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सच्चाई सिखाइए

सच्चाई सिखाइए

“हे यहोवा, . . . तेरे वचन का निचोड़ ही सच्चाई है।”​—भज. 119:159, 160.

गीत: 34, 145

1, 2. (क) यीशु की ज़िंदगी में सबसे अहम काम कौन-सा था और क्यों? (ख) “परमेश्‍वर के सहकर्मी” के तौर पर अच्छी तरह काम करने के लिए हमें क्या करना चाहिए?

यीशु मसीह पहले एक बढ़ई था और बाद में एक शिक्षक बना। (मर. 6:3; यूह. 13:13) उसने दोनों काम बहुत बढ़िया तरीके से किए। एक बढ़ई के तौर पर उसने औज़ारों का अच्छी तरह इस्तेमाल करना सीखा, ताकि वह लकड़ी के सामान बना सके। उसे शास्त्र का अच्छा ज्ञान था, इसलिए एक शिक्षक के तौर पर उसने शास्त्र का अच्छी तरह इस्तेमाल किया, ताकि आम लोग परमेश्‍वर के वचन की सच्चाई सीख सकें। (मत्ती 7:28; लूका 24:32, 45) यीशु 30 साल की उम्र में बढ़ई का काम छोड़कर एक शिक्षक बना, क्योंकि वह जानता था कि यह काम सबसे ज़रूरी है। उसने कहा कि उसे धरती पर भेजे जाने की एक वजह यह है कि वह परमेश्‍वर के राज की खुशखबरी सुनाए। (मत्ती 20:28; लूका 3:23; 4:43) यीशु ने अपना पूरा ध्यान खुशखबरी का प्रचार करने में लगाया और वह चाहता था कि दूसरे लोग भी ऐसा ही करें।​—मत्ती 9:35-38.

2 भले ही हम बढ़ई न हों, मगर हम सच्चाई सिखानेवाले शिक्षक ज़रूर हैं। यह काम इतना ज़रूरी है कि इसे करने में खुद परमेश्‍वर शामिल है। दरअसल हमें “परमेश्‍वर के सहकर्मी” कहा गया है। (1 कुरिं. 3:9; 2 कुरिं. 6:4) हम एक भजन के लिखनेवाले से सहमत हैं, जिसने लिखा, “तेरे वचन का निचोड़ ही सच्चाई है।” (भज. 119:159, 160) जी हाँ, यहोवा के वचन में सच्चाई है। इस वजह से हमें ध्यान रखना चाहिए कि हम प्रचार सेवा के दौरान “सच्चाई के वचन को सही तरह से इस्तेमाल” करें। (2 तीमुथियुस 2:15 पढ़िए।) हमें बाइबल का इस्तेमाल करने में और भी माहिर होना चाहिए, क्योंकि यहोवा, यीशु और राज के बारे में सच्चाई सिखाने में यही सबसे मुख्य किताब है। इसके अलावा यहोवा के संगठन ने हमें कुछ और भी मुख्य किताबें-पत्रिकाएँ और वीडियो दिए हैं। ये किताबें-पत्रिकाएँ और वीडियो प्रकाशनों के पिटारे में पाए जाते हैं। हमें इनका इस्तेमाल करना भी आना चाहिए।

3. (क) प्रचार सेवा के दौरान हमारा पूरा ध्यान किस बात पर होना चाहिए? (ख) प्रेषितों 13:48 के मुताबिक हमें किस तरह के लोगों को ढूँढ़ना चाहिए?

