . . . सुरक्षित रखूंगा, क्योंकि उसने मेरा नाम जान लिया है।” (अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन) यहोवा परमेश्‍वर प्यार दिखाते हुए अपने लोगों को उनके दुश्‍मनों से छुड़ाता है और उन्हें सुरक्षित रखता है, या उनकी हिफाज़त करता है, ताकि वे मिटाए न जाएँ।

5 स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता, यहोवा के लिए अपना प्यार और बढ़ाने के लिए, आइए हम चर्चा करें कि कैसे वह: (1) हमारी ज़रूरतें पूरी करनेवाला परमेश्‍वर है, (2) हमारी हिफाज़त करनेवाला परमेश्‍वर है, और (3) हमारा सबसे करीबी दोस्त है। जैसे-जैसे हम इन तीन मुद्दों पर गौर करेंगे, आइए हम परमेश्‍वर के साथ अपनी दोस्ती के बारे में ध्यान से सोचें और मनन करें कि कैसे हम अपने पिता के नाते उसका आदर कर सकते हैं। साथ ही, आइए हम उन आशीषों पर भी ध्यान दें जिन्हें देने का वादा यहोवा ने उनसे किया है, जो उसके करीब आते हैं।—याकू. 4:8.

यहोवा ज़रूरतें पूरी करनेवाला महान परमेश्‍वर है

6. एक तरीका क्या है जिससे यहोवा “हरेक अच्छा तोहफा” देनेवाला परमेश्‍वर साबित होता है?

6 चेले याकूब ने लिखा: “हरेक अच्छा तोहफा और हरेक उत्तम देन ऊपर से मिलती है, क्योंकि यह आकाश की ज्योतियों के पिता की तरफ से आती है।” (याकू. 1:17) हमारी ज़िंदगी यहोवा की तरफ से मिला एक खूबसूरत तोहफा है। (भज. 36:9) अगर हम यहोवा की मरज़ी पूरी करने में अपनी ज़िंदगी का इस्तेमाल करेंगे, तो हमें आज भी ढेरों आशीषें मिलेंगी और नयी दुनिया में हमेशा की ज़िंदगी भी। (नीति. 10:22; 2 पत. 3:13) लेकिन हम सभी को तो आदम से असिद्धता, पाप और मौत मिली है, तो फिर यह आशीषें पाना कैसे मुमकिन है?

7. परमेश्‍वर ने कैसे एक रास्ता खोला ताकि हम उसके साथ एक करीबी रिश्‍ता कायम कर सकें?

7 यहोवा अनगिनत तरीकों से हमारी ज़रूरतें पूरी करनेवाला महान परमेश्‍वर है। मिसाल के लिए, उसकी महा-कृपा उसे उभारती है कि वह हमें छुड़ाए। जैसा कि हमने देखा, हम सभी पाप करते हैं और हमें आदम से विरासत में असिद्धता मिली है। (रोमि. 3:23) इसके बावजूद, प्यार की खातिर यहोवा ने हमारे लिए एक रास्ता खोला, ताकि हम उसके साथ एक करीबी रिश्‍ता कायम कर सकें। प्रेषित यूहन्‍ना ने लिखा: “हमारे मामले में परमेश्‍वर का प्यार इस बात से ज़ाहिर हुआ कि परमेश्‍वर ने अपना इकलौता बेटा दुनिया में भेजा ताकि हम उसके ज़रिए जीवन पा सकें। इस बात में जो प्यार है वह इस मायने में ज़ाहिर नहीं हुआ कि हमने परमेश्‍वर से प्यार किया बल्कि इस मायने में कि परमेश्‍वर ने हमसे प्यार किया और अपने बेटे को हमारे पापों के लिए प्रायश्‍चित्त बलिदान के रूप में भेजा ताकि परमेश्‍वर के साथ हमारी सुलह हो।”—1 यूह. 4:9, 10.

