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अध्ययन लेख 20

प्रचार काम में लगे रहिए

प्रचार काम में लगे रहिए

‘अपना बीज बो और अपना हाथ मत रोक।’—सभो. 11:6.

गीत 70 योग्य लोगों को ढूँढ़ो

लेख की एक झलक *

यीशु के स्वर्ग जाने के बाद, उसके चेले यरूशलेम और दूसरी जगहों में जोश से प्रचार करते हैं (पैराग्राफ 1 पढ़ें)

1. यीशु ने अपने चेलों के लिए क्या मिसाल रखी? (बाहर दी तसवीर देखें।)

जब यीशु धरती पर था, तो वह प्रचार काम में लगा रहा। उसे उम्मीद थी कि लोग कभी-न-कभी उसकी ज़रूर सुनेंगे। वह चाहता था कि उसके चेले भी प्रचार काम में लगे रहें। (यूह. 4:35, 36) यीशु के साथ रहते वक्‍त चेलों ने ज़ोर-शोर से प्रचार किया। (लूका 10:1, 5-11, 17) लेकिन जब यीशु को गिरफ्तार कर लिया गया और उसे मार डाला गया, तो उनका जोश कम हो गया। (यूह. 16:32) फिर जब यीशु ज़िंदा हुआ, तो उसने चेलों को प्रचार करते रहने का बढ़ावा दिया। उसके स्वर्ग जाने के बाद, उन्होंने इतने ज़ोर-शोर से प्रचार किया कि उनके दुश्‍मनों ने कहा, “देखो! तुमने सारे यरूशलेम को अपनी शिक्षाओं से भर दिया है।”—प्रेषि. 5:28.

2. हम क्यों कह सकते हैं कि यहोवा प्रचार काम पर आशीष दे रहा है?

2 पहली सदी में प्रचार काम यीशु की निगरानी में हुआ और यहोवा ने उस काम पर आशीष दी। ईसवी सन्‌ 33 के पिन्तेकुस्त के दिन करीब 3,000 लोगों ने बपतिस्मा लिया। (प्रेषि. 2:41) यह गिनती तेज़ी से बढ़ती गयी। (प्रेषि. 6:7) यीशु ने भविष्यवाणी की थी कि आखिरी दिनों में और भी बड़ी तादाद में लोग सच्चाई अपनाएँगे।—यूह. 14:12; प्रेषि. 1:8.

3-4. (क) कुछ इलाकों में प्रचार करना क्यों मुश्‍किल होता है? (ख) हम इस लेख में क्या चर्चा करेंगे?

3 कुछ देशों में प्रचार करना आसान होता है, क्योंकि वहाँ बहुत-से लोग बाइबल के बारे में सीखना चाहते हैं। कभी-कभार इतने लोग सीखना चाहते हैं कि अध्ययन करानेवाले कम पड़ जाते हैं। लेकिन कुछ देशों में प्रचार करना आसान नहीं होता, क्योंकि लोग घर पर ही नहीं मिलते। और जो मिलते हैं वे हमारा संदेश नहीं सुनना चाहते।

4 अगर आपके इलाके में लोग आपकी नहीं सुनते, तो आप क्या कर सकते हैं? इस लेख में हम जानेंगे कि कुछ भाई-बहनों ने कौन-से तरीके अपनाए जिससे वे बहुत-से लोगों तक पहुँच पाए। हम यह भी चर्चा करेंगे कि हमें प्रचार में क्यों लगे रहना चाहिए, फिर चाहे लोग हमारी सुनें या न सुनें।

जब लोग घर पर न मिलें, तब भी लगे रहिए

5. कुछ भाई-बहनों के लिए प्रचार करना क्यों मुश्‍किल होता जा रहा है?