3 प्रकाशनों के पिटारे में जो किताबें-पत्रिकाएँ और वीडियो दिए गए हैं, वे सिर्फ प्रचार करने के लिए नहीं, बल्कि लोगों को सच्चाई सिखाने के लिए भी हैं। लोगों को सिखाने का मतलब है, उन्हें इस तरह समझाना कि सच्चाई उनके दिल में उतर जाए और वे उसके मुताबिक कदम उठाएँ। इस दुनिया का अंत होने में बहुत कम वक्‍त रह गया है, इसलिए हमें लोगों के साथ बाइबल अध्ययन शुरू करने और उन्हें सच्चाई सिखाने पर पूरा ध्यान देना चाहिए। हमें उन लोगों को ढूँढ़ने में मेहनत करनी चाहिए, “जो हमेशा की ज़िंदगी पाने के लायक अच्छा मन रखते” हैं और फिर मसीह का चेला बनने में उनकी मदद करनी चाहिए।​—प्रेषितों 13:44-48 पढ़िए।

4. “जो हमेशा की ज़िंदगी पाने के लायक अच्छा मन रखते” हैं, उन्हें हम कैसे ढूँढ़ सकते हैं?

4 हम उन लोगों को कैसे ढूँढ़ सकते हैं, “जो हमेशा की ज़िंदगी पाने के लायक अच्छा मन रखते” हैं? पहली सदी के मसीहियों के लिए एक ही तरीका था, प्रचार करके उन्हें ढूँढ़ना। यीशु ने अपने चेलों से कहा था, “तुम जिस किसी शहर या गाँव में जाओ, तो अच्छी तरह ढूँढ़ो कि वहाँ कौन योग्य है।” (मत्ती 10:11) आज हमें भी वही करना है। अगर लोग सच्चे मन के नहीं हैं, घमंडी हैं या परमेश्‍वर के बारे में जानना ही नहीं चाहते, तो बेशक हम उनसे यह उम्मीद नहीं करते कि वे खुशखबरी सुनेंगे। हम ऐसे लोगों को ढूँढ़ते हैं, जो सच्चे मन के हैं, नम्र हैं और वाकई सच्चाई जानना चाहते हैं। हम जिस तरह लोगों को ढूँढ़ते हैं, उसकी तुलना यीशु के उस काम से की जा सकती है, जो उसने बढ़ई के तौर पर किया था। दरवाज़ा, जुआ या कुछ और बनाने के लिए सबसे पहले उसे सही किस्म की लकड़ी का पेड़ ढूँढ़ना होता था। इसके बाद वह अपने अलग-अलग औज़ार इस्तेमाल करता था और अपना हुनर लगाकर लकड़ी से सामान बनाता था। उसी तरह हमें भी सबसे पहले सच्चे मनवालों को ढूँढ़ना चाहिए, फिर अलग-अलग किताबों-पत्रिकाओं का इस्तेमाल करके और अपना हुनर लगाकर उन्हें मसीह का चेला बनाना चाहिए।​—मत्ती 28:19, 20.

5. प्रकाशनों के पिटारे में दिए प्रकाशनों के बारे में हमें क्या मालूम होना चाहिए? उदाहरण दीजिए। (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)

5 हर औज़ार एक खास काम के लिए इस्तेमाल होता है। उदाहरण के लिए, सोचिए कि यीशु ने बढ़ई के तौर पर किन-किन औज़ारों का इस्तेमाल किया होगा। * उसने लकड़ी को मापने, उस पर निशान लगाने, उसे काटने, छेद करने, आकार देने, समतल करने और उसके टुकड़ों को जोड़ने के लिए अलग-अलग औज़ार इस्तेमाल किए होंगे। उसी तरह प्रकाशनों के पिटारे में हर प्रकाशन का एक खास मकसद है। आइए देखें कि हम इन मुख्य प्रकाशनों का इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं।

प्रकाशन जिनसे पता चलता है कि हम कौन हैं

6, 7. (क) आपने संपर्क कार्ड का इस्तेमाल कैसे किया है? (ख) हम लोगों को सभाओं में आने का निमंत्रण-पत्र क्यों देते हैं?

