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क्या आप ‘जागते रहेंगे’?

क्या आप ‘जागते रहेंगे’?

“जागते रहो, क्योंकि तुम न तो उस दिन को और न ही उस वक्‍त को जानते हो।”—मत्ती 25:13.

1, 2. (क) यीशु ने आखिरी दिनों के बारे में क्या बताया? (ख) इस लेख में हम किन सवालों के जवाब जानेंगे?

ज़रा मन की आँखों से यह देखने की कोशिश कीजिए कि यीशु जैतून पहाड़ पर बैठा है और यरूशलेम के मंदिर को निहार रहा है। उसके साथ उसके चार प्रेषित पतरस, अन्द्रियास, याकूब और यूहन्ना भी हैं। यीशु उन्हें एक हैरतअंगेज़ भविष्यवाणी बता रहा है जिसे वे बड़े ध्यान से सुन रहे हैं। इस भविष्यवाणी से पता चलता है कि इस दुष्ट दुनिया के आखिरी दिनों में जब यीशु, परमेश्वर के राज का राजा बनकर हुकूमत करेगा तो क्या-क्या घटनाएँ घटेंगी। यीशु उन्हें बताता है कि उस नाज़ुक दौर में, “विश्वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाला दास” उसकी तरफ से धरती पर सेवा करेगा और उसके चेलों को सही वक्‍त पर आध्यात्मिक भोजन देगा।—मत्ती 24:45-47.

2 इसी भविष्यवाणी में फिर यीशु दस कुँवारियों की मिसाल देता है। (मत्ती 25:1-13 पढ़िए।) इस लेख में हम इन सवालों के जवाब जानेंगे: (1) इस मिसाल में क्या खास संदेश दिया गया है? (2) इस मिसाल में दी सलाह वफादार अभिषिक्‍त मसीहियों ने कैसे खुद पर लागू की है? और इसके क्या नतीजे निकलते हैं? (3) आज हममें से हरेक यीशु की इस मिसाल से कैसे फायदा पा सकता है?

मिसाल में क्या संदेश दिया गया है?

3. (क) पहले हमारी किताबों-पत्रिकाओं में दस कुँवारियों की मिसाल कैसे समझायी जाती थी? (ख) इससे क्या बात छिप सकती थी?

3 पिछले लेख में हमने सीखा था कि कुछ सालों से विश्वासयोग्य दास ने बाइबल के ब्यौरे समझाने के तरीके में थोड़ा फेरबदल किया है। पहले इस बात पर ज़्यादा ध्यान दिया जाता था कि इन ब्यौरों में बतायी बातें किसे दर्शाती हैं। लेकिन अब विश्वासयोग्य दास इस बात पर ज़्यादा ध्यान देता है कि हम इन ब्यौरों से क्या सबक सीख सकते हैं। उदाहरण के लिए, दस कुँवारियों की मिसाल लीजिए। हमारी किताबों-पत्रिकाओं में पहले बताया जाता था कि दीपक, तेल और कुप्पियाँ किसी चीज़ या किसी व्यक्‍ति को दर्शाती हैं। लेकिन छोटी-छोटी बातों पर ज़्यादा ध्यान देने से, कहीं ऐसा तो नहीं कि मिसाल में जो आसान और ज़रूरी संदेश है वह छिप जाए? इस सवाल का जवाब बहुत मायने रखता है।

4. (क) दस कुँवारियों की मिसाल में बताया दूल्हा कौन है और यह हम कैसे कह सकते हैं? (ख) कुँवारियाँ कौन हैं और हम यह कैसे कह सकते हैं?

