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अध्ययन लेख 33

आप जो कर पा रहे हैं, उसमें खुशी पाइए

आप जो कर पा रहे हैं, उसमें खुशी पाइए

“जो आँखों के सामने है उसका मज़ा ले, न कि अपनी इच्छाओं के पीछे भाग।”—सभो. 6:9.

गीत 111 हमारी खुशी के कई कारण

लेख की एक झलक *

1. यहोवा की सेवा करने के लिए कई लोगों ने क्या लक्ष्य रखे हैं?

जल्द ही इस दुनिया का नाश होनेवाला है। मगर उससे पहले हमारे पास बहुत काम है। (मत्ती 24:14; लूका 10:2; 1 पत. 5:2) हम सब चाहते हैं कि हम जी-जान से इन कामों में हिस्सा लें। इसलिए कई लोगों ने अलग-अलग लक्ष्य रखे हैं। जैसे पायनियर सेवा करना, बेथेल में काम करना या निर्माण काम में हिस्सा लेना। कई भाई सहायक सेवक या प्राचीन बनने के लिए मेहनत कर रहे हैं। (1 तीमु. 3:1, 8) जब यहोवा देखता है कि उसके लोग उसकी सेवा में कितना कुछ करना चाहते हैं, तो उसका दिल बहुत खुश होता है।—भज. 110:3; यशा. 6:8.

2. अगर हम किसी लक्ष्य को हासिल न कर पाएँ, तो क्या हो सकता है?

2 हो सकता है कि कई बार हम अपना लक्ष्य हासिल न कर पाएँ। ऐसे में हम निराश हो सकते हैं। लक्ष्य न हासिल करने की कई वजह हो सकती हैं। जैसे, हमारी उम्र निकल गयी हो या हमारे हालात सही न हों। (नीति. 13:12) बहन मंजू * के साथ कुछ ऐसा ही हुआ। उसकी बड़ी इच्छा थी कि वह बेथेल में सेवा करे या ‘राज प्रचारकों के लिए स्कूल’ में जाए। लेकिन वह कहती है, “मैं चाहकर भी अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकती, क्योंकि मेरी उम्र पार हो चुकी है। कभी-कभार मैं इस बारे में सोचकर दुखी हो जाती हूँ।”

3. ज़िम्मेदारी पाने के लिए एक भाई को शायद क्या करना पड़े?

3 वहीं दूसरी तरफ, कुछ जवान भाई तुरंत अपना लक्ष्य हासिल नहीं कर पाते। शायद उन्हें खुद में कुछ गुण बढ़ाने हों। हो सकता है कि वे बहुत समझदार हों, उनमें जोश हो या वे हर काम जल्दी करते हों। लेकिन फिर भी, उन्हें खुद में कोई और गुण बढ़ाना हो। जैसे सब्र रखना, हर काम ध्यान से करना और दूसरों का आदर करना। अगर वे इन गुणों को बढ़ाने में मेहनत करें, तो वे जल्दी अपने लक्ष्य को हासिल कर पाएँगे। भाई निक के उदाहरण पर गौर कीजिए। जब वह 20 साल का था, तो वह बहुत निराश हो गया क्योंकि उसे सहायक सेवक नहीं बनाया गया। वह कहता है, “मुझे लगने लगा कि मुझमें कोई कमी है।” लेकिन भाई निक ने हार नहीं मानी। उसने प्रचार करने में मेहनत की और मंडली के कामों में हाथ बँटाया। आज भाई, शाखा-समिति का सदस्य है।

4. इस लेख में हम क्या चर्चा करेंगे?

4 अगर आप इस बात से निराश हैं कि आप अब तक अपने कुछ लक्ष्य हासिल नहीं कर पाए हैं, तो यहोवा से प्रार्थना कीजिए। उसे अपने दिल की बात बताइए। (भज. 37:5-7) आप मंडली के अनुभवी भाइयों से भी बात कर सकते हैं। वे आपको सलाह दे सकते हैं कि आप परमेश्‍वर की सेवा और भी अच्छी तरह कैसे कर सकते हैं। उनकी सलाह मानिए। अगर आप ऐसा करेंगे, तो आप अपने लक्ष्य तक पहुँच पाएँगे। लेकिन अगर आपके हालात बहन मंजू की तरह हैं, तो आप ऐसा क्या कर सकते हैं, जिससे आपको यहोवा की सेवा में अब भी खुशी मिले? इस सवाल का जवाब इस लेख में दिया जाएगा। हम यह भी सीखेंगे कि अपनी खुशी और बढ़ाने के लिए हम क्या कर सकते हैं और कौन-से लक्ष्य रख सकते हैं।

खुशी पाने के लिए हमें क्या करना होगा?

