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अध्ययन लेख 26

सच्चाई सिखाइए और चेला बनाइए

सच्चाई सिखाइए और चेला बनाइए

“परमेश्‍वर . . . तुम्हारे अंदर इच्छा पैदा करता है और उसे पूरा करने की ताकत भी देता है।”—फिलि. 2:13.

गीत 64 कटनी में खुशी से हिस्सा लें

लेख की एक झलक *

1. आप किस बात के लिए यहोवा का एहसान मानते हैं?

आप यहोवा के साक्षी कैसे बने? शायद आपने अपने माता-पिता से, साथ काम करनेवाले से या साथ पढ़नेवाले से सच्चाई के बारे में सुना हो। या फिर किसी साक्षी ने आपके घर आकर बाइबल से “खुशखबरी” बतायी हो। (मर. 13:10) जब आपने अध्ययन करना शुरू किया, तो किसी ने आपको सिखाने में बहुत मेहनत की और अपना समय दिया। अध्ययन से आपने सीखा कि यहोवा आपसे बहुत प्यार करता है और आप भी उसे प्यार करने लगे। यहोवा ने आपको अपनी तरफ खींचा। आज आप एक साक्षी हैं और आपके पास हमेशा जीने की आशा है। (यूह. 6:44) आप इस बात का एहसान मानते हैं कि यहोवा ने किसी के ज़रिए आप तक सच्चाई पहुँचायी और आपको अपना सेवक माना।

2. इस लेख में क्या बताया जाएगा?

2 हम सच्चाई के बारे में जान गए हैं, इसलिए अब हमारी बारी है कि हम दूसरों को सच्चाई बताएँ। हो सकता है कि हमें घर-घर प्रचार करना आसान लगता हो। लेकिन किसी के साथ बाइबल अध्ययन शुरू करना या उसे चलाना मुश्‍किल लगता हो। क्या आपके साथ भी ऐसा होता है? इस लेख में कुछ सुझाव दिए गए हैं, जिससे आपको मदद मिलेगी। इसमें बताया गया है कि हम चेला बनाने का काम क्यों करते हैं और अगर हमें अध्ययन चलाने में मुश्‍किल होती है, तो हम क्या कर सकते हैं। लेकिन सबसे पहले हम यह जानेंगे कि चेला बनाने के लिए प्रचार करना  काफी नहीं है। लोगों को सिखाना  भी ज़रूरी है।

यीशु ने प्रचार करने और  सिखाने की आज्ञा दी

3. हम प्रचार काम क्यों करते हैं?

3 जब यीशु ने अपने शिष्यों को चेला बनाने का काम सौंपा, तो उसने कहा कि उन्हें परमेश्‍वर के राज के बारे में प्रचार करना  है और यह भी बताया कि कैसे करना है। (मत्ती 10:7; लूका 8:1) उदाहरण के लिए, अगर लोग उनकी नहीं सुनते तो उन्हें क्या करना चाहिए और अगर सुनते हैं तो क्या करना चाहिए। (लूका 9:2-5) यीशु ने यह भी कहा कि ‘सब राष्ट्रों को गवाही दी जाएगी।’ इससे पता चलता है कि प्रचार काम दुनिया के कोने-कोने तक किया जाएगा। (मत्ती 24:14; प्रेषि. 1:8) लोग उनकी सुनें या न सुनें, फिर भी उसके चेलों को परमेश्‍वर के राज के बारे में गवाही देनी थी और यह भी बताना था कि यह राज क्या-क्या करेगा।

4. जैसा मत्ती 28:18-20 में लिखा है, हमें प्रचार करने के अलावा और क्या करना चाहिए?

4 यीशु ने अपने चेलों को प्रचार करने के अलावा लोगों को सिखाने  के लिए भी कहा था। कुछ लोग कहते हैं कि चेला बनाने का काम सिर्फ पहली सदी के मसीहियों को करना था। पर ऐसा नहीं है। यह सच है कि यीशु ने चेला बनाने का काम अपने 500 चेलों को सौंपा था। (1 कुरिं. 15:6) लेकिन उसने यह भी कहा था कि यह काम “दुनिया की व्यवस्था के आखिरी वक्‍त तक” चलेगा यानी हमारे समय तक। (मत्ती 28:18-20 पढ़िए।) इसके अलावा, यीशु ने प्रेषित यूहन्‍ना पर भी ज़ाहिर किया कि उसके सभी चेले लोगों को यहोवा के बारे में सिखाएँगे।—प्रका. 22:17.