4 आइए गौर करें कि यीशु इस मिसाल से क्या खास संदेश देना चाहता था। सबसे पहले, दस कुँवारियों की मिसाल में दिए किरदारों के बारे में सोचिए। इसमें बताया दूल्हा कौन है? यीशु। यह हम कैसे कह सकते हैं? क्योंकि एक और मौके पर, यीशु ने खुद को दूल्हा कहा। (लूका 5:34, 35) मिसाल में बतायी कुँवारियाँ कौन हैं? अभिषिक्‍त मसीहियों का ‘छोटा झुंड।’ कैसे? मिसाल में बताया गया है कि कुँवारियों को अपने दीपक जलाकर तैयार रहना है, ताकि दूल्हे के आने पर वे उसका स्वागत कर सकें। अब गौर कीजिए कि यीशु ने अपने अभिषिक्‍त चेलों से क्या कहा। उसने कहा, “तुम्हारी कमर कसी रहे और तुम्हारे दीपक जलते रहें। तुम खुद उन आदमियों की तरह बनो जो अपने मालिक का इंतज़ार करते हैं कि वह शादी से कब लौटेगा।” (लूका 12:32, 35, 36) यह भी गौर करनेवाली बात है कि प्रेषित पौलुस ने मसीह के अभिषिक्‍त चेलों की तुलना पवित्र कुँवारियों से की। (2 कुरिं. 11:2) तो इसका मतलब है कि मत्ती 25:1-13 में दी मिसाल में जो सलाह और चेतावनी दी गयी है, वह खासकर अभिषिक्‍त मसीहियों के लिए थी।

5. (क) इस मिसाल में दी सलाह किस समय पर लागू होती है? (ख) यह हम कैसे कह सकते हैं?

5 लेकिन सवाल है कि इस मिसाल में दी सलाह किस समय के लिए है? इसका जवाब हम यीशु के उन शब्दों से पता कर सकते हैं जो उसने मिसाल के करीब-करीब आखिर में कहे। उसने कहा कि दूल्हा आ गया। (मत्ती 25:10) जहाँ तक दूल्हे, यानी यीशु के आने की बात है, तो इस बारे में हमने 15 जुलाई, 2013 की प्रहरीदुर्ग में सीखा था। उसमें बताया गया था कि यीशु की जो भविष्यवाणी मत्ती अध्याय 24 और 25 में दर्ज़ है उसमें आठ बार यीशु के आने का ज़िक्र किया गया है। इन सभी जगहों पर जब यीशु ने अपने आने की बात की, तो दरअसल वह महा-संकट के दौरान आने की बात कर रहा था। यानी उस समय की, जब वह इस दुष्ट दुनिया का न्याय करने और उसे नाश करने आएगा। तो इस बात से यह कहा जा सकता है कि दूल्हे यानी यीशु का आना महा-संकट के दौरान होगा और इस मिसाल में दी सलाह आखिरी दिनों पर लागू होती है।

6. इस मिसाल में क्या खास संदेश दिया गया है?

6 इस मिसाल में क्या खास संदेश दिया गया है? ध्यान दीजिए कि यह मिसाल देने से पहले यीशु ने क्या बातें बतायीं। उसने बस कुछ ही समय पहले ‘विश्वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाले दास’ के बारे में बताया, जो मत्ती अध्याय 24 में दर्ज़ है। यह दास अभिषिक्‍त पुरुषों से मिलकर बना छोटा-सा समूह है जो आखिरी दिनों में मसीह के चेलों की अगुवाई करेगा। यीशु ने उन अभिषिक्‍त पुरुषों को चेतावनी दी कि उन्हें वफादार बने रहना है। फिर यीशु ने दस कुँवारियों की मिसाल दी जो अध्याय 25 में दर्ज़ है। इस मिसाल से यीशु ने उन सभी अभिषिक्‍त चेलों के लिए सलाह दी जो आखिरी दिनों में मौजूद होंगे। तो मिसाल में खास संदेश यह है कि अभिषिक्‍त मसीहियों को ‘जागते रहना’ है, ताकि वे स्वर्ग में जीवन पाने का अपना इनाम खो न दें। (मत्ती 25:13) अब आइए इस मिसाल की दूसरी बातों पर गौर करें और देखें कि अभिषिक्‍त मसीहियों ने यह सलाह कैसे लागू की है।

मिसाल में दी सलाह अभिषिक्‍त मसीहियों ने कैसे लागू की है?

7, 8. (क) समझदार कुँवारियाँ क्यों तैयार रह पायीं? (ख) अभिषिक्‍त मसीही कैसे तैयार रहने का सबूत दे रहे हैं?