5 आजकल लोगों से मिलना मुश्‍किल होता जा रहा है। कुछ लोग बड़ी-बड़ी बिल्डिंग में रहते हैं। अगर वहाँ रहनेवालों से हमारी जान-पहचान न हो, तो गार्ड हमें अंदर नहीं जाने देते। कुछ इलाकों में हम लोगों के घर तो जा पाते हैं, लेकिन वे घर पर नहीं मिलते। कुछ प्रचारक ऐसे इलाकों में प्रचार करते हैं, जहाँ बहुत कम लोग रहते हैं। सिर्फ एक व्यक्‍ति से मिलने के लिए वे बहुत दूर तक सफर करते हैं। लेकिन जब वे वहाँ पहुँचते हैं, तो उन्हें वह नहीं मिलता। अगर हम ऐसे इलाकों में प्रचार करते हैं, तो हमें निराश नहीं होना चाहिए। हमें ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों तक पहुँचने की कोशिश करते रहना चाहिए।

6. प्रचार काम कैसे मछुवारे के काम की तरह है?

6 यीशु ने कहा था कि हमारा काम मछुवारे के काम की तरह है। (मर. 1:17) कई दिनों तक मेहनत करने के बाद भी, कई बार मछुवारा एक भी मछली नहीं पकड़ पाता। लेकिन फिर भी वह हार नहीं मानता। वह मछली पकड़ने का दूसरा तरीका अपनाता है, किसी और समय पर जाता है या दूसरी जगह जाकर मछली पकड़ता है। प्रचार काम में भी हमें कुछ ऐसा ही करना चाहिए, ताकि हम ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को प्रचार कर सकें। आइए इसके कुछ सुझावों पर ध्यान दें।

जब लोग घर पर नहीं मिलते, तो हमें अलग-अलग समय पर या दूसरी जगह जाकर प्रचार करना चाहिए या फिर कोई और तरीका अपनाना चाहिए (पैराग्राफ 7-10 देखें) *

7. हमें किसी और समय पर प्रचार क्यों करना चाहिए?

7 हमें किसी और समय पर लोगों से मिलने की कोशिश करनी चाहिए।  इसकी एक वजह है कि लोग कभी-न-कभी घर पर ज़रूर मिलेंगे! कुछ भाई-बहन दोपहर या शाम को प्रचार करते हैं। उन्होंने गौर किया है कि उस वक्‍त ज़्यादातर लोग घर पर मिलते हैं और फुरसत में होते हैं। इसलिए वे आराम से उनकी बात सुनते हैं। हम डेविड नाम के प्राचीन का भी तरीका अपना सकते हैं। कुछ देर घर-घर प्रचार करने के बाद, वह और उसका साथी दोबारा उन घरों में जाते हैं जो पहले बंद थे। उसने देखा है कि वापस जाने से घर पर कोई-न-कोई ज़रूर मिलता है। *

जब लोग घर पर नहीं मिलते, तो हमें अलग-अलग समय पर प्रचार करना चाहिए (पैराग्राफ 7-8 देखें)

8. सभोपदेशक 11:6 में दी सलाह प्रचार में कैसे काम आ सकती है?

8 इस लेख की मुख्य आयत में हमने सीखा कि हमें हार नहीं मानना है, हमें लोगों को ढूँढ़ते रहना है और प्रचार करते रहना है। (सभोपदेशक 11:6 पढ़िए।) डेविड ने ऐसा ही किया। वह एक व्यक्‍ति से मिलने के लिए बार-बार उसके घर जाता था, लेकिन वह नहीं मिलता था। आखिरकार जब वह मिला, तो उसने डेविड की बात अच्छे-से सुनी और वह बाइबल के बारे में सीखना चाहता था। उसने कहा, “मैं आठ सालों से यहाँ रह रहा हूँ, लेकिन कभी किसी यहोवा के साक्षी से नहीं मिला।” डेविड बताता है, “इतनी कोशिशों के बाद जब कोई व्यक्‍ति मिलता है, तो वह हमारी बात सुनने के लिए तैयार रहता है।”

जब लोग घर पर नहीं मिलते, तो हमें दूसरी जगह जाकर प्रचार करना चाहिए (पैराग्राफ 9 देखें)

9. जिन लोगों तक पहुँचना मुश्‍किल है, उन्हें गवाही देने के लिए कुछ प्रचारकों ने क्या किया है?

