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अध्ययन लेख 40

“आखिरी दिनों” की आखिरी घड़ी में यहोवा के काम में लगे रहिए

“आखिरी दिनों” की आखिरी घड़ी में यहोवा के काम में लगे रहिए

“अटल बनो, डटे रहो और प्रभु की सेवा में हमेशा तुम्हारे पास बहुत काम हो।”—1 कुरिं. 15:58.

गीत 58 शांति चाहनेवालों की खोज!

लेख की एक झलक *

1. हमें क्यों यकीन है कि हम “आखिरी दिनों” में जी रहे हैं?

क्या आप 1914 के बाद पैदा हुए थे? अगर हाँ, तो इसका मतलब है कि आपने अपनी पूरी ज़िंदगी ऐसे समय में काटी है, जिसे बाइबल ‘आखिरी दिन’ कहती है। (2 तीमु. 3:1) यीशु ने आखिरी दिनों के बारे में भविष्यवाणी की थी कि उस वक्‍त युद्ध, अकाल और भूकंप होंगे, महामारियाँ फैलेंगी, दुष्टता बढ़ जाएगी और यहोवा के लोगों पर ज़ुल्म ढाए जाएँगे। आज खबरों में यही सब सुनने को मिलता है। (मत्ती 24:3, 7-9, 12; लूका 21:10-12) हम यह भी देखते हैं कि लोगों का व्यवहार वैसा ही हो गया है, जैसा प्रेषित पौलुस ने बताया था। (“ आज लोग कैसे हैं?” नाम का बक्स देखें।) इस वजह से हम यहोवा के साक्षियों को पूरा यकीन है कि हम “आखिरी दिनों” में जी रहे हैं।—मीका 4:1.

2. हमें किन सवालों पर ध्यान देना चाहिए?

2 सन्‌ 1914 से लेकर अब तक बहुत समय गुज़र चुका है, तो ज़ाहिर-सी बात है कि हम “आखिरी दिनों” की आखिरी घड़ी  में जी रहे हैं। अंत बहुत करीब है, इसलिए हमें इन अहम सवालों पर ध्यान देना चाहिए: “आखिरी दिनों” के आखिर में कौन-सी घटनाएँ घटेंगी? इस दौरान यहोवा हमसे क्या उम्मीद करता है?

“आखिरी दिनों” के आखिर में क्या होगा?

3. पहला थिस्सलुनीकियों 5:1-3 में की गयी भविष्यवाणी के मुताबिक राष्ट्र क्या ऐलान करेंगे?

3 पहला थिस्सलुनीकियों 5:1-3 पढ़िए। इन आयतों में जब पौलुस ने ‘यहोवा के दिन’ का ज़िक्र किया, तो वह चौबीस घंटे की नहीं बल्कि एक दौर की बात कर रहा था। यह दौर “महानगरी बैबिलोन” यानी झूठे धर्मों के हमले से शुरू होगा और इसके आखिर में हर-मगिदोन की लड़ाई लड़ी जाएगी। (प्रका. 16:14, 16; 17:5) “यहोवा का दिन” शुरू होने से ठीक पहले राष्ट्र “शांति और सुरक्षा” का ऐलान करेंगे। दुनिया के नेता जब राष्ट्रों के आपसी रिश्‍ते सुधारने की बात करते हैं, तो वे कभी-कभी इस तरह के शब्द इस्तेमाल करते हैं। * लेकिन बाइबल में जिस “शांति और सुरक्षा” के ऐलान की बात की गयी है, उसका मतलब राष्ट्रों के आपसी रिश्‍ते सुधारना नहीं है। उस वक्‍त लोगों को लगेगा कि दुनिया के नेता शांति और सुरक्षा लाने में पूरी तरह कामयाब हो गए हैं। मगर सच तो यह है कि तभी “महा-संकट” शुरू हो जाएगा और “अचानक [लोगों] पर विनाश आ पड़ेगा।”—मत्ती 24:21.

जब दुनिया के नेता “शांति और सुरक्षा” का ऐलान करेंगे, तो उनकी बातों में मत आइए (पैराग्राफ 3-6 देखें) *

4. (क) “शांति और सुरक्षा” के ऐलान से जुड़ी कौन-सी बातें हम नहीं जानते? (ख) हम इस ऐलान के बारे में क्या जानते हैं?

