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अध्ययन लेख 6

“औरत का सिर आदमी है”

“औरत का सिर आदमी है”

“औरत का सिर आदमी है।”—1 कुरिं. 11:3.

गीत 13 मसीह, हमारा आदर्श

लेख की एक झलक *

1. शादी से पहले एक अविवाहित बहन को खुद से क्या सवाल करने चाहिए?

सभी मसीही यीशु के अधीन हैं, जो एक परिपूर्ण मुखिया है। लेकिन जब एक मसीही बहन की शादी होती है, तो वह अपने पति के अधीन हो जाती है जो अपरिपूर्ण है। ऐसे में अधीन रहना मुश्‍किल हो सकता है। इसलिए अगर एक अविवाहित बहन किसी भाई से शादी करने की सोच रही है, तो उसे खुद से ये सवाल करने चाहिए, ‘क्या यह भाई एक अच्छा मुखिया बन सकता है? क्या वह यहोवा की सेवा को अहमियत देता है? अगर नहीं, तो क्या शादी के बाद वह यहोवा की सेवा करने में मेरी मदद कर पाएगा?’ एक बहन को खुद की भी जाँच करनी चाहिए और पूछना चाहिए, ‘मुझमें ऐसे कौन-से गुण हैं जो मेरी शादीशुदा ज़िंदगी को खुशहाल बनाएँगे? क्या मैं सब्र रखती हूँ और दरियादिल हूँ? क्या यहोवा के साथ मेरा रिश्‍ता मज़बूत है?’ (सभो. 4:9, 12) अगर एक बहन सोच-समझकर फैसला लेगी, तो शादी के बाद उसकी ज़िंदगी खुशी से बीतेगी।

2. इस लेख में हम क्या चर्चा करेंगे?

2 आज हमारी कई मसीही बहनें अपने पति के अधिकार के अधीन रहती हैं। हम दिल से इन बहनों की तारीफ करते हैं। इन वफादार बहनों के साथ मिलकर यहोवा की सेवा करने में हमें बहुत खुशी होती है। इस लेख में हम तीन सवालों पर चर्चा करेंगे: (1) पत्नियों को शायद किन मुश्‍किलों का सामना करना पड़े? (2) मुश्‍किलों के बावजूद एक पत्नी क्यों अपने पति के अधीन रहती है? (3) अधीन रहने के बारे में पति-पत्नी यीशु, अबीगैल और यीशु की माँ, मरियम से क्या सीख सकते हैं?

मसीही पत्नियों के सामने कौन-सी मुश्‍किलें आती हैं?

3. शादीशुदा ज़िंदगी में मुश्‍किलें क्यों आती हैं?

3 शादी का बंधन यहोवा की तरफ से एक तोहफा है, इसमें कोई खोट या कमी नहीं है। लेकिन लोगों में कमियाँ होती हैं। (1 यूह. 1:8) इसलिए शादीशुदा ज़िंदगी में मुश्‍किलें आएँगी ही। बाइबल बताती है कि जो शादी करते हैं, उन्हें “दुख-तकलीफें झेलनी पड़ेंगी।” (1 कुरिं. 7:28) ध्यान दीजिए कि एक पत्नी को किन मुश्‍किलों का सामना करना पड़ सकता है।

4. एक पत्नी के लिए अपने पति के अधीन रहना क्यों मुश्‍किल हो सकता है?

4 एक बहन जिस माहौल में पली-बढ़ी है, उसकी वजह से शायद उसे लगे कि अपने पति के अधीन रहने से उसका अपमान होता है। अमरीका में रहनेवाली बहन मारीसोल कहती है, “बचपन से हम यही सुनते आए हैं कि औरतों को हर काम में आदमियों के बराबर होना चाहिए। मैं जानती हूँ कि यहोवा ने पतियों को परिवार का मुखिया ठहराया है और चाहता है कि पत्नियाँ उनके अधीन रहें। फिर भी अपनी परवरिश की वजह से कभी-कभी मेरे लिए अधीन रहना मुश्‍किल होता है।”

5. कुछ आदमियों की क्या सोच होती है?