9 हमें अलग-अलग जगह जाकर प्रचार करना चाहिए।  जो लोग घर पर नहीं मिलते, उन तक पहुँचने के लिए कुछ प्रचारकों ने दूसरी जगह जाकर गवाही दी है। उदाहरण के लिए, जो लोग बड़ी-बड़ी बिल्डिंग में रहते हैं या ऐसी जगह रहते हैं जहाँ कड़ी सुरक्षा है, उनसे बात करने के लिए प्रचारकों ने कार्ट लगाया या सड़क पर गवाही दी। इस तरह वे कई लोगों से आमने-सामने बात कर पाए। कुछ और प्रचारकों ने पार्क में, बाज़ारों में और बिज़नेस इलाकों में गवाही दी जिस वजह से कई लोगों ने आराम से उनसे बातचीत की और पत्रिकाएँ लीं। बोलिविया का एक सर्किट निगरान, फ्लोरान कहता है, “हम दोपहर को एक से तीन बजे बाज़ार में जाकर गवाही देते हैं, जब ज़्यादा भीड़ नहीं होती। इस वजह से सामान बेचनेवालों से अच्छी बातचीत हो पाती है और कइयों ने अध्ययन भी शुरू किया है।”

जब लोग घर पर नहीं मिलते, तो हमें कोई और तरीका अपनाना चाहिए (पैराग्राफ 10 देखें)

10. लोगों को गवाही देने के लिए हम और कौन-सा तरीका आज़मा सकते हैं?

10 हमें अलग-अलग तरीके आज़माने चाहिए।  मान लीजिए, हम किसी से मिलने की बार-बार कोशिश करते हैं, अलग-अलग समय पर उसके घर जाते हैं, फिर भी वह नहीं मिलता। ऐसे में हम क्या कर सकते हैं? काटारीना नाम की एक बहन कहती है, “जो लोग घर पर नहीं मिलते, उन्हें मैं चिट्ठी लिखती हूँ। मैं उसमें वे सारी बातें लिखती हूँ जो मैं उनसे मिलकर कहती।” बहन से हम सीखते हैं कि लोगों को गवाही देने के लिए हमें हर तरीका आज़माना चाहिए।

जब लोग न सुनें, तब भी लगे रहिए

11. कुछ लोग हमारी बात क्यों नहीं सुनते?

11 दुनिया में इतनी दुख-तकलीफें देखकर कुछ लोगों का परमेश्‍वर से विश्‍वास उठ गया है। कुछ लोग बाइबल के बारे में नहीं जानना चाहते, क्योंकि वे देखते हैं कि जो धर्म गुरु बाइबल से सिखाने का दावा करते हैं, वे खुद गलत काम कर रहे हैं। कुछ लोग अपने घर-परिवार, नौकरी और दूसरी चिंताओं में उलझे हुए हैं, उन्हें नहीं लगता कि बाइबल से उन्हें कोई मदद मिल सकती है। इन वजहों से शायद लोग हमारी न सुनें। ऐसे में हम खुशी-खुशी प्रचार कैसे करते रह सकते हैं?

12. प्रचार करते वक्‍त हम फिलिप्पियों 2:4 में दी सलाह कैसे मान सकते हैं?