6 संपर्क कार्ड: ये छोटे हैं, लेकिन बहुत काम के होते हैं। इनसे लोग जान पाते हैं कि हम यहोवा के साक्षी हैं और वे हमारी वेबसाइट jw.org के बारे में भी जान पाते हैं। इस वेबसाइट पर जाकर वे हमारे बारे में ज़्यादा जानकारी पा सकते हैं, यहाँ तक कि बाइबल अध्ययन की गुज़ारिश भी कर सकते हैं। इस वेबसाइट के ज़रिए अब तक 4,00,000 से भी ज़्यादा लोगों ने बाइबल अध्ययन की गुज़ारिश की है और अब भी हर दिन सैकड़ों लोग गुज़ारिश कर रहे हैं। क्यों न आप अपने पास कुछ संपर्क कार्ड रखें? इनके ज़रिए आप उन लोगों को गवाही दे सकते हैं, जिनसे आप दिन-भर मिलते हैं।

7 निमंत्रण-पत्र: सभाओं के निमंत्रण-पत्र पर छपा है, “यहोवा के साक्षियों से बाइबल के बारे में जानिए।” फिर आगे लिखा है, “हमारी सभाओं में आकर जानिए,” “या हम आपके पास आकर जानकारी दे सकते हैं।” इस तरह निमंत्रण-पत्र से न सिर्फ यह पता चलता है कि हम यहोवा के साक्षी हैं, बल्कि “जिनमें परमेश्‍वर से मार्गदर्शन पाने की भूख है,” उन्हें हमारे साथ बाइबल अध्ययन करने का न्यौता भी मिलता है। (मत्ती 5:3) लोग चाहें बाइबल अध्ययन करें या न करें, मगर वे हमारी सभाओं में आ ही सकते हैं। सभाओं में आने पर वे समझ पाते हैं कि वे यहाँ बाइबल के बारे में कितना कुछ सीख सकते हैं।

8. यह क्यों ज़रूरी है कि लोग कम-से-कम एक बार हमारी सभाओं में आएँ? उदाहरण दीजिए।

8 यह बहुत ज़रूरी है कि हम लोगों को बढ़ावा देते रहें कि वे कम-से-कम एक बार हमारी सभा में आएँ। ऐसा करना क्यों ज़रूरी है? सभा में आने पर वे साफ देख सकेंगे कि यहोवा के साक्षियों और झूठे धर्म के लोगों के बीच कितना बड़ा फर्क है। वे देख पाएँगे कि साक्षी बाइबल से सच्चाई सिखाते हैं और परमेश्‍वर के बारे में जानने में लोगों की मदद करते हैं, जबकि झूठे धर्मों में ऐसा नहीं होता। (यशा. 65:13) अमरीका में एक पति-पत्नी, रे और लिंडा ने कुछ साल पहले यह फर्क देखा। उन्हें परमेश्‍वर पर आस्था थी और वे उसे अच्छी तरह जानना चाहते थे। इस वजह से उन्होंने फैसला किया कि वे अपने शहर के सारे चर्च में जाएँगे और किसी चर्च का सदस्य बनने से पहले दो बातों पर ध्यान देंगे। पहली, उन्हें चर्च से कुछ सीखने को मिलना चाहिए और दूसरी, उसके सदस्यों का पहनावा ऐसा होना चाहिए, जैसा परमेश्‍वर के सेवकों को शोभा देता है। उन्होंने अपने शहर के सारे चर्चों की एक सूची बनायी। उनके शहर में बहुत-से चर्च थे, इसलिए उनमें जाकर देखने में उन्हें कई साल लग गए। लेकिन हर जगह उन्हें निराशा ही हाथ लगी। वे कहीं भी कुछ सीख नहीं पाए और न ही किसी चर्च के सदस्यों ने ढंग के कपड़े पहने थे। आखिरी चर्च में जाने के बाद लिंडा नौकरी पर चली गयी और रे घर के लिए निकल पड़ा। रास्ते में उसे राज-घर दिखायी दिया। उसने सोचा, ‘ज़रा देखता हूँ कि यहाँ क्या होता है।’ वहाँ जाकर उसे बहुत अच्छा लगा! राज-घर में सभी उससे बड़े प्यार से मिले और सबका पहनावा भी शालीन था। सभा के दौरान रे सबसे आगे की सीट पर बैठा और जो कुछ उसने सीखा, वह उसे बहुत अच्छा लगा। इससे हमें प्रेषित पौलुस की कही बात याद आती है। उसने कहा कि जब कोई पहली बार सभा में आता है, तो वह कह उठता है, “परमेश्‍वर सचमुच तुम्हारे बीच है।” (1 कुरिं. 14:23-25) उसके बाद से रे हर रविवार सभा में आने लगा। फिर उसने हफ्ते के बीच होनेवाली सभा में भी आना शुरू कर दिया। लिंडा भी सभाओं में आने लगी। हालाँकि उनकी उम्र 70 से भी ज़्यादा है, फिर भी उन्होंने बाइबल अध्ययन किया और बपतिस्मा लिया।

