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अध्ययन लेख 6

निर्दोष बने रहिए!

निर्दोष बने रहिए!

“मैंने ठान लिया है, मैं मरते दम तक निर्दोष बना रहूँगा।”​—अय्यू. 27:5.

गीत 34 चलते रहें वफा की राह

लेख की एक झलक *

1. पैराग्राफ में बताए तीन साक्षी किस तरह यहोवा के वफादार रहते हैं?

यहोवा के साक्षियों के सामने उठनेवाले कुछ तीन हालात की कल्पना कीजिए। (1) एक जवान बहन स्कूल में पढ़ती है। एक दिन टीचर सभी विद्यार्थियों से कहता है कि उन्हें एक समारोह में भाग लेना है। बहन जानती है कि इस तरह के समारोह से यहोवा खुश नहीं होता, इसलिए वह टीचर को आदर के साथ बताती है कि वह इसमें भाग नहीं लेगी। (2) एक जवान भाई, जो शर्मीले स्वभाव का है, घर-घर का प्रचार कर रहा है। वह देखता है कि अगले घर में उसके स्कूल का एक लड़का रहता है। उस लड़के ने पहले कई बार साक्षियों का मज़ाक उड़ाया है, मगर यह बात भाई को उसके घर जाने से नहीं रोकती। (3) एक भाई अपने परिवार के गुज़ारे के लिए खूब मेहनत करता है। एक दिन उसका बॉस आकर उससे कुछ हेरा-फेरी करने या कोई गैर-कानूनी काम करने के लिए कहता है। अगर वह मना कर दे, तो उसकी नौकरी जा सकती है। फिर भी भाई अपने बॉस को समझाता है कि परमेश्‍वर अपने सेवकों से उम्मीद करता है कि वे ईमानदार रहें और देश के नियम-कानून मानें। इस वजह से वह कहता है कि वह उसकी बात नहीं मान सकता।​—रोमि. 13:1-4; इब्रा. 13:18.

2. हम किन सवालों पर चर्चा करेंगे और क्यों?

2 इन तीन साक्षियों में आपने कौन-सा गुण या खूबी देखी? आप शायद कहें, हिम्मत और ईमानदारी। बेशक इनमें ये गुण थे। लेकिन एक और खूबी है, जो इन तीनों में थी। वह है कि वे यहोवा की नज़र में निर्दोष रहे या उसके वफादार रहे। यही वजह थी कि उन्होंने परमेश्‍वर के स्तरों से समझौता नहीं किया। ऐसे लोगों को देखकर यहोवा को बहुत गर्व होता है। हम भी चाहते हैं कि हमें देखकर यहोवा को गर्व हो। इस बात को ध्यान में रखते हुए हम इन सवालों पर चर्चा करेंगे: निर्दोष बने रहने का मतलब क्या है? यह क्यों ज़रूरी है कि हम निर्दोष रहें? हम ऐसा क्या कर सकते हैं, ताकि मुश्‍किलों में भी निर्दोष रहने का हमारा इरादा कमज़ोर न पड़े?

निर्दोष बने रहने का मतलब क्या है?

3. (क) समझाइए कि परमेश्‍वर के सेवक किस तरह निर्दोष रह सकते हैं। (ख) किन उदाहरणों की मदद से हम निर्दोष बने रहने का मतलब समझ सकते हैं?

3 परमेश्‍वर के सेवक किस तरह निर्दोष रह सकते हैं? पूरे दिल से यहोवा से प्यार करके और हर हाल में उसके वफादार रहकर। इससे हम हमेशा वही काम करेंगे, जिससे यहोवा को खुशी हो। आइए देखें कि बाइबल में शब्द “निर्दोष” किस तरह इस्तेमाल हुआ है। जिस इब्रानी शब्द का अनुवाद “निर्दोष” किया गया है, उसका बुनियादी मतलब है, “पूरा, जिसमें कोई खोट या दोष न हो।” उदाहरण के लिए, इसराएली यहोवा को जानवरों का बलिदान चढ़ाते थे। कानून में बताया गया था कि बलिदान के जानवरों में कोई दोष नहीं होना चाहिए। * (लैव्य. 22:21, 22) परमेश्‍वर के लोगों को ऐसा जानवर नहीं चढ़ाना था, जो लँगड़ा या बीमार हो या फिर जिसकी एक आँख या एक कान न हो। यहोवा के लिए यह बात बहुत मायने रखती थी कि जानवर स्वस्थ हो, उसमें कोई दोष न हो। (मला. 1:6-9) हम यहोवा की भावनाएँ समझ सकते हैं, क्योंकि जब हम कोई चीज़ खरीदते हैं, तो सबसे पहले देखते हैं कि कहीं उसमें कोई दोष तो नहीं या उसके कुछ हिस्से गायब तो नहीं, फिर चाहे वह किताब हो या औज़ार या कोई फल। हम ऐसी चीज़ चाहते हैं, जो पूरी हो और जिसमें कोई दोष न हो। यहोवा भी चाहता है कि उसके लिए हमारा प्यार और वफादारी पूर्ण हो, उनमें कोई कमी या दोष न हो।

