इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

अध्ययन लेख 30

यहोवा के परिवार में आपकी अहमियत है

यहोवा के परिवार में आपकी अहमियत है

“तूने उसे स्वर्गदूतों से कुछ कमतर बनाया, उसे महिमा और वैभव का ताज पहनाया।”—भज. 8:5.

गीत 123 परमेश्‍वर के संगठन का कानून दिल से मानें

लेख की एक झलक *

1. जब हम यहोवा की बनायी चीज़ों के बारे में सोचते हैं, तो हमारे मन में कौन-से सवाल आ सकते हैं?

यहोवा ने इस जहान में बहुत-सी चीज़ें बनायी हैं। जब हम उनके बारे में सोचते हैं, तो शायद हम वैसा ही महसूस करें जैसा दाविद ने किया था। उसने कहा, “जब मैं आसमान को निहारता हूँ जो तेरी हस्तकला है, जब मैं चाँद-सितारों को देखता हूँ जो तेरी रचना हैं, तो मैं सोच में पड़ जाता हूँ, ‘नश्‍वर इंसान है ही क्या कि तू उसका खयाल रखे? इंसान है ही क्या कि तू उसकी परवाह करे?’” (भज. 8:3, 4) दाविद की तरह हमें भी लग सकता है कि इन तारों के मुकाबले हम कितने छोटे हैं, फिर भी यहोवा हमारी परवाह करता है। अब हम जानेंगे कि जब यहोवा ने आदम और हव्वा को बनाया, तो उसने न सिर्फ उनकी परवाह की बल्कि उन्हें अपने परिवार का हिस्सा भी बनाया।

2. यहोवा ने आदम और हव्वा को क्या करने के लिए कहा था?

2 यहोवा अपने बच्चों यानी आदम और हव्वा से बहुत प्यार करता था। वह चाहता था कि वे बच्चे पैदा करें और धरती की देखभाल करें। परमेश्‍वर ने उनसे कहा था, “फूलो-फलो और गिनती में बढ़ जाओ। धरती को आबाद करो और इस पर अधिकार रखो।” (उत्प. 1:28) अगर आदम-हव्वा अपने पिता यहोवा की बात मानते और उन्हें दिया काम अच्छे-से करते, तो वे और उनके बच्चे हमेशा यहोवा के परिवार का हिस्सा बने रहते।

3. किस बात से पता चलता है कि यहोवा के परिवार में आदम-हव्वा की बहुत अहमियत थी?

3 भजन 8:5 में दाविद ने पहले इंसान के बारे में कहा, “तूने उसे स्वर्गदूतों से कुछ कमतर बनाया, उसे महिमा और वैभव का ताज पहनाया।” यह सच है कि इंसानों को स्वर्गदूतों जितनी ताकत, बुद्धि और काबिलीयतें नहीं दी गयी हैं। (भज. 103:20) लेकिन उनमें और स्वर्गदूतों में ज़्यादा फर्क नहीं है। उन्हें स्वर्गदूतों से “कुछ कमतर बनाया” गया है। इससे पता चलता है कि यहोवा के परिवार में आदम और हव्वा की बहुत अहमियत थी। सच में, यहोवा ने आदम और हव्वा को कितने बेहतरीन तरीके से बनाया था और उन्हें कितनी अच्छी ज़िंदगी दी थी!

4. (क) आदम और हव्वा के साथ क्या हुआ? (ख) इस लेख में हम क्या चर्चा करेंगे?

 4 दुख की बात है कि आदम और हव्वा ने परमेश्‍वर की आज्ञा नहीं मानी और वे उसके परिवार का हिस्सा नहीं रहे। उनकी वजह से उनके बच्चों को भी बहुत-सी तकलीफें झेलनी पड़ीं, जिसके बारे में हम आगे पढ़ेंगे। लेकिन यहोवा का मकसद नहीं बदला है। वह अब भी चाहता है कि वफादार इंसान उसके बच्चे बनें। इस लेख में हम चर्चा करेंगे कि यहोवा ने किस तरह इंसानों को अनमोल समझा और उनका मान बढ़ाया। हम यह भी चर्चा करेंगे कि आज हम क्या कर सकते हैं, ताकि हम यहोवा के परिवार का हिस्सा बन सकें। इस लेख में हम यह भी जानेंगे कि आगे चलकर यहोवा के बच्चों को इस धरती पर कौन-सी आशीषें मिलेंगी।

यहोवा ने इंसानों का मान बढ़ाया

यहोवा ने हमारा मान कैसे बढ़ाया है? (पैराग्राफ 5-11 देखें) *

5. यहोवा ने हमें अपनी छवि में बनाया है, इसलिए हमें क्या करना चाहिए?

