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नूह, दानियेल और अय्यूब की तरह क्या आप यहोवा को अच्छी तरह जानते हैं?

नूह, दानियेल और अय्यूब की तरह क्या आप यहोवा को अच्छी तरह जानते हैं?

“बुरे लोग नहीं समझते कि क्या सही है, क्या गलत, लेकिन जो यहोवा की खोज में रहते हैं वे सब समझते हैं।”​—नीति. 28:5.

गीत: 43, 49

1-3. (क) इन आखिरी दिनों में विश्‍वास बनाए रखने में क्या बात हमारी मदद करेगी? (ख) इस लेख में हम क्या देखेंगे?

आज हम आखिरी दिनों के आखिरी वक्‍त में जी रहे हैं। जहाँ देखो वहाँ दुष्ट लोग “जंगली पौधों की तरह बढ़ते” जा रहे हैं। (भज. 92:7) इसलिए हमें हैरानी नहीं होती कि कई लोग परमेश्‍वर के नेक स्तरों को ठुकरा देते हैं। ऐसे में हम किस तरह पौलुस की इस सलाह को मान सकते हैं, “बुराई के मामले में बच्चे रहो” लेकिन “सोचने-समझने की काबिलीयत में सयाने बनो”?​—1 कुरिं. 14:20.

2 इस लेख की मुख्य आयत में इसका जवाब है जहाँ लिखा है, “जो यहोवा की खोज में रहते हैं वे सब समझते हैं।” (नीति. 28:5) मतलब, वे अच्छी तरह समझते हैं कि यहोवा को खुश करने के लिए क्या करना ज़रूरी है। इसी से मिलती-जुलती बात नीतिवचन 2:7, 9 में बतायी गयी है। वहाँ कहा गया है कि यहोवा उन लोगों को बुद्धि देता है जो सही काम करते हैं। नतीजा, वे ‘समझ पाते हैं कि नेकी, न्याय और सीधाई क्या है, हाँ वे सब भली राहें जान पाते हैं।’

3 नूह, दानियेल और अय्यूब को परमेश्‍वर से बुद्धि मिली थी। (यहे. 14:14) यही बुद्धि आज परमेश्‍वर के लोगों में भी देखी जाती है। आपके बारे में क्या? क्या आपके पास परमेश्‍वर की बुद्धि है? अगर आप ‘समझना’ चाहते हैं कि यहोवा की मंज़ूरी पाने के लिए क्या करना ज़रूरी है, तो पहले आपको उसे अच्छी तरह जानना होगा। यह लेख यही करने में आपकी मदद करेगा। हम देखेंगे कि (1) नूह, दानियेल और अय्यूब ने कैसे परमेश्‍वर को जाना? (2) परमेश्‍वर को जानने से किस तरह उन्हें फायदा हुआ? और (3) हम कैसे उनकी तरह अपना विश्‍वास बढ़ा सकते हैं?

दुष्ट दुनिया में नूह परमेश्‍वर के साथ-साथ चला

4. नूह किस तरह यहोवा को जान पाया और उसे अच्छी तरह जानने का क्या नतीजा हुआ?

4 नूह किस तरह यहोवा को जान पाया? आदम और हव्वा के समय से परमेश्‍वर के वफादार सेवकों ने उसे तीन तरीकों से जाना है: एक, उसकी बनायी चीज़ों से; दो, दूसरे वफादार सेवकों से और तीन, उन आशीषों से जो उन्हें यहोवा की आज्ञा मानने से मिली हैं। (यशा. 48:18) सृष्टि पर ध्यान देने से नूह समझ पाया कि परमेश्‍वर वजूद में है और उसमें कौन-से बेहतरीन गुण हैं। वह देख पाया कि यहोवा शक्‍तिशाली है और वही सच्चा परमेश्‍वर है। (रोमि. 1:20) जी हाँ, सृष्टि पर ध्यान देने से नूह न सिर्फ यह जान पाया कि परमेश्‍वर सचमुच में है बल्कि उस पर उसका विश्‍वास भी बढ़ा।

5. नूह ने कैसे जाना कि इंसानों के लिए परमेश्‍वर का क्या मकसद है?