5 वहीं दूसरी तरफ कुछ आदमियों को लगता है कि औरतों का दर्जा हमेशा आदमियों से कम होता है। दक्षिण अमरीका में रहनेवाली बहन ईवौन कहती है, “हमारे समाज में आदमी पहले खाते हैं, फिर औरतें। छोटी-छोटी लड़कियों को खाना बनाना और घर की सफाई करना सिखाया जाता है, जबकि लड़के बैठे-बैठे हुक्म चलाते हैं और माँ और बहनें उनकी फरमाइशें पूरी करती हैं।” एशिया की रहनेवाली बहन यिंगलिंग कहती है, “हमारी भाषा में एक कहावत है जिसका मतलब है, औरतों में हुनर होना या बुद्धि होना ज़रूरी नहीं। उनका काम पतियों को राय देना नहीं बल्कि घर सँभालना है।” ऐसी सोच बाइबल के मुताबिक सही नहीं है। जो पति इस तरह की सोच रखते हैं, वे अपनी पत्नी का जीना मुश्‍किल कर देते हैं, यीशु की तरह नहीं बनते और यहोवा का दिल दुखाते हैं।​—इफि. 5:28, 29; 1 पत. 3:7.

6. पत्नियाँ यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता कैसे मज़बूत कर सकती हैं?

6 जैसा कि हमने पिछले लेख में देखा, यहोवा की सेवा करने में एक पति को अपने परिवार की मदद करनी है, उन्हें अपने प्यार का यकीन दिलाना है और उनकी ज़रूरतें पूरी करनी है। (1 तीमु. 5:8) लेकिन यहोवा चाहता है कि हरेक व्यक्‍ति का, यहाँ तक कि पत्नियों का भी उसके साथ एक अच्छा रिश्‍ता हो। (प्रेषि. 17:27) इसलिए पत्नियों को बाइबल पढ़ने, मनन करने और प्रार्थना करने के लिए हर दिन वक्‍त निकालना चाहिए। लेकिन पत्नियों को शायद लगे कि वे इन कामों के लिए समय कहाँ से निकालें, उन्हें तो घर के कामों से ही फुरसत नहीं मिलती। पर इन सब कामों के लिए वक्‍त निकालना ज़रूरी है।

7. एक पत्नी अपने पति के अधीन कैसे रह सकती है?

7 हम समझ सकते हैं कि एक पत्नी के लिए अपने पति के अधीन रहना मुश्‍किल हो सकता है क्योंकि उसका पति अपरिपूर्ण है। लेकिन अगर वह इस बात को समझे कि यहोवा क्यों चाहता है कि वह अपने पति का आदर करे और उसकी बात माने, तो उसके लिए अपने पति के अधीन रहना आसान होगा।

पत्नी अपने पति के अधीन क्यों रहती है?

8. इफिसियों 5:22-24 के मुताबिक मसीही पत्नियाँ अपने पति के अधीन क्यों रहती हैं?

8 एक मसीही पत्नी अपने पति के अधीन इसलिए रहती है क्योंकि यहोवा चाहता है कि वह उसके अधीन रहे। (इफिसियों 5:22-24 पढ़िए।) उसे अपने पिता यहोवा पर भरोसा है। वह जानती है कि वह उससे प्यार करता है और वह उसे जो भी करने के लिए कहता है उससे उसका भला ही होगा।​—व्यव. 6:24; 1 यूह. 5:3.

9. जब एक पत्नी अपने पति के अधीन रहती है, तो इसके क्या नतीजे होते हैं?

