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यहोवा का मकसद ज़रूर पूरा होगा!

यहोवा का मकसद ज़रूर पूरा होगा!

“मैंने ही यह कहा है और उसे पूरा भी करूँगा, मैंने ही यह ठाना है और उसे करके रहूँगा।”—यशा. 46:11.

गीत: 147, 149

1, 2. (क) यहोवा ने हमें क्या बताया है? (ख) यशायाह 46:10, 11 और 55:11 में क्या वादा किया गया है?

“शुरूआत में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की।” (उत्प. 1:1) बाइबल का यह पहला वाक्य एकदम सरल है, मगर इसमें बहुत गहरा अर्थ छिपा है। परमेश्वर ने पूरे विश्व में ढेरों चीज़ें बनायी हैं। मगर हमने सिर्फ कुछ ही चीज़ों को अपनी आँखों से देखा है और कुछ चीज़ें तो ऐसी हैं जिनके बारे में हमें बहुत कम समझ है जैसे अंतरिक्ष, रौशनी और गुरुत्वाकर्षण बल। (सभो. 3:11) लेकिन हम यह जानते हैं कि यहोवा ने पृथ्वी और इंसानों को क्यों बनाया क्योंकि उसने खुद हमें इस बारे में बताया है। परमेश्वर ने इंसानों को अपनी छवि में बनाया और वह चाहता था कि वे धरती पर ज़िंदगी का पूरा मज़ा लें। (उत्प. 1:26) उसका मकसद था कि वे उसके बच्चे कहलाएँ और वह उनका पिता हो।

2 उत्पत्ति अध्याय तीन से हमें पता चलता है कि यहोवा के मकसद में एक रुकावट आयी। (उत्प. 3:1-7) लेकिन ऐसी कोई रुकावट नहीं जो यहोवा पार न कर सके। कोई भी उसके मकसद को पूरा होने से नहीं रोक सकता। (यशा. 46:10, 11; 55:11) हम पूरा यकीन रख सकते हैं कि यहोवा ने शुरू में जो मकसद ठहराया था वह ठीक वक्‍त पर पूरा होगा।

3. (क) बाइबल का संदेश समझने के लिए कौन-सी अहम सच्चाइयाँ जानना ज़रूरी हैं? (ख) हम क्यों इन सच्चाइयों पर चर्चा करेंगे? (ग) हम किन सवालों पर गौर करेंगे?

3 हम जानते हैं कि परमेश्वर ने किस मकसद से धरती और इंसानों को बनाया है और हम यह भी जानते हैं कि इस मकसद में यीशु की क्या भूमिका है। ये बाइबल की अहम सच्चाइयाँ हैं जो हमने अध्ययन करते वक्‍त शुरू में सीखी थीं। लेकिन अब हमें दूसरों को ये ज़रूरी सच्चाइयाँ सिखानी हैं। और साल के इस वक्‍त में जब हम लोगों को स्मारक में आने का न्यौता दे रहे हैं, तब हमारे पास ऐसा करने का अच्छा मौका है। (लूका 22:19, 20) अगर वे इस खास समारोह में आएँगे तो परमेश्वर के शानदार मकसद के बारे में ज़्यादा सीख पाएँगे। इसलिए अच्छा होगा कि हम अभी से उन सवालों के बारे में सोचें जिनकी मदद से हम लोगों को इस समारोह में आने का बढ़ावा दे सकते हैं। इस लेख में हम तीन सवालों पर गौर करेंगे: धरती और इंसानों के बारे में परमेश्वर का क्या मकसद है? क्या गड़बड़ी पैदा हुई? यह क्यों कहा जा सकता है कि यीशु के फिरौती बलिदान से वह रास्ता खुला जिससे परमेश्वर का मकसद पूरा होगा?

सृष्टिकर्ता का क्या मकसद था?

4. सृष्टि किस तरह “परमेश्वर की महिमा का बयान” करती है?

