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अध्ययन लेख 25

“मैं खुद अपनी भेड़ों को ढूँढ़कर लाऊँगा”

“मैं खुद अपनी भेड़ों को ढूँढ़कर लाऊँगा”

“मैं खुद अपनी भेड़ों को ढूँढ़कर लाऊँगा और उनकी देखभाल करूँगा।”—यहे. 34:11.

गीत 105 “परमेश्‍वर प्यार है”

लेख की एक झलक *

1. यहोवा ने अपनी तुलना एक माँ से क्यों की?

“क्या ऐसा हो सकता है कि एक माँ अपने दूध-पीते बच्चे को भूल जाए?” यह सवाल हज़ारों साल पहले यहोवा ने भविष्यवक्‍ता यशायाह के दिनों में अपने लोगों से किया था। फिर उसने कहा, “अगर वह भूल भी जाए, तो भी मैं [तुम्हें] कभी नहीं भूलूँगा।” (यशा. 49:15) हालाँकि बाइबल में ऐसे बहुत कम किस्से हैं जहाँ यहोवा ने अपनी तुलना एक माँ से की, लेकिन यहाँ उसने ऐसा किया। लेकिन जिस तरह माँ अपने बच्चे से लगाव रखती है, उसी तरह यहोवा भी अपने सेवकों से बहुत लगाव रखता है। एक माँ की ममता के बारे में हासमीन नाम की बहन ने कहा, “जब माँ अपने नन्हे-मुन्‍ने को दूध पिलाती है, तो उन दोनों को एक-दूसरे से गहरा लगाव होने लगता है, ऐसा लगाव जो ज़िंदगी-भर बना रहता है।” हासमीन की इस बात से ज़्यादातर माँएँ सहमत होंगी।

2. जब यहोवा का कोई सेवक उससे दूर चला जाता है, तो उसे कैसा लगता है?

2 अगर एक भी मसीही सभाओं में जाना और प्रचार करना छोड़ दे, तो यहोवा को अपने उस बच्चे की फिक्र होने लगती है। तो सोचिए, जब हर साल उसके हज़ारों सेवक निष्क्रिय * हो जाते हैं, तो उसे कितना दुख होता होगा!

3. यहोवा किस बात के लिए बेताब है?

3 इनमें से कई प्यारे भाई-बहन मंडली में लौट आए हैं और उन्हें देखकर हमें बहुत खुशी होती है। लेकिन जो अब तक नहीं आए हैं, उन्हें भी यहोवा मंडली में दोबारा देखने के लिए बेताब है। हम भी यही चाहते हैं। (1 पत. 2:25) यहोवा के पास लौट आने में हम इन भाई-बहनों की कैसे मदद कर सकते हैं? इस सवाल का जवाब जानने से पहले, आइए गौर करें कि कुछ लोग सभाओं और प्रचार में जाना क्यों बंद कर देते हैं।

कुछ लोग यहोवा की सेवा करना क्यों छोड़ देते हैं?

4. कुछ भाई-बहनों पर नौकरी का क्या असर होता है?

4 कुछ भाई-बहन अपने काम में पूरी तरह डूब जाते हैं। भाई हंग * पर ध्यान दीजिए, जो दक्षिण-पूर्वी एशिया के एक देश में रहते हैं। भाई का कहना है, “मैं अपना सारा समय और अपनी सारी ताकत नौकरी में लगा देता था। मुझे लगा कि अगर मेरे पास बहुत पैसा होगा, तो मैं यहोवा की सेवा और अच्छी तरह कर पाऊँगा। इसलिए मैं ज़्यादा घंटे काम करने लगा। धीरे-धीरे मैंने सभाओं में जाना कम कर दिया। फिर एक वक्‍त ऐसा आया कि मैंने सभाओं में जाना पूरी तरह बंद कर दिया। सच में, यह दुनिया हमारा ध्यान भटका सकती है और हमें यहोवा से दूर ले जा सकती है।”

5. जब एक बहन की ज़िंदगी में कई मुश्‍किलें आयीं, तो उस पर क्या असर हुआ?