9 दुनिया इस सोच का बढ़ावा देती है कि हर बात में औरतें आदमियों के बराबर हैं और उनके अधीन रहना औरतों के लिए अपमान की बात है। जो लोग ऐसी सोच रखते हैं, वे नहीं जानते कि हमारा परमेश्‍वर हमसे कितना प्यार करता है। वह स्त्रियों को बहुत अनमोल समझता है। वह उनसे ऐसा कुछ करने के लिए नहीं कहेगा जिससे उनका अपमान हो। अगर एक मसीही पत्नी अपने पति के अधीन रहे, तो घर में शांति रहेगी। (भज. 119:165) इससे पति, पत्नी और बच्चे, सब खुश रहेंगे।

10. हम कैरल की बातों से क्या सीख सकते हैं?

10 अगर एक पत्नी यहोवा से प्यार करती है और उसका आदर करती है, तो वह अपने पति के अधीन रहेगी, फिर चाहे उसका पति गलतियाँ क्यों न करे। दक्षिण अमरीका की रहनेवाली कैरल कहती है, “मैं जानती हूँ कि मेरे पति से गलतियाँ होंगी। लेकिन अगर मैं अपने पति को नीचा दिखाऊँ, तो यहोवा के साथ मेरा रिश्‍ता बिगड़ जाएगा। इसलिए मैं अपने पति के अधीन रहने की कोशिश करती हूँ क्योंकि मैं यहोवा को खुश करना चाहती हूँ।”

11. (क) बहन अनीस अपने पति को माफ क्यों कर पाती है? (ख) हम उससे क्या सीख सकते हैं?

11 कभी-कभी कुछ पत्नियों को लगता है कि उनके पति उनकी फिक्र नहीं करते, उनकी भावनाओं को नहीं समझते। ऐसे में पत्नियों के लिए उनके अधीन रहना, उनका आदर करना मुश्‍किल हो सकता है। ध्यान दीजिए कि ऐसे हालात में बहन अनीस क्या करती है, “मैं कोशिश करती हूँ कि गुस्सा न करूँ। गलतियाँ किससे नहीं होतीं? मैं यहोवा की तरह, उन्हें दिल से माफ करने की कोशिश करती हूँ। इससे मुझे मन की शांति मिलती है।” (भज. 86:5) सच में, जब पत्नी अपने पति को माफ करने के लिए तैयार रहती है, तो उसके लिए अधीन रहना आसान होता है।

बाइबल में बताए लोगों से हम क्या सीखते हैं?

12. बाइबल में किन लोगों के बारे में बताया गया है?

12 कुछ लोगों को लगता है कि जो व्यक्‍ति दूसरों की बात मानता है या उनके अधीन रहता है, वह कमज़ोर है। पर यह सच नहीं है। बाइबल में ऐसे बहुत-से लोगों के बारे में बताया गया है, जो दूसरों के अधीन तो थे पर उनमें हिम्मत भी बहुत थी। आइए देखें कि हम यीशु, अबीगैल और मरियम से क्या सीख सकते हैं।

13. यीशु यहोवा के अधीन क्यों रहता है? समझाइए।

13 यीशु  यहोवा के अधीन रहता है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि उसमें बुद्धि या काबिलीयत नहीं है। वह बहुत बुद्धिमान है। इसीलिए जब वह धरती पर था, तो लोगों को साफ और सरल तरीके से सिखा पाया। (यूह. 7:45, 46) यहोवा जानता था कि यीशु बहुत काबिल है। इसलिए पूरे विश्‍व की सृष्टि करते वक्‍त उसने यीशु को भी हाथ बँटाने का मौका दिया। (नीति. 8:30; इब्रा. 1:2-4) और जब यीशु धरती से स्वर्ग लौटा, तो यहोवा ने उसे “स्वर्ग में और धरती पर सारा अधिकार” दे दिया। (मत्ती 28:18) हालाँकि यीशु बहुत काबिल है फिर भी वह अपनी बुद्धि और काबिलीयत पर निर्भर नहीं रहता। वह यहोवा से मार्गदर्शन लेता है, क्योंकि वह अपने पिता से प्यार करता है।​—यूह.14:31.