4 यहोवा एक लाजवाब सृष्टिकर्ता है। उसने जो कुछ बनाया है वह बहुत ही बढ़िया है। (उत्प. 1:31; यिर्म. 10:12) हम सृष्टि में जो खूबसूरती और कायदा देखते हैं उससे हम क्या सीख सकते हैं? यही कि यहोवा ने छोटी से लेकर बड़ी जो भी चीज़ें बनायी हैं, वे फायदेमंद हैं। जब हम इंसान की कोशिका के बारे में सोचते हैं या एक नवजात शिशु को देखते हैं या फिर ढलते सूरज का सुंदर नज़ारा देखते हैं तो हमें कैसा लगता है? बेशक हम इन चीज़ों की तारीफ किए बिना नहीं रह पाते क्योंकि यहोवा ने हमें खूबसूरती की कदर करने की काबिलीयत दी है।—भजन 19:1; 104:24 पढ़िए।

5. यहोवा ने क्या किया ताकि उसकी पूरी सृष्टि आपस में मिलकर काम कर सके?

5 यहोवा बहुत सोच-समझकर अपनी सारी सृष्टि के लिए हदें ठहराता है। उसने प्रकृति के नियम बनाए हैं और इंसानों के लिए नैतिक नियम ठहराए हैं। उसने ये नियम इसलिए बनाए हैं ताकि विश्व में सारी चीज़ें आपस में मिलकर काम कर सकें। (भज. 19:7-9) विश्व में हर चीज़ की अपनी एक जगह और काम है। मिसाल के लिए गुरुत्वाकर्षण बल, वायुमंडल को पृथ्वी के आस-पास थामे रखता है। इसी बल से समुंदर अपनी सीमा में बने रहते हैं और लहरें बढ़ती और घटती हैं। गुरुत्वाकर्षण के बिना धरती पर जीवन मुमकिन नहीं हो पाता। यहोवा की ठहरायी हदों की वजह से पूरे विश्व में बेहतरीन कायदा बना रहता है। इससे पता चलता है कि धरती और इंसानों को बनाने के पीछे उसका एक मकसद है। हम प्रचार में लोगों की मदद कर सकते हैं ताकि वे इस शानदार विश्व के सृष्टिकर्ता को जान सकें।—प्रका. 4:11.

6, 7. यहोवा ने आदम और हव्वा को तोहफे में क्या दिया?

6 यहोवा का मकसद था कि इंसान धरती पर हमेशा तक जीए। (उत्प. 1:28; भज. 37:29) वह दरियादिल परमेश्वर है और उसने आदम-हव्वा को कई तरह के अनमोल तोहफे दिए थे। (याकूब 1:17 पढ़िए।) यहोवा ने उन्हें फैसला करने की आज़ादी और सोचने-समझने की शक्‍ति दी। यही नहीं, उसने उन्हें दूसरों से प्यार करने और दोस्ती करने की काबिलीयत के साथ बनाया। सृष्टिकर्ता ने आदम से बातें की और उसे सही काम करना सिखाया। आदम ने यह भी सीखा कि वह खुद की, जानवरों की और धरती की देखभाल कैसे कर सकता है। (उत्प. 2:15-17, 19, 20) यहोवा ने आदम-हव्वा को चखने, छूने, देखने, सुनने और सूँघने की काबिलीयत दी। इस तरह वे अपने खूबसूरत घर में यानी अदन के बगीचे में ज़िंदगी का मज़ा ले सकते थे। परमेश्वर ने उन्हें काफी दिलचस्प काम भी दिया था। वे हमेशा तक नयी चीज़ों की खोज कर सकते थे और नयी-नयी बातें सीख सकते थे।

7 परमेश्वर का और क्या मकसद था? यहोवा ने आदम-हव्वा को परिपूर्ण बच्चे पैदा करने की काबिलीयत दी थी। आगे चलकर उनके बच्चों के भी बच्चे होते और इस तरह पूरी धरती इंसानों से आबाद हो जाती। यहोवा चाहता था कि माता-पिता अपने बच्चों से प्यार करें, ठीक जैसे वह अपने पहले परिपूर्ण इंसानी बच्चों यानी आदम और हव्वा से प्यार करता था। उसने इंसानी परिवार को धरती और उस पर की सारी अनमोल और खूबसूरत चीज़ें दीं। धरती ही उनका घर होती और यह कभी उनसे नहीं छीनी जाती।—भज. 115:16.

क्या गड़बड़ी पैदा हुई?

8. परमेश्वर ने आदम-हव्वा को यह नियम क्यों दिया जो उत्पत्ति 2:16, 17 में दर्ज़ है?