बातचीत शुरू करने के लिए प्रकाशन

9, 10. (क) परचों से बातचीत शुरू करना क्यों आसान है? (ख) ईश्‍वर इस धरती के हालात कैसे बदलेगा? परचे से बातचीत शुरू करने का तरीका समझाइए।

9 परचे: प्रकाशनों के पिटारे में 8 परचे हैं। इनके ज़रिए आसानी से बातचीत शुरू की जा सकती है। इन परचों में से कुछ 2013 में पहली बार प्रकाशित किए गए थे। तब से अब तक इन सब परचों की करीब 5 अरब कॉपियाँ छापी जा चुकी हैं! इन सबकी बनावट एक जैसी है, इसलिए अगर आप एक परचा इस्तेमाल करना सीख लें, तो आप बाकी भी इस्तेमाल कर सकते हैं। आप इन परचों के ज़रिए किसी से बातचीत कैसे शुरू कर सकते हैं?

10 मान लीजिए, आप ईश्‍वर इस धरती के हालात कैसे बदलेगा? परचा इस्तेमाल करना चाहते हैं। घर-मालिक को परचे के पहले पेज पर दिया सवाल दिखाइए और पूछिए, “क्या आपने कभी सोचा है कि ईश्‍वर इस धरती के हालात कैसे बदलेगा? आपको क्या लगता है . . . ?” फिर पूछिए कि नीचे दिए जवाबों में से उसका क्या जवाब है। उसका जवाब सही है या गलत, यह कहने के बजाय परचा खोलकर उस भाग पर जाइए, जहाँ बताया गया है, “इस बारे में पवित्र शास्त्र में क्या लिखा है?” वहाँ दी आयत दानियेल 2:44 पढ़िए। बातचीत के आखिर में परचे के पीछे “ज़रा सोचिए” भाग में दिया सवाल कीजिए: “परमेश्‍वर के राज में ज़िंदगी कैसी होगी?” इस सवाल का जवाब आप अगली मुलाकात में दे सकते हैं। उससे अगली बार मिलने पर आप परमेश्‍वर की तरफ से खुशखबरी! ब्रोशर के पाठ 7 पर चर्चा कर सकते हैं। यह ब्रोशर बाइबल अध्ययन शुरू करनेवाले प्रकाशनों में से एक है।

बाइबल में दिलचस्पी जगाने के लिए प्रकाशन

11. (क) हमारी पत्रिकाएँ किस मकसद से तैयार की जाती हैं? (ख) ये पत्रिकाएँ लोगों को देने से पहले हमें क्या पता होना चाहिए?

11 पत्रिकाएँ: प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! दुनिया की सबसे ज़्यादा प्रकाशित और अनुवाद की जानेवाली पत्रिकाएँ हैं। ये पत्रिकाएँ अलग-अलग देश के लोग पढ़ते हैं। इस वजह से इन्हें तैयार करते वक्‍त ऐसे विषय चुने जाते हैं, जिनमें हर जगह के लोगों को दिलचस्पी होती है। इन पत्रिकाओं से लोग यह भी जान सकते हैं कि आज ज़िंदगी में कौन-सी बात सबसे ज़्यादा मायने रखती है। इस कारण हमें ये पत्रिकाएँ लोगों को देनी चाहिए। लेकिन पहले हमें यह पता होना चाहिए कि कौन-सी पत्रिका किस तरह के लोगों के लिए है।

12. (क) सजग होइए! पत्रिका किन लोगों के लिए है और इसका लक्ष्य क्या है? (ख) यह पत्रिका देकर आपको हाल ही में कौन-से अच्छे अनुभव हुए हैं?