5. पौलुस ने कौन-सी मिसाल देकर समझाया कि प्रचार करना और सिखाना, दोनों ज़रूरी है? (1 कुरिंथियों 3:6-9)

5 प्रेषित पौलुस ने चेला बनाने के काम की तुलना खेती-बाड़ी से की। उसने कुरिंथ के मसीहियों से कहा, ‘मैंने लगाया और अपुल्लोस ने पानी देकर सींचा। तुम परमेश्‍वर का खेत हो जिसमें खेती की जा रही है।’ (1 कुरिंथियों 3:6-9 पढ़िए।) इससे पता चलता है कि सिर्फ बीज बोना काफी नहीं है, पानी देना भी ज़रूरी है। जब हम प्रचार करते हैं, तो हम बीज बोते हैं और जब लोगों को सिखाते हैं, तो हम पानी देते हैं। (यूह. 4:35) लेकिन हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि यहोवा ही बीज को बढ़ाता है, यानी वही लोगों को अपनी तरफ खींचता है।

6. जब हम लोगों को सिखाते हैं, तो हमें क्या-क्या करना चाहिए?

6 हम सब ऐसे लोगों की तलाश कर रहे हैं, जो “हमेशा की ज़िंदगी पाने के लायक अच्छा मन” रखते हैं। (प्रेषि. 13:48) हम चाहते हैं कि ये लोग यीशु के चेले बनें। इसके लिए हमें उनकी मदद करनी होगी कि वे बाइबल से सीखी बातों को (1) समझें, (2) उन्हें मानें और (3) उनके मुताबिक अपनी ज़िंदगी जीएँ। (यूह. 17:3; कुलु. 2:6, 7; 1 थिस्स. 2:13) यह सच है कि जब कोई विद्यार्थी सभाओं में आने लगता है, तो सभी भाई-बहन उसका स्वागत करते हैं और उसके साथ प्यार से पेश आते हैं। (यूह. 13:35) लेकिन शायद अध्ययन चलानेवाले भाई या बहन को उसे वक्‍त देना पड़े और मेहनत करनी पड़े, ताकि वह ऐसी आदतें छोड़ सके, जो उसमें “गहराई तक समायी हुई” हैं। (2 कुरिं. 10:4, 5) शायद एक विद्यार्थी को बदलाव करने में और बपतिस्मा लेने में कई महीने लग जाएँ, लेकिन उसकी मदद करने में हम जो भी मेहनत करेंगे उसके अच्छे नतीजे निकलेंगे।

प्यार होगा, तो लोगों को सिखाएँगे

7. हम लोगों को क्यों प्रचार करते हैं और सिखाते हैं?

7 हमें यहोवा से प्यार है,  इसलिए हम उसकी आज्ञा मानते हैं और लोगों को प्रचार करते और सिखाते हैं। (1 यूह. 5:3) ज़रा अपने बारे में सोचिए, आपको यहोवा से प्यार था, इसी वजह से आपने प्रचार काम शुरू किया। आपके लिए पहली बार प्रचार में जाना आसान नहीं रहा होगा। लेकिन आप जानते थे कि यह काम यीशु ने दिया है। इसलिए आपने उसकी आज्ञा मानी और आज आप आसानी से प्रचार कर पाते हैं। पर जब बाइबल अध्ययन चलाने की बात आती है, तो शायद आपको घबराहट होने लगे। लेकिन अगर आपमें अध्ययन चलाने की इच्छा है, तो यहोवा से प्रार्थना कीजिए। वह आपकी घबराहट दूर करेगा और आपको बाइबल अध्ययन शुरू करने की हिम्मत देगा।

8. जैसा मरकुस 6:34 में बताया गया है, हम और किस वजह से लोगों को सिखाते हैं?

