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अध्ययन लेख 43

यहोवा अपने संगठन को चला रहा है

यहोवा अपने संगठन को चला रहा है

“सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘न किसी सेना से, न ताकत से बल्कि मेरी पवित्र शक्‍ति से यह सब होगा।’”​—जक. 4:6.

गीत 40 हम किसके हैं?

लेख की एक झलक *

1. बपतिस्मे के बाद भी यहोवा के सेवकों को क्या करते रहना है?

क्या आपको वह दिन याद है जब आपका बपतिस्मा हुआ था? बेशक आप वह दिन कभी नहीं भूलेंगे। बपतिस्मा लेकर आपने सब पर यह ज़ाहिर किया था कि आपको यहोवा पर विश्‍वास है और आप उसके संगठन  * के साथ मिलकर उसकी सेवा करना चाहते हैं। अब जब आपका बपतिस्मा हो चुका है, तो आपको यहोवा पर अपना विश्‍वास बढ़ाते जाना है और इस बात पर अपना भरोसा मज़बूत करना है कि आज यहोवा ही अपने संगठन को चला रहा है।

2-3. यहोवा आज अपने संगठन को जिस तरह चला रहा है उससे क्या पता चलता है? समझाने के लिए तीन बातें बताइए।

2 अब हम गौर करेंगे कि यहोवा अपने संगठन को किस तरह चला रहा है। इससे हमें पता चलेगा कि यहोवा में क्या-क्या खूबियाँ हैं, वह अपने संगठन के ज़रिए आज क्या काम करवा रहा है और उसके स्तर क्या हैं। आइए हम यहोवा की तीन खूबियों पर गौर करें।

3 सबसे पहली बात यह है कि “परमेश्‍वर भेदभाव नहीं करता।”  (प्रेषि. 10:34) यहोवा सबसे प्यार करता है, इसलिए उसने “सबकी खातिर फिरौती” के रूप में अपना बेटा दे दिया। (1 तीमु. 2:6; यूह. 3:16) यहोवा अपने लोगों के ज़रिए सब तक खुशखबरी पहुँचा रहा है ताकि ज़्यादा-से-ज़्यादा लोग फिरौती पर विश्‍वास करें और उद्धार पाएँ। दूसरी बात, यहोवा शांति का परमेश्‍वर है और हर काम कायदे से करता है।  (1 कुरिं. 14:33, 40) इसलिए उसके उपासकों को भी शांति बनाए रखनी चाहिए और हर काम कायदे से करना चाहिए। तीसरी बात यह है कि यहोवा “महान उपदेशक” है।  (यशा. 30:20, 21) इसलिए उसके संगठन में उसके वचन के बारे में सिखाने के लिए बहुत मेहनत की जाती है। मंडली में भी सिखाया जाता है और बाहर के लोगों को भी सिखाया जाता है। पहली सदी में मसीही मंडलियाँ जिस तरह काम कर रही थीं, क्या उससे यहोवा की ये तीन खूबियाँ नज़र आयीं? आज यहोवा का संगठन जिस तरह काम करता है, क्या उसमें भी ये खूबियाँ नज़र आती हैं? यहोवा के संगठन के साथ मिलकर काम करने के लिए पवित्र शक्‍ति कैसे आपकी मदद कर सकती है?

परमेश्‍वर भेदभाव नहीं करता

4. (क) जैसे प्रेषितों 1:8 में लिखा है, यीशु ने अपने चेलों को कौन-सा काम करने की आज्ञा दी? (ख) यह काम करने के लिए क्या बात उनकी मदद करती?

4 पहली सदी में।  यीशु ने परमेश्‍वर के राज के बारे में प्रचार किया, क्योंकि इसी से सब इंसानों को एक अच्छा भविष्य मिलेगा। (लूका 4:43) यीशु ने अपने चेलों को आज्ञा दी कि उसके जाने के बाद वे यह काम करते रहें और “दुनिया के सबसे दूर के इलाकों में” जाकर राज का संदेश सुनाएँ। (प्रेषितों 1:8 पढ़िए।) यह बहुत भारी काम था और वे यह काम अपने बल पर नहीं कर सकते थे। उन्हें पवित्र शक्‍ति की ज़रूरत होती, इसलिए यीशु ने उनसे वादा किया कि वह एक “मददगार” के रूप में पवित्र शक्‍ति उन्हें देगा।​—यूह. 14:26; जक. 4:6.

