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अध्ययन लेख 27

यहोवा की तरह धीरज रखिए

यहोवा की तरह धीरज रखिए

“तुम धीरज धरने की वजह से अपनी जान बचा पाओगे।”—लूका 21:19.

गीत 114 “सब्र रखो”

लेख की एक झलक *

1-2. कौन-सी बात हमें हार न मानने की ताकत देती है? (यशायाह 65:16, 17)

सन्‌ 2017 के क्षेत्रीय अधिवेशन का विषय था, “हार मत मानो!” इस अधिवेशन में हमें बढ़ावा दिया गया कि हम धीरज से अपनी मुश्‍किलों का सामना करते रहें। इस अधिवेशन को चार साल बीत गए हैं, लेकिन हम अब भी शैतान की दुनिया में मुश्‍किलें सह रहे हैं।

2 क्या आप हाल ही में किसी मुश्‍किल से गुज़रे हैं? क्या आपका कोई परिवारवाला या दोस्त अब नहीं रहा? क्या आपको कोई बड़ी बीमारी हो गयी है? या आप बुढ़ापे से परेशान हैं? क्या आप प्राकृतिक विपत्ति, हिंसा या ज़ुल्म के शिकार हुए हैं? या क्या आप कोविड-19 जैसी महामारियों की वजह से परेशान हैं? यहोवा वादा करता है कि बहुत जल्द ये सारी परेशानियाँ खत्म हो जाएँगी और फिर कभी याद नहीं आएँगी। हम उस दिन को देखने के लिए तरस रहे हैं!—यशायाह 65:16, 17 पढ़िए।

3. आज धीरज रखना क्यों इतना ज़रूरी है?

3 इस दुनिया में जीना आसान नहीं है और आनेवाले वक्‍त में हमारी मुश्‍किलें और भी बढ़ेंगी। (मत्ती 24:21) इसलिए हमें और भी ज़्यादा धीरज रखना है। यीशु ने कहा था, “तुम धीरज धरने की वजह से अपनी जान बचा पाओगे।” (लूका 21:19) धीरज से अपनी मुश्‍किलों का सामना करने के लिए हम दूसरों से बहुत कुछ सीख सकते हैं।

4. यहोवा धीरज रखने की सबसे अच्छी मिसाल क्यों है?

4 धीरज रखने की सबसे अच्छी मिसाल यहोवा है। लेकिन हम शायद सोचें कि उसे सब्र रखने की क्या ज़रूरत है। ज़रा सोचकर देखिए, अगर यहोवा चाहे तो वह तुरंत सभी समस्याओं को खत्म कर सकता है, लेकिन वह ऐसा नहीं कर रहा है। क्योंकि उसने एक दिन ठहराया है, जब वह शैतान की दुनिया का नाश कर देगा। (रोमि. 9:22) तब तक वह सब्र रख रहा है। अब आइए हम ऐसी नौ बातों पर ध्यान दें, जिन्हें यहोवा बरदाश्‍त कर रहा है।

यहोवा क्या बरदाश्‍त कर रहा है?

5. (क) यहोवा के नाम पर कलंक कैसे लगा? (ख) यह जानकर आपको कैसा लगता है?

5 उसके नाम पर लगा कलंक।  यहोवा को अपने नाम से लगाव है और वह चाहता है कि सब उसके नाम का आदर करें। (यशा. 42:8) पिछले 6,000 सालों से यहोवा के नाम का अनादर किया जा रहा है। (भज. 74:10, 18, 23) इसकी शुरूआत अदन के बगीचे में हुई थी। इबलीस यानी ‘बदनाम करनेवाले’ ने यहोवा पर यह दोष लगाया कि वह आदम और हव्वा को वे चीज़ें नहीं दे रहा, जिनसे वे खुश रह सकते हैं। (उत्प. 3:1-5) तब से उस पर यह इलज़ाम लगाया जा रहा है कि वह इंसानों को हर अच्छी चीज़ से दूर रखता है। यीशु को इस बात की चिंता थी कि उसके पिता के नाम पर कलंक लगाया जा रहा है। इसलिए उसने अपने चेलों को प्रार्थना करना सिखाया, “हे हमारे पिता तू जो स्वर्ग में है, तेरा नाम पवित्र किया जाए।”—मत्ती 6:9.

