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नौजवानो—क्या आप बपतिस्मे के लिए तैयार हैं?

नौजवानो—क्या आप बपतिस्मे के लिए तैयार हैं?

“तुममें से ऐसा कौन है जो एक बुर्ज बनाना चाहता हो और पहले बैठकर इसमें लगनेवाले खर्च का हिसाब न लगाए, ताकि देख सके कि उसे पूरा करने के लिए उसके पास काफी पैसा है कि नहीं?”—लूका 14:28.

गीत: 6, 34

अगले दो लेख उन नौजवानों के लिए हैं जो बपतिस्मा लेना चाहते हैं

1, 2. (क) आज परमेश्वर के लोगों को किस बात से खुशी मिलती है? (ख) मसीही माता-पिता और प्राचीन यह समझने में नौजवानों की कैसे मदद कर सकते हैं कि बपतिस्मे का क्या मतलब है?

एक प्राचीन ने 12 साल के क्रिस्टफर से कहा, ‘मैं तुम्हें तब से जानता हूँ जब तुम दूध पीते बच्चे थे। मुझे खुशी है कि तुम बपतिस्मा लेना चाहते हो। वैसे मैं पूछना चाहूँगा, “तुम ऐसा क्यों करना चाहते हो?”’ उस प्राचीन का ऐसा पूछना सही था। जब हम सुनते हैं कि हर साल पूरी दुनिया में हज़ारों नौजवान बपतिस्मा ले रहे हैं, तो हमें बेहद खुशी होती है। (सभो. 12:1) वहीं मसीही माता-पिता और प्राचीन जानना चाहते हैं कि क्या नौजवान अपनी मरज़ी से यह फैसला लेते हैं और यह समझते हैं कि बपतिस्मा लेने का क्या मतलब है।

2 बाइबल से पता चलता है कि समर्पण और बपतिस्मे से एक मसीही की नयी ज़िंदगी की शुरूआत होती है। इस नयी ज़िंदगी में उसे यहोवा से ढेरों आशीषें मिलेंगी, लेकिन उसे शैतान के विरोध का भी सामना करना पड़ेगा। (नीति. 10:22; 1 पत. 5:8) इसलिए मसीही माता-पिताओं को समय निकालकर अपने बच्चों को सिखाना चाहिए कि मसीह के चेले होने का क्या मतलब है। जिन नौजवानों के माता-पिता सच्चाई में नहीं हैं, उन्हें प्राचीन प्यार से समझाएँगे कि समर्पण और बपतिस्मे के बाद उन पर क्या ज़िम्मेदारी आएगी। (लूका 14:27-30 पढ़िए।) जैसे किसी इमारत का निर्माण काम पूरा करने के लिए पहले से तैयारी करनी होती है, वैसे ही नौजवानों को बपतिस्मा लेने से पहले तैयारी करनी चाहिए, ताकि वे “अंत तक” वफादारी से यहोवा की सेवा कर सकें। (मत्ती 24:13) नौजवानों को ठान लेना चाहिए कि वे हमेशा यहोवा की सेवा करेंगे। लेकिन इसमें क्या बात उनकी मदद करेगी? आइए देखें।

3. (क) यीशु और पतरस की बातों से बपतिस्मे की अहमियत के बारे में हम क्या सीखते हैं? (मत्ती 28:19, 20; 1 पत. 3:21) (ख) हम किन सवालों पर गौर करेंगे और क्यों?

3 क्या आप एक नौजवान हैं और बपतिस्मा लेना चाहते हैं? अगर हाँ, तो आपने एक बेहतरीन लक्ष्य रखा है। बपतिस्मा लेकर यहोवा का साक्षी होना बड़े सम्मान की बात है। एक मसीही बनने के लिए बपतिस्मा लेना ज़रूरी है और महा-संकट से बचने के लिए भी यह एक ज़रूरी कदम है। (मत्ती 28:19, 20; 1 पत. 3:21) जब आप बपतिस्मा लेते हैं, तो आप सरेआम यह ज़ाहिर करते हैं कि आपने हमेशा यहोवा की सेवा करने का वादा किया है। आप ज़रूर इस वादे पर खरे उतरना चाहते होंगे। तो आगे बताए सवाल यह जानने में आपकी मदद करेंगे कि क्या आप बपतिस्मे के लिए तैयार हैं: (1) क्या मैं इतना प्रौढ़ या समझदार हूँ कि खुद बपतिस्मे का फैसला ले सकूँ? (2) क्या मैं अपनी इच्छा से ऐसा करना चाहता हूँ? (3) क्या मैं समझता हूँ कि समर्पण करने का क्या मतलब है? आइए इन सवालों पर गौर करें।

