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अध्ययन लेख 10

अब मुझे बपतिस्मा लेने में क्या रुकावट है?

अब मुझे बपतिस्मा लेने में क्या रुकावट है?

“तब खोजे ने रथ रुकवाया और वे दोनों पानी में उतरे और फिलिप्पुस ने उसे बपतिस्मा दिया।”​—प्रेषि. 8:38.

गीत 52 मसीही समर्पण

लेख की एक झलक *

1. (क) आदम और हव्वा ने क्या फैसला किया? (ख) इसका क्या अंजाम हुआ?

आपको क्या लगता है, अच्छे-बुरे के स्तर ठहराने का हक किसके पास होना चाहिए? जब आदम और हव्वा ने अच्छे-बुरे के ज्ञान के पेड़ से फल तोड़कर खाया, तो उन्होंने साफ दिखाया कि उन्हें न तो यहोवा पर भरोसा है, न ही उसके स्तरों पर। उन्होंने जताया कि वे अच्छे-बुरे का फैसला खुद कर सकते हैं। (उत्प. 3:22) मगर उनके इस फैसले का क्या अंजाम हुआ? यहोवा के साथ उनकी दोस्ती टूट गयी और उन्होंने हमेशा जीने का बेहतरीन मौका गँवा दिया। यही नहीं, उनकी सभी संतानों में पाप और मौत फैल गयी। (रोमि. 5:12) जी हाँ, आदम और हव्वा ने जो फैसला लिया, उससे दुख के सिवा और कुछ नहीं मिला।

इथियोपिया के खोजे ने यीशु पर विश्‍वास करने के बाद जल्द-से-जल्द बपतिस्मा लिया (पैराग्राफ 2-3 देखें)

2-3. (क) जब फिलिप्पुस ने इथियोपिया के खोजे को प्रचार किया, तो उसने क्या किया? (ख) बपतिस्मा लेने से कौन-सी आशीषें मिलती हैं? (ग) हम किन सवालों पर चर्चा करेंगे?

2 सोचिए कि आदम और हव्वा ने जो किया, उसकी तुलना में इथियोपिया के खोजे ने क्या किया। जब फिलिप्पुस ने उसे बताया कि यहोवा और यीशु ने उसकी खातिर क्या-क्या किया है, तो उसका दिल एहसान से भर गया और उसने तुरंत बपतिस्मा लिया। (प्रेषि. 8:34-38) जब हम अपना जीवन परमेश्‍वर को समर्पित करते हैं और उस खोजे की तरह बपतिस्मा लेते हैं, तो हम साफ दिखाते हैं कि हम यहोवा और यीशु के बहुत एहसानमंद हैं। हम यह भी ज़ाहिर करते हैं कि हमें यहोवा पर पूरा भरोसा है और सिर्फ वही हमारे लिए अच्छे-बुरे के स्तर ठहरा सकता है।

3 ज़रा सोचिए, यहोवा की सेवा करने से कितनी आशीषें मिलती हैं! यीशु मसीह पर विश्‍वास करने की वजह से यहोवा हमारे पाप माफ करता है और हमें साफ ज़मीर देता है। (मत्ती 20:28; प्रेषि. 10:43) हमें यहोवा के सेवकों से बने परिवार का हिस्सा होने का सम्मान भी मिलता है, जिसके सामने एक सुनहरा भविष्य है। (यूह. 10:14-16; रोमि. 8:20, 21) आगे चलकर हमें वह सबकुछ मिलेगा, जो आदम और हव्वा ने खो दिया था, जैसे हमेशा जीने का मौका। इस सबके बावजूद कुछ लोग इथियोपिया के खोजे जैसा जज़्बा नहीं दिखाते। वे बपतिस्मा लेने से हिचकिचाते हैं। कौन-सी बातें उन्हें ऐसा करने से रोकती हैं? वे इन रुकावटों को कैसे पार कर सकते हैं?