4 हम “शांति और सुरक्षा” के ऐलान से जुड़ी कुछ बातें तो जानते हैं, लेकिन कुछ बातें नहीं जानते। जैसे, हम नहीं जानते कि दुनिया के नेता किस वजह से यह ऐलान करेंगे और वे यह ऐलान ठीक कैसे करेंगे। हमें नहीं पता कि यह कोई एक ऐलान होगा या फिर एक-के-बाद-एक कई ऐलान होंगे। लेकिन एक बात हम ज़रूर जानते हैं। वह यह कि दुनिया के नेता चाहे लाख कोशिश कर लें, वे दुनिया में सच्ची शांति नहीं ला सकते, इसलिए हम उनकी बातों में नहीं आएँगे। फिर भी हमें इस ऐलान में दिलचस्पी है, क्योंकि बाइबल बताती है कि जब यह ऐलान किया जाएगा, तब “यहोवा का दिन” शुरू हो जाएगा!

5. पहला थिस्सलुनीकियों 5:4-6 के मुताबिक हमें क्या करना चाहिए, ताकि हम ‘यहोवा के दिन’ के लिए तैयार रहें?

5 पहला थिस्सलुनीकियों 5:4-6 पढ़िए। इन आयतों में पौलुस ने बताया कि हमें क्या करना चाहिए ताकि हम ‘यहोवा के दिन’ के लिए तैयार रहें। उसने कहा कि ‘हमें बाकियों की तरह सोना’ नहीं चाहिए। हमें ‘जागते रहना’ और सतर्क रहना चाहिए। उदाहरण के लिए, हमें सतर्क रहना है कि राजनैतिक मामलों में हम किसी का पक्ष न लें। अगर हम निष्पक्ष न रहें, तो हम ‘दुनिया के हो जाएँगे।’ (यूह. 15:19) हम अच्छी तरह जानते हैं कि सिर्फ परमेश्‍वर का राज ही दुनिया में शांति ला सकता है।

6. हम क्या करना चाहते हैं और क्यों?

6 हम खुद तो सतर्क रहते हैं, लेकिन हम चाहते हैं कि दूसरे भी सतर्क रहें। यही वजह है कि हम उन्हें बाइबल से भविष्य में होनेवाली घटनाओं के बारे में बताते हैं। प्रचार के इस काम में लगे रहना आज बहुत ज़रूरी है! वह इसलिए कि एक बार महा-संकट शुरू हो गया, तो लोगों के लिए मौके का दरवाज़ा बंद हो जाएगा। * इससे पहले कि देर हो जाए, हमें यहोवा के सेवक बनने में लोगों की मदद करनी है।

प्रचार में लगे रहिए

प्रचार काम के ज़रिए हम लोगों को बताते हैं कि सिर्फ परमेश्‍वर का राज दुनिया में सच्ची शांति और सुरक्षा ला सकता है (पैराग्राफ 7-9 देखें)

7. यहोवा आज हमसे क्या चाहता है?

7 “यहोवा का दिन” शुरू होने में बहुत कम वक्‍त रह गया है। यहोवा चाहता है कि हम जी-जान से प्रचार में लगे रहें। हमें इस बात का पूरा ध्यान रखना है कि ‘प्रभु की सेवा में हमारे पास बहुत काम’ हो। (1 कुरिं. 15:58) यीशु ने पहले से बताया था कि हम क्या काम करेंगे। जब वह भविष्यवाणी कर रहा था कि आखिरी दिनों में कौन-कौन-सी बड़ी घटनाएँ होंगी, तो उसने यह भी कहा, “यह ज़रूरी है कि पहले सब राष्ट्रों में खुशखबरी का प्रचार किया जाए।” (मर. 13:4, 8, 10; मत्ती 24:14) ज़रा सोचिए, हर बार जब हम लोगों को गवाही देते हैं, तो हम इस भविष्यवाणी को पूरा कर रहे होते हैं!

8. क्या दिखाता है कि प्रचार काम बढ़ता गया है?

