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क्या आप सब्र रखेंगे और इंतज़ार करेंगे?

क्या आप सब्र रखेंगे और इंतज़ार करेंगे?

“तुम भी सब्र रखो।”​—याकू. 5:8.

गीत: 35, 139

1, 2. (क) हम शायद किन वजहों से यह सवाल करें: “हे यहोवा, ऐसा कब तक रहेगा?” (ख) बीते समय के वफादार सेवकों से हमें क्या हिम्मत मिलती है?

“हे यहोवा, ऐसा कब तक रहेगा?” परमेश्वर के वफादार भविष्यवक्ता यशायाह और हबक्कूक ने इसी तरह का सवाल किया था। (यशा. 6:11; हब. 1:2) भजन 13 लिखते वक्‍त राजा दाविद ने भी पाँच बार यहोवा से कुछ ऐसे ही सवाल किए। (भज. 13:1, 2) जब यीशु ने देखा कि लोगों में विश्वास नहीं है तो उसने भी पूछा, “कब तक?” (मत्ती 17:17) आज हम भी शायद यही सवाल करें। क्यों?

2 इसकी कई वजह हो सकती हैं। शायद हमारे साथ कोई अन्याय हुआ हो। या हम बीमार हों या हमारी उम्र ढल रही हो। या फिर ‘संकटों से भरे इस वक्‍त’ में हम तनाव का सामना कर रहे हों। (2 तीमु. 3:1) या हो सकता है कि लोगों के गलत रवैए को देखकर हम निराश हों। वजह चाहे जो भी हो आपको यह जानकर हिम्मत मिलेगी कि यहोवा ने इन वफादार सेवकों को सवाल करने के लिए नहीं धिक्कारा।

3. मुश्किल हालात का सामना करने में क्या बात हमारी मदद कर सकती है?

3 अगर हम किसी मुश्किल हालात का सामना कर रहे हैं तो क्या बात हमारी मदद कर सकती है? यीशु के भाई याकूब ने परमेश्वर की प्रेरणा से लिखा, “इसलिए भाइयो, हमारे प्रभु की मौजूदगी तक सब्र रखो।” (याकू. 5:7) तो हम सबको सब्र रखना चाहिए। लेकिन सब्र रखने का मतलब क्या है और हम यह बढ़िया गुण कैसे दिखा सकते हैं?

सब्र रखने का क्या मतलब है?

4, 5. (क) सब्र रखने का क्या मतलब है? (ख) याकूब ने सब्र रखने के बारे में क्या समझाया? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)

4 बाइबल बताती है कि परमेश्वर की पवित्र शक्‍ति से ही हम सब्र का गुण बढ़ा सकते हैं। हम अपरिपूर्ण हैं इसलिए परमेश्वर की मदद के बगैर हमारे लिए सब्र रखना मुश्किल है। सब्र का गुण उसकी तरफ से एक वरदान है, इसलिए जब हम सब्र रखते हैं तो हम दिखाते हैं कि हम यहोवा से और लोगों से प्यार करते हैं। लेकिन जब हम बेसब्र हो जाते हैं तो दूसरों के लिए हमारा प्यार कम हो सकता है। (1 कुरिं. 13:4; गला. 5:22) सब्र रखने का क्या मतलब है? यही कि हम धीरज के साथ मुश्किल हालात का सामना करें और उस दौरान सही नज़रिया बनाए रखें। (कुलु. 1:11; याकू. 1:3, 4) यही नहीं, सब्र रखने से हम हर हालात में यहोवा के वफादार बने रहेंगे और दुख सहते वक्‍त बुराई का बदला बुराई से नहीं देंगे। बाइबल बताती है कि हमें सब्र रखने के लिए तैयार रहना चाहिए। यही सच्चाई याकूब 5:7, 8 (पढ़िए।) में बतायी गयी है।

5 हमें क्यों सब्र रखने के लिए तैयार रहना चाहिए? याकूब ने इसे समझाने के लिए एक किसान की मिसाल दी। किसान बीज बोता है और उसे सींचने में खूब मेहनत करता है लेकिन वह फसल को समय से पहले नहीं बढ़ा सकता, न ही वह बारिश ला सकता है। यह उसके बस में नहीं होता। उसे “ज़मीन की बढ़िया पैदावार” के लिए सब्र रखना पड़ता है और इंतज़ार करना होता है। उसी तरह, बहुत-सी बातें हमारे बस में नहीं होतीं। इसलिए जब तक यहोवा के वादे पूरे नहीं होते हमें उस किसान की तरह सब्र रखना होगा।​—मर. 13:32, 33; प्रेषि. 1:7.