6. हुकूमत के मसले को सुलझाने के लिए यहोवा ने इतना वक्‍त क्यों दिया?

6 उसकी हुकूमत का विरोध।  यहोवा को स्वर्ग और धरती पर हुकूमत करने का पूरा हक है और वही सबसे अच्छा राजा है। (प्रका. 4:11) लेकिन इबलीस ने स्वर्गदूतों और इंसानों को यहोवा के खिलाफ भड़काया और कहा कि उसे हम पर राज करने का अधिकार नहीं है। हुकूमत के इस मसले को सुलझाने में वक्‍त लगता। इसलिए यहोवा ने इंसानों को राज करने दिया, ताकि वे खुद अपनी आँखों से देख लें कि वे उसके बगैर कामयाब नहीं हो सकते। (यिर्म. 10:23) यहोवा के सब्र रखने से हमेशा-हमेशा के लिए यह साबित हो जाएगा कि स्वर्ग और धरती पर राज करने का हक सिर्फ उसका है। और यहोवा का राज ही धरती पर सच्ची शांति और सुरक्षा ला सकता है।

7. (क) किन्होंने यहोवा के खिलाफ बगावत की? (ख) यहोवा बगावत करनेवालों का क्या करेगा?

7 उसके कुछ बच्चों की बगावत।  यहोवा ने स्वर्गदूतों और इंसानों को परिपूर्ण बनाया था। फिर शैतान यानी “विरोधी” ने यहोवा से बगावत की और उसने आदम और हव्वा को भी उसके खिलाफ कर दिया। कुछ स्वर्गदूतों और इंसानों ने भी शैतान का साथ दिया। (यहू. 6) बाद में कुछ इसराएली भी, जो यहोवा के अपने लोग थे, झूठी उपासना करने लगे। (यशा. 63:8, 10) यहोवा के साथ कितना बड़ा विश्‍वासघात हुआ! फिर भी यहोवा ने सब्र रखा और वह आज भी सब्र रख रहा है। वह उस वक्‍त का इंतज़ार कर रहा है, जब वह बगावत करनेवालों को हमेशा के लिए खत्म कर देगा। फिर यहोवा और उसके सभी वफादार सेवक खुशियाँ मनाएँगे कि उन्हें और बुराइयाँ बरदाश्‍त नहीं करनी पड़ेंगी।

8-9. (क) परमेश्‍वर पर कौन-से इलज़ाम लगाए गए हैं? (ख) उन इलज़ामों को झूठा साबित करने के लिए आप क्या कर सकते हैं?

8 शैतान के झूठे इलज़ाम।  शैतान ने कहा कि अय्यूब यहोवा की उपासना सिर्फ इसलिए कर रहा है, क्योंकि यहोवा उसे लालच दे रहा है। वह यही इलज़ाम यहोवा के बाकी वफादार सेवकों पर भी लगाता है। (अय्यू. 1:8-11; 2:3-5; प्रका. 12:10) लेकिन अगर हम यहोवा से प्यार करते हैं, तो हम मुश्‍किलों के बावजूद धीरज धरेंगे और यहोवा के वफादार रहेंगे। इस तरह हम शैतान को झूठा साबित करेंगे। धीरज धरने से हमें आशीषें मिलेंगी, ठीक जैसे अय्यूब को मिली थीं।—याकू. 5:11.

