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अध्ययन लेख 17

यहोवा सच में आपसे प्यार करता है!

यहोवा सच में आपसे प्यार करता है!

“यहोवा अपने लोगों से प्यार करता है।”​—2 इति. 2:11.

गीत 108 परमेश्‍वर का सच्चा प्यार

लेख की एक झलक *

हमारा पिता हममें से हरेक से “प्यार करता है” (पैराग्राफ 1 देखें)

1. यहोवा अपने लोगों में क्या देखता है?

“यहोवा अपने लोगों से प्यार करता है।” (2 इति. 2:11) यह बात जानकर हमें कितनी खुशी होती है! वह हममें अच्छाइयाँ देखता है। वह यह देखता है कि हम आगे चलकर अच्छे इंसान बन सकते हैं। इसी वजह से वह हमसे दोस्ती करता है। अगर हम उसके वफादार रहें, तो वह हमेशा हमारा दोस्त बना रहेगा।​—यूह. 6:44.

2. कुछ लोगों को क्यों लगता है कि यहोवा उनसे प्यार नहीं करता?

2 कुछ भाई-बहन शायद कहें, ‘मैं जानता हूँ कि यहोवा अपने लोगों से प्यार करता है, लेकिन मैं यह कैसे मान लूँ कि वह मुझसे प्यार करता है?’ वे ऐसा क्यों सोचते हैं? शायद बचपन में उनके साथ कुछ बुरा हुआ हो, जिस वजह से वे ऐसा सोचते हैं। ओलीना * का उदाहरण लीजिए। वह कहती है, “जब मैंने बपतिस्मा लिया तो मैं बहुत खुश थी। मैंने पायनियर सेवा शुरू कर दी। लेकिन 15 साल बाद बचपन की बुरी यादें मुझे सताने लगीं। मुझे लगने लगा कि यहोवा मुझसे कभी प्यार नहीं कर सकता।” एक पायनियर बहन योशिको भी कहती है, “मैं यहोवा को खुश करना चाहती थी, इसलिए मैंने बपतिस्मा लिया। लेकिन मन-ही-मन मुझे लगता था कि यहोवा मुझसे कभी प्यार नहीं करेगा।”

3. इस लेख में हम क्या चर्चा करेंगे?

3 अभी हमने जिन बहनों के बारे में बात की, शायद उनकी तरह आपको भी लगे कि आप पूरे दिल से यहोवा से प्यार करते हैं। मगर वह आपसे प्यार नहीं करता। इस लेख में हम इन सवालों पर चर्चा करेंगे: आप क्यों यकीन रख सकते हैं कि यहोवा सच में आपसे प्यार करता है? और अगर आपको लगे कि वह आपसे प्यार नहीं करता, तो आपको क्या करना चाहिए?

यहोवा के प्यार पर यकीन न करने के खतरे

4. अगर हमें लगने लगे कि यहोवा हमसे प्यार नहीं करता, तो क्या खतरा हो सकता है?

4 अगर हमें पूरा यकीन होगा कि यहोवा हमसे प्यार करता है, तो हम मुश्‍किलों के बावजूद उसकी जी-जान से सेवा करते रहेंगे। लेकिन अगर हमें लगने लगे कि यहोवा हमसे प्यार नहीं करता, तो हम निराश हो जाएँगे और हममें “बहुत कम ताकत रह जाएगी।” (नीति. 24:10) फिर हम शैतान के हमलों का सामना नहीं कर पाएँगे।​—इफि. 6:16.

5. कुछ भाई-बहनों की बातों से कैसे पता चलता है कि यहोवा के प्यार पर यकीन न करना खतरनाक है?

