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अध्ययन लेख 24

हम शैतान के फंदों से छूट सकते हैं!

हम शैतान के फंदों से छूट सकते हैं!

‘शैतान के फंदे से छूट जाओ।’​—2 तीमु. 2:26.

गीत 36 दिल का नाता है जीवन से

लेख की एक झलक *

1. शैतान को एक शिकारी क्यों कहा जा सकता है?

एक शिकारी का मकसद होता है, अपने शिकार को पकड़ना या उसे जान से मार देना। इसके लिए वह अलग-अलग किस्म के फंदे या जाल बिछाता है, जैसा कि बाइबल में भी लिखा है। (अय्यू. 18:8-10) लेकिन वह अपने शिकार को कैसे पकड़ता है? वह ध्यान से देखता है कि शिकार कहाँ-कहाँ जाता है, उसे क्या पसंद है। उसके लिए कौन-सा जाल बिछाना सही होगा ताकि उसे पता भी न चले और वह फँस जाए। शैतान भी एक शिकारी की तरह है। वह ध्यान देता है कि हम कहाँ जा रहे हैं, हमें क्या पसंद है। और फिर उसके हिसाब से ऐसा जाल बिछाता है कि हमें पता भी न चले और हम फँस जाएँ। पर बाइबल यकीन दिलाती है कि अगर हम शैतान के फंदे में फँस भी जाएँ, तब भी उससे छूट सकते हैं। बाइबल यह भी बताती है कि हम ऐसा क्या कर सकते हैं ताकि हम उसके फंदे में कभी फँसें ही न।

शैतान ने घमंड और लालच के फंदों में बहुत-से लोगों को फँसाया है (पैराग्राफ 2 देखें) *

2. शैतान ने किन दो फंदों में बहुत-से लोगों को फँसाया है?

2 शैतान ने अपने दो फंदों में बहुत-से लोगों को फँसाया है। वे हैं, घमंड  और लालच।  * वह हज़ारों सालों से इन फंदों का इस्तेमाल करता आया है। वह एक बहेलिए की तरह अपने शिकार को पकड़ने के लिए जाल बिछाता है या कोई फंदा लगाता है। (भज. 91:3) लेकिन यहोवा ने शैतान की सभी चालबाज़ियों के बारे में पहले से बताया है। अगर हम उन पर ध्यान देंगे तो उनमें कभी नहीं फँसेंगे।​—2 कुरिं. 2:11.

बाइबल में दिए उदाहरणों से सबक सीखकर हम शैतान के फंदों से छूट सकते हैं या उनमें पड़ने से बच सकते हैं (पैराग्राफ 3 देखें) *

3. यहोवा ने ऐसे लोगों के बारे में क्यों लिखवाया जो घमंडी और लालची बन गए थे?

3 बाइबल में ऐसे कई लोगों के उदाहरण दिए गए हैं, जो घमंड और लालच के फंदे में फँसे थे। उनमें से कई लोग सालों से यहोवा की उपासना कर रहे थे। क्या इसका मतलब है कि हम शैतान के फंदों से बच नहीं सकते? ऐसा नहीं है। यहोवा ने ये उदाहरण “हमारी चेतावनी के लिए” लिखवाए हैं, ताकि हम उनसे सीखें और खुद को इन फंदों से छुड़ाएँ या फिर इनसे बचकर रहें।​—1 कुरिं. 10:11.

शैतान का एक फंदा, घमंड

पैराग्राफ 4 देखें

4. अगर हममें घमंड आ जाए तो क्या होगा?

4 शैतान जानता है कि अगर हम घमंडी बनेंगे, तो उसके जैसे हो जाएँगे और हमेशा की ज़िंदगी खो देंगे। (नीति. 16:18) प्रेषित पौलुस ने कहा कि जो व्यक्‍ति ‘घमंड से फूल जाता है, वह वही सज़ा पाता है जो शैतान को दी गयी है।’ (1 तीमु. 3:6, 7) ऐसा किसी के साथ भी हो सकता है, फिर चाहे वह सच्चाई में नया हो या सालों से हो।

5. जब समस्याएँ आती हैं, तब एक घमंडी व्यक्‍ति क्या करता है? (सभोपदेशक 7:16, 20)