6. भविष्यवक्ता मीका से हम क्या सीख सकते हैं?

6 भविष्यवक्ता मीका ने भी मुश्किल हालात का सामना किया ठीक जैसा आज हम करते हैं। वह उस समय जीया था जब दुष्ट राजा आहाज राज कर रहा था। इस वजह से देश में जहाँ देखो, वहाँ बुरे काम हो रहे थे। हालात इतने बिगड़ गए थे कि लोग ‘बुरे काम करने में उस्ताद’ हो गए थे। (मीका 7:1-3 पढ़िए।) मीका जानता था कि वह हालात नहीं बदल सकता। तो फिर उसने क्या किया? वह बताता है, “जहाँ तक मेरी बात है, मैं यहोवा की राह देखूँगा, अपने उद्धारकर्ता, अपने परमेश्वर के वक्‍त का इंतज़ार करूँगा। मेरा परमेश्वर मेरी सुनेगा।” (मीका 7:7) मीका की तरह हमें भी “परमेश्वर के वक्‍त का इंतज़ार” करना चाहिए।

7. हम किस भावना के साथ यहोवा के वक्‍त का इंतज़ार करेंगे और क्यों?

7 अगर हममें मीका की तरह विश्वास होगा, तो हम यहोवा के वक्‍त का इंतज़ार करने के लिए तैयार रहेंगे। हमारे हालात उस कैदी की तरह नहीं है जो जेल में बैठा फाँसी के दिन का इंतज़ार कर रहा है। उसके पास इंतज़ार करने के सिवा कोई चारा नहीं होता। वह चाहता ही नहीं कि वह दिन आए। लेकिन हम उस कैदी से बिलकुल अलग हैं। हम बड़ी उम्मीद के साथ यहोवा के वक्‍त का इंतज़ार करते हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि वह सही वक्‍त पर अपने वादे पूरे करेगा और हमें हमेशा की ज़िंदगी देगा। इसलिए हम ‘खुशी से और सब्र रखते हुए धीरज धरते हैं।’ (कुलु. 1:11, 12) मगर ध्यान रखिए कि इस दौरान हम यह शिकायत न करें कि यहोवा क्यों इतनी देर कर रहा है। अगर हम ऐसा करेंगे तो वह खुश नहीं होगा।​—कुलु. 3:12.

सब्र रखनेवालों की बढ़िया मिसाल

8. बीते ज़माने के वफादार सेवकों की मिसाल पर गौर करते वक्‍त हम क्या ध्यान रख सकते हैं?

8 सब्र रखने और इंतज़ार करने में क्या बात हमारी मदद करेगी? हम बीते ज़माने के वफादार सेवकों के बारे में सोच सकते हैं जिन्होंने सब्र रखा और यहोवा के वादों के पूरे होने का इंतज़ार किया। (रोमि. 15:4) उनकी मिसाल पर गौर करते वक्‍त हम इन बातों को ध्यान में रख सकते हैं: उन्हें कितने समय तक इंतज़ार करना पड़ा, वे क्यों इंतज़ार करने के लिए तैयार थे और सब्र रखने से उन्हें यहोवा से क्या आशीषें मिलीं।

अब्राहम ने कई साल इंतज़ार किया तब जाकर उसके पोते एसाव और याकूब पैदा हुए (पैराग्राफ 9, 10 देखिए)

9, 10. अब्राहम और सारा ने कितने समय तक यहोवा के वक्‍त का इंतज़ार किया?