8, 9. अब्राहम और इसहाक के ज़माने में यहोवा कैसे ज़रूरतें पूरी करनेवाला महान परमेश्‍वर साबित हुआ? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)

8 करीब ईसा पूर्व 1893 में, अब्राहम की ज़िंदगी में एक घटना घटी, जिससे यह ज़ाहिर हुआ कि कैसे यहोवा प्यार दिखाते हुए, आज्ञा माननेवाले सभी इंसानों को हमेशा की ज़िंदगी देगा। इब्रानियों 11:17-19 समझाता है: “विश्‍वास ही से अब्राहम ने, जब उसकी परीक्षा ली गयी थी, इसहाक को मानो बलि चढ़ा ही दिया था। और यह आदमी, जिसने खुशी-खुशी वादों को स्वीकार किया था, अपने इकलौते बेटे को बलि चढ़ाने ही वाला था, हालाँकि उससे यह कहा गया था: ‘जो “तेरा वंश” कहलाएगा, वह इसहाक से होगा।’ उसने यह इसलिए किया क्योंकि वह मानता था कि परमेश्‍वर उसके बेटे को मरे हुओं में से भी जी उठाने के काबिल है। और वाकई उसने अपने बेटे को मौत के मुँह से वापस पाया। और यह आनेवाली बातों की एक मिसाल बना।” ठीक जैसे अब्राहम अपने बेटे इसहाक की बलि चढ़ाने को तैयार था, यहोवा ने भी इंसानों को बचाने के लिए अपने बेटे, यीशु मसीह का बलिदान दे दिया।—यूहन्‍ना 3:16, 36 पढ़िए।

9 क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि जब इसहाक को पता चला कि उसे अपना जीवन कुरबान करने की ज़रूरत नहीं है, तो उसे कितनी राहत मिली होगी? बेशक, वह यहोवा का बहुत एहसानमंद रहा होगा कि बलिदान चढ़ाने के लिए यहोवा ने वहीं पास की झाड़ी में फँसे एक मेढ़े का इंतज़ाम किया है। (उत्प. 22:10-13) अब्राहम ने उस जगह का नाम “यहोवा यिरे” रखा, जिसका इब्रानी में मतलब है “यहोवा इंतज़ाम करेगा।”—उत्प. 22:14.

परमेश्‍वर के साथ सुलह करने का इंतज़ाम

10, 11. (क) कौन “सुलह करवाने की सेवा” में अगुवाई ले रहे हैं? (ख) वे यह सेवा कैसे कर रहे हैं?

10 जब हम इस बारे में मनन करते हैं कि कैसे यहोवा ने हमारी ज़रूरतें पूरी की हैं, तो हमें एहसास होता है कि यीशु के फिरौती बलिदान के बिना हम कभी यहोवा के दोस्त नहीं बन पाते। पौलुस ने लिखा: “हमने यह निचोड़ निकाला है: एक आदमी सबके लिए मरा और इस तरह सभी मर गए। वह सबके लिए मरा ताकि जो जीते हैं वे अब से खुद के लिए न जीएँ, बल्कि उसके लिए जीएँ जो उनके लिए मरा और जी उठाया गया।”—2 कुरिं. 5:14, 15.

11 पहली सदी के मसीही, परमेश्‍वर से प्यार करते थे और उसकी सेवा करने के सम्मान के लिए एहसानमंद थे, इसलिए उन्होंने खुशी-खुशी “सुलह करवाने की सेवा” कबूल की। यह सेवा थी प्रचार काम, जिसकी बदौलत नेकदिल लोगों के लिए परमेश्‍वर के साथ शांति-भरा रिश्‍ता कायम करने, उसके दोस्त बनने और उसके बेटे बनने का रास्ता खुल गया। आज, यहोवा के अभिषिक्‍त जन यही सेवा कर रहे हैं। परमेश्‍वर और मसीह के राजदूत के तौर पर वे जो प्रचार करते हैं, उसकी बदौलत नम्र और नेकदिल लोग यहोवा के करीब आ पाते हैं और उसके सेवक बन पाते हैं।—2 कुरिंथियों 5:18-20 पढ़िए; यूह. 6:44; प्रेषि. 13:48.

12, 13. हम कैसे दिखा सकते हैं कि हम यहोवा के किए सभी इंतज़ामों के लिए उसके शुक्रगुज़ार हैं?

