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बहिष्कार क्यों एक प्यार-भरा इंतज़ाम है

बहिष्कार क्यों एक प्यार-भरा इंतज़ाम है

भाई हुलयॉन के बेटे का मंडली से बहिष्कार कर दिया गया था। उस दिन को याद करते हुए भाई कहता है, “जब मैंने यह घोषणा सुनी की मेरा बड़ा बेटा मंडली से बहिष्कृत हो गया है, तो मैं अंदर से बिलकुल टूट गया था।” भाई आगे कहते हैं, “मैं अपने बेटे के बहुत करीब था और साथ मिलकर हमने बहुत-से काम किए। हमारा यह बेटा हर मामले में एक अच्छी मिसाल था। मगर अचानक उसके व्यवहार में बदलाव आने लगा। यह खबर सुनकर मेरी पत्नी बहुत रोयी मगर मैं उसे तसल्ली देने के लिए कहता तो क्या कहता! हमारे मन में बार-बार एक ही सवाल उठता कि कहीं हमारी परवरिश में कोई कमी तो नहीं रह गयी।”

बहिष्कार के इंतज़ाम से जब इतना दर्द पहुँचता है, तो हम कैसे कह सकते हैं कि यह एक प्यार-भरा इंतज़ाम है? क्या बाइबल में इसकी वजह दी गयी है? क्यों एक व्यक्‍ति को बहिष्कृत किया जाता है?

बहिष्कार क्यों किया जाता है?

दो वजहों से एक व्यक्‍ति का मंडली से बहिष्कार किया जाता है। पहला, एक बपतिस्मा पाया हुआ व्यक्‍ति गंभीर पाप करता है। दूसरा, वह अपनी गलती पर पश्‍चाताप नहीं करता। एक व्यक्‍ति में जब यह दोनों ही वजह होती हैं, तभी उसे मंडली से बहिष्कृत किया जाता है।

यहोवा यह उम्मीद नहीं करता कि हमसे कभी गलतियाँ नहीं होंगी। मगर पवित्र बने रहने के लिए उसने कुछ स्तर बनाए हैं और वह चाहता है कि हम उसके सेवक होने के नाते उन पर चलें। मिसाल के लिए यहोवा इस बात पर ज़ोर देता है कि हम व्यभिचार, मूर्ति पूजा, चोरी, दूसरों का धन ऐंठना, भूत-विद्या और हत्या जैसे काम न करें।—1 कुरिं. 6:9, 10; प्रका. 21:8.

क्या आप मानते हैं कि यहोवा ने पवित्र बने रहने के लिए जो स्तर हमें दिए हैं वे सही हैं और इनसे हमारी हिफाज़त होती है? हममें से हर कोई यही चाहता है कि हम अच्छे और भरोसेमंद लोगों के बीच रहें, है ना? ऐसा माहौल हमें मसीही भाई-बहनों के बीच ही मिलेगा। इसकी वजह यह है कि जब हम अपनी ज़िंदगी यहोवा को समर्पित करते हैं, तो हम उससे वादा करते हैं कि हम उसके वचन बाइबल में दिए स्तरों के मुताबिक अपनी ज़िंदगी जीएँगे।

लेकिन तब क्या जब एक बपतिस्मा-शुदा मसीही अपनी किसी कमज़ोरी की वजह से गंभीर पाप करता है? पुराने ज़माने में यहोवा के कुछ वफादार सेवकों ने अपनी कमज़ोरियों की वजह से गंभीर पाप किए थे, मगर पश्‍चाताप करने के बाद यहोवा ने उन्हें माफ किया। पाप करने की वजह से यहोवा ने उन्हें पूरी तरह छोड़ नहीं दिया। राजा दाविद की मिसाल लीजिए। दाविद ने व्यभिचार किया और हत्या भी की मगर पश्‍चाताप करने के बाद, नातान नबी ने उससे कहा, “यहोवा ने तेरे पाप को दूर किया है।”—2 शमू. 12:13.