5 कुछ भाई-बहनों की ज़िंदगी में एक-के-बाद-एक कई परेशानियाँ आती हैं, जिस वजह से वे बहुत निराश हो जाते हैं। ब्रिटेन में रहनेवाली ऐन नाम की बहन के साथ ऐसा ही हुआ। बहन के पाँच बच्चे हैं। वह कहती है, “मेरा छोटा बेटा अपाहिज पैदा हुआ। कुछ समय बाद मेरी एक बेटी का बहिष्कार हो गया। फिर मेरे बड़े बेटे को एक मानसिक बीमारी हो गयी। मैं इतनी निराश हो गयी कि मैंने सभाओं में जाना और प्रचार करना छोड़ दिया। मैं यहोवा से दूर चली गयी।” बहन ऐन और उसके परिवार की तरह बहुत-से भाई-बहन हर दिन मुश्‍किलों का सामना करते हैं। इन भाई-बहनों के बारे में सोचकर हमें बहुत दुख होता है।

6. अगर हम कुलुस्सियों 3:13 में दी सलाह न मानें, तो हमारे साथ क्या हो सकता है?

6 कुलुस्सियों 3:13 पढ़िए। कुछ मसीहियों को किसी भाई या बहन ने ठेस पहुँचायी, इसलिए वे यहोवा से दूर चले गए। प्रेषित पौलुस ने कहा कि कई बार शायद हमारे पास किसी भाई या बहन “के खिलाफ शिकायत की कोई वजह” हो। हो सकता है, हमारे साथ नाइंसाफी हुई हो। इस वजह से शायद हम कड़वाहट से भर जाएँ और धीरे-धीरे यहोवा के लोगों से मेल-जोल रखना बंद कर दें। दक्षिण अमरीका में रहनेवाले भाई पाब्लो के साथ कुछ ऐसा ही हुआ। किसी ने उस पर गलत काम करने का झूठा इलज़ाम लगाया, जिस वजह से मंडली में उसकी ज़िम्मेदारी ले ली गयी। जब ऐसा हुआ, तो भाई को कैसा लगा? वह बताता है, “मुझे बहुत गुस्सा आया और धीरे-धीरे मैं मंडली से दूर चला गया।”

7. अगर कोई दोषी महसूस करता है, तो इसका क्या नतीजा हो सकता है?

7 हो सकता है, किसी भाई या बहन ने बीते समय में कोई बड़ा पाप किया हो और अब भी उसे बहुत बुरा लग रहा हो। शायद उसे लगे कि वह यहोवा के प्यार के लायक नहीं है। हो सकता है कि उसने पश्‍चाताप किया हो और उसे माफ भी कर दिया गया हो, फिर भी उसे लगता हो कि वह यहोवा की सेवा करने के लायक नहीं है। फ्रांसिस्को नाम के भाई को भी ऐसा ही लगता था। उसका कहना है, “अनैतिक काम करने की वजह से मुझे सुधारा गया था। हालाँकि मैं सभाओं में जाता रहा, पर आगे चलकर मैं बहुत मायूस हो गया। मुझे लगने लगा कि मैं यहोवा के लोगों के बीच रहने के लायक नहीं हूँ। मेरा ज़मीर मुझे कचोटता था। मुझे लगता था कि यहोवा ने मुझे माफ नहीं किया है। कुछ समय बाद मैंने सभाओं और प्रचार में जाना बंद कर दिया।” ऐसे भाई-बहनों के बारे में आप कैसा महसूस करते हैं? क्या आप उनका दर्द समझ सकते हैं? सबसे बढ़कर, यहोवा उनके बारे में कैसा महसूस करता है?

यहोवा अपनी भेड़ों से बहुत प्यार करता है

एक इसराएली चरवाहे को अपनी खोयी हुई भेड़ की बहुत फिक्र होती थी (पैराग्राफ 8-9 देखें) *

8. क्या यहोवा उन लोगों को भूल गया है, जो एक समय पर उसकी सेवा करते थे? समझाइए।

8 यहोवा उन लोगों को नहीं भूला है जो एक वक्‍त पर उसकी सेवा करते थे मगर अब उससे दूर चले गए हैं। यहोवा यह भी नहीं भूला है कि उन्होंने उसकी सेवा में कितनी मेहनत की थी। (इब्रा. 6:10) भविष्यवक्‍ता यशायाह ने एक खूबसूरत मिसाल देकर समझाया कि यहोवा को अपने लोगों की कितनी परवाह है। उसने लिखा, “वह चरवाहे की तरह अपने झुंड की देखभाल करेगा, अपने हाथों से मेम्नों को इकट्ठा करेगा, उन्हें अपनी गोद में उठाएगा।” (यशा. 40:11) जब महान चरवाहे यहोवा की एक भेड़ झुंड से अलग हो जाती है, तो उसे कैसा लगता है? इसका जवाब हमें यीशु के उन शब्दों से मिलता है जो उसने अपने चेलों से कहे थे: “तुम क्या सोचते हो? अगर किसी आदमी की 100 भेड़ें हों और उनमें से एक भटक जाए, तो क्या वह बाकी 99 को पहाड़ों पर छोड़कर उस एक भटकी हुई भेड़ को ढूँढ़ने नहीं जाएगा? और अगर वह उसे मिल जाती है, तो मैं तुमसे सच कहता हूँ कि वह अपनी 99 भेड़ों से ज़्यादा, जो भटकी नहीं थीं, इस एक भेड़ के लिए खुशियाँ मनाएगा।”​मत्ती 18:12, 13.