बपतिस्मा लेने में आनेवाली रुकावटें

बपतिस्मे का फैसला करने में आनेवाली कुछ रुकावटें

आत्म-विश्‍वास की कमी (पैराग्राफ 4-5 देखें) *

4-5. एवरी और हैन्‍ना के सामने कौन-सी मुश्‍किलें थीं?

4 आत्म-विश्‍वास की कमी। एवरी नाम के एक लड़के पर ध्यान दीजिए। उसके माता-पिता यहोवा के साक्षी हैं। उसके पिता का मंडली में अच्छा नाम है। वे एक प्यार करनेवाले पिता और बढ़िया प्राचीन के तौर पर जाने जाते हैं। फिर भी एवरी बपतिस्मा लेने से झिझक रहा था। वह इसकी वजह बताता है, “मुझे नहीं लगता था कि मैं अपने पिता जैसा बन पाऊँगा।” एवरी सोचता था कि आगे चलकर उसे जो ज़िम्मेदारियाँ मिलेंगी, उन्हें वह निभा नहीं पाएगा। वह कहता है, “मुझे यह डर था कि मैं सबके सामने प्रार्थना कैसे कर पाऊँगा, भाषण कैसे दे पाऊँगा या प्रचार समूह की अगुवाई कैसे कर पाऊँगा।”

5 अठारह साल की एक लड़की हैन्‍ना में आत्म-विश्‍वास बिलकुल नहीं था। उसकी परवरिश साक्षियों के परिवार में हुई थी। फिर भी वह सोचती थी, ‘पता नहीं मैं यहोवा के स्तरों पर चल पाऊँगी या नहीं।’ उसे ऐसा क्यों लगता था? हैन्‍ना खुद को बहुत कमतर समझती थी। कभी-कभी तो वह इतनी मायूस हो जाती थी कि जानबूझकर खुद को ज़ख्मी करती थी। इससे वह और भी मायूस हो जाती थी। वह कहती है, “मैंने किसी को नहीं बताया कि मैं खुद के साथ क्या करती हूँ, अपने मम्मी-पापा को भी नहीं। मुझे लगने लगा कि मैं जो करती हूँ, उसकी वजह से यहोवा मुझे कभी नहीं अपनाएगा।”

दोस्तों का असर (पैराग्राफ 6 देखें) *

6. वनेसा को बपतिस्मा लेने से कौन-सी बात रोक रही थी?

6 दोस्तों का असर। बाईस साल की वनेसा कहती है, “मेरी एक बहुत अच्छी दोस्त थी, जिसे मैं दस सालों से जानती थी।” लेकिन वनेसा की दोस्त को उसके विश्‍वास में कोई दिलचस्पी नहीं थी और उसने वनेसा को कभी बपतिस्मा लेने का बढ़ावा नहीं दिया। इससे वनेसा को बहुत दुख हुआ। वह कहती है, “मैं आसानी से दोस्त नहीं बना पाती। इस वजह से मुझे डर था कि अगर मैंने उस लड़की से दोस्ती तोड़ दी, तो मेरा कोई दोस्त नहीं रह जाएगा।”

नाकामी का डर (पैराग्राफ 7 देखें) *

7. मकेला को किस बात का डर था और क्यों?

7 नाकामी का डर। मकेला नाम की नौजवान जब पाँच साल की थी, तब उसके भाई का मंडली से बहिष्कार हो गया था। जैसे-जैसे वह बड़ी हुई, उसने देखा कि उसके भाई के कामों से उसके मम्मी-पापा को कितना दुख पहुँचा है। मकेला कहती है, “मुझे डर था कि बपतिस्मा लेने के बाद अगर मुझसे कोई गलती हुई और मेरा बहिष्कार हो गया, तो मम्मी-पापा को और भी दुख पहुँचेगा।”

विरोध का डर (पैराग्राफ 8 देखें) *

8. माइल्ज़ को क्या डर था?