5 आज कुछ भाई-बहन सोचते हैं कि यहोवा उनसे प्यार नहीं करता, उनकी परवाह नहीं करता। इस वजह से उनका विश्‍वास कमज़ोर हो गया। जेम्स नाम का एक प्राचीन कहता है, “मैं बेथेल में सेवा करता हूँ और दूसरी भाषा की मंडली में जाता हूँ। मुझे प्रचार करना अच्छा लगता है। फिर भी मैं सोचने लगा, पता नहीं, यहोवा मेरी सेवा से खुश है या नहीं। एक वक्‍त ऐसा भी आया जब मुझे लगा कि यहोवा मेरी प्रार्थनाएँ नहीं सुन रहा।” ईवा जो पूरे समय की सेवा करती है, कहती है, “जब हमें लगता है कि यहोवा हमसे प्यार नहीं करता, तो इसका बुरा असर होता है। हमें यहोवा की सेवा करने का मन नहीं करता और हमारी खुशी छिन जाती है।” एक और भाई माइकल जो एक प्राचीन और पायनियर है, कहता है, “अगर हमें यकीन न हो कि यहोवा हमसे प्यार करता है, तो हम उससे दूर चले जाएँगे।”

6. अगर आपको लगे कि यहोवा आपसे प्यार नहीं करता, तो आपको क्या करना चाहिए?

6 अगर आपके मन में ऐसे खयाल आएँ कि यहोवा आपसे प्यार नहीं करता, तो आपको क्या करना चाहिए? इस तरह के विचारों को तुरंत मन से निकाल दीजिए। यहोवा से प्रार्थना कीजिए कि वह इन “परेशान करनेवाले विचारों” को आपके मन से निकाल दे। और आपको ‘परमेश्‍वर की वह शांति दे जो आपके दिल की और आपके दिमाग के सोचने की ताकत की हिफाज़त करेगी।’ (भज. 139:23, फु.; फिलि. 4:6, 7) याद रखिए, इस लड़ाई में आप अकेले नहीं हैं। आपकी तरह और भी कई भाई-बहन हैं। बीते समय में भी यहोवा के वफादार सेवकों को इस तरह की भावनाओं से लड़ना पड़ा था। आइए प्रेषित पौलुस के उदाहरण पर ध्यान दें।

पौलुस से हम क्या सीखते हैं?

7. पौलुस किन हालात में था?

7 क्या आपके पास बहुत-सी ज़िम्मेदारियाँ हैं और आपको इस बात की चिंता खाए जा रही है कि आप उन्हें अच्छे-से नहीं निभा पाएँगे? पौलुस के हालात भी कुछ ऐसे ही थे। उसे एक मंडली की नहीं बल्कि “सारी मंडलियों” की चिंता सताए जा रही थी। (2 कुरिं. 11:23-28) क्या आप काफी समय से बीमार हैं और इस वजह से आपकी खुशी छिन गयी है? पौलुस के ‘शरीर में भी एक काँटा था।’ शायद उसे सेहत से जुड़ी कोई समस्या थी और वह चाहता था कि यह दूर हो जाए। (2 कुरिं. 12:7-10) क्या आप अपनी कमज़ोरियों की वजह से निराश हो जाते हैं? पौलुस खुद को “लाचार” महसूस करता था, क्योंकि उसे सही काम करने के लिए संघर्ष करना पड़ता था।​—रोमि. 7:21-24.

8. पौलुस अपनी मुश्‍किलों के बावजूद यहोवा की सेवा क्यों कर पाया?

8 पौलुस मुश्‍किलों और चिंताओं के बावजूद यहोवा की सेवा करता रहा। वह ऐसा क्यों कर पाया? क्योंकि यीशु के फिरौती बलिदान पर उसे पूरा विश्‍वास था। वह जानता था कि यीशु ने वादा किया है कि ‘हर कोई  जो उस पर यकीन करेगा वह हमेशा की ज़िंदगी पाएगा।’ (यूह. 3:15; रोमि. 6:23) पौलुस को यकीन था कि जिन्होंने बड़ी-बड़ी गलतियाँ की हैं, अगर वे पश्‍चाताप करें तो फिरौती के आधार पर यहोवा उन्हें माफ करेगा।​—भज. 86:5.

9. गलातियों 2:20 में पौलुस के लिखे शब्दों से हम क्या सीख सकते हैं?