5 घमंडी लोग खुदगर्ज़ होते हैं। शैतान चाहता है कि जब हम पर समस्याएँ आएँ, तो हम यहोवा के बारे में सोचने के बजाय खुद के बारे में सोचें। मान लीजिए, एक व्यक्‍ति पर झूठा इलज़ाम लगाया जाता है या उसके साथ नाइंसाफी होती है। अगर वह घमंडी है तो वह सारा दोष यहोवा या संगठन पर लगा देगा। वह बाइबल में दी सलाह मानने के बजाय मामले को अपने तरीके से सुलझाने की कोशिश करेगा।​—सभोपदेशक 7:16, 20 पढ़िए।

6. नीदरलैंड्‌स की एक बहन से हम क्या सीख सकते हैं?

6 नीदरलैंड्‌स में रहनेवाली एक बहन का उदाहरण लीजिए। जब भाई-बहन गलतियाँ करते थे, तो वह चिढ़ जाती थी। वह उनकी गलतियों को और बरदाश्‍त नहीं कर पा रही थी। वह कहती है, “मैं उन भाई-बहनों को माफ नहीं कर पा रही थी। इसलिए मैं बहुत अकेला महसूस करने लगी। मैंने अपने पति से कहा कि अब से मुझे इस मंडली में नहीं जाना।” फिर इस बहन ने मार्च 2016 का JW ब्रॉडकास्टिंग कार्यक्रम देखा। इसमें बताया गया था कि जब दूसरे लोग गलती करते हैं, तो हमें क्या करना चाहिए। वह कहती है, “मैं समझ गयी कि मुझे दूसरों को बदलने के बजाय नम्र होकर अपनी गलतियों के बारे में सोचना चाहिए। मैंने सीखा कि मेरा ध्यान यहोवा पर और उसके हुकूमत करने के अधिकार पर होना चाहिए।” इस बहन से हम क्या सीखते हैं? जब हम किसी मुश्‍किल में होते हैं, तो हमारा ध्यान यहोवा पर होना चाहिए। हमें उससे बिनती करनी चाहिए कि हम लोगों को उसी नज़र से देखें, जिस नज़र से वह देखता है। हमारा पिता दूसरों की गलतियाँ जानता है, फिर भी उन्हें माफ करता है। वह चाहता है कि हम भी यही करें।​—1 यूह. 4:20.

पैराग्राफ 7 देखें

7. राजा उज्जियाह के साथ क्या हुआ?

7 पुराने ज़माने में यहूदा का राजा उज्जियाह बहुत ही काबिल राजा था। उसने कई सारे युद्ध जीते, बहुत सारे शहर और मीनारें बनवायीं और वह खेती-बाड़ी का भी शौकीन था। “परमेश्‍वर की आशीष से वह फलता-फूलता रहा।” (2 इति. 26:3-7, 10) लेकिन बाइबल बताती है, “जैसे ही वह ताकतवर हो गया, उसका मन घमंड से फूल उठा और यह उसकी बरबादी का कारण बन गया।” हुआ यह कि वह धूप जलाने के लिए यहोवा के मंदिर में घुस आया। जबकि यहोवा ने आज्ञा दी थी कि ऐसा करने का अधिकार सिर्फ याजकों का है। जब याजकों ने उसे रोकने की कोशिश की, तो उसने उनकी नहीं सुनी। यहोवा को यह बात बहुत बुरी लगी और उसने उज्जियाह को कोढ़ी बना दिया। वह अपनी मौत तक कोढ़ी रहा।​—2 इति. 26:16-21.

8. पहला कुरिंथियों 4:6, 7 में क्या बताया गया है जो हमें घमंड करने से बचाएगा?