8 प्रचार काम में किस तरह की बढ़ोतरी हुई है? हर साल खुशखबरी कबूल करनेवालों की गिनती बढ़ती जा रही है। इन आखिरी दिनों में पूरी दुनिया में राज प्रचारकों की गिनती पर एक नज़र डालिए। सन्‌ 1914 में 43 देशों में 5,155 प्रचारक थे। आज 240 देशों में करीब 85 लाख प्रचारक हैं! लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि प्रचार काम खत्म हो गया है। हमें अब भी लोगों को बताना है कि परमेश्‍वर का राज ही इंसानों की तकलीफें पूरी तरह मिटाएगा।—भज. 145:11-13.

9. हमें प्रचार काम में क्यों लगे रहना चाहिए?

9 हम प्रचार में तब तक लगे रहेंगे जब तक यहोवा नहीं कहता कि यह काम पूरा हो चुका है। यहोवा और यीशु मसीह को जानने के लिए लोगों के पास कितना वक्‍त रह गया है? (यूह. 17:3) यह हम नहीं जानते। लेकिन हम इतना जानते हैं कि जब तक महा-संकट शुरू नहीं होता, तब तक उन लोगों के पास खुशखबरी कबूल करने का मौका है, जो “हमेशा की ज़िंदगी पाने के लायक अच्छा मन” रखते हैं। (प्रेषि. 13:48) इससे पहले कि बहुत देर हो जाए, हम इन लोगों की मदद कैसे कर सकते हैं?

10. यहोवा ने क्या इंतज़ाम किए हैं, ताकि हम लोगों को सच्चाई सिखा सकें?

10 यहोवा ने अपने संगठन के ज़रिए कई इंतज़ाम किए हैं, ताकि हम लोगों को सच्चाई सिखा सकें। हफ्ते के बीच की सभा  को ही लीजिए। इसमें हमें सिखाया जाता है कि पहली मुलाकात में लोगों को गवाही कैसे दें और वापसी भेंट कैसे करें। हम यह भी सीखते हैं कि बाइबल अध्ययन कैसे किया जाता है। यहोवा के संगठन ने हमें प्रकाशनों का पिटारा  भी दिया है। इसमें ऐसे प्रकाशन हैं, जिनसे हम . . .

  • लोगों से बातचीत शुरू कर सकते हैं,

  • उनकी दिलचस्पी बढ़ा सकते हैं,

  • उन्हें बाइबल अध्ययन करने के लिए उभार सकते हैं,

  • अध्ययन कराते वक्‍त सच्चाई सिखा सकते हैं और

  • दिलचस्पी रखनेवालों को अपनी वेबसाइट देखने और राज-घर आने के लिए कह सकते हैं।

हमें इन प्रकाशनों का अच्छा इस्तेमाल करना चाहिए। * जैसे, अगर किसी व्यक्‍ति से बात करके हमें लगता है कि उसे दिलचस्पी है, तो हम उसे एक परचा या पत्रिका दे सकते हैं। इस तरह जब तक हम उससे दोबारा मिलते हैं, तब तक वह उस प्रकाशन को पढ़ सकता है। यह हममें से हरेक की ज़िम्मेदारी है कि हम हर महीने प्रचार में ज़्यादा-से-ज़्यादा करें।

11. “पवित्र शास्त्र का ऑनलाइन कोर्स” किस मकसद से तैयार किया गया है?

11 लोगों को सच्चाई सिखाने के लिए यहोवा ने एक और बढ़िया इंतज़ाम किया है। वह है, jw.org® पर पवित्र शास्त्र का ऑनलाइन कोर्स।”  यह कोर्स किस मकसद से तैयार किया गया है? हर महीने हज़ारों लोग बाइबल सीखने के लिए इंटरनेट पर खोजबीन करते हैं। हमारी वेबसाइट पर दिए कोर्स की मदद से वे बाइबल में दी सच्चाई सीख सकते हैं। आपने देखा होगा कि जब आप लोगों को बाइबल अध्ययन के लिए पूछते हैं, तो कुछ लोग “हाँ” कहने से झिझकते हैं। वह इसलिए कि वे नहीं चाहते कि कोई आकर उन्हें पढ़ाए। ऐसे में आप उन्हें हमारी वेबसाइट पर दिए इस कोर्स के बारे में बता सकते हैं या फिर उन्हें इसका लिंक भेज सकते हैं। *

12. “पवित्र शास्त्र का ऑनलाइन कोर्स” करके लोग क्या सीखेंगे?