5. खुशी पाने के लिए हमें क्या करना होगा? (सभोपदेशक 6:9)

5 सभोपदेशक 6:9 में बताया गया है कि खुशी पाने के लिए हमें क्या करना होगा। (पढ़िए।) अगर हम उन बातों पर ध्यान लगाएँ, जो हमारी आँखों के सामने  हैं, यानी जो कुछ हमारे पास है या हमारे जो हालात हैं, तो हम खुश  रहेंगे। लेकिन अगर हम अपनी इच्छाओं के पीछे भागेंगे  यानी उन चीज़ों के पीछे, जो हमें कभी नहीं मिल सकतीं, तो हम खुश नहीं रहेंगे।

6. हम किस मिसाल पर चर्चा करेंगे और उससे क्या सीखेंगे?

6 क्या ऐसा हो सकता है कि जो हमारे पास है, हम उसी में खुश रहें? कई लोगों का मानना है कि ऐसा नहीं हो सकता। क्योंकि इंसान को नयी-नयी चीज़ें करने, नयी-नयी चीज़ें सीखने का शौक है। लेकिन बाइबल कहती है कि हमारे पास जो है, हम उसमें खुश  रह सकते हैं। कैसे? यह जानने के लिए आइए हम मत्ती 25:14-30 में बतायी तोड़ों की मिसाल पर चर्चा करें। हम इस मिसाल से यह भी सीखेंगे कि हम यहोवा की सेवा में और खुशी कैसे पा सकते हैं।

और खुशी कैसे पाएँ

7. चंद शब्दों में तोड़ों की मिसाल बताइए।

7 यीशु ने अपनी मिसाल में बताया कि एक आदमी परदेस जाता है। लेकिन जाने से पहले, वह अपने तीन दासों को बुलाता है। वह हरेक को उसकी काबिलीयत के मुताबिक तोड़े देता है। * पहले दास को पाँच तोड़े, दूसरे को दो और तीसरे को एक। पहले दो दास मेहनत करके और तोड़े कमाते हैं। लेकिन तीसरा दास कोई मेहनत नहीं करता, इसलिए मालिक उसे काम से निकाल देता है।

8. पहले दास को क्यों खुशी हुई होगी?

8 जब मालिक ने पहले दास को इतनी बड़ी रकम दी, तो वह बहुत खुश हुआ होगा। उसे अच्छा लगा होगा कि उसका मालिक उस पर भरोसा करता है। यह देखकर दूसरा दास निराश हो सकता था, क्योंकि उसे उतनी बड़ी रकम नहीं मिली। पर क्या वह निराश हुआ?

यीशु की मिसाल में बताए दूसरे दास से हम क्या सीखते हैं? (1) मालिक ने उसे दो तोड़े दिए। (2) उसने मेहनत करके और पैसे कमाए। (3) उसने मालिक के पैसे दुगने कर दिए (पैराग्राफ 9-11 पढ़ें)

9. दूसरे दास ने क्या नहीं किया? (मत्ती 25:22, 23)

9 मत्ती 25:22, 23 पढ़िए। मिसाल में ऐसा कहीं नहीं कहा गया है कि दूसरा दास नाराज़ हुआ या निराश हुआ। न ही उसने ऐसा कुछ कहा, “मालिक ने पहले दास को पाँच तोड़े दिए और मुझे सिर्फ दो। क्या मैं उसके जितना काबिल नहीं? अगर मालिक मेरे काम को कुछ नहीं समझता, तो मैं उसके लिए क्यों मेहनत करूँ? मैं खुद के लिए कमाऊँगा।”

10. दूसरे दास ने क्या किया?

