परमेश्वर के राज पर अटूट विश्वास रखिए
“विश्वास, आशा की हुई चीज़ों का पूरे भरोसे के साथ इंतज़ार करना है।”—इब्रा. 11:1.
1, 2. (क) क्या करने से हमारा यकीन बढ़ेगा कि मसीहाई राज के ज़रिए परमेश्वर का मकसद ज़रूर पूरा होगा? (ख) इफिसियों 2:12 के मुताबिक, करार किस तरह हमारा यकीन बढ़ाते हैं? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर भी देखिए।)
यहोवा के साक्षी होने के नाते, हम जोश के साथ प्रचार करते हैं कि सिर्फ परमेश्वर का राज ही हमारी सारी समस्याओं का हल है। लेकिन क्या खुद हमें पूरा यकीन है कि यह राज एक हकीकत है और इसके ज़रिए परमेश्वर का मकसद ज़रूर पूरा होगा? हम इस राज पर मज़बूत विश्वास क्यों रख सकते हैं?—इब्रा. 11:1.
2 इंसानों के लिए ठहराए अपने मकसद को पूरा करने के लिए खुद यहोवा ने मसीहाई राज का इंतज़ाम किया है। यह मसीहाई राज कभी नहीं डगमगाएगा, क्योंकि यह एक बहुत ही मज़बूत नींव पर टिका है, और वह यह कि सिर्फ यहोवा को इस विश्व पर हुकूमत करने का हक है। इस राज का राजा कौन है? उस राजा के साथ और कौन राज करेगा? वे किन पर हुकूमत करेंगे? यहोवा ने राज से जुड़े इन ज़रूरी पहलुओं पर एक तरह से कानूनी मुहर लगाने के लिए कुछ खास करार किए हैं। ये करार, दो पक्षों के बीच किए गए कानूनी इकरारनामे या कॉन्ट्रैक्ट की तरह हैं, जो यहोवा या उसके बेटे यीशु मसीह ने किए हैं। इन करारों की जाँच करने से हम अच्छी तरह समझ पाएँगे कि परमेश्वर का मकसद कैसे पूरा होगा और हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि मसीहाई राज कभी नहीं मिटेगा।—इफिसियों 2:12 पढ़िए।
3. इस और अगले लेख में हम क्या जाँच करेंगे?
3 बाइबल ऐसे 6 खास करारों का ज़िक्र करती है, जो मसीहाई राज से जुड़े हैं, जिसका राजा मसीह यीशु है। ये करार हैं: (1) अब्राहम से किया गया करार, (2) कानून का करार, (3) दाविद से किया गया करार, (4) मेल्कीसेदेक जैसा याजक होने के लिए करार, (5) नया करार, और (6) राज का करार। आइए अब हम इस और अगले लेख में जाँच करें कि हर करार कैसे मसीहाई राज से जुड़ा है और कैसे ये करार धरती और इंसानों के लिए परमेश्वर के मकसद को अंजाम तक पहुँचा रहे हैं।—“परमेश्वर अपना मकसद कैसे पूरा करेगा” चार्ट देखिए।
एक वादा जो ज़ाहिर करता है कि परमेश्वर का मकसद कैसे पूरा होगा
4. उत्पत्ति की किताब के मुताबिक, यहोवा ने इंसानों के सिलसिले में क्या-क्या आदेश दिए?
4 हमारे खूबसूरत ग्रह पृथ्वी को इंसानों के रहने के लिए तैयार करने के बाद, यहोवा ने इंसानों के सिलसिले में ये तीन आदेश दिए: (1) परमेश्वर इंसान की सृष्टि अपने स्वरूप में करेगा। (2) इंसान इस पूरी धरती को फिरदौस बनाएँगे और इसे अपनी नेक संतानों से आबाद करेंगे। (3) इंसानों को मना किए गए पेड़ का फल नहीं खाना था। (उत्प. 1:26, 28; 2:16, 17) परमेश्वर के मकसद में बस यही तीन आदेश शामिल थे। इंसानों की सृष्टि के बाद, परमेश्वर के मकसद को पूरा करने के लिए इंसानों को बस बाकी के दो आदेश मानने थे। परमेश्वर को और कुछ करने की ज़रूरत नहीं थी। तो फिर परमेश्वर को करार क्यों करने पड़े?
