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हमारी उपासना की जगह

हमारी उपासना की जगह

“तेरे घर के लिए जोश की आग मुझे भस्म कर देगी।”—यूह. 2:17.

गीत: 13, 21

1, 2. (क) बीते ज़माने में, यहोवा के सेवक उसकी उपासना कहाँ करते थे? (ख) यरूशलेम में यहोवा के मंदिर के बारे में यीशु कैसा महसूस करता था? (ग) इस लेख में हम क्या चर्चा करेंगे?

बीते ज़माने की बात हो या आज की, यहोवा के सेवकों की हमेशा उपासना की एक जगह रही है। मिसाल के लिए, जब हाबिल ने यहोवा के लिए बलिदान चढ़ाए, तो शायद उसने एक वेदी बनायी होगी। (उत्प. 4:3, 4) नूह, अब्राहम, इसहाक, याकूब, मूसा इन सबने वेदियाँ बनायीं। (उत्प. 8:20; 12:7; 26:25; 35:1; निर्ग. 17:15) यहोवा ने इसराएलियों को हिदायत दी कि वे निवासस्थान बनाएँ। (निर्ग. 25:8) आगे चलकर, उसने उन्हें मंदिर बनाने की हिदायत दी। (1 राजा 8:27, 29) जब परमेश्वर के लोग बैबिलोन की बँधुआई से वापस आए, तो वे लगातार सभा-घर में मिलते थे। (मर. 6:2; यूह. 18:20; प्रेषि. 15:21) पहली सदी के मसीही, घरों में इकट्ठा होते थे। (प्रेषि. 12:12; 1 कुरिं. 16:19) आज पूरी दुनिया में यहोवा के साक्षी सैकड़ों-हज़ारों राज-घरों में मिलते हैं, जहाँ वे यहोवा के बारे में सीखते हैं और उसकी उपासना करते हैं।

2 यरूशलेम में यहोवा का जो मंदिर था, उसके लिए यीशु के दिल में गहरा आदर था। मंदिर के लिए यीशु की कदरदानी और प्यार देखकर उसके चेलों को भजनहार के शब्द याद आ गए, “तेरे घर के लिए जोश की आग मुझे भस्म कर देगी।” (भज. 69:9; यूह. 2:17) कोई भी राज-घर उस मायने में ‘यहोवा का भवन’ नहीं है, जिस मायने में यरूशलेम का मंदिर था। (2 इति. 5:13; 33:4) फिर भी हमारी उपासना की जगह के लिए हमारे दिल में गहरा आदर होना चाहिए। इस लेख में, हम बाइबल के ऐसे सिद्धांतों पर चर्चा करेंगे, जिनसे हम सीखेंगे कि हमें राज-घर में कैसे पेश आना चाहिए। हम यह भी सीखेंगे कि हमें उनका रख-रखाव कैसे करना चाहिए और उनके निर्माण और मरम्मत के लिए हम कैसे योगदान दे सकते हैं। *

हम सभाओं के लिए आदर दिखाते हैं

3-5. (क) राज-घर क्या होता है? (ख) हमें अपनी सभाओं के बारे में कैसा महसूस करना चाहिए?

3 राज-घर ऐसी खास जगह होती है, जहाँ लोग यहोवा की उपासना के लिए इकट्ठा होते हैं। राज-घरों में रखी जानेवाली सभाएँ परमेश्वर की तरफ से एक तोहफा हैं। इन सभाओं की मदद से हम यहोवा के साथ अपना रिश्ता मज़बूत कर पाते हैं। सभाओं के ज़रिए यहोवा का संगठन हमारा हौसला बढ़ाता है और हमें ज़रूरी हिदायतें देता है। यह हमारे लिए कितने बड़े सम्मान की बात है कि यहोवा और उसका बेटा हर हफ्ते हमें “यहोवा की मेज़” से खाने का न्यौता देते हैं! हमें इस न्यौते की अहमियत कभी कम नहीं आँकनी चाहिए।—1 कुरिं. 10:21.