9 पौलुस को यह भी यकीन था कि यहोवा उससे प्यार करता है, क्योंकि यहोवा ने उसके लिए यीशु का फिरौती बलिदान दिया था। ध्यान दीजिए, पौलुस ने क्या कहा, ‘परमेश्‍वर के बेटे ने मुझसे  प्यार किया और खुद को मेरे लिए  दे दिया।’ (गलातियों 2:20 पढ़िए।) पौलुस ने ऐसा नहीं सोचा, ‘यहोवा बाकी भाई-बहनों से तो प्यार कर सकता है, लेकिन मुझसे प्यार नहीं कर सकता क्योंकि मैं पहले बहुत बुरा इंसान था।’ इसलिए पौलुस ने रोम के मसीहियों को लिखा, “जब हम पापी ही थे, तब मसीह हमारे लिए  मरा।” (रोमि. 5:8) सच में यहोवा अपने सभी  सेवकों से प्यार करता है!

10. हम रोमियों 8:38, 39 से क्या सीखते हैं?

10 रोमियों 8:38, 39 पढ़िए। पौलुस को इस बात का पूरा यकीन था कि यहोवा का प्यार इतना गहरा है कि कोई भी चीज़ हमें ‘परमेश्‍वर के प्यार से अलग नहीं कर सकेगी।’ पौलुस जानता था कि यहोवा ने इसराएल राष्ट्र के साथ सब्र रखा। यहोवा ने उसके साथ भी सब्र रखा था और उस पर दया की थी। दूसरे शब्दों में कहें तो पौलुस कह रहा था, ‘यहोवा ने मेरे लिए  अपने बेटे को मरने दिया, तो इससे बड़ा सबूत और क्या चाहिए कि यहोवा मुझसे प्यार करता है!’​—रोमि. 8:32.

यहोवा के लिए यह बात मायने रखती है कि आज  एक व्यक्‍ति क्या कर रहा है और आगे  क्या करेगा, न कि यह कि उसने बीते  समय में क्या गलतियाँ की थीं (पैराग्राफ 11 देखें) *

11. (क) 1 तीमुथियुस 1:12-15 के मुताबिक पौलुस ने कौन-से पाप किए थे? (ख) फिर भी उसे क्यों यकीन था कि परमेश्‍वर उससे प्यार करता है?

11 पहला तीमुथियुस 1:12-15 पढ़िए। मसीही बनने से पहले पौलुस ने जो भी किया, उन बातों को याद करके उसे बहुत तकलीफ हुई होगी। वह अलग-अलग शहरों में जाकर मसीहियों को जेल में डलवाता था। और जब किसी को मौत की सज़ा देने की बात चलती, तो वह उसमें हामी भरता था। (प्रेषि. 26:10, 11) इसलिए उसने खुद को “सबसे बड़ा” पापी कहा। ज़रा सोचिए, जब पौलुस किसी जवान मसीही से मिलता था, जिसके माता-पिता को उसने मरवाया था, तो उसे कैसा लगा होगा। वह अपने किए पर बहुत पछताया होगा। लेकिन जो हुआ उसे वह बदल नहीं सकता था। उसने इस बात को माना कि यीशु उसके पापों के लिए मरा इसलिए वह पूरे यकीन से लिख पाया, “आज मैं जो हूँ वह परमेश्‍वर की महा-कृपा से हूँ।” (1 कुरिं. 15:3, 10) पौलुस से आप क्या सीखते हैं? इस बात को मानिए कि यीशु आपके लिए  मरा और इस वजह से आप यहोवा के साथ एक अच्छा रिश्‍ता बना पाए हैं। (प्रेषि. 3:19) यहोवा के लिए यह बात मायने रखती है कि आज  एक व्यक्‍ति क्या कर रहा है और आगे  क्या करेगा। न कि यह कि उसने बीते  समय में क्या गलतियाँ की थीं, फिर चाहे वह सच्चाई में था या नहीं।​—यशा. 1:18.