7 मिसाल में यीशु इस बात पर ज़ोर देता है कि समझदार कुँवारियाँ दूल्हे के आने पर तैयार थीं, जबकि मूर्ख कुँवारियाँ तैयार नहीं थीं। समझदार कुँवारियाँ क्यों तैयार रह पायीं? इसकी दो वजह थीं। पहली, उन्होंने इसके लिए पहले से ज़रूरी कदम उठाए थे, यानी वे अपनी कुप्पियों में भी तेल ले गयी थीं। दूसरी वजह, वे चौकस थीं। चाहिए तो यह था कि सभी कुँवारियाँ सतर्क रहें और अपने दीपक जलाकर रखें जब तक कि दूल्हा नहीं आता। मगर मूर्ख कुँवारियों ने ऐसा नहीं किया। समझदार कुँवारियों की तरह क्या वफादार अभिषिक्‍त मसीहियों ने दिखाया है कि वे यीशु के आने पर उससे मिलने के लिए तैयार हैं?

8 जी हाँ। अभिषिक्‍त मसीहियों ने अपनी ज़िम्मेदारी अंत तक पूरी करने के लिए हर ज़रूरी कदम उठाया है। इस तरह उन्होंने तैयार रहने का सबूत दिया है। वह कैसे? उन्हें एहसास है कि परमेश्वर की सेवा करने के लिए उन्हें शैतान की इस दुनिया में धन-दौलत और ऐशो-आराम की चीज़ें त्यागनी होंगी और वे ऐसा करने के लिए खुशी-खुशी तैयार हैं। उन्होंने ठान लिया है कि वे वफादारी से यहोवा की सेवा करते रहेंगे। और ऐसा इसलिए नहीं कि अंत पास आ गया है, बल्कि इसलिए कि वे यहोवा और उसके बेटे से प्यार करते हैं और उनके वफादार रहना चाहते हैं। आज अगर दुनिया को देखें तो यह धन-दौलत बटोरने और अनैतिक काम करने में लगी हुई है, इसके लोगों को बस खुद की फिक्र रहती है। मगर अभिषिक्‍त मसीही दुनिया की इस फितरत का खुद पर असर नहीं होने देते और वे अपनी खराई बनाए रखते हैं। जिस तरह समझदार कुँवारियाँ अपने दीपक जलाकर तैयार रहीं, उसी तरह अभिषिक्‍त मसीही लगातार रौशनी की तरह चमक रहे हैं और सब्र रखते हुए दूल्हे के आने का इंतज़ार कर रहे हैं, भले ही ऐसा लगे कि उसे आने में देर हो रही है।—फिलि. 2:15.

9. (क) यीशु ने मिसाल में दस कुँवारियों के ऊँघने की जो बात कही उससे हम क्या सीख सकते हैं? (ख) “देखो, दूल्हा आ रहा है” यह पुकार सुनकर अभिषिक्‍त मसीहियों ने कैसा रवैया दिखाया? (फुटनोट भी देखिए।)

9 गौर कीजिए कि जब सभी दस कुँवारियाँ दूल्हे का इंतज़ार कर रही थीं और जब ऐसा लगा कि दूल्हा आने में देर कर रहा है तो क्या हुआ। वे सब-की-सब “ऊँघने लगीं और सो गयीं।” इससे हम क्या सीखते हैं? क्या आज अभिषिक्‍त मसीही भी ‘सोने’ लग सकते हैं, यानी मसीह के आने का इंतज़ार करते वक्‍त गुमराह हो सकते हैं? हाँ, ऐसा हो सकता है। यीशु जानता था कि जो व्यक्‍ति उसके आने का बड़ी बेताबी से इंतज़ार करता है और जागते रहना चाहता है वह भी गुमराह हो सकता है। इसीलिए वफादार अभिषिक्‍त मसीही जागते रहने के लिए और भी ज़्यादा मेहनत करते हैं। कैसे? ध्यान दीजिए, जब यह पुकार मचती है कि “देखो, दूल्हा आ रहा है!” तब सभी कुँवारियाँ उठकर अपने-अपने दीपक ठीक करने लगीं। लेकिन चौकस रहने की बात करें, तो सिर्फ समझदार कुँवारियाँ चौकस रहीं। इसलिए वे दूल्हे के आने पर उससे मिलने के लिए तैयार रह पायीं। (मत्ती 25:5, 6; 26:41) उसी तरह, आखिरी दिनों के दौरान वफादार अभिषिक्‍त मसीहियों ने यह पुकार सुनकर कदम उठाया है कि “देखो, दूल्हा आ रहा है!” वे मानते हैं कि इस बात के ज़बरदस्त सबूत हैं कि यीशु बस आने ही वाला है और वे उसके आने पर उससे मिलने के लिए तैयार हैं। * आइए अब हम मिसाल के आखिरी भाग पर चर्चा करें, जो एक खास समय की तरफ इशारा करता है।