8 हम एक और वजह से लोगों को प्रचार करते और सिखाते हैं, हमें लोगों से प्यार है।  इसी वजह से हम उन्हें सच्चाई सिखाते हैं। एक बार, यीशु और उसके चेले प्रचार करके बहुत थक गए थे। वे आराम करना चाहते थे, लेकिन एक भीड़ उनका पीछा करने लगी। उन पर तरस खाकर यीशु “उन्हें बहुत-सी  बातें सिखाने लगा।” (मरकुस 6:34 पढ़िए।) यीशु ने उनकी हालत समझी, उसने देखा कि वे कितनी तकलीफ में हैं। इसी वजह से उसने थके होने के बावजूद उन्हें सिखाया। आज लोगों की हालत भी कुछ ऐसी ही है। दिखने में वे बहुत खुश नज़र आएँ, लेकिन वे भी तकलीफ में हैं। वे ऐसी भेड़ों की तरह हैं, जो बिना चरवाहे के यहाँ-वहाँ भटक रही हैं। पौलुस ने ऐसे लोगों के बारे में कहा कि उनके पास कोई आशा नहीं है और वे बिना परमेश्‍वर के हैं। (इफि. 2:12) वे उस रास्ते पर हैं “जो विनाश की तरफ ले जाता है।” (मत्ती 7:13) जब हम लोगों के हालात समझेंगे, तो हमारे दिल में उनके लिए प्यार और करुणा उमड़ने लगेगी। यह बात हमें उभारेगी कि हम उनके साथ बाइबल अध्ययन शुरू करें।

9. जैसा फिलिप्पियों 2:13 में लिखा है, यहोवा क्या कर सकता है?

9 शायद आप बाइबल अध्ययन शुरू करने से हिचकिचाते हों। आपको लगता हो कि बाइबल विद्यार्थी को बहुत समय देना पड़ेगा और अध्ययन की तैयारी करने में भी वक्‍त देना पड़ेगा। अगर ऐसा है, तो यहोवा को अपने दिल की बात बताइए। उससे कहिए कि वह आपमें ऐसी इच्छा पैदा करे, ताकि आप किसी का बाइबल अध्ययन चला सकें। (फिलिप्पियों 2:13 पढ़िए।) प्रेषित यूहन्‍ना ने बताया कि जो प्रार्थनाएँ यहोवा की मरज़ी के मुताबिक होती हैं, उन्हें वह ज़रूर सुनता है। (1 यूह. 5:14, 15) यहोवा आपकी भी प्रार्थनाएँ सुनेगा और आपमें लोगों को सिखाने की इच्छा पैदा करेगा।

दूसरी मुश्‍किलें कैसे पार करें?

10-11. कुछ भाई-बहन बाइबल अध्ययन कराने से क्यों पीछे हटते हैं?

10 हम जानते हैं कि लोगों को सिखाना बहुत ज़रूरी है, लेकिन ऐसा करना आसान नहीं होता। आइए देखें कि ऐसी कौन-सी मुश्‍किलें हैं, जो हमें लोगों को सिखाने से रोक सकती हैं और हम उन्हें कैसे पार कर सकते हैं।

11 शायद हम उतना न कर पाएँ, जितना हम करना चाहते हैं।  उदाहरण के लिए, कुछ प्रचारक बुज़ुर्ग हैं या बीमार रहते हैं। क्या आपके हालात भी ऐसे हैं? अगर हाँ, तो सोचिए कि कोविड-19 महामारी के दौरान हमने क्या-क्या बातें सीखीं। हमने घर बैठे-बैठे फोन और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के ज़रिए अध्ययन चलाना सीखा। इन उपकरणों के ज़रिए अध्ययन चलाने का एक फायदा यह है कि आप कभी-भी अध्ययन चला सकते हैं। जैसे, कुछ लोग दिन के वक्‍त समय नहीं दे पाते, लेकिन उनके पास सुबह-सुबह या देर रात को समय होता है। क्या आप उस वक्‍त उनका अध्ययन चला सकते हैं? यीशु नीकुदेमुस को रात को सिखाता था क्योंकि वह उसी वक्‍त यीशु के पास आता था।—यूह. 3:1, 2.

12. कौन-सी तीन बातों से हमारी हिम्मत बढ़ेगी कि हम बाइबल अध्ययन चला सकते हैं?