8 यहोवा ने जैसा चाहा था वैसा तुरंत नहीं हुआ। एक गड़बड़ी पैदा हो गयी। ऐसा क्या हुआ? यहोवा ने आदम और हव्वा को एक आसान-सा नियम दिया था ताकि वे यह समझ सकें कि उनकी आज़ादी की एक सीमा है। परमेश्वर ने कहा था, “तू बाग के हरेक पेड़ से जी-भरकर खा सकता है। मगर अच्छे-बुरे के ज्ञान का जो पेड़ है उसका फल तू हरगिज़ न खाना, क्योंकि जिस दिन तू उसका फल खाएगा उस दिन ज़रूर मर जाएगा।” (उत्प. 2:16, 17) इस नियम को समझना आदम-हव्वा के लिए मुश्किल नहीं था। न ही इसे मानना उनके लिए मुश्किल था क्योंकि अदन के बाग में दूसरे कई पेड़ थे जिनके स्वादिष्ट फल वे खा सकते थे।

9, 10. (क) शैतान ने यहोवा पर क्या इलज़ाम लगाया? (ख) आदम और हव्वा ने क्या फैसला किया? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)

9 शैतान ने एक साँप के ज़रिए हव्वा को बहकाया कि वह अपने पिता, यहोवा की आज्ञा तोड़ दे। (उत्पत्ति 3:1-5 पढ़िए; प्रका. 12:9) परमेश्वर ने आदम-हव्वा को सिर्फ एक पेड़ का फल खाने से मना किया था। मगर शैतान ने ऐसे जताया मानो परमेश्वर ने उन्हें “बाग के किसी भी पेड़ का फल” खाने से मना किया हो। एक तरह से वह कह रहा था, ‘मतलब, तुम जो करना चाहते हो वह नहीं कर सकते?’ फिर उसने हव्वा से कहा, “तुम हरगिज़ नहीं मरोगे।” यह सरासर झूठ था। इसके बाद उसने हव्वा को कायल करने की कोशिश की कि उसे परमेश्वर की बात मानने की ज़रूरत नहीं। शैतान ने कहा, “परमेश्वर जानता है कि जिस दिन तुम उस पेड़ का फल खाओगे उसी दिन तुम्हारी आँखें खुल जाएँगी।” इस तरह शैतान ने यहोवा पर झूठा इलज़ाम लगाया। उसने कहा कि यहोवा नहीं चाहता है कि तुम उस फल को खाओ क्योंकि उसे खाने से तुम खास किस्म का ज्ञान पा लोगे। आखिर में उसने यह झूठा वादा किया, “तुम परमेश्वर के जैसे हो जाओगे और खुद जान लोगे कि अच्छा क्या है और बुरा क्या।”

10 आदम और हव्वा को फैसला करना था कि वे क्या करेंगे। क्या वे परमेश्वर की आज्ञा मानेंगे या शैतान की सुनेंगे? अफसोस, उन्होंने परमेश्वर की आज्ञा तोड़ने का फैसला किया। उन्होंने यहोवा को अपना पिता मानने से इनकार कर दिया और शैतान की तरफ हो गए। अब उन्हें अपने बलबूते जीना था, वे यहोवा से हिफाज़त पाने की उम्मीद नहीं कर सकते थे।—उत्प. 3:6-13.

11. यहोवा आदम और हव्वा के पाप को अनदेखा क्यों नहीं कर सकता था?

11 जब आदम और हव्वा ने परमेश्वर की आज्ञा तोड़ी तो वे परिपूर्ण नहीं रहे। यही नहीं, वे परमेश्वर के दुश्मन बन गए क्योंकि परमेश्वर को दुष्टता से सख्त नफरत है। उसकी ‘आँखें इतनी शुद्ध हैं कि वह बुराई नहीं देख सकता।’ (हब. 1:13) अगर यहोवा आदम और हव्वा के पाप को अनदेखा करता, तो उसकी सारी सृष्टि की खुशहाली खतरे में पड़ जाती। स्वर्गदूत और इंसान शायद यह सोचने लगते कि यहोवा की बातों पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। लेकिन यहोवा कभी अपने स्तरों के खिलाफ नहीं जाता, वह हर हाल में उनका पालन करता है। (भज. 119:142) हालाँकि आदम और हव्वा को अपने फैसले खुद करने की आज़ादी थी, लेकिन यहोवा से बगावत करके वे उसके बुरे अंजामों से नहीं बच सकते थे। आखिरकार उनकी मौत हो गयी और वे उसी मिट्टी में मिल गए जिसमें से उन्हें बनाया गया था।—उत्प. 3:19.

12. आदम के बच्चों के साथ क्या हुआ?