समझदार के लिए इनाम और मूर्ख के लिए सज़ा

10. समझदार कुँवारियों और मूर्ख कुँवारियों के बीच हुई बातचीत से क्या सवाल उठता है?

10 मिसाल के आखिरी भाग में, मूर्ख कुँवारियाँ समझदार कुँवारियों से अपने दीपकों के लिए तेल माँगती हैं। लेकिन समझदार कुँवारियाँ उनकी मदद करने से इनकार कर देती हैं। (मत्ती 25:8, 9 पढ़िए।) इससे एक सवाल उठता है: ऐसा कब हुआ कि वफादार अभिषिक्‍त मसीहियों ने किसी ज़रूरतमंद की मदद करने से इनकार कर दिया हो? इस सवाल का जवाब जानने के लिए याद कीजिए कि यह मिसाल किस समय पर लागू होती है। और हमारी समझ में हुई फेरबदल के बारे में भी याद कीजिए। वह यह कि दूल्हा यानी यीशु करीब-करीब महा-संकट के आखिर में न्याय करने आता है। इसलिए मुमकिन है कि उन कुँवारियों की बातचीत उन बातों की तरफ इशारा करती है जो महा-संकट के आखिर से ठीक पहले होंगी। हम ऐसा क्यों कह सकते हैं? वह इसलिए कि तब तक अभिषिक्‍त मसीहियों पर आखिरी मुहर लग चुकी होगी।

11. (क) महा-संकट शुरू होने से ठीक पहले क्या होगा? (ख) जब समझदार कुँवारियों ने मूर्ख कुँवारियों से कहा कि जाकर तेल खरीद लो, तो इसका क्या मतलब था?

11 इसका मतलब, महा-संकट शुरू होने से पहले धरती पर बचे सभी वफादार अभिषिक्‍त मसीहियों पर आखिरी मुहर लग चुकी होगी। (प्रका. 7:1-4) इसके बाद यह बात तो तय है कि वे स्वर्ग जाएँगे। लेकिन ज़रा महा-संकट शुरू होने से पहले के सालों के बारे में सोचिए। सोचिए उन अभिषिक्‍त मसीहियों का क्या होगा जो जागते नहीं रहते और वफादार नहीं रहते? उन पर आखिरी मुहर नहीं लगायी जाएगी यानी वे स्वर्ग जाने का इनाम खो देंगे। जब तक महा-संकट शुरू होगा, तब तक उनकी जगह दूसरे वफादार मसीहियों का अभिषेक किया जा चुका होगा। जब महा-संकट शुरू हो जाएगा तब मूर्ख जन महानगरी बैबिलोन का नाश होते देखकर शायद हक्के-बक्के रह जाएँगे। शायद तभी उन्हें एहसास होगा कि वे यीशु के आने पर उससे मिलने के लिए तैयार नहीं हैं। उस समय अगर वे मदद माँगते हैं तो क्या होगा? इसका जवाब मिसाल में ही दिया गया है। समझदार कुँवारियों ने मूर्ख कुँवारियों को तेल देने से इनकार कर दिया और कहा कि वे जाकर तेल खरीद लें। दरअसल यह “ठीक आधी रात” का समय था इसलिए तेल बेचनेवाला कोई नहीं था। अब बहुत देर हो चुकी थी!