दाविद ने सच्चा पश्‍चाताप दिखाया था इसलिए यहोवा ने उसे माफ किया। (भज. 32:1-5) उसी तरह, आज यहोवा का एक सेवक का बहिष्कार तभी किया जाता है जब वह कोई गंभीर पाप करता है और पश्‍चाताप नहीं दिखाता या फिर उस पाप को लगातार करता रहता है। (प्रेषि. 3:19; 26:20) मंडली के न्याय-समिति के प्राचीन अगर उस भाई या बहन में सच्चा पश्‍चाताप नहीं देखते, तो उस व्यक्‍ति का बहिष्कार किया जाता है।

जब किसी ऐसे व्यक्‍ति का बहिष्कृत किया जाता है जो हमारे परिवार का सदस्य है या फिर हमारा दोस्त है, तो हमें लग सकता है कि यह फैसला जल्दबाज़ी में लिया गया और यह एक कठोर फैसला था। मगर बाइबल ऐसे ढेरों वजह देती है जिससे हम यकीन रख सकते हैं कि यह वाकई यहोवा का एक प्यार-भरा इंतज़ाम है।

बहिष्कार के इंतज़ाम से फायदा होता है

“बुद्धि अपने कामों से सही साबित होती है।” (मत्ती 11:19) जब प्राचीन बहुत सोच-विचार करने के बाद किसी भाई या बहन को बहिष्कृत करने का फैसला लेते हैं, तो इसके अच्छे नतीजे निकलते हैं। आगे बतायी तीन वजहों पर गौर कीजिए:

गलती करनेवाले को बहिष्कार करने से यहोवा के नाम की महिमा होती है। हम यहोवा के नाम से पहचाने जाते हैं इसलिए ज़रूरी है कि हम अपने चालचलन और व्यवहार से इस नाम को बदनाम न करें। (यशा. 43:10) एक बेटा अपने व्यवहार से अपने माता-पिता का दिल या तो खुश कर सकता है या दुखी कर सकता है। ठीक उसी तरह, दुनिया के लोग यहोवा के बारे में कैसा महसूस करेंगे यह काफी हद तक हमारे चालचलन पर निर्भर करता है। जब यहोवा के लोग उसके स्तरों के मुताबिक अपनी ज़िंदगी जीते हैं, तो यहोवा का नाम रौशन होता है। भविष्यवक्ता यहेजकेल के दिनों में भी ऐसा ही था। उस ज़माने के लोग, यहूदियों को यहोवा के नाम से जोड़ते थे।—यहे. 36:19-23.

अगर हम लगातार अनैतिक काम करते रहते हैं, तो यहोवा का नाम बदनाम होता है। प्रेषित पतरस ने मसीहियों को यह सुझाव दिया, “आज्ञा माननेवाले बच्चों की तरह, अपनी उन ख्वाहिशों के मुताबिक खुद को ढालना बंद करो जो तुम्हारे अंदर उस वक्‍त थीं जब तुम परमेश्वर का ज्ञान नहीं रखते थे। मगर उस पवित्र परमेश्वर की तरह, जिसने तुम्हें बुलाया है, तुम भी अपने सारे चालचलन में पवित्र बनो क्योंकि यह लिखा है: ‘तुम्हें पवित्र होना है क्योंकि मैं पवित्र हूँ।’” (1 पत. 1:14-16) हमारा पवित्र चालचलन यहोवा के नाम की महिमा करता है।

अगर यहोवा का एक साक्षी गलत काम करने में लगा रहता है, तो एक-ना-एक दिन उसके दोस्तों, परिवारवालों और जान-पहचानवालों को इस बारे में पता चल ही जाएगा। बहिष्कार का इंतज़ाम इस बात का सबूत है कि यहोवा के लोग पवित्र हैं और वे उसके स्तरों के मुताबिक ज़िंदगी जीते हैं। स्विट्ज़रलैंड की एक मंडली में एक बार एक अनजान व्यक्‍ति आया। उसने कहा कि वह मंडली का एक सदस्य बनना चाहता है। उस आदमी की बहन को अनैतिकता की वजह से मंडली से बहिष्कार किया गया था। फिर भी, उस आदमी ने कहा कि वह एक ऐसे संगठन से जुड़ना चाहता है, “जो गलत कामों को बरदाश्त नहीं करती।”

बहिष्कार का इंतज़ाम मसीही मंडली को पवित्र रखता है। प्रेषित पौलुस ने मसीहियों को चेतावनी दी कि वे अपने बीच किसी ऐसे पापी को न रहने दें जो जान-बूझकर पाप करता रहता है। इनकी तुलना पौलुस ने खमीर से की जो पूरे आटे को खट्टा कर सकता है यानी ऐसे लोग जिनका पूरी मंडली पर बुरा असर पड़ सकता है। उसने कहा, “ज़रा-सा खमीर पूरे गुँधे हुए आटे को खमीर कर देता है?” इसलिए उसने मसीहियों को सलाह दी, “उस दुष्ट आदमी को अपने बीच से निकाल बाहर करो।”—1 कुरिं. 5:6, 11-13.