जब आप इतने समझदार हों कि खुद फैसला ले सकें

4, 5. (क) यह क्यों कहा जा सकता है कि बपतिस्मा सिर्फ बड़ी उम्रवाले ही नहीं ले सकते? (ख) एक मसीही के लिए समझदार होने का क्या मतलब है?

4 बाइबल यह नहीं कहती कि बपतिस्मा लेने की कोई खास उम्र है या वही बपतिस्मा ले सकते हैं जो उम्र में बड़े हैं। नीतिवचन 20:11 में हम पढ़ते हैं, “लड़का भी अपने कामों से पहिचाना जाता है, कि उसका काम पवित्र और सीधा है या नहीं।” इसका मतलब, एक बच्चा भी यह समझ सकता है कि सही काम करने और सृष्टिकर्ता को अपनी ज़िंदगी समर्पित करने का क्या मतलब है। तो फिर बपतिस्मा उस नौजवान के लिए एक ज़रूरी और सही फैसला होगा, जिसने साबित किया है कि वह समझदार है और जो यहोवा को अपनी ज़िंदगी समर्पित कर चुका है।—नीति. 20:7.

5 प्रौढ़ या समझदार होने का क्या मतलब है? समझदारी एक इंसान की उम्र या कद-काठी पर निर्भर नहीं करती। बाइबल बताती है कि समझदार लोग “अपनी सोचने-समझने की शक्‍ति का इस्तेमाल करते-करते, सही-गलत में फर्क करने के लिए इसे प्रशिक्षित कर लेते हैं।” बाइबल यह भी सलाह देती है कि हम “प्रौढ़ता के लक्ष्य तक बढ़ते जाएँ।” (इब्रा. 5:14) इसलिए समझदार व्यक्‍ति जानता है कि यहोवा की नज़र में क्या सही है और वैसा ही करने की मन में ठान लेता है। उसे आसानी से गलत काम करने के लिए बहकाया नहीं जा सकता। और न ही उसे हर वक्‍त कोई ऐसा व्यक्‍ति चाहिए जो उसे बताए कि सही क्या है। इसलिए बपतिस्मा-शुदा नौजवान से यह उम्मीद करना सही है कि वह हमेशा सही काम करेगा, तब भी जब उसके माता-पिता या कोई बड़ा आस-पास न हो।—फिलिप्पियों 2:12 से तुलना कीजिए।

6, 7. (क) समझाइए कि जब दानिय्येल बैबिलोन में था, तो उसे किन मुश्किलों का सामना करना पड़ा। (ख) दानिय्येल ने कैसे दिखाया कि वह समझदार है?

6 क्या एक नौजवान सच में इस तरह की समझदारी दिखा सकता है? ज़रा दानिय्येल के उदाहरण पर गौर कीजिए। जब उसे उसके माता-पिता से दूर बैबिलोन ले जाया गया, तब वह शायद नौजवान ही था। अचानक वह ऐसे लोगों के बीच में आ गया जो परमेश्वर की आज्ञाएँ नहीं मानते थे। लेकिन आइए हम उसके हालात पर करीबी से गौर करें। बैबिलोन में दानिय्येल उन नौजवानों में से एक था, जिन्हें राजा की सेवा करने के लिए सोच-समझकर चुना गया था। उसे वहाँ खास सम्मान दिया जाता था। (दानि. 1:3-5, 13) ऐसा लगता है कि बैबिलोन में दानिय्येल की जो हैसियत थी, वह इसराएल में शायद ही कभी उसे मिलती।

7 इस पर दानिय्येल ने कैसा रवैया दिखाया? क्या उसने बैबिलोन के लोगों को उसे बदलने दिया या उसका विश्वास कमज़ोर करने दिया? हरगिज़ नहीं! बाइबल कहती है कि दानिय्येल जब बैबिलोन में था, तब उसने ‘अपने मन में ठान लिया कि वह अपवित्र नहीं होगा,’ यानी ऐसा कुछ नहीं करेगा जो झूठी उपासना से जुड़ा है। (दानि. 1:8) यह दिखाता है कि वह वाकई समझदार था!