5 बाइबल बताती है, “संदेश सुनने के बाद ही विश्‍वास किया जाता है।” इसका मतलब, हम दूसरों से जो बातें सुनते हैं उससे हमारा विश्‍वास बढ़ सकता है। (रोमि. 10:17) नूह के साथ ऐसा ही हुआ। उसने अपने परिवारवालों से यहोवा के बारे में काफी कुछ सुना और सीखा होगा। जैसे, अपने पिता लेमेक से, जो यहोवा का वफादार सेवक था और आदम की मौत से कुछ समय पहले पैदा हुआ था। (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।) उसने अपने दादा मतूशेलह और मतूशेलह के दादा येरेद से भी सीखा होगा। येरेद की मौत नूह के पैदा होने के 366 साल बाद हुई थी। * (लूका 3:36, 37) इन आदमियों और उनकी पत्नियों ने नूह को बताया होगा कि यहोवा ने आदम-हव्वा की सृष्टि की थी और वह चाहता था कि वे बच्चे पैदा करें, धरती को आबाद करें और उसकी सेवा करें। लेकिन फिर उन्होंने यहोवा की आज्ञा तोड़ दी। इसके जो बुरे अंजाम हुए उन्हें नूह साफ देख सकता था। (उत्प. 1:28; 3:16-19, 24) इसमें कोई शक नहीं कि नूह ने जो बातें सुनीं और सीखीं, उनका उसके दिल पर गहरा असर हुआ और उसे यहोवा की सेवा करने का बढ़ावा मिला।​—उत्प. 6:9.

6, 7. आशा से किस तरह नूह का विश्‍वास मज़बूत हुआ?

6 आशा से विश्‍वास मज़बूत होता है। ज़रा सोचिए, यह जानकर नूह का विश्‍वास कितना मज़बूत हुआ होगा कि उसका नाम एक आशा देता है। उसके नाम का मतलब है “आराम” या “दिलासा।” (उत्प. 5:29, फु.) परमेश्‍वर की प्रेरणा से लेमेक ने अपने बेटे नूह के बारे में कहा, “यह लड़का बड़ा होकर हमारी ज़िंदगी को चैन दिलाएगा। ज़मीन पर यहोवा के शाप की वजह से हमें जो कड़ी मेहनत करनी पड़ती है और खून-पसीना बहाना पड़ता है, उन सारी तकलीफों से यह लड़का हमें राहत दिलाएगा।” नूह को आशा थी कि एक दिन परमेश्‍वर सबकुछ ठीक कर देगा। हाबिल और हनोक की तरह उसे विश्‍वास था कि एक “वंश” आएगा, जो साँप का सिर कुचल डालेगा।​—उत्प. 3:15.

7 हालाँकि नूह को उत्पत्ति 3:15 में दी भविष्यवाणी की पूरी समझ नहीं थी, मगर वह जानता था कि इससे भविष्य के लिए एक शानदार आशा मिलती है। हनोक ने भी कुछ इसी तरह का संदेश सुनाया था, उसने कहा था कि यहोवा दुष्टों का नाश कर देगा। (यहू. 14, 15) हनोक के संदेश से नूह का विश्‍वास मज़बूत हुआ होगा और उसकी आशा पक्की हुई होगी। बहुत जल्द हर-मगिदोन में जब सभी दुष्टों का हमेशा के लिए नाश होगा तब हनोक का संदेश सही मायनों में पूरा होगा।

8. परमेश्‍वर को अच्छी तरह जानने से नूह की किस तरह हिफाज़त हुई?

