इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

अध्ययन लेख 22

बपतिस्मा लेने में अपने विद्यार्थी की मदद कीजिए

बपतिस्मा लेने में अपने विद्यार्थी की मदद कीजिए

“तुममें से हरेक . . . बपतिस्मा ले।”​—प्रेषि. 2:38.

गीत 72 यहोवा के राज की सच्चाई फैलाना

लेख की एक झलक *

1. यरूशलेम आए लोगों को क्या करने के लिए कहा गया?

पहली सदी की बात है। यरूशलेम में बहुत सारे लोग इकट्ठा हुए थे। वे अलग-अलग देश से आए थे और अलग-अलग भाषाएँ बोलते थे। फिर अचानक कुछ यहूदी उनकी भाषा में बोलने लगे। यह देखकर सब हैरान रह गए! लेकिन उनकी बातें  सुनकर उन्हें और भी हैरानी हुई। पतरस ने बताया कि उन्हें उद्धार पाने के लिए यीशु पर विश्‍वास करना होगा। यह सुनकर लोगों ने पूछा, “अब हमें क्या करना चाहिए?” पतरस ने कहा, “तुममें से हरेक . . . बपतिस्मा ले।”​—प्रेषि. 2:37, 38.

एक भाई अपनी पत्नी के साथ एक जवान आदमी का बाइबल अध्ययन करा रहा है। उसके हाथ में खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!  किताब है (पैराग्राफ 2 पढ़ें)

2. इस लेख में हम क्या जानेंगे? (बाहर दी तसवीर देखें।)

2 इस घटना के बाद जो हुआ, वह और भी हैरत में डालनेवाला था। उस दिन करीब 3,000 लोगों ने बपतिस्मा लिया और मसीह के चेले बन गए। तब से प्रचार काम ज़ोर-शोर से होने लगा और यह आज भी हो रहा है। लेकिन आज ऐसा नहीं होता है कि कोई एक ही दिन में बपतिस्मा ले ले। लोगों को बपतिस्मा लेने में महीने, एक साल या उससे ज़्यादा लग जाते हैं। अगर आप किसी का बाइबल अध्ययन चलाते हैं, तो आप जानते हैं कि चेला बनाने के काम में बहुत मेहनत लगती है। इस लेख में हम जानेंगे कि आप क्या कर सकते हैं ताकि आपका विद्यार्थी बपतिस्मा ले।

विद्यार्थी को सीखी बातों पर चलना सिखाइए

3. मत्ती 28:19, 20 के मुताबिक एक विद्यार्थी को बपतिस्मा लेने के लिए क्या करना होगा?

3 विद्यार्थी तभी बपतिस्मा ले पाएगा जब वह सीखी बातों के मुताबिक चलेगा। (मत्ती 28:19, 20 पढ़िए।) वह यीशु की मिसाल में बताए उस “समझदार आदमी” के जैसा होगा जिसने घर बनाने के लिए गहराई तक खुदाई की और चट्टान पर नींव डाली। (मत्ती 7:24, 25; लूका 6:47, 48) लेकिन आप विद्यार्थी को सीखी बातों के मुताबिक चलना कैसे सिखा सकते हैं? आइए तीन सुझावों पर ध्यान दें।

4. आप क्या कर सकते हैं ताकि विद्यार्थी बपतिस्मे के योग्य बने? (“ विद्यार्थी को लक्ष्य रखना और उन्हें पाना सिखाइए” नाम का बक्स भी पढ़ें।)

4 विद्यार्थी को लक्ष्य रखना सिखाइए।  ऐसा करना क्यों ज़रूरी है? मान लीजिए, आप गाड़ी लेकर एक लंबे सफर पर निकले हैं। अगर आप बिना रुके चलते जाएँगे, तो आप थक जाएँगे। लेकिन अगर आप बीच-बीच में रुककर नज़ारों का मज़ा लेंगे, तो सफर इतना लंबा नहीं लगेगा। उसी तरह, जो विद्यार्थी छोटे-छोटे लक्ष्य रखता है और उन्हें पा लेता है, उसके लिए बपतिस्मे का लक्ष्य पाना आसान हो जाएगा। आप चाहें तो विद्यार्थी की मदद करने के लिए खुशी से जीएँ हमेशा के लिए! किताब का “लक्ष्य” भाग इस्तेमाल कर सकते हैं। वहाँ कम-से-कम एक लक्ष्य दिया गया है। हर पाठ के बाद उससे चर्चा कीजिए कि अगर वह सीखी बातों पर चलेगा तो वह उस लक्ष्य को पा सकता है। अगर आपके मन में विद्यार्थी के लिए कोई और लक्ष्य है, तो उसे “कुछ और लक्ष्य” के नीचे लिखा जा सकता है। फिर समय-समय पर अपने विद्यार्थी से जानने की कोशिश कीजिए कि वह अपने छोटे-बड़े लक्ष्य पाने के लिए क्या कर रहा है।

5. जैसे मरकुस 10:17-22 में बताया गया है, यीशु ने अमीर आदमी से क्या करने के लिए कहा और क्यों?