8 विरोध का डर। माइल्ज़ के पिता और उसकी सौतेली माँ यहोवा के साक्षी हैं, लेकिन उसकी सगी माँ साक्षी नहीं है। माइल्ज़ कहता है, “मैं 18 साल से मम्मी के साथ रह रहा था और मैं उन्हें यह बताने से डरता था कि मैं बपतिस्मा लेना चाहता हूँ। मैंने देखा था कि जब पापा साक्षी बने थे, तब उन्होंने कितना बखेड़ा खड़ा किया था। इस वजह से मुझे डर था कि मेरा फैसला सुनकर वे फिर से वही करेंगी।”

आप ये रुकावटें कैसे पार कर सकते हैं?

9. यहोवा के सब्र और प्यार के बारे में सीखने का क्या नतीजा होगा?

9 आदम और हव्वा ने यहोवा के लिए अपने दिल में प्यार नहीं बढ़ाया था, इसीलिए उन्होंने उसकी सेवा करने का फैसला नहीं किया। फिर भी यहोवा ने उन्हें कुछ समय तक जीने दिया, ताकि वे बच्चे पैदा करें और उनकी परवरिश के लिए खुद स्तर ठहराएँ। जल्द ही यह ज़ाहिर हो गया कि उन्होंने यहोवा से आज़ाद होने का फैसला करके कितनी बड़ी मूर्खता की। उनके सबसे बड़े बेटे ने अपने निर्दोष भाई का खून कर दिया। कुछ समय बाद करीब-करीब सभी इंसान स्वार्थी हो गए और मार-काट करने लगे। (उत्प. 4:8; 6:11-13) लेकिन यहोवा जानता था कि आदम और हव्वा की कुछ संतानें उसकी सेवा करेंगी। उन्हें बचाने के लिए उसने एक इंतज़ाम किया। (यूह. 6:38-40, 57, 58) जब आप यहोवा के बारे में और भी सीखेंगे कि वह कितना सब्र रखनेवाला और प्यार करनेवाला परमेश्‍वर है, तो उसके लिए आपका प्यार और गहरा हो जाएगा। फिर आप आदम और हव्वा के जैसा फैसला नहीं करेंगे, बल्कि अपनी ज़िंदगी यहोवा को समर्पित करेंगे।

आप ये रुकावटें कैसे पार कर सकते हैं?

(पैराग्राफ 9-10 देखें) *

10. भजन 19:7 पर मनन करने से आपको यहोवा की सेवा करने का बढ़ावा कैसे मिलेगा?

10 यहोवा के बारे में सीखते रहिए। आप यहोवा के बारे में जितना ज़्यादा सीखेंगे, उतना ही आपका भरोसा बढ़ेगा कि आप उसकी सेवा अच्छे-से कर सकते हैं। एवरी, जिसका ज़िक्र पहले किया गया था, कहता है, भजन 19:7 के बारे में खोजबीन करने और उस पर मनन करने से मुझमें आत्म-विश्‍वास बढ़ा है।” (पढ़िए।) जब एवरी ने देखा कि इस भजन में लिखी बात यहोवा ने कैसे पूरी की है, तो वह यहोवा से और भी प्यार करने लगा। प्यार होने से न सिर्फ हममें आत्म-विश्‍वास बढ़ता है, बल्कि इससे हम यहोवा को दुख पहुँचाने से भी दूर रहते हैं और हमें उसकी सेवा करने की हिम्मत मिलती है। हैन्‍ना के साथ कुछ ऐसा ही हुआ। वह कहती है, “बाइबल पढ़ने और उसका अध्ययन करने से मुझे एहसास हुआ कि जब मैं खुद को चोट पहुँचाती हूँ, तो मैं यहोवा को भी चोट पहुँचा रही होती हूँ।” (1 पत. 5:7) हैन्‍ना ‘परमेश्‍वर के वचन पर चलने’ लगी। (याकू. 1:22) नतीजा क्या हुआ? वह कहती है, “जब मैंने देखा कि यहोवा की आज्ञा मानने से मुझे फायदा हो रहा है, तो उसके लिए मेरा प्यार और भी बढ़ गया। अब मुझे यकीन हो गया है कि ज़रूरत की घड़ी में यहोवा हमेशा मेरी मदद करेगा और सही राह दिखाएगा।” हैन्‍ना ने खुद को ज़ख्मी करना बंद कर दिया। उसने अपना जीवन यहोवा को समर्पित करके बपतिस्मा ले लिया।

(पैराग्राफ 11 देखें) *

11. (क) वनेसा ने अच्छे दोस्त बनाने के लिए क्या किया? (ख) इससे हम क्या सीख सकते हैं?

