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अध्ययन लेख 32

सृष्टिकर्ता पर अपना विश्‍वास बढ़ाइए

सृष्टिकर्ता पर अपना विश्‍वास बढ़ाइए

“विश्‍वास . . . उन असलियतों का साफ सबूत है, जो अभी दिखायी नहीं देतीं।”—इब्रा. 11:1.

गीत 11 सृष्टि करे यहोवा की तारीफ!

लेख की एक झलक *

1. आपने बचपन से यहोवा के बारे में क्या सीखा है?

क्या आपके माता-पिता यहोवा के साक्षी हैं? अगर हाँ, तो शायद आपने बचपन से सीखा होगा कि यहोवा ने सबकुछ बनाया है। उसमें कई अच्छे-अच्छे गुण हैं। वह हमसे प्यार करता है और जल्द ही वह इस धरती को फिरदौस बनानेवाला है।—उत्प. 1:1; प्रेषि. 17:24-27.

2. कुछ लोग उनके बारे में क्या सोचते हैं, जो सृष्टिकर्ता पर विश्‍वास करते हैं?

2 लेकिन कई लोग यह नहीं मानते कि ईश्‍वर है, जिसने सबकुछ बनाया है। उनका मानना है कि सबकुछ अपने आप आया है और जीवों का विकास हुआ है। जो लोग विकासवाद को मानते हैं, उनमें से कुछ लोग बहुत पढ़े-लिखे हैं और विज्ञान पर विश्‍वास करते हैं। उनका कहना है कि विज्ञान ने बाइबल की शिक्षाओं को गलत साबित किया है और सृष्टिकर्ता पर सिर्फ वही लोग विश्‍वास करते हैं, जो कम पढ़े-लिखे हैं, मूर्ख हैं और आसानी से दूसरों की बातों में आ जाते हैं।

3. हमें अपना विश्‍वास क्यों मज़बूत करना चाहिए?

3 क्या ऐसा हो सकता है कि हम इन पढ़े-लिखे लोगों की बातों में आ जाएँ और शक करने लगें कि यहोवा हमारा सृष्टिकर्ता है? हाँ, अगर हम यहोवा पर सिर्फ इसलिए विश्‍वास करते हैं, क्योंकि किसी ने हमसे कहा था। लेकिन अगर हमने समय निकालकर उन सबूतों की जाँच की है, जिनसे पता चलता है कि यहोवा हमारा सृष्टिकर्ता है, तो हमारे साथ ऐसा नहीं होगा। (1 कुरिं. 3:12-15) चाहे हम सालों से यहोवा की सेवा क्यों न कर रहे हों, तब भी हमें अपना विश्‍वास मज़बूत करना चाहिए। इस तरह हम उन लोगों की बातों में नहीं आएँगे, जो कहते हैं कि बाइबल की शिक्षाएँ गलत हैं। (कुलु. 2:8; इब्रा. 11:6) इस लेख में हम चर्चा करेंगे, (1) बहुत-से लोग सृष्टिकर्ता पर क्यों यकीन नहीं करते, (2) हम अपने सृष्टिकर्ता यहोवा पर अपना विश्‍वास कैसे बढ़ा सकते हैं और (3) हम क्या कर सकते हैं, ताकि हमारा विश्‍वास कमज़ोर न हो।

कई लोग सृष्टिकर्ता पर यकीन क्यों नहीं करते

4. इब्रानियों 11:1 के मुताबिक विश्‍वास क्या है?

4 कुछ लोग सोचते हैं, किसी चीज़ पर विश्‍वास करने के लिए सबूत नहीं चाहिए। लेकिन बाइबल बताती है कि यह विश्‍वास नहीं है। (इब्रानियों 11:1 और फुटनोट पढ़िए।) विश्‍वास सबूतों के आधार पर किया जाता है। जैसे, हम यहोवा, यीशु और परमेश्‍वर के राज को देख नहीं सकते, लेकिन हमें यकीन है कि वे हैं, क्योंकि इसके ठोस सबूत  हैं। (इब्रा. 11:3) एक भाई, जो जीव-रसायन वैज्ञानिक है, कहता है, “यहोवा के साक्षी किसी बात पर आँख बंद करके यकीन नहीं करते। वे सबूतों की जाँच करते हैं। यहाँ तक कि विज्ञान से जुड़े सबूतों की भी।”

5. बहुत-से लोग सृष्टिकर्ता पर यकीन क्यों नहीं करते?