12 दूसरी भेड़ें महान परमेश्‍वर यहोवा की एहसानमंद हैं कि वह उनकी सभी ज़रूरतें पूरी करता है, इसलिए वे प्रचार काम में अभिषिक्‍त जनों का साथ देती हैं। इस प्रचार काम में हम बाइबल का इस्तेमाल करते हैं, जो यहोवा की तरफ से मिला एक और शानदार तोहफा है। (2 तीमु. 3:16, 17) जब हम प्रचार काम में बाइबल का अच्छी तरह इस्तेमाल करते हैं, तब हम दूसरों को हमेशा की ज़िंदगी पाने का मौका देते हैं। यहोवा हमें अपनी पवित्र शक्‍ति भी देता है। प्रचार में मदद पाने के लिए हममें से हरेक, पवित्र शक्‍ति पर निर्भर रहता है। (जक. 4:6; लूका 11:13) जैसा कि हर साल प्रकाशित होनेवाली इयरबुक ऑफ जेहोवाज़ विटनेसेज़ दिखाती है, प्रचार काम के बढ़िया नतीजे मिल रहे हैं। इस काम में हिस्सा लेना हमारे लिए क्या ही बड़ा सम्मान है, जिससे हमारी ज़रूरतें पूरी करनेवाले हमारे महान परमेश्‍वर और पिता की महिमा होती है!

13 परमेश्‍वर ने हमारे लिए इतने सारे इंतज़ाम किए हैं, इसलिए हमें खुद से पूछना चाहिए: ‘क्या मैं प्रचार काम में अपना भरसक कर रहा हूँ, ताकि मैं यहोवा को दिखा सकूँ कि मैं उसके किए सभी इंतज़ामों के लिए कितना एहसानमंद हूँ? मैं और भी असरदार तरीके से खुशखबरी कैसे सुना सकता हूँ?’ हम राज को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह देकर दिखा सकते हैं कि हम यहोवा के किए बेहतरीन इंतज़ामों के लिए कितने शुक्रगुज़ार हैं। जब हम ऐसा करेंगे, तो यहोवा इस बात का ध्यान रखेगा कि हमें हमारी ज़रूरत की चीज़ें मिलती रहें। (मत्ती 6:25-33) यहोवा हमसे इतना प्यार करता है, इसलिए हम उसके मन को खुश करने की अपनी तरफ से पूरी कोशिश करना चाहते हैं।—नीति. 27:11.

14. यहोवा कैसे अपने लोगों का छुड़ानेवाला साबित हुआ है?

14 भजनहार दाविद ने गीत गया: “मैं तो दीन और दरिद्र हूं, तौभी प्रभु मेरी चिन्ता करता है। तू मेरा सहायक और छुड़ानेवाला है।” (भज. 40:17) कई बार यहोवा एक समूह के तौर पर अपने लोगों का छुड़ानेवाला साबित हुआ है, खासकर तब जब उन पर बुरी तरह ज़ुल्म ढाए गए हैं और उनके दुश्‍मनों ने उनका काम रोकने के लिए उन पर ज़बरदस्त दबाव डाला है। हम बहुत एहसानमंद हैं कि यहोवा हमें ऐसे मुश्‍किल-भरे वक्‍त में उसके वफादार बने रहने के लिए वह सब देता है, जिसकी हमें ज़रूरत होती है।

यहोवा हिफाज़त करता है

15. उदाहरण दीजिए कि कैसे एक प्यार करनेवाले पिता ने अपने बच्चे की हिफाज़त की।

15 एक प्यार करनेवाला पिता न सिर्फ अपने बच्चों की ज़रूरतें पूरी करता है, बल्कि उनकी हिफाज़त भी करता है। अगर उन पर कोई खतरा आता है, तो वह फौरन उन्हें बचाने की कोशिश करता है। एक भाई उस वक्‍त को याद करता है, जब वह छोटा था और उसके पिता ने उसकी हिफाज़त की थी। वह और उसके पिता प्रचार से घर लौट रहे थे, और वे एक ऐसी जगह पहुँचे जहाँ उन्हें एक छोटी नदी पार करनी थी। उस दिन सुबह तेज़ बारिश होने की वजह से नदी लबालब भर गयी थी। इसे पार करने का सिर्फ एक ही रास्ता था, उन्हें एक पत्थर से दूसरे पर कूदकर जाना था। लड़का अपने पिता के आगे-आगे चलने लगा। अचानक उसका पैर फिसल गया और वह नदी में जा गिरा। दो बार वह पूरी तरह पानी के अंदर चला गया। लेकिन उसके पिता ने उसे कंधे से पकड़कर डूबने से बचा लिया। वह अपने पिता का बहुत ही शुक्रगुज़ार था। ठीक उसी तरह, स्वर्ग में रहनेवाला हमारा पिता, इस दुष्ट दुनिया के खतरों और इसके राजा शैतान से हमारी हिफाज़त करता है। यहोवा से बेहतर हिफाज़त करनेवाला इस दुनिया में और कोई नहीं।—मत्ती 6:13; 1 यूह. 5:19.