9. एक अच्छे चरवाहे को अपनी भेड़ों की कितनी परवाह होती है? (बाहर दी तसवीर देखें।)

9 यहोवा की तुलना एक चरवाहे से क्यों की गयी है? वह इसलिए कि पुराने ज़माने में एक अच्छा चरवाहा अपनी भेड़ों से बहुत प्यार करता था। दाविद को ही लीजिए। एक बार अपनी भेड़ों को बचाने के लिए वह एक शेर और भालू से भी लड़ा। (1 शमू. 17:34, 35) जैसे यीशु ने मिसाल में बताया, एक अच्छा चरवाहा अपनी भेड़ों पर नज़र रखता है। अगर उसकी एक भी भेड़ झुंड से भटक जाती है, तो उसे तुरंत पता चल जाता है। (यूह. 10:3, 14) वह अपनी 99 भेड़ों को बाड़े में या फिर दूसरे चरवाहों के भरोसे छोड़कर भटकी हुई भेड़ को ढूँढ़ने निकल पड़ता है। यीशु ने यह मिसाल देकर हमें एक अहम सच्चाई बतायी। उसने कहा, “मेरा पिता जो स्वर्ग में है, नहीं चाहता कि इन छोटों में से एक भी नाश हो।”​—मत्ती 18:14.

प्राचीन इसराएल में एक चरवाहा अपने खोए हुए मेम्ने की मरहम-पट्टी कर रहा है (पैराग्राफ 9 पढ़ें)

यहोवा अपनी भेड़ को ढूँढ़ता है

10. यहेजकेल 34:11-16 के मुताबिक यहोवा ने अपनी खोयी हुई भेड़ों के लिए क्या करने का वादा किया है?

10 यहोवा हममें से हरेक से बहुत प्यार करता है, उन ‘छोटी भेड़ों’ से भी जो उसके झुंड से भटक गयी हैं। भविष्यवक्‍ता यहेजकेल के ज़रिए परमेश्‍वर ने वादा किया कि वह अपनी खोयी हुई भेड़ों को ढूँढ़ेगा और दोबारा अपने साथ एक मज़बूत रिश्‍ता कायम करने में उनकी मदद करेगा। उसने बताया कि वह उन्हें बचाने के लिए वह सब करेगा जो आम तौर पर एक इसराएली चरवाहा करता था। (यहेजकेल 34:11-16 पढ़िए।) सबसे पहले, चरवाहा अपनी भेड़ को ढूँढ़ता था। इसमें बहुत समय और मेहनत लगती थी। जब उसे भेड़ मिल जाती थी, तो वह उसे वापस झुंड में ले आता था। अगर उसकी भेड़ घायल होती या उसे भूख लगी होती, तो वह प्यार से उस कमज़ोर भेड़ की देखभाल करता और उसकी मरहम-पट्टी करता। वह उसे अपनी गोद में ले लेता और उसे खिलाता। “परमेश्‍वर के झुंड” के चरवाहों यानी प्राचीनों को भी उन भाई-बहनों की कुछ इसी तरह मदद करनी है, जो मंडली से दूर चले गए हैं। (1 पत. 5:2, 3) प्राचीन उन्हें ढूँढ़ते हैं, उन्हें वापस झुंड में यानी मंडली में लेकर आते हैं और यहोवा के दोस्त बनने में प्यार से उनकी मदद करते हैं। *

11. एक अच्छा चरवाहा कौन-सी बात जानता था?

11 एक अच्छा चरवाहा यह बात समझता था कि उसकी भेड़ें खो सकती हैं। यही वजह थी कि अगर कोई भेड़ झुंड से भटक जाती, तो वह उसके साथ बुरा सुलूक नहीं करता था। ध्यान दीजिए कि परमेश्‍वर ने अपने कुछ सेवकों की कैसे मदद की, जो कुछ वक्‍त के लिए भटक गए थे।

12. यहोवा ने योना से किस तरह व्यवहार किया?