5यहोवा ने हमें अपनी छवि में बनाया।  (उत्प. 1:26, 27) इसका मतलब है कि हम अपने अंदर वे गुण बढ़ा सकते हैं, जो यहोवा में हैं। जैसे, प्यार, करुणा, वफादारी और नेकी। (भज. 86:15; 145:17) जब हम अपने अंदर यहोवा के जैसे गुण बढ़ाएँगे, तो हम उसकी महिमा करेंगे। हम इस बात का भी एहसान मानेंगे कि उसने हमें अपनी छवि में बनाया है। (1 पत. 1:14-16) फिर यहोवा भी खुश होगा और हमें भी खुशी मिलेगी। और हम दिखाएँगे कि हम यहोवा के परिवार का हिस्सा बनना चाहते हैं।

6. यहोवा ने इंसानों का मान कैसे बढ़ाया?

6यहोवा ने हमारे लिए एक खूबसूरत घर बनाया।  इंसान को बनाने से बहुत पहले यहोवा ने धरती तैयार की। (अय्यू. 38:4-6; यिर्म. 10:12) यहोवा दरियादिल है, इसलिए इंसान की खुशी के लिए उसने बहुत-सी चीज़ें बनायीं। (भज. 104:14, 15, 24) उसने उन पर गौर किया और देखा कि सबकुछ “अच्छा है।” (उत्प. 1:10, 12, 31) फिर उसने उन पर इंसान को “अधिकार दिया” और इस तरह उसका मान बढ़ाया। (भज. 8:6) यहोवा चाहता है कि परिपूर्ण इंसान हमेशा उनकी देखभाल करें। क्या आप इसके लिए यहोवा का शुक्रिया करते हैं?

7. यहोशू 24:15 से कैसे पता चलता है कि इंसान को अपने फैसले खुद करने की आज़ादी है?

7यहोवा ने हमें अपने फैसले खुद करने की आज़ादी दी है।  हम चुन सकते हैं कि हम ज़िंदगी में क्या करेंगे। (यहोशू 24:15 पढ़िए।) जब हम यहोवा की सेवा करने का फैसला करते हैं, तो उसे बहुत खुशी होती है। (भज. 84:11; नीति. 27:11) हम ज़िंदगी के दूसरे मामलों में भी इस आज़ादी का सही इस्तेमाल कर सकते हैं। कैसे? आइए यीशु की मिसाल से जानें।

8. मिसाल देकर बताइए कि यीशु ने अपनी आज़ादी का सही इस्तेमाल कैसे किया।

8 यीशु ने हमेशा दूसरों के बारे में सोचा। एक बार यीशु और उसके प्रेषित बहुत थके हुए थे। वे आराम करने के लिए किसी एकांत जगह में गए, लेकिन वे आराम नहीं कर पाए। लोगों की एक भीड़ उनका पीछा करते-करते वहाँ आ गयी। वे यीशु से सीखना चाहते थे। यीशु उन्हें देखकर चिढ़ा नहीं। उसे उन पर तरस आया “और वह उन्हें बहुत-सी  बातें सिखाने लगा।” (मर. 6:30-34) हमें भी खुद से ज़्यादा दूसरों के बारे में सोचना चाहिए। जब हम दूसरों की मदद करने के लिए अपना समय और ताकत लगाते हैं, तो इससे यहोवा की महिमा होती है। (मत्ती 5:14-16) और हम दिखाते हैं कि हम उसके परिवार का हिस्सा बनना चाहते हैं।

9. यहोवा ने इंसानों को कौन-सी ज़िम्मेदारी दी है?