एक समझदार नौजवान ऐसा नहीं करेगा कि राज-घर में परमेश्वर का दोस्त होने का दिखावा करे और स्कूल में दुनिया का दोस्त (पैराग्राफ 8 देखिए)

8. दानिय्येल की मिसाल से आप क्या सीख सकते हैं?

8 दानिय्येल की मिसाल से आप क्या सीख सकते हैं? एक प्रौढ़ या समझदार नौजवान मुश्किल हालात में भी अपने विश्वास में अटल बना रहेगा। वह गिरगिट की तरह माहौल देखकर अपना रंग नहीं बदलेगा। वह ऐसा नहीं करेगा कि राज-घर में परमेश्वर का दोस्त होने का दिखावा करे और स्कूल में दुनिया का दोस्त। इसके बजाय, वह तब भी वफादार रहेगा, जब उसके विश्वास की परख होती है।—इफिसियों 4:14, 15 पढ़िए।

9, 10. (क) जब एक नौजवान सोचता है कि हाल ही में विश्वास की परख होने पर उसने क्या किया, तो उसे कैसे फायदा हो सकता है? (ख) बपतिस्मे का क्या मतलब है?

9 हममें से कोई सिद्ध नहीं है। हम सबसे गलतियाँ हो जाती हैं, चाहे हम बच्चे हों या जवान। (सभो. 7:20) लेकिन अगर आप बपतिस्मा लेना चाहते हैं, तो यह जानना बुद्धिमानी होगी कि यहोवा की आज्ञा मानने का आपका इरादा कितना अटल है। खुद से पूछिए, ‘क्या मैं काफी समय से लगातार यहोवा की आज्ञा मान रहा हूँ?’ सोचिए कि पिछली बार जब आपके विश्वास की परख हुई तब आपने क्या किया था। क्या आप यह समझ पाए थे कि क्या करना सही है? दानिय्येल की तरह, क्या किसी ने आपको शैतान की दुनिया में अपना हुनर लगाने का बढ़ावा दिया है? जब इस तरह आपको लुभाया जाता है, तो क्या आप समझ पाते हैं कि यहोवा की मरज़ी क्या है?—इफि. 5:17.

10 इन सवालों के जवाब जानना क्यों ज़रूरी है? इनसे आप समझ पाएँगे कि बपतिस्मा कितना गंभीर फैसला है। बपतिस्मा लेकर आप सरेआम यह ज़ाहिर करते हैं कि आपने यहोवा से एक अहम वादा किया है। आपने वादा किया है कि आप पूरे दिल से हमेशा यहोवा से प्यार करेंगे और उसकी सेवा करेंगे। (मर. 12:30) बपतिस्मा लेनेवाले हर व्यक्‍ति को ठान लेना चाहिए कि वह यहोवा से किया अपना वादा ज़रूर निभाएगा।—सभोपदेशक 5:4, 5 पढ़िए।

क्या यह आपका अपना फैसला है?

11, 12. (क) जो बपतिस्मा लेना चाहता है, उसे क्या पक्का कर लेना चाहिए? (ख) यहोवा ने बपतिस्मे का जो इंतज़ाम किया है, उसे सही नज़र से देखने में क्या बात आपकी मदद करेगी?

11 बाइबल कहती है कि यहोवा के सभी लोगों को, यहाँ तक कि बच्चों को भी ‘स्वेच्छा’ से यानी अपनी इच्छा से यहोवा की सेवा करनी चाहिए। (भज. 110:3) इसलिए बपतिस्मा लेनेवाले व्यक्‍ति को यह पक्का कर लेना चाहिए कि वह अपनी मरज़ी से ऐसा करना चाहता है। इसके लिए शायद आपको ईमानदारी से खुद की जाँच करनी होगी, खासकर तब जब आपकी परवरिश सच्चाई में हुई हो।