5-6. पवित्र शक्‍ति की मदद से चेले क्या कर पाए?

5 यीशु के चेलों को ईसवी सन्‌ 33 के पिन्तेकुस्त के दिन पवित्र शक्‍ति मिली। पवित्र शक्‍ति से ताकत पाकर उन्होंने तुरंत प्रचार करना शुरू कर दिया। इसलिए कुछ ही समय के अंदर हज़ारों लोग विश्‍वासी बन गए। (प्रेषि. 2:41; 4:4) चेलों का विरोध किया गया, फिर भी वे डरे नहीं बल्कि उन्होंने परमेश्‍वर से मदद के लिए बिनती की। उन्होंने परमेश्‍वर से यह प्रार्थना की, “अपने दासों की मदद कर कि वे पूरी तरह निडर होकर तेरा वचन सुनाते रहें।” इसके बाद वे पवित्र शक्‍ति से भर गए और ‘निडर होकर परमेश्‍वर का वचन सुनाते’ रहे।​—प्रेषि. 4:18-20, 29, 31.

6 यीशु के चेलों के सामने कुछ और भी मुश्‍किलें थीं। एक मुश्‍किल यह थी कि बहुत कम लोगों के पास पवित्र शास्त्र था। उनके पास बाइबल की समझ देनेवाला कोई प्रकाशन नहीं था जैसे आज हमारे पास है। चेलों को कई भाषाएँ बोलनेवाले लोगों को प्रचार करना था। इन सारी मुश्‍किलों के बावजूद वे जोश से प्रचार करते रहे, इसलिए 30 साल के अंदर “पूरी दुनिया में” खुशखबरी फैल गयी। इस तरह उन्होंने वह काम कर दिखाया जो इंसानों के लिए नामुमकिन है।​—कुलु. 1:6, 23.

7. (क) आज से कई साल पहले यहोवा के सेवकों ने कैसे जाना कि यहोवा ने उन्हें प्रचार काम करने के लिए चुना है? (ख) यह जानकर उन्होंने क्या किया?

7 आधुनिक समय में।  पहली सदी की तरह आधुनिक समय में भी यहोवा अपने लोगों को निर्देश देता रहा है और उसका काम करने के लिए उन्हें ताकत देता रहा है। वह खास तौर से अपने वचन बाइबल के ज़रिए निर्देश देता आया है जिसे पवित्र शक्‍ति की प्रेरणा से लिखा गया था। उसका वचन पढ़ने से हम जान पाते हैं कि यीशु ने कैसे सेवा की थी और उसने अपने चेलों को आज्ञा भी दी थी कि उसने जो काम शुरू किया था, उसे वे जारी रखें। (मत्ती 28:19, 20) कई साल पहले जुलाई 1881 में प्रहरीदुर्ग  पत्रिका में कहा गया था, “यहोवा ने हमें क्यों चुना  है या किस लिए हमारा अभिषेक  किया है? दौलत बटोरने या नाम कमाने के लिए नहीं बल्कि इसलिए कि हमारे पास जो भी है, उसे खुशखबरी का प्रचार  करने में लगा दें और खुद भी लग जाएँ।” सन्‌ 1919 में जिन्हें काम सौंपा गया  नाम की एक अँग्रेज़ी पुस्तिका प्रकाशित की गयी। उसमें लिखा था, “हमारे पास काम बहुत है, लेकिन हमें डरने की ज़रूरत नहीं। यह काम हमें प्रभु ने सौंपा है तो वह इसे करने में हमारी मदद भी करेगा।” पहली सदी के मसीहियों की तरह आधुनिक समय के भाई-बहन भी हिम्मत से आगे बढ़े और इस काम में पूरी तरह लग गए। उन्हें भरोसा था कि पवित्र शक्‍ति की मदद से वे सब किस्म के लोगों को प्रचार कर पाएँगे। आज हमें भी पूरा भरोसा है कि पवित्र शक्‍ति हमारी मदद करेगी।

यहोवा का संगठन खुशखबरी सुनाने के लिए बढ़िया-से-बढ़िया साधन इस्तेमाल करता है (पैराग्राफ 8-9 देखें)

8-9. यहोवा के संगठन ने खुशखबरी का ज़ोर-शोर से प्रचार करने के लिए कौन-से साधन इस्तेमाल किए हैं?