12 शायद हमें लगे कि हम बाइबल अध्ययन नहीं चला पाएँगे।  हमें लगता होगा कि किसी का बाइबल अध्ययन चलाने से पहले, हमें अच्छा ज्ञान होना चाहिए या हममें अच्छा हुनर होना चाहिए। अगर आपको भी ऐसा लगता है, तो तीन बातें आपकी हिम्मत बढ़ा सकती हैं। पहली, यहोवा को आप पर भरोसा है। वह जानता है कि आप दूसरों को सिखा सकते हैं। (2 कुरिं. 3:5) दूसरी, यीशु ने आपको यह काम सौंपा है, जिसे “स्वर्ग में और धरती पर सारा अधिकार” दिया गया है। उसे भी आप पर भरोसा है। (मत्ती 28:18) और तीसरी, आप यहोवा और दूसरे भाई-बहनों की मदद ले सकते हैं। यीशु ने भी यहोवा की मदद ली थी। वह वही बोलता था, जो उसके पिता ने उसे सिखाया था। आप भी यहोवा की मदद ले सकते हैं। (यूह. 8:28; 12:49) आप समूह निगरान, किसी पायनियर या अनुभवी प्रचारक की मदद से भी अध्ययन शुरू कर सकते हैं। आप उनके बाइबल अध्ययन पर भी जा सकते हैं। उनसे सीखकर आपकी हिम्मत बढ़ेगी।

13. हमें नए-नए तरीके अपनाने के लिए क्यों तैयार रहना चाहिए?

13 शायद हमें नए तरीके आज़माना या नए प्रकाशन इस्तेमाल करना मुश्‍किल लगे।  जब से खुशी से जीएँ हमेशा के लिए! किताब आयी है, तब से काफी कुछ बदल गया है। अध्ययन की तैयारी करने का और अध्ययन चलाने का तरीका भी बदल गया है। हम अध्ययन के दौरान कम पैराग्राफ पढ़ते हैं और उस विषय के बारे में विद्यार्थी के साथ बातचीत करते हैं। हम विद्यार्थी को वीडियो दिखाते हैं या JW लाइब्रेरी ऐप और हमारी वेबसाइट में दिए प्रकाशनों का इस्तेमाल करते हैं। हो सकता है, नए तरीके अपनाना हमारे लिए आसान न हो, क्योंकि इंसान वही करना पसंद करता है जो वह हमेशा से करता आया है। अगर ऐसा है, तो हम किसी से बात कर सकते हैं। यहोवा और भाई-बहनों की मदद से हम नए-नए तरीके अपनाना सीख सकते हैं। फिर हमें अध्ययन चलाना अच्छा लगेगा। एक पायनियर भाई कहता है कि अब अध्ययन चलाते वक्‍त “विद्यार्थी और शिक्षक दोनों को मज़ा आता है।”

14. (क) जब बाइबल अध्ययन मिलना मुश्‍किल होता है, तो हमें उम्मीद क्यों नहीं छोड़नी चाहिए? (ख) 1 कुरिंथियों 3:6, 7 से हमें क्या तसल्ली मिलती है?

14 हम जहाँ प्रचार करते हैं, शायद वहाँ बाइबल अध्ययन मिलना मुश्‍किल हो।  शायद लोग हमारी न सुनते हों या वे हमारा विरोध करते हों। ऐसे में हमें उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए। दुनिया का माहौल इतना खराब है कि लोगों के हालात पल-पल बदल रहे हैं। जो लोग आज सच्चाई में दिलचस्पी नहीं लेते, हो सकता है कि कल उनमें परमेश्‍वर के बारे में जानने की इच्छा जगे। (मत्ती 5:3) जो लोग हमारा प्रकाशन तक नहीं लेते, शायद वे भी बाइबल अध्ययन करना शुरू कर दें। ऐसा हुआ भी है। हम जानते हैं कि यहोवा खेत का मालिक है। (मत्ती 9:38) और वह चाहता है कि हम बीज बोएँ और पानी देते रहें, लेकिन बढ़ाने का काम उसका है। (1 कुरिं. 3:6, 7) भले ही आज हमारे पास अध्ययन न हो, लेकिन यहोवा हमारी मेहनत देखता है और हमें इनाम देता है। इस बात से हमें कितनी तसल्ली मिलती है! *

सच्चाई सिखाइए और खुशी पाइए

जब हम किसी को प्रचार करते हैं और सच्चाई सिखाते हैं, तो उसकी ज़िंदगी बदल जाती है (पैराग्राफ 15-17 देखें) *

15. जब एक व्यक्‍ति अध्ययन करने लगता है और सीखी बातों पर चलता है, तो यहोवा को कैसा लगता है?