4 यहोवा ने हमें साफ-साफ बताया है कि वह चाहता है, हम सभाओं में आकर उसकी उपासना करें और एक-दूसरे का हौसला बढ़ाएँ। (इब्रानियों 10:24, 25 पढ़िए।) अगर हम बिना किसी वाजिब कारण के इन सभाओं में गैर-हाज़िर रहते हैं, तो क्या हम यहोवा के लिए आदर दिखा रहे होंगे? जब हम सभाओं की तैयारी करके आते हैं और दिल से उनमें हिस्सा लेते हैं तो हम सभाओं के लिए कदरदानी दिखाते हैं।—भज. 22:22.

5 हम सभाओं में जिस तरह पेश आते हैं और अपने राज-घर की जिस तरह देखभाल करते हैं, उससे पता चलता है कि हम यहोवा का कितना आदर करते हैं। हम चाहते हैं कि हमारे व्यवहार से यहोवा के नाम की महिमा हो, जो नाम अकसर हमारे राज-घर के बोर्ड पर लिखा होता है।—1 राजा 8:17 से तुलना कीजिए।

6. लोगों ने हमारे राज-घर और सभाओं में आनेवालों के बारे में क्या कहा? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)

6 जब हम अपने राज-घर के लिए आदर दिखाते हैं, तो अकसर इसका लोगों पर काफी अच्छा असर होता है। उदाहरण के लिए, तुर्की में एक आदमी ने कहा, “मैंने राज-घर में जो साफ-सफाई देखी और सबकुछ जो इतना तरतीब से था, वह मुझे बहुत अच्छा लगा। वहाँ लोग कितने अच्छे से तैयार होकर आए थे, सबके चेहरे पर मुसकान थी और उन्होंने गर्मजोशी से मेरा स्वागत किया। यह बात मेरे दिल को छू गयी।” वह आदमी लगातार सभाओं में आने लगा और जल्द ही उसने बपतिस्मा ले लिया। इंडोनेशिया के एक शहर में, हमारे भाइयों ने अपने पड़ोसियों, वहाँ के नगर-प्रमुख (मेयर) और दूसरे अधिकारियों को अपना नया राज-घर देखने के लिए बुलाया। मेयर ने जब राज-घर का डिज़ाइन देखा और यह भी कि वह कितनी मज़बूती से बनाया गया है, साथ ही वहाँ का खूबसूरत बगीचा देखकर उसका दिल खुश हो गया। उसने कहा, “इस हॉल की साफ-सफाई से पता चलता है कि आपका विश्वास वाकई सच्चा है।”

हमारे व्यवहार से परमेश्वर का अनादर हो सकता है (पैराग्राफ 7, 8 देखिए)

7, 8. जब हम राज-घर में होते हैं, तो हम कैसे दिखाते हैं कि हम यहोवा का आदर करते हैं?

7 सभाओं में आने का न्यौता देनेवाला यहोवा ही है। हम सभाओं के बारे में जो नज़रिया रखते हैं और वहाँ जिस तरह पेश आते हैं उस पर यहोवा ध्यान देता है। इसलिए हम न तो ऐसा कोई कड़ा नियम बनाते हैं कि हमें सभाओं में कैसे पेश आना है और न ही इस बात को हलके में लेते हैं, मानो घर पर आराम फरमा रहे हों। माना कि यहोवा चाहता है कि हम और जिन लोगों को हम राज-घर बुलाते हैं, वे वहाँ अच्छा महसूस करें। लेकिन हम किसी भी तरह यह नहीं दिखाना चाहते कि सभाओं के लिए हमारे दिल में कोई आदर नहीं है। इस वजह से हम सभाओं के लिए बेढंगे कपड़े नहीं पहनते और न ही ऐसे कपड़े पहनते हैं जो उस मौके के हिसाब से सही न हों। इसके अलावा, हमें सभाओं के दौरान मैसेज करना, बातचीत करना और कुछ खाना-पीना नहीं चाहिए। माता-पिताओं को अपने बच्चों को सिखाना चाहिए कि वे राज-घर में यहाँ-वहाँ न दौड़ें और न खेलें-कूदें।—सभो. 3:1.