9 शैतान झूठे धर्म के अगुवों से यह झूठ बुलवाता है कि परमेश्‍वर निर्दयी है और वही इंसानों पर तकलीफें लाता है। जब किसी बच्चे की मौत होती है, तो वे कहते हैं कि भगवान को उसकी ज़रूरत थी, इसलिए उसे अपने पास बुला लिया। यह कितना बड़ा झूठ है! परमेश्‍वर ऐसा कभी नहीं कर सकता। वह हमसे बहुत प्यार करता है। इसलिए जब हम बीमार होते हैं या हमारे किसी अज़ीज़ की मौत होती है, तो हम उस पर इलज़ाम नहीं लगाते। हमें पूरा विश्‍वास है कि एक दिन वह सबकुछ ठीक कर देगा और यही बात हम सबको बताते हैं। जब हम ऐसा करते हैं, तो यहोवा शैतान को मुँहतोड़ जवाब दे पाता है।—नीति. 27:11.

10. भजन 22:23, 24 से यहोवा के बारे में क्या पता चलता है?

10 उसके प्यारे सेवकों की तकलीफें।  यहोवा एक दयालु परमेश्‍वर है। जब उसके सेवक ज़ुल्म सहते हैं, बीमार होते हैं या अपनी कमियों की वजह से दुखी होते हैं, तो उसे भी बहुत दुख होता है। (भजन 22:23, 24 पढ़िए।) यहोवा हमारी तकलीफें समझता है, वह उन्हें दूर करना चाहता है और एक दिन वह ऐसा ज़रूर करेगा। (निर्गमन 3:7, 8 और यशायाह 63:9 से तुलना करें।) बहुत जल्द वह हमारी “आँखों से हर आँसू पोंछ देगा और न मौत रहेगी, न मातम, न रोना-बिलखना, न ही दर्द रहेगा।”—प्रका. 21:4.

11. यहोवा को अपने दोस्तों की क्या-क्या बातें याद आती होंगी?

11 अपने दोस्तों से बिछड़ने का गम।  यहोवा के कई वफादार सेवकों की मौत हो गयी है। वह उन्हें देखने के लिए तरस रहा है। (अय्यू. 14:15) ज़रा सोचिए, उसे अपने दोस्त अब्राहम की कितनी याद आती होगी! (याकू. 2:23) उसे मूसा की भी कमी महसूस होती होगी, जिससे वह “आमने-सामने” बात करता था। (निर्ग. 33:11) वह दाविद और भजन के दूसरे लेखकों को भी याद करता होगा, जो उसकी तारीफ में गीत गाते थे। (भज. 104:33) हालाँकि इन लोगों को मरे काफी समय हो चुका है, लेकिन यहोवा उन्हें भूला नहीं है। (यशा. 49:15) उसे उनकी हरेक बात याद है। “वे सब उसकी नज़र में ज़िंदा हैं।” (लूका 20:38) जब नयी दुनिया में यहोवा के ये दोस्त वापस आएँगे, तो उसे बहुत खुशी होगी। क्योंकि वे फिर से उसकी उपासना करेंगे और उससे प्रार्थना करेंगे। अगर हमने किसी अपने को खोया है, तो इन बातों से हमें भी दिलासा मिल सकता है।

12. यहोवा को सबसे ज़्यादा दुख कब होता है?

12 दुष्ट लोगों का अत्याचार।  जब अदन के बगीचे में बगावत शुरू हुई, तो यहोवा को पता था कि आगे चलकर हालात और खराब हो जाएँगे। आज जहाँ देखो वहाँ बुराई, नाइंसाफी और हिंसा है। यहोवा को इन सब चीज़ों से नफरत है। जब विधवा और अनाथ जैसे बेबस लोगों के साथ अन्याय होता है, तो उसे दुख होता है। (जक. 7:9, 10) यहोवा को तब और भी दुख होता है, जब उसके वफादार सेवकों को सताया जाता है और जेलों में डाला जाता है। हम यकीन रख सकते हैं कि यहोवा उन सबसे प्यार करता है, जो दुष्ट लोगों का अत्याचार सह रहे हैं।

13. (क) आज लोग किस तरह के घिनौने काम कर रहे हैं? (ख) बहुत जल्द परमेश्‍वर क्या करेगा?