5 समझाइए कि उसे अपनी ज़िंदगी में क्या बदलाव करने हैं।  (मरकुस 10:17-22 पढ़िए।) यीशु को पता था कि उस अमीर आदमी के लिए अपनी चीज़ें बेचकर उसका चेला बनना आसान नहीं होगा। (मर. 10:23) फिर भी यीशु ने उसे इतना बड़ा बदलाव करने के लिए कहा, क्योंकि वह उससे प्यार करता था। शायद आपको लगे कि आपका विद्यार्थी अभी कोई बड़ा बदलाव नहीं कर पाएगा। लेकिन कुछ लोगों को अपनी पुरानी आदतें छोड़ने में और नयी शख्सियत पहनने में वक्‍त लगता है। (कुलु. 3:9, 10) इसलिए आप उसे जितना जल्दी समझाएँगे कि उसे क्या बदलाव करने हैं, उतना जल्दी वह बदलाव करना शुरू करेगा। और ऐसा करके आप दिखा रहे होंगे कि आप उससे प्यार करते हैं।​—भज. 141:5; नीति. 27:17.

6. आपको अपने विद्यार्थी से सवाल क्यों करने चाहिए?

6 अपने विद्यार्थी से सवाल कीजिए, इससे आप समझ पाएँगे कि वह जो बातें सीख रहा है उस बारे में उसकी क्या राय है। आप यह भी जान पाएँगे कि वे बातें उसे समझ आ रही हैं या नहीं। इस तरह आप बाद में उन बातों के बारे में चर्चा कर पाएँगे जिन्हें मानना विद्यार्थी को मुश्‍किल लगता है। खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!  किताब में कई सवाल दिए गए हैं। जैसे, पाठ 04 में पूछा गया है, “जब आप यहोवा को भी उसके नाम से पुकारेंगे, तो उसे कैसा लगेगा?” पाठ 09 में पूछा गया है, “आप किन बातों के लिए प्रार्थना करना चाहेंगे?” शुरू-शुरू में इन सवालों के जवाब देना विद्यार्थी के लिए शायद मुश्‍किल हो। आप उससे कह सकते हैं कि वह पाठ में दी आयतों और तसवीरों के बारे में सोचे और फिर जवाब दे।

7. आप क्या कर सकते हैं ताकि विद्यार्थी समझ जाए कि उसे खुद में बदलाव करने हैं?

7 जब आपका विद्यार्थी समझ जाता है कि उसे बदलाव करना है, तो उसे कुछ भाई-बहनों के अनुभव बताइए। इससे वह समझ पाएगा कि वह यह बदलाव कैसे कर सकता है। उदाहरण के लिए, अगर आपका विद्यार्थी हर सभा में नहीं आता, तो आप उसे यहोवा ने मेरी देखभाल की है  वीडियो दिखा सकते हैं। यह वीडियो नयी किताब के पाठ 14 में “ये भी देखें” भाग में दिया गया है। किताब के बाकी पाठ में “और जानिए” और “ये भी देखें” भाग में और भी अनुभव दिए गए हैं। * लेकिन ध्यान रहे कि आप विद्यार्थी के लिए फैसला न लें। अनुभव बताते वक्‍त उससे यह मत कहिए, “अगर वह कर सकता है, तो आप भी कर सकते हो।” उसे खुद यह फैसला करने दीजिए। आप चाहें तो विद्यार्थी को बता सकते हैं कि किस बात और आयत ने उस भाई या बहन की मदद की या फिर बदलाव करने के लिए उसने क्या किया। और उसे बताइए कि यहोवा ने कैसे उस भाई या बहन की मदद की।

8. आप विद्यार्थी को यहोवा से प्यार करना कैसे सिखा सकते हैं?

