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क्या आपको याद है?

क्या आपको याद है?

क्या आपने इस साल की प्रहरीदुर्ग  पत्रिकाएँ ध्यान से पढ़ी हैं? देखिए कि क्या आप आगे दिए सवालों के जवाब दे पाते हैं या नहीं:

हमें अभिषिक्‍त भाई-बहनों के साथ किस तरह पेश आना चाहिए?

हम उनके विश्‍वास की तारीफ ज़रूर करते हैं लेकिन हमें उन पर बहुत ज़्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए। हमें उनकी “वाह-वाही” नहीं करनी चाहिए मानो वे ‘खास लोग’ हों। (यहू. 16, फु.) हमें उनसे उनकी आशा के बारे में भी नहीं पूछना चाहिए।​—प्र20.01 पेज 28-29.

किन बातों से आपको यकीन होना चाहिए कि यहोवा आप पर ध्यान देता है?

बाइबल बताती है कि आपके पैदा होने से पहले ही यहोवा ने आप पर ध्यान दिया था। वह आपकी प्रार्थनाएँ सुनता है। वह जानता है कि आप मन में क्या सोचते हैं और कैसा महसूस करते हैं। आप सही काम करते हैं, तो वह खुश होता है और गलत करते हैं तो उसे दुख होता है। (1 इति. 28:9; नीति. 27:11) यहोवा ने खुद आपको अपनी तरफ खींचा है।​—प्र20.02 पेज 12.

हमें कब बोलना चाहिए और कब नहीं?

जब भी हमें यहोवा के बारे में बात करने का मौका मिलता है, तो हम बोलने से पीछे नहीं हटते। हमें तब भी बोलना चाहिए जब हम देखते हैं कि कोई गलत राह पर निकल पड़ा है। प्राचीन भी ज़रूरत पड़ने पर किसी मसीही की सोच सुधारने से पीछे नहीं हटते। लेकिन कुछ मामलों में हमें चुप रहना चाहिए। जिन देशों में हमारे काम पर रोक लगी है, वहाँ प्रचार या दूसरे काम कैसे चल रहे हैं, इस बारे में हम न तो दूसरों को बताएँगे न ही पूछेंगे। हमें गुप्त जानकारी को गुप्त ही रखना चाहिए।​—प्र20.03 पेज 20-21.

योएल अध्याय 2 में बतायी टिड्डियों और प्रकाशितवाक्य अध्याय 9 में बतायी टिड्डियों में क्या फर्क है?

योएल 2:20-29 में बताया गया है कि परमेश्‍वर टिड्डियों को दूर भगा देगा और जो नुकसान उन्होंने किया है, उसकी वह भरपाई करेगा। इसके बाद ही परमेश्‍वर अपनी पवित्र शक्‍ति उँडेलेगा। भविष्यवाणी की कुछ बातें तब पूरी हुईं जब बैबिलोन की सेना ने इसराएलियों पर हमला किया और कुछ बातें आगे चलकर पूरी हुईं। प्रकाशितवाक्य 9:1-11 में बतायी टिड्डियाँ आज हमारे समय में अभिषिक्‍त मसीहियों को दर्शाती हैं। वे निडर होकर इस दुष्ट संसार को यहोवा के न्याय का संदेश सुनाते हैं, इसलिए दुनिया के लोगों को उनका संदेश चुभता है।​—प्र20.04 पेज 3-6.

आज उत्तर का राजा कौन है?

रूस और उसके मित्र राष्ट्र उत्तर का राजा हैं। उन्होंने साक्षियों पर ज़ुल्म किया और प्रचार काम पर रोक लगा दी। इससे साफ पता चलता है कि वे परमेश्‍वर के लोगों से नफरत करते हैं। वे दक्षिण के राजा से ज़्यादा ताकतवर बनने की कोशिश करते आए हैं।​—प्र20.05 पेज 13.

क्या सिर्फ उन्हीं नौ गुणों को “पवित्र शक्‍ति का फल” कहा जा सकता है, जिनका ज़िक्र गलातियों 5:22, 23 में किया गया है?

नहीं। पवित्र शक्‍ति की मदद से हम अपने अंदर और भी कई गुण बढ़ा सकते हैं, जैसे नेकी का गुण। (इफि. 5:8, 9)​—प्र20.06 पेज 17.

सोशल मीडिया पर अपनी लिखी बातें या तसवीरें डालने का एक खतरा क्या हो सकता है?

इनसे लोगों को लग सकता है कि हम नम्र नहीं हैं, बल्कि अपने बारे में डींगें मार रहे हैं।​—प्र20.07 पेज 6-7.

मसीही अच्छे मछुवारों से क्या सीख सकते हैं?

मछुवारे सही जगह और सही वक्‍त पर मछलियाँ पकड़ते हैं। वे सही चीज़ इस्तेमाल करना जानते हैं। वे मुश्‍किलों में भी हिम्मत से काम लेते हैं। मसीहियों को भी पता होना चाहिए कि उनके प्रचार के इलाके में लोग कब और कहाँ मिलेंगे, कौन-से प्रकाशन कब इस्तेमाल करने चाहिए और हिम्मत से काम लेना चाहिए।​—प्र20.09 पेज 5.

हम विद्यार्थी के दिल में परमेश्‍वर के लिए प्यार कैसे बढ़ा सकते हैं?

हम उसे बढ़ावा दे सकते हैं कि वह रोज़ बाइबल पढ़े और उस पर मनन करे। हम उसे यहोवा से प्रार्थना करना भी सिखा सकते हैं।​—प्र20.11 पेज 4.

जब पौलुस ने कहा कि “सभी ज़िंदा किए जाएँगे,” तो वह क्या कहना चाह रहा था?​—1 कुरिं. 15:22.

पौलुस यह नहीं कह रहा था कि ऐसे हर इंसान को ज़िंदा किया जाएगा जिसकी मौत हो गयी है। यह चिट्ठी उसने कुरिंथ के अभिषिक्‍त मसीहियों को लिखी थी जिन्हें ‘मसीह यीशु के चेले होने के नाते पवित्र किया गया था।’ ये अभिषिक्‍त मसीही भी उन “सभी” में से हैं जो ज़िंदा किए जाएँगे। (1 कुरिं. 1:2; 15:18)​—प्र20.12 पेज 5-6.

बहुत जल्द स्वर्ग में अभिषिक्‍त मसीही क्या काम करेंगे?​—1 कुरिं. 15:51-53.

वे अपने सेनापति यीशु के साथ मिलकर लोहे के छड़ से राष्ट्रों को हाँकेंगे। (प्रका. 2:26, 27)​—प्र20.12 पेज 12-13.