16, 17. जब इसराएली अमालेकियों से लड़ रहे थे, तब यहोवा ने कैसे उनकी मदद और हिफाज़त की?

16 ईसा पूर्व 1513 में यहोवा ने प्यार से अपने लोगों की हिफाज़त की। वह इसराएलियों को गुलामी से पहले ही छुड़ा चुका था और जब वे लाल सागर पार कर रहे थे, तब उसने उनकी हिफाज़त की थी। वीराने में सीनै पहाड़ की तरफ सफर करने के बाद, इसराएली रपीदीम पहुँचे।

17 शैतान उत्पत्ति 3:15 में दी भविष्यवाणी से वाकिफ था, इसलिए वह इसराएलियों पर हमला करने के लिए बहुत उतावला रहा होगा, जिन्हें देखकर शायद लग सकता था कि उनकी हिफाज़त करनेवाला कोई नहीं है। ऐसा करने के लिए उसने इसराएलियों के दुश्‍मन, अमालेकियों का इस्तेमाल किया। (गिन. 24:20) ऐसे में, यहोवा ने कैसे यहोशू, मूसा, हारून और हूर के ज़रिए इन दुश्‍मनों से अपने लोगों की हिफाज़त की? जब यहोशू और उसके आदमी, अमालेकियों से लड़ रहे थे, तब मूसा, हारून और हूर पास की एक पहाड़ी पर ही थे। जब तक मूसा ने अपने हाथ ऊपर उठाए रखे, तब तक यहोवा ने इसराएलियों की मदद की और वे अपने दुश्‍मनों से ज़्यादा ताकतवर बने रहे। जब मूसा के हाथ थकने लगे, तब हारून और हूर ने उसके हाथों को सहारा दिया। इस तरह, यहोवा की मदद और हिफाज़त से, ‘यहोशू ने अमालेकियों को हरा दिया।’ (निर्ग. 17:8-13) इसके बाद, मूसा ने वहाँ एक वेदी बनायी और उसका नाम “यहोवानिस्सी” रखा, जिसका इब्रानी में मतलब है, “यहोवा मेरा शरण है।”—निर्गमन 17:14, 15 पढ़िए।

शैतान के हमलों से हिफाज़त

18, 19. यहोवा ने हाल के सालों में अपने सेवकों की हिफाज़त कैसे की है?

18 यहोवा उन लोगों की हिफाज़त करता है, जो उससे प्यार करते हैं और उसकी आज्ञा मानते हैं। जिस तरह रपीदीम में इसराएलियों ने यहोवा पर भरोसा रखा था, उसी तरह हम भी यहोवा पर भरोसा रख सकते हैं कि वह हमें दुश्‍मनों से बचाएगा। यहोवा ने अकसर एक समूह के तौर पर हमारी हिफाज़त की है और हमें शैतान के हमलों से बचाया है। मिसाल के लिए, कितनी ही बार यहोवा ने हमारे उन भाइयों की हिफाज़त की है, जिन पर मसीही निष्पक्षता बनाए रखने की वजह से ज़ुल्म ढाए गए। ऐसा ही कुछ जर्मनी और दूसरे देशों में हुआ, जब 1930 से लेकर 1940 के दशक के शुरूआती सालों में नात्ज़ी हुकूमत का दौर था। अगर हम उन जीवन कहानियों और इयरबुक में आए उन अनुभवों के बारे में पढ़ें और उन पर मनन करें, जो बताते हैं कि कैसे यहोवा ने ज़ुल्मों के दौर में अपने लोगों की हिफाज़त की, तो यहोवा पर हमारा भरोसा बढ़ेगा।—भज. 91:2.