5, 6. (क) शैतान ने परमेश्वर के मकसद को नाकाम करने की कोशिश कैसे की? (ख) यहोवा इस बगावत से कैसे निपटा?
5 परमेश्वर के मकसद को नाकाम करने के लिए शैतान ने उसके खिलाफ बगावत छेड़ी। कैसे? उसने हव्वा को भले और बुरे के ज्ञान के पेड़ का फल खाने के लिए फुसलाया। इस तरह, उसने इंसानों को परमेश्वर की आज्ञा तोड़ने के लिए उकसाया। (उत्प. 3:1-5; प्रका. 12:9) ऐसा करके शैतान ने परमेश्वर के हुकूमत करने के हक पर सवाल खड़ा किया। आगे चलकर, शैतान ने इंसानों पर भी यह झूठा इलज़ाम लगाया कि वे परमेश्वर की उपासना अपने मतलब से करते हैं।—अय्यू. 1:9-11; 2:4, 5.
6 यहोवा इस बगावत से कैसे निपटता? वह बागियों को नाश कर सकता था। लेकिन अगर वह ऐसा करता, तो धरती को आदम और हव्वा की संतानों से आबाद करने का उसका मकसद पूरा नहीं हो पाता। यहोवा ने बागियों को नाश न करने का फैसला किया। इसके बजाय, उसने अदन में एक बहुत ही अहम भविष्यवाणी की। इस भविष्यवाणी को अदन में किया गया वादा कहा जाता है। इस वादे ने यह गारंटी दी कि धरती और इंसानों के लिए परमेश्वर का मकसद बारीकी से पूरा होगा।—उत्पत्ति 3:15 पढ़िए।
7. अदन में किए गए वादे से साँप और उसके वंश के बारे में क्या ज़ाहिर हुआ?
7 अदन में किए गए वादे के ज़रिए परमेश्वर ने साँप और उसके वंश को मौत की सज़ा सुनायी। साँप शैतान इब्लीस को दर्शाता है और उसके वंश में वे स्वर्गदूत और लोग शामिल हैं, जो विश्व पर हुकूमत करने के मसले में शैतान का साथ देते हैं। परमेश्वर ने स्त्री के वंश को इन बागियों का नाश करने का अधिकार दिया। इस तरह, अदन में किए गए वादे से यह ज़ाहिर हुआ कि शैतान को और उसकी बगावत से हुए बुरे अंजामों को मिटा दिया जाएगा। इस वादे से यह भी ज़ाहिर हुआ कि यह कैसे किया जाएगा।
8. हम स्त्री और उसके वंश की पहचान के बारे में क्या कह सकते हैं?
8 स्त्री का वंश कौन होता? यह वंश एक आत्मिक प्राणी होता। ऐसा हम क्यों कह सकते हैं? क्योंकि यह वंश शैतान को ‘मिटाएगा,’ जो दिखायी न देनेवाला एक आत्मिक प्राणी है। (इब्रा. 2:14) इसका मतलब है कि जिस स्त्री से यह वंश पैदा होता, वह भी अदृश्य होती। एक तरफ जहाँ साँप का वंश बढ़ता गया, वहीं दूसरी तरफ अदन में किए गए वादे के बाद करीब 4,000 साल तक स्त्री और उसके वंश की पहचान एक राज़ बनी रही। इन सालों के दौरान, यहोवा ने कई करार किए, जिससे इस वंश की पहचान हुई और यह ज़ाहिर हुआ कि कैसे इसी वंश के ज़रिए परमेश्वर शैतान की बगावत से हुए नुकसान की भरपाई करेगा।
एक करार जो वंश की पहचान कराता है
9. (क) अब्राहम से किया गया करार क्या है? (ख) यह करार कब लागू होना शुरू हुआ?