14. (क) पति यहोवा से क्या सीख सकते हैं? (ख) नीतिवचन 31 में लिखी बात से पति क्या समझ सकते हैं?

14 पति क्या सीख सकते हैं?  यहोवा ने पत्नी को पति के अधीन इसलिए नहीं ठहराया कि वह उसे आदमी से कम समझता है। हम यह इसलिए कह सकते हैं क्योंकि यहोवा ने स्त्री और पुरुष दोनों को यीशु के साथ राज करने के लिए चुना। (गला. 3:26-29) यहोवा को यीशु पर भरोसा है इसलिए उसने उसे स्वर्ग में और धरती पर अधिकार दिया। उसी तरह, एक समझदार पति अपनी पत्नी को कुछ अधिकार देगा। बाइबल बताती है कि एक अच्छी पत्नी क्या-क्या करती है। वह घरबार सँभालती है, ज़मीन का लेन-देन करती है और कारोबार करती है। (नीतिवचन 31:15, 16, 18 पढ़िए।) पति इस बात को भी समझेगा कि पत्नी कोई नौकरानी नहीं है जिसे अपनी बात कहने का हक न हो। वह अपनी पत्नी पर भरोसा करेगा और उसकी बात सुनेगा। (नीतिवचन 31:11, 26, 27 पढ़िए।) इस तरह जब एक पति अपनी पत्नी का आदर करता है, तो पत्नी खुशी-खुशी उसके अधीन रह पाती है।

यीशु बहुत काबिल था फिर भी वह यहोवा के अधीन रहा। इससे पत्नियाँ क्या सीख सकती हैं? (पैराग्राफ 15 देखें)

15. पत्नियाँ यीशु से क्या सीख सकती हैं?

15 पत्नियाँ क्या सीख सकती हैं?  हालाँकि यीशु ने कई बड़े-बड़े काम किए हैं, लेकिन यहोवा के अधीन रहना उसे अपमान की बात नहीं लगती। (1 कुरिं. 15:28; फिलि. 2:5, 6) एक अच्छी पत्नी भी अपने पति के अधीन रहना अपमान की बात नहीं मानती। वह अपने पति का साथ देती है क्योंकि वह उससे प्यार करती है। पर उसका साथ देने की सबसे खास वजह यह है कि वह यहोवा से प्यार करती है और उसका आदर करती है।

अबीगैल सबसे पहले दाविद और उसके आदमियों के लिए खाना भिजवाती है। उसके बाद, वह दाविद से मिलती है। वह उसके सामने झुककर बिनती करती है कि वह नाबाल और उसके घराने को बख्श दे और खून का दोषी न बने (पैराग्राफ 16 पढ़ें)

16. पहला शमूएल 25:3, 23-28 के मुताबिक अबीगैल को किन मुश्‍किलों का सामना करना पड़ा? (बाहर दी तसवीर देखें।)

16 अब अबीगैल  के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। उसका पति नाबाल स्वार्थी, घमंडी और एहसान-फरामोश था। एक बार दाविद और उसके आदमी नाबाल को मारने आ रहे थे। उस वक्‍त अबीगैल चाहती, तो बड़ी आसानी से शादी के बंधन से आज़ाद हो सकती थी। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। उसने अपने पति और पूरे घराने को बचाने के लिए कदम उठाया। वह दाविद से मिलने के लिए अकेली निकल पड़ी। उसने 400 सैनिकों के सामने पूरे आदर से दाविद को समझाने की कोशिश की कि वह नाबाल को बख्श दे। उसने नाबाल का दोष भी अपने सिर पर ले लिया। ज़रा सोचिए, यह सब करने के लिए अबीगैल में कितनी हिम्मत रही होगी! (1 शमूएल 25:3, 23-28 पढ़िए।) दाविद को एहसास हुआ कि यहोवा ने इस साहसी स्त्री के ज़रिए उसे एक बड़ी गलती करने से रोका है।

17. दाविद और अबीगैल के वाकये से पति क्या सीख सकते हैं?