12. हमें 1 यूहन्‍ना 3:19, 20 में लिखी कौन-सी बात याद रखनी चाहिए?

12 जब आप इस बारे में सोचते हैं कि यीशु आपके लिए मरा, तो शायद आपको लगे, ‘मैं इस प्यार के लायक नहीं हूँ।’ आपको क्यों ऐसा लग सकता है? क्योंकि आपका दिल आपको महसूस करा सकता है कि आप किसी के प्यार के लायक नहीं हैं। (1 यूहन्‍ना 3:19, 20 पढ़िए।) लेकिन याद रखिए, “परमेश्‍वर हमारे दिलों से बड़ा है।” खुद को यकीन दिलाइए कि यहोवा आपसे बहुत प्यार करता है और आपको माफ करना चाहता है। अपना यकीन बढ़ाने के लिए हर दिन बाइबल पढ़िए, बार-बार प्रार्थना कीजिए और भाई-बहनों के साथ वक्‍त बिताइए। आइए देखें कि यह सब करने से आपको कैसे मदद मिल सकती है।

अध्ययन, प्रार्थना और भाई-बहनों से मिलती मदद

13. बाइबल का अध्ययन करने से आपको क्या मदद मिलती है? (“ बाइबल से उन्हें मदद मिली” नाम का बक्स भी पढ़ें।)

13 परमेश्‍वर का वचन हर दिन पढ़िए।  आप जितना ज़्यादा अध्ययन करेंगे, उतना ज़्यादा यहोवा के गुणों को जान पाएँगे। आप समझ पाएँगे कि वह आपसे कितना प्यार करता है। अध्ययन करने के बाद मनन कीजिए। इससे आप अपने दिलो-दिमाग से गलत सोच निकाल पाएँगे। (2 तीमु. 3:16) कैविन नाम का एक प्राचीन, जो खुद को बिलकुल बेकार समझता था, कहता है, “मैंने भजन 103 का अध्ययन किया और उस पर मनन किया। मैं समझ पाया कि यहोवा मेरे बारे में क्या सोचता है और मैं अपनी सोच सुधार पाया।” ईवा जिसका पहले ज़िक्र किया गया था, कहती है, “दिन के आखिर में मैं मनन करती हूँ कि यहोवा मेरे बारे में क्या सोचता है। इससे मुझे मन की शांति मिलती है और यहोवा पर मेरा विश्‍वास बढ़ता है।”

14. प्रार्थना करने से क्या होता है?

14 बार-बार प्रार्थना कीजिए।  (1 थिस्स. 5:17) किसी के साथ दोस्ती करने के लिए हम अकसर उससे बात करते हैं, उसे अपने दिल की बात बताते हैं। यहोवा के साथ हमारी दोस्ती भी कुछ ऐसी ही है। जब आप उसे अपनी चिंताएँ, अपनी भावनाएँ, अपने दिल की सारी बातें बताते हैं, तो इससे पता चलता है कि आपको उस पर भरोसा है और आपको यकीन है कि वह आपसे प्यार करता है। (भज. 94:17-19; 1 यूह. 5:14, 15) योशिको जिसका पहले ज़िक्र किया गया था, कहती है, “जब मैं यहोवा से प्रार्थना करती हूँ, तो मैं उसे सिर्फ यह नहीं बताती कि दिन-भर में मेरे साथ क्या-क्या हुआ, बल्कि मैं उसे अपने दिल की सारी बातें बताती हूँ, मैं क्या सोच रही हूँ, कैसा महसूस कर रही हूँ। धीरे-धीरे मैं समझ गयी कि यहोवा किसी कंपनी का मालिक नहीं है जिसे मुझे पूरे दिन की रिपोर्ट देनी है, बल्कि वह एक पिता की तरह है जो अपने बच्चों से बहुत प्यार करता है।”​—“ क्या आपने इसे पढ़ा है?” नाम का बक्स पढ़ें।

15. यह कैसे पता चलता है कि यहोवा को आपकी परवाह है?