12. (क) महा-संकट के दौरान, उस इंसान का क्या होगा जो एक वक्‍त पर अभिषिक्‍त था लेकिन आखिरी मुहर लगने तक वफादार नहीं रहता? (ख) जो मूर्ख कुँवारियों की तरह होंगे उन्हें क्या अंजाम भुगतना पड़ेगा?

12 जो इंसान एक वक्‍त पर अभिषिक्‍त था, लेकिन आखिरी मुहर लगने तक वफादार नहीं रहता, वह महा-संकट के दौरान अगर वफादार अभिषिक्‍त मसीहियों से मदद माँगेगा तो वे उसकी मदद नहीं कर पाएँगे। तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। तो फिर जो वफादार नहीं रहते उन्हें क्या अंजाम भुगतना पड़ेगा? ध्यान दीजिए कि जब मूर्ख कुँवारियाँ तेल खरीदने गयीं तब क्या हुआ, “दूल्हा आ गया और जो कुंवारियाँ तैयार थीं, वे शादी की दावत के लिए उसके साथ अंदर चली गयीं। फिर दरवाज़ा बंद कर दिया गया।” करीब-करीब महा-संकट के आखिर में, जब यीशु मसीह अपनी महिमा में आएगा तो वह वफादार अभिषिक्‍त मसीहियों को स्वर्ग ले जाएगा। (मत्ती 24:31; 25:10; यूह. 14:1-3; 1 थिस्स. 4:17) लेकिन जो वफादार नहीं रहते, उनके लिए दरवाज़ा बंद हो जाएगा! उन्हें यीशु ठुकरा देगा। वे मूर्ख कुँवारियों की तरह शायद कहें, “साहब, साहब, हमारे लिए दरवाज़ा खोलो!” लेकिन यीशु उन्हें क्या जवाब देगा? अफसोस, वह उन्हें वही जवाब देगा जो बकरी समान बहुत-से लोगों को देगा, “मैं सच कहता हूँ, मैं तुम्हें नहीं जानता।”—मत्ती 7:21-23; 25:11, 12.

13. (क) इस मिसाल के ज़रिए क्या यीशु यह बताना चाह रहा था कि बहुत-से अभिषिक्‍त लोग वफादार नहीं रहेंगे? (ख) ऐसा क्यों कहा जा सकता है कि यीशु को अभिषिक्‍त मसीहियों पर यकीन है? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)

13 इसका मतलब, इस मिसाल के ज़रिए क्या यीशु यह बताना चाह रहा था कि बहुत-से अभिषिक्‍त लोग वफादार नहीं रहेंगे और उनकी जगह दूसरों को चुना जाएगा? नहीं। ध्यान दीजिए कि मत्ती अध्याय 24 में, यीशु ने विश्वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाले दास को चेतावनी दी कि वे कभी दुष्ट दास न बनें। इस चेतावनी का यह मतलब नहीं था कि यीशु ऐसा होते देखना चाहता था। उसी तरह, दस कुँवारियों की मिसाल एक ज़बरदस्त चेतावनी है। मिसाल में पाँच कुँवारियाँ मूर्ख थीं, मगर पाँच समझदार थीं। इसका मतलब यह नहीं कि आधे अभिषिक्‍त मसीही वफादार नहीं रहेंगे। इस मिसाल से सिर्फ यह ज़ाहिर होता है कि हर अभिषिक्‍त मसीही को खुद चुनना है कि वह तैयार और चौकस रहेगा या फिर मूर्ख साबित होगा और वफादार नहीं रहेगा। कुछ ऐसी ही चेतावनी पौलुस ने अपने अभिषिक्‍त भाई-बहनों को दी। (इब्रानियों 6:4-9 पढ़िए; व्यवस्थाविवरण 30:19 से तुलना कीजिए।) हालाँकि पौलुस ने सीधे-सीधे चेतावनी दी, लेकिन उसे अपने भाई-बहनों पर यकीन था कि वे अपना इनाम ज़रूर पाएँगे। उसी तरह, दस कुँवारियों की मिसाल में दी चेतावनी से पता चलता है कि यीशु को अभिषिक्‍त मसीहियों पर ऐसा ही यकीन है। वह जानता है कि हर एक अभिषिक्‍त मसीही वफादार बना रह सकता है और अपना इनाम पा सकता है!