12 सजग होइए! पत्रिका उन लोगों के लिए है, जो बाइबल के बारे में बहुत कम जानते हैं या कुछ भी नहीं जानते। शायद उन्हें बाइबल की शिक्षाओं के बारे में कुछ न पता हो या वे किसी धर्म पर भरोसा न करते हों या फिर उन्हें एहसास ही न हो कि उन्हें अपने जीवन में बाइबल से काफी मदद मिल सकती है। सजग होइए! का मुख्य लक्ष्य है, पढ़नेवालों को यह यकीन दिलाना कि परमेश्‍वर अस्तित्व में है। (रोमि. 1:20; इब्रा. 11:6) इस पत्रिका से लोगों को यह भी यकीन दिलाने की कोशिश की जाती है कि बाइबल ‘सचमुच परमेश्‍वर का वचन है।’ (1 थिस्स. 2:13) सन्‌ 2018 के तीन अंकों के विषय हैं: “खुशी की राह,” “12 सुझाव आज़माएँ, अपने परिवार को सुखी बनाएँ” और “अपनों को खोने का गम कैसे सहें?

13. (क) जनता के लिए प्रहरीदुर्ग किस तरह के लोगों के लिए है? (ख) यह पत्रिका देकर आपको हाल ही में कौन-से अच्छे अनुभव हुए हैं?

13 जनता के लिए प्रहरीदुर्ग का मुख्य लक्ष्य है, उन लोगों को बाइबल की शिक्षाएँ समझाना, जो कुछ हद तक परमेश्‍वर का आदर करते हैं और बाइबल की कदर करते हैं। शायद वे बाइबल के बारे में थोड़ा-बहुत जानते हों, मगर उन्हें बाइबल की शिक्षाओं की सही समझ नहीं है। (रोमि. 10:2; 1 तीमु. 2:3, 4) सन्‌ 2018 के तीन अंकों में इन सवालों के जवाब दिए गए हैं: “क्या आज के ज़माने में बाइबल पढ़ने से फायदा होगा?,” “आनेवाला कल कैसा होगा?” और “क्या ईश्‍वर आपकी परवाह करता है?

प्रकाशन जो लोगों को बाइबल अध्ययन के लिए उभारते हैं

14. (क) प्रकाशनों के पिटारे में दिए चार वीडियो किस मकसद से तैयार किए गए हैं? (ख) ये वीडियो दिखाकर आपको कौन-से अच्छे अनुभव हुए हैं?

14 वीडियो: यीशु के ज़माने में बढ़ई के पास सिर्फ ऐसे औज़ार होते थे, जो हाथों से इस्तेमाल किए जाते थे। लेकिन आजकल बिजली से चलनेवाले औज़ार भी इस्तेमाल किए जाते हैं, जैसे ड्रिल मशीन, इलेक्ट्रिक आरी और रंदा। उसी तरह किताबों-पत्रिकाओं के अलावा अब हमारे पास लोगों को दिखाने के लिए अच्छे-अच्छे वीडियो हैं। इनमें से चार प्रकाशनों के पिटारे में दिए गए हैं। ये हैं: बाइबल का अध्ययन क्यों करें?, बाइबल का अध्ययन कैसे होता है?, राज-घरों में क्या होता है? और यहोवा के साक्षी​—हम कौन हैं? लगभग दो मिनट के छोटे-छोटे वीडियो पहली मुलाकात में दिखाए जा सकते हैं। बड़े वीडियो वापसी भेंट के दौरान या उन लोगों को दिखाए जा सकते हैं, जिनके पास वक्‍त होता है। ये वीडियो बहुत काम के होते हैं, क्योंकि ये लोगों को बाइबल अध्ययन शुरू करने और सभाओं में आने के लिए उभार सकते हैं।