8 क्या ऐसा हो सकता है कि हम उज्जियाह की तरह घमंडी बन जाएँ और कुछ गलत कर बैठें? आइए देखें कि होसे के साथ क्या हुआ। होसे एक कामयाब बिज़नेसमैन था और एक प्राचीन भी। लोग उसकी काफी इज़्ज़त करते थे। वह सम्मेलनों और अधिवेशनों में भाषण देता था। यहाँ तक कि सर्किट निगरान भी कुछ मामलों में उससे सलाह लेते थे। लेकिन होसे कहता है, “मैं यहोवा से ज़्यादा खुद की काबिलीयतों और अनुभव पर भरोसा करने लगा। मुझे लगता था कि मैं सच्चाई में बहुत मज़बूत हूँ और मुझे यहोवा की सलाह और चेतावनियों पर ध्यान देने की ज़रूरत नहीं है।” होसे ने एक बहुत बड़ी गलती कर दी जिसके लिए उसे बहिष्कार कर दिया गया। आज उसे बहाल हुए काफी वक्‍त बीत चुका है। वह कहता है, “यहोवा ने मुझे सिखाया कि ओहदा मायने नहीं रखता, बल्कि यह मायने रखता है कि हम यहोवा की बात सुनें।” हमारे पास जो भी हुनर है या हमें मंडली में जो भी काम दिया जाता है, वह सब यहोवा की तरफ से है। इसलिए हमें घमंड नहीं करना चाहिए। (1 कुरिंथियों 4:6, 7 पढ़िए।) अगर हम घमंड करेंगे तो हम यहोवा के किसी काम नहीं आएँगे।

दूसरा फंदा, लालच

पैराग्राफ 9 देखें

9. लालच में आकर शैतान और हव्वा ने क्या किया?

9 जब भी लालच की बात होती है, तो सबसे पहले शैतान का खयाल आता है। शैतान पहले यहोवा का वफादार स्वर्गदूत था। उसे ज़रूर बहुत सारी ज़िम्मेदारियाँ मिली होंगी। पर वह उतने में खुश नहीं था। उसे और चाहिए था। उसने एक ऐसी चीज़ पर नज़र डाली जिसका हकदार सिर्फ यहोवा है और वह है, उपासना। शैतान चाहता है कि हम भी उसकी तरह लालची बनें। वह चाहता है कि हम यह सोचें कि हमारे पास जो है, वह काफी नहीं है। उसने हव्वा के साथ भी यही चाल चली। यहोवा ने हव्वा और उसके पति को खाने के लिए बहुत कुछ दिया था। वे “बाग के हरेक पेड़ से” जी-भरकर खा सकते थे, सिवा एक के। (उत्प. 2:16) लेकिन शैतान ने हव्वा के मन में यह बात डाली कि जिस पेड़ से खाने के लिए यहोवा ने मना किया है, वही सबसे अच्छा है। इसलिए अब वह उसी पेड़ से खाना चाहती थी। नतीजा, वह पाप कर बैठी और बाद में मर गयी।​—उत्प. 3:6, 19.

पैराग्राफ 10 देखें

10. जब दाविद लालच करने लगा तो क्या हुआ?

10 यहोवा की आशीष से राजा दाविद के पास बहुत दौलत थी, नाम था और उसने बहुत सारे युद्ध भी जीते थे। उसने कहा कि यहोवा ने उसे इतनी आशीषें दी हैं कि “उनका बखान करना नामुमकिन” है। (भज. 40:5) पर एक वक्‍त आया जब दाविद यहोवा के उपकारों को भूल गया और लालच करने लगा। उसकी कई सारी पत्नियाँ थीं, फिर भी उसने एक शादीशुदा औरत बतशेबा पर नज़र डाली। दाविद ने बतशेबा के साथ नाजायज़ यौन-संबंध रखा और वह गर्भवती हो गयी। उसने व्यभिचार करके पाप तो किया ही, लेकिन बतशेबा के पति उरियाह को मरवाकर और भी बड़ा पाप किया। (2 शमू. 11:2-15) दाविद सालों से यहोवा का वफादार था, लेकिन लालच में आकर वह कितनी बड़ी गलती कर बैठा! उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी। बाद में दाविद ने अपनी गलती मान ली और पश्‍चाताप किया। वह खुश था कि यहोवा ने उसे माफ कर दिया।​—2 शमू. 12:7-13.

11. इफिसियों 5:3, 4 के मुताबिक लालच से बचने के लिए हमें क्या करना चाहिए?