9 अब्राहम और सारा की मिसाल लीजिए। उन्होंने “विश्वास और सब्र” रखा और इस वजह से वे ‘वादों के वारिस बनें।’ बाइबल बताती है कि “जब अब्राहम ने सब्र रखा” तो यहोवा ने वादा किया कि वह उसे आशीष देगा और एक बड़े राष्ट्र का पिता बनाएगा। (इब्रा. 6:12, 15) मगर अब्राहम को क्यों सब्र रखना था? यहोवा ने उससे जो वादा किया था उसे पूरा होने में वक्‍त लगता। ईसा पूर्व 1943 में नीसान महीने के 14वें दिन अब्राहम ने सारा और अपने घराने के साथ फरात नदी पार की। हालाँकि उस दिन उन्होंने वादा किए गए देश में कदम रखा, मगर अब्राहम को और इंतज़ार करना था। इसके 25 साल बाद जाकर उसे इसहाक पैदा हुआ। फिर इसके 60 साल बाद उसके पोते एसाव और याकूब पैदा हुए।​—इब्रा. 11:9.

10 अब्राहम को वादा किए देश में कितनी ज़मीन मिली? बाइबल बताती है, “परमेश्वर ने उस वक्‍त अब्राहम को इस देश में कोई ज़मीन नहीं दी, पैर रखने तक की जगह भी नहीं दी। मगर परमेश्वर ने उससे वादा किया कि वह यह देश उसे और उसके बाद उसके वंशजों को विरासत में देगा, जबकि उस वक्‍त तक अब्राहम की कोई औलाद नहीं थी।” (प्रेषि. 7:5) देखा जाए तो फरात नदी पार करने के 430 साल बाद अब्राहम के वंशज एक राष्ट्र बनें और उन्हें आगे चलकर वादा किया गया देश मिला।​—निर्ग. 12:40-42; गला. 3:17.

11. अब्राहम इंतज़ार करने के लिए क्यों तैयार था और नयी दुनिया में उसे क्या खुशी मिलेगी?

11 अब्राहम इंतज़ार करने के लिए क्यों तैयार था? क्योंकि उसे यहोवा पर विश्वास था। उसे यकीन था कि यहोवा अपने वादे ज़रूर पूरे करेगा। (इब्रानियों 11:8-12 पढ़िए।) हालाँकि अब्राहम ने अपने जीते-जी परमेश्वर के सभी वादे पूरे होते नहीं देखे, फिर भी उसने खुशी-खुशी इंतज़ार किया। ज़रा सोचिए, जब अब्राहम नयी दुनिया में ज़िंदा होगा तो उसे कितनी खुशी होगी! बाइबल की कई आयतों में अपने और अपने वंशजों के बारे में पढ़कर उसे हैरानी होगी। * जब अब्राहम को पता चलेगा कि वादा किए गए मसीहा के बारे में यहोवा ने जो मकसद ठहराया था, उसमें उसने क्या अहम भूमिका निभायी तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा! वह ज़रूर सोचेगा कि सब्र रखने की उसे क्या ही बेहतरीन आशीषें मिलीं!

12, 13. यूसुफ को क्यों सब्र रखना था? उसने कैसे सही रवैया दिखाया?

12 सब्र रखने में अब्राहम का परपोता यूसुफ भी एक अच्छी मिसाल है। उसके साथ कई अन्याय हुए थे। जब वह करीब 17 साल का था तब उसके भाइयों ने उसे गुलाम होने के लिए बेच दिया। फिर उस पर अपने मालिक की पत्नी का बलात्कार करने का झूठा इलज़ाम लगाया गया और जेल में डाल दिया गया। (उत्प. 39:11-20; भज. 105:17, 18) यूसुफ ने कोई गलत काम नहीं किया था, फिर भी ऐसा लग रहा था कि उसे सज़ा मिल रही थी। मगर 13 साल बाद, अचानक सबकुछ बदल गया। यूसुफ को कैद से रिहा किया गया और उसे मिस्र का दूसरा सबसे बड़ा अधिकारी बनाया गया।​—उत्प. 41:14, 37-43; प्रेषि. 7:9, 10.