12 आदम और हव्वा ने जो किया इस वजह से यहोवा उन्हें अपने परिवार में रहने नहीं दे सकता था। उसने उन्हें अदन के बाग से खदेड़ दिया और वे कभी उसमें दोबारा नहीं जा पाए। (उत्प. 3:23, 24) यहोवा ने उन्हें अपने फैसले के अंजाम भुगतने दिए। (व्यवस्थाविवरण 32:4, 5 पढ़िए।) पाप करने के बाद वे परिपूर्ण रूप से यहोवा के गुण ज़ाहिर नहीं कर पाए। आदम ने न सिर्फ अपने लिए बल्कि अपने बच्चों के लिए भी एक शानदार भविष्य गँवा दिया। वह अपने बच्चों को विरासत में अपरिपूर्णता, पाप और मौत के सिवा और कुछ नहीं दे सकता था। (रोमि. 5:12) आदम के बच्चे हमेशा तक जी सकते थे, लेकिन उसने वह मौका उनसे छीन लिया। आदम और हव्वा अब परिपूर्ण बच्चे पैदा नहीं कर सकते थे और न ही उनके बच्चे ऐसा कर सकते थे। शैतान तब से लेकर आज तक यही कोशिश करता आया है कि वह इंसानों को परमेश्वर के खिलाफ कर दे, ठीक जैसे उसने आदम और हव्वा को उसके खिलाफ कर दिया था।—यूह. 8:44.

फिरौती से परमेश्वर के दोस्त बनना मुमकिन हुआ

13. यहोवा इंसानों के लिए क्या चाहता था?

13 इतना सब होने के बाद भी यहोवा इंसानों से प्यार करता है। हालाँकि आदम और हव्वा ने उसे छोड़ दिया मगर वह अब भी चाहता था कि उनके बच्चे उसके दोस्त बनें। वह नहीं चाहता था कि उनका एक भी बच्चा मरे। (2 पत. 3:9) इसलिए परमेश्वर ने फौरन एक इंतज़ाम किया ताकि इंसान दोबारा उससे दोस्ती कर पाएँ। मगर परमेश्वर ने अपने स्तरों के साथ समझौता किए बगैर यह इंतज़ाम कैसे किया? आइए देखें।

14. (क) यूहन्ना 3:16 के मुताबिक इंसानों को पाप और मौत से छुड़ाने के लिए परमेश्वर ने क्या किया? (ख) हम लोगों को किस सवाल का जवाब जानने में मदद दे सकते हैं?

14 यूहन्ना 3:16 पढ़िए। हम जिन लोगों को स्मारक में आने का न्यौता देते हैं उनमें से कुछ लोगों को शायद यह आयत मुँह-ज़बानी याद हो। लेकिन यीशु के बलिदान से हमेशा की ज़िंदगी पाना कैसे मुमकिन हुआ? हम लोगों को इस सवाल का जवाब जानने में मदद दे सकते हैं। हम ऐसा कब कर सकते हैं? तब जब हम लोगों को स्मारक में आने का न्यौता देते हैं या जब वे स्मारक के लिए आते हैं या फिर तब जब हम स्मारक के बाद उनसे मिलने जाते हैं। लोग जितनी अच्छी तरह फिरौती के इंतज़ाम को समझेंगे उतना ज़्यादा उन्हें एहसास होगा कि यहोवा इंसानों से कितना प्यार करता है और वह कितना बुद्धिमान परमेश्वर है। हम फिरौती के बारे में कौन-सी बातें उन्हें बता सकते हैं?

15. यीशु आदम से कैसे अलग था?

15 यहोवा ने एक परिपूर्ण आदमी का इंतज़ाम किया जिसने हमारी फिरौती के लिए अपनी जान दी। उस परिपूर्ण आदमी को यहोवा का वफादार रहना था और इंसानों की खातिर खुशी-खुशी अपनी जान देनी थी। (रोमि. 5:17-19) यहोवा ने अपनी पहली सृष्टि यानी यीशु का जीवन स्वर्ग से लेकर धरती पर एक औरत के गर्भ में डाला। (यूह. 1:14) इस तरह यीशु एक परिपूर्ण इंसान के तौर पर पैदा हुआ, ठीक जैसा आदम परिपूर्ण था। लेकिन आदम के बिलकुल उलट, यीशु ने यहोवा के स्तरों को माना जैसा कि एक परिपूर्ण इंसान से उम्मीद की जाती है। उसने मुश्किल-से-मुश्किल परीक्षाओं में भी परमेश्वर का कोई नियम नहीं तोड़ा।

16. फिरौती बलिदान क्यों एक अनमोल तोहफा है?