12 इस कोर्स में कई विषयों पर जानकारी दी गयी है जैसे, “परमेश्‍वर और उसकी दी हुई किताब,” “बाइबल के खास किरदार” और “बाइबल में दिया आशा का संदेश।” इन विषयों का अध्ययन करने से हमें आगे बताए सवालों के जवाब मिलेंगे:

  • बाइबल एक व्यक्‍ति की कैसे मदद कर सकती है?

  • यहोवा, यीशु और स्वर्गदूत कौन हैं?

  • परमेश्‍वर ने इंसानों को क्यों बनाया?

  • बुराई और दुख-तकलीफें क्यों हैं?

इस कोर्स से यह भी पता चलेगा कि यहोवा कैसे. . .

  • दुख-तकलीफ और मौत को मिटाएगा,

  • मरे हुए लोगों को ज़िंदा करेगा और

  • इंसान की नाकाम सरकारों को हटाकर अपना राज लाएगा।

13. क्या ऑनलाइन कोर्स का मतलब है कि अब हमें लोगों के साथ बाइबल अध्ययन करने की ज़रूरत नहीं है? समझाइए।

13 इस ऑनलाइन कोर्स से एक व्यक्‍ति बाइबल के बारे में काफी कुछ सीख सकता है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि अब हमें लोगों के साथ बाइबल अध्ययन करने की ज़रूरत नहीं है। यीशु ने चेला बनाने का सम्मान हमें दिया है। हमें उम्मीद है कि दिलचस्पी रखनेवाले लोग इस ऑनलाइन कोर्स का अच्छे से अध्ययन करेंगे, उनके दिल में कदर बढ़ेगी और वे बाइबल के बारे में और भी सीखना चाहेंगे। अगर ऐसा है, तो शायद वे हमारे साथ बाइबल अध्ययन करने के लिए राज़ी हो जाएँ। इस कोर्स में दिए हर पाठ के आखिर में पढ़नेवाले को बढ़ावा दिया गया है कि वह साक्षियों से बाइबल अध्ययन की गुज़ारिश करे। दुनिया की अलग-अलग जगहों से हर रोज़ करीब 230 लोग हमारी वेबसाइट पर बाइबल अध्ययन की गुज़ारिश करते हैं। वाकई, कोई भी कोर्स बाइबल अध्ययन की जगह नहीं ले सकता!

चेला बनाने की कोशिश करते रहिए

14. मत्ती 28:19, 20 में दी यीशु की आज्ञा के मुताबिक हमारी क्या कोशिश रहती है और क्यों?

14 मत्ती 28:19, 20 पढ़िए। जब हम बाइबल अध्ययन कराते हैं, तो हमारी यही कोशिश रहती है कि हम ‘लोगों को चेला बनाएँ  और उन्हें वे सारी बातें मानना सिखाएँ जिनकी यीशु ने आज्ञा दी है।’ लोगों के लिए यह समझना बहुत ज़रूरी है कि उन्हें यहोवा की उपासना करनी है और उसके राज का पक्ष लेना है। ऐसा वे तभी कर पाएँगे जब हम उन्हें बाइबल की शिक्षाएँ ज़िंदगी में लागू करना सिखाएँगे, साथ ही उन्हें यहोवा को अपना जीवन समर्पित करने और बपतिस्मा लेने का बढ़ावा देंगे। तभी वे यहोवा के दिन में बच पाएँगे।—1 पत. 3:21.

15. हमारे पास किस बात के लिए समय नहीं है और क्यों?