8 विद्यार्थी को यहोवा से प्यार करना सिखाइए।  जब भी मौका मिले अपने विद्यार्थी को यहोवा के गुणों के बारे में बताइए। उसे बताइए कि यहोवा आनंदित परमेश्‍वर है और जो उससे प्यार करते हैं, वह उनका साथ देता है। (1 तीमु. 1:11; इब्रा. 11:6) जब आपका विद्यार्थी सीखी बातों पर चलेगा तो उसे कई फायदे होंगे। उसे समझाइए कि यहोवा उससे प्यार करता है इसलिए उसका भला चाहता है। (यशा. 48:17, 18) इस तरह आप उसे यहोवा से प्यार करना सिखाएँगे। और जैसे-जैसे आपके विद्यार्थी के दिल में यहोवा के लिए प्यार बढ़ेगा, उसमें बदलाव करने की इच्छा भी बढ़ेगी।​—1 यूह. 5:3.

विद्यार्थी को भाई-बहनों से मिलवाइए

9. मरकुस 10:29, 30 में बतायी किस बात को ध्यान में रखकर एक विद्यार्थी त्याग कर पाएगा?

9 अगर आपका विद्यार्थी बपतिस्मा लेना चाहता है, तो उसे कुछ त्याग करने पड़ेंगे, ठीक उस अमीर आदमी की तरह जिसका पहले ज़िक्र किया गया है। जैसे, अगर आपका विद्यार्थी कोई ऐसी नौकरी करता है जो बाइबल के मुताबिक गलत है, तो शायद उसे वह नौकरी बदलनी पड़े। उसे ऐसे दोस्त भी छोड़ने पड़ें जो यहोवा की उपासना नहीं करते। या फिर हो सकता है कि उसके परिवारवाले उसका साथ छोड़ दें क्योंकि वे यहोवा के साक्षियों को पसंद नहीं करते। यीशु ने कहा था कि यह सब छोड़ना आसान नहीं है, लेकिन उसने वादा किया कि जो लोग उसके चेले बनेंगे उन्हें वह बेसहारा नहीं छोड़ेगा। यहोवा के लोग उसका परिवार बन जाएँगे और उसे बहुत प्यार देंगे। (मरकुस 10:29, 30 पढ़िए।) आप क्या कर सकते हैं ताकि आपका विद्यार्थी मंडली के भाई-बहनों को अपना परिवार माने?

10. मानुवेल ने जो कहा उससे आप क्या सीखते हैं?

10 अपने विद्यार्थी से दोस्ती कीजिए।  उसे एहसास दिलाइए कि आप उसकी परवाह करते हैं। मानुवेल जो मैक्सिको में रहता है, बताता है कि जब वह बाइबल अध्ययन कर रहा था, तो अध्ययन चलानेवाले भाई ने कैसे उसकी मदद की। वह कहता है, “हर अध्ययन से पहले वह मेरा हाल-चाल पूछता था। हम खुलकर बातचीत करते थे। मैं किसी भी विषय पर उससे बात कर सकता था और वह बहुत ध्यान से मेरी सुनता था। इस तरह मुझे लगा कि वह मेरी बहुत परवाह करता है।”

11. आपके साथ वक्‍त बिताने से विद्यार्थी को क्या फायदा होगा?

11 जिस तरह यीशु ने अपने चेलों के साथ वक्‍त बिताया, उसी तरह आपको भी अपने विद्यार्थी के साथ वक्‍त बिताना चाहिए। (यूह. 3:22) अगर आपका विद्यार्थी सच्चाई में तरक्की कर रहा है तो आप चाहें तो उसे चाय पर, खाने पर या JW ब्रॉडकास्टिंग का कार्यक्रम देखने के लिए अपने घर बुला सकते हैं। ऐसा करना खासकर तब अच्छा होगा जब उसके परिवारवाले या दोस्त झूठे धार्मिक त्योहार मनाने में या देश-भक्‍ति के कार्यक्रम में व्यस्त हैं और वह खुद को बहुत अकेला महसूस करता है। युगांडा का एक भाई काज़ीबवे कहता है, “अध्ययन के दौरान तो मैंने यहोवा के बारे में सीखा ही, लेकिन अध्ययन चलानेवाले भाई के साथ वक्‍त बिताकर भी मैंने यहोवा के बारे में बहुत कुछ सीखा। मैं देख पाया कि यहोवा अपने लोगों की परवाह करता है और उसके लोग खुश रहते हैं। मैं भी खुश रहना चाहता था।”

अध्ययन पर अलग-अलग भाई-बहनों को ले जाइए। फिर विद्यार्थी सभाओं में आने से नहीं झिझकेगा (पैराग्राफ 12 देखें) *

12. आपको अध्ययन पर अलग-अलग भाई-बहनों को क्यों ले जाना चाहिए?