8 यहोवा का संगठन खुशखबरी सुनाने के लिए बढ़िया-से-बढ़िया साधन इस्तेमाल करता आया है। संगठन ने किताबें-पत्रिकाएँ प्रकाशित कीं, “सृष्टि का चलचित्र” दिखाया, रिकॉर्ड किए गए भाषण ग्रामोफोन से सुनाए, गाड़ियों पर लाउडस्पीकर लगाकर संदेश सुनाया, रेडियो पर कार्यक्रम पेश किए और बीते कुछ सालों से हम कंप्यूटर और इंटरनेट का बढ़िया इस्तेमाल कर रहे हैं। इतना ही नहीं, यहोवा का संगठन पहले से कहीं ज़्यादा भाषाओं में अनुवाद का काम कर रहा है। यह सब इसलिए किया जा रहा है ताकि सब किस्म के लोग अपनी-अपनी भाषा में खुशखबरी सुन सकें। यहोवा किसी के साथ भेदभाव नहीं करता और उसने पहले ही बता दिया था कि राज की खुशखबरी “हर राष्ट्र, गोत्र, भाषा और जाति के लोगों” को सुनायी जाएगी। (प्रका. 14:6, 7) वह चाहता है कि यह संदेश सुनने का मौका सबको मिले।

9 क्या ऐसे लोगों को भी संदेश सुनने का मौका मिल सकता है जो बड़ी-बड़ी इमारतों में रहते हैं और जहाँ हमें जाने की इजाज़त नहीं मिलती? ऐसे लोगों तक संदेश पहुँचाने के लिए संगठन ने सरेआम गवाही देने का इंतज़ाम किया है। सन्‌ 2001 में शासी निकाय ने फ्रांस के भाई-बहनों को कार्ट या टेबल वगैरह लगाकर सरेआम गवाही देने की इजाज़त दी। बाद में दूसरे देशों में भी ऐसा किया गया। इस तरह गवाही देने के बहुत अच्छे नतीजे मिले। सन्‌ 2011 में अमरीका के न्यू यॉर्क सिटी के सबसे भीड़-भाड़वाले इलाकों में सरेआम गवाही देने का एक नया इंतज़ाम किया गया। इसके पहले साल में ही लोगों ने 1,02,129 किताबें और 68,911 पत्रिकाएँ लीं और 4,701 लोगों ने कहा कि वे बाइबल अध्ययन करना चाहते हैं। इन अच्छे नतीजों को देखकर शासी निकाय ने पूरी दुनिया में कार्ट और टेबल लगाकर गवाही देने की मंज़ूरी दे दी। वाकई, सरेआम गवाही देने में पवित्र शक्‍ति हमारी मदद कर रही थी।

10. हम प्रचार और सिखाने का काम अच्छी तरह करने के लिए क्या कर सकते हैं?

10 आप क्या कर सकते हैं?  सभाओं में यहोवा हमें सिखाता है कि प्रचार कैसे करना चाहिए। वहाँ जिस तरह सिखाया जाता है उसी तरह प्रचार कीजिए। अपने प्रचार समूह के भाई-बहनों के साथ नियमित तौर पर प्रचार कीजिए। उनकी मिसाल से आपको हौसला मिलेगा और आप और भी अच्छी तरह प्रचार करना सीखेंगे। आपके सामने कुछ मुश्‍किलें आ सकती हैं, फिर भी इस काम में लगे रहिए। इस लेख की मुख्य आयत से हम यही सीखते हैं कि हम परमेश्‍वर की मरज़ी अपनी ताकत से नहीं, पवित्र शक्‍ति की मदद से कर पाते हैं। (जक. 4:6) हम भरोसा रख सकते हैं कि यहोवा हमें ताकत देता रहेगा, क्योंकि हम उसी का काम कर रहे हैं।

यहोवा शांति का परमेश्‍वर है और हर काम कायदे से करता है

11. पहली सदी में शासी निकाय के भाइयों ने कैसे साथ मिलकर काम किया ताकि सबकुछ कायदे से हो?