11 सोच-समझकर दोस्त बनाइए। वनेसा को, जिसका हमने पहले ज़िक्र किया था, आखिरकार एहसास हुआ कि वह अपनी दोस्त की वजह से यहोवा की सेवा में आगे नहीं बढ़ पा रही है। उसने उस लड़की से दोस्ती तोड़ दी। फिर उसने मंडली के लोगों से दोस्ती करने के लिए काफी मेहनत की। उसे नूह के परिवार के उदाहरण पर मनन करने से बहुत मदद मिली। वह कहती है, “नूह और उसका परिवार ऐसे लोगों के बीच रहते थे, जो यहोवा से प्यार नहीं करते थे। इस वजह से उन्होंने अपने परिवार में ही एक-दूसरे की संगति की।” फिर वनेसा ने बपतिस्मा लिया और वह पायनियर सेवा करने लगी। अब वह कहती है, “यह सेवा करने से मैं अपनी मंडली में अच्छे दोस्त बना पायी, यहाँ तक कि दूसरी मंडलियों में भी।” अगर आप उस काम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें, जो यहोवा ने दिया है, तो आप भी अच्छे दोस्त बना पाएँगे।​—मत्ती 24:14.

(पैराग्राफ 12-15 देखें) *

12. (क) आदम और हव्वा में किस तरह का डर नहीं था? (ख) इसका अंजाम क्या हुआ?

12 सही किस्म का डर मानिए। कुछ किस्म का डर होना हमारे लिए फायदेमंद है। जैसे, हमें यहोवा को दुख पहुँचाने से डरना चाहिए। (भज. 111:10) अगर आदम और हव्वा में यह डर होता, तो वे यहोवा से बगावत नहीं करते। मगर उन्होंने बगावत की। इसके बाद उनकी आँखें खुल गयीं यानी उन्हें एहसास हो गया कि वे पापी हैं और यहोवा से दूर चले गए हैं। इस वजह से उन्हें अपने नंगे होने पर शर्म आने लगी और उन्होंने खुद को ढक लिया। (उत्प. 3:7, 21) पापी होने के नाते वे अपने बच्चों को विरासत में पाप और मौत ही दे सकते थे।

13-14. (क) पहला पतरस 3:21 के मुताबिक, हमें मौत से खौफ क्यों नहीं खाना चाहिए? (ख) यहोवा से प्यार करने की हमारे पास कौन-सी वजह हैं?

13 सही किस्म का डर होने का यह मतलब नहीं कि हम डर-डर के जीएँ यानी मौत से खौफ खाएँ। यहोवा ने हमारे लिए हमेशा की ज़िंदगी पाने का इंतज़ाम किया है। जब हम कोई पाप कर बैठते हैं और हमें दिल से पछतावा होता है, तो यहोवा हमें माफ कर देता है। वह ऐसा इसलिए करता है कि हमें उसके बेटे के फिरौती बलिदान पर विश्‍वास है। विश्‍वास ज़ाहिर करने का सबसे अहम तरीका है, अपना जीवन परमेश्‍वर को समर्पित करके बपतिस्मा लेना।​—1 पतरस 3:21 पढ़िए।