17 पति क्या सीख सकते हैं?  अबीगैल एक समझदार स्त्री थी और उसकी सलाह मानकर दाविद ने बुद्धिमानी से काम लिया। नतीजा यह हुआ कि दाविद ने बेगुनाह लोगों का खून नहीं बहाया। उसी तरह, जब एक पति को ज़रूरी फैसला करना होता है, तो वह पत्नी की राय ज़रूर लेगा। हो सकता है, उसकी राय मानकर वह गलत फैसला करने से बच जाए।

18. पत्नियाँ अबीगैल से क्या सीख सकती हैं?

18 पत्नियाँ क्या सीख सकती हैं?  जब एक पत्नी यहोवा से प्यार करती है और उसका आदर करती है, तो पूरे परिवार पर अच्छा असर होता है, फिर चाहे उसका पति विश्‍वास में कमज़ोर हो या यहोवा का साक्षी न हो। अबीगैल की तरह वह शादी के बंधन से आज़ाद होने की कोशिश नहीं करेगी। इसके बजाय वह अपने पति का आदर करेगी और उसके अधीन रहेगी। हो सकता है, उसका अच्छा चालचलन देखकर उसका पति यहोवा के बारे में सीखना चाहे। (1 पत. 3:1, 2) अगर ऐसा न भी हो, तब भी वह अपने पति के अधीन रहेगी। यह देखकर यहोवा बहुत खुश होगा!

19. क्या एक पत्नी को हर हाल में अपने पति की बात माननी चाहिए? समझाइए।

19 लेकिन कभी-कभी हो सकता है, एक पति अपनी पत्नी से कुछ ऐसा करने के लिए कहे जो बाइबल के सिद्धांतों के खिलाफ हो। जैसे, एक अविश्‍वासी पति अपनी पत्नी से शायद कहे कि वह झूठ बोले, चोरी करे या कोई ऐसा काम करे जो यहोवा की नज़र में गलत है। ऐसे में वह बहन अपने पति की बात नहीं मानेगी। उसे अपने पति को साफ-साफ, मगर आदर के साथ समझाना चाहिए कि वह उसकी बात क्यों नहीं मान रही। उसके लिए अपने परमेश्‍वर यहोवा की बात मानना सबसे ज़रूरी है। यह सिद्धांत बाकी सब मसीहियों पर भी लागू होता है।​—प्रेषि. 5:29.

पैराग्राफ 20 देखें *

20. हम क्यों कह सकते हैं कि मरियम का यहोवा के साथ मज़बूत रिश्‍ता था?

20 मरियम  का यहोवा के साथ मज़बूत रिश्‍ता था। उसे शास्त्र का अच्छा ज्ञान था। एक बार वह यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले की माँ इलीशिबा से मिलने गयी। उससे बातें करते वक्‍त उसने इब्रानी शास्त्र की आयतों का 20 से ज़्यादा बार ज़िक्र किया। (लूका 1:46-55) ज़रा इस बात पर भी ध्यान दीजिए। हालाँकि मरियम की सगाई यूसुफ से हो चुकी थी, लेकिन यहोवा का स्वर्गदूत सबसे पहले यूसुफ के सामने नहीं बल्कि मरियम के सामने प्रकट हुआ। स्वर्गदूत ने मरियम को बताया कि वह परमेश्‍वर के बेटे को जन्म देगी। (लूका 1:26-33) यहोवा मरियम को अच्छी तरह जानता था और उसे पूरा भरोसा था कि वह उसके बेटे का अच्छा खयाल रखेगी और उसे बहुत प्यार देगी। जब यीशु की मौत हो गयी और वह स्वर्ग चला गया, तब भी मरियम का यहोवा के साथ अच्छा रिश्‍ता रहा।​—प्रेषि. 1:14.