4. (क) एक अपरिपूर्ण इंसान भी क्यों निर्दोष रह सकता है? (ख) भजन 103:12-14 के मुताबिक यहोवा हमसे क्या उम्मीद करता है?

4 निर्दोष रहने के लिए क्या हमें परिपूर्ण होना चाहिए? शायद हम सोचें कि हममें कई दोष हैं और हम तो बहुत-सी गलतियाँ करते हैं, फिर हम निर्दोष कैसे रह सकते हैं। लेकिन ध्यान दीजिए कि निर्दोष रहने का यह मतलब नहीं है कि हम परिपूर्ण हों। इसके दो कारण हैं। पहला, यहोवा का पूरा ध्यान हमारी खामियों पर नहीं रहता। उसका वचन बताता है, “हे याह, अगर तू हमारे गुनाहों पर ही नज़र रखता, तो हे यहोवा, तेरे सामने कौन खड़ा रह सकता?” (भज. 130:3) यहोवा जानता है कि हम अपरिपूर्ण और पापी हैं। वह दिल खोलकर हमें माफ करता है। (भज. 86:5) दूसरा कारण है, यहोवा हमारी सीमाएँ जानता है और हम जितना कर सकते हैं, उससे ज़्यादा की उम्मीद नहीं करता। (भजन 103:12-14 पढ़िए।) फिर सवाल है कि हम यहोवा की नज़र में निर्दोष कैसे रह सकते हैं?

5. निर्दोष बने रहने के लिए प्यार होना क्यों ज़रूरी है?

5 निर्दोष बने रहने के लिए प्यार होना ज़रूरी है। हमें यहोवा से प्यार करना चाहिए और उसके वफादार रहना चाहिए। इस प्यार में कोई कमी या दोष नहीं होना चाहिए। अगर परीक्षाएँ आने पर भी हमारा प्यार ऐसा ही रहे, तो हम यहोवा की नज़र में निर्दोष बने रहेंगे। (1 इति. 28:9; मत्ती 22:37) ज़रा लेख की शुरूआत में बताए उन तीन साक्षियों के बारे में एक बार फिर सोचिए। क्या उस बहन को लोगों के साथ मिलकर खुशियाँ मनाना पसंद नहीं था? या क्या वह जवान भाई चाहता था कि प्रचार में उसका मज़ाक उड़ाया जाए? या फिर क्या वह मुखिया अपनी नौकरी गँवाना चाहता था? बिलकुल नहीं! तो फिर उन्होंने जो किया, उसके पीछे क्या वजह थी? उन्हें यहोवा से प्यार है और यह प्यार उन्हें उभारता है कि वे हमेशा उसके नेक स्तरों पर चलें और ऐसे फैसले करें, जिनसे यहोवा खुश हो। इस तरह वे दिखाते हैं कि वे निर्दोष हैं और यहोवा के वफादार हैं।

निर्दोष बने रहना क्यों ज़रूरी है?

6. (क) निर्दोष बने रहना और वफादार रहना क्यों ज़रूरी है? (ख) आदम और हव्वा वफादार क्यों नहीं रह पाए?

