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दुनिया-भर में चल रहे हमारे सिखाने के काम में यहोवा मार्गदर्शन देता है

दुनिया-भर में चल रहे हमारे सिखाने के काम में यहोवा मार्गदर्शन देता है

“मैं ही तेरा परमेश्वर यहोवा हूं जो तुझे तेरे लाभ के लिये शिक्षा देता हूं, और जिस मार्ग से तुझे जाना है उसी मार्ग पर तुझे ले चलता हूं।”—यशा. 48:17.

1. हाल के सालों में यहोवा के लोगों को प्रचार काम में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा है?

आज से 130 से भी ज़्यादा साल पहले, जब यहोवा के लोगों * ने खुशखबरी का प्रचार करना शुरू किया, तो उनके आगे कई चुनौतियाँ थीं। जैसे, पहली सदी के मसीहियों की तरह, वे गिनती में बहुत कम थे और वे एक ऐसा संदेश सुना रहे थे, जिसे ज़्यादातर लोग पसंद नहीं करते थे। लोगों की नज़र में वे कम पढ़े-लिखे, मामूली लोग थे। साथ ही, आगे चलकर जब शैतान इब्लीस को धरती पर फेंक दिया जाता, तो मसीही उसके “बड़े क्रोध” का शिकार बनते। (प्रका. 12:12) और-तो-और, उन्हें “आखिरी दिनों” में खुशखबरी का प्रचार करना था, एक ऐसे हालात में “जिसका सामना करना मुश्किल” होता।—2 तीमु. 3:1.

2. आज के ज़माने में प्रचार काम को आगे बढ़ाने के लिए यहोवा ने क्या-क्या कदम उठाए हैं?

2 लेकिन यहोवा का मकसद था कि उसके लोग खुशखबरी दुनिया के कोने-कोने तक पहुँचाएँ, और एक बार जब यहोवा कुछ मकसद ठहराता है, तो दुनिया की कोई ताकत उसे अपना मकसद पूरा करने से रोक नहीं सकती। और अपने मकसद को अंजाम देने के लिए उसने कई कदम उठाए हैं। मिसाल के लिए, जिस तरह उसने पुराने ज़माने में इसराएल राष्ट्र को बैबिलोन से आज़ाद किया था, उसी तरह आज उसने अपने उपासकों को “महानगरी बैबिलोन,” यानी दुनिया-भर में साम्राज्य की तरह फैले झूठे धर्म से आज़ाद किया है। (प्रका. 18:1-4) वह हमें हमारी भलाई के लिए सिखा रहा है, हमें एक-दूसरे के साथ शांति बनाए रखने में मदद दे रहा है, और दूसरों को उसके बारे में सिखाने की हमें तालीम भी दे रहा है। (यशायाह 48:16-18 पढ़िए।) हालाँकि यहोवा हमें प्रचार काम में मार्गदर्शन देता है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वह हमेशा दुनिया की घटनाओं का रुख बदलता है, ताकि हम आसानी से प्रचार कर सकें। हाँ, कुछ बातें हैं जिन्होंने हमारे काम को आसान बनाया है। लेकिन आज भी हम पर ज़ुल्म ढाए जाते हैं और शैतान के कब्ज़े में पड़ी इस दुनिया में हमें आज भी कई तकलीफों का सामना करना पड़ता है। मगर फिर भी, सिर्फ यहोवा की मदद से ही हम प्रचार काम पूरा कर पा रहे हैं।—यशा. 41:13; 1 यूह. 5:19.

3. दानिय्येल की भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई है?

3 दानिय्येल नबी ने भविष्यवाणी की थी कि अंत के समय में सच्चा “ज्ञान” बहुत बढ़ जाएगा। (दानिय्येल 12:4 पढ़िए।) ‘अन्त का समय’ शुरू होने से बस कुछ ही वक्‍त पहले, यहोवा ने बाइबल विद्यार्थियों को बाइबल की अहम सच्चाइयाँ समझने और ईसाईजगत की झूठी शिक्षाओं को ठुकराने में मदद दी थी। और आज वह दुनिया के कोने-कोने में सच्चा ज्ञान फैलाने के लिए अपने लोगों का इस्तेमाल कर रहा है। करीब 80 लाख लोगों ने बाइबल की सच्चाई अपनायी है और अब वे इसे दुनिया-भर में फैला रहे हैं। वाकई, आज दानिय्येल की भविष्यवाणी बड़े पैमाने पर पूरी हो रही है! आखिर किन बातों ने ऐसा करना मुमकिन बनाया है?