15 जब एक व्यक्‍ति सच्चाई अपनाता है और दूसरों को सच्चाई सिखाता है, तो यह देखकर यहोवा को बहुत अच्छा लगता है। (नीति. 23:15, 16) सन्‌ 2020 के सेवा साल का ही उदाहरण लीजिए। उस वक्‍त पूरी दुनिया में महामारी फैली हुई थी, फिर भी 77,05,765 लोगों ने बाइबल अध्ययन किया और 2,41,994 लोगों ने बपतिस्मा लिया। ज़रा सोचिए, यह देखकर यहोवा को कितनी खुशी हुई होगी! जो लोग बपतिस्मा लेकर यीशु के चेले बने, अब वे बाइबल अध्ययन चलाकर, और लोगों को चेला बनाएँगे। (लूका. 6:40) हम भरोसा रख सकते हैं कि जब हम लोगों को सच्चाई सिखाते और चेला बनाते हैं, तो इससे यहोवा का दिल खुश होता है।

16. हम क्या लक्ष्य रख सकते हैं?

16 किसी को सच्चाई सिखाने में मेहनत लगती है। लेकिन यहोवा की मदद से हम एक व्यक्‍ति को यहोवा से प्यार करना सिखा सकते हैं। तो क्यों न हम कम-से-कम एक बाइबल अध्ययन चलाने का लक्ष्य रखें? हम जिससे भी मिलते हैं, उससे बाइबल अध्ययन के लिए पूछ सकते हैं। हम अपनी तरफ से जो भी कोशिश करेंगे, यहोवा उस पर ज़रूर आशीष देगा।

17. जब हम किसी का बाइबल अध्ययन चलाएँगे तो हमें कैसा लगेगा?

17 यहोवा ने हमें एक बहुत बड़ा सम्मान दिया है कि हम लोगों को प्रचार करें  और उसके बारे में सिखाएँ।  इस काम से हमें सच्ची खुशी मिलती है। प्रेषित पौलुस ने थिस्सलुनीके में रहनेवाले कई लोगों को सच्चाई सिखायी। उनके बारे में उसने कहा, “हमारे प्रभु यीशु की मौजूदगी के दौरान, हमारी आशा या खुशी या हमारी जीत का ताज कौन होगा? क्या वह तुम नहीं होगे? बेशक! तुम हमारी शान और हमारी खुशी हो।” (1 थिस्स. 2:19, 20; प्रेषि. 17:1-4) आज बहुत-से मसीही ऐसा ही महसूस करते हैं। स्टेफनी और उसके पति ने कई लोगों को सच्चाई सिखायी। स्टेफनी कहती है, “अपनी ज़िंदगी यहोवा को समर्पित करने में जब हम किसी की मदद करते हैं, तो बहुत खुशी मिलती है। यह किसी और काम से नहीं मिल सकती।”

गीत 57 सब किस्म के लोगों को सच्चाई बताइए

^ पैरा. 5 यहोवा ने हमें प्रचार करने  का ही नहीं, बल्कि लोगों को सिखाने  का काम भी दिया है, ताकि वे यीशु के चेले बन सकें। इस लेख में हम जानेंगे कि हम यह काम क्यों करते हैं। चेला बनाने के काम में कौन-सी मुश्‍किलें आ सकती हैं और हम उन्हें कैसे पार कर सकते हैं?

^ पैरा. 14 चेला बनाने के काम के बारे में मार्च 2021 की प्रहरीदुर्ग  का लेख, “हम सब एक बाइबल विद्यार्थी की मदद कर सकते हैं” पढ़ें।

^ पैरा. 53 तसवीर के बारे में: बाइबल अध्ययन करने से एक व्यक्‍ति की ज़िंदगी बदल जाती है: शुरू-शुरू में वह यहोवा के बारे में कुछ नहीं जानता और उसकी ज़िंदगी का कोई मकसद नहीं होता। फिर साक्षी उससे मिलते हैं और वह बाइबल अध्ययन करने लगता है। कुछ समय बाद वह समर्पण करता है और बपतिस्मा लेता है। उसके बाद वह भी चेला बनाने के काम में हिस्सा लेता है। फिर जब वे सब नयी दुनिया में जाते हैं, तो खुशी से ज़िंदगी बिताते हैं।