12 यहोवा ने भविष्यवक्‍ता योना को नीनवे जाने के लिए कहा था, मगर योना ने परमेश्‍वर की बात नहीं मानी। लेकिन इस वजह से यहोवा ने उसे ठुकरा नहीं दिया। यहोवा एक अच्छा चरवाहा है, इसलिए उसने योना को मौत के मुँह से बचाया और उसे अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करने की हिम्मत दी। (योना 2:7; 3:1, 2) बाद में यहोवा ने घीए की बेल से योना को समझाया कि उसके लिए हर इंसान की जान बहुत कीमती है। (योना 4:10, 11) इससे हम क्या सीख सकते हैं? प्राचीनों को निष्क्रिय मसीहियों के साथ सब्र से पेश आना चाहिए। उन्हें यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि यहोवा की एक भेड़ किस वजह से झुंड से दूर चली गयी। जब वह भेड़ यहोवा के पास लौट आए, तो प्राचीनों को उसके साथ प्यार से पेश आना चाहिए।

13. भजन 73 के रचयिता के साथ यहोवा जिस तरह पेश आया, उससे हम क्या सीख सकते हैं?

13 जब भजन 73 के रचयिता ने देखा कि दुष्ट लोग फल-फूल रहे हैं और उन्हें हमेशा सबकुछ आराम से मिल जाता है, तो वह बहुत निराश हो गया। वह सोचने लगा कि परमेश्‍वर की सेवा करने का कोई फायदा नहीं। (भज. 73:12, 13, 16) इस पर यहोवा ने क्या किया? यहोवा ने उसे धिक्कारा नहीं। इसके बजाय उसने बाइबल में उसकी सोच दर्ज़ करवायी। आगे चलकर उसे एहसास हो गया कि यहोवा के साथ एक अच्छे रिश्‍ते से बढ़कर कुछ भी नहीं। (भज. 73:23, 24, 26, 28) इससे हम क्या सीखते हैं? अगर किसी भाई या बहन को लगता है कि यहोवा की सेवा करने का कोई फायदा नहीं, तो प्राचीनों को झट से उसके बारे में गलत राय नहीं कायम कर लेनी चाहिए। उन्हें यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि उस भाई या बहन ने क्यों फलाँ बात कही या फलाँ तरीके से व्यवहार किया। जब प्राचीन इस बात को समझ जाएँगे, तो वे उसे बाइबल से ऐसी आयतें दिखा पाएँगे, जिससे उसका हौसला बढ़ेगा।

14. (क) एलियाह को मदद की ज़रूरत क्यों थी? (ख) यहोवा ने किस तरह उसकी मदद की?

14 अब ज़रा भविष्यवक्‍ता एलियाह पर ध्यान दीजिए। एक बार वह रानी इज़ेबेल से अपनी जान बचाकर भाग रहा था। (1 राजा 19:1-3) उसे लगा कि उसके अलावा यहोवा का कोई भविष्यवक्‍ता नहीं है और उसने जो भी किया वह बेकार था। वह इतना निराश हो गया कि वह मर जाना चाहता था। (1 राजा 19:4, 10) यहोवा ने एलियाह को फटकारने के बजाय उसे यह यकीन दिलाया कि वह अकेला नहीं है और वह उसकी मदद करेगा। उसने यह भी कहा कि अब भी बहुत काम बाकी है जो उसे करना है। जब एलियाह ने यहोवा को अपनी चिंताएँ बतायीं, तो यहोवा ने ध्यान से उसकी सुनी। फिर यहोवा ने उसे नया काम सौंपा। (1 राजा 19:11-16, 18) इससे हम क्या सीखते हैं? हम सभी को, खासकर प्राचीनों को यहोवा की भेड़ों से प्यार से व्यवहार करना चाहिए। हो सकता है, एक मसीही के मन में कड़वाहट हो या फिर उसे लगता हो कि वह यहोवा से माफी पाने के लायक नहीं है। लेकिन जब वह प्राचीनों को अपने दिल की बात बताता है, तो उन्हें ध्यान से उसकी सुननी चाहिए। फिर उसे यकीन दिलाना चाहिए कि वह यहोवा के लिए अब भी अनमोल है।

खोयी हुई भेड़ों के बारे में हमें कैसा महसूस करना चाहिए?