बाइबल के अनुवाद से कैसे मदद मिली है

4. सन्‌ 1900 के आते-आते, बाइबल का अनुवाद कितनी भाषाओं में हो चुका था?

4 एक बात जिससे हमारे लिए खुशखबरी का प्रचार करना आसान हुआ है, वह यह कि आज दुनिया-भर में कई लोगों के पास बाइबल है। लेकिन शुरू-शुरू में ऐसा नहीं था। कई सालों तक ईसाईजगत के पादरी लोगों को बाइबल पढ़ने से मना करते रहे। और जो पढ़ने की जुर्रत करते, उनके साथ वे बुरा सलूक करते थे। यहाँ तक कि जिन्होंने बाइबल का दूसरी भाषाओं में अनुवाद किया, उनमें से कुछ को तो उन्होंने जान से भी मार दिया। लेकिन सन्‌ 1800 के बाद कुछ बाइबल संस्थाओं ने करीब 400 भाषाओं में पूरी बाइबल या उसके कुछ हिस्से अनुवाद किए या छापे। सन्‌ 1900 के आते-आते, दुनिया-भर में कई लोगों के पास बाइबल की अपनी कॉपी थी। मगर उन्हें बाइबल का सही ज्ञान नहीं था।

5. यहोवा के साक्षियों ने बाइबल का अनुवाद करने के लिए क्या किया है?

5 बाइबल विद्यार्थी जानते थे कि प्रचार करना उनकी ज़िम्मेदारी है, इसलिए उन्होंने दूसरों को बाइबल की सच्चाइयाँ सिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। शुरू-शुरू में तो उन्होंने बाइबल के जो अलग-अलग अनुवाद मौजूद थे, उन्हीं का इस्तेमाल करके लोगों को सच्चाइयाँ सिखायीं और उन अनुवादों की कॉपियाँ बाँटीं। लेकिन फिर 1950 में, यहोवा के साक्षियों ने न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन ऑफ द होली स्क्रिप्चर्स प्रकाशित की। और तब से उन्होंने पूरी बाइबल या उसके कुछ हिस्से 120 से भी ज़्यादा भाषाओं में अनुवाद करके बाँटे हैं। फिर 2013 में उन्होंने अँग्रेज़ी में न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन का नया संस्करण निकाला। इसकी भाषा बहुत सरल है इसलिए प्रचार काम में इससे काफी मदद मिलती है, और इसका अनुवाद करना भी काफी आसान है।

शांति के दौर से कैसे मदद मिली है

6, 7. (क) पिछले 100 सालों के दौरान कितने युद्ध लड़े गए हैं? (ख) कुछ देशों में शांति के दौर की वजह से दुनिया-भर में हमारे काम पर क्या असर पड़ा है?

6 “शांति? इस दुनिया में शांति कहाँ है?” आपके मन में शायद यह सवाल आए। पिछले 100 सालों में पहला विश्व युद्ध लड़ा गया, दूसरा विश्व युद्ध लड़ा गया, और न जाने और भी कितने युद्ध लड़े गए। खून की नदियाँ बह गयीं। तो फिर इस दुनिया में शांति कहाँ है? लेकिन गौर करने लायक बात है कि सन्‌ 1942 में जब दूसरा विश्व युद्ध ज़ोरों पर था, तब भाई नेथन नॉर ने, जो उस वक्‍त यहोवा के साक्षियों के काम की अगुवाई कर रहे थे, एक अधिवेशन में एक रोमांचक भाषण दिया था, जिसका विषय था “शांति—क्या यह कायम रह सकती है?” इस भाषण में भाई नॉर ने प्रकाशितवाक्य अध्याय 17 से यह साबित किया था कि इस विश्व युद्ध के बाद हर-मगिदोन नहीं आएगा, बल्कि शांति का एक दौर आएगा।—प्रका. 17:3, 11.

