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ऐसा शब्द जो दिल छू जाए!

ऐसा शब्द जो दिल छू जाए!

धरती पर रहते वक्‍त यीशु कभी-कभी स्त्रियों से बात करते वक्‍त उन्हें “ऐ औरत” कहकर बुलाता था। उस स्त्री की मिसाल लीजिए जिसकी कमर झुककर दोहरी हो गयी थी और 18 साल से उसका यही हाल था। उसे चंगा करते वक्‍त यीशु ने कहा, “ऐ औरत, तू अपनी कमज़ोरी से छूट गई।” (लूका 13:10-13, द न्यू टेस्टामेंट, हिंदुस्तानी) यीशु ने अपनी माँ को भी औरत कहकर बुलाया। यह किसी भी तरह एक स्त्री का अनादर करना नहीं था बल्कि उस ज़माने में “औरत” कहकर बुलाना एक आम दस्तूर था। (यूह. 19:26; 20:13, द न्यू टेस्टामेंट, हिंदुस्तानी) लेकिन एक और शब्द था जिसमें आदर की भावना के साथ और भी कई भावनाएँ शामिल थीं। वह शब्द था “बेटी।”

बाइबल में कुछ औरतों के लिए यह शब्द इस्तेमाल हुआ है जिससे बहुत प्यार और कोमलता झलकती है। यीशु ने उस शब्द का इस्तेमाल एक ऐसी औरत से बात करते वक्‍त किया जिसे 12 साल से खून बहने की बीमारी थी। परमेश्वर के कानून में लिखा था कि ऐसी हालत में एक औरत अशुद्ध थी। मगर उस औरत ने चुपके से जाकर यीशु के कपड़े को छूआ और ऐसा करके उसने कानून का सख्ती से पालन नहीं किया। देखा जाए तो उसे अपनी अशुद्ध हालत में दूसरों से दूर रहना था। (लैव्य. 15:19-27) लेकिन वह ठीक होने के लिए तरस रही थी। दरअसल “उसने कई वैद्यों के हाथों इलाज करवा-करवाकर बहुत दुःख उठाया था और उसके पास जो कुछ था, वह सब खर्च करने के बाद भी उसे कोई फायदा नहीं हुआ, उलटा उसकी हालत पहले से ज़्यादा बिगड़ गयी थी।”—मर. 5:25, 26.

वह औरत भीड़ के बीच से होती हुई यीशु के पीछे गयी और उसने उसके कपड़े की झालर को छूआ। उसके छूते ही उसका खून बहना बंद हो गया! उसे लगा कि वह चुपचाप वहाँ से निकल जाएगी और किसी को कुछ पता नहीं चलेगा। लेकिन यीशु ने तुरंत पूछा, “किसने मुझे छूआ?” (लूका 8:45-47) इस पर वह औरत डरती-काँपती यीशु के आगे गिर पड़ी और “उसे पूरा हाल सच-सच बता दिया।”—मर. 5:33.

उस औरत की घबराहट दूर करने के लिए यीशु ने प्यार से कहा, “बेटी हिम्मत रख।” (मत्ती 9:22) बाइबल विद्वानों का कहना है कि जिन इब्रानी और यूनानी शब्दों का अनुवाद “बेटी” किया गया है, उनसे “प्यार और कोमलता” जैसी भावनाएँ झलकती हैं। यीशु ने उस औरत की घबराहट दूर करने के लिए यह भी कहा, “तेरे विश्वास ने तुझे ठीक किया है। तंदुरुस्त रह और यह दर्दनाक बीमारी तुझे फिर कभी न हो।”—मर. 5:34.

बोअज़ नाम के एक अमीर इसराएली ने भी मोआबी रूत को “बेटी” कहकर बुलाया। रूत को यह चिंता सता रही थी कि मैं तो बोअज़ को जानती नहीं, तो भला वह क्यों मुझे अपने खेत में जौ की बालें बीनने देगा। मगर बोअज़ ने रूत से कहा, “हे मेरी बेटी।” फिर उसने उसे यकीन दिलाया कि वह अब से उसी के खेतों में बालें बीन सकती है। यह सुनते ही रूत ने ज़मीन पर गिरकर बोअज़ से पूछा कि वह क्यों उस पर इतना मेहरबान है, जबकि वह एक परदेसी है। बोअज़ ने यह कहकर उसकी हिम्मत बढ़ायी, ‘जो कुछ तू ने अपनी सास [विधवा नाओमी] से किया है, यह सब मुझे विस्तार के साथ बताया गया है। यहोवा तेरे कार्य का फल दे।’—रूत 2:8-12.

सच, यीशु और बोअज़ मसीही प्राचीनों के लिए क्या ही बढ़िया मिसाल हैं! कभी-कभी दो प्राचीन शायद एक ऐसी मसीही बहन से जाकर मिलें जिसे शास्त्र से मदद और हौसले की ज़रूरत हो। अगर ये भाई मार्गदर्शन के लिए पहले यहोवा से प्रार्थना करें और फिर बहन की बात ध्यान से सुनें, तो वे उसे परमेश्वर के वचन से दिलासा दे पाएँगे और उसकी हिम्मत बढ़ा पाएँगे।—रोमि. 15:4.