13 जब यूसुफ के साथ एक-के-बाद-एक अन्याय हो रहा था, तब क्या वह कड़वाहट से भर गया? क्या उसे लगा कि यहोवा ने उसे छोड़ दिया है? नहीं! यूसुफ ने सब्र रखा। उसे यहोवा पर पूरा विश्वास था। वह जानता था कि यहोवा मामलों को सँभाले हुए है। उसका विश्वास उसकी इन बातों में नज़र आता है जो उसने अपने भाइयों से कहीं, “डरो मत। भला मैं क्यों तुम्हारा न्याय करूँगा? क्या मैं परमेश्वर हूँ? हालाँकि तुमने मेरा बुरा करने की सोची, मगर जो भी हुआ उसे परमेश्वर ने अच्छे के लिए बदल दिया ताकि बहुतों की जान बच सके, जैसा कि आज तुम खुद देख रहे हो।” (उत्प. 50:19, 20) यूसुफ जानता था कि यहोवा के वक्‍त का इंतज़ार करने से आशीषें मिलती हैं।

14, 15. (क) दाविद के सब्र के बारे में क्या बात गौर करने लायक थी? (ख) किस वजह से दाविद सब्र रख पाया?

14 राजा दाविद के साथ भी कई अन्याय हुए थे। जब वह छोटा था तभी यहोवा ने इसराएल का राजा बनने के लिए उसका अभिषेक किया। मगर उसे अपने ही गोत्र का राजा बनने के लिए 15 साल इंतज़ार करना पड़ा। (2 शमू. 2:3, 4) इन सालों के दौरान कुछ समय के लिए दाविद को राजा शाऊल से जान बचाकर भागना पड़ा। * दाविद को अपने घर से दूर पराए देश में या वीराने में गुफाओं में छिपकर रहना पड़ा। फिर शाऊल एक लड़ाई में मारा गया। इसके बाद भी दाविद को पूरे इसराएल राष्ट्र का राजा बनने के लिए करीब सात साल और इंतज़ार करना पड़ा।​—2 शमू. 5:4, 5.

15 दाविद सब्र रखने और इंतज़ार करने के लिए क्यों तैयार था? इसका जवाब वह उसी भजन में देता है जिसमें उसने पाँच बार पूछा, “कब तक?” उसने कहा, “मुझे तो तेरे अटल प्यार पर पूरा भरोसा है, तू जो उद्धार दिलाता है उससे मेरा दिल मगन होगा। मैं यहोवा के लिए गीत गाऊँगा, उसने मुझे ढेरों आशीषें दी हैं।” (भज. 13:5, 6) दाविद जानता था कि उसके लिए यहोवा का प्यार अटल है। उसने याद किया कि कैसे यहोवा ने बीते समय में उसकी मदद की थी और उसे पूरा भरोसा था कि यहोवा बहुत जल्द उसे इन मुसीबतों से भी बाहर निकालेगा। दाविद जानता था कि सब्र रखने के अच्छे नतीजे मिलते हैं।

यहोवा हमसे ऐसा कुछ भी करने के लिए नहीं कहता जो वह खुद करने को तैयार न हो

16, 17. यहोवा परमेश्वर और यीशु मसीह किस तरह सब्र रखने में बढ़िया मिसाल हैं?

16 यहोवा हमसे ऐसा कुछ भी करने के लिए नहीं कहता जो वह खुद करने को तैयार न हो। सब्र रखने में वह हमारे लिए सबसे बढ़िया मिसाल है। (2 पतरस 3:9 पढ़िए।) हज़ारों साल पहले अदन के बाग में शैतान ने यहोवा पर यह इलज़ाम लगाया था कि वह अन्यायी है। तब से यहोवा उस वक्‍त का इंतज़ार कर रहा है जब उसके नाम पर लगा कलंक मिटाया जाएगा और उसे पवित्र किया जाएगा। नतीजा, जो उसके वक्‍त का इंतज़ार कर रहे हैं उन्हें भी बढ़िया आशीषें मिलेंगी।​—यशा. 30:18.