14 यहोवा से प्यार करने की हमारे पास कई वजह हैं। वह हर दिन हमें अच्छी-अच्छी चीज़ें देता है, जिनका हम मज़ा लेते हैं। यही नहीं, वह हमें अपने बारे में और अपने मकसदों के बारे में सच्चाई भी सिखाता है। (यूह. 8:31, 32) उसने मसीही मंडली का इंतज़ाम किया है, जिसके ज़रिए हमें मार्गदर्शन और सहारा मिलता है। आज वह समस्याओं से निपटने में हमारी मदद करता है, साथ ही भविष्य में धरती पर अच्छे हालात में हमेशा जीने की आशा देता है। (भज. 68:19; प्रका. 21:3, 4) सच में, यहोवा हमसे कितना प्यार करता है! जब हम इस बारे में सोचते हैं कि उसने अब तक हमारे लिए कितना कुछ किया है, तो हम भी उससे प्यार करने लगते हैं। यह प्यार होने से हममें सही किस्म का डर होता है। हमें जिससे बेहद प्यार होता है, उसका हम दिल दुखाने से डरते हैं।

15. मकेला नाकामी का डर कैसे दूर कर पायी?

15 मकेला ने, जिसका शुरू में ज़िक्र किया गया था, जब यह समझा कि यहोवा माफ करनेवाला परमेश्‍वर है, तो नाकाम होने का उसका डर धीरे-धीरे दूर हो गया। वह कहती है, “मैं समझ गयी कि हम सब अपरिपूर्ण हैं और हमसे गलतियाँ होंगी। लेकिन मैंने यह भी समझा कि यहोवा हमसे प्यार करता है और फिरौती बलिदान के आधार पर वह हमें माफ कर देगा।” मकेला यहोवा से इतना प्यार करने लगी कि उसने अपना जीवन उसे समर्पित करके बपतिस्मा ले लिया।

(पैराग्राफ 16 देखें) *

16. माइल्ज़ ने विरोध के डर पर कैसे काबू पाया?

16 माइल्ज़ को डर था कि बपतिस्मा लेने का उसका फैसला सुनकर उसकी माँ खुश नहीं होगी। उसने अपने सर्किट निगरान से बात की। माइल्ज़ कहता है, “सर्किट निगरान की माँ भी सच्चाई में नहीं थीं। भाई ने मुझे बताया कि मैं मम्मी को कैसे समझा सकता हूँ कि बपतिस्मा लेने का फैसला, मेरा अपना फैसला है। इसके लिए पापा मुझ पर कोई ज़ोर नहीं डाल रहे हैं।” माइल्ज़ की माँ को उसका फैसला अच्छा नहीं लगा और आखिरकार उसे घर छोड़ना पड़ा। इसके बावजूद वह अपने फैसले पर अटल रहा। वह कहता है, “जब मैंने सीखा कि यहोवा ने मेरी खातिर कितनी भलाई की है, तो मेरा दिल एहसान से भर गया। फिरौती बलिदान के बारे में गहराई से सोचने पर मुझे एहसास हुआ कि यहोवा मुझसे कितना प्यार करता है। यह बात मेरे दिल को छू गयी और मैंने अपना जीवन यहोवा को समर्पित करके बपतिस्मा ले लिया।”

अपने फैसले पर अटल रहिए

दिखाइए कि यहोवा ने आपकी खातिर जो कुछ किया है, उसके लिए आप एहसानमंद हैं (पैराग्राफ 17 देखें)

17. हम सबके पास क्या मौका है?

17 हव्वा ने मना किए गए पेड़ का फल खाकर अपने पिता से बगावत की। जब आदम ने उसका साथ दिया, तो उसने दिखाया कि उसे यहोवा के उपकारों की ज़रा भी कदर नहीं है। आज हम सबके पास यह दिखाने का मौका है कि हम उनकी तरह नहीं हैं। हमारी खातिर यहोवा ने जो कुछ किया है, उसके लिए हम बहुत एहसानमंद हैं। बपतिस्मा लेकर हम ज़ाहिर करते हैं कि हमारे लिए क्या सही है और क्या गलत, यह तय करने का हक सिर्फ यहोवा को है। हम यह भी ज़ाहिर करते हैं कि हमें अपने पिता से प्यार है और उस पर पूरा भरोसा है।

18. आप यहोवा की सेवा में कैसे सफल हो सकते हैं?