9यहोवा ने इंसानों को बच्चे पैदा करने की काबिलीयत दी है।  उसने उन्हें यह ज़िम्मेदारी भी दी है कि वे अपने बच्चों को उससे प्यार करना और उसकी सेवा करना सिखाएँ।  यहोवा ने स्वर्गदूतों को बहुत-सी काबिलीयतें दी हैं, मगर बच्चे पैदा करने की नहीं। यह उसने सिर्फ इंसानों को दी है। माता-पिताओ, क्या आप इसके लिए परमेश्‍वर का एहसान मानते हैं? यहोवा ने आपको एक खास ज़िम्मेदारी दी है। वह चाहता है कि आप ‘उसकी मरज़ी के मुताबिक बच्चों को सिखाएँ और समझाएँ।’ (इफि. 6:4; व्यव. 6:5-7; भज. 127:3) आपकी मदद करने के लिए उसके संगठन ने कई प्रकाशन, वीडियो, संगीत और वेबसाइट पर लेख दिए हैं। इससे पता चलता है कि यहोवा और यीशु बच्चों से बहुत प्यार करते हैं। (लूका 18:15-17) जब आप यहोवा पर भरोसा करते हैं और अपने बच्चों की अच्छी परवरिश करते हैं, तो उसे बहुत खुशी होती है। और आप अपने बच्चों को भी यहोवा के परिवार का हिस्सा बनने का मौका देते हैं।

10-11. फिरौती के ज़रिए यहोवा ने इंसानों को क्या मौका दिया है?

10यहोवा ने अपने सबसे प्यारे बेटे का बलिदान दिया ताकि इंसान दोबारा उसके परिवार का हिस्सा बन सकें।  जैसा हमने  पैराग्राफ 4 में पढ़ा, आदम-हव्वा और उनके बच्चे यहोवा के परिवार का हिस्सा नहीं रहे। (रोमि. 5:12) आदम और हव्वा ने जानबूझकर पाप किया था, इसलिए यहोवा ने उन्हें अपने परिवार से निकाल दिया। लेकिन उनके बच्चों का क्या होता? यहोवा इंसानों से बहुत प्यार करता है। इसलिए उसने अपने इकलौते बेटे का बलिदान दिया ताकि आज्ञा माननेवाले इंसान दोबारा उसके परिवार का हिस्सा बन सकें। (यूह. 3:16; रोमि. 5:19) इसी बलिदान की वजह से यहोवा ने 1,44,000 इंसानों को अपने बेटों के नाते गोद लिया।—रोमि. 8:15-17; प्रका. 14:1.

11 इसके अलावा लाखों लोग यहोवा की आज्ञा मान रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि हज़ार साल की आखिरी परीक्षा के बाद वे यहोवा के परिवार का हिस्सा बनेंगे। (भज. 25:14; रोमि. 8:20, 21) इसलिए आज वे अपने सृष्टिकर्ता यहोवा को “पिता” मानते हैं। (मत्ती 6:9) जिन लोगों को ज़िंदा किया जाएगा, उन्हें भी यहोवा और उसके स्तरों के बारे में सीखने का मौका दिया जाएगा। लेकिन वे यहोवा के परिवार का हिस्सा तभी बनेंगे, जब वे उसकी उपासना करने का फैसला करेंगे।

12. अब हम किस सवाल पर चर्चा करेंगे?

12 जैसा कि हमने पढ़ा, यहोवा ने कई तरीकों से इंसानों का मान बढ़ाया है। उसने अभिषिक्‍त लोगों को अपने बेटों के नाते गोद लिया है। और “बड़ी भीड़” के लोग नयी दुनिया में उसके बच्चे बनेंगे। (प्रका. 7:9) तो फिर सवाल उठता है कि आज हम क्या कर सकते हैं, ताकि हम यहोवा के परिवार का हिस्सा बनें?

यहोवा के परिवार का हिस्सा बनने के लिए क्या करें?

13. यहोवा के परिवार का हिस्सा बनने के लिए हमें क्या करना होगा? (मरकुस 12:30)

13यहोवा से प्यार कीजिए और पूरे दिल से उसकी सेवा कीजिए।  (मरकुस 12:30 पढ़िए।) यहोवा ने हमें बहुत-सी चीज़ें दी हैं। उनमें सबसे खास चीज़ यह है कि उसने हमें उससे प्यार करने और उसकी उपासना करने की काबिलीयत दी है। जब हम यहोवा की ‘आज्ञाओं पर चलते’ हैं, तो हम दिखाते हैं कि हमें उससे प्यार है। (1 यूह. 5:3) एक आज्ञा है, लोगों को चेला बनाना और उन्हें बपतिस्मा देना। (मत्ती 28:19) एक और आज्ञा है कि हम एक-दूसरे से प्यार करें। (यूह. 13:35) जो लोग यहोवा की आज्ञाएँ मानते हैं, उन्हें वह अपने परिवार का हिस्सा बनाएगा।—भज. 15:1, 2.