10 पहले दास की तरह, दूसरे दास ने भी बहुत मेहनत की। उसने दो तोड़ों से चार तोड़े कमाए। उसकी मेहनत देखकर मालिक बहुत खुश हुआ। उसने उसकी तारीफ की और उसे और भी ज़िम्मेदारियाँ दीं।

11. हम यहोवा की सेवा में और खुशी कैसे पा सकते हैं?

11 दूसरे दास की तरह, हमें जो भी काम दिया जाता है, उसे जी-जान  से करना चाहिए। हमें प्रचार काम “ज़ोर-शोर से” करना चाहिए और मंडली का हर काम दिल से करना चाहिए। (प्रेषि. 18:5; इब्रा. 10:24, 25) हमें सभाओं में जवाब देने और विद्यार्थी भाग देने के लिए अच्छी तैयारी करनी चाहिए। अगर हमें मंडली में कोई काम दिया जाता है, तो हमें उसे वक्‍त पर और अच्छी तरह करना चाहिए। हमें किसी भी काम को छोटा नहीं समझना चाहिए। (नीति. 22:29) जब हम यहोवा की सेवा में कड़ी मेहनत करेंगे, तो यहोवा के साथ हमारी दोस्ती गहरी होगी और हमें और भी खुशी मिलेगी। (गला. 6:4) इसके अलावा, जब किसी और को वही ज़िम्मेदारी मिलती है जो हम चाहते हैं, तो हम उसके साथ खुशी मना पाएँगे।—रोमि. 12:15; गला. 5:26.

12. बहन मंजू और भाई निक ने अपनी खुशी बढ़ाने के लिए क्या किया?

12 ध्यान दीजिए कि पैराग्राफ 2 में बतायी बहन मंजू ने क्या किया। हालाँकि वह अपने लक्ष्य तक नहीं पहुँच पायी, लेकिन वह कहती है, “मैं अपना पूरा ध्यान अपनी पायनियर सेवा पर लगाती हूँ। और प्रचार के अलग-अलग तरीके आज़माने की पूरी कोशिश करती हूँ। इससे मुझे बहुत खुशी मिलती है।” पैराग्राफ 3 में बताए भाई निक ने भी कुछ ऐसा ही किया। हालाँकि वह बहुत निराश हो गया था, लेकिन अपनी खुशी बढ़ाने के लिए उसने कुछ किया। वह कहता है, “मैंने वह किया, जो मैं कर सकता था। मैं प्रचार करता रहा और सभाओं में अच्छे जवाब देने की कोशिश करता रहा। मैंने बेथेल सेवा के लिए अर्ज़ी भी भरी। और अगले ही साल, मुझे बुलाया गया।”

13. अगर हम जी-जान से अपनी ज़िम्मेदारी निभाएँगे, तो क्या होगा? (सभोपदेशक 2:24)

13 हमें जो ज़िम्मेदारी मिली है, अगर हम उसे जी-जान से करें, तो भाई निक की तरह आगे चलकर हमें और भी ज़िम्मेदारियाँ मिल सकती हैं। लेकिन अगर हमें और ज़िम्मेदारियाँ न मिलें, तब भी बहन मंजू की तरह हमें यहोवा की सेवा में खुशी और संतुष्टि मिलेगी। (सभोपदेशक 2:24 पढ़िए।) हमें इस बात से भी खुशी मिलेगी कि हमारी मेहनत देखकर हमारा मालिक, यीशु मसीह खुश है।

ऐसे लक्ष्य रखिए, जिनसे खुशी मिले

14. यहोवा की सेवा में हमें क्या करना चाहिए?

14 अगर हम जी-जान से यहोवा की सेवा कर रहे हैं, तो क्या हमें उतने में ही खुश रहना चाहिए और आगे कोई लक्ष्य नहीं रखना चाहिए? ऐसा नहीं है। यहोवा की सेवा में हमें हमेशा कुछ लक्ष्य रखने चाहिए। हमें ऐसे लक्ष्य रखने चाहिए, जिनसे हम बेहतर प्रचारक और शिक्षक बन पाएँगे और अपने भाई-बहनों की ज़्यादा मदद कर पाएँगे। हम ये लक्ष्य तभी हासिल कर पाएँगे, जब हम खुद पर ध्यान नहीं देंगे, बल्कि नम्र होकर दूसरों की सेवा करेंगे।—नीति. 11:2; प्रेषि. 20:35.