9 अदन में किए गए वादे के करीब 2,000 साल बाद, यहोवा ने अब्राहम से कहा कि वह ऊर शहर में अपना घर छोड़कर कनान देश चला जाए। (प्रेषि. 7:2, 3) परमेश्वर ने उससे कहा: “अपने देश, और अपनी जन्मभूमि, और अपने पिता के घर को छोड़कर उस देश में चला जा जो मैं तुझे दिखाऊंगा। और मैं तुझ से एक बड़ी जाति बनाऊंगा, और तुझे आशीष दूंगा, और तेरा नाम बड़ा करूंगा, और तू आशीष का मूल होगा। और जो तुझे आशीर्वाद दें, उन्हें मैं आशीष दूंगा; और जो तुझे कोसे, उसे मैं शाप दूंगा; और भूमण्डल के सारे कुल तेरे द्वारा आशीष पाएंगे।” (उत्प. 12:1-3) यह वादा अब्राहम से किया गया करार कहलाता है। हम यह तो नहीं जानते कि परमेश्वर ने अब्राहम के साथ यह करार कब किया था। लेकिन हम इतना ज़रूर जानते हैं कि यह करार ईसा पूर्व 1943 से लागू होना शुरू हुआ, जब 75 साल की उम्र में अब्राहम ने हारान छोड़ा और फरात नदी पार की।
10. (क) अब्राहम ने कैसे साबित किया कि उसे परमेश्वर के वादों पर अटूट विश्वास था? (ख) यहोवा ने स्त्री के वंश के बारे में धीरे-धीरे क्या ज़ाहिर किया?
10 यहोवा ने अब्राहम से किया अपना वादा कई बार दोहराया और हर बार उसने इस बारे में और ज़्यादा जानकारी दी। (उत्प. 13:15-17; 17:1-8, 16) अब्राहम को परमेश्वर के वादों पर इतना अटूट विश्वास था कि वह अपने अज़ीज़ बेटे की बलि चढ़ाने के लिए भी तैयार था। अब्राहम का विश्वास देखकर परमेश्वर इतना खुश हुआ कि उसने अब्राहम से किए अपने करार को और भी पक्का किया। कैसे? यह शपथ खाकर कि वह अपना वादा ज़रूर पूरा करेगा। (उत्पत्ति 22:15-18; इब्रानियों 11:17, 18 पढ़िए।) ईसा पूर्व 1943 में अब्राहम से किया गया करार लागू होना शुरू होने के बाद, यहोवा ने धीरे-धीरे स्त्री के वंश के बारे में ज़रूरी जानकारी देनी शुरू की, जैसे वह वंश अब्राहम के खानदान से आएगा, इस वंश में बहुत लोग शामिल होंगे, वे राजा के तौर पर राज करेंगे, वह वंश परमेश्वर के सारे दुश्मनों को खत्म कर डालेगा और उस वंश के ज़रिए बहुत लोगों को आशीषें मिलेंगी।
11, 12. (क) बाइबल कैसे साबित करती है कि अब्राहम से किया गया करार बड़े पैमाने पर पूरा होगा? (ख) यह बात हमारे लिए क्या मायने रखती है?