5 अगर इस बात के ठोस सबूत हैं कि एक सृष्टिकर्ता है, तो आज बहुत-से लोग उस पर यकीन क्यों नहीं करते? क्योंकि वे सबूतों पर ध्यान नहीं देते। रॉबर्ट, जो आज एक यहोवा का साक्षी है, कहता है, “स्कूल में कभी नहीं बताया गया कि इस दुनिया की सृष्टि की गयी है। इसलिए मैं भी इस बात को नहीं मानता था। जब मैं 22 साल का हुआ, तो मैं यहोवा के साक्षियों से मिला। उन्होंने मुझे बाइबल से कई सारे सबूत दिखाए, जिन्हें पढ़कर मुझे यकीन हो गया कि सच में एक सृष्टिकर्ता है।” *—“ माता-पिताओं के लिए एक ज़रूरी संदेश” नाम का बक्स पढ़ें।

6. लोग और किस वजह से सृष्टिकर्ता पर यकीन नहीं करते?

6 ऐसे भी लोग हैं जो सृष्टिकर्ता पर इसलिए विश्‍वास नहीं करते, क्योंकि उन्हें लगता है कि जो चीज़ दिखायी नहीं देती, उस पर यकीन करना नामुमकिन है। लेकिन हकीकत में वे कई अनदेखी चीज़ों पर यकीन करते हैं, क्योंकि इनके सबूत हैं। जैसे, हवा। बाइबल भी बताती है कि उन “असलियतों”  पर विश्‍वास किया जा सकता है, “जो अभी दिखायी नहीं देतीं”  क्योंकि उनके सबूत हैं। (इब्रा. 11:1) उन सबूतों की जाँच करने में वक्‍त लगता है और मेहनत भी। लेकिन बहुत-से लोग ऐसा करना नहीं चाहते, जिस वजह से वे कहते हैं कि कोई परमेश्‍वर नहीं है।

7. क्या सभी पढ़े-लिखे लोग सृष्टिकर्ता पर विश्‍वास नहीं करते? समझाइए।

7 लेकिन कुछ वैज्ञानिकों ने सबूतों की जाँच की और उन्हें यकीन हो गया कि एक सृष्टिकर्ता है। * पैराग्राफ 5 में बताए रॉबर्ट की तरह कई वैज्ञानिकों को लगता था कि कोई सृष्टिकर्ता नहीं है, क्योंकि उन्हें स्कूल-कॉलेजों में इस बारे में कभी नहीं सिखाया गया। लेकिन बाद में उन्होंने यहोवा के बारे में जाना और वे उस पर विश्‍वास करने लगे। इन वैज्ञानिकों की तरह हमें भी परमेश्‍वर पर अपना विश्‍वास बढ़ाना चाहिए, फिर चाहे हम कम पढ़े-लिखे हों या ज़्यादा। यह हमें खुद करना होगा।

सृष्टिकर्ता पर अपना विश्‍वास बढ़ाने के तरीके

8-9. (क) अब हम किस सवाल पर चर्चा करेंगे? (ख) सृष्टि के बारे में सीखने के क्या फायदे हैं?

8 आप सृष्टिकर्ता पर अपना  विश्‍वास कैसे बढ़ा सकते हैं? आइए इसके चार तरीके देखें।

9कुदरत को देखिए और उससे सीखिए।  आप जानवरों, पेड़-पौधों और तारों को ध्यान से देखकर सृष्टिकर्ता पर अपना विश्‍वास बढ़ा सकते हैं। (भज. 19:1; यशा. 40:26) आप जितना ज़्यादा इनके बारे में सीखेंगे,  उतना ज़्यादा आपको यकीन हो जाएगा कि यहोवा ही हमारा सृष्टिकर्ता है। हमारे प्रकाशनों में भी सृष्टि के बारे में बहुत सारे लेख दिए हैं। हो सकता है कि इनमें दी जानकारी को समझना थोड़ा मुश्‍किल लगे। लेकिन इन्हें पढ़ने से हिचकिचाइए मत। इनसे सीखने की पूरी कोशिश कीजिए। पिछले कुछ क्षेत्रीय अधिवेशनों में सृष्टि से जुड़े कई वीडियो दिखाए गए थे। उन्हें हमारी वेबसाइट jw.org पर दोबारा देखिए।