आयत में पौलुस ने जिस “दुष्ट आदमी” का ज़िक्र किया वह खुलेआम अनैतिक काम कर रहा था। यही नहीं, मंडली के दूसरे सदस्य उसके इस चालचलन को सही ठहराने लगे थे। (1 कुरिं. 5:1, 2) अगर इस तरह के गलत काम को नज़रअंदाज़ किया जाता, तो मंडली के दूसरे मसीहियों पर इसका बुरा असर पड़ सकता था। शायद उनके मन में यह खयाल आ सकता था कि वे भी नैतिक मामलों में अपने शहर के लोगों के स्तरों के मुताबिक जी सकते हैं। जानबूझकर पाप करना दिखाता है कि हमारी नज़र में परमेश्वर के स्तरों की कोई अहमियत नहीं है। (सभो. 8:11) इतना ही नहीं, बाइबल पश्‍चाताप न करनेवाले इन पापियों के बारे में कहती है कि वे “समुद्र के पानी में छिपी चट्टानों’ की तरह हैं जो मंडली में दूसरों के विश्वास को तहस-नहस कर सकते हैं।—यहू. 4, 12.

बहिष्कृत किए जाने से गलती करनेवाले को अपनी गलती का एहसास होता है। एक बार यीशु ने एक ऐसे जवान आदमी का ज़िक्र किया जो अपने पिता की संपत्ति से अपना हिस्सा लेकर घर से दूर चला जाता है। वह पूरा पैसा गलत कामों में उड़ा देता है और एकदम खराब ज़िंदगी जीता है। मगर ज़िंदगी में कई तरह की मुश्किलें झेलने के बाद, उसे होश आ जाता है। उसे एहसास होता है कि बाहर की दुनिया खोखली और ज़ालिम है। आखिरकार जब इस बेटे के होश ठिकाने आते हैं, वह पश्‍चाताप करता है और वापस अपने घर लौट आता है। (लूका 15:11-24) बेटे के घर लौटने पर पिता की जो भावनाएँ यीशु ने बतायी, उससे हमें पता चलता है कि यहोवा कैसा महसूस करता है। यहोवा हमें यकीन दिलाता है कि वह “दुष्ट के मरने से . . . प्रसन्न नहीं होता, परन्तु इस से कि दुष्ट अपने मार्ग से फिरकर जीवित रहे।”—यहे. 33:11.

बहिष्कार किए जानेवालों का जब मंडली से नाता टूट जाता है, तो वे समझते हैं कि उन्होंने क्या खोया है। हो सकता है वे उन मीठे पलों को याद करें जब यहोवा और उसके सेवकों के साथ उनका अच्छा रिश्ता था। मगर पाप करने के बाद मानो उनकी ज़िंदगी की मिठास पूरी तरह खत्म हो गयी है। इन पलों को याद करके शायद वे फिर से यहोवा की तरफ लौट आएँ।

अच्छे नतीजे पाने के लिए प्यार के साथ-साथ सख्ती बरतना भी ज़रूरी है। भजनहार दाविद ने कहा, “धर्मी मुझ को मारे तो यह कृपा मानी जाएगी, और वह मुझे ताड़ना दे, तो यह मेरे सिर पर का तेल ठहरेगा।” (भज. 141:5) इसे समझने के लिए एक मिसाल लीजिए। सोचिए कि एक व्यक्‍ति बर्फीले पहाड़ पर चढ़ रहा है। वह चढ़ते-चढ़ते थककर चूर हो जाता है। उसका शरीर ठंड से सुन्न पड़ जाता है और उसे नींद आने लगती है। अगर वह सो गया तो वह मर सकता है। इसलिए उसका साथी उसे जगाए रखने के लिए उसे बीच-बीच में थप्पड़ मारता रहता है जब तक कि बचाव दल के लोग उनकी मदद के लिए नहीं आ जाते। उस थप्पड़ से उस व्यक्‍ति को दर्द तो ज़रूर होगा मगर इससे उसकी जान बच जाती है। ठीक उसी तरह, दाविद कहता है कि एक नेक इंसान शायद उसको ताड़ना या अनुशासन दे जिससे दर्द हो, मगर यह उसके भले के लिए है।