15. यूहन्‍ना 6:39 के मुताबिक यीशु अपने पिता की भेड़ों के बारे में कैसा महसूस करता था?

15 हमें यहोवा की खोयी हुई भेड़ों के बारे में कैसा महसूस करना चाहिए? यह जानने के लिए हम यीशु की मिसाल पर गौर कर सकते हैं। वह जानता था कि यहोवा की हर एक भेड़ उसके लिए अनमोल है, इसलिए उसने “इसराएल के घराने की खोयी हुई भेड़ों” को ढूँढ़ने में बहुत मेहनत की और यहोवा के पास लौटने में उनकी मदद की। (मत्ती 15:24; लूका 19:9, 10) एक अच्छे चरवाहे की तरह यीशु ने भी इस बात का बहुत ध्यान रखा कि यहोवा की एक भी भेड़ न खोए।​—यूहन्‍ना 6:39 पढ़िए।

16-17. प्राचीनों को उन मसीहियों के बारे में कैसा महसूस करना चाहिए, जो यहोवा से दूर चले गए हैं? (“ एक खोयी हुई भेड़ को कैसा लगता है?” नाम का बक्स पढ़ें।)

16 प्रेषित पौलुस ने इफिसुस की मंडली के प्राचीनों से कहा कि उन्हें भी यीशु की तरह यहोवा की भेड़ों की मदद करनी चाहिए। उसने कहा, “उन लोगों की मदद करो जो कमज़ोर हैं और प्रभु यीशु के ये शब्द हमेशा याद रखो जो उसने खुद कहे थे: ‘लेने से ज़्यादा खुशी देने में है।’” (प्रेषि. 20:17, 35) इससे पता चलता है कि यहोवा के लोगों की देखभाल करने की खास ज़िम्मेदारी प्राचीनों की है। स्पेन में रहनेवाले एक प्राचीन, साल्वाडोर का कहना है, “जब मैं सोचता हूँ कि यहोवा अपनी खोयी हुई भेड़ों की कितनी परवाह करता है, तो मैं भी उनकी मदद करना चाहता हूँ। यहोवा चाहता है कि मैं उसकी भेड़ों की अच्छे-से देखभाल करूँ।”

17 इस लेख में हमने उन भाई-बहनों के बारे में चर्चा की जो यहोवा से दूर चले गए थे। लेकिन जब उनकी मदद की गयी, तो वे यहोवा के पास लौट आए। आज भी ऐसे कई भाई-बहन हैं, जो वापस यहोवा के पास आने के लिए तरस रहे हैं। हम यहोवा की इन भेड़ों की कैसे मदद कर सकते हैं? अगले लेख में हम इस बारे में चर्चा करेंगे।

गीत 139 खुद को नयी दुनिया में देखें!

^ पैरा. 5 कुछ मसीही सालों से यहोवा की सेवा कर रहे थे, मगर फिर वे मंडली से दूर चले गए। वह क्यों? उनके बारे में परमेश्‍वर कैसा महसूस करता है? इस लेख में हम इन सवालों के जवाब जानेंगे। हम यह भी सीखेंगे कि पुराने ज़माने में यहोवा ने कैसे उन लोगों की मदद की, जो कुछ वक्‍त के लिए उससे दूर चले गए थे।

^ पैरा. 2 इसका क्या मतलब है? एक निष्क्रिय  प्रचारक ऐसा मसीही है, जिसने छ: महीने या उससे ज़्यादा समय से प्रचार काम और चेला बनाने के काम में हिस्सा नहीं लिया है और न ही इसकी रिपोर्ट डाली है। लेकिन वे अब भी हमारे भाई-बहन हैं और हम उनसे प्यार करते हैं।

^ पैरा. 4 कुछ नाम बदल दिए गए हैं।

^ पैरा. 10 अगले लेख में इस बारे में चर्चा की जाएगी कि प्राचीन ये तीन कदम कैसे उठा सकते हैं।

^ पैरा. 60 तसवीर के बारे में: एक इसराएली चरवाहे को अपनी खोयी हुई भेड़ की बहुत फिक्र होती थी। वह उसे ढूँढ़ता था और उसे वापस झुंड में ले आता था। आज मंडली में हमारे चरवाहे भी ऐसा ही करते हैं।

^ पैरा. 64 तसवीर के बारे में: एक निष्क्रिय बहन बस के चलने का इंतज़ार कर रही है। वह देखती है कि दो साक्षी खुशी-खुशी सरेआम गवाही दे रहे हैं।