8 परमेश्‍वर को अच्छी तरह जानने से नूह को क्या फायदा हुआ? नूह का विश्‍वास मज़बूत हुआ और उसे परमेश्‍वर की बुद्धि मिली। इस वजह से उसने ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे यहोवा के साथ उसका रिश्‍ता खतरे में पड़ सकता था। मिसाल के लिए, उसने उन लोगों से दोस्ती नहीं की जिन्हें परमेश्‍वर पर विश्‍वास नहीं था। उस समय धरती पर आए दुष्ट स्वर्गदूतों के बड़े-बड़े कामों को देखकर लोग उनकी उपासना करने लगे थे लेकिन नूह ने ऐसा नहीं किया। (उत्प. 6:1-4, 9) नूह को पता था कि यहोवा का मकसद है कि इंसान बच्चे पैदा करें और धरती को आबाद करें। (उत्प. 1:27, 28) इसलिए जब दुष्ट स्वर्गदूतों ने औरतों से शादी की और बच्चे पैदा किए, तो नूह जानता था कि यह सरासर गलत है। यह बात तब और भी साफ हो गयी जब उन स्वर्गदूतों के बच्चे, आम बच्चों से कहीं ज़्यादा लंबे-चौड़े और ताकतवर निकले। फिर एक दिन यहोवा ने नूह से कहा कि वह जलप्रलय लाकर सभी दुष्ट लोगों का नाश करेगा। नूह को यहोवा की बात पर पूरा विश्‍वास था, इसलिए उसने जहाज़ बनाया जिससे उसकी और उसके परिवार की जान बची।​—इब्रा. 11:7.

9, 10. नूह की तरह हम अपना विश्‍वास कैसे बढ़ा सकते हैं?

9 हम कैसे नूह की तरह अपना विश्‍वास बढ़ा सकते हैं? इसके लिए ज़रूरी है कि हम परमेश्‍वर के वचन का गहराई से अध्ययन करें, सीखी बातों से लगाव रखें और उनकी मदद से अपनी ज़िंदगी में फेरबदल करें और सही फैसले लें। (1 पत. 1:13-15) फिर हमारा विश्‍वास और परमेश्‍वर से मिली बुद्धि हमारी हिफाज़त करेगी और हम शैतान की चालबाज़ियों और दुनिया के बुरे असर से बचे रहेंगे। (2 कुरिं. 2:11) आज दुनिया में बहुत-से लोगों को हिंसा और बदचलनी पसंद है और वे अपनी गलत इच्छाओं को पूरा करने में लगे हुए हैं। (1 यूह. 2:15, 16) वे इस सच्चाई को अनदेखा करते हैं कि दुष्ट दुनिया का अंत बहुत करीब है। अगर हमारा विश्‍वास मज़बूत नहीं होगा, तो हम भी उनकी तरह सोचने लग सकते हैं। ध्यान दीजिए कि हमारे समय और नूह के दिनों की तुलना करते वक्‍त यीशु ने किस बात पर ध्यान दिलाया। उसने हिंसा और बदचलनी का ज़िक्र नहीं किया बल्कि इस बात से हमें खबरदार किया कि यहोवा की सेवा से हमारा ध्यान भटक सकता है।​—मत्ती 24:36-39 पढ़िए।

10 खुद से पूछिए, ‘क्या मेरे जीने का तरीका दिखाता है कि मैं यहोवा को अच्छी तरह जानता हूँ? क्या मेरा विश्‍वास मुझे बढ़ावा देता है कि मैं यहोवा के नेक स्तरों पर चलूँ और इनके बारे में दूसरों को बताऊँ?’ इन सवालों के जवाब से आप जान पाएँगे कि आप नूह की तरह परमेश्‍वर के साथ-साथ चल रहे हैं या नहीं।

बैबिलोन में दानियेल ने परमेश्‍वर की बुद्धि का सबूत दिया

11. (क) दानियेल वफादार रहा, इससे हमें उसके माता-पिता के बारे में क्या पता चलता है? (ख) दानियेल के कौन-से गुण आप अपने अंदर बढ़ाना चाहते हैं?

11 दानियेल किस तरह यहोवा को जान पाया? दानियेल के माता-पिता ने ज़रूर उसे यहोवा और उसके वचन से प्यार करना सिखाया होगा। यह प्यार उसके दिल में ज़िंदगी-भर बना रहा। बुढ़ापे में भी वह गहराई से शास्त्र का अध्ययन करता था। (दानि. 9:1, 2) दानियेल यहोवा को अच्छी तरह जानता था। उसे पता था कि यहोवा ने इसराएलियों के लिए क्या-कुछ नहीं किया। यह बात हमें दानियेल की प्रार्थना से मालूम पड़ती है जो उसने नम्रता से और सच्चे दिल से की थी। क्यों न आप दानियेल 9:3-19 में दर्ज़ इस प्रार्थना को पढ़ें और इस पर मनन करें? फिर खुद से पूछिए, ‘इस प्रार्थना से मैं दानियेल के बारे में क्या सीखता हूँ?’