6 यहोवा की नज़र में निर्दोष बने रहना और उसके वफादार रहना हम सबके लिए क्यों ज़रूरी है? वह इसलिए कि शैतान ने यहोवा पर उँगली उठायी है, उसने आप पर भी उँगली उठायी है। वह स्वर्गदूत अदन के बाग में, शैतान या “विरोधी” बन गया था और उसने यहोवा के नाम पर कीचड़ उछाला। उसने इलज़ाम लगाया कि यहोवा एक दुष्ट, मतलबी और बेईमान राजा है। दुख की बात है कि इस बगावत में आदम और हव्वा ने शैतान का साथ दिया। (उत्प. 3:1-6) अदन के बाग में उनके पास यहोवा के लिए अपना प्यार बढ़ाने के बहुत-से मौके थे। लेकिन बगावत के वक्‍त उन्होंने दिखा दिया कि उनका प्यार पूरा नहीं है, उसमें खोट है। आगे चलकर शैतान ने यह सवाल खड़ा किया कि क्या कोई इंसान प्यार की खातिर यहोवा का वफादार रहेगा? दूसरे शब्दों में कहें तो क्या इंसान उसकी नज़र में निर्दोष बना रह सकता है? यह सवाल अय्यूब के दिनों में उठा था।

7. (क) अय्यूब 1:8-11 के मुताबिक अय्यूब की वफादारी के बारे में यहोवा कैसा महसूस करता था? (ख) इन आयतों के मुताबिक शैतान का क्या कहना था?

7 अय्यूब उस वक्‍त जीया था जब इसराएली मिस्र में गुलाम थे। उस दौरान उसके जैसा निर्दोष और वफादार कोई नहीं था। बेशक वह परिपूर्ण नहीं था, उसने भी गलतियाँ कीं। लेकिन वह परमेश्‍वर का वफादार रहा। इस वजह से यहोवा उससे प्यार करता था। ऐसा मालूम होता है कि शैतान ने पहले भी यहोवा पर ताने कसे थे और इंसान की वफादारी पर सवाल उठाया था। इस वजह से यहोवा ने उसे अय्यूब की मिसाल दी। अय्यूब ने अपने जीने के तरीके से दिखाया कि शैतान का दावा एकदम झूठा है। लेकिन शैतान ने माँग की कि अय्यूब की वफादारी परखी जाए। यहोवा को अपने दोस्त अय्यूब पर पूरा भरोसा था, इसलिए उसने शैतान को अय्यूब की परीक्षा लेने दी।​—अय्यूब 1:8-11 पढ़िए।

8. शैतान ने अय्यूब पर कैसे वार किए?

8 शैतान बेरहम है और एक खूनी भी। उसने सबसे पहले अय्यूब की संपत्ति पर वार किया। उसने उसका सबकुछ लूट लिया, उसके सेवकों को मार डाला और समाज में उसका नाम खराब कर दिया। फिर उसने उसके परिवार पर हमला किया और उसके दस प्यारे बच्चों को उससे छीन लिया। शैतान का अगला निशाना था, अय्यूब की सेहत। उसने अय्यूब को सिर से लेकर तलवों तक दर्दनाक फोड़ों से पीड़ित किया। अय्यूब की पत्नी दुख से इस कदर बेहाल हो गयी कि उसने उससे कहा कि परमेश्‍वर के वफादार रहने का कोई फायदा नहीं, उसकी निंदा कर और मर जा। अय्यूब खुद मौत की कामना करने लगा था, फिर भी वह यहोवा का वफादार रहा। अब शैतान ने दूसरा पैंतरा अपनाया। उसने अय्यूब के तीन साथियों का इस्तेमाल किया। ये आदमी कई दिनों तक अय्यूब के साथ बैठे रहे, मगर उन्होंने उसे कोई दिलासा नहीं दिया। जब उन्होंने बोलना शुरू किया, तो वे बड़ी बेरहमी से उसमें नुक्स निकालने लगे। उनका दावा था कि उसके दुखों के पीछे यहोवा का हाथ है और उसे अय्यूब की वफादारी में कोई दिलचस्पी नहीं। उन्होंने बातों ही बातों में जताया कि अय्यूब दुष्ट है और उसके साथ जो हो रहा है, वह उसकी करनी का फल है।​—अय्यू. 1:13-22; 2:7-11; 15:4, 5; 22:3-6; 25:4-6.

9. मुसीबतें आने पर भी अय्यूब ने क्या करने से इनकार कर दिया?