13 इंसानों के नीच और अनैतिक काम।  परमेश्‍वर ने इंसानों को अपनी छवि में बनाया था। लेकिन शैतान उनसे नीच और अनैतिक काम करवा रहा है। नूह के दिनों में ऐसा ही हो रहा था। “यहोवा ने देखा कि धरती पर इंसान की दुष्टता बहुत बढ़ गयी है।” उसे “इस बात का बहुत पछतावा हुआ कि उसने धरती पर इंसान को बनाया और उसके दिल को ठेस पहुँची।” (उत्प. 6:5, 6, फु., 11) तब से हालात और भी बिगड़ गए हैं! आज विपरीत लिंग के लोग और समान लिंग के लोग, हर तरह के घिनौने अनैतिक काम कर रहे हैं। (इफि. 4:18, 19) और जब कोई मसीही ऐसा काम करता है, तो शैतान को बहुत खुशी होती है। यहोवा इन नीच कामों को ज़्यादा दिन तक बरदाश्‍त नहीं करेगा। वह बहुत जल्द उन लोगों को मिटा देगा, जो इस तरह के घिनौने कामों में लगे रहते हैं।

14. इंसानों की वजह से धरती का क्या हाल हो गया है?

14 धरती की तबाही।  यहोवा ने धरती की देखभाल करने का काम इंसानों को दिया था। लेकिन ‘इंसान, इंसान पर हुक्म चलाकर तकलीफें’ ले आया है। ऊपर से, उसने धरती और जानवरों को भी नुकसान पहुँचाया है। (सभो. 8:9; उत्प. 1:28) कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर इंसान अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आया, तो कुछ सालों के अंदर दस लाख जानवरों की प्रजातियाँ खत्म हो जाएँगी। तभी आज लोग पर्यावरण को लेकर बहुत चिंता करते हैं। लेकिन खुशी की बात है कि यहोवा बहुत जल्द “पृथ्वी को तबाह करनेवालों को खत्म” कर देगा और इस धरती को फिरदौस बना देगा।—प्रका. 11:18; यशा. 35:1.

हम यहोवा से क्या सीखते हैं?

15-16. यहोवा के प्यार से हम क्या सीखते हैं? एक मिसाल दीजिए।

15 सोचिए कि इतने सालों से यहोवा क्या-कुछ बरदाश्‍त कर रहा है। (“ यहोवा क्या बरदाश्‍त कर रहा है?” नाम का बक्स पढ़ें।) वह चाहे तो एक ही पल में शैतान की दुनिया को खत्म कर सकता है, लेकिन वह सब्र रख रहा है। उसके सब्र रखने से हमें बहुत फायदा हुआ है। इसे समझने के लिए एक उदाहरण लीजिए। एक पति-पत्नी से कहा जाता है कि उनका बच्चा जन्म से बहुत बीमार रहेगा और ज़्यादा दिन नहीं जीएगा। फिर भी ये पति-पत्नी बच्चे को इस दुनिया में लाने का फैसला करते हैं। भले ही उन्हें बहुत तकलीफ उठानी पड़ती है, फिर भी वे उसकी परवरिश में कोई कसर नहीं छोड़ते। क्योंकि वे अपने बच्चे से बहुत प्यार करते हैं।

16 आदम और हव्वा के अपरिपूर्ण संतान उस बीमार बच्चे की तरह हैं। फिर भी यहोवा उनसे प्यार करता है और उनकी परवाह करता है। (1 यूह. 4:19) यहोवा उदाहरण में बताए उस माता-पिता की तरह नहीं है, जो अपने बच्चे की तकलीफ दूर नहीं कर सकते। वह अपने बच्चों की तकलीफ ज़रूर दूर कर सकता है और उसने ऐसा करने के लिए एक दिन भी ठहराया है। (मत्ती 24:36) यहोवा के प्यार से हम क्या सीखते हैं? हमें तब तक बरदाश्‍त करना है, जब तक यहोवा सारी तकलीफें दूर नहीं कर देता।

17. इब्रानियों 12:2, 3 में बतायी यीशु की मिसाल से हमें क्या हिम्मत मिलती है?