12-14. (क) दानियेल ने कैसे दिखाया कि उसमें परमेश्‍वर की बुद्धि है? (ख) यहोवा ने दानियेल को उसकी हिम्मत और वफादारी के लिए क्या आशीष दी?

12 परमेश्‍वर को अच्छी तरह जानने से दानियेल को क्या फायदा हुआ? वफादार यहूदियों के लिए बैबिलोन में रहना आसान नहीं था। वह क्यों? यहोवा ने उनसे कहा था, “शहर की शांति की कामना करो जहाँ मैंने तुम्हें बँधुआई में भेज दिया है।” (यिर्म. 29:7) लेकिन उसने यह आज्ञा भी दी थी कि वे सिर्फ उसी की उपासना करें। (निर्ग. 34:14) दानियेल के लिए ये दोनों आज्ञाएँ मानना कैसे मुमकिन था? परमेश्‍वर से मिली बुद्धि से दानियेल समझ पाया कि उसे सबसे पहले यहोवा की आज्ञा माननी चाहिए, फिर इंसानी शासकों की। यही सिद्धांत सैकड़ों साल बाद यीशु ने लोगों को सिखाया था।​—लूका 20:25.

13 दानियेल के दिनों में एक नियम जारी किया गया कि 30 दिन तक कोई भी राजा को छोड़ किसी और देवता या इंसान से प्रार्थना न करे। (दानियेल 6:7-10 पढ़िए।) दानियेल ने क्या किया? वह सोच सकता था, ‘सिर्फ 30 दिन की तो बात है, इसके बाद मैं यहोवा से प्रार्थना कर लूँगा।’ मगर वह परमेश्‍वर की उपासना करता रहा जैसा कि उसका दस्तूर था। उसने इंसान के बनाए नियम को इसके आड़े नहीं आने दिया। दानियेल चाहता तो अकेले में छिपकर प्रार्थना कर सकता था। लेकिन वह जानता था कि लोगों ने उसे हर दिन खुलेआम प्रार्थना करते देखा था। अगर वह छिपकर प्रार्थना करता तो लोगों को यही लगता कि उसने यहोवा की उपासना करना बंद कर दिया। इसलिए दानियेल अपनी जान का जोखिम उठाकर यहोवा से प्रार्थना करता रहा।

14 यहोवा ने दानियेल को उसकी हिम्मत और वफादारी के लिए आशीष दी। जब उसे शेरों की माँद में फेंका गया तो यहोवा ने चमत्कार करके उसे बचाया। नतीजा, मादी-फारस के पूरे साम्राज्य में लोग जान गए कि यहोवा कौन है।​—दानि. 6:25-27.

15. दानियेल की तरह हम अपना विश्‍वास कैसे बढ़ा सकते हैं?

15 हम कैसे दानियेल की तरह अपना विश्‍वास बढ़ा सकते हैं? विश्‍वास मज़बूत करने के लिए सिर्फ परमेश्‍वर का वचन पढ़ना काफी नहीं, इसे समझना भी ज़रूरी है। (मत्ती 13:23) हम जानना चाहते हैं कि किसी मामले के बारे में यहोवा क्या सोचता है और कैसा महसूस करता है। इसलिए हमें बाइबल पढ़ने के साथ-साथ उस पर मनन भी करना चाहिए। प्रार्थना करना भी ज़रूरी है, खासकर तब जब हम मुश्‍किलों और परेशानियों का सामना करते हैं। हमें यकीन है कि जब हम यहोवा से बुद्धि और ताकत माँगेंगे, तो वह हमें उदारता से देगा।​—याकू. 1:5.

अच्छे और बुरे वक्‍त में अय्यूब परमेश्‍वर के सिद्धांतों पर चला

16, 17. अय्यूब किन तरीकों से यहोवा को जान पाया?