18 बपतिस्मे के बाद भी हमें यहोवा के स्तरों पर चलते रहना है, न कि अपने हिसाब से। हर साल लाखों लोग बपतिस्मा लेने के बाद इसी तरह ज़िंदगी जीते हैं। आप भी उनकी तरह हो सकते हैं, बशर्ते आप लगातार बाइबल के बारे में अपनी समझ बढ़ाएँ, नियमित तौर पर भाई-बहनों से संगति करें और अपने प्यारे पिता के बारे में जोश से दूसरों को बताएँ। (इब्रा. 10:24, 25) जब आप कोई फैसला करते हैं, तो यहोवा की सलाह मानिए, जो वह अपने वचन और संगठन के ज़रिए देता है। (यशा. 30:21) तब आप जो कुछ करेंगे, उसमें सफल होंगे।​—नीति. 16:3, 20.

19. आपको हमेशा क्या याद रखना चाहिए और क्यों?

19 याद रखिए, यहोवा की सलाह मानने से हमेशा फायदे ही होते हैं। ऐसा करने से यहोवा और उसके स्तरों के लिए आपका लगाव बढ़ता जाएगा। तब शैतान चाहे आपको कितना भी फुसलाने की कोशिश करे, आप उसकी बातों में नहीं आएँगे, आप यहोवा की सेवा करना कभी नहीं छोड़ेंगे। कल्पना कीजिए कि अब से हज़ार साल बाद आपकी ज़िंदगी कैसी होगी! फिर जब आप पीछे मुड़कर देखेंगे, तो आप कहेंगे, ‘बपतिस्मा लेने का फैसला, मेरी ज़िंदगी का सबसे अच्छा फैसला था!’

गीत 28 कौन है यहोवा का दोस्त?

^ पैरा. 5 एक व्यक्‍ति की ज़िंदगी का सबसे अहम फैसला यह है कि वह बपतिस्मा लेगा या नहीं। यह फैसला इतना अहम क्यों है? इस सवाल का जवाब इस लेख में दिया जाएगा। इससे उन लोगों को फायदा होगा, जो बपतिस्मा लेने की सोच रहे हैं। वे यह भी जानेंगे कि कौन-सी बातें उन्हें बपतिस्मा लेने से रोक रही हैं और उन रुकावटों को वे कैसे पार कर सकते हैं।

^ पैरा. 56 तसवीर के बारे में: आत्म-विश्‍वास: एक लड़के को जवाब देने में घबराहट हो रही है।

^ पैरा. 58 तसवीर के बारे में: दोस्त: साक्षी परिवार की एक लड़की अपनी दोस्त की वजह से दूसरे साक्षियों को देखकर शर्मिंदा महसूस कर रही है।

^ पैरा. 60 तसवीर के बारे में: नाकामी: एक लड़की के भाई का बहिष्कार हो गया है और वह घर छोड़कर जा रहा है। उस लड़की को डर है कि कहीं उसके साथ भी ऐसा न हो।

^ पैरा. 62 तसवीर के बारे में: विरोध: एक लड़का अपनी माँ के सामने प्रार्थना करने से डर रहा है, उसकी माँ साक्षी नहीं है।

^ पैरा. 65 तसवीर के बारे में: आत्म-विश्‍वास: एक लड़का और अच्छे-से निजी अध्ययन करता है।

^ पैरा. 67 तसवीर के बारे में: दोस्त: एक लड़की सीखती है कि साक्षी होने पर हमें गर्व होना चाहिए।

^ पैरा. 69 तसवीर के बारे में: नाकामी: एक लड़की सच्चाई पर अपना विश्‍वास मज़बूत करती है और बपतिस्मा लेती है।

^ पैरा. 71 तसवीर के बारे में: विरोध: एक लड़का अपने विश्‍वास के बारे में हिम्मत से अपनी माँ को बताता है।