17 धीरज रखने में यहोवा सबसे अच्छी मिसाल है। यहोवा की तरह यीशु ने भी धीरज रखा। जब वह धरती पर था, तो उसने लोगों की कड़वी बातें सुनीं, अपमान सहा और हमारी खातिर यातना के काठ पर जान दे दी। (इब्रानियों 12:2, 3 पढ़िए।) यहोवा ने जिस तरह धीरज रखा, उसे देखकर यीशु को सबकुछ बरदाश्‍त करने की हिम्मत मिली और आज हमें भी हिम्मत मिल सकती है।

18. दूसरा पतरस 3:9 के मुताबिक यहोवा के सब्र रखने से क्या हो पाया है?

18 दूसरा पतरस 3:9 पढ़िए। यहोवा जानता है कि इस दुष्ट दुनिया को कब नाश करना है। उसके सब्र रखने से आज एक बड़ी भीड़ उसकी उपासना कर रही है। उन्हें खुशी है कि यहोवा ने इस दुनिया का नाश करने में जल्दबाज़ी नहीं की। इसलिए वे इस दुनिया में जन्म ले पाए हैं, उसके बारे में सीख पाए हैं और उसके सेवक बन पाए हैं। जब यहोवा इस दुष्ट दुनिया का नाश करेगा, तब ऐसे लाखों लोग बचेंगे जिन्होंने धीरज रखा और यह साबित हो जाएगा कि यहोवा का सब्र रखना बिलकुल सही था।

19. (क) हमें क्या करने की हिम्मत मिलती है? (ख) हमें क्या इनाम मिलेगा?

19 शैतान ने दुनिया में बहुत तबाही मचायी है, यहोवा को बहुत दुख दिया है, फिर भी वह यहोवा की खुशी नहीं छीन पाया। (1 तीमु. 1:11) जब हम पर तकलीफें आती हैं, तो हमें भी यहोवा की तरह उन्हें खुशी-खुशी सहना चाहिए। हम उस दिन का इंतज़ार कर रहे हैं जब यहोवा अपने नाम को पवित्र करेगा, अपनी हुकूमत बुलंद करेगा, बुराइयाँ दूर करेगा और सारी समस्याओं को हमेशा के लिए खत्म कर देगा। जब हम याद रखते हैं कि यहोवा सबकुछ धीरज से सह रहा है, तो हमें भी हिम्मत मिलती है कि हम सबकुछ धीरज से सहें। फिर हमारे बारे में भी यह बात सच होगी: “सुखी है वह इंसान जो परीक्षा में धीरज धरे रहता है क्योंकि परीक्षा में खरा उतरने पर वह जीवन का ताज पाएगा, जिसका वादा यहोवा ने उनसे किया है जो हमेशा उससे प्यार करते हैं।”—याकू. 1:12.

गीत 139 खुद को नयी दुनिया में देखें!

^ पैरा. 5 हम सब मुश्‍किलों का सामना कर रहे हैं। और ज़्यादातर मुश्‍किलें ऐसी होती हैं, जिन्हें दूर करना हमारे बस में नहीं होता। हमें बस इन्हें धीरज से सहना है। हमारी तरह यहोवा भी बहुत-सी बातें सह रहा है। इस लेख में हम ऐसी नौ बातों के बारे में चर्चा करेंगे। हम यह भी जानेंगे कि यहोवा के धीरज रखने से क्या फायदा हुआ है और उससे हम क्या सीख सकते हैं।