16 यीशु ने एक परिपूर्ण आदमी के तौर पर अपनी जान देकर सभी इंसानों के लिए पाप और मौत से बचने का रास्ता निकाला। यीशु में वह सबकुछ था जो आदम में होना चाहिए था। वह परिपूर्ण होने के साथ-साथ वफादार था और आज्ञाकारी था। (1 तीमु. 2:6) यीशु हमारे लिए मरा और उसके बलिदान से हर आदमी, औरत और बच्चे को हमेशा की ज़िंदगी पाने का मौका मिला। (मत्ती 20:28) यीशु के फिरौती बलिदान से वह रास्ता खुला जिससे परमेश्वर का मकसद पूरा होगा।—2 कुरिं. 1:19, 20.

यहोवा ने हमारे लिए रास्ता खोला

17. फिरौती से क्या मुमकिन हुआ है?

17 यहोवा ने एक बड़ी कीमत चुकाकर फिरौती का इंतज़ाम किया। (1 पत. 1:19) वह हमें इतना अनमोल समझता है कि उसने खुशी-खुशी अपने प्यारे बेटे को हमारी खातिर मरने दिया। (1 यूह. 4:9, 10) एक मायने में यीशु आदम की जगह हमारा पिता बन गया है। (1 कुरिं. 15:45) उसने न सिर्फ हमें हमेशा की ज़िंदगी पाने का बल्कि परमेश्वर के परिवार का हिस्सा बनने का मौका भी दिया है। फिरौती के ज़रिए इंसान परिपूर्ण बनाए जाएँगे और यहोवा उन्हें वापस अपने परिवार में ले लेगा और वह अपने स्तरों के साथ समझौता किए बगैर ऐसा करेगा। ज़रा सोचिए, वह कितना अच्छा वक्‍त होगा जब यहोवा के सभी वफादार लोग परिपूर्ण हो जाएँगे! आखिरकार, स्वर्ग और धरती पर जीनेवाला हर कोई यहोवा के परिवार का हिस्सा बनकर एकता में रहेगा। तब हम सब परमेश्वर के बच्चे कहलाएँगे।—रोमि. 8:21.

18. यहोवा कब “सबके लिए सबकुछ” होगा?

18 हालाँकि हमारे पहले माता-पिता ने यहोवा को ठुकरा दिया लेकिन यहोवा ने हम इंसानों से प्यार करना बंद नहीं किया। उसने फिरौती का इंतज़ाम किया। हम परिपूर्ण नहीं हैं फिर भी, शैतान हमें यहोवा का वफादार रहने से नहीं रोक सकता। फिरौती के ज़रिए यहोवा हमारी मदद करेगा कि हम पूरी तरह से नेक बनें। जो “कोई बेटे को स्वीकार करता है और उस पर विश्वास करता है,” उसे हमेशा की ज़िंदगी मिलेगी। वह क्या ही बेहतरीन ज़िंदगी होगी! (यूह. 6:40) हमारा प्यारा और बुद्धिमान पिता अपना मकसद ज़रूर पूरा करेगा और इंसानों को परिपूर्ण बनाएगा। फिर यहोवा “सबके लिए सबकुछ” होगा।—1 कुरिं. 15:28.

19. (क) अगर हम फिरौती बलिदान के लिए एहसानमंद हैं, तो यह हमें क्या करने को उभारेगा? (“ आओ योग्य लोगों को ढूँढ़ते रहें” बक्स देखिए।) (ख) अगले लेख में हम किस बात पर गौर करेंगे?

19 अगर हम फिरौती बलिदान के लिए एहसानमंद हैं, तो यह हमें उभारेगा कि हम दूसरों को इस बेशकीमती तोहफे के बारे में बताएँ। लोगों के लिए यह जानना ज़रूरी है कि यहोवा ने फिरौती के ज़रिए सभी इंसानों के लिए हमेशा की ज़िंदगी पाने का रास्ता खोला है। लेकिन फिरौती के ज़रिए उन मसलों के भी जवाब मिले हैं जो शैतान ने अदन के बाग में खड़े किए थे। इस बारे में हम अगले लेख में गौर करेंगे।