7 बेशक, दूसरे विश्व युद्ध के बाद अचानक पूरी दुनिया में शांति नहीं फैल गयी। अगर 1946 से लेकर 2013 के आँकड़ों पर गौर करें, तो इस दौरान करीब-करीब 331 युद्ध लड़े गए। इन युद्धों में लाखों लोगों की जानें गयीं। लेकिन उस दौरान कई देशों में, दूसरे देशों के मुकाबले काफी शांति थी, और यहोवा के लोगों ने इसका फायदा उठाकर खुशखबरी का प्रचार किया। इसका क्या नतीजा रहा है? सन्‌ 1944 में दुनिया-भर में राज प्रचारकों की गिनती 1 लाख 10 हज़ार से कम थी। लेकिन आज उनकी गिनती करीब 80 लाख है! (यशायाह 60:22 पढ़िए।) क्या हम इस बात के लिए शुक्रगुज़ार नहीं कि हम शांति के दौर में खुशखबरी का प्रचार कर पा रहे हैं?

यातायात की सुविधाओं में हुई तरक्की से कैसे मदद मिली है

8, 9. (क) यातायात की सुविधाओं में क्या तरक्की हुई है? (ख) इससे हमें अपने काम को आगे बढ़ाने में कैसे मदद मिली है?

8 यातायात की सुविधाओं में तरक्की होने की वजह से भी हमारे लिए खुशखबरी दूर-दूर तक फैलाना काफी आसान हो गया है। मिसाल के लिए, सबसे पहली प्रहरीदुर्ग की छपाई के सिर्फ करीब 21 साल बाद, यानी सन्‌ 1900 में, पूरे अमरीका में सिर्फ 8,000 गाड़ियाँ और गिनी-चुनी अच्छी सड़कें थीं। लेकिन आज दुनिया-भर में डेढ़ अरब से भी ज़्यादा गाड़ियाँ और कई अच्छी सड़कें हैं। इसलिए अब यातायात के साधनों का इस्तेमाल करके हम दूर-दराज़ इलाके में रहनेवाले लोगों को भी खुशखबरी सुना पा रहे हैं। मगर इसका यह मतलब नहीं कि खुशखबरी सुनाने के लिए हम यातायात के साधनों पर ही निर्भर हैं। अगर हमारे पास ये सुविधाएँ नहीं हैं, तब भी हम जहाँ कहीं लोग मिलते हैं, वहाँ पैदल चलकर जाते हैं, फिर चाहे वे कितनी भी दूर क्यों न रहते हों।—मत्ती 28:19, 20.

9 राज के काम को आगे बढ़ाने के लिए हम यातायात के दूसरे साधनों का भी इस्तेमाल करते हैं। जैसे, हम ट्रक, जहाज़ और ट्रेन के ज़रिए दूर-दराज़ इलाकों में रहनेवाले भाई-बहनों तक कुछ ही हफ्तों में साहित्य पहुँचा पाते हैं। सर्किट निगरान, शाखा-समिति के सदस्य, मिशनरी और दूसरे कई भाई अधिवेशनों में भाषण देने या मंडलियों की मदद करने के लिए हवाई जहाज़ से सफर करते हैं। विश्व मुख्यालय से शासी निकाय के सदस्य और दूसरे कई भाई भी हवाई जहाज़ से अलग-अलग देशों में जाकर भाई-बहनों का हौसला बढ़ाते हैं और उन्हें तालीम देते हैं। सचमुच, यातायात की सुविधाओं में हुई तरक्की की बदौलत यहोवा के लोगों के बीच एकता काफी मज़बूत हुई है।—भज. 133:1-3.

भाषा से कैसे मदद मिली है

10. ऐसा क्यों कहा जा सकता है कि अँग्रेज़ी एक अंतर्राष्ट्रीय भाषा है?

10 पहली सदी में, रोमी साम्राज्य में कई लोग यूनानी भाषा बोलते थे। क्या आज ऐसी कोई एक भाषा है, जो दुनिया-भर में बोली जाती है? जी हाँ, आज अँग्रेज़ी को एक अंतर्राष्ट्रीय भाषा माना जाता है। किताब अँग्रेज़ी—एक अंतर्राष्ट्रीय भाषा (अँग्रेज़ी) कहती है कि दुनिया की एक-चौथाई आबादी अँग्रेज़ी बोलती या समझती है। आज कई देशों में अँग्रेज़ी सिखायी जाती है, क्योंकि इसका इस्तेमाल राजनीति, विज्ञान, टेकनॉलजी और व्यापार की दुनिया में किया जाता है।

11. अँग्रेज़ी भाषा के इस्तेमाल से सच्ची उपासना को दुनिया-भर में फैलाने में कैसे मदद मिली है?