12 हमें लोगों की सच में परवाह करनी चाहिए।  कुछ लोग शुरू-शुरू में हमारी बात नहीं सुनना चाहते थे। लेकिन जब उन्होंने देखा कि हम उनकी परवाह करते हैं, तो उन्होंने हमारी बात ध्यान से सुनी। लोग अकसर हमारे चेहरे से भाँप लेते हैं कि हमें उनकी परवाह है या नहीं। (फिलिप्पियों 2:4 पढ़िए।) डेविड, जिसका पहले ज़िक्र किया गया था, बताता है, “जब कोई कहता है कि वह हमारी बात नहीं सुनना चाहता, तो हम अपनी बाइबल और पत्रिकाएँ बैग में रख देते हैं और जानने की कोशिश करते हैं कि वह ऐसा क्यों कह रहा है।” लोगों को अकसर यह याद नहीं रहता कि हमने क्या बात की, लेकिन यह याद रहता है कि हमें उनकी बात सुनने में कितनी दिलचस्पी थी। इसलिए जब हम लोगों से मिलते हैं, तो चाहे वे हमारा संदेश सुनें या न सुनें, हमें उनके साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए।

13. हमें लोगों से किन विषयों पर बात करनी चाहिए ताकि वे हमारी सुनें?

13 हमें लोगों की ज़रूरत, हालात और दिलचस्पी के मुताबिक बात करनी चाहिए। मान लीजिए, हम एक घर में जाते हैं और हमें कुछ खिलौने पड़े दिखते हैं। इसका मतलब है कि घर में बच्चे हैं। उस घर में शायद माता-पिता को बच्चों की परवरिश के बारे में बात करने में दिलचस्पी हो या वे जानना चाहें कि उनका परिवार कैसे खुश रह सकता है। अगर किसी घर के बाहर कैमरे लगे हों, तो उस घर में हम बढ़ते अपराध और सुरक्षा के बारे में बात कर सकते हैं। हम बता सकते हैं कि बहुत जल्द अपराध खत्म हो जाएँगे। हर बार जब हम लोगों से उन विषयों के बारे में बात करते हैं जिनमें उन्हें दिलचस्पी है, तो हम उन्हें समझा सकते हैं कि बाइबल की सलाह उनके लिए फायदेमंद है। काटारीना जिसका पहले ज़िक्र किया गया था, इस बात को हमेशा याद रखती है कि बाइबल ने उसकी ज़िंदगी बदल दी। इसलिए जब वह प्रचार में लोगों से बात करती है, तो पूरे यकीन के साथ गवाही दे पाती है और लोग भी उसकी सुनते हैं।

14. नीतिवचन 27:17 के मुताबिक प्रचार में भाई-बहन एक-दूसरे की मदद करने के लिए क्या कर सकते हैं?

14 हमें दूसरों की मदद लेनी चाहिए।  पहली सदी में तीमुथियुस ने पौलुस से प्रचार करना सीखा। उसे यह भी बढ़ावा दिया गया कि वह दूसरों को इसी तरह प्रचार करना सिखाए। (1 कुरिं. 4:17) तीमुथियुस की तरह हमें भी अपनी मंडली में अनुभवी प्रचारकों से सीखना चाहिए। (नीतिवचन 27:17 पढ़िए।) शौन नाम के एक पायनियर भाई ने ऐसा ही किया। वह कुछ समय के लिए एक दूर-दराज़ इलाके में प्रचार करने गया था। लेकिन वहाँ ज़्यादातर लोग सुनते नहीं थे क्योंकि वे अपने ही धर्म से खुश थे। ऐसे में वह प्रचार काम के लिए अपनी खुशी कैसे बनाए रख पाया? वह कहता है, “मैं कोशिश करता था कि कोई-न-कोई प्रचारक मेरे साथ आए। फिर जब हम एक घर से दूसरे घर जाते थे, तो हम आपस में बात करते थे कि पिछले घर में उस व्यक्‍ति ने क्या कहा और हमने क्या जवाब दिया। अगर अगले घर में एक व्यक्‍ति ऐसे ही बात करे, तो हम उसे अपनी बात और अच्छी तरह कैसे समझा सकते हैं। इस तरह हम एक-दूसरे का हुनर बढ़ा पाए।”

15. जब हम प्रचार में जाते हैं, तो हमें प्रार्थना क्यों करनी चाहिए?