9 जब अय्यूब पर एक-के-बाद-एक मुसीबतें आयीं, तो उसने क्या किया? वह परिपूर्ण नहीं था। इस वजह से उसने गुस्से में आकर अपने झूठे दोस्तों को फटकारा और ऐसी बातें कीं, जिनके बारे में बाद में उसने कहा कि उसने बेसिर-पैर की बातें कीं। उसने परमेश्‍वर से ज़्यादा खुद को सही साबित करने की कोशिश की। (अय्यू. 6:3; 13:4, 5; 32:2; 34:5) लेकिन बद-से-बदतर हालात में भी अय्यूब यहोवा के खिलाफ नहीं गया। उसने अपने साथियों के झूठ पर यकीन करने से साफ इनकार कर दिया। उसने कहा, “तुम लोगों को नेक मानने की मैं सोच भी नहीं सकता, मैंने ठान लिया है, मैं मरते दम तक निर्दोष बना रहूँगा।” (अय्यू. 27:5) इससे हमें अय्यूब का अटल इरादा पता चलता है कि चाहे जो हो जाए, वह यहोवा की नज़र में निर्दोष बना रहेगा और उसका वफादार रहेगा। जी हाँ, अय्यूब ने हार नहीं मानी। हम भी हार नहीं मानेंगे।

10. शैतान आपके बारे में भी क्या दावा करता है?

10 शैतान ने अय्यूब के बारे में जो सवाल किया, उसका आपसे क्या ताल्लुक है? शैतान आपके बारे में भी दावा करता है कि आपको यहोवा से प्यार नहीं है, अपनी जान बचाने के लिए आप उसकी सेवा करना छोड़ देंगे और आपकी वफादारी बस एक ढोंग है! (अय्यू. 2:4, 5; प्रका. 12:10) यह सुनकर आपको कैसा लगता है? बेशक आपको बहुत बुरा लगता होगा। लेकिन ज़रा इस बात पर सोचिए: यहोवा को आप पर पूरा भरोसा है, इसीलिए वह शैतान को आपकी वफादारी परखने देता है। यहोवा को यकीन है कि आप उसके वफादार रहेंगे और शैतान को झूठा साबित करेंगे। वह आपकी मदद करने का भी वादा करता है। (इब्रा. 13:6) क्या यह आपके लिए सम्मान की बात नहीं कि सारे जहान का मालिक आप पर भरोसा करता है? अब तक हमने देखा कि वफादारी बनाए रखना क्यों ज़रूरी है। इससे हम शैतान के झूठ को गलत साबित कर पाते हैं, अपने पिता यहोवा का नाम बुलंद कर पाते हैं और उसकी हुकूमत का साथ दे पाते हैं। अब सवाल है, निर्दोष और वफादार रहने के लिए हम क्या कर सकते हैं?

इस नाज़ुक वक्‍त में निर्दोष कैसे रहें?

11. हम अय्यूब से क्या सीख सकते हैं?

11 इन “आखिरी दिनों” में शैतान परमेश्‍वर के सेवकों पर पहले से कहीं ज़्यादा हमला कर रहा है। (2 तीमु. 3:1) अंधकार से भरे इस वक्‍त में हम क्या कर सकते हैं, ताकि निर्दोष रहने का हमारा इरादा और भी मज़बूत हो? इस मामले में भी हम अय्यूब से काफी कुछ सीख सकते हैं। परीक्षाएँ आने से बहुत पहले उसने कई बार यह साबित किया था कि वह यहोवा की नज़र में निर्दोष है और उसका वफादार है। आइए देखें कि खुद को निर्दोष बनाए रखने के लिए हम अय्यूब से कौन-सी तीन बातें सीख सकते हैं।

हम किन तरीकों से वफादार रहने का अपना इरादा मज़बूत कर सकते हैं? (पैराग्राफ 12 देखें) *

12. (क) अय्यूब 26:7, 8 और 14 के मुताबिक अय्यूब ने क्या किया, जिससे उसका दिल यहोवा के लिए श्रद्धा और विस्मय से भर गया? (ख) हम उसकी मिसाल पर कैसे चल सकते हैं?