11 अँग्रेज़ी भाषा का इतने बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने की वजह से सच्ची उपासना को दुनिया-भर में फैलाने में मदद मिली है। कई सालों तक, हमारी किताबें-पत्रिकाएँ पहले अँग्रेज़ी में ही छापी जाती थीं और उसके बाद दूसरी भाषाओं में। हमारे विश्व मुख्यालय में भी अँग्रेज़ी भाषा का इस्तेमाल किया जाता है। और अमरीका में जो वॉचटावर शिक्षा केंद्र है, वहाँ पर भी विद्यार्थियों को सिखाने के लिए आम तौर पर अँग्रेज़ी का इस्तेमाल किया जाता है।

12. (क) यहोवा के साक्षियों ने कितनी भाषाओं में अपने साहित्य का अनुवाद किया है? (ख) कंप्यूटर प्रोग्रामों ने हमें अनुवाद काम में कैसे मदद दी है?

12 लेकिन क्योंकि हमें हर राष्ट्र के लोगों को खुशखबरी सुनाने की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी है, इसलिए हमने 700 से भी ज़्यादा भाषाओं में अपने साहित्य का अनुवाद किया है। यह कैसे मुमकिन हो पाया है? कंप्यूटर और कंप्यूटर प्रोग्राम, जैसे कि मेप्स (मल्टीलैंग्वेज इलेक्ट्रॉनिक पब्लिशिंग सिस्टम) की बदौलत हम इतनी सारी भाषाओं में साहित्य का अनुवाद कर पा रहे हैं। इस तरह हम हर राष्ट्र के लोगों तक खुशखबरी पहुँचा रहे हैं। इतना ही नहीं, अनुवाद काम में की जा रही मेहनत की वजह से दुनिया-भर में फैले यहोवा के साक्षी भी बाइबल सच्चाई की “शुद्ध भाषा” समझ पा रहे हैं और इसलिए उनमें एकता है।—सपन्याह 3:9 पढ़िए।

कानून से कैसे मदद मिली है

13, 14. आज के ज़माने के मसीहियों को कानून और अदालती फैसलों से कैसे फायदा हुआ है?

13 जैसा कि हमने पिछले लेख में देखा था, रोमी कानून ने पहली सदी के मसीहियों को खुशखबरी का प्रचार करने में कई तरीकों से मदद दी थी। आज भी कई देशों के कानून प्रचार काम में हमारी मदद करते हैं। मिसाल के लिए, अमरीका में, जहाँ हमारा विश्व मुख्यालय है, लोगों को अपना धर्म चुनने, अपने विश्वास के बारे में दूसरों को बताने और साथ मिलकर बाइबल पर चर्चा करने की आज़ादी है। वहाँ का संविधान उन्हें यह अधिकार देता है। इसका मतलब है कि अमरीका में रहनेवाले हमारे भाइयों को अपनी सभाएँ रखने और प्रचार करने की आज़ादी है। बेशक, खुशखबरी सुनाने के अपने हक को कानूनी तौर पर मान्यता दिलाने के लिए उन्हें कई बार अदालतों का सहारा लेना पड़ा। (फिलि. 1:7) और जब निचली अदालतों में उन्हें उनके हक नहीं मिले, तो उन्होंने ऊँची अदालतों में अपील दायर की, जहाँ अकसर उनकी जीत हुई।

14 दूसरे देशों में भी, हम उपासना से जुड़े अपने कामों को कानूनी तौर पर मान्यता दिलाने के लिए अदालतों में गए हैं। कुछ देशों में जब हम इन अदालतों में अपने मुकद्दमे हार गए, तो हम अंतर्राष्ट्रीय अदालतों में भी गए। मिसाल के लिए, कई बार हम ‘मानव अधिकारों की यूरोपीय अदालत’ में गए हैं। जून 2014 तक, यह अदालत 57 मामलों में फैसला हमारे पक्ष में सुना चुकी है। यह अदालत जो भी फैसले लेती है, उन्हें यूरोप के ज़्यादातर देशों को मानना होता है। भले ही, हम “सब राष्ट्रों की नफरत का शिकार” बनते हैं, फिर भी ज़्यादातर देशों के कानून हमें यहोवा की उपासना आज़ादी से करने की छूट देते हैं।—मत्ती 24:9.

आविष्कारों से कैसे मदद मिली है

हम कई भाषाओं में बाइबल साहित्य पेश करते हैं

15. (क) छपाई की दुनिया में क्या-क्या तरक्की हुई है? (ख) और इनसे हमें कैसे मदद मिली है?