15 हमें यहोवा से मदद के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।  हर बार जब हम प्रचार में जाते हैं, तो हमें यहोवा से मदद माँगनी चाहिए। उसकी पवित्र शक्‍ति के बिना हम कुछ नहीं कर पाएँगे। (भज. 127:1; लूका 11:13) हमें उसे साफ-साफ बताना चाहिए कि हमारी इच्छा क्या है। उदाहरण के लिए, हम प्रार्थना कर सकते हैं कि वह हमें ऐसे व्यक्‍ति से मिलवाए जो उसके बारे में सुनना चाहता है और सीखना चाहता है। फिर जैसे हमने प्रार्थना की है, हमें उसके मुताबिक काम करना चाहिए। यानी हम जिससे भी मिलते हैं, हमें उसे गवाही देनी चाहिए।

16. अच्छे-से प्रचार करने के लिए निजी अध्ययन करना क्यों ज़रूरी है?

16 हमें निजी अध्ययन के लिए समय निकालना चाहिए।  बाइबल में लिखा है, “परखकर खुद के लिए मालूम करते [रहो] कि परमेश्‍वर की भली, उसे भानेवाली और उसकी परिपूर्ण इच्छा क्या है।” (रोमि. 12:2) जितना ज़्यादा हमें यकीन होगा कि यही सच्चाई है, उतने यकीन के साथ हम प्रचार कर पाएँगे। काटारीना जिसका पहले ज़िक्र किया गया था, कहती है, “कुछ समय पहले मुझे लगा कि बाइबल की कुछ शिक्षाओं के बारे में मुझे अपना विश्‍वास मज़बूत करना चाहिए। इसलिए मैं उन सबूतों का गहराई से अध्ययन करने लगी जिससे पता चलता है कि एक सृष्टिकर्ता है, बाइबल परमेश्‍वर का वचन है और आज उसका एक संगठन है जिसे वह चला रहा है।” काटारीना कहती है कि उसने जितना ज़्यादा निजी अध्ययन किया, उतना ज़्यादा उसका विश्‍वास मज़बूत हुआ। और प्रचार काम में उसकी खुशी बढ़ने लगी।

प्रचार काम में लगे रहना क्यों ज़रूरी है?

17. यीशु प्रचार क्यों करता रहा?

17 जब यीशु प्रचार कर रहा था तो कुछ लोगों ने उसकी नहीं सुनी। फिर भी यीशु ने हार नहीं मानी। वह प्रचार करने में लगा रहा। वह जानता था कि लोगों के लिए सच्चाई जानना बहुत ज़रूरी है। इसलिए वह ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को परमेश्‍वर के राज के बारे में बताना चाहता था। वह यह भी जानता था कि भले ही कुछ लोग आज उसकी नहीं सुन रहे हैं, लेकिन आगे जाकर वे ज़रूर उसके संदेश पर ध्यान देंगे। जब यीशु ने धरती पर साढ़े तीन साल तक सेवा की, तो उसके भाइयों ने उस पर विश्‍वास नहीं किया। (यूह. 7:5) लेकिन बाद में जब उसे ज़िंदा किया गया, तो उन्होंने उस पर विश्‍वास किया और मसीही बन गए।—प्रेषि. 1:14.

18. हम क्यों प्रचार करते रहते हैं?

18 हम नहीं जानते कि आगे चलकर कौन सच्चाई सीखेगा और यहोवा का सेवक बनेगा। इसलिए हमें प्रचार करते रहना चाहिए। कुछ लोगों को सच्चाई सीखने में ज़्यादा वक्‍त लगता है। वहीं कुछ लोग शायद शुरू-शुरू में हमारा संदेश न सुनें, लेकिन बाद में हमारा अच्छा चालचलन और व्यवहार देखकर परमेश्‍वर की सेवा करने लगें।—1 पत. 2:12.