अकसर जब पाप करनेवाले किसी का बहिष्कार किया जाता है, तो वह अपनी गलती सुधारने की कोशिश करता है। लेख की शुरूआत में भाई हुलयॉन के जिस बेटे का ज़िक्र किया गया, उसने पाप करने के दस साल बाद अपनी ज़िंदगी में बदलाव किए, वापस मंडली में लौट आया और आज वह एक प्राचीन के तौर पर सेवा कर रहा है। वह कहता है, “बहिष्कृत होने के बाद मुझे एहसास हुआ कि मैंने ज़िंदगी में जो गलत काम किए हैं उनका अंजाम क्या है। मुझे इस सख्त अनुशासन की ज़रूरत थी।”—इब्रा. 12:7-11.

बहिष्कृत हुए लोगों के साथ प्यार से पेश आइए

यह सच है कि एक मायने में बहिष्कार, एक आध्यात्मिक दुर्घटना है लेकिन यह ज़रूरी नहीं कि यह एक हादसा बन जाए। अगर हम चाहते हैं कि बहिष्कार के इंतज़ाम से पाप करनेवाले को फायदा हो, तो हम सबको अपना भाग अदा करना होगा।

पश्‍चाताप करनेवाले को यहोवा की तरफ लौट आने के लिए मदद दी जाती है

प्राचीन जब किसी को बताते हैं कि उसे मंडली से बहिष्कृत किया गया है, तो उन्हें बहुत दुख होता है। लेकिन यह बताते वक्‍त वे यहोवा के प्यार का गुण ज़ाहिर करते हैं। जब वे उसे अपना फैसला सुनाते हैं तो वे साफ शब्दों में और प्यार से उसे यह भी बताते हैं कि वापस मंडली में आने के लिए वह क्या कदम उठा सकता है। समय के गुज़रते प्राचीन गौर करते हैं कि क्या बहिष्कार किया गया व्यक्‍ति अपनी ज़िंदगी में थोड़ा-बहुत बदलाव कर रहा है। वे उस व्यक्‍ति से जाकर मिलते हैं और उसे दोबारा याद दिलाते हैं कि वह वापस मंडली में आने के लिए क्या कर सकता है। *

परिवार के सदस्य जब बहिष्कार के इंतज़ाम का सहयोग करते हैं, तो वे दिखाते हैं कि वे मंडली से और गलती करनेवाले से प्यार करते हैं। भाई हुलयॉन कहते हैं, “पाप करने के बाद भी मेरा बेटा, मेरा बेटा ही था, फर्क बस इतना था कि उसके जीने के तरीके से हम दोनों के बीच एक दीवार खड़ी हो गयी थी।”

मंडली के भाई-बहन बाइबल सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए बहिष्कृत व्यक्‍ति से किसी भी तरह का संपर्क न करके यहोवा के इंतज़ाम के लिए आदर दिखा सकते हैं। (1 कुरिं. 5:11; 2 यूह. 10, 11) इस तरह भाई-बहन दिखाते हैं कि प्राचीनों के ज़रिए यहोवा ने अनुशासन देने का जो इंतज़ाम किया है, उसका वे समर्थन करते हैं। वे बहिष्कार किए गए व्यक्‍ति के परिवार के सदस्यों के साथ और भी ज़्यादा प्यार से पेश आ सकते हैं और उनका सहारा बन सकते हैं, क्योंकि इस फैसले से उन पर गहरा असर पड़ता है। उन्हें यह महसूस नहीं होना चाहिए कि उनके परिवार में किसी के बहिष्कृत होने से, उन्हें भी भाई-बहनों की संगति से दूर रखा जा रहा है।—रोमि. 12:13, 15.

भाई हुलयॉन कहता है, “बहिष्कार का इंतज़ाम इंसानों के लिए बहुत ज़रूरी है, ताकि हम यहोवा के स्तरों के मुताबिक अपनी ज़िंदगी जीएँ। हालाँकि इससे हमें थोड़ा दर्द होता है मगर आगे चलकर इसके अच्छे नतीजे निकलते हैं। अगर मैं अपने बेटे के गलत कामों को नज़रअंदाज़ करता रहता तो वह कभी सुधर नहीं पाता।”

^ पैरा. 24 फरवरी 1, 1992 की प्रहरीदुर्ग का पेज 17-18 देखिए।