10. एक उदाहरण देकर बताइए कि कुदरत से हम सृष्टिकर्ता के बारे में क्या सीख सकते हैं। (रोमियों 1:20)

10 जब आप सृष्टि के बारे में सीखते हैं, तो यह जानने की कोशिश कीजिए कि उससे सृष्टिकर्ता के बारे में क्या पता चलता है। (रोमियों 1:20 पढ़िए।) उदाहरण के लिए, सूरज इंसानों के लिए बहुत ज़रूरी है। इससे गरमी और रौशनी मिलती है। लेकिन इससे कुछ हानिकारक किरणें भी निकलती हैं। पर इनसे हमें नुकसान नहीं पहुँचता। क्यों? धरती के चारों तरफ ओज़ोन गैस है, जो इन हानिकारक किरणों को सोख लेती है। जैसे-जैसे ये हानिकारक किरणें बढ़ती हैं, ओज़ोन की मात्रा भी बढ़ने लगती है। क्या आपको नहीं लगता कि यह सब एक प्यार करनेवाले और बुद्धिमान सृष्टिकर्ता ने बनाया है?

11. आपको सृष्टि के बारे में जानकारी कहाँ मिल सकती है? (“ सृष्टिकर्ता पर विश्‍वास बढ़ाने के लिए जानकारी” नाम का बक्स पढ़ें।)

11 आप खोजबीन गाइड  और jw.org में सृष्टि के बारे में जानकारी ढूँढ़ सकते हैं। इस तरह सृष्टिकर्ता पर आपका विश्‍वास और बढ़ेगा। आप चाहें तो सबसे पहले “क्या इसे रचा गया था?” भाग के लेख और वीडियो देख सकते हैं। ये छोटे हैं और इनमें जानवरों और पेड़-पौधों के बारे में मज़ेदार जानकारी है। इनमें यह भी बताया गया है कि कुदरत को देखकर वैज्ञानिकों ने क्या-क्या बनाया है।

12. बाइबल का अध्ययन करते वक्‍त हमें किन बातों पर ध्यान देना चाहिए?

12बाइबल का अध्ययन कीजिए।  पैराग्राफ 4 में बताए जीव-रसायन वैज्ञानिक को शुरू में सृष्टिकर्ता पर यकीन नहीं था। लेकिन बाद में वह उस पर विश्‍वास करने लगा। वह कहता है, “सिर्फ विज्ञान का अध्ययन करने से मेरा विश्‍वास नहीं बढ़ा। मैंने बाइबल का भी अध्ययन किया।” हो सकता है कि आपको बाइबल का ज्ञान हो। लेकिन सृष्टिकर्ता पर अपना विश्‍वास बढ़ाने के लिए आपको गहराई से बाइबल का अध्ययन करना होगा। (यहो. 1:8; भज. 119:97) उदाहरण के लिए, उन घटनाओं के बारे में सोचिए जो सालों पहले घटी थीं और जिनके बारे में बाइबल में बारीक जानकारियाँ दी गयी हैं। इस बात पर भी ध्यान दीजिए कि बाइबल में दी भविष्यवाणियाँ कैसे पूरी हुईं और इसके अलग-अलग लेखकों ने जो किताबें लिखीं, उनमें कितना तालमेल है। इस तरह आपका यकीन बढ़ेगा कि एक प्यार करनेवाले और बुद्धिमान सृष्टिकर्ता ने हमें बनाया है और उसी ने बाइबल लिखवायी है। *2 तीमु. 3:14; 2 पत. 1:21.