15 वफादार दोस्तों के साथ वक्‍त बिताइए।  यहोवा ने मंडली में ऐसे बहुत-से भाई-बहन दिए हैं, जो ‘हर समय आपसे प्यार करते हैं।’ (नीति. 17:17) ये सच में यहोवा के दिए तोहफे हैं। (याकू. 1:17) इससे पता चलता है कि यहोवा आपकी परवाह करता है। कुलुस्से के नाम लिखी चिट्ठी में पौलुस ने कुछ ऐसे मसीहियों का ज़िक्र किया, जिनसे उसे “बहुत दिलासा मिला।” (कुलु. 4:10, 11) यीशु को भी अपने दोस्तों की ज़रूरत थी। जब चेलों और स्वर्गदूतों ने उसका साथ दिया, तो उसने उनका एहसान माना।​—लूका 22:28, 43.

16. यहोवा के करीब बने रहने में दोस्त कैसे हमारी मदद करते हैं?

16 क्या आप अपने दोस्तों की मदद लेते हैं? किसी दोस्त को अपनी चिंताएँ, अपनी तकलीफ बताने का यह मतलब नहीं है कि आपका विश्‍वास कमज़ोर है। दरअसल उनसे बात करके आपके विश्‍वास की हिफाज़त होगी। जेम्स जिसका पहले ज़िक्र किया गया है, कहता है, “अच्छे दोस्तों से मुझे बहुत मदद मिली है। आज भी जब मुझे लगता है कि मैं किसी के प्यार के लायक नहीं हूँ, तो वे मेरी ध्यान से सुनते हैं और मुझे यकीन दिलाते हैं कि वे मुझसे प्यार करते हैं। उनका प्यार देखकर मैं समझ पाता हूँ कि यहोवा मुझसे कितना प्यार करता है।” सच में मंडली के भाई-बहनों से दोस्ती करना कितना ज़रूरी है!

परमेश्‍वर के प्यार के लायक बने रहिए

17-18. आपको किसकी सुननी चाहिए और क्यों?

17 शैतान चाहता है कि आप हार मान लें। वह आपको यकीन दिलाना चाहता है कि आप बहुत बुरे इंसान हैं, यहोवा आपसे प्यार नहीं करता और वह आपको कभी नहीं बचाएगा। लेकिन जैसा हमने इस लेख में चर्चा की, यह सरासर झूठ है।

18 यहोवा की नज़रों में आपका मोल बहुत ज़्यादा है। अगर आप उसकी बात मानेंगे, तो आप “उसके प्यार के लायक” बने रहेंगे, जैसे यीशु बना रहा। (यूह. 15:10) शैतान की और अपने दिल की मत सुनिए, जो आपको यह यकीन दिलाने की कोशिश करते हैं कि आप एक अच्छे इंसान नहीं हैं। सिर्फ यहोवा की सुनिए, जो आपमें अच्छाइयाँ देखता है। यकीन रखिए कि “यहोवा अपने लोगों से प्यार करता है,” आपसे भी!

गीत 141 जीवन का करिश्‍मा

^ पैरा. 5 कुछ भाई-बहनों को लगता है कि यहोवा उनसे कभी प्यार नहीं कर सकता। इस लेख में हम चर्चा करेंगे कि हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि यहोवा हममें से हरेक से प्यार करता है। हम यह भी जानेंगे कि अगर हमें लगता है कि यहोवा हमसे प्यार नहीं करता, तो हमें क्या करना चाहिए।

^ पैरा. 2 कुछ नाम बदल दिए गए हैं।

^ पैरा. 67 तसवीर के बारे में: सच्चाई सीखने से पहले, पौलुस ने कई मसीहियों को जेल में डलवाया। लेकिन जब उसने यह बात मानी कि यीशु उसके लिए मरा था, तो उसने खुद को बदला। उसने ऐसे भाई-बहनों की हिम्मत बँधायी, जिनके रिश्‍तेदारों को उसने सताया था।