15. अपनी भाषा में हमारे वीडियो देखकर लोगों पर कैसा असर हो सकता है? उदाहरण दीजिए।

15 ये वीडियो कितने असरदार हैं, इसके एक उदाहरण पर ध्यान दीजिए। हमारी एक बहन एक ऐसी औरत से मिली, जो माइक्रोनेशिया से थी और जिसकी मातृ-भाषा यापीज़ थी। बहन ने उसे यापीज़ भाषा में बाइबल का अध्ययन क्यों करें? वीडियो दिखाया। वीडियो शुरू होते ही वह औरत बोल पड़ी, “अरे, यह तो मेरी भाषा में है! वह मेरी भाषा बोल रहा है! उसके लहज़े से ही पता चलता है कि वह मेरे द्वीप का है।” इसके बाद उसने कहा, ‘jw.org पर मेरी भाषा में जो भी है, वह सब मैं पढ़ूँगी और देखूँगी।’ (प्रेषितों 2:8, 11 से तुलना कीजिए।) एक और उदाहरण अमरीका की हमारी एक बहन का है। उसका भतीजा दूर के एक देश में रहता है। बहन ने इसी वीडियो का लिंक अपने भतीजे को उसकी भाषा में भेजा। उसके भतीजे ने वीडियो देखा और उसे ई-मेल लिखा, “इस वीडियो के जिस भाग में बताया गया है कि सारी दुनिया पर एक दुष्ट का कब्ज़ा है, खास तौर से उस पर मेरा ध्यान गया। मैंने बाइबल अध्ययन के लिए गुज़ारिश की है।” यह अनुभव गौर करने लायक है, क्योंकि वह एक ऐसे देश में रहता है, जहाँ हमारे काम पर कुछ पाबंदियाँ लगी हैं।

प्रकाशन जिनसे लोग सच्चाई सीखते हैं

16. समझाइए कि आगे बताया गया हर ब्रोशर किस मकसद से तैयार किया गया है: (क) परमेश्‍वर की सुनिए और हमेशा जीवित रहिए। (ख) परमेश्‍वर की तरफ से खुशखबरी! (ग) आज कौन यहोवा की मरज़ी पूरी कर रहे हैं?

16 ब्रोशर: जिन्हें अच्छी तरह पढ़ना नहीं आता या जिनकी भाषा में बाइबल पर आधारित कोई प्रकाशन नहीं है, उन्हें हम सच्चाई कैसे सिखा सकते हैं? उन्हें हम परमेश्‍वर की सुनिए और हमेशा जीवित रहिए ब्रोशर से सिखा सकते हैं। * बाइबल अध्ययन शुरू करने के लिए एक बढ़िया ब्रोशर है, परमेश्‍वर की तरफ से खुशखबरी! आप एक व्यक्‍ति को इस ब्रोशर के आखिरी पेज पर दिए 14 विषय दिखा सकते हैं और पूछ सकते हैं कि उसे किस विषय में दिलचस्पी है। फिर आप उसी पाठ से अध्ययन शुरू कर सकते हैं। क्या आपने वापसी भेंट के दौरान ऐसा कुछ किया है? प्रकाशनों के पिटारे में तीसरा ब्रोशर है, आज कौन यहोवा की मरज़ी पूरी कर रहे हैं? यह ब्रोशर बाइबल विद्यार्थियों को हमारे संगठन के बारे में सिखाने के लिए तैयार किया गया है। हर बाइबल अध्ययन के दौरान इस ब्रोशर का इस्तेमाल कैसे करना है, इस बारे में जानने के लिए मार्च 2017 की हमारी मसीही ज़िंदगी और सेवा​—सभा पुस्तिका देखिए।

17. (क) अध्ययन के लिए इस्तेमाल होनेवाली हर किताब किस मकसद से तैयार की गयी है? (ख) बपतिस्मा लेनेवाले हर व्यक्‍ति को क्या करना चाहिए और क्यों?