11 हम दाविद से क्या सीखते हैं? अगर हम उन चीज़ों के लिए एहसान मानेंगे जो यहोवा ने हमें दी हैं, तो हम लालच के फंदे में नहीं आएँगे। (इफिसियों 5:3, 4 पढ़िए।) हमारे पास जो है, हमें उसमें खुश रहना चाहिए। एक नए बाइबल विद्यार्थी को बढ़ावा दिया जाता है कि वह हर दिन किसी बात के लिए यहोवा का धन्यवाद करे। इस तरह वह एक हफ्ते में सात अलग-अलग बातों के लिए यहोवा का धन्यवाद कर पाएगा। (1 थिस्स. 5:18) हम भी कुछ ऐसा कर सकते हैं। हम मनन कर सकते हैं कि यहोवा ने हमारे लिए क्या-क्या किया है। इस तरह हम उसका एहसान मानेंगे। अगर हम उसका एहसान मानेंगे तो हम संतुष्ट रहेंगे। और अगर हम संतुष्ट रहेंगे तो कभी-भी लालच नहीं करेंगे।

पैराग्राफ 12 देखें

12. लालच में आकर यहूदा इस्करियोती ने क्या किया?

12 लालच में आकर यहूदा इस्करियोती ने बहुत बुरा काम किया। उसने यीशु के साथ विश्‍वासघात किया। वह शुरू से ऐसा नहीं था। (लूका 6:13, 16) यीशु ने उसे प्रेषित चुना था। वह काबिल और भरोसेमंद था, इसलिए यीशु ने उसे पैसों का बक्सा सँभालने के लिए कहा। उन पैसों से प्रचार काम के दौरान जो भी खर्चा होता था, वह पूरा किया जाता था, ठीक जैसे आज पूरी दुनिया में प्रचार काम के लिए दान दिए जाते हैं। लेकिन कुछ समय बाद यहूदा चोरी करने लगा। जबकि यीशु ने कई बार लोगों से कहा था कि लालच करना बुरी बात है। (मर. 7:22, 23; लूका 11:39; 12:15) यहूदा ने भी ये बातें सुनी थीं, फिर भी उसने यीशु की बात अनसुनी कर दी।

13. यह कब पता चला कि यहूदा लालच के फंदे में फँस चुका है?

13 यीशु की मौत से बस कुछ समय पहले यह साफ ज़ाहिर हो गया कि यहूदा लालच के फंदे में फँस चुका है। यीशु और उसके चेले शमौन के घर खाना खाने गए थे। शमौन पहले कोढ़ी था। मारथा और मरियम भी वहाँ आयी थीं। उसी बीच, मरियम उठी और उसने एक महँगा खुशबूदार तेल यीशु के सिर पर उँडेला। यह देखकर यहूदा और दूसरे चेले गुस्सा करने लगे। बाकी चेलों ने कहा कि उन पैसों से गरीबों का भला हो सकता था। लेकिन यहूदा के मन में कुछ और ही चल रहा था। “वह चोर था” और पैसों के बक्से से पैसे चुराना चाहता था। बाद में उसने चंद पैसों के लिए यीशु को बेच दिया।​—यूह. 12:2-6; मत्ती 26:6-16; लूका 22:3-6.

14. एक पति-पत्नी ने लूका 16:13 में दी सलाह के मुताबिक क्या किया?

14 यीशु ने अपने चेलों से एक बात कही थी, “तुम परमेश्‍वर के दास होने के साथ-साथ धन-दौलत की गुलामी नहीं कर सकते।” (लूका 16:13 पढ़िए।) आज भी इस बात में सच्चाई है। रोमानिया में रहनेवाले एक पति-पत्नी ने यीशु की यह बात मानी। उन्हें एक बड़े देश में नौकरी मिल रही थी, जो उन्हें सिर्फ कुछ समय के लिए करनी थी। वे कहते हैं, “इससे हमारा सारा कर्ज़ चुकता हो जाता। हमें लगा कि यहोवा ही हमें यह नौकरी दिला रहा है।” पर एक दिक्कत थी। अगर वे यह नौकरी करते तो यहोवा की सेवा में ज़्यादा वक्‍त नहीं दे पाते। उन्होंने 15 अगस्त, 2008 की प्रहरीदुर्ग  का लेख पढ़ा जिसका विषय था, “एक चित्त होकर यहोवा के वफादार बने रहिए।” उन्होंने फैसला किया कि वे यह नौकरी नहीं करेंगे। वे कहते हैं, “अगर हम ज़्यादा पैसा कमाने के लिए दूसरे देश जाते, तो हम पैसे को ज़्यादा अहमियत देते न कि यहोवा के साथ अपने रिश्‍ते को। हम जानते थे कि अगर हम वह नौकरी करते, तो इसका यहोवा के साथ हमारे रिश्‍ते पर असर पड़ता।” बाद में उस भाई को अपने ही देश में ऐसी नौकरी मिली जिससे वह अपना कर्ज़ चुका पाया और परिवार की ज़रूरतें भी पूरी कर पाया। उसकी पत्नी कहती है, “यहोवा हमेशा अपने सेवकों की मदद करता है।” इस पति-पत्नी को खुशी है कि उन्होंने यहोवा को अपना मालिक समझा, न कि पैसे को।

शैतान के फंदों से बचिए

15. हमें क्यों यकीन है कि हम शैतान के फंदों से छूट सकते हैं?