13. एक उदाहरण देकर समझाइए कि बाइबल में दी सलाह फायदेमंद है।

13 बाइबल का अध्ययन करते वक्‍त इस बात पर भी ध्यान दीजिए कि इसमें दी सलाह कितनी फायदेमंद है। उदाहरण के लिए, सालों पहले बाइबल में बताया गया था कि अगर एक व्यक्‍ति पैसे से प्यार करेगा, तो उसे ‘कई दुख-तकलीफें’ सहनी पड़ेंगी। (1 तीमु. 6:9, 10; नीति. 28:20; मत्ती 6:24) क्या यह बात आज भी सच है? एक किताब कहती है, “जो लोग सोचते हैं कि पैसा ही सबकुछ है, वे निराश और दुखी रहते हैं। और जो और पैसा कमाना चाहते हैं, वे भी तनाव में रहते हैं और उन्हें कई सारी बीमारियाँ हो जाती हैं।” सच में, पैसे से प्यार न करने की बाइबल की सलाह बहुत फायदेमंद है! क्या आप बाइबल के और भी सिद्धांतों के बारे में सोच सकते हैं, जिनसे आपको फायदा हुआ है? हम जितना ज़्यादा यह बात समझेंगे कि बाइबल में दी सलाह फायदेमंद है, उतना ज़्यादा उसे मानेंगे। (याकू. 1:5) इसका नतीजा यह होगा कि हमारी ज़िंदगी खुशहाल रहेगी।—यशा. 48:17, 18.

14. बाइबल का अध्ययन करने से आप यहोवा के बारे में क्या सीखेंगे?

14यहोवा को जानने के मकसद से बाइबल का अध्ययन कीजिए।  (यूह. 17:3) फिर आप जानेंगे कि उसमें वही सारे गुण हैं, जो आपने सृष्टि को देखकर सीखे थे। आपको पता चलेगा कि वह सचमुच में है, कोई काल्पनिक व्यक्‍ति नहीं है। (निर्ग. 34:6, 7; भज. 145:8, 9) आप जितना ज़्यादा यहोवा के बारे में जानेंगे, उतना ज़्यादा उस पर आपका विश्‍वास बढ़ेगा, उसके लिए आपका प्यार गहरा होगा और उसके साथ आपकी दोस्ती मज़बूत होगी।

15. सृष्टिकर्ता के बारे में दूसरों को बताने से आपको क्या फायदा होगा?

15यहोवा के बारे में आप जो सीखते हैं, वह दूसरों को बताइए।  इस तरह आपका विश्‍वास मज़बूत होगा। मान लीजिए कि कोई आपसे कहता है कि कोई परमेश्‍वर नहीं है और आप नहीं जानते कि आप उसे क्या जवाब दें। ऐसे में आप क्या कर सकते हैं? आप हमारे प्रकाशनों में खोजबीन कर सकते हैं और फिर उस व्यक्‍ति से बात कर सकते हैं। (1 पत. 3:15) आप किसी भाई या बहन की भी मदद ले सकते हैं। चाहे वह व्यक्‍ति आपका जवाब सुनकर सृष्टिकर्ता पर विश्‍वास करे या न करे, लेकिन खोजबीन करने से आपका विश्‍वास ज़रूर मज़बूत होगा। आप दुनिया के पढ़े-लिखे लोगों की बातों में नहीं आएँगे, जो सृष्टिकर्ता को नहीं मानते।

अपना विश्‍वास कमज़ोर मत होने दीजिए

16. अगर हम अपना विश्‍वास मज़बूत रखने में मेहनत न करें, तो क्या होगा?

16 चाहे हम सालों से यहोवा की सेवा कर रहे हों, फिर भी हमें अपना विश्‍वास मज़बूत रखने में लगातार मेहनत करनी होगी। नहीं तो हमारा विश्‍वास कमज़ोर हो जाएगा। जैसा कि हमने सीखा था, विश्‍वास उन असलियतों का ठोस सबूत है, जो दिखायी नहीं देतीं।  जिन चीज़ों को हम देख नहीं सकते, उन्हें हम आसानी से भूल सकते हैं। पौलुस ने कहा, कमज़ोर विश्‍वास ऐसा ‘पाप है, जो आसानी से हमें उलझा सकता है।’ (इब्रा. 12:1) तो हमें क्या करना चाहिए ताकि हमारा विश्‍वास कमज़ोर न हो?—2 थिस्स. 1:3.

17. अपना विश्‍वास बढ़ाने के लिए हमें क्या करना होगा?

17यहोवा से पवित्र शक्‍ति के लिए बिनती कीजिए और ऐसा बार-बार कीजिए।  विश्‍वास, पवित्र शक्‍ति के फल का एक गुण है। (गला. 5:22, 23) बिना पवित्र शक्‍ति के, हम सृष्टिकर्ता पर अपना विश्‍वास नहीं बढ़ा सकते। अगर हम यहोवा से पवित्र शक्‍ति माँगते रहेंगे, तो वह हमें देगा। (लूका 11:13) हम उसे सीधे-सीधे भी कह सकते हैं, ‘मेरा विश्‍वास बढ़ा।’—लूका 17:5.