15. कौन-से लक्ष्य रखने से आपको और भी खुशी मिलेगी?

15 आप कौन-सा लक्ष्य रख सकते हैं? आप सहयोगी पायनियर सेवा या पायनियर सेवा, बेथेल सेवा या फिर निर्माण काम में हिस्सा लेने का लक्ष्य रख सकते हैं। आप एक नयी भाषा सीखने के बारे में या ऐसे इलाके में जाने के बारे में सोच सकते हैं, जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है। इन लक्ष्यों को पाने के लिए आपको क्या करना चाहिए, यह जानने के लिए यहोवा की मरज़ी पूरी करने के लिए संगठित  किताब का अध्याय 10 पढ़िए और अपनी मंडली के प्राचीनों से बात कीजिए। * यहोवा से प्रार्थना कीजिए और उससे पूछिए कि कौन-सा लक्ष्य रखना सही होगा। (नीति. 16:3; याकू. 1:5) जब आप इन लक्ष्यों को हासिल करने में मेहनत करेंगे, तो दूसरे देख पाएँगे कि आप तरक्की कर रहे हैं। और इससे आपको और भी खुशी मिलेगी।

16. अगर आप एक लक्ष्य हासिल न कर पाएँ, तो आप क्या कर सकते हैं?

16 हो सकता है कि आपके हालात ऐसे हों कि आप इनमें से कोई भी लक्ष्य न रख पाएँ। तो क्यों न आप कोई और लक्ष्य रखें, जिसे आप हासिल कर सकते हैं।

आप ऐसा कौन-सा लक्ष्य रख सकते हैं, जिसे आप पा सकते हैं? (पैराग्राफ 17 पढ़ें) *

17. पहला तीमुथियुस 4:13, 15 के हिसाब से, एक भाई बेहतर शिक्षक बनने के लिए क्या कर सकता है?

17 पहला तीमुथियुस 4:13, 15 पढ़िए। अगर आप एक भाई हैं और आपका बपतिस्मा हो चुका है, तो आप बोलने और सिखाने की अपनी कला निखार सकते हैं। क्यों? क्योंकि अगर आप पढ़ने, बोलने और सिखाने में ‘लगे रहेंगे,’ तो आपके सुननेवालों को फायदा होगा। पढ़ने और सिखाने में जी-जान लगाएँ  ब्रोशर का अध्ययन करने का लक्ष्य रखिए। एक-एक करके हर गुण को पढ़िए, उसके बारे में दी सलाह को ध्यान में रखकर अभ्यास कीजिए और भाषण दीजिए। सहायक सलाहकार से या दूसरे प्राचीनों से सुझाव माँगिए, “जो बोलने और सिखाने में कड़ी मेहनत करते हैं।” * (1 तीमु. 5:17) इसके साथ-साथ अपने सुननेवालों का विश्‍वास बढ़ाने के बारे में सोचिए या उन्हें कुछ कदम उठाने के लिए उभारिए। अगर आप ऐसा करेंगे, तो आपकी भी खुशी बढ़ेगी और दूसरों की भी।

आप ऐसा कौन-सा लक्ष्य रख सकते हैं, जिसे आप पा सकते हैं? (पैराग्राफ 18 पढ़ें) *

18. हम प्रचार करने का अपना हुनर कैसे बढ़ा सकते हैं?

18 हर मसीही को एक ज़रूरी काम सौंपा गया है। वह है, प्रचार करना और चेला बनाना। (मत्ती 28:19, 20; रोमि. 10:14) इस काम को अच्छी तरह करने के लिए हम कुछ लक्ष्य रख सकते हैं। उन लक्ष्यों को पाने के लिए हम जी-जान ब्रोशर पढ़ सकते हैं और उसमें दी सलाह मान सकते हैं। हमारी मसीही ज़िंदगी और सेवा—सभा पुस्तिका और “गवाही कैसे दें” वीडियो में भी कुछ सुझाव दिए गए हैं। हम इनमें से कोई भी सुझाव अपना सकते हैं। अगर हम ऐसा करेंगे, तो हम अच्छे शिक्षक बन पाएँगे और हमें बहुत खुशी मिलेगी।—2 तीमु. 4:5.