12 अध्ययन पर अलग-अलग प्रचारकों को ले जाइए।  अपने बाइबल अध्ययन में अकेले जाना या हर बार एक ही व्यक्‍ति के साथ जाना आपको आसान लगे। लेकिन जब आप दूसरे भाई-बहनों को ले जाते हैं, तो इससे विद्यार्थी को फायदा होता है। मोलदोवा में रहनेवाला एक भाई दिमित्री कहता है, “मेरे अध्ययन पर जो भाई-बहन आते थे, उन सबके सिखाने का तरीका अलग होता था। इससे मैं विषय को अच्छी तरह समझ पाता था और सीखी बातों पर चलना सीखता था। फिर जब मैं पहली बार सभा में गया तो मुझे झिझक महसूस नहीं हुई, क्योंकि मैं पहले से कई भाई-बहनों से मिल चुका था।”

13. विद्यार्थी को सभाओं में आने का बढ़ावा देना क्यों ज़रूरी है?

13 विद्यार्थी को सभाओं में आने का बढ़ावा दीजिए।  सभाएँ हमारी उपासना का भाग हैं। इसलिए यहोवा ने आज्ञा दी है कि उसके सेवक सभाओं में आएँ और मिलकर उसकी उपासना करें। (इब्रा. 10:24, 25) इसके अलावा, मंडली के भाई-बहन हमारे परिवार जैसे हैं। जब हम सभाओं में जाते हैं तो यह ऐसा है मानो हम अपने परिवार के साथ मिलकर स्वादिष्ट खाना खा रहे हों। बपतिस्मा लेने के लिए सभाओं में जाना बहुत ज़रूरी है। पर हो सकता है कि आपके विद्यार्थी के लिए सभाओं में जाना आसान न हो। क्या यह नयी किताब खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!  आपके विद्यार्थी की मदद कर सकती है? आइए देखें।

14. आप क्या कर सकते हैं ताकि आपका विद्यार्थी सभाओं में आए?

14 आप किताब के पाठ 10 के ज़रिए अपने विद्यार्थी को सभाओं में आने का बढ़ावा दे सकते हैं। इस किताब को रिलीज़ करने से पहले कुछ अनुभवी भाई-बहनों से कहा गया कि वे अपने विद्यार्थियों के साथ इस पाठ से चर्चा करें। उन्होंने बताया कि इसका बहुत अच्छा नतीजा हुआ और उनके विद्यार्थी सभाओं में आने लगे। लेकिन आप पाठ 10 तक पहुँचने का इंतज़ार मत कीजिए। जितनी जल्दी हो सके अपने विद्यार्थी को सभाओं में बुलाइए। हर विद्यार्थी के हालात अलग-अलग होते हैं। इसलिए समझने की कोशिश कीजिए कि आप अपने विद्यार्थी की किस तरह मदद कर सकते हैं। अगर वह तुरंत सभाओं में न आए, तो निराश मत होइए। सब्र रखिए और उसे सभाओं में बुलाते रहिए।

विद्यार्थी का डर दूर कीजिए

15. आपके विद्यार्थी को शायद किस बात का डर हो?

15 याद कीजिए कि जब आप सच्चाई सीख रहे थे, तो शायद आपको डर था कि आपके दोस्त और परिवारवाले आपका विरोध करेंगे। या आपसे घर-घर का प्रचार नहीं होगा। आप इन भावनाओं से गुज़र चुके हैं, इसलिए आप अपने विद्यार्थी की भावनाओं को समझ सकते हैं। यीशु भी अपने चेलों की भावनाएँ समझता था, फिर भी उसने उन्हें बढ़ावा दिया कि वे डर की वजह से यहोवा की सेवा करना न छोड़ें। (मत्ती 10:16, 17, 27, 28) यीशु ने अपने चेलों का डर दूर करने के लिए क्या किया? और आप अपने विद्यार्थी का डर कैसे दूर कर सकते हैं?

16. आप अपने विद्यार्थी को प्रचार करना कैसे सिखा सकते हैं?