8 जब यीशु ने देखा कि लोग परमेश्वर के मंदिर में सामान बेच रहे हैं, तो उसे बहुत गुस्सा आया। उसने उन लोगों को मंदिर से खदेड़ दिया। (यूह. 2:13-17) हम राज-घर में यहोवा की उपासना करते हैं और उसके बारे में सीखते हैं। इसलिए वहाँ कारोबार से जुड़े काम करना सही नहीं होगा।—नहेमायाह 13:7, 8 से तुलना कीजिए।

हम राज-घर बनाने में मदद करते हैं

9, 10. (क) यहोवा के लोग राज-घर कैसे बनाते हैं? (ख) इसका क्या नतीजा निकला है? (ग) उन मंडलियों के लिए क्या प्यार-भरा इंतज़ाम किया गया है, जो राज-घर बनाने का खर्च खुद नहीं उठा सकतीं?

9 दुनिया-भर में यहोवा के लोग राज-घर बनाने में कड़ी मेहनत करते हैं। राज-घर का डिज़ाइन तैयार करना, उनका निर्माण करना और उनकी मरम्मत करना, यह सब स्वयंसेवक करते हैं। नतीजा? 1 नवंबर, 1999 से अब तक पूरी दुनिया में मंडलियों के लिए 28,000 से भी ज़्यादा उपासना की खूबसूरत जगह बनायी गयी हैं। इसका मतलब पिछले 15 सालों में, हर दिन औसतन पाँच नए राज-घर बनाए गए हैं।

10 यहोवा का संगठन स्वयंसेवकों की मदद से और खुशी-खुशी दिए गए दान से, जहाँ ज़रूरी है वहाँ राज-घर बनाता है। यह प्यार-भरा इंतज़ाम बाइबल के इस सिद्धांत आधारित है कि जिनके पास बहुतायत में है, वे उनकी मदद करें जिनके पास घटी है। (2 कुरिंथियों 8:13-15 पढ़िए।) नतीजा, उन मंडलियों के लिए खूबसूरत राज-घर बनाए गए हैं, जिन्हें बनाने का खर्च मंडलियाँ खुद नहीं उठा सकती थीं।

11. (क) कुछ भाई-बहन अपने नए राज-घर के बारे में क्या कहते हैं? (ख) उनके अनुभव सुनकर आपको कैसा महसूस होता है?

11 कोस्टारिका की एक मंडली के भाइयों ने लिखा, “जब हम राज-घर के सामने खड़े होते हैं, तो हमें ऐसा लगता है मानो हम सपना देख रहे हैं! हमें अपनी आँखों पर यकीन ही नहीं होता। हमारे खूबसूरत राज-घर का सारा काम सिर्फ आठ दिन में पूरा हो गया! यह सब यहोवा की आशीष, संगठन के इंतज़ाम और हमारे प्यारे भाई-बहनों की मदद से ही मुमकिन हो पाया। उपासना की यह जगह वाकई यहोवा से मिला एक अनमोल तोहफा है, एक हीरा है! इसे देखकर हमारा दिल खुशी से उमड़ने लगता है।” नए राज-घर के लिए एहसान भरी बातें सुनकर क्या आपको खुशी नहीं होती? और जब आप यह सुनते हैं कि पूरी दुनिया में हज़ारों जगहों पर हमारे भाई-बहन ऐसी ही खुशी पा रहे हैं, तो क्या आप उमंग से नहीं भर जाते? यह साफ ज़ाहिर है कि राज-घर के निर्माण काम पर यहोवा की आशीष है। क्योंकि जैसे ही राज-घर बनकर तैयार होते हैं, तो अकसर देखा गया है कि वहाँ और भी ज़्यादा लोग यहोवा के बारे में सीखने के लिए सभाओं में आने लगते हैं।—भज. 127:1.

12. आप राज-घर के निर्माण काम में किन तरीकों से मदद कर सकते हैं?