21. मरियम के बारे में जो बताया गया है, उससे पति क्या सीख सकते हैं?

21 पति क्या सीख सकते हैं?  एक समझदार पति को इस बात की खुशी होगी कि उसकी पत्नी को बाइबल का अच्छा ज्ञान है। वह यह सोचकर पीछे नहीं हटेगा कि उसकी पत्नी उससे ज़्यादा जानती है। न ही वह यह सोचेगा कि उसकी पत्नी घर का मुखिया बनने की कोशिश कर रही है। वह इस बात को समझता है कि अगर उसकी पत्नी को बाइबल और बाइबल के सिद्धांतों की अच्छी समझ होगी, तो उसके परिवार का भला होगा। अगर पत्नी ज़्यादा पढ़ी-लिखी हो, तब भी पारिवारिक उपासना करने और यहोवा की सेवा करने में परिवार की मदद करने की ज़िम्मेदारी पति की है।​—इफि. 6:4.

अध्ययन और मनन करने के बारे में पत्नियाँ यीशु की माँ, मरियम से क्या सीख सकती हैं? (पैराग्राफ 22 देखें) *

22. मरियम से पत्नियाँ क्या सीख सकती हैं?

22 पत्नियाँ क्या सीख सकती हैं?  यह सच है कि पति यहोवा की सेवा करने में अपनी पत्नी की मदद करता है। लेकिन खुद पत्नी को भी यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता मज़बूत करना चाहिए। (गला. 6:5) उसे निजी अध्ययन और मनन करने के लिए समय निकालना होगा। ऐसा करने से यहोवा के लिए उसका प्यार बढ़ेगा और वह उसका आदर करती रहेगी। वह खुशी-खुशी अपने पति के अधीन भी रहेगी।

23. जब पत्नियाँ अपने पति के अधीन रहती हैं, तो उन्हें, उनके परिवारवालों को और मंडली को क्या फायदा होता है?

23 जो पत्नियाँ अपने पति के अधीन रहती हैं, वे दिखाती हैं कि उन्हें यहोवा से प्यार है। वे उन पत्नियों से ज़्यादा खुश रहती हैं जो यहोवा की बात नहीं मानतीं और अपने पति के अधीन नहीं रहतीं। वे जवान लड़के-लड़कियों के लिए अच्छी मिसाल बनती हैं। वे न सिर्फ परिवार में बल्कि मंडली में भी प्यार और शांति बनाकर रखती हैं। (तीतु. 2:3-5) आज देखा जाए तो मंडलियों में यहोवा की सेवा करनेवालों में स्त्रियों की गिनती ज़्यादा है। (भज. 68:11) लेकिन चाहे हम स्त्री हों या पुरुष, हम सबकी मंडली में एक अहम भूमिका है। अगले लेख में हम देखेंगे कि हम सब अपनी भूमिका अच्छे से कैसे निभा सकते हैं।

गीत 131 “जिसे परमेश्‍वर ने एक बंधन में बाँधा”

^ पैरा. 5 यहोवा ने परिवार में पत्नियों को पति के अधीन ठहराया है। लेकिन अधीन रहने का क्या मतलब है? बाइबल में यीशु और कुछ स्त्रियों के बारे में बताया गया है जिन्होंने अधीन रहने की अच्छी मिसाल रखी। आइए जानें कि मसीही पति-पत्नी इनसे क्या सीख सकते हैं?

^ पैरा. 68 तसवीर के बारे में: मरियम यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले की माँ, इलीशिबा से बात कर रही है। वह उसे इब्रानी शास्त्र की वे आयतें बता रही है जो उसे मुँह-ज़बानी याद हैं।

^ पैरा. 70 तसवीर के बारे में: मरियम की तरह, एक पत्नी वक्‍त निकालकर बाइबल का अध्ययन कर रही है। इस तरह अपना विश्‍वास बढ़ाने के लिए वह मेहनत कर रही है।