12 जैसे-जैसे आप बड़े हुए, आपने कई लोगों को बपतिस्मा लेते देखा होगा, शायद अपने दोस्तों और अपने भाई-बहनों को भी। अगर ऐसा है तो सावधान रहिए। यह मत सोचिए कि अब आप बड़े हो गए हैं या हर कोई बपतिस्मा ले रहा है, इसलिए आपको भी बपतिस्मा ले लेना चाहिए। पहले मालूम कीजिए कि क्या आप बपतिस्मे को उसी नज़र से देखते हैं, जिस नज़र से यहोवा देखता है। यह आप कैसे कर सकते हैं? समय निकालकर सोचिए कि बपतिस्मा लेना क्यों इतना ज़रूरी है। आपको इस लेख में और अगले लेख में इसकी कई वजह मिलेंगी।

13. आप कैसे कह सकते हैं कि आप अपनी मरज़ी से बपतिस्मा लेना चाहते हैं?

13 आप अपनी मरज़ी से बपतिस्मा लेना चाहते हैं या नहीं, यह जानने का एक तरीका है, अपनी प्रार्थनाओं को जाँचना। आप यहोवा से कितनी बार प्रार्थना करते हैं? आप कितनी छोटी-छोटी बातें यहोवा को बताते हैं? इन सवालों के जवाबों से पता चल सकता है कि यहोवा के साथ आपका रिश्ता कितना मज़बूत है। (भज. 25:4) कई बार यहोवा बाइबल के ज़रिए हमारी प्रार्थनाओं का जवाब देता है। इसलिए जाँच कीजिए कि आपके अध्ययन का क्या शेड्यूल है। ऐसा करने से भी आप जान पाएँगे कि क्या आप सच में यहोवा के करीब आना चाहते हैं और दिल से उसकी सेवा करना चाहते हैं। (यहो. 1:8) खुद से पूछिए, ‘क्या मैं नियमित तौर पर बाइबल का अध्ययन करता हूँ? क्या मैं अपनी पारिवारिक उपासना में खुशी-खुशी हिस्सा लेता हूँ?’ इन सवालों के जवाब आपको यह जानने में मदद करेंगे कि आप अपनी मरज़ी से बपतिस्मा लेना चाहते हैं या नहीं।

समर्पण करने का मतलब

14. समझाइए कि समर्पण और बपतिस्मे के बीच क्या फर्क है।

14 कुछ नौजवानों को शायद ठीक-ठीक पता न हो कि समर्पण और बपतिस्मे के बीच क्या फर्क है। कुछ शायद कहें कि वे पहले ही यहोवा को ज़िंदगी समर्पित कर चुके हैं, लेकिन अभी वे बपतिस्मा लेने के लिए तैयार नहीं हैं। लेकिन क्या ऐसा हो सकता है? समर्पण करने का मतलब है कि आप प्रार्थना में यहोवा से वादा करते हैं कि आप हमेशा उसकी सेवा करते रहेंगे। फिर जब आप बपतिस्मा लेते हैं, तब आप सबके सामने ज़ाहिर करते हैं कि आप यहोवा को अपनी ज़िंदगी समर्पित कर चुके हैं। इसलिए बपतिस्मा लेने से पहले आपको यह समझने की ज़रूरत है कि परमेश्वर को ज़िंदगी समर्पित करने का मतलब क्या है।

15. समर्पण का क्या मतलब है?

15 जब आप यहोवा को ज़िंदगी समर्पित करते हैं तो आप उसे बताते हैं कि अब से आपकी ज़िंदगी का मालिक वह है। आप वादा करते हैं कि उसकी सेवा करना ही आपकी ज़िंदगी में सबसे ज़रूरी बात होगी। (मत्ती 16:24 पढ़िए।) परमेश्वर से यह वादा करना सच में बहुत गंभीर बात है। (मत्ती 5:33) तो आप कैसे दिखा सकते हैं कि आपकी ज़िंदगी का मालिक यहोवा है न कि आप?—रोमि. 14:8.

16, 17. (क) उदाहरण देकर समझाइए कि खुद से इनकार करने का क्या मतलब है। (ख) जो व्यक्‍ति समर्पण करता है, वह ऐसा करके असल में क्या कह रहा होता है?