11 पहली सदी में।  यरूशलेम में शासी निकाय के भाइयों ने साथ मिलकर काम किया ताकि परमेश्‍वर के लोगों के बीच शांति बनी रहे और सब काम कायदे से हों। (प्रेषि. 2:42) एक वाकये पर गौर कीजिए। ईसवी सन्‌ 49 के आस-पास यहोवा के लोगों के बीच इस बात को लेकर मतभेद और बढ़ गया कि क्या हर मसीही को खतना करवाना चाहिए। शासी निकाय ने पवित्र शक्‍ति का मार्गदर्शन पाकर इस मामले पर काफी चर्चा की। अगर मसीहियों के बीच से यह मतभेद दूर नहीं होता, तो वे ठीक से प्रचार नहीं कर पाते। शासी निकाय प्रेषितों और कुछ बुज़ुर्गों से बना था और ये सभी भाई यहूदी थे। फिर भी उन्होंने ऐसा नहीं सोचा कि यहूदी जो सदियों से करते आए हैं, वही सही है। न ही वे उन भाइयों की बातों में आ गए जो इस बात पर अड़े थे कि खतना करवाना हर हाल में ज़रूरी है। उन्होंने सही फैसला करने के लिए परमेश्‍वर के वचन में छानबीन की और परमेश्‍वर से पवित्र शक्‍ति के लिए बिनती की। (प्रेषि. 15:1, 2, 5-20, 28) नतीजा क्या हुआ? वे सही फैसला कर पाए और यहोवा उनके फैसले से खुश हुआ। इस वजह से मंडलियों की शांति और एकता बनी रही और प्रचार काम तेज़ी से आगे बढ़ता गया।​—प्रेषि. 15:30, 31; 16:4, 5.

12. हम क्यों कह सकते हैं कि यहोवा के संगठन में शांति और कायदा है?

12 आधुनिक समय में।  यहोवा के संगठन ने काफी मेहनत की है ताकि यहोवा के लोगों के बीच शांति बनी रहे और सब काम कायदे से हों। आज से कई साल पहले 1895 में सिय्योन का प्रहरीदुर्ग और मसीह की उपस्थिति का उद्‌घोषक  पत्रिका के 15 नवंबर के अंक में एक लेख आया था। उसका शीर्षक था, “कायदे से और अच्छे इंतज़ाम के मुताबिक” जो 1 कुरिंथियों 14:40 से लिया गया था। लेख में कहा गया था, “प्रेषितों ने सब काम कायदे  से करने के बारे में शुरू की मंडली को काफी बातें लिखी थीं। . . . ‘जो बातें शास्त्र में पहले से लिखी गयी हैं, उनसे हमें सीखना’ चाहिए। उन बातों को मानना बेहद ज़रूरी है।” (रोमि. 15:4) पहली सदी की तरह आज भी संगठन में काफी मेहनत की जाती है। इसलिए मंडलियों में शांति रहती है और सब काम कायदे से किया जाता है। उदाहरण के लिए, प्रहरीदुर्ग  अध्ययन पूरी दुनिया में एक ही तरीके से चलाया जाता है। इसलिए आप चाहें अपने देश की किसी और मंडली में जाएँ या दूसरे देश की किसी मंडली में, आपको पता रहता है कि अध्ययन कैसे चलाया जाएगा और किस लेख पर चर्चा की जाएगी। आपको कुछ अलग-सा या नया नहीं लगेगा। परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति की वजह से ही पूरी दुनिया की मंडलियों में ऐसी एकता है।​—सप. 3:9, फु.

13. याकूब 3:17 को ध्यान में रखते हुए हमें खुद से कौन-से सवाल करने चाहिए?