15 जैसा हमने पहले देखा, इस दुष्ट दुनिया का अंत होने में बहुत कम वक्‍त रह गया है। हमारे पास इतना समय नहीं कि हम उन लोगों के साथ अध्ययन करते रहें, जो अपने तौर-तरीके बदलना नहीं चाहते और यीशु के चेले बनना नहीं चाहते। (1 कुरिं. 9:26) प्रचार का काम जल्द-से-जल्द किया जाना है! बहुत-से लोगों को अब भी राज का संदेश सुनाया जाना है। इससे पहले कि बहुत देर हो जाए, हमें उन तक पहुँचना है।

झूठे धर्मों से कोई नाता मत रखिए

16. प्रकाशितवाक्य 18:2, 4, 5, 8 के मुताबिक हम सभी को क्या कदम उठाना चाहिए? (फुटनोट भी देखें।)

16 प्रकाशितवाक्य 18:2, 4, 5, 8 पढ़िए। इन आयतों के मुताबिक यहोवा हमसे एक और कदम उठाने की उम्मीद करता है। सभी सच्चे मसीहियों को यह साफ ज़ाहिर करना चाहिए कि वे महानगरी बैबिलोन का कोई हिस्सा नहीं हैं। सच्चाई सीखने से पहले शायद एक बाइबल विद्यार्थी किसी झूठे धर्म से जुड़ा हो। हो सकता है, वह उसकी धार्मिक सभाओं में जाता हो, उसके कार्यक्रमों में भाग लेता हो या फिर वहाँ दान करता हो। लेकिन बपतिस्मा-रहित प्रचारक बनने के लिए ज़रूरी है कि वह झूठे धर्म से सारे नाते तोड़ ले। इसके लिए उसे अपने चर्च को या जिस संगठन से वह जुड़ा है, त्यागपत्र देना होगा या किसी तरह ज़ाहिर करना होगा कि अब से वह उस झूठे धर्म का सदस्य नहीं है। *

17. मसीहियों को किस तरह के काम से सावधान रहना चाहिए और क्यों?

17 सच्चे मसीहियों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनकी नौकरी किसी भी तरह झूठे धर्मों से न जुड़ी हो। (2 कुरिं. 6:14-17) उदाहरण के लिए एक मसीही, चर्च के लिए नौकरी नहीं करेगा। लेकिन तब क्या अगर एक मसीही जिस कंपनी में काम करता है, वह ऐसी जगह काम करने का ठेका लेती है, जहाँ झूठे धर्मों का बढ़ावा दिया जाता है? अगर उस भाई से काफी समय तक वहाँ पर काम करने के लिए कहा जाए, तो क्या वह करेगा? नहीं! यह बात तब भी सच है जब उस मसीही का अपना कारोबार हो। वह ऐसी धार्मिक जगहों पर काम करने का ठेका बेशक नहीं लेगा। हम इस मामले को इतनी गंभीरता से क्यों लेते हैं? क्योंकि ये धार्मिक संगठन परमेश्‍वर की नज़र में अशुद्ध हैं और हम उनके कामों और पापों में हिस्सेदार नहीं होना चाहते।—यशा. 52:11. *

18. एक भाई ने किस तरह नौकरी के मामले में बाइबल सिद्धांतों से समझौता नहीं किया?

18 कई साल पहले की बात है। एक कसबे में एक प्राचीन का अपना कारोबार था, वह बढ़ई का काम करता था। एक दिन एक ठेकेदार ने आकर उसे वहाँ के चर्च में एक छोटा-सा काम करने के लिए कहा। ठेकेदार अच्छी तरह जानता था कि भाई ने पहले भी चर्चों के लिए काम करने से मना कर दिया था। मगर इस बार उसे इस काम के लिए और कोई नहीं मिल रहा था। फिर भी भाई ने वह काम करने से इनकार कर दिया, उसने बाइबल सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। अगले हफ्ते अखबार में एक दूसरे बढ़ई की तसवीर आयी, जिसमें वह चर्च पर क्रूस लगा रहा था। अगर हमारे भाई ने वह काम किया होता, तो अखबार में शायद उसकी तसवीर आती। ज़रा सोचिए, दूसरे मसीही उसके बारे में क्या सोचते! इससे भी बढ़कर, यहोवा को कैसा लगता?

हमने क्या सीखा है?

19-20. (क) हमने अब तक क्या सीखा है? (ख) अगले लेख में किन सवालों पर चर्चा की जाएगी?