16 एक उदाहरण पर गौर कीजिए। मान लीजिए आपके दोस्त ने आपको तोहफे में एक कार दी है। वह आपको कार के कागज़ात देता है और कहता है, “यह कार तुम्हारी है।” लेकिन फिर वह कहता है, “कार की चाबियाँ मैं रखूँगा। और कार तुम नहीं चलाओगे, मैं चलाऊँगा।” आपको यह तोहफा पाकर कैसा लगेगा? और जिस दोस्त ने आपको कार दी उसके बारे में आप क्या सोचेंगे?

17 जब कोई यहोवा को अपनी ज़िंदगी समर्पित करता है, तो वह परमेश्वर से कहता है, “मैं अपनी ज़िंदगी आपके हवाले कर रहा हूँ। अब मेरी ज़िंदगी के मालिक आप हैं।” यहोवा का उससे यह उम्मीद करना वाजिब है कि वह अपना वादा निभाए। लेकिन तब क्या अगर वह व्यक्‍ति परमेश्वर की आज्ञा तोड़ने लगे? वह रोमानी रिश्ता रखने के इरादे से चोरी-छिपे किसी ऐसे व्यक्‍ति के साथ घूमने-फिरने लगे जो परमेश्वर की उपासना नहीं करता? या तब क्या अगर वह ऐसी नौकरी करने लगे जिससे वह प्रचार में ज़्यादा समय न बिता पाए या वह अकसर सभाओं में न आ पाए? ऐसा करके वह व्यक्‍ति यहोवा से किया अपना वादा नहीं निभा रहा होगा। यह ऐसा होगा मानो वह कार की चाबियाँ अपने पास रख रहा है। जब हम यहोवा को अपनी ज़िंदगी समर्पित करते हैं, तो हम यहोवा से कहते हैं, “मेरी ज़िंदगी अब आपकी है, मेरी नहीं।” इसलिए हम हमेशा वही करेंगे जो यहोवा हमसे चाहता है, फिर चाहे हम खुद वैसा न करना चाहते हों। ऐसा ही कुछ यीशु ने भी किया था। उसने कहा, “मैं अपनी मरज़ी नहीं बल्कि उसकी मरज़ी पूरी करने स्वर्ग से नीचे आया हूँ जिसने मुझे भेजा है।”—यूह. 6:38.

18, 19. (क) रोज़ और क्रिस्टफर के कहे शब्दों से कैसे पता चलता है कि बपतिस्मा लेना एक ऐसा सम्मान है जिससे आशीषें मिलती हैं? (ख) बपतिस्मा लेने के सम्मान के बारे में आपको कैसा लगता है?

18 वाकई बपतिस्मा लेना एक गंभीर फैसला है। यहोवा को समर्पण करना और बपतिस्मा लेना हमारे लिए बहुत बड़े सम्मान की बात है। जो नौजवान यहोवा से प्यार करते हैं और जानते हैं कि समर्पण करने का क्या मतलब है, वे उसे अपनी ज़िंदगी समर्पित करने और बपतिस्मा लेने से कतराते नहीं, न ही वे कभी अपने फैसले पर पछताते हैं। रोज़ नाम की एक बपतिस्मा-शुदा नौजवान बहन कहती है, “मैं यहोवा से प्यार करती हूँ और मुझे उसकी सेवा करने से जो खुशी मिलती है, वह खुशी और किसी बात से नहीं मिलती। मैंने अपनी ज़िंदगी में कोई भी फैसला उतने यकीन के साथ नहीं लिया, जितना कि बपतिस्मे का फैसला।”

19 ज़रा क्रिस्टफर के बारे में सोचिए, जिसका ज़िक्र लेख की शुरूआत में किया गया था। बारह साल की उम्र में बपतिस्मा लेने के फैसले के बारे में उसे कैसा लगता है? वह कहता है कि वह अपने इस फैसले से बहुत खुश है। उसने 17 साल की उम्र में पायनियर सेवा शुरू की और वह 18 साल में सहायक सेवक बन गया। अब वह बेथेल में सेवा कर रहा है। वह कहता है, ‘बपतिस्मा लेना एक सही फैसला था। यहोवा और उसके संगठन ने मुझे ऐसा काम करने का सम्मान दिया, जिससे मुझे संतुष्टि मिलती है।’ अगर आप बपतिस्मा लेना चाहते हैं, तो आप कैसे उसके लिए तैयारी कर सकते हैं? इसका जवाब अगले लेख में दिया जाएगा।