19. पहला कुरिंथियों 3:6, 7 के मुताबिक हमें क्या याद रखना चाहिए?

19 हम प्रचार करने और सिखाने में बहुत मेहनत करते हैं, लेकिन हमारी मेहनत तभी रंग लाती है जब यहोवा उस पर आशीष देता है। (1 कुरिंथियों 3:6, 7 पढ़िए।) इथियोपिया में रहनेवाला भाई गेटोहुन कहता है, “मैं अपने इलाके में अकेला साक्षी था और 20 साल से प्रचार कर रहा था। फिर 13 लोगों ने बपतिस्मा लिया, जिनमें मेरी पत्नी और मेरे तीन बच्चे भी हैं। अब यहाँ 14 प्रचारक हैं और तकरीबन 32 लोग सभाओं में आते हैं।” गेटोहुन खुश है कि उसने सब्र रखा और तब तक प्रचार करता रहा, जब तक यहोवा ने नेकदिल लोगों को अपनी तरफ नहीं खींचा।—यूह. 6:44.

20. प्रचार काम की तुलना किस काम से की जा सकती है?

20 यहोवा सभी लोगों के जीवन को अनमोल समझता है। उसने हमें यीशु के साथ काम करने का सम्मान दिया है ताकि अंत आने से पहले सभी राष्ट्रों के लोगों की जान बचायी जा सके। (हाग्गै 2:7) मान लीजिए हमें खदान में फँसे लोगों की जान बचानी है। हो सकता है, खदान में से सिर्फ कुछ ही लोग ज़िंदा बचें। लेकिन उन्हें बचाने के लिए हम सब जो मेहनत करते हैं, वह बहुत मायने रखती है। हमारा प्रचार काम भी कुछ ऐसा ही है। हम नहीं जानते कि अंत आने से पहले और कितने लोगों को बचाया जाएगा। लेकिन हम इतना ज़रूर जानते हैं कि यहोवा हममें से किसी के भी ज़रिए लोगों की जान बचा सकता है। बोलिविया में रहनेवाला अंद्रियास कहता है, “जब एक व्यक्‍ति सच्चाई सीखकर बपतिस्मा लेता है, तो यह बहुत-से लोगों की मेहनत का नतीजा होता है।” हमें भी ऐसी ही सोच रखनी चाहिए और प्रचार करते रहना चाहिए। जब हम प्रचार काम में लगे रहते हैं, तो यहोवा हमारे काम पर आशीष देता है और हमें खुशी मिलती है।

गीत 66 खुशखबरी का ऐलान करें

^ पैरा. 5 जब लोग हमें घर पर नहीं मिलते या हमारा संदेश नहीं सुनते, तब भी हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए और प्रचार करते रहना चाहिए। ऐसा हम कैसे कर सकते हैं? इस लेख में कुछ सुझाव बताए गए हैं।

^ पैरा. 7 इस लेख में दिए सुझावों को अपनाते वक्‍त, प्रचारकों को अपने देश के डेटा सुरक्षा नियमों का भी ध्यान रखना चाहिए।

^ पैरा. 60 तसवीर के बारे में: (ऊपर से नीचे): एक पति-पत्नी ऐसे इलाके में प्रचार कर रहे हैं, जहाँ ज़्यादातर लोग घर पर नहीं मिलते। पहले घर का आदमी काम पर है, दूसरे घर की महिला डॉक्टर के पास गयी है, तीसरे घर की महिला खरीदारी कर रही है। पति-पत्नी पहले घर के आदमी से मिलने शाम को जाते हैं। वे दूसरे घर की महिला से अस्पताल के पास सरेआम गवाही देते वक्‍त मिलते हैं और तीसरे घर की महिला से फोन पर बात करते हैं।