19 बाइबल के मुताबिक अब जो भविष्यवाणी पूरी होनेवाली है, वह है “शांति और सुरक्षा” का ऐलान। यहोवा ने पहले ही बता दिया है कि दुनिया के नेता सच में शांति कायम नहीं कर पाएँगे। लेकिन यह ऐलान होने और लोगों पर अचानक विनाश आने से पहले यहोवा हमसे कुछ उम्मीद करता है। वह चाहता है कि हम राज का संदेश सुनाने और चेला बनाने के काम में लगे रहें। साथ ही, हमें ध्यान रखना है कि झूठे धर्मों से हमारा कोई लेना-देना न हो। इसके लिए हमें धार्मिक संगठनों से नाता तोड़ लेना चाहिए और ऐसी जगह काम नहीं करना चाहिए, जहाँ झूठे धर्मों का बढ़ावा दिया जाता है।

20 “आखिरी दिनों” की आखिरी घड़ी में और भी घटनाएँ घटेंगी। यहोवा हमसे और भी कुछ उम्मीद करता है। वह हमसे क्या चाहता है और भविष्य में होनेवाली घटनाओं का सामना करने के लिए हम खुद को कैसे तैयार कर सकते हैं? इस बारे में अगले लेख में चर्चा की जाएगी।

गीत 71 हम यहोवा की सेना हैं!

^ पैरा. 5 बहुत जल्द दुनिया के नेता यह ऐलान करेंगे कि वे “शांति और सुरक्षा” लाने में कामयाब हुए हैं। जब वे ऐसा करेंगे, तो इसका मतलब होगा कि महा-संकट बस शुरू होनेवाला है। इस ऐलान के होने तक यहोवा हमसे क्या उम्मीद करता है? इस लेख में इसी सवाल का जवाब दिया जाएगा।

^ पैरा. 3 मिसाल के लिए, संयुक्‍त राष्ट्र की वेबसाइट बताती है कि “पूरी दुनिया में शांति और सुरक्षा” कायम करना ही उसका लक्ष्य है।

^ पैरा. 23 प्रकाशनों के पिटारे का अच्छी तरह इस्तेमाल कैसे करें, इस बारे में और जानने के लिए अक्टूबर 2018 की प्रहरीदुर्ग  में लेख, “सच्चाई सिखाइए” देखें।

^ पैरा. 11 फिलहाल यह कोर्स अँग्रेज़ी और पुर्तगाली में उपलब्ध है। बहुत जल्द यह और भी भाषाओं में उपलब्ध होगा।

^ पैरा. 16 हमारा उन संगठनों से भी कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए, जो खेल-कूद की सुविधाओं या नौजवानों के लिए मनोरंजन का आयोजन करते हैं, मगर जिनका झूठे धर्म से नाता है। वाई.एम.सी.ए. (यंग मैन क्रिश्‍चियन एसोसिएशन) और वाई.डब्ल्यू.सी.ए. (यंग विमेन क्रिश्‍चियन एसोसिएशन) ऐसे ही कुछ संगठन हैं। इनके बारे में और जानने के लिए 1 जनवरी, 1979 की अँग्रेज़ी प्रहरीदुर्ग  में दिया लेख, “आपने पूछा” देखें। हालाँकि इन संगठनों की कुछ शाखाएँ यह दावा करती हैं कि उनके यहाँ धर्म से जुड़े काम नहीं किए जाते, मगर सच तो यह है कि वे धार्मिक विचारों और उद्देश्‍यों का बढ़ावा देती हैं।

^ पैरा. 17 धार्मिक संगठनों से जुड़ी जगहों पर काम करने के बारे में बाइबल क्या कहती है, इस बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए 15 अप्रैल, 1999 की प्रहरीदुर्ग  में “पाठकों के प्रश्‍न” देखें।

^ पैरा. 83 तसवीर के बारे में: एक कॉफी शॉप में टीवी पर “ब्रेकिंग न्यूज़” दिखायी जा रही है, “शांति और सुरक्षा” का ऐलान हो रहा है। सभी ग्राहक चौंक जाते हैं। वहाँ एक साक्षी पति-पत्नी भी हैं, जो प्रचार के बाद कॉफी पीने आए हैं। लेकिन वे यह खबर सुनकर चौंक नहीं जाते।