14. हम किन तरीकों से दूसरों से प्यार कर सकते हैं? (मत्ती 9:36-38; रोमियों 12:10)

14दूसरों से प्यार कीजिए।  प्यार यहोवा का खास गुण है। (1 यूह. 4:8) यहोवा ने हमसे तब प्यार किया, जब हम उसे जानते भी नहीं थे। (1 यूह. 4:9, 10) हमें भी दूसरों से प्यार करना चाहिए। (इफि. 5:1) ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीका है कि अंत आने से पहले हम लोगों को यहोवा के बारे में सिखाएँ। (मत्ती 9:36-38 पढ़िए।) इस तरह वे जान पाएँगे कि वे परमेश्‍वर के परिवार का हिस्सा कैसे बन सकते हैं। बपतिस्मा लेने के बाद भी हमें उनसे प्यार और आदर से पेश आना चाहिए। (1 यूह. 4:20, 21) कैसे? मान लीजिए कि एक भाई कुछ करता है, लेकिन हमें समझ नहीं आता कि उसने ऐसा क्यों किया। ऐसे में हम यह नहीं सोचेंगे कि उसके इरादे सही नहीं हैं। इसके बजाय हम उस पर भरोसा करेंगे, उसका आदर करेंगे और उसे खुद से बेहतर समझेंगे।—रोमियों 12:10 पढ़िए; फिलि. 2:3.

15. हमें किन लोगों के साथ दया और कृपा से पेश आना चाहिए?

15सबके साथ दया और कृपा से पेश आइए।  अगर हम यहोवा के परिवार का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो हमें बाइबल की बातों के मुताबिक काम करना होगा। उदाहरण के लिए, यीशु ने सिखाया कि हमें सबके साथ दया और कृपा से पेश आना चाहिए, अपने दुश्‍मनों के साथ भी। (लूका 6:32-36) कभी-कभी ऐसा करना मुश्‍किल हो सकता है। लेकिन हमें यीशु के जैसी सोच रखनी चाहिए और उसके जैसा व्यवहार करना चाहिए। जब हम यहोवा की आज्ञा मानने और यीशु की तरह बनने की कोशिश करते हैं, तो हम दिखाते हैं कि हम यहोवा के परिवार का हिस्सा बनना चाहते हैं।

16. हम क्या कर सकते हैं, ताकि यहोवा का परिवार बदनाम न हो?

16यहोवा के परिवार को बदनाम मत होने दीजिए।  आम तौर पर एक परिवार में एक लड़का वही करता है, जो अपने बड़े भाई को करते देखता है। अगर बड़ा भाई बाइबल के सिद्धांतों के मुताबिक जीता है और अच्छे काम करता है, तो छोटा भाई भी वही करता है। लेकिन अगर बड़ा भाई गलत काम करने लगता है, तो छोटा भाई भी उसे देखकर गलत काम करना सीखता है। यहोवा के परिवार में भी कुछ ऐसा ही होता है। जब एक मसीही धर्मत्यागी बन जाता है, अनैतिक या गलत काम करने लगता है, तो दूसरे भी उसकी देखा-देखी करने लग सकते हैं। इससे परमेश्‍वर के परिवार की बदनामी हो सकती है। (1 थिस्स. 4:3-8) हम उन लोगों की देखा-देखी नहीं करना चाहते जो गलत काम करते हैं, न ही ऐसा कुछ करना चाहते हैं जिससे यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता खराब हो जाए।

17. हमें क्या नहीं सोचना चाहिए और क्यों?