11 अब्राहम से किए गए करार में परमेश्वर ने जो वादे किए थे, वे पहली बार तब पूरे हुए जब अब्राहम के वंशज वादा-ए-मुल्क में दाखिल हुए। लेकिन बाइबल बताती है कि यह करार बड़े पैमाने पर भी पूरा होगा, जब यह इंसानों के लिए कई गुना ज़्यादा आशीषें लाएगा। (गला. 4:22-25) प्रेषित पौलुस ने समझाया कि इस बड़े पैमाने पर होनेवाली पूर्ती में, अब्राहम के वंश का मुख्य हिस्सा यीशु मसीह है और वंश का दूसरा हिस्सा 1,44,000 अभिषिक्त मसीही हैं। (गला. 3:16, 29; प्रका. 5:9, 10; 14:1, 4) अदन के बाग में किए गए वादे में बतायी स्त्री, यहोवा के संगठन के स्वर्गीय हिस्से को दर्शाती है। इस स्त्री को “ऊपर की यरूशलेम” कहा गया है और यह वफादार आत्मिक प्राणियों से बनी है। (गला. 4:26, 31) जैसे अब्राहम से किए गए करार में वादा किया गया था, स्त्री का वंश इंसानों को हमेशा की आशीषें देगा।
12 अब्राहम से किए गए करार ने इस बात की गारंटी दी कि स्वर्ग का राज एक हकीकत बन जाएगा और राजा और उसके संगी शासक उस राज में राज करेंगे। (इब्रा. 6:13-18) अब्राहम से किया गया करार कब तक जारी रहेगा? उत्पत्ति 17:7 बताता है कि यह “युग युग की वाचा,” या करार, है। यह करार तब तक जारी रहेगा जब तक कि मसीहाई राज परमेश्वर के दुश्मनों को नाश नहीं कर देता और धरती के सारे परिवार आशीषें नहीं पा लेते। (1 कुरिं. 15:23-26) लेकिन इस करार के फायदे युग-युग तक, यानी हमेशा-हमेशा तक मिलते रहेंगे। अब्राहम से किया गया करार साबित करता है कि परमेश्वर ने अपने इस मकसद को पूरा करने की ठान ली है कि नेक इंसान ‘पृथ्वी में भर जाएँ।’—उत्प. 1:28.
एक करार जो गारंटी देता है कि राज कायम रहेगा
13, 14. दाविद से किया गया करार किस बात की गारंटी देता है?
13 अदन में किया गया वादा और अब्राहम से किया गया करार हमें सिखाते हैं कि यहोवा की हुकूमत हमेशा उसके नेक स्तरों पर आधारित होती है। इसलिए उसने जो मसीहाई राज कायम किया है, वह भी उसके नेक स्तरों पर आधारित है। (भज. 89:14) क्या मसीहाई राज कभी भ्रष्ट होगा? क्या इस सरकार को कभी बदलने की ज़रूरत पड़ेगी? कभी नहीं। इस बात की गारंटी हमें एक और कानूनी करार से मिलती है।
14 यहोवा ने इसराएल के राजा दाविद से एक वादा किया, जिसे दाविद से किया गया करार कहा जाता है। (2 शमूएल 7:12, 16 पढ़िए।) यहोवा ने इस करार के ज़रिए साफ बताया कि वंश किस खानदान से आएगा। उसने वादा किया कि वह दाविद के ही खानदान से आएगा। (लूका 1:30-33) यहोवा ने कहा कि दाविद के इस वारिस के पास मसीहाई राज का राजा बनने का कानूनी अधिकार होगा। (यहे. 21:25-27) दाविद का शासन हमेशा तक कायम रहेगा, क्योंकि यीशु, जो दाविद के खानदान से है, “सर्वदा रहेगा, और उसकी राजगद्दी सूर्य की नाईं . . . ठहरी रहेगी।” (भज. 89:34-37) जी हाँ, दाविद से किया गया करार इस बात की गारंटी देता है कि मसीहा का राज कभी भ्रष्ट नहीं होगा और इस राज से इंसानों को हमेशा-हमेशा तक आशीषें मिलती रहेंगी!
एक याजक के लिए करार
15-17. मेल्कीसेदेक जैसा याजक होने के लिए करार के मुताबिक, स्त्री का वंश राजा होने के अलावा और क्या भूमिका निभाएगा? और क्यों?