17 किताबें: एक बार ब्रोशर से अध्ययन शुरू करने के बाद आप किसी भी वक्‍त उसके बदले बाइबल हमें क्या सिखाती है? किताब से अध्ययन करा सकते हैं। इस किताब से विद्यार्थी बाइबल की बुनियादी शिक्षाओं के बारे में और अच्छी तरह सीख सकता है। अगर विद्यार्थी अच्छी तरक्की कर रहा है और इस किताब से अध्ययन पूरा हो जाता है, तो आप परमेश्‍वर के प्यार के लायक बने रहिए किताब से अध्ययन जारी रख सकते हैं। इस किताब से विद्यार्थी सीखेगा कि हर दिन वह बाइबल के सिद्धांतों पर कैसे चल सकता है। ध्यान रखिए कि उसका बपतिस्मा होने के बाद भी उसे अध्ययन जारी रखना होगा, जब तक कि दोनों किताबों से अध्ययन पूरा नहीं हो जाता। इससे यहोवा पर उसका विश्‍वास मज़बूत होगा और वह यहोवा का वफादार रह पाएगा।​—कुलुस्सियों 2:6, 7 पढ़िए।

18. (क) 1 तीमुथियुस 4:16 के मुताबिक सच्चाई के शिक्षक होने के नाते हमें क्या करना चाहिए और इसका क्या फायदा होगा? (ख) प्रकाशनों के पिटारे का इस्तेमाल करते वक्‍त हमारा लक्ष्य क्या होना चाहिए?

18 यहोवा के साक्षी होने की वजह से हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम लोगों को ‘सच्चाई यानी खुशखबरी’ के बारे में सिखाएँ ताकि वे हमेशा की ज़िंदगी पा सकें। (कुलु. 1:5; 1 तीमुथियुस 4:16 पढ़िए।) यह ज़िम्मेदारी निभाने के लिए हमारे पास प्रकाशनों का पिटारा है, जिसमें ज़रूरी किताबें-पत्रिकाएँ और वीडियो दिए गए हैं। (“ प्रकाशनों का पिटारा” नाम का बक्स देखिए।) आइए हमसे जितना हो सके, इन प्रकाशनों के ज़रिए हम लोगों को सच्चाई सिखाएँ। हममें से हरेक तय कर सकता है कि वह प्रकाशनों के पिटारे में से कौन-सा प्रकाशन कब इस्तेमाल करेगा। लेकिन याद रखिए कि हमारा लक्ष्य सिर्फ किताबें-पत्रिकाएँ देना नहीं है और न ही ये उन लोगों को देना है, जिन्हें हमारे संदेश में दिलचस्पी नहीं है। इसके बजाय हम उन लोगों को ढूँढ़ना चाहते हैं, जो सच्चे मन के हैं, नम्र हैं और परमेश्‍वर के बारे में जानना चाहते हैं। जी हाँ, हमारा लक्ष्य है, उन लोगों को मसीह का चेला बनाना, “जो हमेशा की ज़िंदगी पाने के लायक अच्छा मन रखते” हैं।​—प्रेषि. 13:48; मत्ती 28:19, 20.

^ पैरा. 5 1 अगस्त, 2010 की (अँग्रेज़ी) प्रहरीदुर्ग में दिया लेख “बढ़ई” और उसमें दिया “बढ़ई के औज़ार” नाम का बक्स देखिए।

^ पैरा. 16 अगर एक व्यक्‍ति को पढ़ना नहीं आता, तो आप उसे चर्चा के दौरान परमेश्‍वर की सुनिए ब्रोशर इस्तेमाल करने के लिए कह सकते हैं, जिसमें ज़्यादातर तसवीरें हैं।