15 छपाई की दुनिया में हुई तरक्की की वजह से भी हम खुशखबरी दूर-दूर तक पहुँचा पाए हैं। मिसाल के लिए, सदियों तक लोग छपाई करने का वही पुराना तरीका इस्तेमाल कर रहे थे, जो योहानेस गूटेनबर्ग ने 1450 में ईजाद किया था। लेकिन पिछले 200 सालों में छपाई करने के तरीके में काफी तरक्की हुई है। जैसे आज की छपाई मशीनें आकार में काफी विशाल, रफ्तार में तेज़ और दिखने में बहुत ही जटिल हो गयी हैं। आज कागज़ बनाना और किताबों पर जिल्द चढ़ाना भी पहले से सस्ता हो गया है। इसके अलावा, ऑफसेट प्रिंटिंग के आविष्कार से छपाई न सिर्फ कम समय में, बल्कि पहले से बेहतर भी होने लगी है। इन बदलावों का हमारे काम पर क्या असर हुआ है? ज़रा इस प्रहरीदुर्ग पत्रिका के सबसे पहले अंक की छपाई पर गौर कीजिए। जब जुलाई 1879 में उस अंक की छपाई हुई थी, तब उसकी सिर्फ 6,000 कॉपियाँ छापी गयी थीं, उसमें कोई तसवीरें नहीं थीं और वह सिर्फ अँग्रेज़ी में छपी थी। लेकिन आज के बारे में क्या? आज प्रहरीदुर्ग पत्रिका के हर अंक की 5 करोड़ से ज़्यादा कॉपियाँ छापी जाती हैं। इसमें खूबसूरत और रंगीन तसवीरें होती हैं और हर अंक को 200 से भी ज़्यादा भाषाओं में निकाला जाता है।

16. किन आविष्कारों ने हमें दुनिया-भर में प्रचार करने में मदद की है? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)

16 पिछले 200 सालों में हुए कुछ आविष्कारों पर गौर कीजिए, जिनका इस्तेमाल करके परमेश्वर के लोगों ने खुशखबरी का प्रचार किया है। हम ट्रेन, गाड़ियों, और हवाई जहाज़ का ज़िक्र कर चुके हैं। लेकिन इनके अलावा, हमने साइकिल, टाईप-राइटर, ब्रेल उपकरणों, टेलिग्राफ, टेलीफोन, कैमरा, ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डर, रेडियो, टीवी, फिल्मों, कंप्यूटरों और इंटरनेट का भी इस्तेमाल किया है। हालाँकि यहोवा के साक्षियों ने इन चीज़ों का आविष्कार नहीं किया है, लेकिन वे इन चीज़ों का इस्तेमाल करके दुनिया-भर में प्रचार करते हैं और बाइबल और बाइबल पर आधारित साहित्य को कई भाषाओं में प्रकाशित करते हैं। इस तरह, वे ‘अन्यजातियों का दूध पीते’ हैं, ठीक जैसे बाइबल में भविष्यवाणी की गयी थी।—यशायाह 60:16 पढ़िए।

17. (क) क्या बात साफ ज़ाहिर है? (ख) यहोवा क्यों चाहता है कि हम उसके “सहकर्मी” बनकर उसके साथ काम करें?

17 यह साफ ज़ाहिर है कि यहोवा हमारे प्रचार काम पर आशीष दे रहा है। यहोवा ने हमें यह काम इसलिए नहीं दिया है कि उसे इस काम को पूरा करने में हमारी मदद की ज़रूरत है। इसके बजाय, उसने हमें यह काम इसलिए दिया है क्योंकि वह हमसे प्यार करता है और चाहता है कि हम उसके “सहकर्मी” बनकर उसके साथ काम करें। प्रचार काम में हिस्सा लेकर हम दिखाते हैं कि हम यहोवा से और अपने पड़ोसियों से प्यार करते हैं। (1 कुरिं. 3:9; मर. 12:28-31) हम यहोवा के इतने शुक्रगुज़ार हैं कि वह हमें दुनिया-भर में प्रचार करने में मदद दे रहा है। तो आइए हम यहोवा और उसके राज के बारे में प्रचार करने का एक भी मौका हाथ से जाने न दें!

^ पैरा. 1 करीब 1870 से यहोवा के लोगों को ‘बाइबल विद्यार्थी’ कहा जाता था। सन्‌ 1931 में उन्होंने ‘यहोवा के साक्षी’ नाम अपनाया।—यशा. 43:10.