16 अय्यूब किस तरह यहोवा को जान पाया? अय्यूब एक इसराएली नहीं था। लेकिन अब्राहम, इसहाक और याकूब उसके दूर के रिश्‍तेदार थे जिन्हें यहोवा ने अपने बारे में और इंसानों के लिए अपने मकसद के बारे में बताया था। शायद अय्यूब ने इन अनमोल सच्चाइयों के बारे में किसी तरह सुना होगा। (अय्यू. 23:12) तभी उसने यहोवा से कहा, “मैंने तेरे बारे में सुना था।” (अय्यू. 42:5) यही नहीं, यहोवा ने भी कहा कि अय्यूब ने उसके बारे में लोगों से सच्ची बातें कहीं।​—अय्यू. 42:7, 8.

जब हम सृष्टि में यहोवा के अनदेखे गुण देखते हैं, तब हमारा विश्‍वास मज़बूत होता है (पैराग्राफ 17 देखिए)

17 सृष्टि पर ध्यान देकर भी अय्यूब यहोवा के गुणों को जान पाया। (अय्यू. 12:7-9, 13) यहोवा और एलीहू दोनों ने सृष्टि में पायी जानेवाली चीज़ों की मिसाल दी और अय्यूब को समझाया कि इंसान परमेश्‍वर के सामने कितना छोटा है। (अय्यू. 37:14; 38:1-4) यहोवा के शब्दों का अय्यूब पर गहरा असर हुआ। उसने नम्र होकर यहोवा से कहा, “अब मैं जान गया हूँ कि तू सबकुछ कर सकता है, ऐसा कोई काम नहीं जो तूने सोचा हो और उसे पूरा न कर सके।” फिर उसने कहा, “मैं . . . धूल और राख में बैठकर पश्‍चाताप करता हूँ।”​—अय्यू. 42:2, 6.

18, 19. अय्यूब ने कैसे दिखाया कि वह यहोवा को अच्छी तरह जानता था?

18 परमेश्‍वर को अच्छी तरह जानने से अय्यूब को क्या फायदा हुआ? अय्यूब को परमेश्‍वर के सिद्धांतों की अच्छी समझ थी। वह यहोवा को करीबी से जानता था और इससे उसे सही काम करने का बढ़ावा मिला। मिसाल के लिए, अय्यूब जानता था कि अगर वह दूसरों के साथ बुरा व्यवहार करेगा, तो वह नहीं कह सकता कि उसे परमेश्‍वर से प्यार है। (अय्यू. 6:14) वह खुद को दूसरों से बेहतर नहीं समझता था बल्कि सबके साथ एक-जैसा व्यवहार करता था, फिर चाहे वे अमीर हों या गरीब। उसने कहा, “जिसने मुझे कोख में रचा, क्या उसने उन्हें भी नहीं रचा?” (अय्यू. 31:13-22) इससे साफ ज़ाहिर होता है कि जब अय्यूब के पास दौलत और रुतबा था, तब वह घमंडी नहीं बना और न ही उसने दूसरों को कमतर समझा। वाकई, वह दुनिया के रईस और ताकतवर लोगों से कितना अलग था!

19 अय्यूब ने अपनी ज़िंदगी में यहोवा को पहली जगह दी। उसने धन-दौलत या किसी और चीज़ को यहोवा के साथ अपने रिश्‍ते के बीच नहीं आने दिया। वह जानता था कि अगर ऐसा हुआ तो वह ‘स्वर्ग के सच्चे परमेश्‍वर का इनकार कर रहा होगा।’ (अय्यूब 31:24-28 पढ़िए।) इसके अलावा, अय्यूब शादी के बंधन को पवित्र समझता था। उसने खुद से यह वादा भी किया कि वह किसी औरत को गलत नज़र से नहीं देखेगा। (अय्यू. 31:1) यह बात गौर करने लायक है क्योंकि अय्यूब के ज़माने में एक-से-ज़्यादा पत्नियाँ रखने का दस्तूर था और यहोवा ने इस दस्तूर को बरदाश्‍त किया था। अगर अय्यूब चाहता तो दूसरी पत्नी रख सकता था। लेकिन वह जानता था कि अदन के बाग में यहोवा ने एक ही आदमी और एक ही औरत को शादी के बंधन में जोड़ा था। इसलिए उसने एक ही पत्नी के साथ अपनी पूरी ज़िंदगी बितायी। * (उत्प. 2:18, 24) इसके करीब 1,600 साल बाद यीशु ने शादी और यौन-संबंध के बारे में यही सिद्धांत दिया था।​—मत्ती 5:28; 19:4, 5.