16 अपने विद्यार्थी को प्रचार करना सिखाइए।  जब यीशु ने अपने चेलों को प्रचार करने के लिए भेजा तो उन्हें ज़रूर घबराहट हुई होगी। उनका डर दूर करने के लिए यीशु ने उन्हें साफ-साफ बताया कि उन्हें किन लोगों को प्रचार करना है और क्या बोलना है। (मत्ती 10:5-7) यीशु की तरह आप क्या कर सकते हैं? अपने विद्यार्थी से कहिए कि वह ऐसे लोगों के बारे में सोचे जिन्हें वह प्रचार कर सकता है। उदाहरण के लिए, क्या वह किसी ऐसे व्यक्‍ति को जानता है जिसे बाइबल की सच्चाई जानकर अच्छा लगेगा। आप अपने विद्यार्थी के साथ तैयारी कर सकते हैं कि वह क्या बोलेगा। अगर ज़रूरत पड़े तो आप नयी किताब के “कुछ लोग कहते हैं” और “शायद कोई पूछे” भाग से उसके साथ प्रैक्टिस कर सकते हैं। उसे बताइए कि दूसरों से बात करते वक्‍त वह सोच-समझकर बात करे और बाइबल से जवाब दे।

17. आप मत्ती 10:19, 20, 29-31 से अपने विद्यार्थी को यहोवा पर भरोसा करना कैसे सिखाएँगे?

17 विद्यार्थी को यहोवा पर भरोसा करना सिखाइए।  यीशु ने अपने चेलों को भरोसा दिलाया कि यहोवा उनके साथ है, क्योंकि वह उनसे प्यार करता है। (मत्ती 10:19, 20, 29-31 पढ़िए।) अपने विद्यार्थी को भी यकीन दिलाइए कि यहोवा उसकी मदद करेगा। उसने जो लक्ष्य रखे हैं उनके बारे में साथ मिलकर प्रार्थना कीजिए। इस तरह वह यहोवा पर भरोसा करना सीखेगा। पोलैंड का रहनेवाला भाई फ्राँचिशेक ने कहा, “मेरा अध्ययन चलानेवाला भाई अकसर मेरे लक्ष्यों के बारे में प्रार्थना करता था और मैंने देखा कि यहोवा ने उसकी प्रार्थनाओं का जवाब दिया। इसलिए मैंने भी प्रार्थना करना शुरू कर दिया। मैंने देखा कि जब मेरी नयी-नयी नौकरी लगी थी और मुझे सभाओं और अधिवेशन में जाने के लिए छुट्टी चाहिए थी, तो यहोवा ने मेरी प्रार्थना सुनी और मुझे छुट्टी मिल गयी।”

18. यहोवा को कैसा लगता है जब उसके सेवक दूसरों को सिखाने में इतनी मेहनत करते हैं?

18 यहोवा बाइबल विद्यार्थियों से प्यार करता है और उनकी परवाह करता है। वह अपने सेवकों से भी प्यार करता है, जो दूसरों को सिखाने में बहुत मेहनत करते हैं। (यशा. 52:7) अगर फिलहाल आप कोई बाइबल अध्ययन नहीं करा रहे हैं, तो आप किसी और प्रचारक के अध्ययन पर जा सकते हैं और तरक्की करने और बपतिस्मा लेने में बाइबल विद्यार्थी की मदद कर सकते हैं।

गीत 60 ज़िंदगी दाँव पर लगी है

^ पैरा. 5 इस लेख में हम जानेंगे कि यीशु ने किस तरह लोगों को चेला बनाया और उसकी तरह हम क्या कर सकते हैं। हम एक नयी किताब खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!  की कुछ खास बातों पर भी चर्चा करेंगे। इस किताब को इस तरह तैयार किया गया है कि एक बाइबल विद्यार्थी तरक्की करके बपतिस्मा ले सके।

^ पैरा. 7 कुछ अनुभव यहाँ भी दिए गए हैं: (1) यहोवा के साक्षियों के लिए खोजबीन गाइड  में विषय में “बाइबल,” फिर “फायदेमंद सलाह,” फिर “‘पवित्र शास्त्र सँवारे ज़िंदगी’ (प्रहरीदुर्ग  शृंखला लेख)” या (2) JW लाइब्रेरी  के मीडिया भाग में “इंटरव्यू और अनुभव।”

^ पैरा. 62 तसवीर के बारे में: एक भाई अपनी पत्नी के साथ एक नौजवान का अध्ययन करा रहा है। इसके अलावा, अध्ययन के लिए अलग-अलग भाई भी आते हैं।