12 अय्यूब ने मन में यहोवा के लिए श्रद्धा पैदा की, जिस वजह से यहोवा के लिए उसका प्यार गहरा हो गया। अय्यूब ने समय निकालकर यहोवा की लाजवाब कारीगरी पर गहराई से सोचा। (अय्यूब 26:7, 8, 14 पढ़िए।) जब उसने धरती, आकाश, बादलों और गरजन के बारे में मनन किया, तो वह विस्मय से भर गया। फिर भी उसने माना कि उसे यहोवा की बनायी चीज़ों के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। वह यहोवा के वचनों की भी बहुत कदर करता था। उसने कहा कि उसके मुँह से निकली हर आज्ञा को वह दिल में संजोकर रखता है। (अय्यू. 23:12) यहोवा के लिए श्रद्धा और विस्मय होने की वजह से अय्यूब उससे प्यार करता था और उसे खुश करना चाहता था। नतीजा, निर्दोष और वफादार रहने का उसका इरादा और मज़बूत हो गया। हमें अय्यूब की मिसाल पर चलना चाहिए। उसके दिनों की तुलना में आज हम यहोवा की लाजवाब सृष्टि के बारे में बहुत कुछ जानते हैं। यही नहीं, हमारे पास परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखी पूरी बाइबल है, जिससे हम यहोवा को अच्छी तरह जान सकते हैं। सृष्टि और बाइबल से हम जो सीखते हैं, उससे यहोवा के लिए हमारा दिल श्रद्धा और विस्मय से भर जाता है। इससे हमें बढ़ावा मिलता है कि हम यहोवा से प्यार करें, उसकी आज्ञा मानें और हर हाल में उसके वफादार रहें।​—अय्यू. 28:28.

अश्‍लील तसवीरों से अपनी नज़रें फेरकर हम निर्दोष और वफादार रह सकते हैं (पैराग्राफ 13 देखें) *

13-14. (क) जैसे अय्यूब 31:1 में बताया गया है, अय्यूब किस तरह यहोवा का आज्ञाकारी रहा? (ख) हम उससे क्या सीख सकते हैं?

13 अय्यूब ने हर बात में यहोवा की आज्ञा मानी, जिस वजह से वह निर्दोष रह पाया। अय्यूब जानता था कि यहोवा की नज़र में निर्दोष बने रहने के लिए आज्ञाकारी होना ज़रूरी है। दरअसल हर बार जब हम यहोवा की आज्ञा मानते हैं, तो निर्दोष रहने का हमारा इरादा और मज़बूत हो जाता है। अय्यूब ने हर दिन परमेश्‍वर की बात मानने की जी-तोड़ कोशिश की। मिसाल के लिए, औरतों के साथ व्यवहार करते वक्‍त वह बहुत सावधानी बरतता था। (अय्यूब 31:1 पढ़िए।) शादीशुदा होने के नाते वह जानता था कि एक आदमी के लिए किसी परायी औरत से रोमानी रिश्‍ता रखना गलत है। आज हम ऐसी दुनिया में रहते हैं, जहाँ हमें हर वक्‍त अनैतिक काम करने के लिए लुभाया जाता है। क्या हम अय्यूब की तरह ठान लेंगे कि हम ऐसे किसी भी व्यक्‍ति को गलत नज़र से नहीं देखेंगे, जिससे हमारी शादी नहीं हुई है? क्या हम अश्‍लील तसवीरों से अपनी नज़रें फेर लेंगे, फिर चाहे ये किताबों-पत्रिकाओं में हों, फोन पर या कहीं और? (मत्ती 5:28) अगर हम हर दिन इन मामलों में संयम रखें, तो यहोवा की नज़र में निर्दोष रहने का हमारा इरादा और पक्का होगा।

ऐशो-आराम की चीज़ों के बारे में सही नज़रिया रखकर हम निर्दोष और वफादार रह सकते हैं (पैराग्राफ 14 देखें) *

14 अय्यूब ने एक और मामले में यहोवा की आज्ञा मानी। वह था, धन-दौलत के बारे में उसका नज़रिया। वह समझ गया कि अगर उसने अपनी धन-दौलत पर भरोसा रखा, तो वह बड़ा गुनाह कर रहा होगा और सज़ा पाने के लायक ठहरेगा। (अय्यू. 31:24, 25, 28) आज दुनिया के लोगों के लिए पैसा और ऐशो-आराम की चीज़ें बहुत अहमियत रखती हैं। लेकिन अगर हम बाइबल की सलाह मानकर इन चीज़ों के बारे में सही नज़रिया रखें, तो यहोवा के वफादार रहने का हमारा इरादा मज़बूत होगा।​—नीति. 30:8, 9; मत्ती 6:19-21.

अपनी आशा हमेशा मन में रखकर हम निर्दोष और वफादार रह सकते हैं (पैराग्राफ 15 देखें) *

15. (क) किस आशा की वजह से अय्यूब वफादार रह पाया? (ख) यहोवा जो आशा देता है, उसे याद रखने से क्या फायदा होगा?