17 यीशु भी सब्र रखने में एक अच्छी मिसाल है। धरती पर वह अपनी आखिरी साँस तक यहोवा का वफादार रहा। फिर ईसवी सन्‌ 33 में उसने स्वर्ग में यहोवा के सामने अपने बलिदान की कीमत पेश की। लेकिन राजा बनने के लिए उसे 1914 तक इंतज़ार करना था। (प्रेषि. 2:33-35; इब्रा. 10:12, 13) राजा बनने के बाद भी उसका इंतज़ार खत्म नहीं हुआ। क्यों? क्योंकि हज़ार साल के शासन के बाद ही उसके सभी दुश्मनों को खत्म किया जाएगा। (1 कुरिं. 15:25) वाकई यीशु को लंबे समय तक इंतज़ार करना होगा। फिर भी उसके सब्र रखने से क्या ही बेहतरीन आशीषें मिलेंगी!

क्या बात हमारी मदद करेगी?

18, 19. सब्र रखने और इंतज़ार करने में क्या बात हमारी मदद करेगी?

18 इन बातों से साफ पता चलता है कि यहोवा चाहता है कि हम सब्र रखें और इंतज़ार करने के लिए तैयार रहें। ऐसा करने में क्या बात हमारी मदद करेगी? हमें परमेश्वर से पवित्र शक्‍ति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। याद रखिए, उसकी पवित्र शक्‍ति से ही हम सब्र का गुण बढ़ा सकते हैं। (इफि. 3:16; 6:18; 1 थिस्स. 5:17-19) इसलिए यहोवा से गिड़गिड़ाकर प्रार्थना कीजिए कि वह मुश्किल हालात में सब्र रखने में आपकी मदद करे।

19 यह भी याद रखिए कि अब्राहम, यूसुफ और दाविद क्यों सब्र रख पाए और यहोवा के वादों के पूरा होने का इंतज़ार कर पाए। वह इसलिए कि उनमें विश्वास था और उन्हें यहोवा पर पूरा भरोसा था। उन्होंने सिर्फ अपने बारे में नहीं सोचा, न ही उन्हें अपने फायदे की चिंता थी। जब हम गौर करते हैं कि सब्र रखने के उन्हें क्या ही बढ़िया नतीजे मिले तो हमें भी बढ़ावा मिलता है कि हम सब्र रखें और यहोवा के वक्‍त का इंतज़ार करें।

20. हमें क्या करने की ठान लेनी चाहिए?

20 तो फिर चाहे हम पर कैसी भी आज़माइशें आएँ, हमने ठान लिया है कि हम ‘यहोवा के वक्‍त का इंतज़ार करेंगे।’ मगर हो सकता है कि मुश्किलें आने पर हम कभी-कभी यह कहें, “हे यहोवा, ऐसा कब तक रहेगा?” (यशा. 6:11) ऐसे में यहोवा की पवित्र शक्‍ति हमें हिम्मत देगी और हम भी भविष्यवक्ता यिर्मयाह की तरह कह सकेंगे, “यहोवा मेरा भाग है, इसीलिए मैं उसके लिए इंतज़ार करने का नज़रिया बनाए रखूँगा।”​—विला. 3:21, 24.

^ पैरा. 11 उत्पत्ति की किताब के करीब 15 अध्यायों में अब्राहम की जीवन कहानी दर्ज़ है। यही नहीं, मसीही यूनानी शास्त्र के लेखकों ने अपनी किताबों में 70 से भी ज़्यादा बार अब्राहम का ज़िक्र किया है।

^ पैरा. 14 शाऊल ने करीब दो साल तक राज किया। फिर यहोवा ने उसे राजा होने से ठुकरा दिया। इसके बाद भी शाऊल ने 38 साल तक यानी अपनी मौत तक इसराएल पर राज किया।​—1 शमू. 13:1; प्रेषि. 13:21.