17यहोवा पर भरोसा रखिए, न कि धन-दौलत पर।  यहोवा वादा करता है कि अगर हम उसके राज को पहली जगह देंगे, तो वह हमें खाने-पीने या ज़िंदगी की ज़रूरी चीज़ों की कोई कमी नहीं होने देगा। (भज. 55:22; मत्ती 6:33) अगर हमें उसके वादे पर भरोसा होगा, तो हम यह नहीं सोचेंगे कि धन-दौलत या ऐशो-आराम की चीज़ें हमें खुशी और सुरक्षा दे सकती हैं। क्योंकि हमें पता है कि सच्ची शांति सिर्फ परमेश्‍वर की मरज़ी पूरी करने से मिल सकती है। (फिलि. 4:6, 7) अगर हमारे पास बहुत सारी चीज़ें खरीदने के पैसे हों भी, तब भी क्या हमारे पास इतना वक्‍त और ताकत है कि हम उन चीज़ों का मज़ा ले सकें या उनकी देखभाल कर सकें? कहीं ऐसा तो नहीं होगा कि हमें उन चीज़ों से बहुत ज़्यादा लगाव हो जाए? हमें याद रखना चाहिए कि यहोवा की सेवा में हमारे पास बहुत काम है और यहोवा चाहता है कि हम वे काम बिना ध्यान भटकाए करें। उस जवान आदमी को याद कीजिए, जिसके पास यहोवा की सेवा करने और उसके बेटे के नाते गोद लिए जाने का बढ़िया मौका था। लेकिन उसे अपनी दौलत से इतना लगाव था कि उसने वह मौका गँवा दिया। हम उसकी तरह नहीं बनना चाहते!—मर. 10:17-22.

भविष्य में यहोवा के बच्चों को क्या आशीषें मिलेंगी?

18. आज्ञा माननेवाले इंसान कौन-सी आशीषें पाएँगे?

18 आज्ञा माननेवाले इंसानों को बहुत बड़ी आशीष मिलेगी। वे हमेशा यहोवा से प्यार कर पाएँगे और उसकी उपासना कर पाएँगे। उन्हें एक और आशीष मिलेगी। बहुत जल्द जब परमेश्‍वर का राज इस धरती को फिरदौस बना देगा, तब उन्हें इस धरती की देखभाल करने का काम दिया जाएगा। यीशु उन सभी समस्याओं को मिटा देगा, जो आदम और हव्वा की वजह से हुई हैं। यहोवा लाखों लोगों को ज़िंदा करेगा और उन्हें इस धरती पर हमेशा की ज़िंदगी और अच्छी सेहत देगा। (लूका 23:42, 43) और जब यहोवा के सेवक परिपूर्ण हो जाएँगे, तब वे सही मायने में परमेश्‍वर के बच्चे बनेंगे और वही “महिमा और वैभव” झलकाएँगे, जिसका ज़िक्र दाविद ने किया था।—भज. 8:5.

19. आपको क्या याद रखना चाहिए?

19 अगर आप “बड़ी भीड़” में से हैं, तो आपके पास एक बहुत बढ़िया आशा है। यहोवा आपसे प्यार करता है और चाहता है कि आप उसके परिवार का हिस्सा बनें। इसलिए ऐसे काम कीजिए, जिससे वह आपसे खुश हो। उसके वादों को हर दिन याद रखिए। उसकी उपासना और महिमा करने का जो सम्मान मिला है, उसकी कदर कीजिए।

गीत 107 यहोवा के प्यार की मिसाल

^ पैरा. 5 एक परिवार तभी खुश रह सकता है, जब सबको पता हो कि उन्हें क्या करना है और वे एक-दूसरे की मदद करें। एक पिता घर का मुखिया है और वह अपने परिवार की देखभाल करता है। माँ, पिता का साथ देती है और बच्चे, माँ-बाप का कहना मानते हैं। यहोवा के परिवार में भी ऐसा होता है। उसने हमें बताया है कि हमें क्या करना है। अगर हम उसके मुताबिक काम करें, तो हम उसके परिवार का हिस्सा बनेंगे।

^ पैरा. 55 तसवीर के बारे में: यहोवा ने इंसानों को अपनी छवि में बनाया है। इस वजह से एक पति-पत्नी एक-दूसरे से और अपने बेटों से प्यार और करुणा से पेश आ रहे हैं। वे यहोवा से भी प्यार करते हैं। उन्हें यहोवा से मिले वरदान की कदर है, इसलिए वे अपने बेटों को यहोवा से प्यार करना सिखा रहे हैं। वे उन्हें एक वीडियो दिखाकर समझा रहे हैं कि यहोवा ने यीशु का बलिदान क्यों दिया। वे बच्चों को यह भी सिखा रहे हैं कि नयी दुनिया में वे धरती और जानवरों की देखभाल करेंगे।