15 अय्यूब को आशा थी कि परमेश्‍वर उसे इनाम ज़रूर देगा। इस आशा पर ध्यान लगाए रखने से वह उसका वफादार रह पाया। उसे यकीन था कि परमेश्‍वर उसकी वफादारी पर ध्यान देता है। (अय्यू. 31:6) अय्यूब पर बहुत सारी मुसीबतें आयीं, फिर भी उसे भरोसा था कि आखिरकार यहोवा उसे इनाम देगा। इस वजह से वह निर्दोष और वफादार रह पाया। यहोवा अय्यूब से इतना खुश हुआ कि उसने अय्यूब के अपरिपूर्ण होने पर भी उसे बेशुमार आशीषें दीं। (अय्यू. 42:12-17; याकू. 5:11) भविष्य में अय्यूब को और भी बेहतरीन इनाम मिलेंगे। क्या आप भी उसकी तरह आशा रखते हैं? क्या आपको पक्का यकीन है कि निर्दोष रहने और वफादार रहने के लिए यहोवा आपको इनाम देगा? यहोवा बदला नहीं है। (मला. 3:6) वह हमारी वफादारी की कदर करता है। अगर हम यह बात याद रखें, तो एक सुनहरे भविष्य की हमारी आशा कभी धुँधली नहीं पड़ेगी।​—1 थिस्स. 5:8, 9.

16. हमें क्या ठान लेना चाहिए?

16 ठान लीजिए कि आप हमेशा यहोवा की नज़र में निर्दोष रहेंगे और उसके वफादार रहेंगे! कभी-कभी आपको लग सकता है कि और कोई इस राह पर नहीं चल रहा। लेकिन ऐसी बात नहीं है। पूरी दुनिया में लाखों लोग हैं, जो यहोवा की नज़र में निर्दोष बने रहते हैं और उसके वफादार रहते हैं। बीते ज़माने में भी विश्‍वास रखनेवाले ऐसे बहुत-से आदमी-औरत थे, जिन्होंने मौत की परवाह किए बिना अपनी वफादारी बनाए रखी। (इब्रा. 11:36-38; 12:1) आइए हम सब वही करने की ठान लें, जो अय्यूब ने कहा था, “मैं मरते दम तक निर्दोष बना रहूँगा।” ऐसा हो कि हम यहोवा की नज़र में निर्दोष रहकर और उसके वफादार रहकर हमेशा उसकी महिमा करें!

गीत 124 हमेशा वफादार

^ पैरा. 5 निर्दोष बने रहने का मतलब क्या है? यहोवा इस बात की कदर क्यों करता है कि उसके सेवक निर्दोष रहते हैं? हममें से हरेक के लिए निर्दोष रहना क्यों ज़रूरी है? इस लेख से हम जानेंगे कि बाइबल इन सवालों के क्या जवाब देती है। हम यह भी सीखेंगे कि हर दिन निर्दोष बने रहने के लिए हम क्या कर सकते हैं। इससे हमें ढेरों आशीषें मिलेंगी।

^ पैरा. 3 जानवरों के लिए जिस इब्रानी शब्द का अनुवाद “जिसमें कोई दोष न हो” किया गया है, उसका ताल्लुक इंसानों के लिए इस्तेमाल होनेवाले शब्द “निर्दोष” से है।

^ पैरा. 50 तसवीर के बारे में: यहाँ हम देखते हैं कि अय्यूब के कुछ बच्चे अभी छोटे हैं और अय्यूब उन्हें यहोवा की लाजवाब कारीगरी के बारे में सिखा रहा है।

^ पैरा. 52 तसवीर के बारे में: एक भाई के सहकर्मी उसे अश्‍लील तसवीरें देखने के लिए बुलाते हैं, लेकिन वह साफ मना कर देता है।

^ पैरा. 54 तसवीर के बारे में: एक भाई पर दबाव डाला जा रहा है कि वह एक बड़ा और महँगा टीवी खरीदे, जिसकी न तो उसे ज़रूरत है और न ही उसके पास पैसे हैं, वह उस दबाव में नहीं आता।

^ पैरा. 56 तसवीर के बारे में: एक भाई समय निकालकर फिरदौस की अपनी आशा के बारे में प्रार्थना और मनन करता है।