13 आप क्या कर सकते हैं?  यहोवा चाहता है कि उसके लोगों के बीच ‘शांति रहे और वे एकता के बंधन में बँधे रहें जो कि पवित्र शक्‍ति से हासिल होती है।’ (इफि. 4:1-3) खुद से पूछिए, ‘क्या मैं मंडली में शांति और एकता को बढ़ावा देता हूँ? क्या मैं ज़िम्मेदारी सँभालनेवाले भाइयों की बात मानता हूँ? क्या मैं भरोसेमंद हूँ? क्या मैं समय का पाबंद हूँ, दूसरों की मदद करता हूँ और क्या मेरे अंदर सेवा करने की भावना है?’ अगर आपको मंडली में कोई ज़िम्मेदारी दी गयी है, तो आप खुद से पूछ सकते हैं कि क्या मैं उसे अच्छी तरह निभाता हूँ? (याकूब 3:17 पढ़िए।) अगर आपको इनमें से किसी मामले में सुधार करने की ज़रूरत है, तो पवित्र शक्‍ति के लिए प्रार्थना कीजिए। जब पवित्र शक्‍ति आप पर काम करेगी, तो आप अच्छे गुण बढ़ा पाएँगे और यह आपके व्यवहार में भी नज़र आएगा। तब भाई-बहन आपसे बहुत प्यार करेंगे और आपको अनमोल समझेंगे।

यहोवा हमें अच्छी शिक्षा देता है

14. (क) कुलुस्सियों 1:9, 10 के मुताबिक पहली सदी के मसीहियों को किस चीज़ की ज़रूरत थी? (ख) यहोवा ने वह ज़रूरत कैसे पूरी की?

14 पहली सदी में।  अपने लोगों को सिखाने में यहोवा को खुशी होती है। (भज. 32:8) वह हमें इसलिए सिखा रहा है ताकि हम उसे जानें, उससे प्यार करें और भविष्य में उसके प्यारे बच्चों के नाते हमेशा तक जीएँ। अगर यहोवा हमें नहीं सिखाता, तो यह सब मुमकिन नहीं होता। (यूह. 17:3) पहली सदी में मसीहियों को भी सही ज्ञान की ज़रूरत थी और यहोवा मसीही मंडली के ज़रिए उन्हें सही ज्ञान देता रहा। (कुलुस्सियों 1:9, 10 पढ़िए।) उन्हें मंडली के अलावा पवित्र शक्‍ति से भी काफी मदद मिली। यीशु ने वादा किया था कि वह उन्हें एक “मददगार” के रूप में पवित्र शक्‍ति देगा। (यूह. 14:16) पवित्र शक्‍ति की मदद से उन्होंने परमेश्‍वर के वचन को गहराई से समझा। यीशु ने जो बातें सिखायी थीं और जो काम किए थे वह सब पवित्र शक्‍ति ने उन्हें याद दिलाया। इसलिए यह सब वे खुशखबरी की किताबों में लिख पाए। यही वजह है कि शुरू के मसीहियों को परमेश्‍वर की मरज़ी के बारे में सही ज्ञान मिलता रहा। उनका विश्‍वास मज़बूत होता गया और यहोवा, उसके बेटे और एक-दूसरे के लिए उनके दिल में प्यार बढ़ता गया।

15. आपने यशायाह 2:2, 3 में बतायी भविष्यवाणी को कैसे पूरा होते देखा है?

15 आधुनिक समय में।  यहोवा ने भविष्यवाणी की थी कि “आखिरी दिनों में” सब राष्ट्रों के लोग उससे सीखेंगे। वे उससे शिक्षा पाने के लिए उसके पहाड़ पर आएँगे यानी सच्ची उपासना करनेवालों के साथ जुड़ जाएँगे। (यशायाह 2:2, 3 पढ़िए।) आज हमारी आँखों के सामने यह भविष्यवाणी पूरी हो रही है। यह साफ दिख रहा है कि सच्ची उपासना सब किस्म की झूठी उपासना से श्रेष्ठ है। आज यहोवा “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के ज़रिए सच्चाई का भरपूर ज्ञान दे रहा है। (मत्ती 24:45; यशा. 25:6) यह ज्ञान हमें कितने ही अलग-अलग तरीकों से मिलता है। जैसे, हमें प्रकाशनों में लेख पढ़ने को मिलते हैं, कई भाषण सुनने को मिलते हैं और कार्टून और वीडियो देखने को मिलते हैं। यहोवा के बारे में हम भी अय्यूब के दोस्त एलीहू की तरह महसूस करते हैं, “सिखाने में [परमेश्‍वर] जैसा कोई नहीं।”​—अय्यू. 36:22.