18. आज हम किस तोहफे का मज़ा ले रहे हैं? (भजन 1:2, 3)

18बाइबल का अध्ययन करने के लिए समय तय कीजिए और उस पर टिके रहिए।  (भजन 1:2, 3 पढ़िए।) जब यह भजन लिखा गया था, उस समय सिर्फ कुछ इसराएलियों के पास परमेश्‍वर का पूरा कानून लिखित रूप में था। जैसे, राजाओं और याजकों के पास। हर सात साल में “आदमियों, औरतों, बच्चों” और परदेसियों को इकट्ठा करके कानून पढ़कर सुनाए जाते थे। (व्यव. 31:10-12) यीशु के दिनों में कुछ लोगों के पास शास्त्र के खर्रे होते थे या ये सभा-घरों में रखे जाते थे। लेकिन आज ज़्यादातर लोगों के पास पूरी बाइबल या इसके कुछ हिस्से हैं। यह कितना बढ़िया तोहफा है! पर हम इसकी कदर कैसे कर सकते हैं?

19. अपना विश्‍वास मज़बूत करने के लिए हमें क्या करना होगा?

19 हमें रोज़ बाइबल पढ़नी चाहिए और अध्ययन करने के लिए समय तय करना चाहिए। हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि जब समय होगा, तब अध्ययन कर लेंगे। लगातार बाइबल का अध्ययन करने से हमारा विश्‍वास मज़बूत होगा।

20. आपने क्या ठाना है?

20 हम दुनिया के “बुद्धिमानों और ज्ञानियों” की तरह नहीं हैं। हमारा विश्‍वास पक्का है, क्योंकि यह बाइबल के सबूतों के आधार पर है। (मत्ती 11:25, 26) बाइबल का अध्ययन करने से हमें पता चला है कि आज दुनिया के हालात इतने बुरे क्यों हैं और भविष्य में यहोवा क्या करनेवाला है। तो आइए हम ठान लें कि हम अपना विश्‍वास मज़बूत रखेंगे और ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को सृष्टिकर्ता पर विश्‍वास करने में मदद देंगे। (1 तीमु. 2:3, 4) और उस वक्‍त का इंतज़ार करते रहेंगे, जब इस धरती पर रहनेवाले सब लोग यहोवा की तारीफ में कहेंगे, “हे यहोवा, हमारे परमेश्‍वर, तू महिमा . . . पाने के योग्य है क्योंकि तू ही ने सारी चीजें रची हैं।”—प्रका. 4:11.

गीत 2 यहोवा तेरा नाम

^ पैरा. 5 बाइबल साफ-साफ बताती है कि यहोवा ही हमारा सृष्टिकर्ता है। लेकिन बहुत-से लोग कहते हैं कि सबकुछ अपने आप आया है, कोई सृष्टिकर्ता नहीं है। अगर हम चाहते हैं कि उनकी बातों का हम पर असर न हो, तो हमें परमेश्‍वर और बाइबल पर अपना विश्‍वास मज़बूत करना होगा। इस लेख में हम जानेंगे कि हम यह कैसे कर सकते हैं।

^ पैरा. 5 बहुत-से स्कूलों में टीचर यह भी नहीं कहते कि शायद  परमेश्‍वर ने सबकुछ बनाया होगा। उन्हें लगता है कि अगर वे ऐसा कहेंगे, तो बच्चों पर परमेश्‍वर पर यकीन करने का दबाव डाल रहे होंगे।

^ पैरा. 7 कुछ पढ़े-लिखे लोगों और वैज्ञानिकों के इंटरव्यू यहोवा के साक्षियों के लिए खोजबीन गाइड  में उपलब्ध हैं। इन्हें आप “विज्ञान और टेकनॉलजी” विषय के नीचे “‘बातचीत’ (सजग होइए!  शृंखला लेख)” भाग में पढ़ सकते हैं।

^ पैरा. 12 उदाहरण के लिए, जुलाई-सितंबर, 2011 की सजग होइए!  का लेख “क्या बाइबल और विज्ञान में कोई तालमेल है?” और जनवरी-मार्च, 2008 की प्रहरीदुर्ग  का लेख “यहोवा का वचन पत्थर की लकीर है” पढ़ें।