12 आप राज-घर के निर्माण काम में किन तरीकों से मदद कर सकते हैं? आप चाहें तो उस काम में हाथ बँटा सकते हैं। इतना ही नहीं, हम सभी राज-घर निर्माण काम के लिए दान दे सकते हैं। इस काम में सहयोग देने के लिए जब हम अपना भरसक करते हैं, तो हमें बेहद खुशी होती है और इससे भी बढ़कर, हम यहोवा की महिमा कर रहे होते हैं। ऐसा करके हम पुराने ज़माने के उन वफादार सेवकों की मिसाल पर चलते हैं, जिन्होंने खुशी-खुशी उपासना की जगहों के लिए दान दिया था।—निर्ग. 25:2; 2 कुरिं. 9:7.

हम अपना राज-घर साफ-सुथरा रखते हैं

13, 14. बाइबल की किस बात से पता चलता है कि हमें अपना राज-घर साफ-सुथरा रखना चाहिए और वहाँ की हर चीज़ कायदे से होनी चाहिए?

13 हम शुद्ध और पवित्र परमेश्वर की उपासना करते हैं, एक ऐसे परमेश्वर की जो सबकुछ व्यवस्थित तरीके से करता है। वह चाहता है कि हम भी सबकुछ व्यवस्थित तरीके से करें। इसलिए ज़रूरी है कि हमारा राज-घर साफ-सुथरा हो और वहाँ की हर चीज़ व्यवस्थित तरीके से रखी हो। (1 कुरिंथियों 14:33, 40 पढ़िए।) और हाँ, यहोवा की तरह शुद्ध और पवित्र होने का मतलब सिर्फ उपासना, सोच और कामों में शुद्ध होना नहीं है, बल्कि हमें शरीर से भी शुद्ध या साफ-सुथरे होना चाहिए।—प्रका. 19:8.

14 जब हम अपना राज-घर साफ-सुथरा रखेंगे, तो हम लोगों को सभाओं के लिए गर्व से बुला पाएँगे। वहाँ आकर लोग देख पाएँगे कि हम एक साफ-सुथरी नयी दुनिया के बारे में जो बातें सिखाते हैं, उन्हें लागू भी करते हैं। वे देख पाएँगे कि हम एक शुद्ध और पवित्र परमेश्वर की उपासना करते हैं, जो बहुत जल्द इस धरती को खूबसूरत फिरदौस में बदल देगा।—यशा. 6:1-3; प्रका. 11:18.

15, 16. (क) राज-घर की साफ-सफाई करना क्यों हमेशा आसान नहीं होता? (ख) हमें क्यों राज-घर को साफ-सुथरा रखना चाहिए? (ग) आपके राज-घर की साफ-सफाई का क्या इंतज़ाम किया गया है? और हम सभी को क्या सम्मान मिला है?

15 साफ-सफाई के बारे में लोगों की अलग-अलग राय होती है। ऐसा क्यों? क्योंकि लोग जैसे माहौल में पले-बढ़े होते हैं, साफ-सफाई के बारे में उनका वैसा ही नज़रिया होता है। कुछ लोग ऐसी जगह रहते हैं जहाँ बहुत धूल-मिट्टी होती है या जहाँ की सड़कें बहुत गंदी और कीचड़ से भरी होती हैं। कुछ ऐसे हैं जिनके यहाँ पानी या साफ-सफाई की चीज़ों की कमी होती है। लेकिन हम चाहे जहाँ भी रहते हों या हमारे इलाके के लोग साफ-सफाई के बारे में जो भी नज़रिया रखते हों, हमें अपना राज-घर साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखना चाहिए। ध्यान रखिए, राज-घर ऐसी जगह होती है जहाँ हम यहोवा की उपासना करते हैं।—व्यव. 23:14.