बाइबल की बातें दिल की गहराई में बसा लीजिए और उनके मुताबिक चलिए (पैराग्राफ 16 देखें) *

16. यहोवा से सीखने के लिए आप क्या कर सकते हैं?

16 आप क्या कर सकते हैं?  परमेश्‍वर के वचन में आप जो पढ़ते हैं और जो अध्ययन करते हैं, उसके मुताबिक चलने में पवित्र शक्‍ति आपकी मदद करेगी। भजन के एक रचयिता की तरह यह प्रार्थना कीजिए, “हे यहोवा, मुझे अपनी राह के बारे में सिखा। मैं तेरी सच्चाई की राह पर चलूँगा। मेरे मन को एक कर कि मैं तेरे नाम का डर मानूँ।” (भज. 86:11) बाइबल और संगठन से मिलनेवाले प्रकाशन पढ़ते रहिए और उनका अध्ययन करते रहिए। बेशक आपको सिर्फ जानकारी लेने के लिए नहीं पढ़ना है। आपको इस इरादे से पढ़ना चाहिए कि बाइबल की बातें आपके दिल की गहराई में बस जाएँ और आप सीखनेवाली बातों को लागू करें। यहोवा की पवित्र शक्‍ति की मदद से आप ऐसा कर सकते हैं। इसके अलावा, अपने भाई-बहनों का विश्‍वास मज़बूत कीजिए। (इब्रा. 10:24, 25) आपको यह क्यों करना चाहिए? क्योंकि वे भी आपका परिवार हैं। पवित्र शक्‍ति के लिए प्रार्थना कीजिए ताकि आप सभाओं में दिल से जवाब दे सकें और आपको जो भाषण या प्रदर्शन पेश करने होते हैं, वे अच्छे से पेश कर सकें। जब आप ऐसा करेंगे, तो यहोवा और उसके बेटे को यह देखकर कितनी खुशी होगी कि आप उनकी अनमोल “भेड़ों” से बहुत प्यार करते हैं।​—यूह. 21:15-17.

17. यहोवा के संगठन से जुड़े रहकर आप क्या-क्या कर सकते हैं?

17 बहुत जल्द वह समय आनेवाला है जब धरती पर सिर्फ एक ही संगठन रह जाएगा: यहोवा का संगठन जो उसकी पवित्र शक्‍ति के निर्देश पर चलता है। यहोवा के संगठन के साथ मिलकर पूरे जोश से सेवा कीजिए। परमेश्‍वर की तरह सब लोगों से प्यार कीजिए, भेदभाव मत कीजिए और सब लोगों को खुशखबरी सुनाइए। मंडली में एकता को बढ़ावा दीजिए, क्योंकि यहोवा चाहता है कि सब काम शांति से और कायदे से हों। और आपका महान उपदेशक आपको सच्चाई का जो भरपूर ज्ञान दे रहा है उसे लेते रहिए। जब शैतान की दुनिया का अंत होगा, तो आप घबराएँगे नहीं। आप निडर रहेंगे क्योंकि आप यहोवा के संगठन के साथ मिलकर सेवा कर रहे होंगे।

गीत 3 हमारी ताकत, आशा और भरोसा

^ पैरा. 5 क्या आपको पूरा यकीन है कि आज यहोवा ही अपने संगठन को चला रहा है? इस लेख में हम देखेंगे कि यहोवा ने कैसे पहली सदी की मसीही मंडली का मार्गदर्शन किया था और आज भी वह कैसे अपने संगठन को चला रहा है।

^ पैरा. 1 इसका क्या मतलब है? यहोवा के संगठन के दो हिस्से हैं, एक स्वर्ग में है और दूसरा धरती पर। इस लेख में हम यहोवा के “संगठन”  के उस हिस्से की बात करेंगे जो धरती पर है।

^ पैरा. 52 तसवीर के बारे में: एक पायनियर बहन वीडियो में देख रही है कि कुछ भाई-बहन ऐसी जगह सेवा कर रहे हैं जहाँ प्रचारकों की बहुत ज़रूरत है। उन्हें देखकर वह लक्ष्य रखती है कि वह भी ज़रूरतवाली जगह जाकर सेवा करेगी। आखिरकार वह अपना लक्ष्य पा लेती है।