15 अगर हम घमंड या लालच के फंदे में फँस चुके हैं तो क्या करें? पौलुस ने कहा कि शैतान ने जिन्हें “ज़िंदा फँसा लिया है,” वे भी खुद को छुड़ा सकते हैं। (2 तीमु. 2:26) दाविद ने भी खुद को लालच के फंदे से छुड़ा लिया था। उसने नातान की बात सुनी, पश्‍चाताप किया और यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता सुधारा। हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि यहोवा शैतान से ज़्यादा ताकतवर है। अगर हम उसकी मदद लेंगे, तो हम शैतान के किसी भी फंदे से छूट सकते हैं।

16. हमें क्या करना चाहिए ताकि हम शैतान के फंदों में न फँसें?

16 हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम शैतान के किसी फंदे में फँसें ही न। लेकिन ऐसा हम सिर्फ यहोवा की मदद से कर पाएँगे। हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि हम कभी-भी घमंडी या लालची नहीं बनेंगे। यहोवा के ऐसे सेवकों में भी घमंड और लालच आ गया, जो सालों से उसकी उपासना कर रहे थे। इसलिए हमें हर दिन यहोवा से मदद माँगनी चाहिए, ताकि हम अपनी सोच और कामों को जाँच सकें। (भज. 139:23, 24) और अगर हमें लगे कि हममें घमंड या लालच आ रहा है, तो हमें इसे तुरंत निकाल देना चाहिए।

17. बहुत जल्द शैतान का क्या होगा?

17 शैतान हज़ारों सालों से एक शिकारी की तरह लोगों को अपने फंदों में फँसा रहा है। लेकिन बहुत जल्द उसे ही पकड़ा जाएगा और फिर उसका नाश कर दिया जाएगा। (प्रका. 20:1-3, 10) हम उस दिन का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं! लेकिन तब तक, हमें शैतान के फंदों से सावधान रहना चाहिए, घमंड और लालच से दूर रहना चाहिए। हमें हर हाल में ‘शैतान का विरोध करना चाहिए और वह हमारे पास से भाग जाएगा।’​—याकू. 4:7.

गीत 127 मुझे कैसा इंसान बनना चाहिए

^ पैरा. 5 शैतान बहुत ही शातिर है। वह एक शिकारी की तरह हमें फँसाने की कोशिश करता है फिर चाहे हम सालों से यहोवा की उपासना क्यों न कर रहे हों। इस लेख में हम दो फंदों की बात करेंगे, जिनके ज़रिए वह यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता तोड़ने की कोशिश करता है। वे हैं, घमंड और लालच। हम कुछ लोगों के उदाहरण भी देखेंगे जो इन फंदों में फँस गए। और यह भी जानेंगे कि हम क्या कर सकते हैं, ताकि हम शैतान के फंदों में न फँसें।

^ पैरा. 2 इनका क्या मतलब है? इस लेख में घमंड  का मतलब है, खुद को दूसरों से बेहतर समझना। और लालच  का मतलब है, किसी चीज़ की हद-से-ज़्यादा इच्छा करना, जैसे कि पैसा, ओहदा या यौन-संबंध।

^ पैरा. 53 तसवीर के बारे में: घमंड की वजह से एक भाई दूसरे भाइयों की अच्छी सलाह नहीं मान रहा है। एक बहन ने काफी चीज़ें खरीद ली हैं, फिर भी वह और चीज़ें खरीदने की सोच रही है।

^ पैरा. 55 तसवीर के बारे में: एक स्वर्गदूत और राजा उज्जियाह घमंडी बन गए। लालच में आकर हव्वा ने मना किया गया फल खाया, दाविद ने बतशेबा के साथ व्यभिचार किया और यहूदा ने पैसे चुराए।