16 अगर हम चाहते हैं कि हमारा राज-घर साफ-सुथरा रहे तो हमें खुद भी व्यवस्थित होना चाहिए। मंडली के प्राचीनों को राज-घर की साफ-सफाई के लिए एक शेड्यूल बनाना चाहिए और इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हमेशा साफ-सफाई के लिए ज़रूरी चीज़ें मौजूद हों। राज-घर की साफ-सफाई में कुछ काम ऐसे होते हैं, जो हर सभा के बाद किए जाने चाहिए और कुछ काम ऐसे हैं, जो थोड़े लंबे समय बाद भी किए जा सकते हैं। इसलिए ज़रूरी है कि प्राचीन साफ-सफाई के काम का अच्छा इंतज़ाम करें, ताकि कोई काम छूटने न पाए। राज-घर की साफ-सफाई में हिस्सा लेना हम सभी के लिए एक सम्मान की बात है।

हम अपने राज-घर की देखरेख करते हैं

17, 18. (क) बीते ज़माने में यहोवा के सेवकों ने मंदिर की जिस तरह देखरेख की, उससे हम क्या सीख सकते हैं? (ख) हमें अपने राज-घर की देखरेख क्यों करनी चाहिए?

17 हम अपने राज-घर को अच्छी हालत में भी रखते हैं। इसके लिए हम ज़रूरत के हिसाब से उसकी मरम्मत करते हैं। बीते ज़माने में यहोवा के सेवकों ने ऐसा ही किया। मिसाल के लिए, यहूदा के राजा योआश के शासन में, लोगों ने मंदिर के लिए दान दिया। फिर राजा ने याजकों को आज्ञा दी कि मंदिर में जहाँ कहीं टूट-फूट हुई हो, वे दान के पैसों से उसकी मरम्मत करवाएँ। (2 राजा 12:4, 5) फिर 200 साल बाद, राजा योशिय्याह ने भी मंदिर के लिए मिलनेवाले दान से मंदिर की मरम्मत करवायी।—2 इतिहास 34:9-11 पढ़िए।

18 कुछ शाखा-समितियों ने गौर किया है कि उनके देश में लोग इमारतों या चीज़ों को अच्छी हालत में रखने के आदी नहीं हैं। शायद इन देशों में कुछ ही लोग मरम्मत का काम जानते हों या हो सकता है उनके पास इतने पैसे न हों कि वे मरम्मत करा सकें। लेकिन हम अगर ज़रूरत पड़ने पर अपने राज-घर की मरम्मत न कराएँ, तो वह खराब दिखने लगेगा और इससे लोगों को अच्छी गवाही नहीं मिलेगी। इसके बजाय, जब हम अपने राज-घर की देखरेख करने में अपनी तरफ से हर मुमकिन कोशिश करते हैं, तो हम यहोवा की महिमा करते हैं और अपने भाई-बहनों का दिया दान बेकार नहीं होने देते।

हमें अपने राज-घर को साफ-सुथरा और अच्छी हालत में रखना चाहिए (पैराग्राफ 16, 18 देखिए)

19. आप जहाँ यहोवा की उपासना करते हैं उस जगह के लिए कैसे आदर दिखाएँगे?

19 राज-घर यहोवा को समर्पित एक भवन है। यह किसी व्यक्‍ति या मंडली की अपनी जायदाद नहीं है। जैसे हमने इस लेख में चर्चा की, बाइबल सिद्धांतों की मदद से हम उपासना की जगह के बारे में सही नज़रिया रख पाएँगे। हम यहोवा का आदर करते हैं, इसलिए हम अपनी सभाओं और राज-घर का भी आदर करते हैं। हम खुशी-खुशी दान देते हैं ताकि और भी राज-घर बनाए जा सकें। साथ ही, उनकी देखरेख करने और उन्हें साफ-सुथरा रखने में कड़ी मेहनत करते हैं। हम जहाँ यहोवा की उपासना करते हैं, उस जगह के लिए वैसा ही जोश और आदर दिखाते हैं जैसा यीशु ने दिखाया था।—यूह. 2:17.

^ पैरा. 2 इस लेख में राज-घरों के बारे में बात की गयी है। लेकिन इसमें बतायी बातें सम्मेलन भवन और उन जगहों पर भी लागू होती हैं, जिन्हें यहोवा की उपासना के लिए इस्तेमाल किया जाता है।