यहोवा हमारे भाई-बहनों के ज़रिए हमारी मदद कर सकता है, ताकि हम मुश्‍किल समय में उसके वफादार बने रह सकें (पैराग्राफ 18-20 देखिए)

19 यहोवा अपने संगठन और साहित्य के ज़रिए हमें प्यार-भरी चेतावनियाँ देकर भी हमारी हिफाज़त करता है। ज़रा सोचिए, इन चेतावनियों से कैसे हाल के सालों में हमारी हिफाज़त हुई है। यह दुनिया दिन-ब-दिन बदचलनी और पोर्नोग्राफी के दलदल में धँसती जा रही है। मगर यहोवा ने इस समय को ध्यान में रखते हुए हमें चेतावनियाँ और कारगर मदद दी है, ताकि हम ऐसा कुछ न करें, जिससे यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता खराब हो जाए। उदाहरण के लिए, हमें हाल ही में अपने स्वर्गीय पिता से सलाह मिली है कि हमें सोशल नेटवर्क का गलत इस्तेमाल करके बुरी संगति में नहीं पड़ना चाहिए। a1 कुरिं. 15:33.

20. हमारी मंडलियों में किस तरह हमारी हिफाज़त होती है और हमें मार्गदर्शन दिया जाता है?

20 हम कैसे दिखा सकते हैं कि हम इन प्यार-भरी सलाहों पर ध्यान दे रहे हैं और “यहोवा के [ज़रिए] सिखलाए” जा रहे हैं? बारीकी से उसकी आज्ञाओं को मानकर। (यशा. 54:13) हमारी मंडलियाँ एक सुरक्षित जगह हैं, जहाँ हमारी हिफाज़त होती है और हमें मार्गदर्शन दिया जाता है। वहाँ प्राचीन हमें बाइबल से मदद और सलाह देते हैं। (गला. 6:1) यहोवा हमें अपनी प्यार-भरी परवाह काफी हद तक इन ‘आदमियों के रूप में तोहफों’ के ज़रिए दिखाता है। (इफि. 4:7, 8) तो फिर जब प्राचीन हमें सलाह देते हैं, तो हमें कैसा रवैया दिखाना चाहिए? हमें खुशी-खुशी उनकी माननी चाहिए। अगर हम ऐसा करेंगे, तो यहोवा हमें आशीष देगा।—इब्रा. 13:17.

21. (क) हमें क्या करने की ठान लेनी चाहिए? (ख) हम अगले लेख में किस बारे में चर्चा करेंगे?

21 तो आइए हम मदद के लिए पवित्र शक्‍ति पर निर्भर रहें और स्वर्ग में रहनेवाले हमारे पिता के मार्गदर्शन को कबूल करें। हमें यीशु की ज़िंदगी पर भी मनन करना चाहिए और उसकी बेहतरीन मिसाल पर चलने की पूरी कोशिश करनी चाहिए। यीशु ने इस हद तक आज्ञा मानी कि उसने अपनी जान तक दे दी, इसलिए उसे एक बड़ा इनाम मिला। (फिलि. 2:5-11) अगर हम भी पूरे दिल से यहोवा पर भरोसा रखें, तो हमें भी आशीषें मिलेंगी। (नीति. 3:5, 6) आइए हम हमेशा यहोवा पर निर्भर रहें, क्योंकि हमारी ज़रूरतें पूरी करनेवाला और हमारी हिफाज़त करनेवाला उससे बढ़कर और कोई नहीं। उसकी उपासना करना हमारे लिए इतने बड़े सम्मान और खुशी की बात है! लेकिन यहोवा किस तरह हमारा सबसे अच्छा दोस्त है? जब हम अगले लेख में इस सवाल का जवाब देखेंगे, तो उसके लिए हमारा प्यार और भी बढ़ जाएगा।

a ऐसी ही कुछ चेतावनियाँ इन लेखों में पायी जा सकती हैं: 15 अगस्त, 2011 की प्रहरीदुर्ग में पेज 3-5 पर दिया लेख “दुनिया-भर में फैले इंटरनेट का समझदारी से इस्तेमाल कीजिए” और 15 अगस्त, 2012 की प्रहरीदुर्ग में पेज 20-29 पर दिए लेख “शैतान के फंदों से खबरदार रहिए!” और “डटे रहो और शैतान के फंदों से बचे रहो!”