आप ऐसा कौन-सा लक्ष्य रख सकते हैं, जिसे आप पा सकते हैं? (पैराग्राफ 19 पढ़ें) *

19. आप ऐसे गुण कैसे बढ़ा सकते हैं, जो यहोवा को पसंद हैं?

19 एक लक्ष्य है, जो हम सबको रखना चाहिए। वह है ऐसे गुण बढ़ाना, जो यहोवा को पसंद हैं। (गला. 5:22, 23; कुलु. 3:12; 2 पत. 1:5-8) उदाहरण के लिए, विश्‍वास का गुण लीजिए। आप यह गुण कैसे बढ़ा सकते हैं? आप हमारे प्रकाशनों में लेख पढ़ सकते हैं और उनमें दिए सुझाव अपना सकते हैं। आप JW ब्रॉडकास्टिंग के कार्यक्रमों में दिखाए ऐसे भाई-बहनों के अनुभव भी देख सकते हैं, जिन्होंने मुश्‍किल हालात में मज़बूत विश्‍वास रखा। फिर आप उनकी तरह बनने की कोशिश कर सकते हैं।

20. हम और खुशी पाने के लिए क्या कर सकते हैं?

20 आज हम यहोवा की सेवा में बहुत कुछ करना चाहते हैं, लेकिन शायद न कर पाएँ। परमेश्‍वर की नयी दुनिया में कोई भी बात हमें नहीं रोक पाएगी। पर तब तक हम जो भी कर सकते हैं, अगर उसे जी-जान से करें, तो हम निराश नहीं होंगे बल्कि हमें और भी खुशी मिलेगी। इससे भी बढ़कर, हम अपने “आनंदित परमेश्‍वर” यहोवा का आदर कर पाएँगे और उसकी महिमा कर पाएँगे। (1 तीमु. 1:11) इसलिए आइए हमें जो भी ज़िम्मेदारी मिली है, उसमें खुशी पाएँ।

गीत 82 ‘तुम्हारी रौशनी चमके’

^ पैरा. 5 हम यहोवा से बहुत प्यार करते हैं। इसलिए हम उसकी सेवा में बहुत कुछ करना चाहते हैं। शायद हमने लक्ष्य रखा हो कि हम ज़्यादा प्रचार करेंगे या मंडली में और ज़िम्मेदारी पाने की कोशिश करेंगे। लेकिन हो सकता है कि मेहनत करने के बाद भी हम अपना लक्ष्य हासिल न कर पाएँ। ऐसे में हम क्या कर सकते हैं, ताकि हम खुश रहें और यहोवा की सेवा में लगे रहें? यीशु ने तोड़ों की जो मिसाल दी थी, उससे हमें इन सवालों के जवाब मिलेंगे।

^ पैरा. 2 कुछ नाम बदल दिए गए हैं।

^ पैरा. 7 इसका क्या मतलब है? एक तोड़ा,  एक आम मज़दूर की करीब 20 साल की मज़दूरी होती थी।

^ पैरा. 15 जिन भाइयों का बपतिस्मा हो चुका है, उन्हें बढ़ावा दिया जाता है कि वे सहायक सेवक और प्राचीन बनें। इसके लिए उनमें कौन-सी योग्यताएँ होनी चाहिए, यह जानने के लिए वे संगठित  किताब के अध्याय 5 और 6 पढ़ सकते हैं।

^ पैरा. 17 इसका क्या मतलब है? मंडली के एक प्राचीन को सहायक सलाहकार  बनाया जाता है। वह सहायक सेवकों और प्राचीनों को उनके भाग के लिए अकेले में सलाह देता है। वह ऐसा ज़रूरत पड़ने पर करता है।

^ पैरा. 64 तसवीर के बारे में: एक भाई ने अच्छा शिक्षक बनने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए वह एक प्रकाशन पढ़ रहा है।

^ पैरा. 66 तसवीर के बारे में: एक बुज़ुर्ग बहन ने अलग-अलग मौकों पर गवाही देने का लक्ष्य रखा है। वह होटल में एक लड़की को संपर्क कार्ड दे रही है।

^ पैरा. 68 तसवीर के बारे में: एक बहन ने दरियादिल बनने का लक्ष्य रखा है। वह एक दूसरी बहन के लिए कुछ बनाकर लाती है।