मसीह की “दूसरी भेड़ें” कैसे फायदा पा सकती हैं?

14. यह क्यों कहा जा सकता है कि दस कुँवारियों की मिसाल से “दूसरी भेड़ें” भी फायदा पा सकती हैं?

14 यीशु ने जो मिसाल दी, वह सीधे-सीधे अभिषिक्‍त मसीहियों पर लागू होती है। तो क्या इस मिसाल से “दूसरी भेड़ें” फायदा नहीं पा सकतीं? (यूह. 10:16) नहीं, ऐसा नहीं है! इस मिसाल में दिया संदेश है, “जागते रहो।” क्या यह बात सिर्फ अभिषिक्‍त मसीहियों पर लागू होती है? नहीं। यीशु ने एक दूसरे मौके पर कहा, “जो मैं तुमसे कहता हूँ, वही सब से कहता हूँ, जागते रहो।” यीशु चाहता था कि उसके सभी चेले परमेश्वर की सेवा के लिए तैयार रहें और चौकस रहें। अभिषिक्‍त मसीही राज के कामों को ज़िंदगी में पहली जगह देते हैं। इस तरह उन्होंने जो बढ़िया मिसाल कायम की है उस पर सभी मसीही चल सकते हैं। यह भी याद कीजिए कि मूर्ख कुँवारियों ने समझदार कुँवारियों से थोड़ा तेल माँगा था। उनकी गुज़ारिश हमें याद दिलाती है कि हमें खुद परमेश्वर के वफादार रहना है, हमें खुद तैयार रहना या जागते रहना है, दूसरे हमारे लिए ऐसा नहीं कर सकते। वह इसलिए कि हर एक को उस न्यायी को अपना-अपना हिसाब देना होगा, जिसे यहोवा ने नियुक्‍त किया है। वह बहुत जल्द आ रहा है। इसलिए हमें तैयार रहने की ज़रूरत है।

थोड़े तेल की गुज़ारिश हमें याद दिलाती है कि हमारे लिए दूसरे लोग परमेश्वर के वफादार नहीं रह सकते, न ही हमारे लिए जागते रह सकते हैं

15. मसीह और उसकी दुल्हन की शादी सभी मसीहियों के लिए क्यों खुशी की बात होगी?

15 यीशु की मिसाल में ज़िक्र की गयी शादी से सभी मसीही खुश हो सकते हैं। भविष्य में, हर-मगिदोन के युद्ध के बाद अभिषिक्‍त मसीही, मसीह की दुल्हन बन जाएँगे। (प्रका. 19:7-9) स्वर्ग में होनेवाली उस शादी से धरती पर रहनेवाले सभी लोगों को भी फायदा होगा। वह कैसे? यह सभी इंसानों को एक सिद्ध सरकार देने का वादा करती है। हमारी आशा चाहे स्वर्ग जाने की हो या धरती पर जीने की, आइए हम सब ठान लें कि हम तैयार रहेंगे और चौकस रहेंगे। अगर हम ऐसा करें, तो हम उस शानदार भविष्य का लुत्फ उठाएँगे जो यहोवा ने हमारे लिए तैयार किया है!

^ पैरा. 9 मिसाल में, जब यह पुकार मचने लगती है, “देखो, दूल्हा आ रहा है!” (आयत 6) और जब दूल्हा आता है (आयत 10) इन दोनों के बीच कुछ समय गुज़रता है। आखिरी दिनों की शुरूआत से लेकर अब तक अभिषिक्‍त मसीही लगातार चौकस रहे हैं। उन्होंने यीशु की मौजूदगी की निशानी पहचानी है। और इस तरह वे जानते हैं कि यीशु, परमेश्वर के राज का राजा बनकर शासन कर रहा है। फिर भी जब तक वह नहीं आता तब तक उन्हें जागते रहना है।