15 अब्राहम से किया गया करार और दाविद से किया गया करार बेशक इस बात की गारंटी देते हैं कि स्त्री का वंश राजा के तौर पर शासन करेगा। लेकिन इस राज के ज़रिए सभी इंसानों को पूरा-पूरा फायदा पहुँचाने के लिए, वंश का सिर्फ राजा बनना काफी नहीं। उसे एक याजक बनने की भी ज़रूरत है। क्यों? क्योंकि अगर इंसानों को सारी आशीषों का लुत्फ उठाना है, तो उन्हें पाप की गिरफ्त से आज़ाद होकर पूरे विश्व में फैले यहोवा के सेवकों से बने परिवार का हिस्सा बनने की भी ज़रूरत है। और सिर्फ याजक ही बलिदान चढ़ाकर इंसानों को पापों से छुटकारा दिला सकता है और उन्हें यहोवा के सेवकों से बने परिवार का हिस्सा बनने में मदद दे सकता है। इसलिए इस बात को पक्का करने के लिए कि वह वंश एक याजक भी हो, बुद्धिमान सृष्टिकर्ता यहोवा ने एक और कानूनी इंतज़ाम किया, जिसे मेल्कीसेदेक जैसा याजक होने के लिए करार कहा जाता है।
16 परमेश्वर ने राजा दाविद के ज़रिए यह ज़ाहिर किया कि वह खुद यीशु के साथ एक करार करेगा। उस करार में दो बातें शामिल थीं। पहली यह कि यीशु तब तक ‘[परमेश्वर के] दहिने हाथ बैठेगा’ जब तक कि वह “अपने शत्रुओं के बीच में शासन” नहीं करता, और दूसरी यह कि यीशु “मेल्कीसेदेक की रीति पर सर्वदा का याजक” होगा। (भजन 110:1, 2, 4 पढ़िए।) लेकिन “मेल्कीसेदेक की रीति” पर ही क्यों? अब्राहम के वंशजों के वादा-ए-मुल्क पर कब्ज़ा करने से काफी पहले, मेल्कीसेदेक न सिर्फ शालेम शहर का राजा था, बल्कि “परमप्रधान परमेश्वर का याजक” भी था। (इब्रा. 7:1-3) उसे खुद यहोवा ने राजा और याजक, दोनों पद पर ठहराया था। यीशु से पहले सिर्फ मेल्कीसेदेक ही ऐसा शख्स था, जिसने राजा और याजक दोनों पद पर सेवा की थी। और क्योंकि कहीं पर भी इस बात का रिकॉर्ड मौजूद नहीं है कि मेल्कीसेदेक से पहले या बाद में किसी और को ये दोनों अधिकार मिले हों, इसलिए कहा जा सकता है कि मेल्कीसेदेक “सदा के लिए एक याजक बना रहता है।”
17 इस करार के ज़रिए, खुद यहोवा ने यीशु को याजक ठहराया है। यीशु “मेल्कीसेदेक की तरह हमेशा-हमेशा के लिए एक याजक” बना रहेगा। (इब्रा. 5:4-6) यह करार साफ दिखाता है कि यहोवा ने इस बात की गारंटी दी है कि वह मसीहाई राज के ज़रिए इंसानों और धरती के लिए अपना मकसद ज़रूर पूरा करेगा।
राज कानूनी करारों पर आधारित है
18, 19. (क) जिन करारों पर हमने चर्चा की, वे कैसे राज से जुड़े हैं? (ख) अगले लेख में किस बारे में चर्चा की जाएगी?
18 अब तक हमने जिन करारों पर चर्चा की, उनसे हमने सीखा कि हर करार कैसे मसीहाई राज से जुड़ा है और राज किस तरह कानूनी करारों पर आधारित है। अदन में किया गया वादा इस बात की गारंटी देता है कि यहोवा स्त्री के वंश के ज़रिए धरती और इंसानों के लिए अपना मकसद ज़रूर पूरा करेगा। अब्राहम से किया गया करार समझाता है कि यह वंश कौन होगा और उसकी क्या भूमिका होगी।
19 दाविद से किया गया करार इस बारे में और ज़्यादा जानकारी देता है कि मसीहा किस खानदान से आएगा। यह करार यीशु को धरती पर हमेशा तक राज करने का अधिकार भी देता है। और मेल्कीसेदेक जैसा याजक होने के लिए करार इस बात की गारंटी देता है कि वंश याजक के तौर पर सेवा करेगा। लेकिन यीशु अकेले ही इंसानों को सिद्ध बनने में मदद नहीं देगा। कुछ दूसरे भी हैं, जिन्हें राजाओं और याजकों के तौर पर सेवा करने के लिए ठहराया गया है। वे कहाँ से आएँगे? इस बारे में अगले लेख में चर्चा की जाएगी।