20. यहोवा और उसके स्तरों को जानने से हम दोस्तों और मनोरंजन के मामले में कैसे सही फैसले कर पाएँगे?

20 हम कैसे अय्यूब की तरह अपना विश्‍वास बढ़ा सकते हैं? जैसा हमने देखा, हमें यहोवा को अच्छी तरह जानना चाहिए और उसकी सोच के मुताबिक ज़िंदगी के हर छोटे-बड़े फैसले करने चाहिए। मिसाल के लिए, बाइबल बताती है कि यहोवा “हिंसा से प्यार करनेवाले से नफरत करता है” और हमें उन लोगों से दूर रहना चाहिए जो अपनी असलियत छिपाते हैं। (भजन 11:5; 26:4 पढ़िए।) खुद से पूछिए, ‘इन आयतों से मुझे यहोवा की सोच के बारे में क्या पता चलता है? मैं अपनी ज़िंदगी में किन बातों को अहमियत देता हूँ? मैं इंटरनेट पर जो देखता हूँ, जिन लोगों से दोस्ती करता हूँ या जैसा मनोरंजन चुनता हूँ, क्या वह यहोवा की सोच से मेल खाता है?’ इन सवालों के जवाब से पता चलेगा कि आप यहोवा को कितनी अच्छी तरह जानते हैं। हम इस दुष्ट दुनिया के साँचे में नहीं ढलना चाहते। इसलिए हमें अपनी “सोचने-समझने की शक्‍ति” को प्रशिक्षित करना चाहिए ताकि हम सही-गलत में और मूर्खता की बातों और बुद्धि-भरी बातों में फर्क कर सकें।​—इब्रा. 5:14; इफि. 5:15.

21. अगर हम अच्छी तरह समझना चाहते हैं कि यहोवा को कैसे खुश करें, तो हमें क्या करना होगा?

21 नूह, दानियेल और अय्यूब ने यहोवा को अच्छी तरह जानने की कोशिश की। इस वजह से उन्हें आशीष मिली और वे अच्छी तरह समझ पाए कि यहोवा को खुश करने के लिए क्या करना ज़रूरी है। उनकी मिसाल दिखाती है कि यहोवा की राह पर चलने से इंसान का हर काम कामयाब होता है। (भज. 1:1-3) इसलिए खुद से पूछिए, ‘क्या मैं नूह, दानियेल और अय्यूब की तरह यहोवा को अच्छी तरह जानता हूँ?’ सच तो यह है कि हम यहोवा को उनसे भी अच्छी तरह जान सकते हैं क्योंकि आज यहोवा ने हमें अपने बारे में और भी जानकारी दी है। (नीति. 4:18) इसलिए बाइबल का गहराई से अध्ययन कीजिए, उस पर मनन कीजिए और पवित्र शक्‍ति के लिए प्रार्थना कीजिए। ऐसा करने से आप इस दुष्ट दुनिया की सोच और तौर-तरीकों से दूर रह पाएँगे। आप परमेश्‍वर से मिली बुद्धि के मुताबिक काम कर पाएँगे और अपने पिता यहोवा के और भी करीब आ पाएँगे।​—नीति. 2:4-7.

^ पैरा. 5 नूह का परदादा हनोक भी “सच्चे परमेश्‍वर के साथ-साथ चलता” था, लेकिन वह नूह के पैदा होने के 69 साल पहले ही मर गया।​—उत्प. 5:23, 24.

^ पैरा. 19 नूह भी चाहता तो दूसरी पत्नी रख सकता था क्योंकि आदम और हव्वा की बगावत के बाद आदमी एक-से-ज़्यादा शादियाँ करने लगे थे। लेकिन नूह ने सिर्फ एक ही पत्नी रखी।​—उत्प. 4:19.